Sister MMS
मेरा नाम मनीषा है. में साउथ देल्ही में अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूँ. मेरी उम्र 19 साल है, गोरा बदन, काले लंबे बाल, 5″4 की हाइट और मेरी आँखों का रंग भूरा है. एक दिन में अपनी सहेलियों के साथ शौपिंग कर घर पहुँची. अपने कमरे में पहुँच मेने अपनी मेज़ की दाराज़ खोली तो पाया कि मेरी ब्लू रंग की पॅंटी वहाँ रखी हुई थी. Sister MMS
मेने कभी अपनी पॅंटी वहाँ रखी हो ये मुझे याद नही आ रहा था. इतने में में कदमों की आवाज़ मेरे कमरे की और बढ़ते सुनी, मेरी समझ में नही आया की में क्या करूँ. में दौड़ कर अलमारी जा छुपी. देखती हूँ कि मेरा छोटा भाई विवेक जो 18 साल का है अपने दोस्त अमित के साथ मेरे कमरे में दाखिल हुआ.
“मनीषा” विवेक ने आवाज़ लगाई.
में चुप चुप चाप अलमारी छुपी उनको देख रही थी.
“अच्छा है वो घर पर नही है. अमित में पहली और आखरी बार ये सब तुम्हारे लिए कर रहा हूँ. अगर उसे पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेगी” विवेक ने कहा.
“शुक्रिया दोस्त, तुम्हे तो पता है तुम्हारी बहन कितनी सुन्दर और सेक्सी है.” अमित ने कहा.
विवेक मेरा ड्रॉवर खोला और वो ब्लू पॅंटी निकाल कर अमित को पकड़ा दी. अमित ने वो पॅंटी हाथ में लेकर उसे सूंघने लगा, “विवेक तुम्हारी बहन की चूत की खुश्बू अभी भी इसमे से आ रही है.” विवेक ज़मीन पर नज़रें गड़ाए खामोश खड़ा था.
“यार ये धूलि हुई है अगर ना धूलि होती तो चूत के पानी की भी खुश्बू आ रही होती.” अमित ने पॅंटी को चूमते हुए कहा.
“तुम पागल हो गये हो.” विवेक हंसते हुए बोला.
“कम ऑन विवेक, माना वो तुम्हारी बहन है लेकिन तुम इस बात से इनकार नही कर सकते कि वो बहोत ही सेक्सी है.” अमित ने कहा.
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“में मानता हूँ वो बहोत ही सुन्दर और सेक्सी है, लेकिन मेने ये सब बातें अपने दिमाग़ से निकाल दी है.” विवेक ने जवाब दिया.
“अगर वो मेरी बहन होती तो……..” अमित कहने लगा, “क्या तुम उसके नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ नही मारते हो?”
विवेक कुछ बोला नही और खामोश खड़ा रहा.
“शरमाओ मत यार, अगर में तुम्हारी जगह होता तो यही करता.” अमित ने कहा.
“क्या तुम्हारी बहन कोई बिना धूलि हुई पॅंटी यहाँ नही है”
“ज़रूर यही कही होगी, में ढूनडता हूँ तब तक खिड़की पर निगाह रखो अगर मनीषा आती दिखे तो बताना.” विवेक कमरे में मेरी पॅंटी ढूँडने लगा.
विवेक और अमित ये नही पता थी कि में घर आ चुकी थी और अलमारी में छिप कर उनकी हरकत देख रही थी. “वो रही मिल गयी.” विवेक ने गंदे कपड़े के ढेरसे मेरी मेरी लाल पॅंटी की और इशारा करते हुए कहा. अमित ने कपड़ों के ढेर में से मेरी लाल पॅंटी उठाई जो मेने दो दिन पहले पहनी थी.
पहले वो कुछ देर उसे देखता रहा. फिर मेरी पॅंटी पे लगे धब्बे को अपनी नाक के पास ले जा सूंघने लगा, “एम्म्म क्या सेक्सी सुगंध है विवेक.” कहकर वो पॅंटी को अपने गालों पे रगड़ने लगा. “मुझे अब भी उसकी चूत और गांद की महेक आ रही इसमे से.” अमित बोला.
“तुम सही में पागल हो गये हो.” विवेक बोला.
“क्या तुम सूंघना छोड़ोगे?” अमित ने पूछा.
“किसी हालत में नही.” विवेक शरमाते हुए बोला.
“में जानता हूँ तुम इसे सूंघना चाहते हो. पर मुझसे कहते शर्मा रहे हो.” अमित बोला, “चलो यार इसमे शरमाना कैसा आख़िर हम दोस्त है.”
विवेक कुछ देर तक कुछ सोचता रहा, “तुम वादा करते हो कि इसके बारे में किसी से कुछ नही कहोगे.”
“पक्का वादा करता हूँ,” अमित ने कहा, “आओ अब और शरमाओ मत, सूँघो इसे कितनी मादक खुश्बू है.”
विवेक अमित के नज़दीक पहुँचा और उसे हाथ से मेरी पॅंटी ले ली. थोड़ी देर उसे निहारने के बाद वो उसे अपनी नाक पे ले ज़ोर से सूंघने लगा जैसे कोई पर्फ्यूम की महेक निकल रही हो. मुझे ये देख के विश्वास नही हो रहा था कि मेरा भाई मेरी ही पॅंटी को इस तरह सूँघेगा.
“सही में अमित बहोत ही सेक्सी स्मेल है, मानना पड़ेगा.” विवेक सिसकते हुए बोला, “मेरा लंड तो इसे सूंघते ही खड़ा हो गया है.”
“मेरा भी.” अमित अपने लंड को सहलाते हुए बोला, “क्या तुम अपना पानी इस पॅंटी में छोड़ना चाहोगे?”
“क्या तुम सीरीयस हो?” विवेक ने पूछा.
“हां” अमित ने जवाब दिया.
“मगर मुझे किसी के सामने मूठ मारना अछा नही लगता.” विवेक ने कहा. “अरे यार में कोई पराया थोड़े ही हूँ. हम दोस्त है और दोस्ती में शरम कैसी.” अमित बोला.
