Pussy Touch
दोस्तों मैं आपकी रंडी डॉक्टर रंजना आप सब का एक बार फिर हमारी वासना पर स्वागत करती हूँ. दोस्तों आपने मेरी पिछली कहानी मरीज के प्यार में बीमार हो गई प्यासी डॉक्टर 1 पढ़ी होगी. दोस्तों अब तक आपने पढ़ा की कैसे मैंने अरुण को ब्लोव्जोब दिया था हॉस्पिटल में ही और उसने भी मेरी चूचियां दबाई और मेरी चूत सहलाई थी, अब आगे – Pussy Touch
मैं सीधे अरुण के कॅबिन मे पहुँचा. मुझे पता था कि वो मुझ पर नाराज़ होने वाला है. इतने दिनो से मिल जो नही पाई थी उससे. किसी के हाथ खबर भी नही भिजवा पाई क्योंकि इसके लिए उसे सब कुछ बताना पड़ता जो कि मैं नही चाहती थी.
लेकिन जब मैं वहाँ पहुँची तो कमरा खाली पाया. पूछने पर पता लगा कि उसको डिसचार्ज कर दिया गया है. मैने कमरे मे उसके हिस्टरी शीट मे सब जगह उसका पता जानने की कॉसिश की मगर कुछ पता नहीं लगा. मेरी हालत पागलो जैसी हो गयी थी जिससे मन लगाया वो मेरी बेवकूफी के कारण मुझसे दूर हो गया था.
मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था की इतने दिनो साथ रहे मगर कभी उसका पता नही पूछा. मैने उसे हर जगह ढूँढा. मगर वो तो ऐसे गायब हुआ जैसे सुबह की रोशनी मे ढूँढ गायब हो जाती है. मैं जिंदगी मे पहली बार किसी पराए लड़के से बिछुड़ने पर रोई थी.
मेरी सहेली बिपाशा जो मेरे साथ क्वॉर्टर शेयर करती थी, उसने भी काफ़ी खोदने की कोशिश की मगर मैने किसी को भी कुछ नहीं बताया. मैने जिंदगी मे पहली बार किसी से प्यार किया था. वो जैसा भी था मुझे अच्छा लगता था. वो ग़रीब था लेकिन उसमे कुछ बात थी जो उसे सबसे अलग करती थी. कुछ हो ना हो मैं तो उस से प्यार करने लगी थी.
किसी ने सच ही कहा है दिल किसी रूल को नही मानता. उसके अपने अलग ही उसूल होते हैं. घरवाले परेशान कर रहे थे शादी के लिए. मेरे पेरेंट्स आज़ाद ख़यालों के थे इसलिए उन्हों ने कह दिया था कि मैं जिसे चाहे पसंद करके शादी कर लूँ.
कभी कभी मैं सोचती कि क्या वो भी मुझे चाहता होगा? या मैं ही उससे एक तरफ़ा प्यार करने लगी थी. शायद उसे तो मेरे बदन से खेलने मे अच्छा लगता था इसलिए उसने मुझे उसे किया. नही तो इतने दिनो मे एक बार तो कभी भूल से ही सही अपने प्यार का इज़हार करता. मैं तो उसके मुँह से प्यार के बोल सुनने को तरसती थी.
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अगर वो मुझे पसंद करता था तो फिर वो कभी दोबारा मुझसे मिला क्यों नहीं. धीरे धीरे सिक्स मंत्स गुजर गये उस मुलाकात को. मैने अपने दिल को मना लिया था. मैं मानने लगी थी कि शायद मेरी किस्मेत मे कोई है ही नही. मैने घर वालों को भी सॉफ सॉफ कह दिया था कि मुझे बार बार परेशान नही करे. मुझे किसी से शादी नही करना है.
