Ghar Me Samuhik Chudai
अक्षरा अपने गाँव छोड़ कर अपनी ससुराल बहरामपुर आयी थी, उसके कई सपने थे जैसे कि एक बड़ा घर हो बड़ा परिवार हो. ससुराल में सब लोग उसे प्यार करें, उसका पति उसे इज्ज़त दे. और वैसा ही हुआ भी. उसके पति के तीन भाई और दो बहने थी. उसके पति शैलेश शहर में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे. Ghar Me Samuhik Chudai
उसके दो देवर थे – नितेश और अंशुल. नितेश एमएससी कर रहा था और अंशुल बारहवीं कक्षा का छात्र था और इंजीनियरिंग कि तैयारी कर रहा था. उसकी पति की बड़ी बहन प्रियंका शहर में ब्याही थी. और छोटी बहन अनामिका बी ए कर रही थी. प्रियंका का विवाह हो चुका था और उसके दो बच्चे थे.
जब अक्षरा घर से चली उसकी माँ ने उसे सारे घर को जोड़ कर रखने की सीख दी. उसे ये भी बताया कि वो घर कि सबसे बड़ी बहु है और उसे घर चलाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी. कई समझौते करने होंगे. उसे कुछ ऐसा करना होगा कि तीनों भाई मिल जुल के रहें और उसे बहुत माने. अक्षरा घूघट संभाले इस घर में आयी.
जैसा होता है उसे शुरू शुरू में कुछ समझ में आ नहीं रहा था. उसकी सास उसे जिसके पैर छूने को कहती वो छु लेती. जिससे बात करने को कहती वो कर लेती इतना बड़ा परिवार था इतने रिश्तेदार थे कि कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था कि कौन क्या है. उसे उसकी सास ने समझाया कि घबराने कि कोई बात नहीं है. धीरे धीरे सब समझ आने लगेगा.
और फिर उसकी जिन्दागी में वो रात आई जिसका हर लडकी को इंतज़ार रहता है. वो काफी घबराई हुई थी. उसे उसकी ननदों ने उसे सुहागरात के बिस्तर पर बिठा दिया. रात उसके पति शैलेश कमरे में आया. शैलेश काफी हैण्डसम जवान था – गोरा रंग मंझला कद अनिल कपूर जैसी मून्छे और आवाज दमदार. दूध वगैरह कि रस्म होने के बाद कुछ तनाव का सा माहौल था.
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शैलेश ने चुप्पी तोडी और बोला, “अब हम पूरे जीवन के साथी हैं हमें जो भी करना है साथ में करना है.”
अक्षरा ने बस हाँ में सर हिला दिया.
शैलेश ने मुस्कुराते हुए बोला, “चलो अब हम वो कर लें जो शादीशुदा लोग आज कि रात करते हैं.”
अक्षरा को समझ आ गया कि शैलेश उसकी जवानी के मजे लूटने कि बात कर रहा है. उसने एक बार फिर शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया. शैलेश को अक्षरा कि ये शर्मीली अदा बड़ी भाई. वो उसे बाहोँ में भरने लगा, उसे गाल पे चूमने लगा और अपने हाथों से उसके पीठ और पेट का भाग सहलाने लगा.
अक्षरा के लिए ये नया अनुभव था. उसे अभी भी डर लग रहा था पर मज़ा आ रहा था. पाठकों को बता देना चाहता हूँ कि, अक्षरा एक बहुत सुन्दर चेहरे कि मालिक थी. उसका कद पांच फूट तीन इंच था. वह गोरी चिट्टी थी. चेहरा गोल था. होठ सुन्दर थे. आँखें सुन्दर और बड़ी बड़ी थीं. उसकी चुंचियां सुडौल और गांड भारतीय नारियों की तरह थोडा बड़ी थी.
कुल मिला कर अगर आपको वो नग्नावस्था में मिल मिल जाएँ तो आप उसे चोद कर खुद को बड़ा भाग्यवान समझेंगे. उसके गाँव में कई लौंडे उसके बड़े दीवाने थे. कई ने बड़ी कोशिश की, कई कार्ड भेजे, छोटे बच्चों से पर्चियां भिजवाईं, कि एक बार उसकी चूत चोदने को मिल जाए.
पर अक्षरा तो मानों जैसे किसी और मिट्टी कि बनी थी. उसने किसी को कभी ज्यादा भाव कभी नहीं दिया. वो अपने आप को अपने जीवन साथी के लिए बचा कर रखना चाहती थी. और आज इस पल वो जीवन साथी उसके सामने था. शैलेश अपने हाथ उसकी चुन्चियों पर ले आया और लगा सहलाने.
उसने अपने होंठ अक्षरा के होंठों पर रख दिये और लगा अक्षरा के यौवन का रसपान करने. शैलेश उसके चुन्चियों को धीरे धीरे दबाने लगा. वो अपना दूसरा हाथ उसके चूत के ऊपर था. शैलेश अक्षरा कि चूत को कपडे के ऊपर से ही सहलाने लगा. अक्षरा शैलेश कि इस करतूत से बेहद गर्म हो चुकी थी.
उसने अभी तक चुदाई नहीं की थी पर उसकी शासिशुदा सहेलियां थीं जिन्होंने उसे शादी के बाद क्या होता है इसका बड़ा ज्ञान दिया था उसे. अक्षरा शैलेश का पूरा साथ दे रही थी और उसके होठों पर होंठ रख के उसे पूरा चुम्मा दे रही थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखीं थी, उसे होश नहीं था बिलकुल.
इसी बीच उसने ध्यान दिया कि शैलेश बाबू ने उसकी साड़ी उतार दी है और वह बस पेटीकोट और ब्लाउज में बिस्तर मे लेटी हुई है. शैलेश ने उसका पेटीकोट उठा दिया. उसकी केले के खम्भें जैसी जांघे पूरी साफ़ सामने थीं. शैलेश ने अपना हाथ उसकी चड्ढी के अन्दर डाल दिया और उसकी मखमली झांटें सहलाने लगा.
