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पति ने देवर साथ मस्त चुदाई की मेरी

अप्रैल 13, 2024 by hamari

Sexy Bhabhi Used Bra

मेरा नाम विद्या है। मेरी उम्र 29 साल है। मै कुशीनगर में रहती हूं। मैं देखने में बहुत ही जबरदस्त माल दिखती हूँ। मेरा रंग खूब गोरा है। मेरी खूबसूरती पर सारे लोग फ़िदा है। मेरा अंग अंग रस भरा है। मेरे चुच्चे बहुत ही सॉलिड लगते है। मेरा फिगर 36 30 36 है। जितना ही पीछे मेरी गांड निकली है उतनी ही आगे मेरी चूंचिया निकली हुई है। Sexy Bhabhi Used Bra

36″ के इस मम्मे को पीने को बहुत लोग परेशान है। मुझे भी चुदवाने में बहुत मजा आता है। बड़े बड़े लंड मुझे बहुत ही पसंद है। उनसे खेलकर चूसना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। मैं चुदाई वाला खेल बहुत दिन से खेलती आ रही हूँ। मुझे अपनी चूत चटवाने में बहुत ही मजा आता है।

दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आती हूँ। किस तरह से मेरी चूत का भोग लगाया मेरे पति और सुभाष ने। मै एक शादी शुदा औरत हूँ। घर वालो ने मेरी शादी पड़ोस के ही एक गांव में कर दिया था। जिसका नाम ह़ाटा है। मुझे एक हट्टे कट्टे शरीर वाला पति मिला था।

जिंदगी खूब मजे में कट रही थी। मेरे पति का नाम राकेश है। वो सिर्फ दो भाई है। राकेश जी बड़े है। दूसरे भाई साहब उनसे सिर्फ 2 साल के छोटे हैं। उसका नाम सुभाष है। वो भी उनसे ज्यादा खूबसूरत और गजब पर्सनालिटी का मालिक है।

दोनों लोगों का अंग बहुत ही गठीला है। दोनों में बहुत ही प्यारे है। वो हमेशा मुझे भाभी भाभी कहता रहता है। पूरा मजा लेता है। जब भी उसे मौक़ा मिलता है मजा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। जब भी मैं चलती हूँ तो वो मेरी मटकती गांड ओर ही नजर गड़ाए रहता है।

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ये बात एक दिन रात में लेटी थी। तो सारा हाल अपने पति को सुनाने लगी। उन्होंने कुछ न कहकर टाल दिया। मेरी रात भर चुदाई करते रहते थे। वो अपना 8″ का लंड मेरी चूत में डाले रातभर बिस्तर पर पड़े रहते थे। मै भी उस लंड से चुदा चुदा के बोर हो चुकी थी।

मुझे भी किसी नए लंड की जरूरत लगने लगी। मै कुछ दिनों से अपने ब्रा पर कुछ लगा हुआ पाती थी। मैंने उसे सूँघा हाथ से छूकर देखा तो वो लंड का माल निकला। मुझे तुरंत पता चल गया ये काम कौन करता है। घर में राकेश और सुभाष के अलावा और कोई भी नहीं रहता।

वो तो मेरी रात भर चुदाई करते रहते हैं। तो वो ऐसा क्यों करेंगे। बचा था अब सुभाष, उसकी ही ये सारी करतूते है। मै उसे अपनी ब्रा में मुठ मारते हुए पकड़ना चाहती थी। अब पति राकेश के काम पर जाते ही मैं सुभाष के पीछे लग जाती थी। वो भी अपने काम पर लग गया।

मैंने अपनी ब्रा को और पैंटी को उसके ही आगे टांग दिया। सुभाष ने जैसे ही देखा उसे उठा कर अपने रूम में ले गया। मैंने घर का काम करने का नाटक करने लगी। उसे लगा की मैं बाहर का बरामद साफ़ कर रही हूँ। लेकिन मैं चुपचाप खिड़की पर खड़ी थी। सारा नजारा देखने लगी।

