New Village Sex Relation
ये एक रियल सेक्स स्टोरी है मेरी सग़ी चाची की, जो अभी देल्ही मे रहती है, चाचा सेबी मे जॉब पर है. थोड़ी चाची के बारे मे आप लोगो को बता दू, मेरी चाची का नाम प्रिया है, अभी चाची की उमर 40 साल. है पर उस वक़्त उनकी उमर 28 थी, दिखने मे एक दम नॉर्थ इंडियन घरेलू औरत की तरह है, रंग गोरा, कद 5.2 इंच. ज़्यादा लंबी नही है. New Village Sex Relation
शरीर से थोड़ी हेल्दी है, चेहरा एक दम गोल, बूब्स थोड़े बड़े, कमर थोड़ी मोटी, उनकी खास बात ये है कि वो बहुत ज़्यादा भोली है और थोड़ी भुलक्कड़ है, इसीलये चाचा हमेशा उन्हे डाँट ते रहते है, उनके दो बेटे है और देल्ही मे पढ़ते है बड़ा बेटा प्रीतम 15साल का और छोटा 10साल का है.
चाची हमेशा साड़ी पहनती है और घर मे छोटी बहू होने के कारण, सर पर हमेशा पल्लू रखती है और सारा बदन हमेशा साड़ी से ढका रहता है. अब थोड़ा चाचा पे नज़र डाली जाए मेरा पिताजी (फादर) के 3 भाई और एक सिस्टर है. पिताजी सबसे बड़े, संजीव चाचा मझले है, इनके बाद एक छोटे चाचा इन्द्रकेश और बुआ माधुरी.
मेरी पूरी फॅमिली मे संजीव चाचा पढ़ने मे सबसे ज़्यादा तेज और किताबी कीड़े है (बुक वर्म), पढ़ाई की वजह से आँखो पे मोटा चस्मा आ गया है मेरी उनके साथ बहुत बनती है, क्यूंकी बचपन से उन्होने मुझे बहुत खिलाया है मैं बचपन मे उनके साथ ही सोता था और उन्हे छोटे बाबूजी कह कर बुलाता था.
अब स्टोरी पर आता हूँ, किस तरह अंजाने मे चाची ने मुझे सेक्स का मतलब बता दिया. ये बात उन दिनो की जब मेरी उमर 12साल. की थी, हम सब इन्द्रकेश चाचा की शादी मे अपने गाओं गये थे वान्हा पर हमारा पुस्तेनि घर है, जो 2 फ्लोर का है, ग्राउंड फ्लोर मे 5 कमरे है, किचन, स्टोर रूम, छोटे चाचा का कमरा, दादा दाई और गेस्ट रूम है.
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गेस्ट रूम के बीच एक डोर है जो दालान मे खुलता है, दालान जान्हा खेती के समान, गाये और भैंसे (काउ & बफेलो) रखे जाते है. और दालान की देखभाल के लिए हमारा नौकर सोमू था जिसकी उमर तकरीबन 40 साल होगी उस वक़्त और वो वन्हि दालान मे रहता था.
सिफ खाना खाने ही घर मे आता था. सोमू एक दम हटा कटा ताकतवर मर्द था, हम जैसे 3, 4 बच्चो को तो वो एक हाथ मे ही उठा लेता था पर वो थोड़ा मंद बुधि का था, बचपन मे उसके मा बाप गुजर गये थे, दादाजी ने उसे अपने पास रख लिया, वो घर के सब काम कर देता था और दादा जी की बहुत सेवा करता था.
सेकेंड फ्लोर पे हमारा रूम, चाची का और चाचा का स्टडी रूम था और दो कमरे हमेशा बंद रहते थे जिसमे कोई रहता नही हा, जब हमारी माधुरी बुआ या कोई रिलेटिव आते थे उसी मे रुक ते थे और उपर छत (टेरेस) थी, जान्हा से दालान और गाओं साफ दिखता था.
साल दो साल मे एक बार हम गाओं जाते थे, दादा दादी हमे देख कर काफ़ी खुस होते थे, हमे भी वान्हा काफ़ी अछा लगता था, दिन भर गाओं, खेत मे घूमना और नदी मे नहाते और मस्ती करते और वैसे भी वान्हा पर किसी भी तरह की कोई रोक टोक नही थी.
घर मे शादी का महॉल था सब काफ़ी खुश थे, बहुत सारे रिलेटिव और मेहमान आए हुए थे, हमारी बुआ (माधुरी) और फूफा (मनीष) (माइ फादर्स सिस्टर & हर हज़्बेंड) भी आए हुए थे, ये सब शादी एक 4, 5 दिन पहले ही आगाये थे, घर मे पैर रखने की जगह नही थी, हम सब बच्चो को रात को छत (टेरेस) पर सोना पड़ता था.
गाओं मे रात बहुत जल्दी हो जाती थी, रात होते ही हम सब दालान मे घुस जाते और खूब हो हल्ला करते. हां और एक ख़ास्स बात आप लोगो को बता दू उस वक़्त हमारे गाओं मे बिजली नही थी, गाओं मे सब लालटेन और दिया ही इस्तेमाल करते थे. हम रात मे अक्सर छुपा छुपी (हाइड & सीक) खेलते.
दोपहर का समय था, आज रात इन्द्रकेश चाचा का तिलक आने वाला था (इस रसम मे लड़की के घर वाले दहेज का समान ले कर आते है और लड़के को तिलक लगाते है). तिलक मे आने वाले लोगो के रुकने का बंदोबस्त दालान मे ही किया गया था.
सब लोग काफ़ी बिज़ी थे, मैं भी तिलक मे आने वाले लोगो के लिए चेर और बेड का बंदोबस्त कर रहा था, मेरे साथ गाओं के कुछ लड़के और सोमू भी था. फूफा वन्हि पर मिठाई वाले के साथ बैठे थे और कुछ बाते कर रहे थे, तभी मैने देखा गाओं के लड़के जो हमारी मदद कर रहे थे बार बार छत की तरफ देख रहे थे और कुछ कानाफुसी कर रहे थे.
मैने भी छत की तरफ देखा, देखा तो चाची छत पर नीचे झुक कर कुछ सूखा रही थी चाची ने साड़ी को घुटनो तक उठा के कमर से बँधी हुई थी और नीचे झुकने से उनकी गोरी गोरी जंघे (थाइस) और चूतर का निचला हिस्सा काफ़ी साफ दिख रहा था.
चाची तो अपने काम मे बिज़ी थी, सोमू भी तिरछी नज़र से ऊपर देख रहा था और अपने पॅंट पर हाथ घुमा रहा था, ये देख कर लड़के उसे पर हस्ने लगे तभी फूफा की नज़र लड़को की तरफ पड़ी और वो भी ऊपर देखने लगे फूफा की आँखे बड़ी हो गयी पर पास मे मिठाई वाला था.
इसीलिए फूफा ने ज़ोर से आवाज़ दी और कहा “सोमू जल्दी जल्दी चेयर लगा दो और अभी और भी काम है” इतने मे फूफा के आवाज़ सुन कर चाची ने नीचे देखा, फूफा उन्हे देख कर मुस्कुरा रहे थे चाची ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया और साड़ी नीचे कर दी. मैं कुछ चेयर गेस्ट रूम मे रखने गया तभी वो लड़के आपस मे कुछ बाते कर रहे थे.
1-लड़का: “अरे तुमने देखा किस तरह सोमू अपना लंड हिला रहा था विकी (प्रीतम) की मा के चूतर देख कर.”
2-लड़का: “उसे बेचारे की क्या ग़लती है, विकी की मा की चूतर है ही इतने मस्त की किसी का भी खड़ा हो जाए.”
1-लड़का: “और उस बेचारे सोमू को भी तो बहुत दिनो से चूत के दर्शन नही हुए है..जब तक लाली थी, तब तक सोमू ने बड़े मज़े किए, अब तो वो भी शादी करके चले गयी है पता नही कब आएगी.”
3-लड़का: “मुझे पता है तुम लोगो ने भी सोमू के नाम पर लाली को चोदा था….जब वो खेत मे काम कर रही थी तब.”
2-लड़का: “नही यार ट्राइ तो बहुत किया था पर हाथ नही आई, बोलने लगी “तुम जैसे माचिस की तिलियों से ये आग नही लगेगी.”
3-लड़का: “मतलब.”
2-लड़का: “मतलब.. तुम अभी बच्चे हो और तुम्हारा बहुत छोटा है मुझे नही चोद पाएँगे.”
1-लड़का: “हां साली…हमारा क्यूँ लेती..इस पगले सोमू का मूसल लंड (बिग कॉक) लेने की आदत जो पड़ गयी थी.”
3-लड़का: “हां यार मैने भी सुना है उसका बहुत लंबा और मोटा है.”
1-लड़का: “अरे तुझे पता नही इन पागलो का बहुत लंबा होता है..और साले थकते भी नही…तुझे पता है वो अपना कुम्हार है ना.. जो मट्टी के बर्तन बनाता है उस की बीवी एक बार खेत मे टाय्लेट के लिए गयी तभी ये उस पर चढ़ गया और 1 घंटे तक चोदता रहा.
कुम्हार की बीवी उसे छोड़ने के लिए बोल रही थी पर वो सुन नही रहा था जब वो दर्द से चिल्लाने लगी और गाओं के लोग आवाज़ सुन वहाँ आने लगे तब वो वहाँ से भागा…और पता है आज भी कुम्हार की बीवी अपने पति के साथ टाय्लेट जाती है…..हा..हहा …हा हाँ.”
3-लड़का: “और वो मलिन, फूल वाले की बीवी, उसे तो इसने पेट से कर दिया था.”