शैलेश कि एक उंगली कि गीली हो चुकी चूत में कब घुसी अक्षरा को बिलकुल पता नहीं चला. अक्षरा को बड़ा मज़ा आ रहा था इसका अंदाजा शैलेश को इस बात से लगा गया कि वो अपनी गांड हिला हिला कर उसकी उंगली का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी.
शैलेश ने अपने स्कूल के दिनों में मस्तराम कि सभी किताबें पढीं थीं. उन किताबों से जो ज्ञान प्राप्त हुआ था आज उसका वो पूरा प्रयोग अपनी नयी नवेली पत्नी पर कर रहा था. अक्षरा की गर्मी को हुये शैलेश ने उसकी चड्ढी उतार फेंकी. ब्लाउज और ब्रा के उतरने में भी कोई भी समय नहीं लगा. अब अक्षरा केवल एक पेटीकोट में उसके सामने लेटी हुई थी. उसके मम्मे बड़े ही सुन्दर थे.
शैलेश ने कहां, “जब सामने इतनी सुन्दर नारी कपडे उतार के लेटी हो, तो मुझ जैसे मर्द का कपडे पहन कर रहना बड़े ही शर्म कि बात है”.
अक्षरा इस बात पर मुस्करा दी. शैलेश ने अपन सारे कपडे उतार फेंके. अक्षरा ने शैलेश के सुडौल शरीर को देखा. शैलेश का लैंड ६ इंच से कम नहीं होगा. वो एकदम तना हुआ था. अक्षरा की चूत शैलेश के आसमान कि तरफ तने लौंडे को देख कर उत्तेजना में बजबजा सी गयी.
मन हुआ कि बस पूरा एक कि झटके में पेल ले अपनी गीली चूत में और जम के चुदाई करे, पर नयी नवेली दुल्हन के संस्कारों ने उसे रोक लिया. शैलेश उसके पास आया और उसे एक बार होठों पर होठ रख के जोर से चुम्मा लिया.
फिर बड़े शरारती अंदाज़ में बोला, “इतनी बात इन होठों को चूमा है इस शाम. अगर दुसरे होठों को नहीं चूमा तो बुरा माँ जायेंगे जानेमन.”
अक्षरा बड़ी कशमकश में थी कि उसके दुसरे होंठ कहाँ हैं. पर जब शैलेश ने उसकी पेटीकोट उठा के उसकी चूत पर जब अपना मुंह रखा तो उसे साफ़ समझ आ गया कि शैलेश का क्या मतलब था. उसने अपनी सहेली के साथ ब्लू फिल्म देखी थी जिसमें एक काला नीग्रो एक अंग्रेज़ औरत कि चूत को चाटता है.
पर उसे ये नहीं गुमान था कि हिन्दुस्तानी मर्द ऐसा करते होंगे. वो ये सब याद ही कर रही थी कि शैलेश ने उसकी चूत का भागनाशा अपने मुंह में ले कर उसे चूसना चुरू कर दिया. फिर वो चूत कि दोनों तरफ की फाँकें चाटने लगा. फिर अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में दाल कर अपनी जीभ से उसे चोदने लगा.
अक्षरा इस समय सातवें आसमान पर थी. उसने सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि ये सब इतना आनंद दायक होगा. उसकी चूत से प्रेम रस बह कर बाहर आने लगा और उसकी गांड के छेद के ऊपर से बहने लगा. शैलेश अपनी जीभ को अक्षरा के अन्दर बाहर कर रहा था साथ ही उसने अपनी छोटी उंगली को गीला कर के अक्षरा की गांड में डाल दिया.
अक्षरा आनंदातिरेक में सीत्कारें भर रही थी. उसे यह सब एक सपने जैसा लग रहा था. शैलेश ने अपनी जीभ अक्षरा कि चूत से निकाल ली और उसका पेटीकोट खींच कर उतार फेंका. वो अक्षरा के बगल में आ कर बैठ गया. और अक्षरा को इशारा किया अपने लण्ड कि तरफ.
अक्षरा समझ गयी कि उसकी चूत कि चटवाने का बदला अब उसे चुकाना है. वो झुक कर आनंद के लंड पर अपन मुंह ले गयी और अपने होठों से उसका सुपाडा पूरा अपने मुंह में ले लिया. शैलेश के लण्ड में एक अजीब सी महक थी जो उसे उसे पागल किये जा रही थी.
वो अपने होंठों को ऊपर नीचे कर के उसका लंड को लोलीपॉप कि भांति उसे चूसने लगी. शैलेश तो जैसे पागल हो उठा. उसकी नयी नवेली दुल्हन तो मानों कमाल कर रही थी. उसने अपनी एक उंगली अक्षरा कि गांड में पेल दी और लगा उसे उंगली से चोदने.
अक्षरा को शैलेश का उंगली का अपनी गांड में चोदना बड़ा अच्छा लग रहा था. वो जोरों से उसका लौंडा चूसने लगी. सारे कमरे में चूसने कि आवाजें गूँज रहीं थीं. इसी बीच शैलेश ने उसका मुंह अपने लंड से उठाया और उसे सीधा दिया. फिर अक्षरा कि टांगों को चौड़ा कर के उसने अपने लंड का सुपादा उसकी गीली और गर्म चूत में घुसा दिया.
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“कैसा लग रहा है मेरी रानी” शैलेश ने पूंछा.
“पेलो राजा पेलो बड़ा मज़ा आ रहा है” अक्षरा ने बोला.
फिर क्या कहना था. शैलेश ने अपना लंड अगले झटके में पूरा अक्षरा कि गुन्दाज़ चूत में पेल दिया. और लगा अपनी कमर को हिलाने. अक्षरा कि चूत तार तार हो गयी थी शैलेश के इस हमले से. वो मजे में चीख रही थी. वो अपनी गांड जोरों से हिला रही थी ताकि शैलेश के धक्कों का पूरा आनंद पा सके.