वापस वही हॉस्पिटल और वो कमरा बस इसी मे बँध गयी थी. हां जब कभी मैं उस कॅबिन के सामने से गुजरती तो लोगों की नज़रों से बच कर एक बार अंदर ज़रूर झाँक लेती. क्यों?….नही मालूम. शायद दिल को अभी भी आशा थी कि अरुण फिर मुझे उस कॅबिन मे मिल जाएगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर अचानक ही वो मिला. मैं तो उम्मीद हार् चुकी थी. लेकिन वो मिला…..वो जब मिला तो मुझे दिए तले अंधेरा वाली बात याद आई. एक दिन मैं हॉस्पिटल के लिए निकली तो अचानक मुझे एक जाना –पहचाना चेहरा हॉस्पिटल के सामने के बगीचे मे काम करता हुआ नज़र आया. मेरे सामने उसकी पीठ थी. वो पोधो पर झुका हुआ उनकी कटिंग कर रहा था. पीछे से वो मुझे काफ़ी जाना पहचाना लग रहा था.
“सुनो माली.” उसके घूमते ही मैं धक से रह गयी,”त…तुऊऊँ?” सामने अरुण खड़ा था. मेरा प्यार, मेरा अरुण. मैं एकटक उसे देख रही थी. मुँह से कोई बोल नही निकले. मेरे बदन और मेरे दिमाग़ ने कुछ छनो के लिए काम करना बंद कर दिया.
“राआआआ……..मेडम” अरुण ने मुझे जैस सोते से जगाया. ”मैं यहाँ माली का काम करता हूँ. आप अपने आप को सम्हलिए नहीं तो कोई भी आदमी इसका ग़लत मतलब निकाल सकता है. आप यहा डॉक्टर हैं और मैं एक मामूली सा माली…”
मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ.”तुम मुझे आज शाम छः बजे मेरे घर पर मिलना. बहुत ज़रूरी काम है… आओगे ना?”मैने उससे कहा मगर उसके मुँह से कोई बात निकलती ना देख कर मैने धीरे से कहा,”तुम्हे मेरी कसम.”कहकर मैं अपने आप को समहाल्ती हुई तेज़ी से हॉस्पिटल मे चली गयी.
मुझे मालूम था कि अगर मैने मूड कर देख लिया तो मैं अपने जज्बातों पर काबू नही रख सकूँगी. हॉस्पिटल मे मन नहीं लगा तो तबीयत खदाब होने का बहाना बना कर मैं भाग निकली. आज किसी काम मे मन नही लग रहा था. शाम को अरुण आने वाला था मुझसे मिलने. उसकी तैयारी भी करनी थी.
वापसी मे मुझे अरुण कहीं नहीं दिखा. मैने उस गार्डेन के दो तीन चक्कर काटे मगर कहीं भी नही था वो. मैं बाज़ार जा कर कुछ समान खरीद लाई. समान मे कुछ रजनीगंधा के स्टिक्स, एक झीना रेशमी गाउन था. रात का डिन्नर और तीन बॉटल बियर था. एक लड़की के लिए बियर खरीदना कितना मुश्किल काम है आज मुझे पता लगा था.
बड़ी मुश्किल से किसी को पैसे देकर मैने तीन बॉटल बियर माँगाया. आज मैं उसकी पूरी तरह से स्वागत करना चाहती थी. शाम चार बाजे से ही मैं अपने महब्बूब के लिए तैयार होकर बैठ गयी. हाल्का मेकप करके पर्फ्यूम लगाया. फिर ट्रॅन्स्परेंट ब्रा और पॅंटी के उपर नया रेशमी गाउन पहन लिया.
गुलाबी झीने गाउन को पहनना और नही पहनना बराबर था. बाहर से मेरे गुलाबी बदन एक एक रोया दिख रहा था. मैने बिस्तर पर साफ़ेद रेशमी चादर बिछा दिया. रूम स्प्रे को चारों ओर स्प्रे कार दिया था जिससे एक रहश्यमय वातावरण तैयार हो.
कुछ रजनीगंधा के स्टिक्स एक फ्लवर वर्स मे बेड के सिरहाने पर रख दिया. 6 बजे तक तो मैं बेताब हो उठी. बार बार घड़ी को देखती हुई चहल कदमी कर रही थी. 6.10 पर डोर बेल बजा. मैं दौड़ कर दरवाजे पर गई. पीप होल से देखकर ही दरवाजा खोलना चाहती थी.