“ठीक है अगर तुम कहते हो तो!” अमित ने अपनी पॅंट के बटन खोले और उसे नीचे कर ली.
पॅंट नीचे सरकाते ही उसका खड़ा लॉडा उछल कर बाहर निकल पड़ा. उसने एक पॅंटी को अपने लंड के चारों तरफ लपेट लिया और दूसरी को अपनी नाक पे लगा ली. फिर विवेक ने भी अपनी पॅंट उत्तर अमित की तरह ही करने लगा. दोनो लड़के उत्तेजना में भरे हुए थे और अपने लंड को हिला रहे थे.
दोनो को इस हालत में देखते हुए मेरी भी हालत खराब हो रही थी. मेने अपना हाथ अपनी पॅंट के अंदर डाल अपनी चूत पे रखा तो पाया की मेरी चूत गीली हो गयी थी और उससे पानी चू रहा था. अलमारी में खड़े हुए मुझे काफ़ी दिक्कत हो रही थी पर साथ ही अपने भाई और उसके दोस्त को मेरी पॅंटी में मूठ मारते में पूरी गरमा गयी थी.
“मेरा आब छूटने वाला है.” मेरे भाई ने कहा.
मेने साफ देखा की मेरे भाई का शरीर थोडा कड़ा और उसके लंड से सफेद वीर्या की पिचकारी निकल मेरी पॅंटी में गिर रही थी. वो तब तक अपना लंड हिलाता रहा जब तक कि उसका सारी पानी नही निकल गया. फिर उसने अपने लंड को अच्छी तरह मेरी पॅंटी से पोंचा और अपने हाथ भी पौच् लिए.
थोड़ी देर में अमित ने भी वैसा ही किया. “इससे पहले कि तुम्हारी बहन आ जाए और हमे ये करता हुआ पकड़ ले, मुझे यहाँ से जाना चाहिए.” अमित अपनी पॅंट पहनते हुए बोला. दोनो लड़के मेरे कमरे से चले गये. में भी खिड़की से कूद कर घूमते हुए घर के मैं दरवाजे अंदर दाखिल हुई तो देखा विवेक डाइनिंग टेबल पे बैठा सॅंडविच खा रहा था.
“हाई मनीषा.” विवेक बोला.
“हाई विवेक कैसे हो?” मेने जवाब दिया.
“आज तुम्हे आने में काफ़ी लेट हो गयी?” “हां फ्रेंड्स लोग के साथ शॉपिंग में थोड़ी देर हो गयी.” मेने जवाब दिया.
में किचन मे गयी और अपने लिए कुछ खाने को निकालने लगी. मुझे पता था कि मेरा भाई मेरी ओर कितना आकर्षित है. जैसे ही मे थोडा झुकी मेने देखा की वो मेरी झँकति पॅंटी को ही देख रहा था. दूसरे दिन में सो कर लेट उठी. मुझे काम पर जाना नही था.
विवेक कॉलेज जा चुक्का था और मम्मी पापा काम पे जा चुके थे. में अपनी बिस्तर पे पड़ी थी. अब भी मेरी आँखों के सामने कल दृश्या घूम रहा था. मेने अपने कपड़ों के ढेर की तरफ देखा और कल जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी. किस तरह मेरे भाई और उसके दोस्त ने मेरी पॅंटी में अपना वीर्या छोड़ा था.
पता नही ये सब सोचते हुए मेरा हाथ कब मेरी चूत पे चला गया और मैं अपनी उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगी. में इतनी उत्तेजना में थी कि खुद ही ज़ोर से अपनी चूत को चोद रही थी, थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. में बिस्तर से खड़ी हो अपने पूरे कपड़े उतार दिए.
अब में आईने के सामने नंगी खड़ी हो अपने बदन को निहार रही थी. मेरा पतला जिस्म, गुलाबी चूत सही में सुन्दर दिख रही थी. में घूम कर अपने चुतताड पर हाथ फिराने लगी. मेरे भाई और उसके दोस्त ने सही कहा था में सही में सेक्सी दिख रही थी. मेने अपने कपड़ो के पास पहुँची और अपनी लाल पॅंटी को उठा लिया.
अमित के विर्य के धब्बे उसपे साफ दिखाई दे रहे थे. में पॅंटी को अपने नाक पे लोग ज़ोर से सूंघने लगी. अमित के वीर्या की महक मुझे गरमा रही थी. में अपनी जीब निकाल उसधब्बे को चाटने लगी. मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत से अँगारे निकल रहे हो.
विवेक ने जो पॅंटी में अपना वीर्या छोड़ा था उसे भी उठा सूंघने और चाटने लगी. मेने सोच लिया था कि जिस तरह विवेक ने मेरे कमरे की तलाशी ली थी उसी तरह में भी उसके कमरे में जा कर देखोंगी. बहुत सालों के बाद में उसके कमरे में जा रही थी.
मैने उसके बिस्तर के नीचे झाँक कर देखा तो पाया बहोत सी गंदी मॅगज़ीन्स पड़ी थी. फिर उसके कपड़ों को टटोलने लगी, उसके कपड़ों में मुझे उसकी शॉर्ट्स मिल गयी. मेरी पॅंटी की तरह उसपर भी धब्बो की निशान थे. में उसकी शॉर्ट्स को अपनी नाक पे ले जा सूंघने लगे.
उसके वीर्या की खुश्बू आ रही थी. शायद ऐसी हरकत मेने अपनी जिंदगी में नही की थी. उसकी शॉर्ट्स को ज़ोर से सूंघते हुए में अपनी चूत में उंगली कर रही थी. उत्तेजना में मेरी साँसे उखड़ रही थी. थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मेने तय कर लिया था कि आज शाम को जब विवेक कॉलेज से वापस आएगा तो में घर पर ना होने का बहाना कर छुप कर फिर उसे देखोंगी. और मुझे उमीद थी कि वो कल की तरह मुझे घर पर ना पाकर फिर मेरी पॅंटी में मूठ मरेगा. जब विवेक का आने का समय हो गया तो मेने अपनी दिन भर पहनी हुई पॅंटी कपड़ों के ढेर पे फैंक दी और कमरे से बाहर जा कर खिड़की के पीछे चुप गयी.