शैलेश उसकी चुन्चियों को चाट रहा था दबा रहा था. अक्षरा शैलेश के ६ इंच के लौंडें को अपनी जवान चूत में गपागप समाते हुए देख रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि चुदाई इतनी मजेदार होगी. शैलेश ने इसी बीच अपना लंड निकाल लिया और उसे पलट के अपनी गांड उठाने को बोला.
अक्षरा थोडा डर गयी. शैलेश का लंड काफी मोटा था. अगर उसने उसे गांड में घुसेड दिया तो गांड में बड़ा दर्द होगा. पर अब क्या कर सकती थी. वो उलटा हो कर कुतिया के पोस में हो गयी. शैलेश घटनों के बल उसकी चूतडों के पीछे बैठ गया.
उसने थोडा थूंक निकाल कर अपने लंड पर लगाया और लंड को अक्षरा कि चूत के मुहाने पर टिका के एक झटके में पूरा का पूरा लंड अक्षरा कि चूत में पेल दिया. शैलेश का लंड अपनी चूत में पा कर अक्षरा की जान में जान आई. आज गांड मरते मरते बच गयी.
कुतिया बन के चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था. बड़ा आनंद आ रहा था. वो अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए शैलेश का लंड अपनी चूत में गपागप लेने लगी. शैलेश उसकी पीठ पर जोरों से चुम्मा ले लेता, अपने हाथों से अक्षरा कि चुंचियां दबा देता. और गांड पर चिकोटियां काट देता. दोनों की साँसे भारी हो गयीं थीं.
शैलेश के झटके बड़े तेज़ हो गए अक्षरा भी अपनी गांड हिला हिला के उसका पूरा पूरा लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी. चूत मस्त गीली थी. सारे कमरे में चप-चप की आवाज़ गूंज रही थी. और सारे कमरे में चूत और लंड कि जैसे महक भर सी गयी थी. अक्षरा कि चूत से पानी दो बार छूट चूका था. पर शैलेश तो बस अपना लंड पेले जा रहा था. अब तीसरी बार वो झड़ने वाली थी.
“आह मैं गयी …मेरा होने वाला है….”कहते हुए वो झड गयी.
शैलेश भी अब झड़ने वाल था. उसका लंड उत्तेजना में अक्षरा कि गीली चूत के अन्दर मोटा फूल सा गया था. वो जोरों से अपना लंड पेलने लगा.
“आह ….आह …ये ले मेरी रानी ….मेरा अपनी चूत में पहला पानी ले……”
और एक अंतिम झटका लगाया और वो झड गया. अक्षरा ने महसूस किया कि बहुत सारा गरम पानी उसकी चूत के अन्दर जैसे बह रहा है. झड़ने के बाद शैलेश अक्षरा की पीठ के ऊपर ही मानों गिर गया.
“कैसा लगा मेरी रानी” शैलेश ने पूछा.
“बहुत मज़ा आया मेरे राजा”, अक्षरा ने हँसते हुए जवाब दिया.
शैलेश का लंड अभी भी अक्षरा कि चूत के अन्दर था. झड़ने के बाद तो छोटा हो कर बाहर निकल आया. अक्षरा कि चूत से शैलेश का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी बाहर बह कर आने लगा. दोनों बिस्तर पर थक के गिर गए. अक्षरा ने तौलिये से उसे साफ़ किया.
शैलेश और अक्षरा ने एक बार फिर से किस किया. अक्षरा कपडे बिना पहने शैलेश की बाहोँ में शैलेश का लंड अपने हांथों में ले कर नंगे ही सो गयी.. ससुराल का पहला दिन इतना मजेदार होगा ये अक्षरा को पता नहीं था. पर उसे क्या पता था कि ये बस छोटी सी शुरुआत थी और आगे के दिनों में उसका मज़ा दिन दूना रात चौगुना होने वाला है.
अक्षरा सुहागरात के बिस्तर पर पूरी नंगी हो कर अपने पति शैलेश कि बाहो में मस्त सो रही थी. सुहागरात की रात शैलेश ने उससे पहले आगे से चोदा और फिर कुतिया बना के पीछे से चोदा. इस चुदाई के प्रोग्राम के दौरान अक्षरा तीन बार झड़ी.
उसकी शादीशुदा सहेलियों ने उसे बताया था कि सेक्स में बड़ा बजा है, पर इसमें इतना मज़ा होगा ये उसे आज रात पता चला. चुदाई की थकान से नींद इतनी गहरी आयी कि सुबह के पांच बज कब गए थे पता ही नहीं चला. अक्षरा की सास का अलार्म बजा और अक्षरा की नींद खुल गयी.
सो कर उठी तो उसने देखा कि वो ऊपर से नीचे तक पूरी कि पूरी नंगी है और बगल में शैलेश भी नंग धडंग लेटा हुआ है. उसे बड़ी शर्म सी आयी. वो उठी और उसने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने और कमरे से बाहर निकल गयी.
अक्षरा किचेन में गए और अपनी सासु माँ के पैर छु लिए. सासु माँ ने उसे आशीर्वाद दिया. अक्षरा चाय बनाने में अपनी सास कि मदद करने लगी. बीच बीच में रात की चुदाई की याद सी आ जाती थी और उस याद से उसकी चूत में बड़ा अजीब सा ही अहसास हो रहा था.
“मैं तेरे पापा जी के लिए चाय ले जाती हूँ, तू शैलेश के लिए चाय ले जा.” उसकी सास अनीता देवी ने कहा.
“जी मम्मी जी”, अक्षरा ने जवाब दिया.
अक्षरा चाय ले कर अपने बेडरूम में आई. शैलेश अभी भी बिस्तर पर नंगा हो कर मस्त सो रहा था. अक्षरा ने शैलेश को हिलाया. शैलेश ने अपनी आँखे खोलीं तो देखा कि अक्षरा उसके लिए चाय ले कर आई है. अक्षरा को देखते ही शैलेश रात की चुदाई याद आ गयी.
अक्षरा कि गोल और चौड़ी गांड कि याद करते ही उसका लंड झट से खड़ा हो गया. अक्षरा खड़े लंड को देख कर वक्त का इशारा समझ गयी. सास ससुर जगे हुए थे. मामला थोडा रिस्की था. अक्षरा ने कमरे कि सिटकनी बंद कर दी.