2-लड़का: “हाँ यार इस पगले का कोई भरोसा नही है..कब किस को पकड़ ले.”
मैं तो उनकी बाते सुन वान्हा खड़ा ही रह गया, कुछ समझ मे नही आ रहा था.. मूसल लंड, चोद दिया, पेट से कर दिया… मैं इन सब बातो को समझ नही पा रह था, ये वर्ड्स मैं पहली बार सुन रहा था, पर इतना ज़रूर समझ रह था कि ये सोमू औरतों के साथ कुछ ग़लत करता है इसीलिए ये लड़के सोमू के बारे मे बात कर रहे है.
पता नही उस दिन से मुझे सोमू से डर लगने लगा मे उस के पास बहुत कम जाने लगा वो बुलाता, पर मे बहाने बना कर भाग जाता. मैं दालान मे आ गया, मुझे देख कर वो लड़के चुप हो गये और बोले “राज कल नदी (रिवर) पर चलेगा..तुझे आम और जामुन खिलाएँगे.”
मैं बोला “हाँ..चलूँगा”, वो लड़के मुझ से काफ़ी बड़े थे तकरीबन 16 या 17 साल के थे, पर मेरा बहुत ख़याल रखते थे क्यूँ की मैं उन्हे अक्सर डेरी मिल्क चॉक्लेट दिया करता था, वो चॉक्लेट वहाँ नही मिलते थे और कुछ पैसे भी कभी कभी खर्च कर देता था इस लालच से वो मेरा ख़याल रखते थे.
धीरे धीरे शाम होने लगी और सभी मेहमान और रिस्तेदार दालान मे जमा होने लगे कुछ देर बाद पता चला लड़कीवाले भी आ गये है, दादाजी, पिताजी, चाचा सब उनका स्वागत के लिए दालान के डोर पे खड़े थे, थोड़ी देर बाद सभी मेहमआनो की खातिरदारी सुरू हो गई.
थोड़ी देर बाद दादाजी ने सब का परिचय हमसे करवाया और तिलक की रसम सुरू हो गई. तिलक की रसम सुरू होने वाली थी, ये सब हमारे घर के आँगन मे होनेवाला था, सारा गाओं जैसे हमारे घर मे आ गया था घर एक दम खचा खच भरा हुया था.
आँगन के बीच मे एक छोटसा मंडप बनाया गया था, मंडप के चारो तरफ हमारे रिस्तेदार और गाओं के लोग जमा थे. घर की औरते ये सब ग्राउंड फ्लोर के कमरों से देख रही और गाओं की औरते ये सब सेकेंड फ्लोर से देख रही थी. मे भी नीचे एक कोने मे खड़ा था और वही से या सब देख रहा था.
कुछ देर मे लड़की वाले आने लगे और मंडप के एक तरफ बैठने लगे, मंडप के बीच मे पंडितजी बैठे ही थे, उन्होने चाचा को बुलाने को कहा. चाचा फिर अपने कमरे से निकले और मंडप मे बैठ गये और पंडितजी ने रसम सुरू की. तभी मेरी नज़र उपर शिखा पर पड़ी मैने उसे हाथ दिखाया और शिखा ने मुझे उपर आने का इशारा किया, मैने इशारे से कहा आता हूँ.
जैसे ही मे उपर जाने लगा, देखा फूफा दादाजी के कमरे के पास खड़े है और चाची से बाते कर रहे है, फूफा काफ़ी हंस हंस कर बाते कर रहे थे जैसे ही मे वहाँ से गुजरा चाचीने पूछा “कहाँ जा रहे हो?” मे बोला “चाची मे उपर जा रहा हूँ.”
चाची बोली “अरे उपर मत जाओ बहुत लोग है, तुम यही से देखो”. फिर मे वहीं रुक गया, लेकिन मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था तो मे कमरे के अंदर जा कर एक टेबल पर खड़ा हो गया और खिड़की से देखने लगा अब सब साफ दिख रहा था.
आप लोगो को बता दू, फूफा का मेरी मा, चाची और पापा की कज़िन सिस्टर से मज़ाक वाला रिस्ता था, घर के इक्लोते दामाद थे, तो उनका मान (रेस्पेक्ट) भी बहुत करते थे. मा और चाची फूफा से बहुत मज़ाक करती, लेकिन फूफा कभी बुरा नही मानते थे वो भी लगे हाथ मज़ाक कर लेते.
चाची फूफा के एक दम पास खड़ी थी, उनके आगे बहुत साड़ी गाओं की औरते और मर्द खड़े थे, जिसकी वजह से चाची को मंडप नही दिख रहा था वो बार बार लोगो के उपर से देखने की कोसिस कर रही थी पर कुछ भी ठीक से नही दिख रहा था, फूफा ने कहा “प्रिया जी आप मेरे पास खड़े हो जाइए, शायद यहाँ आप को दिखेगा.”
चाची उन्हे पास खड़ी हो गयी और फूफा ने एक दो लोगो को थोड़ा हटने को कहा अब वहाँ से चाची को कुछ साफ दिख रहा था पर चाची फूफा से काफ़ी चिपकी हुई थी उनकी चूतर फूफा के हाथ को छू रही थी, क्यूँ की वनहा पर काफ़ी भीड़ थी और सब लोग मंडप मे तिलक देखने के लिए बेताब थे और सबकी नज़र मंडप पर थी.
चाची: “सुक्रिया, मनीष जी.”
फूफा: “अरे इसमे सुक्रिया की क्या बात है, आप कहे तो आप को उठा लू.”
चाची: “माधुरी तो उठती नही, हमे क्या उठाएँगे.”
फूफा: “क्यूँ..आप क्या माधुरी से भी भारी है.”
चाची ने कुछ जवाब नही दिया और मुस्कुराने लगी, फिर फूफा की शरारत सुरू हुई वो धीरे धीरे चाची के पीछे आगाये, पर फूफा लंबे थे इसीलये वो उनका लंड चाची के चूतर के उपर था, चाची तो बेफिकर मॅडप की तरफ देखा रही थी, फूफा अब धीरे धीरे अपने राइट हॅंड से उनकी चूतर को छू रहे, पर उनकी नज़र तो चाची की चूंचियों पर थी.
फूफा लंबे थे इसीलिए वो काफ़ी अच्छी तरह से चाची की चुचियों का मज़ा ले रहे थे. अचानक मेरे पिताजी वहाँ गुज़रे, चाची ने देखा और तुरंत वहाँ से हट गयी और अंदर आ गयी, कुछ देर बाद बाहर आई पर चाची जहाँ खड़ी थी वहाँ पर कोई और खड़ा होगया.
फूफा ने देखा और कहा “प्रिया जी आप कोई टेबल लाकर, उसपर खड़ी हो जाओ, आप को साफ दिखेगा” पर वहाँ पर कोई भी टेबल या चेर नही था फिर फूफा ने कोने से एक लकड़ी का छोटा सा बॉक्स लाकर अपने पास रख दिया और बोले “इस पर खड़ी हो जाओ” चाची ने खड़े होने की कोसिस की पर वो हिलने लगा चाची उतर गयी.
फूफा: “क्या हुआ.”
चाची” “नही मे इस पर से गिर जाउन्गि.”
फूफा: “अरे नही गिरोगि.”
चाची: “नही ये हिल रहा है.”
फूफा : “तुम खड़ी हो जाओ मे तुम्हे पीछे से पकड़ लेता हूँ..”
चाची: “अरे नही मुझे शरम आती है, और कोई देखेगा तो क्या कहेगा.”
फूफा: “ठीक है फिर वही खड़े रहो.”
चाची के पास कोई दूसरा चारा नही था, वो उसे पर खड़ी हो गयी और फूफा ने पीछे से पकड़ लिया, अब चाची की चूतर फूफा के लंड के शीध मे थी. फूफा ने पीछेसे चाची की कमर को पकड़ा हुआ था पर उनकी उंगलिया (फिंगर) चाची के नाभि (नेवेल) को छू रही थी. चाची का ध्यान तो मंडप पर था, मे ये सब खिड़की के पास से देख रहा था.
बाकी लोगो का भी ध्यान मॅडप पर ही था, हम काफ़ी पीछे थे इसीलिए कोई हमे देख नही सकता था. फूफा का लंड काफ़ी तन गया था, पॅंट की उभार साफ दिख रही थी और फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को अपने लंड से दबा रहे थे, अचानक चाची थोड़ी सहम गयी शायद चाची फूफा के लंड को महसूस कर रही थी उन्होने एक दो बार पीछे भी मूड कर देखा पर कुछ बोली नही, पर बोलती भी क्या.
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चाची: “मनीष जी..लड़की वाले तो बड़े कंजूष निकले, समान बहुत कम दिया है.”
फूफा: “अरे लड़की दे रहे है और क्या चाहिए..पर आपके से तो ज़्यादा दहेज दे रहे है.”
चाची: “अरे..वो तो बड़े भैया ने दहेज के लिए हां करदी थी नही तो वो भी नही मिलती, पिताजी तो दहेज के खिलाफ थे और इतनी खूबसूरत लड़की दे रहे थे और क्या चाहिए था.”
फूफा: “बात तो ठीक कह रही है आप…अगर हम संजीव की जगह होते तो, हम दहेज देते आपको..आख़िर आप हो ही इतनी खूबसूरत.”
चाची: “अब हमारी फिरकी मत लीजिए.”
फूफा: “क्यूँ..तुम खूबसूरत नही हो.”
चाची: “हमे क्या पता.”
फूफा: “क्यूँ संजीव ने कभी कहा नहीं.”
चाची: “अरे उनके पास हमारे लिए वक़्त कहाँ, ऑफीस से आए और किताब मे घुसे गये.”