वो मेरी ब्रा पर अपना 12″ का लंड निकाल कर फेटने लगा। उसका इतना बड़ा लंड देखकर मुह में पानी आने लगा। मै उसे खाने को बेकरार होने लगी। कुछ ही दिनों बाद मेरे घर के पास में भंडारा था। मेरे पति राकेश के वो खास मित्र के यहा रहते थे तो रात को वो देर तक वहाँ रहते थे।

सुभाष सिर्फ एक दिन ही गया हुआ था। अभी तक वो कुँवारा ही था। ये बात एक साल पहले की है। जब भंडारा चल रहा था वो एक दिन मेरी ब्रा हाथ में लेकर बैठा अपने रूम में मुठ मार रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। मैने पीछे से उसे जाकर पकड़ लिया।

वो भी अपना लंड पकडे हुए था। उसका लंड बहुत ही मोटा लग रहा था। वो चौंक कर अपना लंड ढकने लगा। मैंने बताया कि मैंने सब कुछ देख लिया है। वो शर्माने लगा। उसे डर था कि मैं उसके बड़े भाई साहब से न बता दूँ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

लेकिन मुझे तो सुभाष का लंड खाना था। उसके लंड की तरफ मै बार बार देख रही थी। वो डर के मारे बहुत ही माफ़ी मांगने लगा। ढंग से बोल ही नहीं पा रहा था। मैं उसके पास बैठ गई। उससे चिपक कर कहने लगी- “घबराओ नहीं मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी। मुझे पता है इस उम्र में हर कोई अकेला कैसे रहता है.”

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वो नीचे सर झुकाये बोला- “भाभी!! किसी से कहना मत। आज के बाद ऐसा नहीं करूंगा.”

मै- “मुझे पहले नहीं पता था। नहीं तो तुम्हे ये सब करने की नौबत ही ना आती.”

सुभाष- “आपका मतलब नहीं समझ में आया भाभी जी.”

मै- “सुभाष जी मुझे पता होता तो तुम्हारे लिए भी कही जुगाड़ कर देती.”

सुभाष- “किस चीज का जुगाड़ कर देती.”

सुभाष जी बहुत ही भोले बनने लगे।

मैं- “ज्यादा भोला बनने का नाटक न करो। मुझे सब पता है। तुम कितने भोले हो.”

सुभाष- “सही भाभी कही कर दो उसका जुगाड़। अब रहा नहीं जाता उसके बिना.”

मै- “मै तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। लेकिन किसी से कहना मत.”

सुभाष- “नहीं कहूंगा.”

मैं- “जब तक मैं जुगाड़ करती हूँ। तब तक तुम मुझसे ही काम चला लो.”

सुभाष हक्का बक्का रह गया। वो समझ ही नही पा रह था क्या बोलूं। इतना कहकर मै उससे और भी अच्छे से चिपक गई। सुभाष कहने लगा- “सच में भाभी तुम मुझसे चुदोगी.”

मै- “हाँ लेकिन ये किसी को पता नहीं चलना चाहिए.”

मेरे इतना कहते ही वो जोर जोर से मेरे होंठो पर किस करने लगा। उसके बाद धीरे धीरे मेरे मम्मो को दबाने लगा। मम्मो को दबाते ही मै गर्म होने लगी। मै बार बार उसका खड़ा लंड छूकर मजा ले रही थी। मेरे पति राकेश को इस बात का पता नहीं था।

उस दिन तो मैंने अपने देवर सुभाष को खूब दूध पिलाया अपना। उन्होंने मेरी चूत चाटी। मैने भी उनका लंड चूसा। उसके बाद उन्होंने मुझे चोद कर अपनी प्यास बुझाई। मेरी बुर को उनके बड़े मोठे लंड ने अच्छे से फाड़ डाला था। रात कों जब राकेश घर आया तो उसने फिर से मुझे एक बार चुदने के लिए जगाया।

लेकिन मैं पहले ही चुदवा कर थक चुकी थी। मैंने अपना सारा कपड़ा तो उतार दिया। लेकिन उनके साथ सेक्स न कर सकी। वही कुछ देर तक चूंचियो को दबाकर चूत में लंड डालकर चुदाई करके झड़ गए। आज उन्हें भी कुछ ज्यादा मजा नहीं आया।

दुसरे दिन फिर से वो चले गए। मुझे लगा आज भी वो देर से आएंगे। मेरे पति राकेश के वीर्य में पता नहीं किस चीज की कमी थी। जिससे मुझे आज तक बच्चा ही नही हो पा रहा था। वो भी अपनी मर्दानगी पर शर्मिन्दा हो रहे थे। उस दिन वो जल्दी चले आये।

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घर आते ही उन्होंने मुझे देवर सुभाष की बाहों में पड़ी देख कर गुस्से से लाल पीला होने लगे। मै देखते ही वहाँ से उठ गई। सुभाष भी डर से चुपचाप वही बैठा था। वो मुझे पकड़ कर अपने रूम में ले गए। मुठ मारकर अपना लंड खड़ा करके मेरी जोर जोर से चुदाई करने लगे।

गुस्से में मेरी चूत को वो अपने लंड से फाड़े ही जा रहे थे। मैं जोर जोर से “ओह्ह माँ…. ओह्ह माँ… उ उ उ उ उ…… अ अ अ अ अ आ आ आ आ….” चिल्ला रही थी। उसके बाद वो थक कर लेट गए। वो मुझे गाल पर चांटे मारने लगे। “कुतिया!! हरामजादी!!, छिनाल अपने देवर से फंसी हुई है। अपनी माँ चुदाले रंडी” कहने लगे और मुझे गालियाँ देने लगे।

मैंने भी उनकी मर्दानिगी के बारे में बता दिया की तुम बाप बनने लायक नही हो। वो कुछ न बोल सके। बाहर तुम्हे क्या कहते होंगे सब। फिर मैने बच्चे का लालच देकर उन्हें मना लिया। उन्होंने दूसरे दिन सुभाष जी को बुलाया। वो रात को मेरे कमरे में डरते डरते आया।

उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद किया। कहने लगे- “चलो भाई आज हम मिल बाँट कर खाते है इसको.”

वो फिर से भौचक्का रह गया। मैंने अपना सारा प्लान पहले ही उसे समझा दिया था। दोनों मुझे सहलाने लगे। मै गर्म होने लगी। दोनों मुझे आगे पीछे होकर छू छूकर गरम कर रहे थे। धीरे धीरे पति और देवर दोनों ने मेरी साड़ी उतार दी. फिर मेरा ब्लाउस, पेटीकोट, ब्रा और पेंटी सब कुछ एक एक करके उतार दी।

सुभाष आगे मेरी चूत में ऊँगली कर रहा था। मैं जोश में आकर गर्म गर्म साँसे छोड़ने लगी। पहले सुभाष ने मेरा काम लगाने के लिए अपना पैंट निकाला। उसका लंड मै हाथ में लेकर चूसने लगी। मुझे उसका लंड चूसने में मजा आ रहा था।

पति राकेश भी अपना लंड निकालने के लिए पैंट खोलने लगे। मैंने उनका भी लंड पकड़ कर दोनों का साथ में ही चूसने लगी। दोनों के लंड को एक साथ पाकर मुझे जन्नत मिल गईं। दोनो के साथ में फेट रही थी। मै बहुत खुश हो रही थी।

दोनो के लंड की गोलियां मै रसगुल्ले की तरह चूस रही थी। दोनों अपना एक साथ अपना अपना मेरे मुह में डाल रहे थे। चूत गांड की तो बात हो छोड़ो। दोनों जोश में आकर मेरा मुह को फाड़ रहे थे। आपको तो पता ही होगा की मुह में एक साथ कितना लंड डाला जा सकता है।

दोनो ने मिलकर मेरी साडी उतारी। ब्लाउज के ऊपर से ही चूंचियो को मसल कर उसे भी निकाल दिया। मुझे ब्रा में देख कर दोनों पागलो की तरह उस पर झपट कर निकाल दिया। पेटीकोट का नाडा खोलकर उसे भी निकाल दिया। सुभाष ने मेरी चूंचियो को हाथो में लेकर खेलने लगा।

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वो उसे उछाल उछाल कर मजा ले रहा था। उसे ऐसा करते देख कर राकेश से भी रहा नहीं गया। उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाकर मेरी एक चूँची को मुह में भरकर पीने लगे। दोनों मुझपे कुत्ते की तरह टूट कर मजा ले रहे थे। दोनों का लंड खड़ा हो गया।

सुभाष भी मेरी चूत की तरफ बढ़कर मेरी पैंटी को निकाल दिया। उन्होंने मेरी चूत पर अपना मुह लगाकर पीने लगे। चूत की दोनों पंखुडियो को होंठो से पकड़ कर खींच खींच कर पीने लगे। मै “अई…. अई…. अई… अहह्ह्ह्हह…. सी सी सी सी…. हा हा हा…” की सिसकारी भरने लगी।

राकेश ने वो भी बंद करवा दिया। उसने अपना होठ मेरे होंठ से लगाकर पीने लगा। मेरी नाजुक नर्म होंठो को वो बहुत कम ही चूसता था। लेकिन आज वो ये भी कर रहा था। दोनों मुझे दुगनी स्पीड से गर्म कर रहे थे। मुझे नही पता था कि दोनों को सहने में बहुत ही मुश्किल होगीं।

एक एक करके मेरा काम लगाना शुरू किया। राकेश ने मेरी चूत में अंदर तक जीभ डालकर चाट रहा था। वो मेरी चूत के दाने को काट काट कर मुझे तड़पा रहा था। मैं “अई… अई…. अई… अई.. इसस्स्स्स्स्……. उहह्ह्ह्ह…. ओह्ह्ह्हह्ह….” की सिसकारी भर रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

फिर सुभाष जी ने मेरी दोनों टांगो को खोलकर मेरी चूत के दर्शन किया। उसके बाद उन्होंने मेरी चूत पर लंड रगड़ कर मुझे चुदने को बेकरार करने लगें। धीरे धीरे रगड़ कर चूत के छेद पर निशाना साधने लगे। छेद का मुह लंड पर लगते ही उन्होंने धक्का मार दिया। आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया।

मै जोर जोर से “आआआअह्हह्हह….. ईईईईईईई…. ओह्ह्ह्…. अई.. अई.. अई…. अई.. मम्मी….” की आवाज निकालने लगी। आज तो वो कुछ ज्यादा जी जोश में लग रहा था। उसने तुरंत ही फिर से जोर का झटका मार कर पूरा लंड घुसा दिया।

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पति राकेश आज पत्नी की चुदाई देख रहे थे। वो मुह बनाये बैठे थे। मैं उनका लंड पकड़ कर मुठ मारने लगी। वो भी जोश में आने लगे। उधर मेरा देवर सुभाष 12″ का लंड डाले मेरी चूत की फडाई कर रहा था। मेरी चूत को फाड़कर उसका भरता बना रहा था।

इधर पति मेरी मुह में ही अपना लंड डालकर कर मुह को ही चूत की तरह चोदने लगे। मेरा तो दम घुटने लगा। मैंने उनका लंड अपने मुह से निकाल कर चैन की सांस ली। उधर सुभाष भी अपना लंड निकाल कर मुझे चुसवाने लगा। मौक़ा मिलते ही राकेश मेरी चूत चोदने में मर्दानिगी दिखा रहे थे।

वो अपना लंड डाले खूब जोर की चुदाई करके मेरी चीखे निकलवा दी। मै जोर से “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ… ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” से चिल्लाने लगी। आवाज के साथ मेरी चुदाई भी बड़ी तीव्र गति से होने लगी।

मैंने सुभाष के लंड पर लगा अपनी चूत का माल चाट कर उसे फिर से चुदने को तैयार कर दी। वो लंड को हिलाते हुए राकेश के पास पहुचा। दोनों एक साथ मेरी चुदाई करना चाहते थे। पति राकेश ने जाकर सोफे पर अपना आसन जमा लिया।

मै ब्लू फिल्म की पोर्न स्टारों की तरह उनके लंड पर जाकर बैठ गई। लंड के अंदर गांड में घुसते ही मैं धीरे धीरे से “उई.. उई.. उई……. माँ…. ओह्ह्ह्ह माँ…… अहह्ह्ह्हह…” की आवाज निकाल कर पूरा लंड अपनी चूत में घुसा ली। उसके बाद मैं उछल उछल कर अपनी गांड चुदवाने लगी।

सुभाष भी मुठ मारते हुए आकर मेरी चूत में अपना लंड घुसाने लगा। एक लंड गांड को फाड़ ही रहा था। कि दूसरा भी आकर मेरी चूत को फाडने में लगा हुआ था। मेरी चूत में लंड घुसाकर वो भी आगे पीछे होकर चोदने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था।

पता नही कैसे लड़कियाँ ब्लू फिल्मो में चुदाई करवा लेती है। मेरी चूत और गांड दोनों दर्द से दप दपाने लगी। उसके लंड ने मेरी हालत खराब कर दी। दोनों चुदाई की धुन में मस्त थे। राकेश अपनी गांड उठा उठा कर मेरी गांड चुदाई कर रहे थे।

सुभाष भी अपनी कमर मटका मटका कर चूत को फाडने में तुला हुआ था। दोनों को सेक्स करने में भरपूर मजा आ रहा था। मै भी “आऊ….. आऊ…. हमममम अहह्ह्ह्हह… सी सी सी सी.. हा हा हा..” की जोशीली आवाज निकाल कर चुदवाने में मस्त थी।

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पति और देवर ने करीब 15 मिनट तक इसी तरह से मुझे चोद डाला। दोनों थक थक कर खड़े हो गए। सुभाष मेरी टांग को उठाकर चोदने लगा। राकेश ने मेरे मुह में लंड डाल कर मुठ मारने लगा। मै उसके माल का बेसबरी से इन्तजार कर रही थी। सुभाष जी की चोदने की टाइमिंग भी ज्यादा थी। लेकिन पति राकेश तो मेरी मुह में झड़ गये। मैंने उनका सारा माल पी लिया। वो थक कर लेट गए। मेरी चूंचियो को ही सहला सहला कर मजा लेने लगे। मेरे देवर सुभाष का लंड अब भी मेरी चूत की चटनी बना रहा था। उसने मुझे उठाकर गोद में ले लिया।

मुझे झूला झुला करके चोदने लगे। इतना मजा तो मुझे आज तक नहीं आया था। मैं “ही ही ही…… अ अ अ अ .अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…” की आवाज के साथ उछल उछल कर चुदवा रही थी। वो भी ज्यादा देर तक अब नहीं रुक सकता था। उसने अपना माल निकाल कर मेरी चूत में झड़ने को कहने लगा। सारा माल मेरी चूत में डाल कर मुझे माँ बनाने की तैयारी करने लगा। मुझे नीचे उतार कर उसने बिस्तर पर मेरे साथ खूब मजा लिया। दोनों आगे पीछे लेट कर रात भर मुझे परेशान करते रहते हैं। जब भी रात में किसी का लंड खड़ा होता है मेरा काम लगा देता है।

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