क्योंकि कोई और हुआ तो मुझे इस रूप मे देखकर पता नहीं क्या सोचे. उसे देख कर मैं दो सेकेंड्स रुक कर अपनी तेज साँसों को कंट्रोल किया और दरवाजा खोलका उसे अंदर खींच लिया. दरवाज़ा बंद करके मैं उससे बुरी तरह से लिपट गयी. किस कर करके पूरा मुँह भर दिया.
“कहाँ चले गये थे? मेरी एक बार भी याद नहीं आई?”मैने उससे शिकायत की.
“मैं यहीं था मगर मैं जान बूझ कर ही आपसे मिलना नही चाहता था. कहाँ आप और कहाँ मैं. चाँद और सियार की जोड़ी अच्छी नहीं लगती”मैने उसके मुँह पर हाथ रख दिया.
“खबरदार जो मुझ से दूर जाने का भी सोचा. आगर जाना ही था तो आए क्यूँ? मेरी जिंदगी मे हुलचल पैदा करके भागने की सोच रहे थे. वो सब जो हमारे बीच उस कॅबिन मे हुआ वो सब खेल था. टाइम पास?”मैने कहा.
“अरे नही आप मुझे ग़लत समझ रही हैं…..”
“और मुझे ये आप आप करना छोड़ो. तुम्हारे मुँह से तुम और तू अच्छा लगेगा.”
“लेकिन मेरी बात तो सुनिए…… सुनो …”
“बैठ जाओ” कहकर मैने उसे धक्का देकर सोफे पर बिठा दिया. मैने मन ही मन डिसाइड कर लिया था कि इतना सब होने के बाद आब मैं अरुण से कोई शरम नहीं करूँगी और निर्लज्ज होकर अपनी बात मनवा लूँगी. हम इतने आगे बढ़ चुके थे कि शर्म की दीवार खींचना अब व्यर्थ था.
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मैं उठी और फ्रिड्ज से बियर की बॉटल निकाल कर उसका कॉर्क खोला. एक काँच के ग्लास मे उधेल कर उसके पास आई. ग्लास मे उफनता हुआ झाग मेरे जज्बातों को दर्शा रहा था. मैं उस से सॅट कर बैठ गयी और ग्लास को उसके होंठों के पास ले गयी.
जैसे ही उसने ग्लास से अपने होंठ लगाने के लिए अपने होंठ बढ़ाए मैने झट से ग्लास को पीछे करके अपने होंठ आगे कर दिए. अरुण मुस्कुराता हुआ अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिया. मैने उसके होंठों से ग्लास लगा दिया. उसने मेरी ओर देखते हुए मेरी हाथों से एक घूँट पिया. उस एक घूँट मे ही पूरा ग्लास खाली कर दिया.
“हां तो अब बताओ कि दोनो मे से कौन ज़्यादा नशीला है. मैं या ये……”कहकर मैने उत्तेजक तरीके से अपने बालों को पीछे करके कमर पर हाथ रख कर अपनी टाँगों को कुछ फैला कर खड़ी हो गयी. उसने हाथ बढ़ा कर मेरी बाँह पकड़ कर मुझे अपने गोद मे खींच लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हम दोनो के होंठ मिले और मैने अपनी जीभ उसके मुँह मे डाल दी. मैं उसके पूरे मुँह के अंदर अपनी जीभ फिराने लगी. काफ़ी देर बाद जब हम अलग हुए तो ग्लास को उसके हाथों मे पकड़ा कर मैं खड़ी होगयि.
“तुम्हे मेरे ये बहुत अच्छे लगते थे ना?” मैने अपने ब्रेस्ट्स की तरफ इशारा करते हुए उसके होंठों के बिल्कुल पास आकर पूछा. उसने स्वीकृति मे अपने सिर को हिलाया.
“खोल कर नहीं देखना चाहोगे?” इससे पहले कि वो कुछ कहे मैने खड़े होकर एक झटके मे गाउन की डोर को खींच कर उसे खोल दिया. गाउन सामने की तरफ से पूरा खुल चुका था. मेरा गुलाबी बदन सिर्फ़ दो छोटे कपड़ों से ढका हुआ था.