फूफा: “बेवकूफ़ है…”
चाची ने सिफ मुस्कुराते हुए जवाब दिया, इस दौरान बातों बातों मे फूफा ने अपने लेफ्ट हॅंड को थोड़ा उपर कर दिया, और चाची की चुचियों को उंगलियों से छू रहे थे. फूफा ने पूछा “क्यूँ प्रिया जी..अछा लग रहा है ना?” चाची ने कुछ जवाब नही दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इस पर फूफा की हिम्मत और भी बढ़ गयी वो अपने चेहरे को चाची के गर्दन के पास ले आए ऐसा लग रहा था जैसे वो चाची के सरीर की खुसबु ले रहे हो, चाची ये सब महसूस कर रही थी. फूफा ने फिर चाची के कान के पास अपने गाल लगाए और पूछा “प्रिया जी सब दिख रहा है ना?”
चाची ने सर को हिलाते हुए हां बोला. फूफा का चेहर एक दम लाल होगया था अब उनसे भी कंट्रोल नही हो रहा था अगर अकेले होते तो आज चाची चुद गयी होती पर क्या करते इतने सारे लोग थे इसे ज़्यादा कुछ कर भी नही सकते थे. इस बार फूफा ने कुछ ज़्यादा ही हिम्मत दिखाई.
अपने लेफ्ट हॅंड को उनकी ब्लाउस और राइट हॅंड को साड़ी के अंदर डालने की कोसिस करने लगे पर अब चाची से रहा नही गया, चाची फूफा के हाथ को हटाते हुए नीचे उतर गयी, इस दौरान चाची ने फूफा के तने हुए लंड को रगड़ दिया और उसे महसूस भी किया.
चाची का चेहरा लाल हो गया और पसीना भी आ रहा था शायद वो फूफा के लंड की रगड़ से गरम हो गयी थी, वो बेड पर आ कर बैठ गयी और जग से पानी निकाल कर पीने लगी, फूफा दूर पर ही खड़े थे जब उन्होने चाची को पानी पीते देखा तो बोले “अरे प्रिया जी हमे भी पीला दीजिए, हम भी बहुत प्यासे है” चाची इतनी भी भोली नही थी कि फूफा की डबल मीनिंग वाली बात ना समझ सके, चाची ने मज़ाक मे कहा “इतनी भी गर्मी नही है कि आपको प्यास लग जाए.”
फूफा: “अरे इतनी देर से आपको पकड़ के रखा था, थ्कुगा नही?”
चाची: “इतनी जल्दी थक गये, आप तो हमे उठाने वाले थे, इतने मे ही हवा निकल गयी.
फूफा: “अगर ताक़त आज़माना है तो आजओ..हम पीछे नही हटेंगे.”
चाची: “ठीक है फिर कभी देख लेंगे आपकी हिम्मत.”
ये कहते हुए चाची ने फूफा को पानी ग्लास दिया फूफा ने पानी पिया और फिर डोर के पास खड़े हो गये. अभी तिलक की रसम ख़तम नही हुई थी, चाची बड़ी हिम्मत कर के फूफा के पास खड़ी हो गई पर उस लकड़ी के बॅक्स पे चढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी.
फूफा ने पूछा “क्यूँ तिलक नही देखना” चाची ने कहा “रहने दीजिए आप थक जाएँगे”, इस बार फूफा ने बड़ी शरारती मुस्कान देते हुए चाची को देखा, चाची शरम कर नीचे देखने लगी शायद चाची को भी ये सब अछा लग रहा था पर डर भी था कि कोई अगर देख लेगा तो बदनामी हो जाएगी. तिलक की रसम तो ख़तम होगयि पर फूफा बेचारे प्यासे रह गये.
शादी के पहले हल्दी की रसम थी, घर मे तो जैसे होली का महॉल हो गया था, जो भी इन्द्रकेश चाचा को हल्दी लगाने जाता उसे हल्दिसे पीला कर्दिया जाता. मा और गाओं की कुछ औरते फूफा को हल्दी लगाने के लिए उनके पीछे भागी फूफा इन्द्रकेश चाचा के कमरे मे घुसे गये.
पर वहाँ भी बचने वाले नही थे क्यूँ कि वान्हा पहले से चाची और कुछ औरते हल्दी लिए खड़ी थी, सब ने मिल कर फूफा को जम कर हल्दी लगाई. जब मा और बाकी औरते कमरे से से निकलने लगी फूफा ने थोड़ी हल्दी ली और चाची को पीछेसे पकड़ कर गाल और पीठ (बॅक) पर हल्दी लगाने लगे.
चाची जैसे ही पीछे घूमी फूफा ने कमर मे हाथ डाल कर पकड़ लिया और अपने गाल पर लगी हल्दी को उनके गालों पर मलने लगे इस दौरान चाची की चुचियाँ बुरी तरह से फूफा के शीने से दबी हुई थी, चाची ने जैसे तैसे अपने को उनसे अलग किया और एक कोने मे खड़ी होगयि “हाए राम…कोई इस तरह पकड़ता है, कोई देख लेता तो?”
फूफा: “तो क्या..कह देते हल्दी लगा रहे थे.”
चाची: “हमे नही लगवानी आपसे हल्दी…हमारी तो जान ही निकल दी आपने.”
फूफा: “तुम्हारा इतने मे ही दम निकल गया…अगर थोड़ी देर और पकड़ के रखता तो?”
चाची: “हम तो बेहोश ही हो जाते.”
फूफा: “अरे पकड़ने से भी कोई बेहोश होता है, उसके लिए तो हमे और भी कुछ करना पड़ता.”
चाची: “छी कितनी गंदी बाते करते है आप..बड़े बेशरम हो.”
इतना बोलते हुए चाची भी कमरे बाहर निकल आई पर नज़र फूफा पर ही थी फूफा भी मुस्कुराते हुए चाची को ही देख रहे थे, मे समझ नही पा रहा था कि चाची को ये सब अच्छा लग है या चाची बड़ी भोली है. थी. हल्दी से फूफा का चेहरा पहचान मे नही आ रहा था.
हम सब बच्चे वान्हा मज़े कर रहे थे और बाकी लोगो को हल्दी लगाने मे हेल्प कर रहे थे बड़ा मज़ा आ रहा था, धीरे धीरे शाम होने आई और सब लोग शांत होने लगे और अपना अपना चेहरा धोने लगे, फूफा नल के पास खड़े थे और साबुन (सोप) माँग रहे थे, तभी मैने चाची से कहा फूफा साबुन माँग रहे है, चाची साबुन ले कर नल के पास पहुँची फूफा को देख कर हस्ने लगी.
चाची: “दूल्हे से ज़्यादा हल्दी तो आप को ही लगी है मनीष जी.”
फूफा: “लगाने वाली भी तो तुम ही हो.”
चाची: “तो क्या माधुरी से लगवाना था.”
फूफा: “माधुरी एक बार लगा भी देती तो क्या फरक पड़ता, हम तो माधुरी को रोज लगाते है.”
चाची: “हाए..मनीष जी ये क्या कह रहे है आप.”
फूफा: “अरे मे तो हल्दी की बात कर रहा हूँ तुमने क्या समझ लिया.”
चाची: “जी..कुछ नही..अप बड़े वो है.”
और चाची वान्हा से शर्मा के भागने लगी, फूफा ने चाची का हाथ पकड़ लिया रोका और कहा “अरे जा कहाँ रही हो, ज़रा इस हल्दी को तो साफ करने मे मदद कर दो, थोड़ा पानी दो ताकि मे अपना चेहरा धोलु” चाची नल से एक लोटे मे पानी लेकर उन्हे हाथ पर पानी डाल रही थी और फूफा चेहरा धो रहे थे.
पानी डालते समय चाची नीचे झुकी हुई थी और उनका पल्लू नीचे हो गया था जिसे उनकी गोरी गोरी चूंची (बूब्स क्लीवेज) दिख रही थी, झुकने कारण बूब्स और भी बड़े दिख रहे थे, फूफा भी झुक कर अपना चेहरा धो रहे थे और उनकी नज़र बार बार चाची के चूंची पर जा रही था.
फिर चाची को एहसास हुआ कि उनकी चूंची ब्लाउस से बार आ रही है तो उन्होने तुरंत पल्लू से ढक लिया, इस दरमियाँ फूफा और चाची की नज़र एक दूसरे मिल गयी फूफा मुस्कुरा रहे थे, चाची तो शरम से पानी पानी हो रही और चाची ने एक टवल फूफा को दिया.
पर फूफा ने जान बूझ कर टवल लेते समय गिरा दिया चाची फाटसे लेने के लिए नीचे झुकी और उनकी चूंचिया का दर्शन फिर से फूफा को हुआ. चाची शरमाते हुए बोली “मनीष जी आप भी ना. बहुत परेशन करते है” फूफा बोले “ठीक है अगली बार परेशन करने से पहले पूछ लूँगा… कि आप को करूँ या नही?”
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फूफा डबल मीनिंग मे बात कर रहे थे, जो चाची सब समझ रही थी.
चाची: “हमे परेशान करने के लिए पहले से कोई है.”
फूफा: “कॉन है..जो आपको परेशान करता हमे बताओ उसकी खबर लेते है.”
चाची: “आए बड़े खबर लेने वाले, साल मे एक बार तो चेहरा दिखाते है, आप देल्ही अपने भाई के ससुराल आए थे, हफ्ते भर वान्हा रहे पर एक बार भी हमारे घर नही आए.”
फूफा: “अरे वो..मे घूमने नही आया था छोटे भाई के ससुर हॉस्पितल मे अड्मिट थे इस लिए उन्हे देखने गया था.”
