Virgin Village Girl Sex
रिश्तों में चुदाई कहानी ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है। दोस्तों मेरी भतीजी कल्पना धीरे धीरे जवान होती जा रही थी और उसकी खूबसूरती दिन पर दिन बढती जा रही थी। कल्पना को जब मैं देख लेता था मेरा लंड खड़ा हो जाता था। वो मेरी प्यारी भतीजी थी और मेरे बड़े भैया की इक्लौती सन्तान थी। Virgin Village Girl Sex
मेरे बड़े भैया तो हमेशा अपनी दूकान पर रहते थे इसलिए कल्पना की सारी जिम्मेदारी मेरी ही थी। मेरा घर कन्नौज के पास एक गाँव में था। गाँव में स्कूल नही था इसलिए मै रोज कल्पना को साइकिल पर बिठाकर १० किमी दूर स्कूल ले जाता था।
अब मेरी भतीजी कल्पना १२वीं में आ गयी थी और बहुत खूबसूरत माल बन गयी थी। समय के साथ उसका जिस्म भर गया था और जिस्म में बहुत बदलाव हो गया था। अब कल्पना वो पहले वाली कल्पना नही रह गयी थी। वो ५ फुट २ इंच लम्बी हो गयी थी और बिलकुल मस्त चोदने लायक माल हो गयी थी।
अब तो मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो जाता था। धीरे धीरे मैं सोचने लगा की कैसी अपनी खूबसूरत भतीजी की चूत मारू। अब तो मैं यही बात सोचा करता था। जब एक दिन दोपहर में मैं अपनी भतीजी कल्पना को साईकिल से लेकर आ रहा था।
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रास्ता कच्चा था और गाँव का रास्ता तो कच्चा होता ही है। कुछ देर बाद कल्पना कहने लगी की उसे प्यास लग रही है। तो मैंने एक बड़े से पीपल के पेड़ के पास अपनी साइकिल रोक दी। वहां पर एक सरकारी नल लगा हुआ था। मैं नल चलाने लगा और कल्पना पानी पीने लगी।
वहां पर झाडी में एक लड़का लड़की चुदाई कर रहे थे उस बड़े से पीपल वाले पेड़ के पीछे वो दोनों थे। कल्पना ने वो चुदाई वाली आवाज सुनी तो वो कुछ समझ नही पायी और उस पेड़ के पीछे देखने चली गयी। वहां पर एक लकड़ा और लड़की घास पर नंगे लेटे हुए थे और जमकर चुदाई कर रहे थे।
वो जवान लड़की “अई… अई…. अई…… अई…. इसस्स्स्स्स्स्स्स्…… उहह्ह्ह्ह…. ओह्ह्ह्हह्ह….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। उसका प्रेमी उसे जल्दी जल्दी चोद रहा था। जब कल्पना ने वो चुदाई देखी तो बिलकुल चौंक गयी।
“चाचा वो लड़के लड़की क्या कर रहे है???” मेरी भतीजी पूछने लगी.
“कल्पना वो दोनों चुदाई के मजे ले रहे है!!” मैंने कहा.
उसके बाद वो शर्मा गयी और हम दोनों पुरे रास्ते कुछ नही बोले। आज पहली बार मेरी खूबसूरत भतीजी को चुदाई के बारे में पता चला था। इससे पहले वो बहुत मासूम थी और चूत चुदाई के बारे में कुछ नही जानती थी। कुछ दिन बाद जब मैंने उसको अपनी साईकिल पर डंडे पर बिठाया तो मेरा हाथ उसके बूब्स पर लग गया।
दोस्तों अब मेरी भतीजी कल्पना बहुत मस्त माल बन चुकी थी और उसके बूब्स ३६” के हो गये थे। जैसे ही मेरा हाथ उसके मम्मो से टकरा गया मुझे बहुत अच्छा लगा। कल्पना का चेहरा बता रहा था की उसे भी मजा आ रहा था। मैंने उसे अपनी साईकिल पर बिठा लिया और स्कूल को जाने लगा।
पर ना जाने क्यों आज मेरा अपनी सगी भतीजी को चोदने का बहुत मन था। मेरा लंड तो साइकिल चलाते हुए ही खड़ा हो गया था। कल्पना बिलकुल चुप थी। हमारे बीच एक सन्नाटे की दिवार थी। मुझे इस तरह का सन्नाटा जरा भी पसंद नही था। इसलिए मैं बात करने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“कल्पना तूने कभी चुदाई की है?” मैंने पूछा.