और शैलेश के ऊपर बैठ गयी. उसने अपनी साड़ी ऊपर उठा ली और अपनी जवान चूत को शैलेश के लंड के ऊपर भिड़ा दिया. अक्षरा ने अपनी चूत को शैलेश के लंड के ऊपर रख कर आपने शरीर का वज़न जैसे ही छोड़ा शैलेश का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
“रात में आपने मेरे ऊपर चढ़ कर जो किया न आज उसका बदला मैं निकालूंगी.” अक्षरा फुस्गुसाते हुए बोली.
“पिलवाओ रानी पिलवाओ”, शैलेश बोला.
अक्षरा को अपने बेशर्मी पर हैरानी हो रही थी. पर समय कम था. इसलिए जल्दी जल्दी अपने गुन्दाज़ चुतड शैलेश के लंड को अपनी चूत में पेले हुए ऊपर नीचे करने लगी. शैलेश का लंड अक्षरा कि गीली चूत में समा रहा था.
जब अक्षरा अपनी गांड उठाती, शैलेश का चमकता हुआ लंड उसे नज़र आता. शैलेश अक्षरा के मम्मे दबा देता. उसकी गांड पर चपत रसीद देता. अक्षरा कि चौडी गांड शैलेश के लंड के ऊपर नीचे हो रही थी. शैलेश ने उठ कर अक्षरा को पटक दिया और अक्षरा के ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में अपना लंड जल्दी जल्दी पेलने लगा.
“आह… आह.. जल्दी करो मेरे राजा मम्मी पापा जाग रहे हैं….पेलो पेलो ..”
थोड़ी ही देर का शैलेश का लंड फूल कर अक्षरा की चिकनी एवं गरम चूत में पिचकारी छोड़ने लगा. अक्षरा भी बहुत जोर से अपने चूत का पानी छोड़ने लगी.
“ये ले मेरी जान …मेरा लंड ..इस की क्रीम अपनी चूत. में ले ..ए …ए ….” कहते हुए शैलेश अक्षरा की चूत में झड गया.
अक्षरा भी इस चुदाई के मजे से झड गयी.
“चलो अब चाय पी लें.” अक्षरा ने हँसते हुए बोला.
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और वो दोनों अपनी शादीशुदा जिन्दगी की सुबह कि पहली चाय साथ में पीने लगे. उधर अनीता देवी अपने पति उमाकांत के संग चाय कि चुस्कियां ले रहीं थी. घर में नया मेहमान आया है इसकी खुशी उन दोनों को थी. अगले एक हफ्ते के अन्दर सारे मेहमान अपने घर चले गए.
और घर में जीवन सामान्य दिनचर्या में चलने लगा. शैलेश सुबह जल्दी काम पर निकल जाता था और शाम को अँधेरा होने के बाद ही वापस आता था. पर रात में दोनों जम के जवानी के खेल खेलते थे. कैसे कैसे लगभग एक साल गुज़र गया पता ही नहीं चला.
एक दिन दोपहर में घर का काम करने के बाद अक्षरा को समझ नहीं आ रहा था कि शाम को खाने में क्या बनया जाए. वो सास से ये पूछने के लिए उनके कमरे कि तरफ जाने लगी. जैसे ही उसकी सास अनीता देवी का कमरा करीब आ रहा था वहां से कुछ अजीब सी आवाजें आ रहीं थीं.
उसे लगा सासू माँ कोई टीवी सरियल देख रही हैं. उसने रूम का दरवाजा खोल दिया. अन्दर का नज़ारा देख कर उसके हालत फाख्ता हो गयी. उसकी सास अनीता देवी अपने घुटनों के बल हो कर पर कुतिया के पोस में बिस्तर पर थीं. पीछे से उसके ससुर उनकी चुदाई कर रहे थे.
सासू माँ अपनी गोरी और मोटी गांड ऊपर उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थीं. आह आह कि आवाजें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं. हर धक्के पर गांड पर पक पक की आवाज आती थी सासु मन के बड़े बड़े मम्मे हवा में झूल से जाते थे.
कमरे में लाइट पूरी नहीं जल रही थी और खिड़की के परदे भी बंद थे इसलिए सारा दृश्य अक्षरा कि साफ़ नहीं दिख रहा था. वो डर था कि अगर सास ससुर ने उसे इस समय देख लिया तो सबकी स्थिति थोडा खराब हो जायेगी. इस लिए अक्षरा दबे पाँव उस कमरे से बाहर निकल आयी. उसके पैरो में एक अजीब सी झुरझुरी हो रही थी.
अन्दर कि चुदाई को देख कर उसे लग रहा था कि काश शैलेश यहाँ होता. वो लिविंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गयी. उसने टेबल पर से एक गृहशोभा उठाई और पढने के लिए जैसे ही पेज पलटती. उसने देखा उसके ससुर सामने के सोफे पर बैठ कर अखवार पढ़ रहे हैं. उसके मुंह से चीख निकल गयी. वो डर के मारे एकदम से खडी हो गयी. ससुर ने उसे देखा.
“क्या हुआ बहु. तुम इतना डरी डरी क्यों हो… क्या हुआ?” ससुर ने पूछा.
“पापा जी वो उधर …उधर …” अक्षरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.
वो सासु मन के कमरे की तरफ देख रही थी. और जैसे काँप रही थी.
“आप तो मम्मी जी के साथ थे न?……” अक्षरा हकलाते हुए बोल रही थी.
उमाकांत को समझ में आ चुका था की अक्षरा ने उनकी पत्नी अनीता को उनके भाई रमाकांत के साथ रंगरेलियां मनाते देख लिया है. उमाकांत और रमाकान्त ने शुरू से अपने बीच में कोई पर्दा नहीं रखा, जवानी में नौकरानी से ले कर कॉलेज में विमला तक, जब भी किसी एक को चूत मिली तो उसने दुसरे के साथ मिल बाँट कर उसे चोदा.