चाची: “तो क्या एक दिन भी आपको समय नही मिला.”
फूफा: “अरे नाराज़ क्यूँ होती हो, इस बार आउन्गा मे और हफ्ते भर रहूँगा देखता हू कितनी खातिरदारी होती है.”
चाची: “वो तो आने पर हो पता चलेगा.”
तभी मा ने उपर से आवाज़ दी, चाची फिर उपर सीढ़ियों से जाने लगी फूफा वन्हि खड़े उनके मोटे चूतर और कमर को हिलता हुआ देख रहे थे, मे वन्हि खड़ा ये सब देख रहा था.फिर फूफा दालान मे चले गये. इस के बाद भी कई बार फूफा को चाची से मज़ाक करते देखा पर मुझे ये सब नॉर्मल लगा.
तभी मा ने उपर से आवाज़ दी, चाची फिर उपर सीढ़ियों से जाने लगी फूफा वन्हि खड़े उनके मोटे चूतर और कमर को हिलता हुआ देख रहे थे, मे वन्हि खड़ा ये सब देख रहा था.फिर फूफा दालान मे चले गये. इस के बाद भी कई बार फूफा को चाची से मज़ाक करते देखा पर मुझे ये सब नॉर्मल लगा.
पर एक दिन मे उनका ये मज़ाक समझ नही पाया, मे बुआ के कमरे था फूफा भी टेबल पर बैठ कर कुछ लिख रहे थे, मे उनसे काफ़ी दूरी पर था और खिड़की से नीचे दालान की तरफ देख रहा था, तभी चाची वान्हा आई शायद उन्हे कुछ लेना था, अंदर आते ही उनकी नज़र फूफा पर पड़ी उन्होने एक शरारती मुस्कान देते हुए फूफा के पास से गुज़री फूफा भी मुस्कुराते हुए देख रहे थे.
चाची नीचे झुक कर एक बोरे से चने की दाल निकाल रही थी, झुकने से उनके चूतर काफ़ी कामुक लग रहे थे और चूतर की दरार (आस क्रॅक) दिख रही थी. फूफा की तो नज़र ही नही हट रही थी उनके चूतर से, चाचीने भी एक दो बार घूम कर फूफा को देखा, फूफा ने पूछा “क्या निकाल रही हो?”
चाची: “दाल..”
फूफा:”क्या दाल?”
चाची” “अरे.. चने की दाल.”
फूफा: “अछा दाल..मे तो कुछ और ही समझ रहा था.”
चाची: “आप तो हमेशा, कुछ और ही समझ लेते है” इतना बोलते हुए वहाँ से गुज़री तब तक फूफा ने उनकी कमर पर चींटी ले लेली और उनका हाथ पकड़ लिया.
चाची: “हाए मनीष जी..आप तो बड़े बेशरम हो..”
फूफा: “बेशरम बोलही दिया है तो बेशरम भी बन जाते है.”
चाची: “मनीष जी.. मेरा हाथ छोड़िएना, कोई देख लेगा तो क्या कहेगा.”
फूफा: “किसी की मज़ाल जो हमे कुछ कहदे.”
चाची: “छोड़िएना….”
फूफा: “एक शर्त पर..मैने बहुत दिनो से मालिश नही करवाया है, तुम्हे मेरी मालिश करनी होगी…और वैसे भी हमारी बीवी के पास वक़्त नही है.”
चाची: “तो क्या आपने हमे बेकार समझ रखा है.”
फूफा: “अरे नही आप तो बड़े काम की चीज़ है..पर प्लीज़ ज़रा मेरी मालिश कर दो.”
चाची: “अभी?..यहाँ?…नही नही रात को कर दूँगी.”
फूफा: “अरे आपको को रात को कहाँ फ़ुर्सत मिलेगी…संजीव छोड़ेगा ही नहीं.”
चाची: “अरे ऐसी कोई बात नही..वैसे भी आज कल वो शादी के काम मे बहुत बिज़ी है.”
फूफा: “अछा तो साले को टाइम नही है.. इतना बड़ा काम छोड़ कर बेकार के काम करता है.”
चाची: “मनीष जी छोड़ दीजिए ना..देर हो रही है दीदी इंतज़ार कर रही होगी..मैने आपकी रात को ज़रूर मालिश कर दूँगी.”
फूफा: “ठीक है छोड़ देता हूँ…पर रात को हम आपको इंतज़ार करेंगे.”
चाची: “जी ज़रूर आउन्गि.”
ये बोल कर चाची वहाँ से चली गयी पर मे सोच रहा था, चाचीने कभी चाचा की मालिश नही की और फूफा की मालिश के लिए हां बोल दिया, पता नही मेरे अंदर एक अजीब सी कुलबुलाहट हो रही मैने सोचा क्यूँ न आज फूफा पे नज़र रखी जाए. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
गाओं मे लोग रात को जल्दी ही सो जाते है, रात के 8 बजे होंगे सब लोगोने खाना खा लिया था और सोने की तैयारी कर रहे थे. मैने देखा फूफा छत पर सोने जा रहे थे, छत पर सिर्फ़ छोटे बच्चे ही सोते थे, औरते घर मे और ज़्यादा तर मर्द लोग दालान मे ही सोते थे.
फूफा ने टेरेस के एक कोने की तरफ अपना बिस्तर लगा दिया था, पर उन्हे नीद नही आ रही थी उन्होने अपने जेब से सिगरेट का पॅकेट निकाला और पीने लगे, मे और चाची का बड़ा बेटा प्रीतम उनके पास के बिस्तर पर ही सो रहे थे, फिर फूफा ने अपनी कमीज़ और पॅंट निकाली और लूँगी पहन ली.
तकरीबन 1घंटे के बाद मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी मैने तुरंत अपनी आँखे बंद करली और महसूस किया कि कोई हमारे पास खड़ा है, टेरेस पर लाइट नही थी पूरा अंधेरा था मैने धीरे से अपनी आँख खोली देखा चाची हमारे उपर चादर डाल रही थी.
फिर चाची हमारे पास बैठ गयी और देखने लगी की हम सोए है की नही फिर कुछ देर मे वो उठी और फूफा के बिस्तर पास जा रही थी, चाची के हाथ मे एक तैल की शीशी थी, चाची फूफा के बिस्तर पर बैठ गयी और उन्हे जगाया.
फूफा: “अरे तुम आ गई..”
चाची: “हमे बुला कर खुद घोड़े बेच कर सो रहे हैं.”
फूफा: “अरे नही मे तो आप का इंतज़ार कर रहा था..मुझे लगा आप नही आएँगी.”
चाची: “कैसे नही आती..पहली बार तो आपने हम से कुछ माँगा है.”
फूफा: “तो फिर सुरू हो जाओ.”
फूफा उल्टा लेट गये और चाचीने शीशी से तेल निकाल कर अपने हाथों पर लिया और फूफा के पीठ (बॅक) पर लगाने लगी, फूफा ने कहा “प्रिया जी आपके हाथ बड़े मुलायम है.”
चाची: “वैसे भी औरतों के हाथ मर्दो को मुलायम ही लगते है.”
फूफा: “पर आप के हाथ की बात ही कुछ निराली है..आपके हाथो मे तो जादू है..संजीव बड़ा नसीब्वाला है.”
चाची: “अब ज़्यादा तारीफ करने की कोई ज़रूरत नहीं.”
फूफा: “ठीक है नही करता..लेकिन क्या रात भर आप मेरे पीठ की ही मालिश करोगी.”
चाची: “तो घूम जाइए ना.”
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फूफा घूम गये और चाची उनके सीने और हाथ पर मालिश करने लगी, फूफा लगातार चाची को घूर रहे थे, चाची उन्हे देख कर शरमा गयी और चेहरा नीचे करके मालिश करने लगी. चाची के प्रिया हाथ फूफा के पूरे सीने पर फिर रहे थे.
फूफा भी थोड़े गरम हो गये थे उनका लंड काफ़ी तन गया था और लुगी भी थोड़ी सरक गयी थी, लंड का उभार शायद चाची ने भी देखा था पर वो चुप चाप फूफा की मालिश कर रही थी, तभी फूफा ने कहा “प्रिया जी ज़रा पैरो की भी मालिश कर दो” चाची बिना कुछ बोले उनके पैरों की मालिश करने लगी.
कुछ देर बाद फूफा बोले “प्रिया जी जर उपर जाँघ (थाइस) की तरफ भी तैल लगा दो” चाची एक दम सहम गयी, थाइस पर कैसे हाथ रखती उनका अंडरवेअर तो तना हुआ था पर चाची हिम्मत कर करके उनके थाइस पर मालिश करने लगी शायद चाची पहली बार की गैर मर्द के थाइस को छू रही.
फूफा का लंड तो कपड़े फाड़ कर बाहर आने को तैयार था. थाइस पर मालिश करते समय चाची हाथ एक दो बार उनके अंडरवेर को छू गया था, जिससे फूफा और भी गरम हो गये थे. शायद चाची भी फूफा के पैर के घने बालो (हेर) का मज़ा ले रही थी, कुछ देर बाद फूफा ने चाची के थाइस पर हाथ रख कर कहा “प्रिया जी ज़रा ज़ोर्से दबाइएना बड़ा अछा लग रहा है.”
चाची फूफा के हाथ को अपनी थाइस पर महसूस कर थी, चाची भी शायद कुछ हद तक गरम हो रही थी शायद शादी के दौरान उनका संभोग (सेक्स) चाचा से नही हुआ हो. फूफा फिर अपना हाथ उनके थाइस से हटा कर चाची की कमर पर प्यार से फिराने लगे, चाची बोली “गुदगुदी हो रही है.”