मेने विवेक के लिए एक नोट लिख कर छोड़ दिया था की में रात को देर से घर आवँगी. विवेक जैसे ही घर आया तो उसने घर पर किसी को ना पाया. वो सीधे मेरे कमरे पहुँचा और मेरी छोड़ी हुई पॅंटी उठा कर सूंघने लगा. उसने अपनी पॅंट खोली और अपने खड़े लंड के चोरों और मेरी पॅंटी को लगा मूठ मारने लगा.
दूसरे हाथ से उसने दूसरी पॅंटी उठा सूंघ रहा था. में पागलों की तरह अपने भाई को मूठ मारते देख रही थी. मेने सोच लिया था कि में चुप चाप कमरे में जाकर विवेक को ये करते हुए रंगे हाथों पकड़ लूँगी. में चुपके से खिड़की से हटी और दबे पाँव चलते हुए अपने कमरे के पास पहुँची. कमरे का दरवाज़ा तोड़ा खुला था.
में धीरे से कमरे में दाखिल हो उसे देखने लगी. उसकी आँखें बंद थी और वो मेरी पॅंटी को अपने लंड पे लापते ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था. “विवेक ये क्या हो रहा है?” में ज़ोर से पूछा. उसने मेरी ओर देखा, “ओह मर गये.” कहकर वो बिस्तर से उछाल कर खड़ा हो गया. जल्दी से अपनी पॅंट उपर कर बंद की और मेरी पॅंटी को मेरे कपड़ों को ढेर पे रख दी.
उसकी आँखों में डर और शरम के भाव थे. हम दोनो एक दूसरे को घुरे जा रहे थे. “आइ आम सॉरी, में इस तरह कमरे में नही आना चाहती थी, पर मुझे मालूम नही था कि तुम मेरे कमरे में होगे.” मेने कहा. विवेक मुँह खोल कुछ कहना चाहता था, पर शायद डर के मारे उसके ज़ुबान से एक शब्द भी नही निकला.
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“तुम ठीक तो हो ना?” मेने पूछा.
“मुझे माफ़ कर दो.” वो इतना ही कह सका.
मुझे उसपर दया आ रही थी, में उसे इस तरह शर्मिंदा नही करना चाहती थी. “कोई बात नही, अब यहाँ से जाओ और मुझे नहा कार कपड़े बदलने दो.” मेने शांत स्वरमे कहा जैसे कि कुछ हुआ ही नही है. उसने अपनी गर्दन हिलाई और चुपचाप वहाँ से चला गया. रात तक वो अपने कमरे में ही बंद रहा.
जब मम्मी कम पर से वापस आ खाना बनाया तो हम सब खाना खाने डिन्निंग टेबल पर बैठे थे. विवेक लेकिन शांत ही बैठा था. “बेटा विवेक क्या बात है आज इतने खामोश क्यों बैठे हो?” मम्मी ने पूछा. “कुछ नही मा बस थक गया हूँ,” उसने मेरी और देखते हुए जवाब दिया. में उसे देख कर मुस्कुरा दी और वो भी मुस्कुरा दिया. खाने खाने के बात रात में मेने उसके कमरे पर दस्तक दी, उसने दरवाज़ा खोला.
“हाई” मेने कहा. “हाई” “क्या बात है आज बात नही कर रहे, तुम ठीक तो हो?” मेने पूछा.
“ऐसे तो ठीक हूँ, बस आज जो हुआ उसकी शर्मिंदगी हो रही है.” उसने जवाब दिया.
“शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही है, ये सब होते रहता है, पर ये काब्से चल रहा है मुझे सच सच बताओ?” मेने कहा.
“वो ऐसा है ना मेरा दोस्त अमित, तुम तो उसे जानती ही हो. वो तुमसे प्यार करता है. उसने मुझे 100 रुपए दिया अगर में उसे तुम्हारे में कमरे में लाकर तुम्हारी पॅंटी दिखा दू.” “तो क्या तुम उसे लेकर आए?” मेने पूछा.
“मुझे कहते हुए शर्म आ रही है, पर में उसे लेकर आया था और उसने तुम्हारी पॅंटी को सूँघा था. उसने मुझे भी सूंघने को कहा और में अपने आपको रोक ना पाया. तुम्हारी पॅंटी को सूंघते हुए में इतना गरमा गया कि में आज आपने आपको वापस ये करने से रोक ना पाया.”
“वैसे तो बहोत गंदी हरकत थी तुम दोनो की, फिर भी मुझे अच्छा लगा.” मेने हंसते हुए कहा, “तुम्हारा जब जी चाहे तुम ये कर सकते हो.”
“सही में! क्या में अभी कर सकता हूँ? मम्मी पापा सो रहे है.” उसने पूछा.
“एक ही शर्त पर जब में देख सकती हूँ तभी.” मेने कहा.
हम लोग बिना शोर मचाए मेरे कमरे में पहुँचे. मेने टीवी ऑन कर दिया और कमरा बंद कर लिया जिससे सब यही समझे कि हम टीवी देख रहे है. विवेक मेरे कपड़ों के पास पहुँच मेरी पॅंटी को ले सुंगने लगा. “मुज़ेः देखने दो.” हंसते हुए मेने उसेके हाथ से अपनी पॅंटी खींची और ज़ोर सूँघी, “एम्म्म अहसी स्मेल है.” हम दोनो धीमे से हँसे और बेड पर बैठ गये.
“तो तुम दिन में कितनी बार मूठ मारते हो?” मेने पूछा.
“दिन में कमसे कम 3 बार.” उसने जवाब दिया.
“क्या तुम ये अमित को बताओगे कि आज मेने तुम्हे ये करते हुए पकड़ लिया?” मेने फिर पूछा.
“अभी तक इसके बारे मैने सोचा नही है.”
“मेने अमित को कई बार तुम्हारे साथ देखा है. दिखने में स्मार्ट लड़का है.” मेने कहा.