मैने अपने गाउन को शरीर से अलग कर दिया. वो एकटक मेरे लगभग नग्न बदन को निहार रहा था.. मैं उसकी ओर झुकते हुए अपने ब्रा के एक स्ट्रॅप को खींच कर छोड़ा. स्ट्रॅप वापस अपनी जगह पर आ गया मगर सामनेवाले के दिल मे एक टीस सा छोड़ गया. उसकी ज़ुबान तो लगता था सिथिल सी हो गयी थी. मुझसे शायद इतने बोल्ड हरकत की उसकी उम्मीद नही थी उसे.
वो बस एक तक मेरे बदन के एक एक इंच को निहार रहा था. आज पहली बार मुझमे भी कामुक लहरे उफन रही थी. आज तक सर्द सी जिंदगी बिताने के बाद आज पूरा बदन गर्मी से झुलस रहा था. मैं उसके पास आकर दोनो पैरों को फैला कर उसकी गोद मे बैठ गई. उसके सिर को पकड़ कर आपनी एक छाती पर दबा दिया.
“लो चूमो इसे. ये सिर्फ़ तुम्हारे लिए हैं. क्या अब भी तुम्हे लगता है कि हमारे बीच किसी तरह की कोई दीवार है?”उसके होंठ मेरे स्तनो पर फिर रहे थे.
“ब्रा खोल्दो” मैने उसके कानो मे फुसफुसाते हुए कहा. मगर उसे कोई हरकत करता नहीं देख कर मैने खुद ही ब्रा को शरीर से अलग कर दिया. आज मैं इतनी उत्तेजित थी कि ज़रूरत पड़ने पर अरुण को रेप भी करने को तैयार थी.
“देखो ये कितने बेताब हैं तुम्हारे होंठों के. कितने दिनो से तड़प रही थी……”कहकर मैने उसके होंठों से अपने निपल सटा दिए. पहले वो थोड़ा झिझका फिर धीरे से उसके होंठ खुले और मेरा एक निपल मुँह मे प्रवेश कर गया. वो अपने जीभ से निपल के टिप को गुदगुदाने लगा.
“कैसे हैं?” मैने शरारत से पूछा.
उसका मुँह मे मेरे निपल होने के कारण सिर्फ़ ”उम्म्म्म” जैसी आवाज़ ही निकली.
“मुझे कुछ भी समझ मे नही आया. ठीक से कहो. मुझे सुनना है.”
उसने अपने मुँह को उठाया और मेरे होंठों से दो इंच दूर अपने होंठ लाकर धीरे से कहा.”बहुत अच्छे. मैने कभी इतनी हसीन साथी की कल्पना भी नही की थी. मैं एक ग़रीब….”मैने अपने हाथ उसके मुँह पर रख कर आगे बोलने नही दिया.
“बस अब मुझे सिर्फ़ प्यार करो. मैने अपनी जिंदगी मे कभी अपने जज्बातों को आवारा होने नही दिया. मगर आज मैं झूमना चाहती हूँ. आज सिर्फ़ प्यार पाना चाहती हूँ तुमसे.”उसने वापस अपने होंठ मेरे स्तनो पर लगा दिए. मैने उसके सिर को अपनी दोनो चुचियों के बीच की खाई मे दबा दिया.
“आ हाआँ प्लस्सस. हेयेयन आअज मुझे नीचूओद लूओ.पूरा रास पीई जाऊओ.” मैं उसके बालों मे हाथ फिराते हुए बुदबुदाने लगी. उसने मेरे निपल को अपने मुँह मे डाल कर तेज तेज चूसने लगा. मैं ”आआआआआआअहह ह उम्म्म्मममम ओफफफफफफफफूऊ” जैसी आवाज़ें अपने मुँह से निकाल रही थी.
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मैं उसके दूसरे हाथ को आपने दूसरे ब्रेस्ट पर रख कर दबाने लगी. कुछ देर बाद उसने दूसरे निपल को चूसना शुरू कर दिया उसके हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे. स्पर्श इतना हल्का था मानो शरीर पर कोई रुई फिरा रहा हो. कुछ देर बाद उसने मुँह उठा ते हुए कहा, ”मेडम….रंजना अब भी सम्हल जाइए अब भी वक्त है. हम मे ओर आपमे ज़मीन आसमान का फिर्क़ है.”