फूफा: “आप तो अपने नाम से भी ज़्यादा नाजुक है.”
चाची: “नाजुक तो हूँ, देखिए दोपहर मे जो आपने चींटी ली थी उसका निशान अभी भी है.”
फूफा: “कहाँ..बताइए?”
चाची अपनी साड़ी को हटा कर कमर दिखाने लगी, फूफा को मौका ही चाहिए था, वो हाथ से उनकी कमर को सहलाने लगे और हाथ को थोडा पीछे करके साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया, हाथ पूरी तरह अंदर नही गया था, पर वो चाची के चूतर को ज़रूर छू रहे थे.
चाची: “हाई राम.. ये क्या कर रहे है आप?”
फूफा: “देख रहा हूँ..हाथ की तरह आपके बाकी बदन भी काफ़ी नाजुक है.”
चाची: “हाथ निकालिए ना..कोई देख लेगा.”
फूफा: “अरे इतनी रात को कॉन उपर आने वाला है.”
चाची: “बच्चे देख लेंगे.”
फूफा: “अरे वो तो गहरी नींद मे सो रहे है.”
चाची: “नही प्लीज़ हाथ निकालिए..मुझे शरम आ रही है.”
फूफा: “रात मे भी आपको शरम आ रही है.”
चाची: “क्यूँ.. रात को क्या लोग बेशरम हो जाते है.”
फूफा: “क्यूँ तुम संजीव के सामने भी इतना शरमाती हो.”
चाची: “उनकी बात और है.”
फूफा: “मे भी तो तुम्हारा नंदोई हूँ, मुझसे कैसी शरम.”
चाची: “हाथ निकालिए ना.. मुझे बड़ा अजीब लग रहा है.”
फूफा: “अजीब..क्या अजीब लग रहा है.”
और ये बोलते हुए फूफा ने अपना हाथ और अंदर कर दिया अब वो चाची की चूतर को अछी तरह छू रहे थे. चाची ने फूफा का हाथ पकड़ा हुआ था और चेहरा नीचे झुकाए हुए थी, फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को दबा रहे थे और उनकी आँखों मे देखने की कोशिस कर रहे थे.
चाची: “मुझे नही पता, अप हाथ निकालिए..तिलक के दिन भी आपने बहुत बदमाशी की थी.”
फूफा: “तिलक के दिन?..मुझे तो कुछ याद नही की मैने कुछ बदमाशी की थी आपके साथ..आप ही बता दीजिए क्या किया था मैने.”
चाची: “उस दिन आपने!!…….मुझे नही कहना.”
फूफा: “आरे तुम बताओगि नही तो पता कैसे चलेगा की मैने क्या बदमाशी की थी.”
चाची: “आप सब जानते है पर मेरे मूह से ही सुनना चाहते.”
फूफा: “सच मे मुझे कुछ याद नही..तुम ही बताओ ना?
चाची: “उस दिन आपने….नही मुझे शरम आ रही है.”
फूफा: “तो मैं कैसे मान लू कि मैने कुछ किया था.”
चाची: “आप उस दिन मेरे पीछे चिपक के क्यूँ खड़े थे?”
फूफा: “एक तो हमने आपकी मदद की और आप है की मुझे बदनाम किए जा रही हैं.”
चाची: “वो तो ठीक है पर मदद करने के बहाने आप कुछ और ही कर रहे थे.”
फूफा: “फिर वही बात..तुम कुछ बताओगि नही तो मुझे कैसे पता चलेगा की मैने क्या किया था.”
चाची: “उस दिन आप ने मेरी कमर क्यूँ पकड़ी थी.”
फूफा: “अरे तुमने ही तो कहा था कि तुम ठीक से खड़ी नही हो पा रही हो, इसीलये मैने तुम्हारी कमर पकड़ी थी.”
चाची: “लेकिन आप पीछे से मुझे….”
फूफा: “क्या पीछे से?”
चाची: “ठीक आपको तो शरम नही..मुझे ही बेशरम बनना पड़ेगा…अप उस दिन पीछे से मुझे अपने उस से रगड़ रहे थे.”
फूफा: “किस से?”
चाची: “अपने लंड से और किस से.”
फूफा: “इतनी सी बात बोलने के लिए इतना वक़्त लगाया.”
चाची: “आपके लिए इतनी सी बात होगी…पता है मे कितना डर गयी थी, अगर उस दिन कोई देख लेता तो?”
फूफा: “अरे उस भीड़ मे कॉन देखता.”
चाची: “फिर भी..पता है राज वही खड़ा था.”
फूफा: “अच्छा एक बात बताओ क्या तुम्हे वो सब ज़रा भी अच्छा नही लगा?”
चाची: “नही..मुझे अच्छा नही लगा..ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ है.”
फूफा: “शायद पहली बार था इसीलये तुम्हे अच्छा नही लगा वरना औरते तो ऐसे मौके की तलाश मे रहती है.”
चाची: “अच्छा अब तो हाथ निकालिए.”
फूफा: “प्रिया जी तुम्हारी चूतर बड़ी प्यारी है.”
चाची: “छी कैसी गंदी बाते कर रहे है आप.”
फूफा: “गंदी बात..तो तुम्ही बता दो इसे क्या कहते है.”
चाची: “मुझे नही पता.”
फूफा “फिर तो मे हाथ नही निकालने वाला.”
चाची: “मनीष कोई आ जाएगा.”
फूफा: “अरे क्यूँ घबराती हो कोई नही आएगा.”
चाची: “नही मुझे डर लग रहा है.. बच्चे देख लेंगे.”
फूफा: “एक शरत पर तुम्हे मेरे थाइस पर मालिश करनी होगी.”
चाची: “ठीक है कर देती हूँ.”
फूफा ने फिर लुगी के अंदर हाथ डाल कर अपना अंडरवेयर निकाल दिया, चाची की तो आँखे बड़ी हो गई, उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था वो तुरंत बोली “अरे ये क्या कर रहे है आप.”
फूफा: “कुछ नही..इसे निकालने से थोड़ा आराम हो जाएगा.”
चाची: “तो मे मालिश कैसे करूँगी?”
फूफा: “क्यूँ तुम मेरे अंडरवेयर की मालिश करने वाली हो.”
चाची: “पर…!!!”
फूफा: “कुछ नही तुम मालिश सुरू करो.”
चाची तो बुरी तरह से फँस गयी थी पर करती भी क्या और फिर चुप चाप जाँघो की मालिश करने लगी पर नज़र तो उनके खड़े लंड पर थी शायद चाची को भी इतने मोटे लंड को देखने मे मज़ा आ रहा था. मे समझ गया था आज कुछ ना कुछ तो होने वाला है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फूफा ने अपने पैरो को फैलाया जिस से उनकी लूँगी पैरो से हट कर नीचे आ गयी और खड़ा लंड साफ दिखने लगा. चाची ने अपना मूह घुमा लिया पर फूफा कहाँ रुकने वाले थे चाची की जाँघो पर हाथ फिराने लगे. चाची भी अब अपने रंग मे आ गयी थी वो बेझिझक फूफा के लंड को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी.
फूफा: “क्या हुआ?.. हंस क्यूँ रही हो.”
चाची: “हंसु नही तो क्या करूँ…बेशार्मो की तरह नंगे लेटे हैं.”
फूफा: “तो तुम भी लेट जाओ ना!!”
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इतना कहते ही फूफा ने चाची के हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और चाची उनके सीने पर गिर गयी और फूफा ने उन्हे अपनी बाँहों मे जाकड़ लिया. चाची को तो जैसे साँप सूंघ गया था, वो तो आराम से फूफा के सीने पर लेटी हुई थी और फूफा चाची के चूतर दबा रहे थे और उनको किस करने की कोशिस कर रहे थे.
चाची अपना सर यहाँ वहाँ घुमा रही थी पर फूफा ने चाची को और नज़दीक किया, अब तो चाची ने भी अपने हथियार डाल दिए और फूफा बड़े मज़े से उनके लिप्स को किस करने लगे और धीरे धीरे साड़ी को उपर करने लगे और फिर काफ़ी उपर कर दिया और अपने दोनो हाथों से चूतर को दबाने लगे.
चाची ने अंदर पॅंटी नही पहनी थी उनके गोरे गोरे चूतर मुझे भी साफ दिख रहे थे. चाची भी बड़े मज़े से अपने चूतर दबवा रही थी और फिर फूफा ने चाची को अपने उपर लिटा दिया अब चाची भी बिना बोले फूफा का हर हूकम मान रही थी.
फूफा चाची की ब्लाउस को खोलने लगे पर चाची ने उनका हाथ पकड़ लिया और बोली “थोड़ा सबर करो..मे ज़रा देख कर आती हूँ सब सो गये है या नही”. फिर उठी और सीढ़ियो (स्टेर केस) के पास गयी और नीचे देखने लगी फिर वहाँसे वो हुमारे बिस्तर पर आई, मुझे और विकी को सोता देख कर वो वापस फूफा के बिस्तर पर पास गयी और उनके लेफ्ट साइड मे लेट गयी.
फिर क्या था फूफा ने अपना काम सुरू किया और ब्लाउज खोलने लगे पर चाची ने ब्लाउज खोला नही बस उपर उठा लिया जिसे उनकी मोटी और बड़ी बड़ी चुचियाँ बाहर आ गयी, चाची ने ब्रा भी नही पहनी हुई थी उन्होने अपनी लेफ्ट चूंची को फूफा के मूह मे दे दिया, फूफा तो छोटे बच्चे की तरफ उस चूसने लगे.