पहले तो वो झेप रही थी। पर मैं फिर वो इस मुद्दे पर बात करने लगा। शायद आज उसका भी चुदने का दिल कर रहा था।
“नही चाचा….मैं आजतक नही चुदी हूँ!!” कल्पना बोली.
“कल्पना अगर तुझे लंड खाना हो और चुदाई का मजा लेना हो तो बता!!” मैंने कहा।
दोस्तों पता नही क्यों आज मेरा भी उसे स्कूल ले जाने का मन नही कर रहा था। बस मैं अपनी सगी भतीजी को कसकर चोदना और पेलना चाहता था।
“पर चाचा आखिर मुझे कौन चोदेगा!! मेरी रसीली बुर में कौन मर्द लंड डालकर मुझे सेक्स और ठुकाई का मजा देगा?” कल्पना बोली.
“अरी पगली…मैं तेरी कुवारी सील तोड़कर तुझे चोदूंगा और सेक्स के मजे दूंगा!!” मैंने कहा.
उसके बाद मैं जल्दी जल्दी साईकिल के पैडल मारने लगा। और कुछ ही देर में एक आम का बगीचा आ गया। दोस्तों आमो के पेड़ में आम लगे हुए थे पर आज तो मेरा मेरी सगी भतीजी के आम खाने का मन था। मैं कल्पना को एक बड़े आम के पेड़ के नीचे ले गया।
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वहां पर कोई नही था। मैंने अपनी शर्ट और पेंट निकाल दी और कल्पना को घास पर लिटा दिया। उस आम के बगीचे में बहुत अच्छी ठंडी हवा चल रही थी। मैंने कल्पना को घास पर लिटा दिया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। वहां पर बड़ी छाँव थी इसलिए बहुत ठंडा ठंडा लग रहा था।
मैंने अपनी सगी भतीजी को बाहों में भर लिया और किस करने लगा। विश्वास ही नही हो रहा था की आज मैं उसकी गुलाबी चूत मारने जा रहा था। कुछ साल पहले तक कल्पना बहुत छोटी और मासूम हुआ करती थी। पर धीरे धीरे समय के साथ उसकी कद और वजन बढ़ गया था और अब मेरी भतीजी १८ साल की मस्त चोदने लायक माल हो गयी थी।
उसकी लम्बाई बहुत बढ़ गयी थी और शरीर अब काफी भर गया था। कल्पना का सीना भी अब काफी बढ़ गया था और ३६” की मस्त मस्त गोल गोल चूचियां कोई भी उसके कमीज के दुपट्टे के नीचे से देख सकता था। मैंने कल्पना का दुपट्टा हटा दिया तो उसकी कमीज से उसके बड़े बड़े मम्मे बाहर की तरफ झाँक रहे थे।
मैंने कल्पना को घास पर लिटा दिया और उसके मस्त मस्त आम मैं दबाने लगा। फिर मैं उसके उपर लेट गया और उसके रसीले होठ मैं चूसने लगा। मैं एक चोदू टाइप का चाचा था। कल्पना मेरी भतीजी लगती थी। मुझे उसकी बुर नही चोदनी चाहिए थी पर मैं मजबूर था।
किसी खूबसूरत लौंडिया की चूत मारने के लिए मैं कुछ भी कर सकता था। मैं तो अपनी सगी बहन और माँ को भी चोद सकता था। कुछ देर में इमरान हाशमी की तरह अपनी सगी भतीजी के रसीले होठ पीने लगा और मजा लेने लगा। कल्पना भी मजे से मेरे होठ चूस रही थी।
मेरे हाथ उसके कमीज के मम्मो पर चले गये। उफ्फ्फफ्फ्फ़….कितनी मस्त मस्त गोल गोल रबर की गेंद थी। जैसे ही मैं धीरे धीरे उसके मम्मो को दबाने लगा कल्पना “अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ… अअअअअ… आहा… हा हा हा” कहकर चिल्लाने लगी।
मुझे मौज आ गयी और मैं तेज तेज उसके रसीले बूब्स को दबाने लगा। वो सिस्कारियां लेने लगी। कल्पना को भी खूब मजा आ रहा था। वो मुझसे अपनी रसीली छातियां दबवा रही थी। धीरे धीरे मैंने उसकी स्कुल ड्रेस वाली कमीज को निकाल दिया और उसकी कसी ब्रा को भी खोल दिया।
उसके कबूतर उछल कर मेरी आँखों के सामने आ गये थे। मैं तो जैसे पागल हो गया था। दोस्तों आजतक मैं कई लौंडिया चोदी थी पर मेरी भतीजी तो बिलकुल हीरा था। मैं अपने हाथ उसकी नंगी छातियों पर रख दिए तो वो सिसक गयी और “ही ही ही ही ही…… अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ…” चीखने लगी।