मैं एक झटके से उठी. अपने शरीर से आखरी वस्त्र भी नोच डाला. उसके सामने अब मैं बिल्कुल निवस्त्र थी जबकि वो पूरे कपड़ों मे था. मेरा चेहरा गुस्से मे लाल सुर्ख हो रहा था. “देखो इस शरीर की एक झलक पाने के लिए कई लोग बेचैन रहते हैं और आज मैं खुद तुम्हारे सामने बेशर्म होकर नंगी खड़ी हूँ और तुम मुझ से दूर भाग रहे हो.” मैने कहा.
”अगर किसी कोई मुझे इस तरह की हरकतें करते हुए देख ले तो उसे अपनी आँखों पर विस्वास नहीं होगा. मुझे सब कठोर, ठंडी और मगरूर लड़की समझते हैं. और तुम?…देखो किस तरह मुझे अपने सामने निर्लज्ज होकर गिड़गिदाने पर मजबूर कर रहे हो. अगर इतना ही सोचना था तो पहले दिन ही मुझसे दूर हो जाते. क्यों हवा दी तुमने मेरे जज्बातों को?”
मैने उसका हाथ पकड़ खींच कर उठा दिया और लगभग खींचते हुए बेडरूम मे ले गई. उसे बेड के पास खड़ा कर के मैं उसके कपड़ों पर ऐसे टूट पड़ी मानो कोई भूखा किसी स्वादिस्त खाने को देख कर टूट पड़ता है. कुछ ही देर मे वो भी मेरी ही हालात मे आ गाया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आज पहली बार मैने उसे पूरी तरह नग्न अवस्था मे देखा था. कॅबिन मे आने के बाद वो हमेशा बदन पर पयज़ामा पहना रहता था. जिसे ढीला करके मैं उसके लंड को प्यार करती थी. मैने उसे एक ज़ोर का धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया.
उसे बिस्तर पर पटक कर मैं उस पर चढ़ बैठी. उसके शरीर के एक एक अंग को चूमने चाटने लगी. उसके निपल्स को दाँतों से हल्के से काट दिया. उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ ते हुए अपनी जीभ उसके मुँह मे दे दिया. वो भी मेरी जीभ को चूसने लगा. मेरे हाथ उसके लंड को सहला रहे थे.
मैं उसके पैरों के अंगूठे और उंगलियों को चूमते हुए उपर बढ़ने लगी. उपर आते आते मेरे होंठ उसकी टाँगों के जोड़ तक पहुँच गये. मैने अपनी जीभ निकाल कर उसके अंडकोषों पर फिराना शुरू किया. मैने अब अपना ध्यान उसके लंड पर कर दिया.
पहले उसके लंड को चूमा फिर उसे मुँह मे ले कर चूसने लगी. लंड का साइज़ बढ़ कर लंबा और मोटा हो गया. उसका साइज़ देख कर एक बार तो मैं सिहर गयी थी कि ये दानव तो मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा.
“बहुत ही शैतान है ये. इसने मुझे ऐसा रोग लगाया कि अब ये मेरा नशा बन गया है. आज मैं इसे ठंडा करूँगी अपने पानी से.” फिर मैने उनको उल्टा करने की कोशिश की तो उन्हों ने खुद ही करवट बदल कर पेट के बल लेट कर मेरी कोशिश आसान कर दी.
मैं अब अपने होंठों को उनकी पीठ पर चलाने लगी. मेहनत का काम करते रहने के कारण उनके बदन बहुत ही बलिष्ठ और सख़्त था. मुझे अपने कोमल बदन को उनके बदन से रगड़ने मे मज़ा आ रहा था ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने बदन को किसी दीवार से रगड़ रही हूँ. मैने उनकी पूरी पीठ पर और उनके नितंबों पर अपनी जीभ फिरा कर उनको खूब प्यार किया.
काफ़ी देर ताक हम दोनो एक दूसरे के बदन से खेलते रहे. फिर मैं उसकी तरफ देख कर बोली, ”आज मैं अपना कोमार्य तुम्हें भेंट कर रही हूँ. इससे महनगी कोई चीज़ मेरे पास नहीं है. ये मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कितना प्यार है उसे दर्शाती है. प्लीज़ मुझे लड़की से आज औरत बना दो.”