चाची ने अपने राइट हॅंड से फूफा के लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी. फूफा ने चुचियों को चूस्ते हुए अपना लेफ्ट हॅंड से साड़ी को कमर के उपर कर दिया और सीधा चूत पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगे इस दौरान फूफा ने अपनी एक उंगली चूत के अंदर डाल दी. चाची के मूह से सिसकारियाँ निकालने लगी.
फूफा बोले “प्रिया तुम्हारी चूत तो इतने मे ही गीली हो गयी है.”
चाची: “हां..काफ़ी दिनो से चुदी नही है ना इसीलिए…और आपने तो मुझे उस दिन भी गीला कर दिया था…उूउउ आआ धीरे.”
फूफा: “लेकिन उस दिन तो तुम्हे ये सब अच्छा नही लगा था.”
चाची: “नही मुझे बहुत अच्छा लगा …अगर कोई नही होता तो वही तुमसे चुदवा लेती.”
फूफा: “मेरा लंड भी उस दिन से तुम्हारी चूतर का दीवाना हो गया है.”
चाची: “आपका भी तो काफ़ी मोटा है.”
फूफा: “क्यूँ संजीव का कितना बड़ा है?”
चाची: “लंबा तो इतना ही है पर इतना मोटा नही है…ये तो बहुत मोटा है मेरी तो जान ही निकाल दोगे तुम..बहुत दर्द होगा.”
फूफा: “प्रिया डरो मत एक बार अंदर जाएगा तो सब दर्द निकल जाएगा.”
चाची: “जल्दी चोदो ना…मुझे नीचे भी जाना है, वरना दीदी उपर आ जाएगी मुझे ढूँढते हुए.”
चाची की बात सुनते ही फूफा ने चाची को लिटा दिया और उनके पैर को फैला दिया और अपने लंड को चाची की चूत पर रगड़ने लगे, चाची तो पागल हो गयी थी, कस कर बिस्तर को पकड़ लिया, फूफा तो बड़े मज़े से चाची की चूत को अपने लंड से मार रहे थे.
चाची बोली “उउउम्म्म्म उूउउंम्म मनीष अब तरसाओ मत जल्दी अंदर डाल दो…कई दिनो से चुदी नही है, डालो ना अंडाअरररर”. जैसे ही फूफा ने लंड को अंदर डालना चाहा चाची उछल कर एक तरफ घूम गयी “आआअहह उूउउफफफ्फ़ मनीष रूको बहुत दर्द हो रहा है…मे अभी इसे नही ले सकती.”
फूफा बोले “प्रिया मे थोड़ा तैल लगा लेता हूँ जिससे आसानी से तुम्हारी चूत मे घुस जाएगा” और फिर थोडा टेल (आयिल) लिया और अपने लंड और चाची की चूत पर लगाया और चूत के उपर रखा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा.
पूरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया पर चाची इस बार दर्द सहन कर गयी, क्यूँ तैल के कारण लंड एक दम चिकना हो गया था और अंदर भी जा चुका था, फूफा धीरे उनके उपर लेट गये और चुचि को चूस्ते हुए एक जोरदार दखा मारा “उूउउइइ माआ मनीष…धीरे धीरे चोदो, आवाज़ नीचे तक चले जाएगी..ऊऊहह एयाया”.
फिर फूफा ने भी अपना स्पीड थोड़ा स्लो किया पर पुच पच की आवाज़ मेरे कानो मे सीधी आ रही थी मेरा लंड पहली बार खड़ा हुआ था ये सब देख कर मुझे तो पसीने आने लगे. चाची अब बड़े मज़े से चुदवा रही थी और फूफा के हर धक्के का जवाब दे रही थी.
और फूफा के चूतर को पकड़ कर अंदर की तरफ दबा रही थी और एक अजीब सी सिसकारी चाची के मूह से निकल रही थी, फूफा ने भी अपनी स्पीड तेज़ करदी थी और चाची की चूंची को बेदर्दी से दबा रहे थे. चाची के मूह “आआअहह उूुउउ” की आवाज़ निकल रही थी.
फूफा के हर धक्के पर चाची का पूरा जिस्म हिल जाता, अब चाची फूफा को और ज़ोर्से चोदने के लिए कह रही थी, इतने मे चाची ने फूफा को अपने पैरों और हाथो से जाकड़ लिया और उनके मुहसे “आआआआआआआआआअ” की एक तेज आवाज़ निकली और शांत पडने लगी.
चाची अब फूफा को किस करने लगी शायद चाची अब झाड़ चुकी थी, पर फूफा तो बड़े जोश मे लंड अंदर बाहर करे जा रहे थे तभी उन्होने पूछा “प्रिया मुझसे फिर कब चुदवा-ओगि” चाची बोली “अब तो आपसे ही चुदवाउंगी बड़ा मोटा लंड है आप का मज़ा आ गया…वादा कीजिए जब तक आप यहाँ है मुझे ऐसे ही चोदा करेंगे,… मे अब रोज रात को सोने से पहले एक बार आपसे ज़रूर चुदवाउंगी”
फूफा शायद अब पूरे जोश मे थे और तेज़ी से चोदने लगे, फिर 5, 6 धक्कों मे वो भी झड़ गये और चाची पर लेट गये, चाची उनके पीठ (बॅक) को कस कर जकड लिया और उनसे चिपक गयी, खुच देर बाद उन्होने फूफा को अपने से अलग किया और कपड़े ठीक करने लगी.
तभी फूफा ने चाची को अपनी तरफ खींचा और किस कर लिया चाची शरमाते हुए उठी और सीधा नीचे चली गई. मेरी भी हालत कुछ अच्छी नही थी मे अभी भी अपने छोटेसे लंड को तना हुआ महसूस कर रहा था शायद यही मेरा सेक्स का पहल अनुभव था जिसे मैने अपनी आँखों के सामने देखा था, अब मुझे भी ये सब देखना अच्छा लगने लगा था.
दूसरे दिन मे जब सुबह 7 बजे उठा तो देखा फूफा बिस्तर पर नही थे प्रीतम अभी भी मेरे ही सोया था, मे उठा और अपने कमरे मे जा कर टूतपेस्ट और ब्रश लिया और छत की सीढ़ियों पर बैठ गया था भी देखा चाची चाइ (टी) लेकर फूफा के कमरे मे जा रही है, मे भी सीधे नीचे उतरा और खिड़की के पास जा कर खड़ा होगया अंदर से फूफा और चाची की आवाज़ आ रही थी.
चाची: “क्या बात आज तो बड़े फ्रेश लग रहे है.”
फूफा: “हां…कल रात पहली बार इतनी अच्छी नींद आई.”
चाची: “हमारी तो नींद ही उड़ा दी आपने.”
फूफा: “क्यूँ क्या हुआ?”
चाची: “कल रात भर मे ठीक से नींद नही आई..पूरे बदन मे दर्द सा है.”
फूफा:” क्यूँ कल रात तुम्हे मज़ा नही आया क्या?”
चाची:” हाए राम…कितना मोटा है आपका अभी तक दर्द हो रहा है…लग रहा है अभी भी अंदर है.”
फूफा: “रात को तो बड़े मज़े से ले रही थी…अब कह रही हो दर्द हो रहा है.”
चाची: “मना कर देती तो अच्छा होता.. ये दर्द तो नही होता.”
फूफा: “बड़ी नाज़ुक हो..एक ही बार मे डर गयी…अब तो रोज करना है.”
चाची: “ना बाबा…अभी 2, 3 दिन नहीं.”
फूफा: “2, 3 दिन!!….अरे मेरा तो अभी भी खड़ा है तुम्हारी चूंची और चूतर देख कर..क्यूँ ना हम अभी !!”
चाची: “आआहह मनीष क्या कर रहे है आप, दरवाज़ा खुला है माधुरी आ जाएगी, आआअहह मत दबाओ दर्द हो रहा है.”
फूफा: “उपरवाले ने बड़े फुरशत मे बनाया है आपको.”
चाची: “छोड़िए ना कोई आ जाएगा.”
फूफा: “अरे 2 मिनट. मे हो जाएगा…साड़ी उपर करो ना!!”
चाची: “मनीष अभी नही, दोपहर मे कर लेना उूउउइ ऊओ नहीं.”
फूफा: “अरे दोपहर मे भी कर लेंगे..अभी तो लंड खड़ा होगया है, तुम्हारी चूत लिए बिना मानेगा नही, तुम घूम के टेबल के सहारे झुक जाओ”
चाची: “ऊफ़्फूओ नहीं.”
फूफा: “अरे घुमो ना…जल्दी से कर लूँगा.”
चाची: “आप तो दीवाने हो गये हो..मुझे बदनाम कर के ही छोड़ेंगे.”
फूफा: “जल्दी उठाओ ना!!”
चाची: “नही छोड़िए मे जा रही हूँ..”
फूफा: “अरे सुनो ना जल्दी कर लूँगा.”
चाची: “नही दोपहर मे कर लेना.”
फूफा: “अरे रूको !!”
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चाची की आने की आहट सुन कर मैं छत (टेरेस) की सीढ़ियों (स्टेर केस) के पीछे चुप गया, चाची कपड़े ठीक करते हुए नीचे चली गयी. मैने उनकी पूरी बाते सुनली थी और सोच रहा था कि आज फिर दोपहर मे चाची की चुदाई होगी पर कहाँ होगी ये तो पता नही था, क्यूँ ना आज फिर चाची पर नज़र रखी जाए.
मैं फ्रेश हुआ और ब्रेकफ़स्ट के लिए किचन मे गया देखा मा और बुआ किचन मे खाना बना रहे थे मुझे देख कर बुआ ने पूछा “राज आज तो बड़ी जल्दी उठ गया नाश्ता किया?” मैने सर हिलाते हुए ना कहा बुआ बोली “जा फूफा को भी बुला लेआ, दो साथ मे ही नाश्ता कर्लो.”