“वो तुम्हे पाने के लिए तड़प रहा है.” उसने कहा.
“तुम्हे क्या लगता है मुझे उसके साथ सोना चाहिए?” मेने पूछा.
“हां इससे उसका सपना पूरा हो जाएगा.” उसने कहा.
हम दोनो कुछ देर तक यूँ ही खामोश बैठे रहे, फिर मैं उसकी आँखों मे झँकते हुए मुस्कुरा दी. “विवेक अगर तुम मुझे अपना लंड दिखाओ तो में तुम्हे अपनी चूत दिखा सकती हूँ.” मेने कहा. विवेक ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए हां कर दी.
हम दोनो कुछ देर चुप चाप ऐसे ही बैठे रहे आख़िर उसने पूछा “पहले कौन दिखाएगा?”
“मुझे नही पता.” मेने शरमाते हुए कहा.
“तुम मेरा लंड दिन में देख चुकी है इसलिए पहले तुम्हे अपनी चूत दिखानी होगी.” वो बोला.
“ठीक है पहले मैं दिखाती हूँ, लेकिन तुम्हे दुबारा से अपना लंड दिखना होगा, पहली बार में आछे से देख नही पाई थी.” मेने कहा.
उसने गर्दन हिला हां कर दी. में बिस्तर से उठ उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी. मेने अपनी जीन्स के बटन खोल कर उसे नीचसे खिसका दी और अपनी काली पॅंटी भी नीचे कर दी. अब मेरी गुलाबी चूत ठीक उसके चेहरे के सामने थी.
विवेक 10 मिनिट तक मेरी चूत को घूरते रहा. मेने अपनी जीन्स उपर खींच बटन बंद कर बिस्तर पर बैठ गयी, “अब तुम्हारी बारी है.” विवेक बिस्तर से खड़ा हो अपनी जीन्स और शॉर्ट्स नीचे खिसका दी. उसका 7 इंची लंड उछाल कर बाहर आ गया.
में काफ़ी देर तक उसे घूरती रही फिर उसने अपना लंड अपनी शॉर्ट्स मे कर जीन्स पहन ली. “कल मम्मी पापा किसी काम से बाहर जा रहे है और रात को लेट घर आने वाले है, तो क्या में कल अमित को साथ मे ले आयु?” उसने पूछा.
“हां ज़रूर ले आना.” मेने कहा.
“में जब उसे बताउन्गा कि मेने तुम्हारी चूत देखी है तो वो जल जाएगा.” उसने कहा.
“उससे कहना कि चिंता ना करे, कल तुम दोनो साथ में मेरी चूत देख सकते हो.” मैने कहा.
दूसरे दिन में जब काम पर थी तो विवेक का फोन मेरे सेल फोन पर आया, “हाई क्या कर रही हो?” उसने पूछा. “कुछ खास नही तुम कहो कैसे फोन किया?” “अगर अमित अपने एक दोस्त को साथ लेकर आए तो तुम्हे बुरा तो नही लगेगा?” उसने पूछा.
“अगर सब कोई इस बात को राज रखते है तो मुझे बुरा नही लगेगा.” मैने जवाब दिया.
“दोनो किसी से कुछ नही कहेंगे ये में तुम्हे विश्वास दिलाता हूँ, ठीक है शाम को मिलते है.” कहकर विवेक ने फोन रख दिया.
जब में शाम को घर पहुँची तो थोड़ा परेशन थी, पता नही क्या होने वाला था. में टीवी चालू कर शांति से उनका इंतेज़ार करने लगी. थोड़ी देर में विवेक घर में दाखिल हुआ. उसके पीछे अमित और एक सुंदर सा लंबा लड़का था. उसने कंधे पे वीडियो कॅमरा लटका रखा था. में शरमाई सी सोफे पे बैठी हुई थी.
“मनीषा, ये अमित और अमरीश है.” विवेक ने मेरा उनसे परिचय करवाया.
“हेलो!” मेने धीमी आवाज़ में कहा.
“क्या हम सब तुम्हारे कमरे में चले.” विवेक ने पूछा.
“हां यही ठीक रहेगा.” कहकर में सोफे से खड़ी हो गयी.
जब हम मेरे कमरे की और बढ़ रहे थे तो में विवेक से पूछा, “क्या तुम इन्हे सब बता चुके हो.” “हां, क्यों क्या कोई परेशानी है.”
“नही ऐसी कोई बात नही है.” मेने कहा.
जब हम कमरे मे पहुँचे तो अमरीश ने अपना कॅमरा बिस्तर पर रख दिया. “विवेक कह रहा था कि अगर हम यहाँ आएँगे तो तुम अपनी चूत हमे दिखावगी.” अमित ने कहा.
“अगर विवेक कह रहा था तब तो दिखानी ही पड़ेगी.” मेने हंसते हुए जवाब दिया.
“अगर तुम्हे बुरा नही लगे तो क्या में तुम्हारी चूत की फोटो खींच सकता हू?” अमरीश ने पूछा.
“बुरा तो नही लगेगा, पर तुम इसे किसे दिखना चाहते हो?” मेने पूछा.
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“अगर तुम नही चाहोगी तो किसी को नही दिखाउन्गा, पर में अपनी एक वेब साइट चालू करना चाहता हूँ और में इस फोटो को अपनी उस साइट पे डाल दूँगा. तुम्हारा चेहरा तो दिखेगा नही इसलिए किसी को पता नही चलेगा कि तुम कौन हो.” अमरीश ने जवाब दिया.
“लगता है इससे मुझे कोई प्राब्लम नही आनी चाहिए,” मेने जवाब दिया.
अमरीश ने अपना कॅमरा उठा अड्जस्ट करने लगा, फिर उसने मुझे अपनी जीन्स और पॅंटी उतारने को कहा. दोनो लड़के मुझे घूर रहे थे जब मेने अपनी जीन्स उतार दी और अपनी पॅंटी भी नीचे खिसका दी. मेरी गुलाबी और झांतो रहित चूत खुल सबके सामने थी.