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मैने उसे चित लिटाकर उसका खड़े लंड के दोनो ओर अपने घुटनो को मोड़ कर बैठी. मैने उनके लंड को अपने चूत के मुहाने पार रख कर उनके लंड पर बैठने के लिए ज़ोर लगाई मगर अनारी होने के कारण एवं मेरी चूत का साइज़ छोटा होने के कारण लंड अंदर नाहीं जा पाया. मैने फिर अपनी कमर उठाकर उसके लंड को अपने हाथों से सेट किया और शरीर को ज़ोर से नीचे किया मगर फिर उसका लंड फिसल गया. मैने झुंझला कर उसकी ओर देखा.
“कुछ करो ना. कैसे आदमी हो तब से मैं कोशिश कर रही हूँ और तुम चुप चाप पड़े हुए हो. क्या हो गया है तुम्हे.” तब जाकर उसने अपनी झिझक को ख़त्म कर के मुझे बिस्तर पर पाटक दिया. मेरी टाँगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूम लिया.
“ये हुआ ना असली मर्द. वाह मेरे शेर! मसल दो मुझे. मेरी सारी गर्मी निकाल दो” उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि मे घुसने लगा मैने अपने दोनो हाथों से अपनी योनि के फांकों को चौड़ा करके उसकी जीभ का स्वागत किया.
वो मेरी योनि मे जीभ फिराने लगा. एक तेज सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ने लगी. मुझे लगने लगा कि अब वो उठे और मेरे योनि मे चल रही खुजली को शांत कर दे. मैं अपने हाथों से उसके सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी. इस कोशिश मे मेरी कमर भी बिस्तर छोड़ कर उसकी जीभ को पाने के लिए उपर उठने लगी. काफ़ी देर तक मेरी गीली चूत पर जीभ फिराने के बाद वो उठा. मैं तो उसके जीभ से ही एक बार झाड़ गयी.
“राआाज बस और नही. प्लीज़ अब और मत सताओ. अब बस मुझे अपने लंड से फाड़ डालो. आआअहह राआाज आअज मुझे पता चला कि इसमे कितना मज़ा छिपा होता है. म्म्म्ममममम” उसने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को मेरी टपकती चूत पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.
“आआआआआः उउउउउउउउईईईई माआआआ”उसका लंड रास्ता बनाता हुआ आगे बढ़कर मेरे कौमार्य की झिल्ली पर जा रुका. उसने मेरी ओर देख कर एक मुस्कुराहट दी.
“ये तुम्हारे लिए है मेरी जान तुम्हारे लिए ही तो बचा कर रखा था. लो इस पर्दे को हटा कर मुझे अपना लो.”
अब उसने एक और ज़ोर दार धक्का मारा तो पूरा लंड मेरे अंदर फाड़ता हुआ समा गया.”ऊऊऊओफ़ माअर ही डालोगे क्या? ऊउउउउईईईईइ मा मर गई” मैं बुरी तरह तड़पने लगी. वो लंड को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर रुका. अपने लंड को उसी अवस्था मे रोक कर वो मेरे उपर लेट गया.
वो मेरे होंठों को चूमने लगा. मैने भी आगे बढ़ कर उसके होंठ अपने दांतो के बीच दबा कर उसे चूमने लगी. इस तरह मेरे ध्यान योनि से उठ रही दर्द की लहरों की तरफ से हट गया. मैं उत्तेजित तो पूरी तरह ही हो रही थी. मैने अपने लंबे नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा दिए.
जिससे हल्का हल्का खून रिसने लगा था. धीरे धीरे मेरा दर्द गायब हो गया. उसने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर मुझे सिर से पकड़ कर कुछ उठाया और अपने लंड को दिखाया. लंड पर खून के कुछ कतरे लगे हुए थे. मैं खुशी से झूम उठी. मैने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी टाँगे चौड़ी कर के अपनी योनि मे डाल लिया.
उसने वापस अपने लंड को जड़ तक मेरी योनि मे डाल दिया. उसने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर वापस अंदर डाल दिया. फिर तो उसने खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए. मैं भी पूरी ज़ोर से नीचे से उसका साथ दे रही थी. अंदर बाहर अंदर बाहर जबरदस्त धक्के लग रहे थे. 45 मिनट के बाद वो मेरे अंदर ढेर सारा वीर्य उधेल दिया.