मैं उन्हे बुलाने उपर की तरफ जाने लगा तभी देखा सोमू चुप चाप बाथरूम के पास खड़ा है मैने सोचा वो भी नाश्ते के लिए आया होगा पर वो अजीब सी हरकत कर रहा था बार बार बाथरूम की तरफ देखता और फिर तुरंत पीछे देखने लगता. मुझे देख कर वो थोड़ा घबराया और वही चुप चाप खड़ा हो गया पर मैं बिना रुके उपर चला गया और फूफा को नाश्ते के लिए नीचे आने के लिए कहा.
फिर मैं दबे पैर बिना आवाज़ किए नीचे आया और छुप कर सोमू को देखने लगा वो बाथरूम की दरार से अंदर की तरफ देख रहा था मैं सोच मे पड़ गया कि ये क्या देख रहा है वैसे भी सुबह का समय था शायद उस भी नहाना हो पर वो तो डेली दालान मे हॅंडपंप पर नहाता है मे वहाँ से निकला और किचन की तरफ जाने लगा सोमू ने मुझे देखा और फिर वहाँ से चला गया.
कुछ देर बाद मैने देखा चाची बाथरूम से बाहर निकल रही है, उन्होने सिर्फ़ वाइट कलौर की ब्लाउज और पेटिकोट ही पहने हुई थी और उनके हाथ मे टवल था, मुझे देखते ही पूछी “राज..विकी उठ गया?” मैने कहा “वो अभी तक सो रहा है” ये कहती हुई इन्द्रकेश चाचा के कमरे मे चली गयी और फिर साड़ी पहन कर निकली और उपर छत (टेरेस) की तरफ चली गयी.
मैं किचन मे गया और कुछ देर बाद फूफा, संजीव और इन्द्रकेश चाचा भी आ गये थे हम सब बैठ कर नाश्ता करने लगे तभी चाची किचन मे आई और चाइ पीने लगी, फूफा तिरछी नज़र से चाची को देख रहे थे चाची भी देख रही थी दोनो मुस्कुरा रहे थे.
मैं और संजीव चाचा हाथ ढोने के लिए बाहर आए तभी मैने देखा फूफा कुछ चाची को इशारा कर रहे है पर चाची कुछ समझ नही पा रही थी फिर फूफा भी बाहर आए, चाचा और फूफा कुछ बाते कर रहे थे. तभी चाची वहाँ आई और चाचा से कहने लगी “आप शाम मे कब तक आज़ाओगे?”
संजीव चाचा: “कुछ ठीक नही है..रात हो जाएगी, क्यूँ कुछ काम था.”
चाची: “नही…कुछ बाज़ार से समान मंगाना था.”
संजीव चाचा: “तो ठीक है देदो मे आते वक़्त ले आउन्गा.”
चाची: “रहने दीजिए मे किसी और से मॅंगा लूँगी.”
फूफा: “क्या लाना है मुझे बता दीजिए मे ले आता हूँ.”
संजीव चाचा: “हाँ…मनीष जी भी बाज़ार जाने वाले है, इन्हे देदो ये ले आएँगे.”
फिर संजीव चाचा और फूफा दालान मे चले गये, मैं समझ गया आज दोपहर मे चाचा नही है, फिर तो फूफा आज ज़रूर मज़े करेंगे. उनके जाते ही सोमू आया और चाची को नाश्ते के लिए बोला.
चाची:” सोमू नाश्ता करके ज़रा ये चावल की बोरी छत पर पहुँचा दे!”
सोमू:” जी मालकिन.”
चाची: “और हां…अभी तू कहीं जाना मत थोड़ा छत पर काम है, कपड़े सुखाने है और थोड़ा कमरे की सफाई करनी है.”
सोमू: “ठीक है मालकिन मे कर दूँगा.”
इतना बोलते हुए चाची नाश्ता लाने अंदर चली गयी, सोमू वही आँगन मे बैठ गया जब चाची नाश्ता देने के लिए झुकी उनकी चूंचिया नीचे लटक गयी ये देख कर सोमू की आँखे बड़ी हो गयी. नाश्ता करने के बाद सोमू ने चाची को आवाज़ दी “छोटी मालकिन ये बोरी कहाँ रख ना है?”
चाची: “माधुरी के कमरे मे रखना”. सोमू ने बोरी उठाई और उपर ले गया चाची भी कपड़े की बाल्टी लिए उपर आ गयी, ये देखते ही सोमू ने बाल्टी चाची के हाथ से ली और छत पर चला गया. चाची कपड़े सुखाने लगी, सोमू वही खड़ा था और चाची के बदन को घूर रहा था.
चाची ने साड़ी थोड़ी उपर चढ़ा रखा था जिनसे उनके गोरे गोरे पैर साफ दिख रहे थे चाची जब जब कपड़े लेने के लिए नीचे झुकती सोमू अपना लंड सहलाने लगता, पानी लगने की वजह से चाची की ब्लाउज थोड़ी गीली हो गयी और निपल दिख रहे थे. सोमू बड़े मज़े से ये सब देख रहा था.
तभी चाची बोली “सोमू जाके नीचे के दोनो कमरे साफ कर्दे.”
सोमू बोला “और कुछ काम है मालकिन.”
चाची बोली ” नही तू जा मैं ये कपड़े सूखा लूँगी”.
मैं ये सब दालान से देख रहा था फिर मैं भी उपर अपने कमरे मे चला गया और सोमू को देखने लगा, सोमू सब से पहले चाची के कमरे मे गया और सफाई करने लगा तभी उसकी नज़र टेबल पर रखे हुए कपड़े पर पड़ी वो उन्हे उठा कर एक तरफ रखने लगा.
तभी उसने देखा उन कपड़ो मे चाची की ब्रा और पॅंटी थी ये देख कर उसके चेहरे पर चमक आ गयी उसने यहाँ वहाँ देखा और ब्रा और पॅंटी को अपने नाक से लगा कर सूंघने (स्मेल) लगा. मुझे ये सब बड़ा अजीब लग रहा था की ये सोमू क्या कर रहा है.
फिर अचनक उसने अपने हाथ अपने लंड पर रखा और उस दबाने लगा कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा मे उस का लंड देख कर डर गया, उसका लंड एक दम कला और तकरीबन 8इंच. लंबा और 2इंच मोटा होगा.
मुझे लगा ये इंसान का लंड है या जानवर का. तभी मुझे सीढ़ियों से नीचे आने की आवाज़ आई मे अपने कमरे मे चला गया (आप लोगो को बता दूं कि मेरा कमरा चाची के कमरे के एक दम पास मे है और सीढ़ियों से उतरते ही राइट हॅंड साइड मे चाची के कमरे की खिड़की है जो सीढ़ियों से साफ दिखती).
नीचे उतरते वक़्त चाची की नज़र उनकी खिड़की की तरफ पड़ी और वो वही रुक गयी और छुप कर अंदर देखने लगी, मुझे पता था चाची अंदर सोमू का लंड देख रही है, उनके चेहरे से साफ दिख रहा था कि उन्होने भी इतना मोटा लंड पहली बार देखा है.
चाची की आँखे बड़ी हो गयी थी और चेहर लाल पड़ रहा था, अपने एक हाथ से चूंचियों को दबा रही थी. चाची वहाँ काफ़ी देर तक खड़ी रही शायद उन्हे भी ये नज़ारा अच्छा लग रहा था. कुछ देर बाद सोमू मेरे कमरे मे आया मैं उसे बिना देखे कमरे से बाहर निकल गया, चाची भी नीचे जा चुकी थी.
मैने अब दोपहर का इंतज़ार करने लगा, उस दिन मे बाहर खेलने नही गया और और चाची पे नज़र रखने लगा की चाची कहाँ जा रही है, क्या कर रही है. दोपहर के 1 बाज गये थे सब खाने के लिए बैठ थे, पर फूफा की नज़र तो चाची को ही ढूंड रही थी. सबने खाना खा और दोपहर की नींद की तैयारी मे लग गये.
पर फूफा तो बड़ी बेचैन नज़रों से चाची को ढूँढ रहे थे पर चाची दिखी नही. फूफा उपर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे मे भी मौका देख कर उनके पीछे चल दिया पर वो तो सीधे चाची के कमरे मे घुस गये, मे भी दबे पैर अपने कमरे मे चला गया और वहाँ से सुनने की कोशिस करने लगा, चाची अपने कमरे मे थी.
फूफा: “अरे हमने तो सारा घर ढूँढ लिया और आप यहाँ बैठी हैं.”
चाची: “क्यूँ ऐसा भी क्या ज़रूरी काम आ गया था कि हमे ढूंड रहे थे.”
फूफा: “यही बताउ या फिर कहीं और चलें?”
चाची: “यहीं बता दीजिए.”
फूफा: “ठीक है.”
चाची: “उ माआ….. क्या कर रहे है आप, कोई ऐसे दबाता है, मेरी तो जान ही निकाल देते हो…जाइए मे आपसे बात नही करती.”
फूफा: “तुम तो बहुत जल्दी नाराज़ हो जाती हो, अच्छा बताओ दोपहर मे कहाँ मिलॉगी.
चाची: “नही…मुझे आज बहुत काम है.”
फूफा: “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
चाची: “आअहह…ये क्या कर रहे हो… कोई आ जाएगा दरवाज़ा खुला है….आअहह अऔच दर्द हो रहा है छोड़ो ना!”
फूफा: “पहले वादा करो दोपहर मे आओगी.”
चाची: “नही..”
फूफा: “ठीक है..”
मैने सोचा क्यूँ ना थोड़ा देखा जाए क्या हो रहा है पर डर भी लग रहा था. मे दीवार से चिपकते हुए दरवाज़े के अंदर देखने लगा. चाची बिस्तर पर लेटी हुई थी और फूफा एक हाथ से चाची के चूंचियों को दबा रहे थे और दूसरे हाथ से साड़ी उपर कर रहे थे. चाची तुरंत खड़ी हो गयी और कपड़े ठीक करने लगी, फूफा ने चाची को पीछे से पकड़ा और उनके गालो पर किस करने लगे, तभी चाची बोली “छोड़िए ना…ठीक है मे दोपहर मे आ जायूंगी, अब तो छोड़िए.”
फूफा: “ये हुई ना बात..”
चाची: “पर कहाँ?”
फूफा: “यही पर… तुम्हारे कमरे में.”
चाची: “नही नही दीदी (मेरी मा) दोपहर मे यही सोती है.”
फूफा: “तो ठीक है मेरे कमरे मे आ जाना.”
चाची: “नही नही वहाँ पर कोई ना कोई आता जाता रहता है.”
फूफा: “फिर कहाँ?”
चाची: “एक काम करो मे जब मे जूटन (वेस्ट फुड) डालने दालान मे आउन्गि तो तुम मुझे वही मिलना.”
फूफा: “दालान मे?”
चाची: “हां….वहाँ जो आखरी वाला कमरा है जिसमे जानवरों के लिए घास रखी है वही पर.”
फूफा: “पर वहाँ तो सोमू होगा ना.”
चाची: “नही होगा मे उस बाज़ार भेज रही हूँ, कुछ घर के लिए समान लाने के लिए.”
फूफा: “तो कितने बजे आओगी.”
चाची: “कुछ बोल नही सकती, पर तुम 2.30 बजे के करीब दालान मे ही रहना.”
फूफा: “ठीक है.”
मैं सोच मे पड़ गया, कि मे उस कमरे मे ये सब देखूँगा कैसे क्यूँ कि उस कमरे मे कोई खिड़की नही थी. काफ़ी देर सोचने के बाद मुझे याद आया कि उस कमरे मे उपर की तरफ एक जगह है जहा पर काफ़ी अंधेरा है और बहुत सारे वेस्ट समान पड़े है.
मे वहाँ आराम से बैठ कर ये सब देख सकता हूँ वो जगह मैने छुपा छुपी (हाइड & सीक) खेलते वक़्त ढूंढी थी, पर उपर जाने की लिए मुझे सीढ़ी (स्टेर) की ज़रूरत थी मैं तुरंत गया और दालान मे रखी लकड़ी की सीढ़ी वहाँ लगा आया और पूरी तरह देख लिया कि मे वहाँ महफूज़ हूँ कि नही.
दोपहर का समय था इसीलिए घर मे काफ़ी सन्नाटा था, मे गेस्ट रूम मे जा कर बैठ गया, कुछ देर बात फूफा वहाँ आए और लेट गये ह्मने कुछ देर बाते की फिर फूफा सोने लगे मे वहाँ से उठा और दरवाज़े पर रखी चेर पर बैठ गया वहाँ से किचन और आँगन दिखता था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तकरीबन 3 बज गये थे तभी मे चाची को आते देखा उनके हाथ मे एक बाल्टी थी जिसमे झूतान भरा हुआ था, मे तुरंत दबे पैर वहाँ से निकला और दालान के आखरी वाले कमरे मे उपर जा कर छुप गया. 5मिनट. बाद चाची अंदर आई और बाल्टी नीचे रख कर यहाँ वहाँ देखने लगी.
तभी फूफा भी अंदर आ गये और दरवाज़ा बंद कर लिया और तुरंत एक दूसरे से लिपट गये और किस करने लगे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो सालो के बाद मिल रहे है. फूफा ने चाची की साड़ी को उपर कर दिया और चूतर को मसल्ने लगे, चाची भी जोश मे किस करने लगी, 2, 3 मिनट. बाद फूफा बोले “प्रिया लंड चुसोगी?”
चाची: “छीई… नही मैने कभी पहले नही लिया.”
फूफा: “अरे एक बार लेके तो देखो बड़ा मज़ा आएगा.”
चाची: “ना बाबा…मैं नही लेती मूह मे…कोई भला मूह मे भी लेता है.”
फूफा: “अरे औरते तो को तो लंड चूसने मे बड़ा मज़ा आता है, माधुरी भी चुस्ती है…उसे तो चूत से ज़्यादा मूह मे लेना अच्छा लगता है, तुम भी एक बार ले के देखो…अगर अच्छा नही लगा तो दोबारा मत लेना.”
चाची: “नही नही मुझे वॉमिट हो जाएगी.”
फूफा: “अरे कुछ नही होगा.”
इतना कहते हुए फूफा ने चाची को नीचे बिठा दिया, लंड चाची के मूह के पास लटक रहा था चाची ने तो पहले सिर्फ़ थोड़ा सा ही लंड अपने होंठो पर लगाया और किस करने लगी कुछ देर बाद चाची ने लंड के टॉप को मूह के अंदर लिया और चूसने लगी शायद चाची को अब अच्छा लग रहा था उन्होने थोड़ा और अंदर लिया और चूसने लगी.
फूफा का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और चाची के मूह को चोद रहे थे चाची भी लंड को काफ़ी अंदर तक ले रही थी. अचानक फूफा ने लंड चाची के मूह से निकाला और चाची को खड़ा कर दिया और खुद नीचे बैठ गये और चाची के साड़ी उपर करने लगे चाची ने साड़ी अपने हाथ से उपर कर ली और फूफा ने चाची की पॅंटी उतार दी और थाइ पर हाथ फिराने लगे.
तभी अपनी एक उंगली उन्होने चूत के अंदर डाल दी और अंदर बाहर करने लगे फिर अपनी ज़बान से चूत को चाटने लगे इतने मे चाची के मूह से सिसकारियाँ निकलने लगी, चाची अब पूरी तरह से गरम हो गयी थी और फूफा के सर को पकड़ कर अपनी चूत पे दबा रही थी. तभी फूफा ने एक तरफ थुका शायद ये चाची के चूत का पानी था.
चाची एक हाथ से साड़ी पकड़ी हुई थी और दूसरे हाथ से अपना ब्लाउज उपर किया और चूंची दबाने लगी मे पहली बार चाची की चूत और चूंची को उजाले मे देख रहा था मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. तभी फूफा चाची को सीढ़ी के पास लाए और उन्हे झुका दिया जिसे उनके गोरी गोरी चूतर साफ दिख रही थी,.चा
ची ने सीढ़ी पकड़ी हुई थी और चूतर काफ़ी पीछे किया हुआ था, ताकि फूफा को लंड डालने मे आसानी हो. फूफा चाची की गांड को घूर रहे थे उन्होने भी पहली बार चाची को उजाले मे नंगा देखा था फिर अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और चाची के चूत पर रगड़ने लगे, तभी चाची बोली “मनीष अब डाल भी दो..ज़्यादा वक़्त नही कोई भी आ सकता है.”
फूफा: “अरे इतनी जल्दी क्या है ज़रा जी भर के देख तो लेने दो तुम्हारी चूत और गांड को.”
चाची: “अरे बाद मे जी भर के देखना अभी चोदो, कोई आ गया तो बड़ी मुस्किल हो जाएगी.”
फूफा: “प्रिया तुम्हारी गांड का होल तो काफ़ी टाइट है, क्या कभी तुमने गांड नही मरवाई.”
चाची: “चईए.. कैसी बाते कर रहे है आप मे क्या रंडी हूँ, जो अपनी गांड मरवाती फिरू.”
फूफा: “अरे तुम्हे नही पता औरते तो चूत से ज़्यादा गांड मरवाना पसंद करती है…अगर तुम कहो तो मैं!”
चाची “नही नही…चूत मे तो बड़ी मुस्किल से जाता है अगर गांड मे डालो गे तो मर ही जाउन्गि.”
फूफा: “अरे एक बार डालके तो देखो.”
चाची: “नही…चूत मे डालना है तो डालिए नही तो मैं जाती हूँ.”
फूफा: “ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी.”
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फिर फूफा लंड चूत के अंदर डालने लगे, तभी चाची बोली “ज़रा धीरे से डालिएगा, आज तेल नही लगा है दर्द होगा” पर फूफा कहाँ सुनने वाले थे एक ज़ोर का धक्का दिया आधा लंड अंदर चला गया चाची तो उछल गयी और उनके मूह से चीख निकल गयी, फूफा बोले “प्रिया चिल्लाओ मत कोई आ जाएगा, अभी तो सिर्फ़ आधा ही गया है” चाची ने साड़ी को अपनी मूह मे दबा लिया और फूफा ने एक फिर ज़ोर का धक्का मारा पूरा लंड अंदर चला गया.
चाची अपनी गांड घुमाने लगी पर फूफा ने चाची पर झुक कर उनकी कमर पकड़ ली और घोड़े की तरह चोदने लगे. अब चाची का दर्द शायद कम हो गया था इसीलिए उन्होने अपना पैर थोड़ा और फैला दिया था की लंड आसानी से जा सके, फूफा भी चाची की कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर के धक्के दे रहे थे, हर धक्के पर चाची की गांड थिरकने लगती. झुकने कारण उनकी चूंची और बड़ी लग रही थी और ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिल रही थी, फूफा तो बड़े मज़े से चोद रहे थे पर पसीने से पूरे गीले हो गये थे.
Raman deep says
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Wa.me/917707981551?text=Hiii Raman