यहाँ तक शादी कि सुहागरात तक में दोनों नयी दुल्हन के साथ रहे. और आज भी दोनों एक दुसरे के घर जा कर एक दुसरे कि पत्नियों को नियमित रूप से चोदते थे. उमाकांत को पता था कि अक्षरा सारा दिन घर पर रहेगी तो किसी न किसी दिन उसे पता तो चलेगा ही.
इसी लिए उन्होंने योजना बना रखी थी कि अक्षरा को थोड़े दिन में किसी प्रकार से अपनी इन गतिविधिओं में शामिल कर लेंगे. पर आज अचानक से यह स्थिति आ गयी तो उन्हें लगा कि अब वो दिन आ गया है. उसने अक्षरा का हाथ पकड़ लिया और पूछा-
“उस कमरे में कुछ भूत है क्या? आओ चल कर देखते हैं बेटी.”
अक्षरा इस सब बातों से अनजान थी. पर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सास कि उसके ससुर इस अवस्था में देखे.
“नहीं पापा जी…कुछ नहीं हैं” वो बोली.
“अरे नहीं बहूँ. डर का हमेशा सामना करना चाहिए.” कहते हुए उमाकांत अपनी बहु को लगभग खींचता हुआ कमरे के अन्दर ले गया.
अनीता देवी अपनी पीठ पर सीधा लेती हुईं थीं. उनके दोनों पैर हवा में थे. और रमाकांत अपना मोटा लंड उनकी चूत में अन्दर बाहर पेल रहा था. चूत गीली थी हर झटके में चपर चपर की आवाज आती थी. अक्षरा शर्म के मारे वो सब देख नहीं पा रही थी. अगर उसके ससुर ने उसका हाथ नहीं पकड़ रखा होता तो वो वहां से भाग ही जाती. पर उसकी हैरानी उस समय दुगुनी हो गयी जब उसने अपने ससुर मुस्कराते हुए देखा.
“रमा भाई, और जोर से पेलो अपनी भाभी को. जरा हमारी बहू भी तो देखे की हम लोग भी किसी जवान लड़के से कम नहीं हैं.”
जब उमाकांत ये बोले, तब जा कर अनीता देवी और रमाकांत को पता चला कि कमरे में और दो लोग हैं. दोनों ने उमाकांत की तरफ देखा और मुस्करा दिए. उनके चुदाई के काम में को भी रुकावट नहीं आयी. अक्षरा अब थोडा थोडा समझ गयी कि मामला थोडा पेंचीदा है.
पर उसकी समझ में ये गया कि सास ससुर खुल कर जीवन का आनंद लेते हैं. ससुर ने अपने दुसरे हाथ से अपना लंड पतलून से बाहर निकाल लिया. और अक्षरा का हाथ अपने लंड पर रख दिया. अक्षरा तो मानों चौंक उठी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कुछ हो रहा है, पर ये सब देख कर उसकी चूत थोड़ी गीली सी हो गयी थी.
उसने सोचा कि अगर वो इस कमरे से जबरदस्ती भाग गयी, तो उसके सास ससुर उसे परेशान करेंगे. उसके बारे में पता नहीं क्या कुछ शैलेश के कान भर के उसे घर से निकलवा दें. उसने खुद को हालात के ऊपर ही छोड़ देना उचित समझा.
वह नीचे देख रही थी. उसका हाथ उसके ससुर ने जबरदस्ती खींच कर अपने लंड पर रखा हुआ था. अक्षरा ने अपना हाथ से धीरे धीरे ससुर के लंड को सहलाने लगी. ससुर का लंड खड़ा हो चुका था. वो अक्षरा को लेकर बिस्तर के कोने में बैठ गया.
उसकी पत्नी और उसका भाई अभी चुदाई कर रहे थे और बिस्तर हर झटके पर हिल रहा था. उमाकांत ने अक्षरा का ब्लाउज और ब्रा उतार दिए और उसकी गोल गोल चुंचियां सहलाने लगे. अक्षरा एक दम गरम हो चुकी थी.
ससुर ने उसे नीचे बैठा दिया और अपना खड़ा लंड उसके होठों पर लगा दिया. अक्षरा ने ससुर का इशारा समझते ही उनका लंड मुंह मने ले लिया और उसे धीरे धीरे चुभलाने लगी. ससुर जी बहु के मुखचोदन करने लगे. थोड़े देर अक्षरा के मुंह का आनंद लेने के बाद उन्होंने अक्षरा को अनीता देवी के बगल में लिटा दिया.
“देखो तुम्हारी सास पूरी नंगी है, इस लिए तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा बहूँ”, उमाकांत बोले.
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अक्षरा के रहे सहे कपडे भी दो मिनट में उतार फेंके. दोनों हाथों से उसकी टाँगे चौडी कि और अक्षरा की चूत कि फाँकें चाटने लगे. अक्षरा गहरी सीत्कारें भर रही थी. इसी बीच उसकी सासू माँ उसकी चुंचियां दबाने लगीं. उमाकांत अपनी जीभ से अक्षरा कि चूत जो चोदने लगा. अक्षरा थोड़ी ही देर में झड गयी.
उमाकांत उठ कर बैठ गया. उसने अपना लंड अक्षरा कि चूत के मुहाने पर टिकाया और एक जहतक लगाया. आधा लंड अक्षरा कि चूत में घुस कर जैसे अटक सा गया. अक्षरा निहाल हो उठी. ससुर ने दुसरे ही झटके में पूरा का लंड अन्दर पेल दिया.
इसी बीच रमाकान्त और अनीता देवी कि चुदाई जोर पकड़ गयी थी. थोड़ी ही देर में दोनों झड गए. उमाकांत ने अक्षरा को चोदना चालू कर दिया. रमाकान्त और अनीता उसके अगल बगल बैठे थे. अनीता उसकी चुन्चिया चूस रहीं थीं. रमाकांत ने अपना लंड अक्षरा के मुंह में दे रहा था.