मैं तो तब तक तीन बार निकाल चुकी थी. वो थॅक कर मेरे शरीर पर लेट गया. मैं तो उसकी मर्दानगी की कायल हो चुकी थी. हम एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फिरा रहे थे. कुछ देर बाद वो बगल मे लेट गया मैं उस हालत मे उसके सीने के ऊपर अपना सिर रख कर उसके सीने के बालों से खेलने लगी. वो मेरे बालों से खेल रहा था.
“थॅंक यू” मैने कहा ”मैं आज बहुत खुश हूँ. मेरा एक एक अंग तुम्हारी मर्दानगी का कायल हो गया है. मुझे लड़की से औरत बनाने वाला एक जबरदस्त लंड है. जिसके धक्के खाकर तो मेरी हालत पतली हो गयी. मगर खुश मत होना आज सारी रात तुम्हारी बरबादी करूँगी.” वो मुस्कुरा रहा था.
“क्यों मन नही भरा अब भी?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा.
“इतनी जल्दी कभी मन भर सकता है क्या?” वो मेरे निपल्स से खेलते हुए हँसने लगा. मैने उसकी आँखो मे झाँकते हुए पूछा, ”अब बोलो मुझ से प्यार करते हो? देखो ये चादर हम दोनो के मिलन की गवाह है.” मैने चादर पर लगे खून के धब्बों की ओर इशारा किया. उसने सिर हिलाया.
“मुझसे शादी करोगे? धत मैं भी कैसी पगली हूँ आज तक मैने तो तुमसे पूछा भी नहीं कि तुम शादीशुदा हो कि नहीं और देखो अपना सब कुछ तुम्हे दे दिया.”
“अगर मैं कहूँ कि मैं शादीशुदा हूँ तो?” उसने अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान लाते हुए पूछा.
“तो क्या? मेरी किस्मत. अब तो तुम ही मेरे सब कुछ हो. चाहे जिस रूप मे मुझे स्वीकार करो” मेरी आँखें नम हो गयी.
“जब सब सोच ही लिया तो फिर तुम जब चाहे फेरों का बंदोबस्त कर लो. मैं अपने घर भी खबर कर देता हूँ.” उसने कहा.
“येस्स्स!” मैने अपने दोनो हाथ हवा मे उँचे कर दिए फिर उस पर भूकी शेरनी की तरह टूट पड़ी. इस बार उसने भी मुझे अपने ऊपर खींच लिया. एक और मरथोन राउंड चला. इस बार मैं उस पर चढ़ कर उसके लंड पर चढ़ाई कर रही थी. अब शरम किस लिए ये तो अब मेरा होने वाला शोहर था.
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काफ़ी देर तक करने के बाद उसने मुझे चौपाया बना कर पीछे से अपना लंड डाल कर धक्के मारने लगा. मेरी नज़र सिरहाने की तरफ डॉक्टोरेस्सैंग टेबल पर लगे मिरर पर गया. बड़ी शानदार जोड़ी लग रही थी. वो पीछे से धक्के लगा रहा था और मेरे बड़े बड़े उरोज़ आगे पीछे उछल रहे थे. मैं पोज़िशन चेंज कर के मिरर के सामानांतर अगाई. उसका मोटा काला लंड मेरी चूत मे जाता हुआ काफ़ी एग्ज़ाइटिंग लग रहा था.
मैं एक के बाद एक कई बार लगातार अपना पानी छोड़ने लगी. लेकिन उसका तब भी नही निकला था. उसके बाद भी वो काफ़ी देर तक करता रहा. फिर उसने ढेर सारा वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. उसका वीर्य मेरी योनि से उफन कर बिस्तर पर गिर रहा था. वो थक कर मेरे उपर गिर पड़ा. मैं उसके वजन को अपने हाथों और पैरों के बल सम्हल नही पाई और मैं भी उसके बदन के नीच ढेर हो गयी. हम दोनो पसीने से लथपथ हो रहे थे. कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे.