New XXX Story
हेलो, मेरा नाम वैशाली है। मैं 28 साल की हूँ और मेरा फिगर 38-32-36 है। मेरी शादी हो चुकी है मेरे पति का नाम धर्मेन्द्र है। मेरी ये कहानी मेरी शादी के बाद शुरू होती है। मेरे पति धर्मेन्द्र का लण्ड 8” इंच लंबा और दो इंच मोटा है। शादी की पहली ही रात धर्मेन्द्र ने मुझे आगे और पीछे से पूरी रात चोदा था। New XXX Story
अब मेरे पति मुझे रोज चोदते थे इसलिए मेरी चुदाई की भूख भी बढ़ती जा रही थी। घर में धर्मेन्द्र के अलावा मेरी सास, ससुर और एक नौकर दीनू था। धर्मेन्द्र का एक छोटा भाई भी था निखिल, जो इंगलैंड पढ़ने के लिए गया हुआ था। मेरे पति एक मल्टिनेशनल कंपनी में फाइनेन्स मैनेजर की पोस्ट पर जाब करते हैं।
कहानी वहां से शुरू होती है जब मेरे पति को कंपनी की तरफ से कनाडा जाना पड़ गया। उनका विजिट 6 महीने का था। मैं धर्मेन्द्र के जाने से बहुत उदास थी क्योंकी धर्मेन्द्र ने मुझे रोज चोद-चोदकर मुझे रोज चुदवाने की आदत डाल दी थी।
जिस सुबह धर्मेन्द्र ने जाना था उसी रात को मैंने उदासी से कहा- “धर्मेन्द्र तुम 6 महीने के लिए जा रहे हो, अब मेरी चूत की भूख कैसे मिटेगी?
धर्मेन्द्र ने मुझे खुद से कसकर भींच लिया और बोला- “मेरी जान मेरा जाना जरूरी है, मैं खुद भी उदास हूँ। मैं तुमको छोड़कर नहीं जाना चाहता, मगर क्या करूं? जाब है, काम तो करना है ना…”
धर्मेन्द्र की बात सुनकर मैं खामोश हो गई। उस रात धर्मेन्द्र ने मुझे सुबह 8:00 बजे तक कुत्तों की तरह चोदा। धर्मेन्द्र के जाने के बाद मैं उदास रहने लगी और एक बेचैनी सी मुझे अपने बदन में महसूस होती थी। मैं रातों को तड़पती रहती थी।
ये धर्मेन्द्र के चले जाने के बाद तीसरी रात थी, मुझे धर्मेन्द्र की बहुत याद आ रही थी, मेरे जिस्म की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और फिर मैं बेचैन होकर कमरे से बाहर आ गई। हमारा घर डबल-स्टोरी था। मेरा कमरा ऊपर जबकि सास और ससुर का कमरा नीचे था।
मैं नीचे आ गई। फिर जब मैं अपने सास और ससुर के कमरे के पास से गुजर रही थी तो मुझे अंदर से हल्की-हल्की आवाजें आईं जैसे कोई सिसकारियां ले रहा है, और मुझे दरवाजे की झिरी से रोशनी भी निकलती हुई महसूस हुई। मेरे दिल में आया, यकीनन बाबूजी माँजी को चोद रहे हैं।
मेरे दिल में आया कि क्यों ना अंदर झाँका जाय। पहले मैंने दरवाजे की झिरी से झाँका मगर कुछ नजर नहीं आया, तो मैं खिड़की के पास गई। खिड़की पर पर्दे पड़े हुये थे और उसके दोनों पट बंद थे। मैंने ऐसे ही हाथ लगाया तो खिड़की का पल्ला खुल गया।
मैंने खिड़की का पल्ला खोलना चाहा तो वो पूरा खुल गया, मगर कोई आवाज नहीं हुई। मुझे डर हुआ कि कहीं अंदर पता नहीं चल गया हो। खिड़की खोलते ही अंदर की आवाजें साफ-साफ बाहर आने लगीं। मैंने परदा हटाया और अंदर देखने लगी। बाबूजी लेटे हुये थे और सासू माँ बाबूजी के ऊपर टी हुई थीं।
बाबूजी का लण्ड सासू माँ की चूत में था और वो नीचे से खूब जोर-जोर से झटके मार रहे थे। सासू माँ बाबूजी का लण्ड खूब मजे से पिलवा रही थी और खूब सिसकारियां ले रही थी। मैं काफी देर से देख रही थी कि अचानक ही बाबूजी ने अपना सर खिड़की की तरफ घुमाया तो मैं उन्हें खड़ी नजर आ गई।
मेरे पास छुपने का अब मोका नहीं था इसलिए मैं वहीं खड़ी रही। सासूमाँ की कमर मेरी तरफ थी इसलिए मुझे वो नहीं देख सकती थी। बाबूजी मुझे देखकर मुस्कुराने लगे तो मैं भी मुस्कुरा दी। फिर उन्होंने सासूमाँ की टांगें मेरी तरफ घुमा दी और मुझे दिखा-दिखाकर खूब जोर-जोर से चोदने लगे।
मैं जाने लगी तो उन्होंने इशारे से जाने से मना किया और खड़ा रहने को कहा। मुझे भी अच्छा लग रहा था इसलिए मैं खड़ी हो गई। बाबूजी ने 35 मिनट तक खूब तेजी से सासूमाँ को चोदा। फिर जब उन्होंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो मैं उनका 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड देखकर हैरान हो गई।
बाबूजी ने अपना लण्ड सासूमाँ की चूचियों पर रखकर अपनी मनी चोद दी। फारिग होने के बाद सासूमाँ आँखें बंद करके लेट गईं। तो बाबूजी ने मेरी तरफ इशारा किया कि वो मुझे चोदेंगे। बाबूजी के इशारे पर मैं मुस्कुरा दी और अपने कमरे में आ गई।
फिर जब तक मुझे नींद नहीं आ गई मैं बाबूजी के बारे में सोचती रही। सुबह हुई तो नाश्ते के बाद माँजी किसी से मिलने चली गईं। अब उनको शाम में आना था और अब घर में सिर्फ़ मैं बाबूजी और हमारा नौकर दीनू ही बचे थे। दीनू पूरे घर के काम करता था और मैं सिर्फ़ खाना पकाती थी।
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माँजी के जाने के बाद मैंने सोचा क्यों ना अपने ससुर को बहकाया जाय इसीलिए मैंने गुलाबी कलर का काटन का बहुत ही टाइट और काफी खुले गले का ब्लाउज़ और पतली सी साड़ी पहन ली। मेरा ब्लाउज़ बहुत छोटा था, जो सिर्फ़ मेरी डोरी वाले ब्रेजियर को ही छुपा पा रहा था।
मेरा पूरा पेट नंगा था और मैंने बारीक साड़ी के नीचे पेटिकोट नहीं पहना था बल्की सिर्फ़ अंडरवेर के ऊपर ही मैंने साड़ी बाँध ली थी, जिसमें से मेरी पूरी टांगें काफी नुमाया हो रही थीं, और एक तरह से मैं पूरी नंगी ही थी। अब मैं इस हुलिये में काम करने लगी और जानबूझकर बार-बार अपने ससुर के सामने आती रही।
मेरे ससुरजी मुझे घूर-घूरकर देख रहे थे और मुझे उनका इस तरह देखना अच्छा लग रहा था। मगर मैं इग्नोर कर रही थी। दोपहर का खाना खाने के बाद ससुरजी दूध लाजमी पीते थे। इसलिए मैंने किचेन में जाकर एक ग्लास में दूध निकाला और बाबूजी के कमरे में आ गई।
बाबूजी बिस्तर पर धोती कुर्ता पहने हुये लेटे हुये थे और टीवी देख रहे थे। मैंने आज बहुत ही छोटा और टाइट ब्लाउज़ और साड़ी पहनी हुई थी। मैंने साफ-साफ महसूस किया कि मुझे देखकर बाबूजी की धोती में हलचल हुई है। मैं ये देखकर मुस्कुरा दी। मैं बिल्कुल उनके पास आ गई और झुक कर उन्हें दूध देने लगी। मेरे झुकने से मेरे खुले गले के ब्लाउज़ से मेरी चूचियां बाहर आने लगीं।
मैंने कहा- “बाबूजी दूध पी लें।
बाबूजी की नजरें मेरी चूचियों पर थीं और वो कहने लगे- “वैशाली, आज मैं ये दूध नहीं पियूंगा…”
मैं बोली- क्यों बाबूजी?
बाबूजी ने कहा- “वैशाली, आज मैं दूसरा दूध पियूंगा…”
मैं बनावटी हैरत से बोली- “दूसरा दूध कौन सा बाबूजी?” मैं इस वक़्त तक दूध को बेड की साइड टेबल पर रख चुकी थी।
बाबूजी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया और मेरी चूचियों को पकड़कर बोले- “मैं ये दूध पीना चाहता हूँ…”
बाबूजी के हाथों से मेरे पूरे जिस्म में करेंट दौड़ गया था और यही तो मैं चाहती थी। मैं नाटक करते हुये बोली- “यह आप क्या कर रहे हैं? छोड़िये कोई आ जाएगा…”
बाबूजी ने कहा- कौन आयेगा इस वक़्त? तेरी सासूमाँ तो चली गई हैं और दीनू मेरे कमरे में नहीं आता। तू बेफिकर रह। अभी मैं तेरी ये दूध से भरी चूचियां चूसूंगा और फिर तुझे नंगा करके तेरी चूत में अपना लण्ड डालकर तेरी चूत चोदूंगा…”
मैं फिर नाटक करने लगी- “नहीं बाबूजी, चोदिए ना… यह आप क्या कर रहे हैं? मैं आपकी बहू हूँ, ये गलत है…”
बाबूजी ने कसकर मुझे लपेटकर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़कर लेट गये और बोले- “गलत की बच्ची, कल रात को तो तू बड़ी मुस्कुरा-मुस्कुराकर मुझे चोदते हुये देख रही थी और अब नाटक कर रही है…”
बाबूजी की बात सुनकर मैं मुस्कुरा दी और मैंने अपनी बाहें बाबूजी के गले में डाल दी और बोली- “बाबूजी, मैं तो आपके साथ मस्ती कर रही थी। जब से मैंने आपका मोटा और लंबा लण्ड देखा है, मैं खुद बेचैन थी आपसे चुदवाने के लिए। मैं आपको कैसे मना कर सकती हूँ…”
मेरी बात सुनकर बाबूजी मुस्कुरा दिए और बोले- “अब आई है ना लाइन पर। चल अब अपने कपड़े उतार…”
मैं लाड़ से बोली- “आप खुद उतार दें ना मेरे कपड़े…”
बाबूजी मुस्कुराये और उन्होंने मुझे नंगा कर दिया। मेरा नंगा खूबसूरत सेक्सी बदन देखकर बाबूजी की आँखें फट गई और वो बोले- “वाह मेरी रानी, तेरा बदन तो बहुत चिकना और सेक्सी है। आज तो तुझे चोदकर मजा आ जायेगा…” ये कहकर वो मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर टूट पड़े और बेसब्री से मेरी चूचियों को चूमने और चाटने लगे।
मैंने मजे में आकर आँखें बंद कर ली, और उनका सर अपनी चूचियों पर दबाने लगी। 15 मिनट तक बाबूजी ने मेरी चूचियों को चूसा और चाटा। फिर वो मेरी चूत पर हाथ फिराने लगे। मैंने कसकर उनका हाथ अपनी चूत में दबा लिया और जलती हुई आँखों से बाबूजी को देखने लगी और बोली- “बाबूजी, मेरी चूत में आग लगी हुई है प्लीज… इसे बुझा दें…”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “तुम फिकर ही ना करो मेरी जान, मैं अभी ये आग बुझा देता हूँ…” ये कहकर वो मेरी चूत पर झुक गये और मजे से मेरी चूत को चाटने लगे।
अपनी चूत पर बाबूजी की जीभ महसूस करते ही मैं तड़पने लगी। फिर जब उन्होंने मेरी चूत के दाने को अपने दांतों से पकड़ा तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो सका और मैं झड़ गई, और मेरी चूत ने पानी चोद दिया। मेरी चूत से निकलने वाला पानी बाबूजी ने चाट लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं तड़प कर बोली- “उउफफ्फ… बाबूजी क्यों तड़पा रहे हैं मुझे? जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दें…”
बाबूजी ने मुझे से कहा- तुम मेरे लण्ड को प्यार नहीं करोगी क्या?