अमरीश ने कॅमरा एक दम चूत के सामने कर उसका डिजिटल फोटो ले लिया. में अपने कपड़े पहन बिस्तर पर बैठ गयी और दोनो लड़के मेरे सामने कुर्सी पर बैठे थे. हम चारों आपस में बात करने लगे. विवेक उन्हे बताने लगा कि कैसे मेने उसे अपनी पॅंटी सूंघते पकड़ा था और कैसे एक दिन पहले वो अमित को हमारे घर लाकर मेरी पॅंटी सूँघाई थी.
अमित और अमरीश दोनो ही आछे स्वाभाव के लड़के थे. अमरीश 22 साल का था और स्मझदार भी था. वो दौड़ कर बेज़ार गया और सब के लिए बियर ले आया. बातें करते हमारा टॉपिक सेक्स पर आ गया. सब अपनी चुदाई की कहानिया सुनाने लगे. कैसे ये सब कॉलेज की लड़कियों को चोद्ते थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
बातें करते करते सब के शरीर मे गर्मी भरती जा रही थी. अचानक अमित ने कहा, “क्यों ना हम अमरीश के कमेरे से एक ब्लू फिल्म बनाते है और उसे उसकी वेब साइट पर डाल देते है. हम इसका पैसा भी सब व्यूवर्स से चार्ज कर सकते है. फिर हर महीने एक नई फिल्म एड कर देंगे.”
“सुनने में तो अछा लग रहा है” मेने कहा.
“देखो तुम्हारे पेरेंट्स को आने में अभी 3 घंटे बाकी है, अगर तुम चाहो तो हम एक फिल्म आज ही सूट कर सकते है.” अमरीश ने कहा.
“शुरुआत कैसे करेंगे कुछ आइडिया है.” अमित ने पूछा.
“मनीषा क्यों ना मे कॅमरा तुम पर फोकस कर दू और शुरुआत तुम्हारे इंटरव्यू से करते है.” अमरीश ने कहा.
“सुनने में इंट्रेस्टिंग लग रहा है.” मेने कहा.
में एक कुर्सी पर बैठ गयी और अमरीश ने कॅमरा मेरे चेहरे पर फोकस कर दिया.
“अच्छा दोस्तों ये सुंदर सी लड़की मनीषा है, और मनीषा तुम्हारी उम्र क्या है?” अमरीश इंटरव्यू की शुरुआत करते हुए पूछा.
“और ये तुम्हारे साथ ये लड़का कौन है?” उसने कॅमरा को विवेक की ओर घूमाते हुए पूछा.
“ये मेरा भाई विवेक है.” मेने जवाब दिया.
“अच्छा तो ये तुम्हारा भाई है, तब तुम इसे से बचपन से जानती हो. क्या कभी इसका लंड देखा है?” अमरीश ने पूछा.
मेरा शर्म से लाल हो गया, “हां बचपन में जब हम साथ साथ नहाते थे तो कई बार देखा है, और तो अभी मेने कल ही देखा है. मेने इसे रंगे हाथों मेरी पॅंटी को अपने लंड पे लपेटे मूठ मार रहा था और दूसरे हाथ में दूसरी पॅंटी को पकड़े सूंघ रहा था.” मेने कहा.
“ओह और जो आपने देखा क्या वो आपको अछा लगा.?” अमरीश ने पूछा.
शर्म के मारे मेरा चेहरा लाल होता जा रहा था, “हां काफ़ी अछा लगा.” मेने जवाब दिया.
“क्या तुम विवेक के लंड को फिर से देखना चाहोगी?” उसने पूछा.
“हां अगर ये अपना लंड दिखाएगा तो मुझे अच्छा लगेगा.” मेने शरमाते हुए कहा.
“ओके मनीषा में तुम्हारा ड्राइवर्स लाइसेन्स देखना चाहूँगा और विवेक तुम्हारा भी?”
मेने अपना लाइसेन्स निकाला और विवेक ने भी, अमरीश ने दोनो लाइसेन्स पर कॅमरा फोकस कर दिया, “दोस्तों ये इनका परिचय पत्र है, दोनो सही में बहन भाई है और शक्ल भी आपस मे काफ़ी मिलती है.” अमरीश ने कहा.
“विवेक अब तुम अपना लंड बाहर निकाल अपनी बड़ी बहन क्यों नही दिखाते जिससे ये पहले से अच्छी तरह देख सके.” अमरीश ने कहा.
विवेक का चेहरा भी उत्तेजना में लाल हो रहा था. उसने अपनी जीन्स के बटन खोले और अपनी शॉर्ट्स के साथ नीचे खिसका दी. उसका लंड तन कर खड़ा था. “तुम्हारा लंड वाकई में लंबा और मोटा है विवेक.” अमरीश ने कहा.
“मनीषा तुम अपने भाई के लंड के बारे में क्या कहती हो?” अमरीश ने कहा.
मेने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “बहोत ही जानदार और सेक्सी है.”
“मनीषा अब तुम अपना मुँह पूरा खोल दो, अब तुम्हारा भाई अपना लंड तुम्हारे मुँह में डालेगा, ठीक है.” अमरीश ने कहा.
अमरीश की बात सुन में चौंक गयी. मेने ये बात सपने मे भी नही सोची थी. में और विवेक एक दूसरे को घूर रहे थे. थोड़ा झिझकते हुए मेने कहा, “ठीक है.” मेने विवेक की तरफ देखा जो मेरे पास आ अपना लंड मेरे चेहरे पे रगड़ रहा था.
मेने अपना मुँह खोला और उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया. पहले तो में धीरे धीरे उसे चूस रही थी फिर चेहरे को आगे पीछे करते हुए ज़ोर से चूसने लगी. जब उसने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला तो एक पुक्क्कककचह सी आवाज़ मेरे मुँह से निकली.
मेने पलट कर कमेरे की तरफ मुस्कुराते हुए देखा. “तुम सही मेबहोत ही अच्छा लॉडा चूस्ति हो? तुम्हारा क्या ख़याल है अमित इस बारे में?” अमरीश ने कॅमरा अमित की और मोड़ दिया जो अपना लंड अपने हाथों में ले हिला रहा था.
अमरीश ने फिर कॅमरा मेरी और करते हुए कहा, “मनीषा हम सब और हमारे दर्शक तुम्हारी चूत को देखने के लिए मरे जा रहे है, क्या तुम अपनी जीन्स और पॅंटी उतार उन्हे अपनी चूत दिखा सकती हो?”
मेने अपनी जीन्स और पॅंटी उतार दी.
“बहोत अच्छा, मुझे तुम्हारी चूत पे कमेरे को फोकस करने दो, ” उसने कॅमरा ठीक मेरी चूत के सामने कर दिया.
“एक बॉल भी नही है तुम्हारी चूत पे जैसे आज ही पैदा हुई हो!” अमरीश बोला.
“अब हम सब के लिए अपनी चूत से खेलो.”
में अपना हाथ अपनी चूत पे रख दिया और अपनी उंगली अंदर डाल रगड़ने लगी, “म्म्म्मम” मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी.
“बहोत अच्छा मनीषा, लेकिन क्या तुम जानती हो अब हम सब क्या देखना चाहेंगे.” अमरीश ने कहा.
“क्या देखना चाहोगे?” मेने पूछा.
“अब हम सब तुम्हारी गांद देखना चाहेंगे.” अमरीश ने कहा, “तुम पीछे घूम कर अपनी गांद कमेरे के सामने कर दो.”
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मेने घूम कर अपनी गांद को कमेरे के सामने कर दिया और थोड़ी झुक गयी जिससे मेरी गांद थोड़ा उपर को उठ गयी. “विवेक देखो तुम्हारी बहन की गंद कितनी सुन्दर है.” अमित ने कहा.
“मनीषा में चाहता हूँ कि अब तुम पूरी नंगी हो बिस्तर पर जाकर लेट जाओ और अपनी टाँगे हो जितना हो सकता है उतनी उपर को हवा में उठा दो.” अमरीश ने कहा.
मेने अपनी गर्दन हिलाते हुए अपनी संडले उतार दी. फिर अपना टॉप और ब्रा भी खोलकर एकदम नंगी हो गयी. में बिस्तर पर लेट अपनी टाँगे घुटनो तक मोड़ अपनी छाती पे कर ली. अमरीश ने कॅमरा मेरी चूत और गांद पे ज़ूम कर दिया.
“विवेक तुम अपनी बहन की चूत को चाटोगे.” अमरीश ने कहा.
विवेक ने हां में अपनी गर्दन हिला दी. “मनीषा तुम्हे तो कोई ऐतराज़ नही है अगर विवेक तुम्हारी चूत को चाटे.” अमरीश ने पूछा.
“मुझे कोई ऐतराज़ नही है बल्कि में तो कब से इंतेज़ार कर रही हूँ कि कोई मेरी चूत को चाटे.” मेने हंसते हुए कहा. वि
वेक घुटने के बल मेरी जाँघो के बीच बैठ गया और धीरे से अपनी जीब मेरी चूत पे रख दी. वो धीरे धीरे मेरी चूत को चाट रहा था. थोड़ी देर चूत को चाटने के बाद वो अपनी ज़ुबान मेरी चूत से लेकर मेरे गंद के छेद तक चाटा और वापस आते मेरी चूत को मुँह मे ले चूसने लगा.
“विवेक क्या तुम्हे तुम्हारी बहन की चूत का स्वाद अछा लग रहा है.” अमरीश ने पूछा.
“बहुत ही अच्छा स्वाद है, मज़ा आ गया!” विवेक मेरी चूत को और ज़ोर से चूस्ते हुए बोला.
“कौन सा स्वाद अछा है चूत का या गांद का?” अमित ने पूछा जो अब भी अपने लंड को हिला रहा था.
“पहले मुझसे चखने दो फिर बताता हूँ.” कहकर विवेक ने अपनी एक उंगली पहले मेरी चूत में डाल दी फिर उसे निकाल अपने मुँह में डाल चूसने लगा. फिर उसने अपनी उंगली मेरी गांद के छेद पे घूमा उसे सूँघा और फिर मुँह में ले चूसने लगा.
“वैसे तो दोनो ही स्वाद अच्छे है पर मुझे चूत ज़्यादा अछी लग रही है.”
“मुझे भी मेरी चूत का स्वाद चखाओ ना!” मेने विवेक से कहा.
विवेक ने अपनी दो उंगलियाँ पूरी की पूरी मेरी चूत में डाल गोल गोल घूमाने लगा. मेरी चूत की अंदर से खुलने लगी. मेने अपनी चूत की नसों द्वारा उसकी उंगलियों को भींच लिया. थोड़ी देर में उसने अपनी उंगली बाहर निकाल मेरे चेहरे के सामने कर दी.
मेने कमेरे की ओर देखते हुए उसकी उंगलियाँ झपटकर अपने मुँह में ले चूसने लगी जैसे में किसी लॉड को चूस रही हूँ. विवेक ने दुबारा अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. फिर उसने झुक कर अपनी नूकिली जीब मेरी चूत में डाल दी. उसकी जीब काफ़ी लंबी थी और करीब 3 इंच मेरी चूत में घुसी हुई थी. फिर वो नीचे की और होते हुए मेरी गांद के छेद को चूसने लगा.
“कैसा लग रहा है मनीषा?” अमरीश ने पूछा.
“म्म्म्ममममम बहुत मज़ा आ रहा है.” मेने सिसकते हुए जवाब दिया.
“क्या अब तुम अपने भाई के लंड को अपनी गांद मे लेना चाहोगी?” अमरीश ने कमेरे को मेरी गांद की ओर करते हुए पूछा.
“हां उसे कहो जल्दी से अपना लंड मेरी गांद में पेल दे” मेने कहा.
मेरा भाई उठ कर खड़ा हो गया. मेने भी अपनी टाँगे सीधी कर थोडा उन्हे आराम दिया और फिर टाँगो को मोड़ छाती पे रख लिया. “विवेक क्या तुमने कभी सोचा था कि तुम अपना लंड अपनी बहन की गांद मे डालोगे?” अमरीश ने पूछा.
“हां सपने देखते हुए मेने कई बार अपने लंड का पानी छोड़ा है.” विवेक ने जवाब दिया.
“देखो तुम्हारी बहन अपनी गांद को उपर उठाए तुम्हारे लंड का इंतेज़ार कर रही है. में अमित और हमारे सभी दर्शक इसका बेताबी से ये देखना चाहते है. अमरीश ने कहा, आज में डाइरेक्टर हूँ इसलिए में बोलता हूँ वैसा करो. पहले अपने लंड के सूपदे को इसकी गाड़ पे रगाडो.”
विवेक ने वैसा ही किया.
“अब धीरे धीरे अपना पूरा लंड इसकी गांद मे पेल दो.” उसने कहा.
विवेक बड़े प्यार से अपना लंड मेरी गांड में घुसाने लगा. उसका सूपड़ा घुसते ही मेरी गांड अंदर से खुलने लगी. उसका लंड काफ़ी मोटा था और वो अपने 7 इंची लंड को एक एक इंच करके घुसाता रहा जब तक की उसका पूरा लंड मेरी गंद में नही घुस गया.
“विवेक अब कस कस कर धक्के मारो और अपना पूरा पानी इसकी गंद में उंड़ेल दो.” अमरीश ने कहा.
विवेक अब मेरे चूतड़ पकड़ तूफ़ानी रफ़्तार से मेरी गंद मार रहा था. हम दोनो पसीने से तर बतर हो गये थे. में अपने हाथ से अपनी चूत घस्ते हुए अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी. मेरे मुँह से सिसकारिया फुट रही थी, “ओह हाआआं ऐसे ही किए जाओ और ज़ोर से विवेक हाँ चोद दो मुझे फाड़ दो मेरी गांद को, अया में तो गयी.”
मेरा चूत में उबाल आना शुरू हो गया था, और दो धक्कों में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था. “मेरा भी छूट रहा है.” कहकर विवेक के लंड ने अपने वीर्या की बौछार मेरी गंद में कर दी. हम दोनो के बदन ढीले पड़ गये थे गहरी साँसे ले रहे थे. उसका लंड अब ढीला पड़ने लग गया था मेने मुस्कुरा कर उसे बाहों में लिया और चूम लिया.
अमरीश अपने कमेरे से शूट कर रहा था. उसने कॅमरा को बंद करते हुए कहा, “मनीषा ये हमारा आज का आखरी सीन था. उमीद है हम जल्द ही मिलेंगे, ओके बाइ.” “ब्बाइ ब्बाइ सब कोई.” मेने जवाब दिया. मेने भी खड़ी हो अपने कपड़े पहनने लगी. तीनो लड़के मुझे देख रहे थे.
“क्या तुम सब कोई फिर से कुछ सीन्स शूट करना चाहोगे?” में चाहता हूँ कि हमारी वेब साइट सबसे अछी पॉर्न साइट बन जाए.” अमित ने कहा.
“हां ज़रूर करना चाहेंगे.” विवेक बोला.
“हां मुझे भी अच्छा लगा, में तय्यार हूँ.” मेने जवाब दिया.
थोड़ी देर में अमित और अमरीश चले गये. मेरी मम्मी डॅडी भी घर आ गये थे. रात को हम सब खाना खाने डिन्निंग टेबल पर जमा था. में और विवेक खामोशी से खाना खा अपने अपने कमरे मे सोने चले गये. दो हफ्ते गुजर गये. मेरे और विवेक के बीच इस दौरान किसी तरह की बातचीत नही हुई थी.
मुझे लगा कि पॉर्न साइट के लिए सीन शूट अब एक कहानी हो कर रह गयी है. शायद सब कोई इसे भूल चुके है. लेकिन हर रात सोने से पहले में उस शाम के बारे में सोचते हुए अपनी चूत की गर्मी को अपनी उंगलियों से शांत करती थी. फिर एक दिन कॉलेज जाने से पहले विवेक मेरे कमरे में आया, “अमित और अमरीश पूछ रहे थे क्या तुम दूसरी फिल्म करना चाहोगी?”
“में खुद यही सोच रही थी कि तुम लोग ये फिल्म फिर कब करोगे?” मेने कहा.
“मम्मी डॅडी दो दिन के लिए बाहर जा रहे है” विवेक ने कहा.
“क्या तुम लोग फिर आना चाहोगे?” मेने पूछा.
`अगर तुम हां कहोगी तो ” विवेक ने जवाब दिया.
उस दिन में काम पर चली गयी और पूरे दिन शाम होने का इंतेज़ार करती रही. सिर्फ़ सोच सोच के में इतना गरमा गयी थी कि मेरी चूत से पानी चूने लगा था. आख़िर शाम को ठीक 5.00 बअमित में घर पहुँच गयी. घर में घुसते ही मेने तीनो को सोफे पर बैठे हुए देखा.
“हाई सब , कैसे हो?” मैने पूछा.
`हम सब ठीक है, तुम कैसी हो ?” अमित ने कहा.
मेने वहाँ ज़मीन पर कुछ समान पड़ा देखा, “ये सब क्या है.?”
“ये मेरे कॅमरा का समान है, स्टॅंड, ट्राइपॉड वाईगरह इससे मुझे कॅमरा पकड़ कर शूट नही करना पड़ेगा. ऑटोमॅटिक शूट होता रहेगा.” अमरीश ने कहा.
“ठीक है, अब क्या प्रोग्राम है. शूटिंग कहाँ करना चाहोगे?” मेने पूछा.
“हम यहाँ भी कर सकते है.” अमरीश ने कहा.
अमरीश ने अपना कॅमरा ऑन किया और मुझ पर केंद्रित कर दिया, “दोस्तों हम आज फिर सुन्दर मनीषा के साथ बैठे है.”
मेने अपना हाथ कॅमरा के सामने हिलाया. “और ये विवेक है मनीषा का भाई, इससे तो आप सभी मिल चुके है.” विवेक ने भी अपना हाथ हिलाया.
“चलो तुम दोनो अब शुरू हो जाओ.” अमरीश एक डाइरेक्टर की तरह निर्देश देने लगा. मेने और विवेक ने एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखा. विवेक आगे बढ़ मेरे होठों पे अपने होठ रख चूमने लगा. मेने अपनी जीब बाहर निकाली और विवेक मेरी जीब को चूसने लगा.
फिर उसने अपनी जीब मेरी मुँह में डाल दी. हम दोनो की जीब एक दूसरे के साथ खेल रही थी. “ओके मनीषा अब हमारे दर्शक तुम्हारी सुन्दर और आकर्षक गांद एक बार फिर देखना चाहेंगे, क्या तुम दिखाना पसंद करोगी?” अमरीश ने कहा.
“क्यों नही.” इतना कहकर मेने अपनी पॅंट और टॉप उत्तर दिया. फिर ब्रा का हुक खोल उसे भी निकाल दिया. फिर अपनी पॅंटी को निकल में उसे सूंघने लगी और उसे अपने भाई की और उछाल दिया. वो मेरी पॅंटी को पकड़ सूंघने लगा. फिर में सोफे पर लेट गयी और अपनी टाँगे अपने कंधे पर रख ली जिससे मेरी गांद उठ गयी.
अमरीश ने कॅमरा मेरी गांद पर ज़ूम कर दिया. `मेने इतनी गुलाबी और सुदर गांद आज तक नही देखी.’ अमरीश ने कहा, `विवेक आप अपनी बहन की गांद को चोदने के लिए तय्यार करो.’ विवेक ने अपनी दो उंगली मुँह में ले गीली की और मेरी गांद में अंदर तक घुसा दी.
अब वो अपनी उंगली को मेरी गांद में गोल गोल घुमा रहा था. अमरीश ने कॅमरा को स्टॅंड पे लगा उसे ऑटोमॅटिक सिस्टम पर कर दिया. मेने देखा कि अमरीश भी अपने कपड़े उतार नंगा हो चूक्का था. अमरीश अब मेरे पास आया और मुझ गोद में उठा लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ठीक कॅमरा के सामने आ वो सोफे पर लेट गया और मुझे पीठ के बल अपनी छाती पे लिटा लिया. मेरा चूतोदो को उठा उसने अपने खड़े लंड को मेरी गांद के छेद पे लगा मुझे नीचे करने लगा. कॅमरा में उसका लंड मेरी गांद घुसता हुआ दिखाई पड़ रहा था. अब वो नीचे से धक्के लगा रहा था साथ ही मेरे चुतताड को अपने लंड के उपर नीचे कर रहा था.
“विवेक आओ अब अपने लंड को अपनी बहेन की चूत में डाल दो तब तक में नीचे से इसकी गांद मारता हूँ.” अमरीश मेरे मम्मो को भींचते हुए बोला. विवेक तुरंत अपने कपड़े उतार नंगा हो एक ही झटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, “ओह अहह. ” मुझे बहोत ही मज़ा आ रहा था. ऐसी चुदाई में सिर्फ़ ब्लू फिल्म्स में देखी थी लेकिन आज़ खुद करवा रही थी. एक लंड नीचे से मेरी गांद मार रहा था और दूसरा लंड मेरी चूत का भुर्ता बना रहा था.
जब विवेक अपना लंड मेरी चूत में जड़ तक पेलता तो उसके बजन के दबाव से पूरी तरह अमरीश के लंड पर दब जाती जिससे उसका लंड भी मेरी गांद की जड़ तक जा घुसता. दोनो खूब जोरो से धक्के लगा रहे थे और मेरी साँसे उखड़ रही थी, “हाआाआअँ चोदो मुझे और जूऊऊऊऊऊओर से हाआाआअँ विवेक ऐसी ही चोदते जाओ. रूको मत हाआाआअँ और तेज हााआ ओह .”
अमरीश ने मुझे थोड़ा से उपर उठा घोड़ी बना दिया. विवेक ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल पीछे होकर खड़ा हो गया. अमरीश अब मेरे चुतताड पकड़ ज़ोर के धक्के मार रहा था. उसके भी मुँह से सिसकारी निकल रही थी इतने में मेने उसके वीर्या की बौछार अपनी गांद में महसूस की.
वो तब तक धक्के मारता रहा जब तक कि उसका सारी पानी नही छूट गया. अमरीश खड़ा हो कॅमरा को अपने हाथ में ले मेरी गांद के छेद पे ज़ूम कर दिया. अमरीश के वीर्या मेरी गांद से चू रहा था. “अपनी गांद को अपने हाथों से फैलाओ?” उसने कहा.
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मेने अपने दोनो हाथों से अपनी गांद और फैला दी. ऐसा करने सेउसका वीर्या मेरी गांद से टपकने लगा. `विवेक देखो तुम्हारी बहन की गांद से कैसे मेरा पानी टपक रहा है.’ अमरीश कॅमरा को और मेरी गंद के नज़दीक करते हुए बोला. `अछा है मुझे लंड घुसने मे परेशानी नही होगी.’ विवेक ने हंसते हुए कहा. विवेक मेरे चेहरे के पास आ अपना लंड थोड़ी देर के लिए मेरे मुँह मे दिया. मेने दो चार बार ही चूसा होगा कि उसने अपना लंड निकाल लिया.
मेरे पीछे आ उसने एक ही झटके अपना पूरा लंड मेरी गांद में डाल दिया और धक्के मारने लगा. थोड़ी देर मेरी गांद मारने के बाद उसने अपना पानी मेरी गांद में छोड़ दिया. मेने अपनी उंगलियों को उसके पानी से भिगोने लगी और फिर कॅमरा के सामने देखती हुई अपनी उंगली चूसने लगी. “अगली बार जल्द ही मिलेंगे” कहकर मेने अपना हाथ कॅमरा के सामने हिला दिया. अमरीश ने भी कॅमरा ऑफ कर दिया.
Simran says
es story ka agla part kab aayega or kise ke pass hai kya jo writer hai pls mughe mag kare writer ji meri id on google chat Simranlhurana 671 @ gmail . com