अक्षरा को बड़ा अनद आ रहा था. एक लंड उसके मुंह कि चुदाई कर रहा था और दूसरा लंड उसकी चूत नाप रहा था. ऊपर से सास उसकी चुंचियां पी रही थीं. वह अपने ऊपर हो रही इस सारी कार्यवाही को बर्दाश्त न कर सकी और झड गयी.
पर ससुर का लंड तो अभी भी ताना हुआ था और वो एक जवान छोकरे की तरह उसके पेले जा रहा था. थोड़ी देर में ससुर ने उसको पलट के कुतिया के पोस में खड़ा किया. और खुद आ गया उसके मुंह के सामने. “लो बहु थोडा मेरा लंड चुसो. अब मेरा भाई रमाकान्त तुम्हारी लेगा.”
अक्षरा समझ गयी थी कि आ उसकी जम के चुदाई होने वाली है. और उसने वो स्थिति का पूरा फायदा उठाना चाहती थी. उसने गपाक से ससुर का लंड अपने मुंह में ले लिया. अपनी ही चूत के रसों से सना हुआ लंड चाटना थोडा अजीब तो लगा, पर यहाँ तो सब कुछ अजीब ही हो रहा था.
वो लंड चूसने में इतना तल्लीन थी कि जैसे भूल ही गयी कि एक और लंड उसकी खैर लेने के लिए मौजूद है. उसने अपनी चूत के मुहाने पर कुछ गरम और टाइट सा महसूस हुआ. उसने अपनी गांड को उठा कर जैसे रमाकान्त के लंड को निमंत्रण दिया. रमा ने अपना लंड पूरा का उसकी चूत में समा कर गपागप उसे चोदने में बिलकुल देर नहीं लगाई.
बड़ा ही रंगीन नज़ारा था. अनीता देवी बिस्तर पर नंगी खडी हुई थीं. उनके पति उमाकांत बिस्तर पर बैठ कर उनकी चूत चाट रहे थे. उन दोनों कि बहू अक्षरा कुतिया के पोस में उमाकांत का लंड चूस रहीं थीं. उमाकांत के भाईसाहब रमाकांत पीछे से अक्षरा कि चूत में अपना आठ इन्ची हथियार पेल पेल कर उसे जीवन का आनंद प्रदान कर रहे थे.
अक्षरा ने महसूस किया कि उसके मुंह में ससुर जी का लंड फूल सा गया है. वह उसे और प्रेशर लगा के चूसने लगी. ससुर अक्षरा के मुंह में झड गए. लगभग इसी समय अक्षरा कि सास अनीता अपने पति से चटवाते हुए झड गयीं. अक्षरा भी झड रही थी. और एक मिनट बाद ही रमाकान्त ने अपने लंड को चूत से निकाल लिया और अक्षरा कि गांड के ऊपर झड गए.
सारा परिवार इस चुदाई कि प्रक्रिया से थक चुका था. चारो लोग बिस्तर पर नंगे ही सो गए. उस शाम अक्षरा मन ही मन ये सोच कर परेशान थी कि जब उस का पति शाम को घर आएगा तो उसका सामना कैसे करेगी. आज दोपहर के घटनाक्रम के दृश्य उसकी आँखों के सामने बार बार घूम जाते थे.
उसका सासु माँ के कमरे के कार्यक्रम का गलती से देख लेना, उसकी ससुर का उसको चोदना, चाचा जी का उसको कुतिया बना कर चोदना, चाचा जी की सासू माँ से चुदाई, सासु माँ का खड़े हो कर ससुर जी से चूत चुस्वाना सब बार उसकी आँखों के सामने घूम जाता था.
वो इस बात से बड़ी हैरान थी कि उसे ये सब अच्छा लगा था. बात तो सच है चुदाई का कोई न दीं है ना धर्म. लंड में चूत घुस कर की चूत की मलाई बनाता है, तो लंड और चूत धारकों जीवन का आनंद प्राप्त होता है. रोज की तरह शैलेश शाम को कम से लौटा.
अक्षरा अपनी दिन की हरकत से इतनी शर्मिंदा थी कि जैसे ही उसने शैलेश की मोटर साइकिल की बात सुनी, वो घबरा कर बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में बैठ कर अपने मन को शांत किया और जब वो पूरा संयत हो गयी बाहर निकली.
शैलेश सासु माँ के कमरे में था. वो जैसे ही उनके कमरे में घुसी, दोनों अचानक चुप हो गए. शैलेश अक्षरा की तरफ देख रहा था. अक्षरा को तो जैसे काटो तो खून नहीं था. उसे लगा कि उसके सास ससुर कोई गेम खेल रहे हैं उसके साथ. शैलेश उसकी तरफ देख कर मुस्कराया.
“मैं चाय बनाती हूँ आप के लिए”, अक्षरा ने जैसे तसे कहाँ और कमरे से जल्दी से बाहर निकल गयी. उसे जाने क्यों लगा कि उसके पति और उसकी सासु माँ उसकी घबराहट को देख कर हंस रहे हैं. पर उसने जैसे खुद को बताया कि ये उसका वहम है.
वो शाम अक्षरा के लिए बड़ी भारी थी. रात जब वो बिस्तर पर गयी, शैलेश उसके बगल में लेट कर मंद मंद मुस्करा रहा था. अक्षरा ने आखिर पूछ ही लिया. “क्या बात है जी, आज जब से आयें हैं घर बड़ा मुस्करा रहे हैं.”
“अरे ऐसी कोई बात नहीं है”, शैलेश बोला.
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शैलेश ने उसकी चुंचियां मसलना शुरू कर दिया. और दुसरे हाथ से उसकी चूत को उसके गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा. अक्षरा आज की तारीख में दो दो मर्दों से चुद चुकी थी. पर उसके पति कि पुकार थी इस लिए चुदना उसका धर्म था.
उसने झट से अपना गाउन उतार फेंका. शैलेश ने देखा कि उस की प्यारी पत्नी अक्षरा ने आज गाउन के अन्दर न ब्रा पहनी हुई है न पैंटी. वो एक बार फिर मुस्कराया. शैलेश अक्षरा के गोर और नंगे बदन के ऊपर चढ़ गया. लंड तो खड़ा था ही और अक्षरा की चूत भी गीली थी. तो लंडा गपाक से घुस गया.