आज मुझे बहुत मजा मिल रहा था। कितने दिन से मैं सोच रहा था की काश कल्पना की चूत मुझे मारने को मिल जाती और आज सच में मैं उसको रगड़कर चोदने वाला था। फिर मैंने लगे हाथों कल्पना की सलवार भी खोल दी और फिर उसकी चड्ढी भी निकाल दी।
अब मेरी सगी भतीजी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी थी। आज आम के ठंडे ठंडे बगीचे में मैं उसकी ठुकाई और चुदाई का कार्यक्रम बना रहा था। अपनी नंगी भतीजी को देखकर मेरा ८” का लौड़ा पूरी तरह से खड़ा हो गया था। फिर मैंने भी अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल दिया और नंगा हो गया।
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अब हम चाचा भतीजी पूरी तरह से नंगे हो गये थे। मैं कल्पना पर लेट गया और उसके बेहद चिकने संगमरमर जैसे मम्मे मैं मुंह में लेकर पीने लगा। धीरे धीरे मैं हाथ से उसकी मस्त मस्त छातियाँ दबा भी रहा था। वो “आई… आई… अहह्ह्ह्हह… सी सी सी सी… हा हा हा…” बोलकर चिल्ला देती थी।
आज पहली बार मैंने अपनी भतीजी को बिलकुल नंगा देता था। मैं तेज तेज उसके आम दबाने लगा और मुंह में लेकर पीने लगा। उसकी चूचियां बहुत ही खूबसूरत, चिकनी और रसीली थी। मैं अपनी भतीजी के कबूतरों को मुंह में लेकर चूस रहा था।
उसकी चुचियों तो बिलकुल नारियल की तरह कलश जैसी दिख रही थी। चुचियों की निपल्स के चारो ओर बड़े बड़े काले घेरे थे जो बहुत सुंदर और सेक्सी लग रहे थे। मैं अपना मुंह में लेकर कल्पना के आमो को चूस रहा था। उसकी निपल्स को चबा रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
बड़ी देर तक हम चाचा भतीजी किसी प्रेमी प्रेमिका की तरह प्यार करते रहे। फिर मैं अपने हाथ से कल्पना की गोरी गोरी टांगो को सहलाने लगा। दोस्तों वो मस्त आइटम थी। मेरी भतीजी की टाँगे बहुत गोरी और चिकनी थी। मैं बहुत देर तक उसकी चिकनी टांगो को किस करता रहा और चाटता रहा।
फिर मैं उसके गोल गोल घुटनों को चूमने लगा और कल्पना के मस्त मस्त सफ़ेद उजली जांघो पर आ गया। और मुंह लगाकर मैं उसकी जांघो को पीने लगा और किस करने लगा। मेरी भतीजी कल्पना की चूत मेरे सामने थी। मैं उसकी भोसड़ी के दर्शन कर रहा था।
अभी कुछ साल पहले मेरी भतीजी एक छोटी बच्ची हुआ करती थी और आज एक मस्त चोदने लायक माल बन गयी थी। कल्पना की चूत पर हल्की हल्की काली काली झाटें उग आई थी जो उसे बताती थी की उसकी चूत पक चुकी है और चुदने को तैयार है।
फिर मैं नीचे झुक गया और अपनी सगी भतीजी की भोसड़ी [चूत] को पीने लगा। कल्पना मचलने लगी। मैं जल्दी जल्दी किसी कुत्ते की तरह उसकी बुर चाट रहा था। दोस्तों मुझे बहुत सेक्सी सेक्सी फील हो रहा था। जी कर रहा था की उसकी रसीली चूत को मैं खा ही जाऊं।
कल्पना की बुर बहुत गर्म गर्म थी और भट्टी की तरह सुलग और धधक रही थी। मैं जीभ लगाकर अपनी कुवारी चुदासी भतीजी की चूत चाट और पी रहा था। कुछ देर बाद वो वो बहुत जल्दी जल्दी अपनी गांड हवा में उठाने लगी। कल्पना को बहुत मजा मिल रहा था।
उसकी चूत की सील बंद थी और आजतक किसी ने उसे नही चोदा था। आज मैं यानी उसका चाचा की उसे चोदने जा रहा था। मैं २० मिनट तक अपनी भतीजी की बुर को मुंह लगाकर पिया और भरपूर मजा लिया। उसके बाद मैंने फिर से कल्पना के ताजे गुलाब जैसे होठो को चूसने लगा।
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मैं हाथ से उसके चिकने मम्मो को दबा देता था। वो चहक उठती थी। कुछ देर बाद मैंने उसकी दोनों टांगो को खोल दिया और उसकी चूत पर मैंने अपना ७” का मोटा लौड़ा रख दिया और बार बार कल्पना के चूत के दाने को रगड़ने लगा।
वो हर बार सोचती की इस बार मैं अपना लंड उसकी चूत में डाल दूंगा और हर बार मैं नही डालता और उसके चूत के दाने को अपने लौड़े से घिसने लग जाता। बड़ी देर तक मैं इस तरह के खेल खेलता रहा। फिर अचानक से मैं अपना मोटा सिलबट्टे जैसा मोटा लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रखकर जल्दी से अंदर मार दिया।
चट की मीठी से आवाज हुई और कल्पना की चूत की सील टूट गयी। मेरा लौड़ा अंदर घुस गया और मैं उसको जल्दी जल्दी चोदने लगा। वो “आऊ… आऊ… हममममअहह्ह्ह्हह… सी सी सी सी.. हा हा हा..” की आवाज बार बार निकाल रही थी।
मैंने नीचे देखा तो मेरी गांड फट गयी। मेरा ७” का लौड़ा मेरी सगी भतीजी के खून से सन गया था। पर मैं रुका नही और जल्दी जल्दी कल्पना की चूत मारता रहा। “चाचा….प्लीस अपना लौड़ा निकाल लो वरना मैं मर जाऊँगी… उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ.. हममममअहह्ह्ह्हह.. अई… अई… अई…” कल्पना चीख रही थी।
पर मैं नही रुका और दनादन उसे पेलता रहा। मैंने उसकी पतली सेक्सी कमर को कसकर दोनों हाथो से पकड़ लिया था और जल्दी जल्दी अपनी सगी भतीजी को चोद रहा था। कल्पना रो रही थी। उसकी भोसड़ी [चूत] मेरे लौड़े को पूरा का पूरा निगल जा रही थी।
मैं एक मिनट के लिए भी नही रुका और दर्द में ही अपनी भतीजी की चूत बजाता रहा। दोस्तों आज तो मुझे जन्नत का मजा मिल गया था। अपनी कुवारी भतीजी को चोदकर मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो गयी थी। मेरा लौड़ा तो भतीजी के खून में पूरी तरह से रंग गया था।
मैं कल्पना को ३५ मिनट बिना रुके चोदा फिर उसकी चूत में ही माल गिरा दिया। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी भोसड़ी [चूत] से निकाला तो मेरा माल उसकी चूत से बाहर की तरफ निकल आया। उसके बाद उसके दर्द को कम करने के लिए मैं उसके रसीले होठ चूसने लगा। कुछ देर बाद कल्पना का दर्द खत्म हो गया।
“क्यों भतीजी… कैसा लग चाचा का लौड़ा खाकर?” मैंने पूछा.
“मजा आया चाचा पर दर्द भी बहुत हुआ!!” कल्पना बोली.
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मुझे उसपर फिर से प्यार आ गया और मैं उसके होठ को चूसने लगा। कुछ देर तक हम दोनों आम के पेड़ के नीचे घास पर लेटे रहे और ठंडी ठंडी हवा खाते रहे। उसके बाद मैं कल्पना को अपना ७” का लौड़ा चूसने के लिए दे दिया। मेरी भतीजी बड़ी सीधी और भोली लड़की थी। उसने तुरंत ही मेरा लंड हाथ में ले लिया और फेटने लगी। मैं उसी के बगल लेट गया था और वो मेरे पास बैठ गयी थी। मैंने अपने सर के नीचे दोनों हाथो को मोड़कर रख लिया जिससे मेरा सर थोडा ऊँचा हो जाए और कल्पना से लंड चुस्वाने में मजा आये।
वो मेरे मोटे लौड़े को देखकर आश्चर्य कर रही रही। वो मुश्किल से मेरे लंड को पकड़ रही थी क्यूंकि ये बहुत मोटा था। फिर धीरे धीरे वो उपर नीचे हाथ चलाकर फेटने लगी। मुझे मजा आ रहा था। मैंने उसके दूध को हाथ में लेकर सहलाने लगा। कुछ देर बाद कल्पना मेरे लौड़े पर झुक गयी और पूरा का पूरा मुंह में ले गयी और मेरा लंड चूसने लगी। उसने ४० मिनट तक मेरा लंड चूसा। उसके बाद मैंने उसकी कुवारी गांड मारी।