मैंने जलती हुई आँखों से बाबूजी को देखा और शिकायती लहजे में बोली- “आपने अपने लण्ड पर मुझसे प्यार करवाया ही नहीं…”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “नराज क्यों होती हो वैशाली डार्लिंग? ये लो…” और बाबूजी ने अपना कुर्ता और धोती उतारी दी तो उनका 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड आजाद हो गया।
मैं बेताबी से उठी और मैंने दोनों हाथों से उनका लण्ड पकड़ लिया और बोली- “उउफफ्फ… बाबूजी कितना प्यारा है आपका लण्ड, दिल चाह रहा है कि इसे खा जाऊँ…”
बाबूजी ने कहा- “तुम्हें मना किसने किया है? मेरी बहू रानी, ये अब तुम्हारा है जो चाहो इसके साथ करो…”
मैंने फौरन ही बाबूजी का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मजे से कुल्फी की तरह चूसने लगी। खूब अच्छी तरह बाबूजी का लण्ड चूसा। फिर बाबूजी ने मुझे लिटा दिया और मेरी टांगें मोड़कर मेरे कंधों से लगा दी। इस तरह से मेरी चूत बिल्कुल उनके लण्ड के सामने आ गई। बाबूजी ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखा तो मैं कहने लगी- “बाबूजी एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दीजिए…”
बाबूजी ने कहा- “ऐसा ही होगा मेरी जान…” फिर उन्होंने अपनी पूरी ताकत से झटका मारा और उनका लण्ड मेरी चूत को बुरी तरह से फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया।
मुझे बहुत तकलीफ हुई और मैं ना चाहते हुये भी अपनी चीख नहीं रोक पाई।
बाबूजी हँसे- “अरे, तुम तो बिल्कुल कुँवारी लड़की की तरह चीखी हो, क्या तुम्हारा पति धर्मेन्द्र तुम्हें नहीं चोदता?”
मैं बोली- “वो तो मुझे बहुत चोदते हैं पर उनका लण्ड आपसे पतला और छोटा है। मुझे इतना बड़ा और मोटा लण्ड लेने की आदत नहीं है, इसीलिए मेरी चीख निकल गई…”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “अगर तुम्हारी चूत को आदत नहीं है तो मैं आज तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर आदी बना दूंगा…” ये कहकर बाबूजी खूब जोरों से झटके मारने लगे। और मैं मजे में चीखने लगी, सिसकारियां लेने लगी।
बाबूजी ने मेरी चूत को 25 मिनट तक चोदा और मेरी चूत 3 बार झड़ी। फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे नीचे चारों हाथों पैरों पर खड़ा हो जाने के लिए कहा। मैं बेड से उतारकर नीचे अपने चारों हाथों पैरों पर खड़ी हो गई।
बाबूजी ने घुटनों के बाल बैठकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया और फिर मेरे ऊपर झुक कर अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और फिर वो तेजी से झटके पर झटके मारने लगे। डागी स्टाइल में मुझे काफी तकलीफ हो रही थी इसलिए मैं बुरी तरह से चीख रही थी। बाबूजी खूब जोर-ओ-शोर से झटके मार रहे थे।
मैं बोली- “उउफफ्फ़… आआह्ह… बाबूजी थोड़ा धीरे आआअ ऊऊऊईई मुझे बहुत तकलीफ हो रही है…”
बाबूजी ने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी और बोले- “तकलीफ हो रही है तो बर्दाश्त करो मेरी बन्नो रानी…”
मैं फिर बोली- “उउफफ्फ़… बाबूजीईई कहीं मेरी चीखें दीनू तक ना पहुँच जाये…”
बाबूजी हँसे और बोले- “तुम्हारी चीखें दीनू सुनता है तो सुन ले आकर वो भी तुझे चोद लेगा जिससे तुझे और मजा आयेगा, क्योंकी उसका लण्ड तो मेरे लण्ड से भी लंबा और मोटा है…”
मैं फिर बोली- “आप मुझे किसी और के काबिल छोड़ेंगे तो मैं किसी और से चुदवाऊँगी न…”
बाबूजी ने कहा- “ज्यादा नाटक ना कर और चुपचाप चोदवा वरना मैं तेरी गाण्ड को चोद-चोदकर फाड़ दूंगा…”
मैं खामोश हो गई और बाबूजी मेरी खूब चुदाई करते रहे। बाबूजी ने मेरी 3 घंटे तक खूब जमकर चुदाई करी। मैं पसीने-पसीने हो चुकी थी। इतनी शानदार चुदाई मेरी आज तक मेरे पति ने भी नहीं करी थी।
बाबूजी बोले- “अब जल्दी से कपड़े पहनकर भाग जा, ऐसा ना हो कि तेरी सासूमाँ आ जायें…”
मैं उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। कपड़े पहनने के बाद मैं मुस्कुराती हुई बोली- “बाबूजी, आज आपने इस तरह चोदकर मुझे खरीद लिया है। मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई तो आज तक धर्मेन्द्र ने भी नहीं करी है…”
बाबूजी ने मुझे लिपटाकर किस किया और बोले- “मेरी जान, ये तो सिर्फ़ ट्रेलर था पूरी फिल्म तो मैं रात को चालाऊँगा…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “बाबूजी, आज रात आप सिर्फ़ सासूमाँ को चोदिएगा। मैं जरा रात में दीनू को मोका देना चाहती हूँ…”
बाबूजी हैरत से बोले- “ये दीनू कहां से बीच में आ गया?”
मैं मुस्कुराई और बोली- “वो… आप ही तो मुझे चोदते हुये कह रहे थे कि उसका लण्ड आपसे भी लंबा और मोटा है और वो मुझे चोदेगा तो मुझे और मजा आयेगा…”
बाबूजी ने कहा- “मेरे कहने का ये मतलब थोड़ी था कि तुम उससे चुदवा लो…”
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मैं मुस्कुराई और बोली- “बाबूजी जब आप मुझे चोद सकते हैं तो दीनू क्यों नहीं चोद सकता? और जब से मैंने सुना है कि उसका लण्ड आपसे भी बड़ा है, तो अब मैं ज्यादा इंतेजार नहीं कर सकती और मैं आज रात ही उससे चुदवाऊँगी। वैसे आप ये बातें कि आपने कब उसका लण्ड देख लिया?”
बाबूजी ने कहा- “एक दफा मैंने घर के पीछे जहां उसका क्वार्टर है, वहां मैंने उसे मूठ मारते हुये देखा था। वैसे तुम उसको राजी कैसे करोगी?”
मैं मुस्कुराई और बोली- “बाबूजी, ये मेरा काम है। मैं आपको दावत दे रही हूँ। जिस तरह मैंने आपके कमरे में देखा था आपको सासूमाँ को चोदते हुये, उसी तरह आप आज रात में दीनू के क्वार्टर में झाँक कर मुझे उससे चुदवाता हुआ देख लीजियेगा…”
मेरी बात सुनकर बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “अगर ऐसी बात है तो आज रात मैं तुम्हारी चुदाई जरूर देखूंगा…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “आप प्रार्थना कीजिएगा कि मैं दीनू से चुदवाने में कामयाब हो जाऊँ…”
मेरी बात सुनकर बाबूजी हँस दिए और बोले- “हाँ मैं प्रार्थना करूंगा कि तुम दीनू के अलावा और लोगों से भी कामयाबी से चुदवा…”
मैं भी हँस पड़ी और बाबूजी को किस किया और बोली- “अब मैं चलती हूँ, देखूं तो सही, मेरा यार दीनू क्या कर रहा है? मैं अभी से उसे पटाना चाहती हूँ…”
बाबूजी कहने लगे- “मैं भी चलता हूँ, देखूं तो सही कि तुम दीनू को किस तरह लाइन पर लाती हो?”
मैं मुस्कुराई और बोली- “हाँ, आप भी मेरे साथ आइए मगर मुझे से दूर रहिएगा, दीनू की नजर आप पर ना पड़े…”
मेरी बात पर बाबूजी राजी हो गये। बाबूजी और मैं कमरे से बाहर आ गये और दीनू को ढूँढ़ने लगे। हमने पूरे घर में देख लिया पर दीनू नहीं था। फिर हमने सोचा वो अपने क्वार्टर में ना हो इसीलिए हम दोनों घर के पिछले हिस्से में आ गये। घर के पिछले हिस्से में हमने काफी सारी पेड़ पौधे लगाये हुये थे और हमें दूर से दीनू सिर्फ धोती पहना हुआ पौधों को पानी देता हुआ नजर आ गया।
मैं उसका मजबूत जिस्म देखने लगी और बोली- “बाबूजी दीनू का बदन तो काफी मजबूत है बिल्कुल पत्थर की तरह सख़्त लग रहा है।”
बाबूजी बोले- “दीनू मजदूर आदमी है, दिन भर मेहनत करता है इसीलिए इसका बदन इतना मजबूत है…”
मैं मुस्कुराकर बोली- “फिर तो मुझे इससे चुदवाकर काफी मजा आयेगा…”
बाबूजी भी मुस्कुराये और बोले- “वो तो है मगर तुम इसको पटाओगी कैसे?”
मैंने देखा कि जहां दीनू पौधों को पानी दे रहा था वहां जमीन पर भी काफी सारा पानी जमा हो गया था और मिट्टी और खाद से वहां एक कीचड़ सी जमा हो गई थी। मेरे जेहन में एक बात आई और मैं मुस्कुराकर बाबूजी से बोली- “बाबूजी मेरे जेहन में एक तरकीब आई है आप जरा मेरे ब्लाउज़ को उतारकर मेरी ब्रेजियर की डोरी ढीली कर दें, जिससे वो एक मामूली से झटके में खुल जाय…”
बाबूजी बोले- तुम क्या करना चाहती हो?
मैं मुस्कुराई और बोली- “आप खुद देख लीजिएगा…”
बाबूजी ने मेरा ब्लाउज़ उतारा और मेरी डोरी वाले ब्रेजियर की डोरी ढीली कर दी।
मैंने कहा- “अब मेरे ब्लाउज़ को थोड़ा सा फाड़कर मुझे पहना दें…”
बाबूजी ने मेरा ब्लाउज़ जोड़ पर से फाड़ दिया और मुझे पहना दिया। मेरा ब्लाउज़ वैसे ही टाइट था, वो जोड़ से फटा तो धीरे-धीरे और फटने लगा। फिर मैंने अपनी साड़ी भी ढीली कर दी ताकी जरा से इशारे में खुलकर गिर जाय। अब मैं पूरी तरह तैयार थी।
फिर मैंने बाबूजी को किस किया और बोली- “अब आप छुप कर अपनी बहू की एक्टिंग देखिए…”
बाबूजी एक पेड़ के पीछे छुप गये और मैं दीनू को आवाज देती हुई उसके करीब गई। मेरी आवाज पर जब दीनू ने पलटकर देखा तो मैं जानबूझ कर कीचड़ वाले पानी में गिर गई, जैसे मेरा पैर फिसला हो। मैं चिल्लाई तो दीनू भागकर मेरे पास आया।
मैं पूरी तरह से कीचड़ में लथफथ हो चुकी थी और गिरने से मेरा फटा हुआ ब्लाउज़ भी आधे से ज्यादा और फट गया था जिसमें से मेरा छोटा सा ब्रेजियर और मेरे ब्रेजियर में से मेरी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आने लगी थीं और मेरी साड़ी भी पूरी तरह से गीली होकर मेरे जिस्म से चिपक गई थी।
मेरी साड़ी लाइट पिंक पतले से कपड़े की थी और उसमें से मेरी पूरी टांगें नजर आने लगीं। दीनू मेरे पास आकर बैठ गया और बोला- क्या हुआ मेम साहिब?
मैंने महसूस किया कि धोती में उसका लण्ड मेरे जिस्म को देखकर खड़ा होने लगा है। मैं दर्द भरे लहजे में बोली- “आआह्ह शायद पांव मुड़ने से मोच आ गई है प्लीज मुझे उठाओ…”
दीनू ने मुझे सहारा देकर उठाया तो मैं फिर गिरने लगी। दीनू मुझे गिरने से बचाने लगा तो उसका हाथ मेरी चूचियों पर आ गया और मेरी चूचियां उसके हाथ के जोर से दब गईं। चूचियां दबी तो बाकी बचा हुआ ब्लाउज़ भी बिल्कुल फटकर झूलने लगा।
अब मेरा पूरा ब्रेजियर दीनू को साफ-साफ नजर आ रहा था और ब्रेजियर गीला होने की वजह से मेरे निपल भी साफ नुमाया हो चुके थे। दीनू का लण्ड मेरी इस हालत पर और खड़ा हो चुका था। अब उसका लौड़ा ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी धोती में कोई पाइप फिट किया हुआ हो।
मैं गिरने से बचने के लिए दीनू के बदन को पकड़ने लगी तो मेरे हाथ में उसकी धोती आ गई और मेरे खींचने से उसकी धोती खुलकर नीचे गिर गई। अब दीनू पूरा नंगा था। उसका लण्ड जो पूरा खड़ा हो चुका था, आजाद होते ही वो एक झटका खाकर पूरी तरह खड़ा हो गया।
मेरा मुँह उसकी टाँगों की तरफ था, इसलिए उसका लण्ड मेरे मुँह से टकराने लगा। धोती खुली तो दीनू जो मुझे संभाला हुआ था उसने एकदम से मुझे छोड़ दिया। दीनू के छोड़ने से मैं नीचे गिरी तो उसका लण्ड जो मेरे होंठों से टच हो रहा था एकदम से उसका लण्ड 7 इंच तक मेरे मुँह में घुस गया।
मुझे एकदम से झटका लग गया और मैं खांसते हुये नीचे गिर गई। दीनू के मुँह से एक सिसकारी निकल गई, क्योंकी जब मैं नीचे गिरी तो उसका लण्ड जो आधे से ज्यादा मेरे मुँह में था निकल गया। मैंने देखा कि दीनू का लण्ड 11” इंच लंबा और 4” इंच मोटा था और अब उसका लण्ड पूराी मस्ती में झटके खाने लगा था और वो एकदम खूंखार हो चुका था।
दीनू का लण्ड देखकर मेरी आँखों में चमक आ गई थी। मेरे एकदम से नीचे गिरने से मेरा डोरी वाला ब्रेजियर एकदम से खुल गया। मैं भी पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इसलिए जब मेरा ब्रेजियर खुलकर गिरा तो मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम से उछलकर तन गईं। दीनू ने जब घबराकर अपनी धोती उठानी चाही तो उसके हाथ में मेरी साड़ी आ गई।
उसने अपनी धोती समझकर मेरी साड़ी खींची तो मेरी साड़ी जो पहले से ढीली थी उतरकर दीनू के हाथों में आ गई। अब मैं सिर्फ़ छोटे से अंडरवेर में थी और वो भी पूरी भीग चुकी थी और मेरी अंडरवेर में से मेरी चूत के होंठ नजर आ रहे थे। दीनू और घबरा गया और बोला- “माफ कर दो मेम साहिब…” फिर उसने अपनी गीली धोती उठाकर बाँधी जिससे उसका खड़ा हुआ लण्ड नहीं छुप सका।
मैं बोली- “उफ्फ… मुझे उठाओ दीनू, मेरे पांव में काफी दर्द हो रहा है और तुमने मुझे उठाने के बजाय मुझे नंगा कर दिया है…”
दीनू बोला- “मेम साहिब हमारी गलती नहीं है हम तो खुद नंगे हो गये थे…” फिर दीनू ने मेरी साड़ी उठाई और मुझे पहनाने लगा।
तो मैं बोली- अब तुम मुझे ये गंदी कीचड़ से भरी हुई साड़ी पहनाओगे?
दीनू बोला- “मेम साहिब आपका बदन भी तो छुपाना है…”
मैं बोली- “तुम मेरा पूरा बदन तो देख ही चुके हो, चलो ऐसे ही उठाओ…”
दीनू मुझे उठाने के लिए झुका तो उसकी धोती जो पानी से गीली होकर भारी हो गई थी वो फिर खुलकर गिर गई। दीनू अपनी धोती उठाने लगा।
तो मैं बोली- “रहने दो तुम्हारी धोती भी गंदी हो गई है, तुम मुझे ऐसे ही उठाओ…”
दीनू मुझे उठाने के लिए झुका तो मैं खुद भी थोड़ा सा उठ चुकी थी। दीनू के झुकने से उसका लण्ड फिर मेरे मुँह से टकराया।
मैं मुस्कुराकर बोली- “दीनू, तुम ये अपना घोड़े जैसा लण्ड तो हटाओ, ये बार बात मेरे मुँह में घुसने की कोशिश कर रहा है…”
मेरे मुस्कुराने से दीनू की हिम्मत बढ़ी और वो बोला- मेम साहिब, अब भगवान ने इतना बड़ा दिया है तो मैं क्या कर सकता हूँ?
मैं बोली- “अच्छा अब मुझे उठाओ, मेरे पैर में बहुत दर्द है…”
दीनू बोला- “मेम साहिब आपकी चड्डी भी गंदी हो गई है…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “हाँ, इसको भी उतार दो। तुमने मेरा पूरा जिस्म तो देख ही लिया है तो इसको भी देख लो…”
दीनू ने मेरी अंडरवेर की डोरी खोली और उसे भी उतारकर फेंक दिया। फिर दीनू ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया।
मैंने कहा- “मुझे मेरे कमरे में ले चलो…”
दीनू जब मुझे गोद में उठाकर चल रहा था तो उसका लण्ड मेरी पीठ से रगड़ खा रहा था जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था। दीनू को भी मजा आ रहा था इसीलिए उसका लण्ड बार-बार झटके खाकर मेरी पीठ से लग रहा था। दीनू मुझे मेरे कमरे में लाया और मुझे बेड पर लिटाने लगा।
तो मैं बोली- “उफ्फ… क्या मुझे बेड पर लिटाकर बेड को भी गंदा करोगे? मुझे वाशरूम में लेकर चलो…”
दीनू मुझे इसी तरह गोद में उठाये हुये वाशरूम में आ गया।
मैंने कहा- “मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दो…”
दीनू ने मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया। मैंने पानी खोल दिया और पानी की तेज फुहार मुझ पर गिरने लगी। मैंने दीनू का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और बोली- “तुम्हारी वजह से मैं कीचड़ में गिरी थी, अब तुम ही मुझे नहलाओगे…”
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें। मेरी आफर पर दीनू खुश हो गया। मैंने साबुन उठाकर दीनू को दिया और दीनू मजे में मेरे पूरे बदन पर साबुन मलने लगा।
मुझे मजा आ रहा था। फिर मैं बोली- “तुम मेरी वजह से गंदे हुये हो इसलिए तुम्हें मैं नहलाऊँगी…” फिर मैंने भी साबुन उठा लिया और दीनू के बदन पर मलने लगी।
साबुन मलने के दोरान दीनू का लण्ड बार-बार मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था।
मैंने मुस्कुराकर उसका लण्ड पकड़ लिया और कहने लगी- “दीनू तुम्हारा ये बदतमीज बच्चा बार-बार मुझे तंग कर रहा है…”
दीनू मुझे लिपटाकर बोला- “मेम साहिब आप ही इस बच्चे को तमीज सिखा दें…”
मैं मुस्कुराकर बोली- “मैं अभी इस बदतमीज बच्चे का इलाज करती हूँ…” ये कहकर मैं घुटनों के बल बैठ गई।
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फिर मैंने बड़े प्यार से खूब अच्छी तरह दीनू के लण्ड पर साबुन लगाया और अच्छी तरह उसे रगड़ने लगी। फिर मैंने उसे पानी से धोया तो उसका लण्ड चांदी की तरह चमकने लगा। मुझे दीनू का लण्ड इतना प्यारा लगा कि मैं अपने आपको उसे मुँह में लेने से रोक नहीं पाई। अब मैं खूब मजे से दीनू का लण्ड चूस रही थी।
दीनू मदहोशी की हद तक पागल हो चुका था और फिर उसने मेरा सर पकड़ा और तेजी से अपने लण्ड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। दीनू का लण्ड मेरे गले से भी नीचे जा रहा था। दीनू 15 मिनट तक अपना लण्ड मेरे मुँह में अंदर-बाहर करता रहा।
फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाला। वो अब फारिग होने वाला था तो उसने अपने लण्ड को मेरे मुँह के सामने रखकर अपने मनी की पिचकारी मेरे मुँह पर मारी। मैं हँसी और बोली- “फिर बदतमीजी… तुम अपने लण्ड की मनी जाया क्यों कर रहे हो? ये तो मैं पियूंगी…”
ये कहकर मैंने जल्दी से उसका लण्ड पकड़ा और अपने मुँह में डाल लिया। दीनू के लण्ड से पूरे एक मिनट तक मनी निकलती रही और मेरा पूरा मुँह मनी से भर गया। मैंने सारी मनी पीकर उसका लण्ड अच्छी तरह चाट-चाटकर साफ किया और फिर मैं खड़ी हो गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दीनू ने मेरी दोनों चूचियों को पकड़कर कसकर दबा दिया जिससे मेरी मेरी सिसकारी निकल गई। दीनू ने मुझे दीवार से लगा दिया और बेतहासा मुझे किस करने लगा। मैंने भी उसे लिपटा लिया और उसके किस का साथ देने लगी। अब दीनू का लण्ड दुबारा से खड़ा होने लगा और फिर वो पूरी तरह से खड़ा होकर मेरी चूत में चुभने लगा।
मैं कहने लगी- “दीनू प्यारे, तुम्हारा बदतमीज बच्चा फिर बदतमीजी करने लगा है…”
दीनू बोलने लगा- “मेम साहिब अब मेरे बच्चे को भूख लगी है और ये खाना माँग रहा है…”
मैं सिसकारी लेकर बोली- “उउफफ्फ… प्यारे, तो इसे खाना खिलाओ ना… तुम्हें रोका किसने है?”
दीनू ने अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत के छेद पर रखा और एक झटका मारा। उसका लण्ड दो इंच तक मेरी चूत में घुस गया। मेरी एक सिसकारी निकल गई। दीनू ने फिर धक्का मारा तो उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ 5 इंच तक घुस गया। अबकी बार मेरे मुँह से चीख निकल गई क्योंकी उसका लण्ड बहुत मोटा था और मेरी चूत फटी जा रही थी। उसने एक झटका और मारा तो अब उसका लण्ड 8” इंच तक मेरी चूत में चला गया।
मैं चीखकर बोली- “आअह्ह… क्यों तड़पा रहे हो प्यारे…”
अब दीनू ने मुझे कमर से पकड़कर एक बहुत तेज झटका मारा जिससे मेरे गले से बहुत तेज चीख निकली और दीनू का लण्ड पूरा का पूरा मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। दीनू ने अपना लण्ड टोपी तक मेरी चूत से निकाला और फिर उसने अपनी पूरी ताकत से झटका मारकर अपना 11” इंच लंबा लण्ड एक ही झटके में मेरी चूत में उतार दिया।
मैं बुरी तरह से चीखी और मैंने दीनू को बुरी तरह से जकड़ लिया। दर्द की वजह से मेरी आँखों में आँसू आ गये थे। मैं दीनू के कान में बोली- “दीनू प्यारे, मुझे कमरे में ले चलो…”
दीनू ने उसी तरह मुझे गोद में उठा लिया और अपने लण्ड को मेरी चूत से निकाले बगैर वो मुझे लेकर कमरे में आ गया। उसने लाकर मुझे बेड पर लेटाया और खुद मेरे ऊपर लेटने लगा।
तो मैं बोली- “प्यारे, पहले मेरा और अपना बदन तो खुश्क कर लो…”
दीनू ने अपना लण्ड मेरी चूत से एकदम से निकाल लिया, तो मेरी चूत से ऐसी आवाज निकली जैसे किसी बोतल का ढक्कन खोल दिया गया हो। मेरे मुँह से फिर सिसकारी निकल गई। दीनू वाशरूम जाकर एक तौलिया उठा लाया। फिर उसने पहले मेरे बदन को खुश्क किया, फिर उसने अपने बदन को खुश्क किया। तौलिया रखकर वो फिर मेरे ऊपर लेटने लगा।
तो मैं बोली- “प्यारे, पहले मेरी टांग पर क्रीम से मालिश कर दो ताकी इसका दर्द खतम हो जाय वरना दर्द और बढ़ जायेगा…”
दीनू ने मेरी ड्रेसिंग टेबल पर रखा हुआ बाम उठाया और उसने मेरी टांग की मालिश कर दी। दीनू मेरी टांग की मालिश करता हुआ धीरे-धीरे ऊपर आने लगा, यहां तक कि उसका हाथ मेरी चूत से टकराने लगा।
दीनू बोला- मेम साहिब मैं यहां भी मालिश कर दूं?