“आह …उई माँ …मई मर गयी …” अक्षरा अचानक अपनी चूत पर ही इस हमले पर हलके से चीख उठी.
“क्यों क्या हुआ …” शैलेश ने पूछा, वो अभी भी मुस्करा रहा था.
“क्या पापा और चाचा जी का लंड खाने के बाद मेरा लंड अच्छा नहीं लगा आज रात?” शैलेश ने पूछा.
अक्षरा को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. तो क्या शैलेश को शाम से ये सब पता था. और अगर उसे ये सब पता है फिर भी वो शाम से हंस रहा मुस्करा रहा है. और तो और वो उसे प्यार भी कर रहा है.
“क्या मतलब…” शैलेश के लंड के धक्के खाते खाते वो इतना ही बोल पायी.
“अरे अक्षरा रानी मुझे आज तुम्हारी दिन कि सारी करतूत पता है…” शैलेश हंस रहा था और दनादन चोद रहा था उसे.
अक्षरा को ये सब सुन कर एक अजीब तरह की अनुभूति हुई. उसे अपनी चूत में जैसे कोई गरम लावा सा छूटता हुआ महसूस हुआ. शैलेश का लंड भी अब पानी छोड़ने वाला था. दोनों थोड़ी देर में ही झड गए. शैलेश उसके बगल में ढेर हो गया. अक्षरा अभी भी बड़ी कन्फ्यूज्ड थी.
“क्या तुम्हें मम्मी जी और पापा जी ने कुछ बताया है” अक्षरा ने पूछा.
शैलेश ने उसे बताया कि उसे सब पता हुई. शैलेश के परिवार में सब लोग आपस में काम क्रिया का आनंद लेते थे. पहले ये सब खुले में होता था. जब से शैलेश अक्षरा का विवाह हुआ, ये सब छुप के हो रहा था. पर आज जब अक्षरा ने ये सब देख लिया, जैसा कि पहले से प्लान था, उसे इस प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया.
“चलो अच्छा हुआ जो हुआ, देर सबेर तुम्हें ये सब पता चलना ही था. उससे अच्छा ये हुआ कि तुम अब इस परिवार के इन आनंद भरें खेलों में शामिल हो गयी हो मेरी रानी.” शैलेश ने शरारत भरी अदा से बोला.
“मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि एक ही परिवार के लोग आपस में ऐसा कर सकते है”, अक्षरा अभी भी हैरान थी.
“तुम्हारा सोचना भी जायज़ है. पर सेक्स इतना आनंद भरा काम है. जरा सोचो ये सब बाहर के लोगों से करना थोडा खतरे वाला काम हो सकता है. इस लिए हमारे परिवार में हम इतनी आनंददायक चीज को आपस में करते हैं.” शैलेश ने बोला.
“पर फिर भी सोच के अजीब सा लगता है”, अक्षरा बोली.
“अरे जरा याद करो, आज दोपहर में जब चाचा जी पीछे से अपना लंड तुम्हारी चूत में पेल रहे थे, तब तुम्हें जरा भी बुरा लगा क्या. तब तो तुम मजे से पापा जी का लंड अपने मुंह में चुभला चुभला के चूस रहीं थीं. एक ही जिन्दगी मिली है. इसे एन्जॉय करें. इसे क्यों बेकार में ऐसे ही जाने दे जमाने के बेकार के नियम मान कर?” शैलेश बोला.
“ह्म्म्म…. तो तुम कब से चुदाई के खेल खेल रहे हो?”
“बस मेरी रानी, जब से अठारह का हुआ, तबसे पेलाई कि प्रैक्टिस कर रहा हूँ. ताकि जब भी तुम जैसी कोई मिले उसे जीवन का पूरा मज़ा दे सकूं.”
“और कितने रिश्तेदार शामिल होते हैं इस समारोह में?”
“अब चाचा का तुम्हें पता ही ही है. चाची भी एक नम्बर की चुदाक्कड हैं. मैं जब उनके यहाँ जाता हूँ, मुझे चाचा चाची के रूम में सोना पड़ता है. बाकी के रिश्तेदारों के बारे में धीरे धीरे पता चल जाएगा.”
“और अंशुल और नितेश?”
“जब भी घर में कोई जन्मदिन वगैरह मनाते हैं. हम सब मिल के मम्मी कि चुदाई करते हैं. जिसका जन्मदिन होता है उसे सब से पहले लेने को मिलती है.”
“हे भगवान्…” अक्षरा अभी भी हैरानी में थी.
“कल छुट्टी है, अंशुल और नितेश को भी तुमसे मिलवा देंगे” शैलेश बोला.
“नहीं शैलेश. इस परिवार ने मुझे इतना चुदाक्कड बना दिया है. अंशुल और नितेश से तो मैं अब अपने अंदाज़ से मिलूंगी. थोडा मुझे भी नए जवान लड़कों को रिझाने का मज़ा लेने को तो मिले.”
“अरे बिलकुल अक्षरा रानी. उन सालों कि किस्मत खुल जायेगी.”
“हाँ शैलेश. बड़ा मज़ा आएगा मुझे मेरे दोनों देवरों को एक साथ चोद के”. अक्षरा पूरे उत्तेंजना में थी.
“दो दो मर्दों को एक बार चोद लिया आज तो अब दो से कम में काम नहीं चलेगा तुम्हारा लगता है.”
“नहीं शैलेश. एक बात मैं एकदम साफ़ कर दूं. अब मैं किसी से भी चुदूं या कुछ भी करू. पर सच्चा प्यार मैं हमेशा तुमसे ही करूंगी.” अक्षरा ने बोला.
“अक्षरा रानी तुम मेरी हो और सदा मेरी रहोगी. ये मेरा वादा है”. शैलेश ने उसका हाथ अपने हाथ में ले कर वादा दिया.
“तो क्या तुम लोगों कि बहनें भी?”
“मैंने पहले ही बताया कि मेरा पूरा परिवार एक दुसरे से एकदम खुला हुआ है. जब भी हम में से कोई भी अठारह वर्ष का हुआ, उसे पारिवारिक चुदाई समरोह का टिकट तुरंत दे दिया गया”, शैलेश ने बोला.
“धीरे धीरे सब पता चलेगा. अभी इन चीजों का मजा एक एक कर के लो. सब इकट्ठे ले नहीं पाओगी” शैलेश ने बोला.
“आप ठीक कहते हो” अक्षरा ने बोला.
इस परिवार की इस सारी चर्चा पर अक्षरा कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. शैलेश के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी. शैलेश बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. अक्षरा ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.
“आ जाओ जानेमन ….इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं….दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है….” अक्षरा पुकार उठी.
“ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे अक्षरा रानी.” कहते हुए शैलेश दरवाजे तक गया.
अक्षरा हैरान थी कि नंगा बदन शैलेश कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है. दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला, “आ जाइए.” बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.
अक्षरा को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति शैलेश की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.
दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए. अक्षरा ने घबरा कर चादर खींच कर अपने नंगे बदन को धक् लिया. पर उन तीन लोगों ने अपने कपडे उतार फेंकने में एक पल भी नहीं लगाया.
“अरे अक्षरा बेटी हम सब तो दोपहर में तुम्हें पूरा नंगा देख चुके हैं. अब हमसे कैसा पर्दा.” ससुर जी कहा.
“हमारे इस खुले परिवार में तुम्हारा स्वागत है बेटी” सासु माँ ने कहते हुए उसकी चादर खींच कर फ़ेंक दी.
अक्षरा की खुली दूध के जैसी गोरी चुंचियां छलक रही थीं. उसने अपनी टाँगे कस के बंद कर रखीं थी पर उसकी चूत का ऊपर का हिस्सा साफ़ नज़र आ रहा था. वो अभी भी शर्म से पानी पानी थी. चाचा जी उसके बगल में बैठ कर उसकी चुंचियां सहलाने लगे.
और पापा जी ने अपने हाँथ उसकी टांगों के बीच घुसा कर उसकी चूत खोल थी और और गीली चूत के ऊपर से अपनी उंगलिया फिराने लगे. अक्षरा को ये सब अच्छा भी लग रहा था और अजीब भी. इसी बीच अक्षरा ने देखा कि उसका पति शैलेश बिस्तर पर खड़ा है.
शैलेश कि माँ अनीता देवी अपने बेटे का खड़ा लंड अपने मुंह में लेकर चुभला रहीं हैं. शैलेश के लंड पांच मिनट पहले ही अक्षरा की चूत का बाजा बजा रहा था. इसका मतलब ये था कि अक्षरा कि सास अपनी बहु की चूत का रस अपने बेटे के लंड से चाट रहीं थीं.
अक्षरा इस सबसे बड़ा गरम हो चुकी थी. उसने अपनी टाँगे अब पूरी खोल दीं. और चाचा जी को उनके होठों पर चूमने लगी. शैलेश ने अपनी “मासूम” बीवी का ये रूप आज तक देखा नहीं था. वो अपनी माँ के बड़े बड़े मम्मे जोरों से दबाने लगा.
अक्षरा को बिस्तर पर लिटा दिया गया. पापा जी उसके ऊपर चढ़ गए और आना मोटा लंड उसकी गीली चूत में पेल दिया. चाचा जी ने अपना लंड उसके चेहरे पर लहराया तो अक्षरा को इशारा समझने में एक पल भी लगा. उसने गपाक से चाचा जी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसके लेमन चूस कि भाँति चूसने लगी.
अक्षरा ने शैलेश के तरफ देखा. शैलेश ने अपनी माँ को कुतिया के पोस में लिटाया हुआ था. शैलेश एक एक्सपर्ट खिलाड़ी कि तरह धीरे और लम्बे धक्कों से अनीता देवी कि चूत में लंड पेल रहा था. अक्षरा और शैलेश कि नज़रें मिलीं और शैलेश ने उसको आँख मारी और बोला, “अक्षरा पापा जी और चाचा जी का आशीर्वाद ठीक से लो.”
“बहु कि चूत इतनी टाइट है कि मज़ा आ रहा है कसम से” ससुर जी बोला.
“भैया अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं थोडा इस टाइट चूत का आनंद ले लूं” चाचा जी ने अक्षरा के ससुर से पूछा.
“अरे बिलकुल जरूर. अक्षरा को हमारे घर में सब का प्यार मिलना चाहिए.” कहते ही ससुर जी ने अपना लंड उसकी चूत ने निकाल लिया. चाचा जी ने अक्षरा को उठा कर कुतिया के पोस में बिठाया और अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया. अक्षरा सिहर उठी.
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अक्षरा ने देखा कि ससुर जी बिस्तर पर बैठे है और उनका लंड तना हुआ है. इसी बीच सासु माँ ने शैलेश को शैलेश को हटा लिया और कुतिया बने बने ससुर के पास आईं और अपने पति का लंड चूसने लगीं. शैलेश चल कर अक्षरा के पास आया और अपनी माँ के रस से सना हुआ लंड उसके मुंह में दाल दिया. उधर सासु माँ अपने पति के लंड के ऊपर बैठ कर अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. चाचा जी अक्षरा की चूत में बहुत जोर से पेलने लगे.
अक्षरा अभी तक एक बार झड चुकी थी और उसे लगा कि वो एक बार और झड़ने वाली है. उधर सासु माँ चीख चीख कर चुद रहीं थीं. अक्षरा को शैलेश का लंड अपने मुंह में फूलता हुआ महसूस हुआ. थोड़ी ही देर में पाँचों लोग एक एक कर के झड गए. आज के दिन में अक्षरा ने तीन लोगों का लंड अपनी चूत में लिया और दो दो लोगों के लंड का रस अपने मुंह में. अक्षरा वैसे तो इस परिवार में विबाह कर के लगभग एक साल बाद आयी थी, पर वास्तव में वो परिवार का असली हिस्सा आज बनी.