मैं मुस्कुराई और बोली- “अगर तुम्हें अच्छा लगे तो कर दो, मगर मैं चाहती हूँ कि तुम यहां अपनी जीभ से मालिश करो…”
दीनू मेरी बात से खुश हो गया और उसने काफी सारा बाम मेरी चूत के अंदर तक लगाया और फिर झुक कर अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगा। मैं बहुत मदहोश हो गई थी, इसलिए मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं अपने आपको लज़्ज़त के आसमानों पर महसूस करने लगी। दीनू उठ गया फिर उसने काफी सारा बाम अपने लण्ड पर लगाया और फिर उसने मेरी दोनों टांगें उठा ली।
मैं कहने लगी- तुम क्या कर रहे हो?
दीनू मुस्कुराया और बोला- “मेम साहिब अब मैं अपने लण्ड से आपकी चूत की मालिश करूंगा…”
मैं बोली- “नहीं, तुम अब जाओ मेरा दर्द ठीक हो गया है, अब मुझे और मालिश नहीं करवानी है…”
दीनू मेरे ऊपर झुकता हुआ बोला- “में साहिब, एक बार करवा लें, आपको बहुत मजा आयेगा। फिर आप रोज खुद मालिश करवाने के लिए मुझे कहेंगी…”
मैं गुस्से से बोली- “मुझे अपनी चूत की मालिश तुम्हारे लण्ड से नहीं करवानी, मेरी चूत के लिए मेरे पति का लण्ड काफी है…”
दीनू मेरे एकदम से बदले हुये लहजे पर पहले तो हैरान हुआ, फिर मुस्कुराया और बोला- “मेम साहिब मजाक ना करें, आपके पति तो 6 महीने के लिए गये हुये हैं, तब तक आप अपने इस खादिम को मोका दें…”
मैंने एक लात दीनू के सीने पर मारी जिससे वो बेड के नीचे जा गिरा। मैं फिर गुस्से से बोली- “तुम खादिम हो, खादिम ही रहो। मैं इस घर की मालकिन हूँ और तुम नौकर हो, तुम अपनी औकात नहीं भूलो। अब यहां से जाओ और अपना काम करो। आइन्दा मेरे कमरे में कदम रखने की हिम्मत नहीं करना…”
दीनू उठकर खड़ा हो गया और बोला- “मेम साहिब औकात की बात ना करें, हमारी भी इज़्ज़त है…”
मैं गुस्से से खड़ी हो गई और बोली- “हरामजादे, इज़्ज़त की बात कर रहा है… दो टके का नौकर, अगर मैंने तुझे इस घर से निकलवा दिया तो तू भूखा मर जायेगा। मेरे पति घर पर नहीं हैं तो तू मुझे चोदने की कोशिश कर रहा था…”
मेरी बात पर अब दीनू को भी गुस्सा आ गया और वो बोला- “साली रंडी की औलाद, अभी तो तू खुद मेरे साथ मस्तियां कर रही थी, और अब सती-सावित्री बन रही है…”
मैं गुस्से से बोली- “तू यहां से जा रहा है या मैं फोन करके पोलिस को बुलाकर तुझे अंदर करवा दूं?”
दीनू गुस्से से मुझे देखता रहा और ये कहकर चला गया- “अभी तो मैं जा रहा हूँ, पर देखना मैं तेरा क्या हाल करता हूँ…”
अभी दीनू को गये हुये थोड़ी ही देर हुई थी कि कमरे का दरवाजा खुला और मेरे ससुरजी कमरे में आ गये। वो बिल्कुल नंगे थे और उनका लण्ड पूरी तरह से अकड़ा हुआ था। मैं बाबूजी को देखकर मुस्कुराई और आगे बढ़कर उनसे लिपट गई।
अभी दीनू को गये हुये थोड़ी ही देर हुई थी कि कमरे का दरवाजा खुला और मेरे ससुरजी कमरे में आ गये। वो बिल्कुल नंगे थे और उनका लण्ड पूरी तरह से अकड़ा हुआ था। मैं बाबूजी को देखकर मुस्कुराई और आगे बढ़कर उनसे लिपट गई।
बाबूजी मुझे लेकर बिस्तर पर लेट गये और बोले- इतना अच्छा दृश्य चल रहा था, तुम्हें ये एकदम से क्या हुआ?
मैं हँसी और बोली- क्यों ससुरजी, आपको मजा नहीं आया?
बाबूजी ने मेरी चूचियों को दबाकर कहा- “मजा तो बहुत आया। देखो मेरा लण्ड कैसे अकड़ा हुआ है…”
मैं मुस्कुराकर बोली- “पहले आप अपने लण्ड को बैठा दें। बातें बाद मैं करेंगे क्योंकी मेरी चूत में भी आग लगी हुई है…”
बाबूजी ने लेटे-लेटे ही अपना लण्ड मेरी चूत के छेद में फिट किया और एक जोरदार झटका मारा। पहले ही झटके में उनका लण्ड जड़ तक मेरी चूत में घुस गया।
मैंने एक तेज सिसकारी लेकर कहा- “उउफफ्फ… बहुत जबरदस्त ससुरजी, अब ऐसे ही जोरदार झटके मारकर अपनी बहू को चोदिए…”
बाबूजी ने खूब तेज-तेज झटकों से मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं भी खूब मजे में अपनी चूत उछाल-उछालकर उनके झटकों का जवाब देने लगी। बाबूजी ने मेरी आधे घंटे तक खूब जमकर चुदाई करी और फिर उन्होंने अपने लण्ड की मनी मेरे मुँह के अंदर निकाल दी।
फारिग होने के बाद वो फिर मुझसे लिपटकर लेट गये, और बोले- “अब बताओ कि तुमने बेचारे दीनू पर जुल्म क्यों किया? वो प्यासा ही वापिस चला गया। तुमने एक बार तो उससे चुदवा लेना था और तुमने उसपर बिला वजह गुस्सा उतार दिया…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “हाँ, बेचारे के साथ गलत हो गया है मगर ये मेरे मंसूबे में शामिल था…”
बाबूजी ने कहा- और तुम्हारा मंसूबा क्या था?
मैं मुस्कुराई और बोली- “मैं दीनू को गुस्सा इसलिए दिलाया था कि वो मेरा रेप कर दे, मगर बेचारा शरीफ आदमी प्यासा ही चला गया…”
बाबूजी ने कहा- अब तुम्हारा क्या इरादा है?
मैं मुस्कुराई और बोली- “मेरा इरादा है कि मैं अब रात में दीनू के क्वार्टर में जाऊँगी। वो रात तक खूब मदहोश हो चुका होगा और गुस्से में भी होगा। आप देखिएगा कि वो मदहोशी और गुस्से में मेरी कैसी कसकर चुदाई करेगा। मेरा ये इरादा है कि मैं रात में उसे और गुस्सा दिलाऊँ ताकी वो गुस्से में पागल होकर मेरी खूब जमकर चुदाई करे और मैं मजे से पागल हो जाऊँ…”
बाबूजी ने मेरी चूचियों को खूब कसकर दबाया और बोले- “साली, तू तो बहुत खतरनाक लड़की है…”
मैं हँसी और बोली- “ससुरजी, खतरनाक नहीं जबरदस्त आक्टर कहिए, आप रात में मेरी एक्टिंग देखिएगा…”
बाबूजी ने कहा- “हाँ मैं रात में तुम्हारी एक्टिंग जरूर देखूंगा और तुम मेरे साथ ही चलना ताकी मैं पूरा ड्रामा देख सकूं…”
मैं बोली- “ससुरजी जब आप माँजी को चोदकर फारिग होंगे तो कहीं इतनी देर में दीनू सो ना जाय…”
बाबूजी ने कहा- “मैं तेरी सास को तो रोज चोदता हूँ मगर मैं ये दृश्य नहीं छोड़ सकता। मैं ये ड्रामा पूरा देखना चाहता हूँ इसलिए आज मैं तेरी सास को नहीं चोदूंगा…”
मैं बोली- मगर आप सासूमाँ से क्या कहेंगे?
बाबूजी ने फिर मेरी चूचियों को जोर से दबाया और कहने लगे- “मैं कुछ नहीं कहूंगा। बल्की तुम उसके दूध में नींद की दवा मिलाओगी, ताकी वो सुबह तक बेखबर सोती रहे और मैं सकून से अपनी बहू रानी के चोदने का ड्रामा देख सकूं…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “बाबूजी, आप भी कुछ काम चालक नहीं हैं…”
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बाबूजी भी मुस्कुराने लगे। उनका लण्ड फिर से अकड़ गया था मगर अब माँजी के भी आने का वक़्त हो गया था इसलिए उन्होंने मुझे और नहीं चोदा। रात में खाने के बाद मैंने माँजी के दूध में बेहोशी की दवा मिला दी। बाबूजी रात 10:00 बजे ही माँजी के साथ कमरे में चले जाया करते थे। रात 10:15 बजे मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई और मैंने दरवाजा खोला तो बाबूजी कमरे में आ गये। वो इस वक़्त धोती और बनियन में थे।
मैं कहने लगी- माँजी का क्या हाल है?
बाबूजी ने आगे बढ़कर मुझे लिपटाकर किस किया और बोले- “तेरी सास घोड़े बेचकर सो रही है…”
मैं मुस्कुराई और बोली- तो फिर चला जाय?
बाबूजी बोले- हाँ चलो, मगर क्या तुम इस हुलिये में जाओगी?
मैं मुस्कुराई और बोली- “नहीं बाबूजी…” फिर मैंने उनसे अलग होकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ एक छोटी सी नाइटी पहन ली। मेरी नाइटी इतनी छोटी थी कि उससे मेरे कूल्हे ही छुप रहे थे, बाकी मेरी पूरी टांगें नंगी थी। मैंने नाइटी की डोरी भी ढीली बांधी थी जिसकी वजह से मेरा पेट और चूचियां भी काफी नुमाया हो रही थीं। मैं मुस्कुराकर बाबूजी से बोली- आपकी बहू कैसी लग रही है?
बाबूजी ने मुझे देखकर कहा- “मुझे आज पता चला है कि मेरी बहू कितनी सेक्सी है… तुम बहुत सेक्सी लग रही हो, मेरा तो दिल ये कह रहा है कि दीनू के बजाय मैं तुम्हारा रेप कर दूं…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “बाबूजी, आज बेचारे दीनू का हक है। मैंने दिन में वैसे ही उसके साथ बहुत ना-इंसाफी कर दी थी। अब मैं उसको उसका पूरा हक देना चाहती हूँ…”
बाबूजी ने कहा- “अरे मेरी बन्नो रानी, तो मैं तुम्हें कब रोक रहा हूँ? मगर अपने लण्ड का क्या करूं?”
मैं मुस्कुराई और बोली- “अपने लण्ड को सुबह तक समझाइये। सुबह मैं आपके लण्ड को भी पूरा मोका दूंगी अपनी चूत को चोदने का…”
फिर हम दोनों कमरे से बाहर आ गये। जब हम घर के पीछे बने हुये दीनू के क्वार्टर की तरफ आये तो खुली हुई खिड़की में से रोशनी बाहर आ रही थी। हम दोनों ने खिड़की से अंदर झाँका तो अंदर दीनू बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था उसका लण्ड एकदम तना हुआ था।
उसने अपने लण्ड पर मेरा ब्रेजियर जो मैं शाम में पौधों के पास में ही छोड़ आई थी, उसने वो ब्रेजियर अपने लण्ड के गिर्द लपेटा हुआ था और वो मेरे ब्रेजियर को तेजी से अपने लण्ड पर रगड़ड़ता हुआ मूठ मार रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दीनू की आँखें बंद थी और वो मूठ मारते हुये बड़बड़ा रहा था- “वैशाली उउफफ्फ… आआह्ह वैशाली, मैं तुझे चोद दूंगा… मैं तेरी गाण्ड फाड़ दूंगा आआह्ह…”
बाबूजी ने मुझसे कहा- “बहू रानी, ये तो तुम्हारे लिए पागल हो रहा है, अब अंदर जाओ और इसकी प्यास बुझाओ…”
मैं मुस्कुराती हुई दरवाजे पर आ गई जबकी बाबूजी खिड़की में ही खड़े छुपकर अंदर देखने लगे। मैंने दरवाजे पर हाथ रखा तो वो अंदर से बंद नहीं था। मैंने एकदम से ही पूरा दरवाजा खोल दिया। दीनू जो आँखें बंद किए मूठ मार रहा था उसने एकदम से आँखें खोल दी और फिर वो मुझे दरवाजे पर देखकर हैरान रह गया।
मैं बोली- क्यों हरामजादे, तू मुझे ही याद कर रहा था ना?
दीनू बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और बोला- “तू क्यों आई है यहां? क्या तेरी मत मारी गई है जो यहां चली आई?”
मैं बोली- “मैं अपना ये ब्रेजियर लेने आई हूँ, जिसे तू अपना समझकर बड़े आराम से मूठ मार रहा है चल ये मुझे दे…”
दीनू मेरा ब्रेजियर हाथ में पकड़कर मुस्कुराया और बोला- “जिस तरह तेरा ये ब्रेजियर मेरे लण्ड से चिपका हुआ था, उसी तरह मैं तेरी चूत पर अपना लण्ड चिपका दूंगा…”
मैं उसे गुस्सा दिलाती हुई बोली- “तुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं है दीनू कि तू मुझे चोद सके। तू तो पोलिस के नाम से ही दूम दबाकर भाग गया था…”
मेरी बात से दीनू का मुँह गुस्से से लाल हो गया। दीनू ने मेरा ब्रेजियर बिस्तर पर फेंक दिया और बोला- “हिम्मत है तो आकर उठा ले अपना ब्रेजियर…”
मैं बोली- “हाँ आ रही हूँ, मैं तेरी तरह बुजदिल नहीं हूँ…” ये कहकर मैं अंदर आ गई।
मैं बिस्तर के पास आकर जैसे ही झुक कर अपना ब्रेजियर उठाने लगी मुझे पीछे से दीनू ने पकड़ लिया।
मैं चीख कर बोली- “मुझे छोड़ कमीने…”
दीनू ने हाथ से मेरी नाइटी की डोरी खोल दी और मुझे छोड़कर मेरी नाइटी खींच ली। मेरी नाइटी उतरकर दीनू के हाथों में आ गई और मैं भी दीनू की तरह बिल्कुल नंगी हो गई। मैं बचकर भागने लगी तो दीनू ने मुझे पकड़कर बिस्तर पर फेंक दिया और खुद मुझपर चढ़कर लेट गया।
फिर दीनू मुस्कुराता हुआ बोला- “अब कहां जायेगी हरामजादी? अब बोल तू क्या कर सकती है?”
मैं अपने आपको छुड़ाती हुई बोली- “मुझे जाने दे कुत्ते, वरना मैं पोलिस बुला लूंगी…”
दीनू हँसा और बोला- “यहां कैसे बुलायेगी पोलिस? आज मैं तेरा वो हाल करूंगा कि तू कुछ बोलने के काबिल नहीं रहेगी। साली बहुत बोलती है… आज मैं तुझे रंडी बनाकर छोड़ूंगा…”
मैं फिर खुद को छुड़ाने लगी। तो दीनू ने कसकर एक थप्पड़ मेरे चेहरे पर मारा। दीनू के थप्पड़ से मेरा मुँह घूम गया और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। मैं एकदम चुप हो गई थी। दीनू हँसा और बोला- “बस एक ही थप्पड़ ने तेरे सारे कस बल निकाल दिए। फिर दीनू ने बिस्तर के नीचे हाथ डालकर एक रस्सी निकाल ली। वो रस्सी से मेरे हाथ बाँधने लगा।
तो मैं फिर मचलती हुई बोली- “तुम ये मेरे हाथ क्यों बांध रहे हो?
दीनू ने एक थप्पड़ मेरे चेहरे पर मारा और बोला- “चुपचाप पड़ी रह, वरना मैं थप्पड़ मार-मारकर तेरा मुँह टेढ़ा कर दूंगा…”
दो थप्पड़ों ने ही मेरे सारे कस-बल निकाल दिए थे, इसलिए मैंने शराफत से अपने हाथ पैर बँधवा लिए। दीनू ने मेरे चारों हाथ पैरों को फैलाकर बिस्तर के चारों कोनों से बांध दिया था। अब मैं जरा सा भी नहीं हिल सकती थी।
दो थप्पड़ों ने ही मेरे सारे कस-बल निकाल दिए थे, इसलिए मैंने शराफत से अपने हाथ पैर बँधवा लिए। दीनू ने मेरे चारों हाथ पैरों को फैलाकर बिस्तर के चारों कोनों से बांध दिया था। अब मैं जरा सा भी नहीं हिल सकती थी।
दीनू मुझ पर झुकता हुआ बोला- “क्यों रंडी की बच्ची, अब क्या कहेगी तू? अच्छा है तू आ गई वरना 12:00 बजे के बाद मैं तेरे कमरे में आता। चलो अच्छा है यहां से तेरी चीखें तेरे सास ससुर तक नहीं जायेंगी और मैं आराम से अपना काम करूंगा…”
फिर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से लगाया और बोला- “चल इसे वैसे ही चूस, जैसे तू ने शाम में इसे चूसा था…”
मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया।
तो दीनू को गुस्सा आ गया और बोला- “तू ऐसे नहीं मानेगी…” ये कहकर उसने मेरा गला दबा दिया।
मेरी आँखें बाहर आ गई और मैं बहुत मुश्किल से बोली- “प्लीज… मेरा गला छोड़ो, मैं चूस रही हूँ तुम्हारा लण्ड…”
दीनू ने मेरा गला छोड़ा तो मैंने अपना मुँह खोल दिया।
दीनू हँसा और बोला- “शाबाश मेरी रानी…” ये कहकर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया जिसे मैं मजे मजे से चूसने लगी।
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काफी देर तक दीनू अपना लण्ड मुझे चुसवाता रहा। फिर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया और फिर वो मेरी टाँगों की तरफ आ गया। उसने दो तकिये उठाकर मेरे कूल्हों के नीचे रखे जिससे मेरी चूत बुलंद हो गई। मेरी टांगें पहले ही चीरी हुई थीं, इसलिए चूत ऊपर उठने से मेरी चूत के होंठ पूरे खुल गये।
दीनू अपना लण्ड मेरी चूत में फिट करके मेरे ऊपर लेट गया और फिर उसने एक तेज झटका मारा तो पहले ही झटके में उसका लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई। दीनू हँसा और बोला- “अभी तो तेरी और चीखें निकलेंगी…” ये कहकर उसने अपना लण्ड बाहर निकालकर फिर जोर से अंदर डाला।
मैं फिर चीखी और फिर दीनू कुत्तों की तरह झटके पर झटके मारने लगा। मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी और मैं बुरी तरह से चीख रही थी। मेरी चीखों पर दीनू बहुत खुश हो रहा था। और वो झटके मारते हुये बोला- “और चीख, और जोर से चीख… यहां तेरी चीखें सुनकर कोई नहीं आयेगा… ले और ले और ले…” दीनू अपनी पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था।
दीनू का लण्ड बिल्कुल पत्थर की तरह सख़्त था और वो मेरी चूत की दीवारों को बुरी तरह से छीलता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था।
मैं चीखती हुई बोली- “उउफफ्फ… दीनू मुझे धीरे-धीरे चोदो, तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और सख़्त है प्लीज… मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज… मुझ पर रहम करो…”
दीनू ने अपने झटकों की रफ़्तार और बढ़ा दी और बोला- “साली रंडी की बच्ची, तू रहम किए जाने के काबिल नहीं है। मैं आज तेरा वो हाल करूंगा कि तू मेरे नाम से ही डरेगी…” दीनू को झटके मारते हुये पूरा एक घंटा हो गया था, और वो रुके बगैर झटके मारे जा रहा था।
मैं हैरान थी कि वो अब तक फारिग क्यों नहीं हुआ? जबकी मैं एक घंटे में 6 बार झड़ चुकी थी। मैं दर्द के मारे बोली- उफफ्फ… दीनू, तुम मुझे कब तक चोदोगे?
दीनू हँसा और बोला- “हरामजादी, मुझे आज तुझे सबक सिखाना है इसलिए मैंने एक दवा खाई है और अब मैं 4 घंटे से पहले नहीं फारिग होऊँगा…”
मैं दीनू की बात सुनकर खुश हो गई, क्योंकी मैं तो खुद भी यही चाहती थी कि दीनू बिल्कुल कुत्तों की तरह चोदे। मुझे दर्द तो हो रहा था मगर मुझे इस दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने अपनी खुशी दीनू पर जाहिर नहीं होने दी, क्योंकि मैं चाहती थी कि वो गुस्से की हालत में मुझे कुत्तों की तरह चोदता रहे।
एक घंटा और मेरी चूत की चुदाई करने बाद दीनू मेरे ऊपर से हट गया और उसने मेरी दोनों टांगें खोल दी। फिर उसने मेरी दोनों टाँगों को उठाकर मेरे कंधों से लगा दिया। फिर उसने मेरे ऊपर लेटकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर रखा। मेरी गाण्ड का छेद मेरी चूत से बहुत छोटा था इसलिए मैं सोचने लगी के अब मेरी गाण्ड का क्या हाल होता है।
दीनू ने एक झटका मारा तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड में 4 इंच तक अंदर घुस गया। मैं दर्द के मारे बुरी तरह से चीखी और बुरी तरह से तड़पी। एक तो दीनू ने मुझे पूरी गठरी की तरह लिटाया हुआ था, उसपर वो खुद मेरे ऊपर लेटा हुआ था। मैं उसके बोझ से बुरी तरह दबी हुई थी, इसलिए मेरे तड़पने का कोई फायदा नहीं हुआ और मैं सिर्फ़ झुरझुरी ही ले सकी।
दीनू ने फिर एक तेज झटका मारा तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड में 8” इंच अंदर घुस गया। मैं फिर चीखी मगर दीनू ने मेरी चीखने की परवाह ना करते हुये एक और झटका मारा। अब उसका लण्ड मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया।
मैं बुरी तरह से चिल्ला रही थी और अब दीनू खूब जोर-जोर से झटके मार रहा था। वो अपना लण्ड टोपी तक बाहर निकालता और फिर वो एक ही झटके में जड़ तक अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा देता। इस तरह मेरी गाण्ड पर बुरी तरह से दबाओ पड़ रहा था जिससे मेरी गाण्ड बुरी तरह से दर्द कर रही थी।
दीनू बहुत तेज झटकों से मुझे चोद रहा था। मैं दीनू की मर्दानगी पर बुरी तरह से फिदा हो चुकी थी और मुझे दीनू पर बहुत प्यार आ रहा था। जिस तरह मैंने चाहा था दीनू मेरी उम्मीद से बढ़कर मुझे चोद रहा था। मुझे इतना मजा आ रहा था और मैं सोच रही थी कि मेरी ये चुदाई इसी तरह चलती रहे और मैं दीनू से चुदवा-चुदवाकर मजे लेती रहूं।
दीनू ने दो ही घंटे मेरी गाण्ड मारी फिर उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से निकालकर वापिस मेरी चूत में डाल दिया और मुझे तेजी से चोदने लगा। 20 मिनट तेजी से झटके मारने के बाद दीनू ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और लाकर मेरे मुँह से लगा दिया।
मैं समझ गई के अब वो फारिग होने वाला है इसलिए मैंने अपना मुँह खोल दिया। दीनू ने अपना लण्ड जड़ तक मेरे मुँह में घुसा दिया और फिर उसके लण्ड से तेज मनी की बोछार निकली जो सीधे मेरे पेट में गिरने लगी। सारी मनी मेरे पेट में छोड़ने के बाद जब उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला तो वो मनी से बुरी तरह से खराब हो रहा था।
मैंने दोबारा उसका लण्ड चूसने के लिए अपना सर उठाया तो दीनू ने फिर अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया। मैंने दीनू का लण्ड चाट-चाटकर अच्छी तरह से साफ कर दिया, और फिर वो मेरे बराबर में ही लेट गया। थोड़ी देर लेटने के बाद उसने मेरे हाथ भी खोल दिए और बोला- “जाओ, अब तुम जा सकती हो और पोलिस को बुलाना है तो बुला लो, दीनू पोलिस से नहीं डरता…” और दीनू उठकर एक तरफ पड़ी हुई अपनी धोती उठाकर बाँधने लगा।
तो मैं उठी और मैंने उससे धोती छीन कर फेंक दी और दीनू से लिपटकर मैंने उसके चेहरे पर बोसों की बारिश कर दी। दीनू मेरे रद्दे-अमल से हैरान हो रहा था। मैं उसे किस करती हुई बोली- “प्यारे हैरान क्यों हो रहे हो? तुमने वोही किया जैसा मैंने चाहा था। मेरी जान मैंने ही तुम्हें गुस्सा दिलाया था ताकी तुम मुझे गुस्से में आकर कुत्तों की तरह चोदो। मेरे प्यारे, मैं किसी पोलिस वोलिस को नहीं बुला रही, मैं तो खुद तुमसे चुदवाने के लिए मरी जा रही थी…”
दीनू बोला- वो जो तुमने मुझे शाम में गालियां बकी थी, धमकियां दी थी, वो क्या था?
मैं मुस्कुराई और बोली- “वो सब ड्रामा था तुम्हें गुस्सा दिलाने के लिए और देखो तुमने गुस्से में आकर मेरी कैसी शानदार चुदाई करी है…”
दीनू खुशी से बोला- क्या आप मुझे नौकरी से नहीं निकलवायेंगी?
मैंने उसे प्यार से चिपकाया और बोली- “नहीं बुद्धू, बल्की मैं तो रोज तुमसे चुदवाऊँगी…”
दीनू मुस्कुराया और बोला- “मेम साहिब आप मुझे पहले बता देतीं, मैंने तो अपना सारा समान बाँध लिया था। मैंने तो सोचा था कि जब आप सो जायेंगी तो मैं आपके कमरे में घुसकर जबरदस्ती आपको चोदूंगा और रातों-रात यहां से फरार हो जाऊँगा, ताकी पोलिस मुझे पकड़ ना सके…”
मैं हँसी और बोली- “तुम बिल्कुल बुद्धू हो। अगर मैं तुम्हें बता देती तो तुम मुझे इस तरह कैसे चोदते? वो जालिम क्या चुदाई करी है तूने, अब तक मेरी चूत और गाण्ड दर्द कर रही है…”
दीनू बोला- मेम साहिब अगर ज्यादा दर्द है तो मैं माफी माँगता हूँ। आप कहें तो मैं दवा लगा दू?
मैं मुस्कुराकर बोली- “मुझे अपनी चूत और गाण्ड के दर्द की परवाह नहीं, अलबत्ता तुमने जो दो थप्पड़ मुझे मारे थे उसका दर्द अभी तक है…”
दीनू बोला- “मेम साहिब मुझे माफ कर दें, मैं उस वक़्त गुस्से में था…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “माफ किया प्यारे, मगर तुमने ये मेम साहिब, मेम साहिब क्या शुरू कर दिया है। इस वक़्त मैं रखैल हूँ तुम्हारी… मेम साहिब औरों के सामने हूँ। अभी तुम मेरे मालिक हो और मैं तुम्हारी नौकरानी…”
दीनू ने मुझे अपने सीने से भींच लिया और बोला- “तुम नौकरानी नहीं बल्की मेरे दिल की रानी हो…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “मेरे राजा, तुम्हारी ये रानी तुम्हारे लण्ड की गुलाम हो चुकी है। तुमने जो मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई करी है… इतनी जबरदस्त चुदाई तो मेरी आज तक मेरे पति ने भी नहीं करी और अब मैं चाहती हूँ कि तुम दोबारा से मेरी वैसी ही चुदाई करो…”
दीनू का लण्ड अब फिर अकड़ चुका था और वो मेरी चूत में चुभने लगा था। मैंने मुस्कुराकर उसका लण्ड पकड़ लिया और बोली- “देखो प्यारे तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा है। तुम जरा इसकी मदद तो करो…”
दीनू भी हँसा और बोला- “अभी लो मेरी जान, देखना मैं कैसे तुम्हारी शानदार चुदाई करता हूँ…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “प्यारे, पहली चुदाई की तरह एक ही स्टाइल में ही नहीं चोदते रहना। पहली बारी में तो तुमने मेरा कबाड़ा कर दिया था, एक ही स्टाइल में चोद-चोदकर…”
दीनू हँसा और बोला- “अब ऐसा नहीं होगा जान-ए-मान…” दीनू एक कुर्सी पर बैठ गया।
और फिर मैं उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर उसके ऊपर बैठ गई। अब दीनू नीचे से खूब झटके मारने लगा। दीनू के जोरदार झटकों से मेरी चूचियां बुरी तरह से उछल रही थीं और मुझे बहुत मजा आ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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दीनू ने मेरी उछलती हुई दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाता हुआ खूब कस-कसकर झटके मारने लगा। 25 मिनट तक उसने मुझे इसी तरह चोदा फिर उसने मुझे सोफे पर उल्टा लिटा दिया और खुद वो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालकर मेरे ऊपर लेट गया और तेज-तेज झटकों से मेरी गाण्ड मारने लगा।
दीनू के पूरे जिस्म का दबाओ मेरे ऊपर पड़ रहा था और मुझे इस तरह बहुत मजा आ रहा था। आधे घंटे तक मेरी इस पोजीशन में गाण्ड मारने के बाद दीनू ने मुझे दीवार से लगाकर खड़ा कर दिया। फिर उसने अपना लण्ड मेरी चूत में डाला और मुझे बिल्कुल दीवार से मिलाकर मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया।
20 मिनट मेरी चूत चोदने के बाद उसने मुझे घुमाकर दीवार से लगाया और फिर उसने पीछे से अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया और वो फिर नीचे झुक-झुक कर झटकों के साथ मेरी गाण्ड मारने लगा। दीनू के जोरदार झटकों से मेरी चूचियां दीवार से रगड़ खा रही थीं और इस तरह मुझे एक अलग मजा मिलने लगा।
मेरे कहने पर दीनू ने मुझे इसी तरह से पूरे एक घंटे तक चोदा। फिर उसने मुझे डोगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया। मैं अपने चारों हाथों पैरों पर नीचे खड़ी थी और दीनू मेरे ऊपर सवार हुआ बुरी तरह से मेरी चूत को चोद रहा था। आधे घंटे तक मेरी चूत चोदने के बाद दीनू ने इसी पोजीशन में रहते हुये अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड में घुसा दिया और कुत्तों की तरह मेरी गाण्ड मारने लगा।
डोगी स्टाइल में मुझे सबसे ज्यादा मजा आता था इसलिए मैंने दीनू से कहा- “प्यारे, जब तक तुम फारिग नहीं हो जाते मुझे इस पोजीशन में चोदते रहो…”
दीनू डोगी स्टाइल में ही बार-बार कभी चूत को चोदता कभी गाण्ड को। मैं अपने आपको सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी। मुझे दीनू से चुदवाते हुये कितना वक़्त हो गया था मुझे इसको कोई अंदाजा नहीं था, और ना ही मुझे इसकी फिकर थी। काफी देर तक मुझे चोदने के बाद दीनू बोला- “वैशाली डार्लिंग, मैं अब फारिग होने वाला हूँ मैं अपनी मनी तुम्हारी चूत में निकाल दूँ…”
मैं बोली- “नहीं प्यारे, मैं तुम्हारी मनी को पीना चाहती हूँ, तुम मेरे मुँह में फारिग होना…”
दीनू ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और और अपना लण्ड तेजी से मसलता हुआ मेरे मुँह की तरफ आ गया। मैंने फौरन अपना मुँह खोल दिया। इससे पहले कि दीनू अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसाता उसके लण्ड से मनी की धार निकलकर मेरे मुँह से टकराई और मेरा पूरा मुँह मनी से भर गया।
मैंने जल्दी से उसका लण्ड पकड़कर अपने मुँह में घुसा लिया और उसका लण्ड चूसने लगी। दीनू की मनी एक तेज धार की सूरत में मेरे गले से नीचे उतरने लगी। सारी मनी को पी लेने के बाद मैंने उसका लण्ड चाटकर साफ किया और फिर मैंने दीनू की धोती उठाकर उससे अपना मुँह साफ किया। मैं बुरी तरह से थक चुकी थी इसलिए मैं नीचे ही लेट गई। मैंने घड़ी की तरफ देखा तो वहां सुबह के 6:30 हो रहे थे।
दीनू आकर मेरे साथ लेट गया और मुझसे लिपटा कर बोला- “कहो मेरी रानी, मजा आया या नहीं?”
मैंने उसे चूम लिया और बोली- “प्यारे, मजा तो इतना आया है कि मैं बता नहीं सकती। मैं तो चाह रही थी कि मेरी ये चुदाई कभी खतम ना हो और तुम सारी ज़िंदगी इसी तरह मुझे चोदते रहो…”
दीनू ने भी मुझे कसकर लिपटा लिया और बोला- “हाँ मेरी बन्नो, मुझे भी तुम्हें चोदकर बहुत मजा आया है अब कब मुझे दोबारा चोदने का मोका दोगी?”
मैं मुस्कुराई और बोली- “मेरे प्यारे, अब तो मैं तुम्हारी हूँ, अब तो हर रात तुम्हारी है। मैं तुमसे रोज चुदवाऊँगी उसके अलावा दिन में जब भी तुम्हें मोका मिले मुझे चोद लिया करना, मैं कभी मना नहीं करूंगी। बस किसी को पता नहीं चलना चाहिए…”
अभी हमारी बातें जारी थी कि दीनू का लण्ड फिर खड़ा हो गया। दीनू उसे मेरे हाथ में देता हुआ बोला- “देखो बेचारे को फिर भूख लगी है…”
मैं हँसी और बोली- “मैं तुम्हारे इस बेचारे को सारी ज़िंदगी अपनी चूत का खाना खिलती रहूंगी, तब भी इसका पेट नहीं भरेगा…”
दीनू बोला- “जानू, एक बार और चुदवा लो…”
मैं बोली- “नहीं प्यारे, अभी नहीं। अभी 7:00 बजने वाले हैं और तुमने मुझे चोदना शुरू किया तो 2-3 घंटे से पहले तुम मुझे नहीं छोड़ोगे। इससे पहले की मेरी सास और ससुर उठ जायें मैं चलती हूँ। तुम अभी अपने इस बेचारे को समझाओ। दिन में मोका मिले तो मुझे चोदकर अपने बेचारे का पेट भर देना…” फिर मैं उसे किस करके उठी और जाने लगी।
तो दीनू बोला- “वैशाली अपनी नाइटी तो पहन लो…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “प्यारे, अब मैं पहनकर क्या करूंगी? इसे तुम रख लो…” ये कहकर मैं बाहर आ गई।
कमरे के बाहर मेरे ससुरजी बिल्कुल नंगे खड़े थे। उनका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था और उनका लण्ड बुरी तरह से अकड़ा हुआ, बुरी तरह से साँप की तरह फनकार रहा था। मैं बाबूजी को देखकर मुस्कुराई और उनसे लिपटते हुये बोली- कैसी लगी आपको अपनी बहू की एक्टिंग और दीनू की चुदाई?
बाबूजी ने कहा- “बहुत जबरदस्त मेरी जान, मैं तो जज़्बात में पूरी तरह पागल हो रहा हूँ। देखो मैं तुम्हारी चुदाई देखते हुये 6 बार मूठ मार चुका हूँ, मगर मेरा लण्ड है कि बैठ ही नहीं रहा है…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “आपके लण्ड को रात भर में ठंड लग गई है, मैं अभी इसको अपनी चूत की गर्मी दूंगी तो ये आराम से बैठ जायेगा…” ये कहकर मैंने उनका लण्ड पूरा का पूरा अपनी चूत में ले लिया।
और फिर मैं उनकी गोद में चढ़ती हुई बोली- “अब ससुरजी आप अपनी इस बहू को इसी तरह मेरे कमरे में ले चलिये और फिर खूब जमकर अपनी बहू को चोदिए…”
बाबूजी मुझे इसी तरह गोद में उठाये मेरे कमरे में ले आये और मुझे बिस्तर पर लिटाकर खुद भी मेरे ऊपर लेट गये और खूब जोर-ओ-शोर से मुझे चोदने लगे। बाबूजी ने 9:00 बजे तक मेरी जमकर चुदाई करी। चुदाई के बाद मैं बाबूजी से कहने लगी- “बाबूजी, अब मैं आप और दीनू से एक साथ चुदवाना चाहती हूँ…”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “आइडिया तो अच्छा है, पर तुम हम दोनों से एक साथ कैसे चुदवाओगी? क्योंकी दीनू को तो नहीं पता कि मैं भी तुम्हें चोद चुका हूँ। वो मेरे सामने तो तुम्हारे साथ कुछ नहीं करेगा…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “इसका बहुत आसान हल है। मुझे पता है कि दीनू मेरे लिए पागल हो चुका है और वो दिन में भी मुझे चोदने की कोशिश करेगा। मैं ज्यादा से ज्यादा दीनू के सामने रहूंगी और मुझे पता है कि उसे जैसे ही तन्हाई मिलेगी उसने मुझे पकड़कर चोद देना है। अब आप दीनू पर नजर रखिएगा। फिर जब मुझे तन्हाई में नंगा करके अपना लण्ड डालकर मुझे चोदना शुरू कर दे तो आप सामने आ जाइयेगा। बाकी मैं संभाल लूंगी…”
बाबूजी को मेरा आइडिया पसंद आया और वो राजी हो गये। फिर वो मुझे किस करके अपने कमरे में चले गये और मैं इसी तरह नंगी चादर ओढ़कर सो गई। मेरे देर से उठने पर कभी भी मेरी सास ने कुछ नहीं कहा था इसलिए मैं आराम से सोती रही। 12:00 बजे मेरी आँख खुली।
तब तक दीनू पूरे घर की सफाई कर चुका था। मैंने नाश्ता करके खाना पकाया। दीनू बार-बार मेरे आस-पास मंडला रहा था और जैसे-जैसे उसे मोका मिलता तो कभी वो मुझे किस कर लेता, कभी मेरी चूचियों को दबा देता, या मेरी चूत और गाण्ड में उंगली कर देता। खाना खाने के बाद सासूमाँ और ससुरजी अपने कमरे में चले गये। मैं किचेन में थी कि दीनू ने आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया।
मैं हँसी और बोली- प्यारे, क्या सबर नहीं हो रहा?
दीनू ने मेरी चूचियों को जोर से दबाया और बोला- “नहीं मेरी जान, तुम्हें चोदने को बहुत दिल कर रहा है…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “प्यारे, रात तक सबर करो अभी मेरी सास और ससुर घर में हैं…”
दीनू बोला- “नहीं, मुझसे रात तक सबर नहीं होगा मैं तो अभी तुम्हें चोदूंगा…” और वो मेरी साड़ी खोलने लगा।
तो मैं बोली- “क्या कर रहे हो दीनू? कोई आ जायेगा…”
दीनू बोला- “कोई नहीं आयेगा। मैं अभी देखकर आ रहा हूँ। तुम्हारा ससुर कुत्तों की तरह तुम्हारी सास की चूत मार रहा है…” मैं मुस्कुराई और बोली- “अगर ऐसी बात है तो तुम्हें पूरा हक है मुझे चोदने का, अब मैं तुम्हें मना नहीं करूंगी। अब जो चाहो मेरे साथ करो…”
दीनू ने मेरी बात सुनते ही मुझे पूरा नंगा कर दिया। फिर उसने अपनी धोती और कुर्ता भी उतार दिया। दीनू का लण्ड पूरा अकड़ा हुआ था। मैंने उसे हाथ में पकड़ लिया और फिर घुटनों के बल बैठकर उसका लण्ड चूसने लगी।
10 मिनट तक मैंने उसका लण्ड चूसा फिर दीनू ने मुझे किचेन में पड़ी हुई डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया फिर उसने मेरी टांगें मोड़कर मुझे पकड़ा दी। फिर उसने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और खड़े-खड़े ही मुझे चोदने लगा, जबकी मैं मजे से सिसकारियां लेने लगी।
हम दोनों चुदाई में बुरी तरह से खोये हुये थे कि अचानक ही बाबूजी किचेन में आ गये और बोले- “ये क्या हो रहा है यहां?”
बाबूजी की आवाज सुनकर दीनू डर गया और उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया।
बाबूजी गुस्से से बोले- दीनू, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई कि तुम हमारी बहू को चोदो?
दीनू बुरी तरह से डर गया था, वो हाथ जोड़कर बोला- “माफ कर दो साहिब जी गलती हो गई…”
बाबूजी गुस्से में उसकी तरफ बढ़े और बोले- “चोदकर बोल रहा है कि गलती हो गई…”
इससे पहले कि बाबूजी दीनू तक पहुँचते मैं उन दोनों के बीच में आ गई, और बोली- “बाबूजी, आप दीनू को कुछ नहीं कह सकते…”
बाबूजी हैरान होकर और बोले- “बहू, ये तुम क्या कह रही हो? ये तुम्हें चोद रहा था और तुम इसको ही बचाने की कोशिश कर रही हो…”
मैं बोली- “मैं इसे इसलिए बचा रही हूँ कि मैंने ही इसे बोला था चोदने के लिए…”
बाबूजी हैरान हुये और बोले- “तुमने इसे बोला था चोदने के लिए, मगर क्यों?” इस वक़्त हम ससुर बहू बेहतरीन एक्टिंग कर रहे थे।
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मैं फिर बोली- “वो इसलिए कि मुझे मेरा पति 6 महीने के लिए तन्हा छोड़ गया है और मैं प्यासी हूँ। इसलिए मैंने दीनू को मोका दिया है कि वो मुझे चोदकर मेरी प्यास मिटाये…”
बाबूजी बोले- “अगर तुम्हें इतनी ही चुदाई की भूख है तो मुझसे कहना था, मैं तेरी चूत की भूख मिटाता…”
मैं बोली- “आप चाहें तो आप भी मुझे चोद सकते हैं। मगर मैं दीनू से जरूर चुदवाऊँगी…”
बाबूजी बोले- क्या ये तुम्हारा आखिरी फैसला है?
मैं बोली- “हाँ ये मेरा फैसला है, और अगर आप गैरतमंद हैं तो यहां से चले जैायें, वरना दीनू के साथ मिलकर मेरी चुदाई करें…”
बाबूजी ने दीनू की तरफ देखा। मेरी तरफदारी से दीनू में संतुष्टि आ गई थी और अब वो तनकर खड़ा हो गया था। बाबूजी ने अपना सर झुका लिया।
तो मैं बोली- “बाबूजी, अगर आप दीनू के साथ मिलकर मुझे चोदेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी…”
बाबूजी का लण्ड अब तक खड़ा हो चुका था और वो उनकी धोती से बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था। मैंने आगे बढ़कर धोती के ऊपर से ही उनका लण्ड पकड़ लिया और बोली- “बाबूजी, आपका खड़ा लण्ड ये कह रहा है कि आप भी मुझे चोदना चाहते हैं। अगर हाँ तो मुझे पकड़ लें, अब ये रिश्ते नाते क्या देखना…”
बाबूजी तो पहले ही राजी थे। ये तो दीनू के सामने एक्टिंग की जा रही थी। अब बाबूजी से ज्यादा एक्टिंग नहीं हो सकी और उन्होंने मुझे अपनी तरफ घसीट लिया और मुझे लिपटाकर बेतहासा किस करने लगे। बाबूजी को मुझे किस करता देखकर दीनू खुश हो गया और वो हमारे पास आ गया और बाबूजी से बोला- “साहिब जी ये हुई ना मर्दों वाली बात। आपकी बहू बहुत सेक्सी है, हम दोनों मिलकर इसे चोदेंगे तो बहुत मजा आयेगा…”
बाबूजी ने मुझे खुद से अलग किया और दीनू से बोले- “अभी तू ही मेरी बहू को चोद मैं रात में तेरे साथ मिलकर अपनी बहू को चोदूंगा। तू मेरी बहू को लेकर इसके कमरे में जा और आराम से जितना तेरा दिल करे इसे चोद। मैं जाकर तेरी मालेकिन को चोदता हूँ…” वो फिर बोले- “जा जल्दी जा… यहां खड़ा वक़्त क्यों खराब कर रहा है। जा जाकर ऐश कर…”
बाबूजी की बात पर दीनू बहुत खुश हो गया और बोला- “साहिब जी, अभी आपकी बहू को लेकर जाता हूँ…” और दीनू मेरा हाथ पकड़कर किचेन से निकालने लगा।
तो बाबूजी बोले- “दीनू खूब जमकर चोदना मेरी बहू को, इसकी चीखें निकाल देना…”
दीनू हँस कर बोला- “ऐसा ही होगा साहिब जी आप फिकर ही ना करें…”
फिर मैं और दीनू मेरे कमरे में आ गये। दीनू खुशी से बोला- “वैशाली, ये तो बहुत अच्छा हो गया है। अब तो साहिब जी भी हमारे साथ हैं, अब तो हम दोनों मिलकर खूब तुम्हारी चुदाई करेंगे…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “हाँ प्यारे, ये बहुत अच्छा हुआ है। अब मैं एक साथ दोनों छेदों में चुदवाया करूंगी…”
फिर दीनू मुझे लेकर बिस्तर पर आ गया और उसने खूब जमकर मेरी चुदाई शुरू कर दी। दीनू ने शाम 7:00 बजे तक मेरी खूब जोरों से चुदाई करी। रात खाना खाने के बाद बाबूजी माँजी के साथ अपने कमरे मैं चले गये। मैं अपना काम निपटाकर अपने कमरे में आई तो मेरे पीछे-पीछे दीनू भी कमरे में आ गया।
मैं दीनू को देखकर मुस्कुरा दी। कमरे में आते ही दीनू ने मुझे नंगा कर दिया। मैंने सोचा कि बाबूजी पता नहीं कब आयेंगे, इसलिए मैंने दीनू से चुदवाना शुरू कर दिया। ये मेरी चुदाई का दूसरा घंटा था जब बाबूजी पूरे नंगे कमरे में दाखिल हुये। उनका लण्ड पूरी तरह से अकड़ा हुआ था।
मुझे दीनू से चुदता हुआ देखकर वो मुस्कुराये और फिर हमारे पास आकर बोले- “अकेले-अकेले ही मजे किए जा रहे हैं…”
दीनू बाबूजी को देखकर मुझे चोदकर हटा।
तो बाबूजी मुस्कुराकर बोले- “लगा रह यार, इस साली के दो छेद हैं एक को तू चोद एक को मैं चोदता हूँ…”
दीनू ने लेटकर मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। फिर बाबूजी अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाकर मेरे ऊपर लेट गये। फिर दोनों ने तेज-तेज झटकों से मुझे चोदना शुरू कर दिया।
मेरी चूत और गाण्ड के बीच में पतला सा गोश्त था जिससे मुझे दोनों के लण्ड आपस में रगड़ खाते हुये साफ-साफ महसूस हो रहे थे। ये पहला मोका था जब मैं एक साथ दो मर्दों से चुदवा रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं खुद को लज़्ज़त के आसमान पर महसूस कर रही थी। दोनों ने पूरी रात तरह-तरह से मेरी खूब चुदाई करी।
जब हम तीनों थक कर लेट गये तो मैं बाबूजी से बोली- बाबूजी, आपको नहीं लगता कि हमारे घर में नौकर कम हैं?
बाबूजी बोले- क्या मतलब? मैं समझा नहीं?
मैं मुस्कुराई और बोली- “मेरा कहने का मतलब है कि बेचारे दीनू को अकेले पूरे घर का काम करना पड़ता है। ये बेचारा कितना थक जाता होगा। आपको नहीं लगता कि इसकी मदद के लिए हमें कुछ और नौकर रखने चाहिए?”
बाबूजी अब मेरा मतलब समझ गये थे और उन्होंने कसकर मेरी चूचियों के निपल को दबाया जिससे मेरी चीख निकल गई। बाबूजी हँसकर बोले- “मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि तेरा मतलब तुझे दीनू की मदद के लिए नहीं अपनी प्यास के लिए और आदमी चाहिए…”
मैं भी हँसी और बोली- “मैं दीनू की मदद के लिए ही कह रही हूँ। पहले वो लोग घर के काम में दीनू की मदद करेंगे फिर मुझे चोदने में दीनू की मदद करेंगे। अब आप ही बताइये कि इसमें मेरा मतलब कहां से आ गया? हाँ ये और बात है कि ये घर मेरा भी है और घर की कोई भी चीज मैं अपने इस्तेमाल में ले लूँ तो इसमें कोई हर्ज नहीं है…”
मेरी बात पर बाबूजी हँस दिए और बोले- “तू कह तो सही रही है। वाकई दीनू की मदद के लिए कुछ लोगों को होना चाहिए…” फिर बाबूजी मुझे से बोले- अच्छा, कितने लोगों को मुलाजिम रखूं?
मैं मुस्कुराई और बोली- “बाबूजी 2-3 लोग तो और होने ही चाहिए…”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “मैं 3 नहीं 6 आदमियों को नौकरी पर रखूंगा…”
मैं बाबूजी बात सुनकर खुशी से उनसे लिपट गई और बोली- “बाबूजी, आप बहुत अच्छे हैं। आपको अपनी बहू का कितना ख्याल है…”
मेरी बात पर बाबूजी हँसने लगे। फिर वो दीनू से बोले- “यार, अब ये तेरी जिम्मेदारी है कि तू अपने साथियों का इंतेजाम कर…”
दीनू बोला- “साहिब जी, ये तो कोई मसला ही नहीं है। आप देखिएगा मैं ऐसे आदमी लाऊँगा कि वो वैशाली को चोद-चोदकर इसका हुलिया बिगाड़ देंगे…”
मैं दीनू से बोली- “हाँ दीनू, मुझे ऐसे ही आदमी चाहिए जो मुझे चोद-चोदकर मेरा हुलिया खराब कर दें…”
दीनू इसी दिन से अपने काम पर लग गया। दूसरे ही दिन वो 6 आदमियों को घर ले आया। इत्तेफाक की बात ये है कि इसी दिन सासूमाँ को एक काम में दूसरे शहर जाना पड़ गया और अब वो 3-4 दिन से पहले नहीं आ सकती थी। जो आदमी दीनू लाया था वो सबके सब लंबे तगड़े और सेहतमंद थे।
उन सबकी नजरें बार-बार मुझपर पड़ रही थीं, क्योंकि मेरा हुलिया ही ऐसा था कि वो सब मुझे देखे बिना नहीं रह पा रहे थे। मैं इस वक़्त एक छोटे से स्कर्ट और स्लीवलेश टी-शर्ट पहनी हुई थी, और बगैर ब्रेजियर के मेरी चूचियां टी-शर्ट में से साफ-साफ दिखाई दे रही थीं।
मुझे उन सबका इस तरह देखना बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे भी वो सबके सब पसंद आ गये थे और मैं भी उनको पसंदीदगी की निगाहों से देख रही थी। बाबूजी ने मुझे देखा तो मैंने इकरार में सिर हिला दिया कि मुझे ये सब पसंद हैं।
बाबूजी ने दीनू से कहा- “यार, ये सब भरोसे के आदमी तो हैं ना? ऐसा ना हो कि ये हर एक को बताते फिरें और हमारी बदनामी हो…”
दीनू बोला- “साहिब जी, आप बिल्कुल बेफिकर रहें। दीनू आदमी पहचानने में कभी गलती नहीं करता…”
दीनू की बात सुनकर बाबूजी सबसे कहने लगे- “मैं आप सबको ये बात बिल्कुल साफ-साफ बता देना चाहता हूँ कि मुझे सिर्फ़ वफादार लोग पसंद हैं और मैं आप लोगों को सिर्फ़ इसी शर्त पर अपने पास मुलाजिम रखूंगा कि मेरे घर की कोई बात आप बाहर किसी को नहीं बतायेंगे…”
सब कहने लगे- “साहिब, कोई हमारी गर्दन भी काट देगा, तब भी हम आपसे नमकहरामी नहीं करेंगे…”
बाबूजी उनकी बात सुनकर बोले- “मुझे आप लोगों की बात पसंद आई। अब मैं असल बात पर आता हूँ। वैसे तो मुझे इतने मुलाजिम रखने की जरूरत नहीं है। मगर ये मेरी जो बहू है वैशाली, इसका कहना है कि घर में और मुलाजिम भी होने चाहिए जो दीनू के काम में हाथ बटा सकैं।
दीनू हमारा बहुत पुराना मुलाजिम है और हम इसे अपना मुलाजिम नहीं समझते। और ये हमारे घर में एक मर्द की तरह रहता है और इसलिए दीनू घर के काम-काज से फारिग होकर मेरी बहू को खूब चोदता भी है जिसकी मैंने इसको पूरी इजाजत दे रखी है। अब मैं चाहत हूँ कि आप लोग भी इस घर में घर के मर्द की रहें और दीनू की तरह आप लोग भी मेरी बहू को खूब चोदें…”
बाबूजी की बात सुनकर सब हैरान रह गये और हैरत से मुझे देखने लगे। उन में से एक बोला- “ये आप क्या बात कर रहे हैं?”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “अरे इसमें हैरान होने की क्या बात है? मेरी बहू को शौक है चुदवाने का और दीनू को चोदने का। और मैं भी अपनी बहू को खूब चोदता हूँ और अब मैं आप लोगों से चोदने के लिए कह रहा हूँ तो इसमें हैरानी की क्या बात है? और इस नौकरी में दूसरे काम का तो बहाना है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं तो आप लोगों को मुलाजिमत ही अपनी बहू को चोदने की दे रहा हूँ। अब आप लोग सोच लें? एक तो आप लोगों को महीना तनख्वाह भी मिलेगी और चोदने के लिए मेरी बहू भी। अब आप लोगों में से जिसको ये नौकरी मंजूर है वो यहां रुके, वरना वो यहां से चला जाय। मैं आप लोगों को सोचने के लिए 5 मिनट दे रहा हूँ…”
बाबूजी की बात सुनकर सब एक दूसरे को देखने लगे। सभी इस मजेदार नौकरी पर खुश थे। फिर वो बोले- “साहिब जी हमें ये नौकरी करनी है…”
सबकी बात सुनकर बाबूजी खुशी से बोले- “तो फिर आप लोगों की जाब पक्की…”
मैं जो खामोश बैठी थी कहने लगी- “बाबूजी, अभी इनकी नौकरी पक्की ना करें…”
बाबूजी ने हैरत से मुझसे कहा- “अब क्या बात है? सब कुछ तो तुम्हारी मर्जी से हुआ है…”
मैं मुस्कुराई और बोली- “हाँ, मैं यही चाहती थी। मगर मैं पहले इन सबको टेस्ट करना चाहती हूँ कि ये सब मेरी सही से चुदाई कर पायेंगे या नहीं?”
बाबूजी मेरी बात सुनकर मुस्कुराये और बोले- “हाँ, ये बात तो सही है…”
मैं उठी और सबसे बोली- “मैं आप लोगों से पहले चुदवाकर आप लोगों की मर्दानगी टेस्ट करूंगी, फिर आप लोगों की जाब पक्की होगी। अब आप सब अपने-अपने कपड़े उतार दें ताकी मैं आप सबके लण्ड देख सकूं…”
उन में से एक बाबूजी से बोला- “साहिब जी, पहले इनको नंगा करें, ताकी पहले हम देखें कि जिस काम के लिए हमें रखा जा रहा है वो हमें पसंद आता भी है या नहीं?”
उसकी बात सुनकर बाबूजी हँस पड़े और मुझसे बोले- “बहू रानी, इसकी बात भी सही है। पहले तुम इनको अपना जिस्म टेस्ट करवाओ…”
बाबूजी की बात सुनकर मैं मुस्कुरा दी। किसी के सामने मेरे लिए नंगा होना अब क्या बड़ी बात थी। मैंने फौरन ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई। मेरा खूबसूरत सेक्सी जिस्म देखकर सबकी आँखों में चमक आ गई। फिर सबने एक-एक करके अपने-अपने कपड़े उतार दिए। अब खुश होने की बारी मेरी थी क्योंकी उनमें से किसी का भी लण्ड 9” इंच से कम नहीं था।
बाबूजी सबसे बोले- “मैं आप 6 लोगों को 6 घंटे दे रहा हूँ और खुद दूसरे कमरे में जा रहा हूँ। अब आप लोगों ने मेरी बहू की ऐसी चुदाई करनी है कि मुझे इसकी चीखें दूसरे कमरे तक सुनाई दें, और इन 6 घंटों के दौरान इसकी चीखें 6 सेकेंड के लिए भी नहीं रुकनी चाहिए। अगर इसकी चीखें रुकी या धीरे हुई तो आप लोगों को ये नौकरी नहीं मिलेगी…”
सब बोले- “साहिब आप बेफिकर रहें। आपकी बहू की चीखें दूसरे कमरे तो क्या पूरे घर में इसकी चीखें गूँजेंगी…”
बाबूजी मुस्कुराये और बोले- “ऐसा ही होना चाहिए…” फिर बाबूजी और दीनू चले गये।
और वो सब मुझपर कुत्तों की तरह टूट पड़े। फिर जैसा उन लोगों ने कहा था वेसा ही हुआ। उन लोगों ने मेरी 6 घंटे तक वो चुदाई करी कि मेरी दर्द भरी चीखें पूरे घर में गूँजती रहीं। 6 घंटे बाद जब बाबूजी और दीनू कमरे में आये तो अब भी वो सब मुझे कुत्तों की तरह चोद रहे थे और मैं बुरी तरह से चीख रही थी। बाबूजी को देखकर उन लोगों ने मेरी चुदाई बंद कर दी।
उनमें से एक बोला- “साहिब बताइये हमने कैसे चोदा है आपकी बहू को?”
बाबूजी मेरी जबरदस्त चुदाई से बहुत खुश थे इसलिए वो खुशी के मारे सबसे गले मिले और मेरी शानदार चुदाई करने पर सबको मुबारक बाद दी। फिर बाबूजी कहने लगे- “दोस्तों आप लोगों ने मेरी बहू की शानदार चुदाई करके साबित कर दिया है कि आप लोगों को इस नौकरी पर फौरन रख लिया जाय। अब आप लोगों का काम ये है कि आप लोग जब चाहे, जहां चाहें, जिस वक़्त चाहें, मेरी बहू को चोद सकते हैं।
बस आप लोगों ने मेरी बीवी यानी घर की मालेकिन के सामने एहतियात करनी है, वरना आप सब लोगों को आजादी है जिसका जितना दिल चाहे मेरी बहू को चोदे, इसमें वक़्त की पाबंदी नहीं है। आप लोगों ने अपना काम सही तरीके से और ईमानदारी से करना है। अगर कभी मेरी बहू आप लोगों से चुदवाने में नखरा करे या मना करे तो आप लोग जबरदस्ती इसे चोदें और इसके साथ कोई रियायत ना करें…”
सब बाबूजी की बात से बहुत खुश थे और ये इन सब लोगों की ज़िंदगी की सबसे मजेदार नौकरी थी। मेरे तो मजे आ गये थे। माँजी पूरे 6 दिन बाद आईं और इन 6 दिनों में बाबूजी ने इन 7 नोकरों के साथ मिलकर मेरी जबरदस्त तरीके से चुदाई करी।
जब माँजी वापिस आईं तो मुलाजिमों की ये फौज देखकर मुँह बनाया। मगर बाबूजी ने प्यार से माँजी को समझाया कि घर बड़ा है और दीनू अकेला, इसलिए मैंने ये मुलाजिम रखे हैं। घर में जो मुलाजिम थे उनकी पोस्ट ये थी- एक ड्राइवर, एक माली, एक बावर्ची, दो चौकीदार, और दीनू को मिलाकर दो घर की सफाई वगैरा के लिए।
रात को तो बाबूजी सातों नौकरों के साथ मिलकर मेरी खूब चुदाई करते थे और दिन में भी जिसको भी मोका मिलता मुझे चोद देता था। दिन में मैं ज्यादातर नौकरों के क्वार्टर्स में चुदवाती थी, क्योंकी माँजी कभी नौकरों के क्वार्टर्स की तरफ नहीं जाती थीं। और मैं आजादी के साथ सबसे चुदवाती थी।
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इसके अलावा नौकरों को जहां भी मैं तन्हा नजर आती, वो मुझे पकड़कर चोदना शुरू कर देते। नौकर मुझे मेरे कमरे में, किचेन में, बाथरूम में, ड्राइंग रूम में बाहर गार्डेन में, कार पार्किंग में और घर की छत पर भी चोद चुके थे। अब मेरी ज़िंदगी मजे से भरपूर हो गई है। मेरी इतनी ज्यादा चुदाइयों को देखते हुये बाबूजी मोका देखकर बार-बार मुझे अपने 8 दोस्तों से भी चुदवा चुके हैं। मुझे अब चुदाइयों की इतनी आदत हो गई है कि मैं सोचती हूँ कि जब मेरे पति आ जायेंगे तो मैं सबसे कैसे चुदवा सकूंगी?
मुझे इन सबसे चुदवाते हुये 5 महीने हो गये हैं और अब अगले महीने मेरे पति कनाडा से वापिस आ रहे हैं। और दो महीने बाद मेरा देवर निखिल भी अपनी पढ़ाई पूरी करके पेरिस से वापिस आ रहा है। सच पूछिए तो मुझे अपने पति से ज्यादा निखिल का इंतेजार है और अब मैं निखिल से भी अपने जिस्म की भूख मिटाना चाहती हूँ, क्योंकि मुझे पता है कि पेरिस में रहते हुये वो अँग्रेज लड़कियों को चोद-चोदकर चुदाई के फन में अच्छी तरह माहिर हो गया होगा। और मुझे पूरा यकीन है कि निखिल बाबूजी और सब नौकरों से ज्यादा मजा मुझे देगा।
Raja says
Maa ji ko chudwana tha