Harami Bhai Sex Kahani
मेरा नाम प्रत्युष है! मैं बंगाल का रहने वाला हूँ ! आज मैं आपको ऐसी कथा बताने जा रहा हूँ जो सुनकर सब कहेंगे प्रत्युष बना बहन चोद! मैं अपनी माँ का एकलौता बेटा हूँ! मेरी एक बड़ी बहन है दीपा ! मुझसे उम्र में चार साल बड़ी है! Harami Bhai Sex Kahani
जब मैं अपने यौवन का स्वाद चख ही रहा था तब मुझे पता चला कि मैं हरामी हूँ .. उनकी अपनी संतान नहीं हूँ ! मेरे फ्लैट-सोसाईटी वाले मुझे छेड़ते थे इस बात को लेकर ! पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे और मैं और दीदी बाजू वाले कमरे में सोते थे।
वो मेरा बहुत ध्यान रखती थी ! मैं नया नया मुठ मरना शुरू किया था ! स्कूल के दोस्त कहते थे अगर किसी लड़की मुठ से मरवाई जाए तो क्या कहना. मैं सोचता था कि दीपा मेरी अपनी बहन तो है नहीं ! क्यूँ न इस पर ही कोशिश करूँ?
एक रात वह बिलकुल मदहोश होकर सो रही थी! मैं अपना लंड उसके मुलायम हाथ में रखा ! आह अहह कितनी नर्म हैं दीदी की उंगलियाँ ! मज़ा आ गया ! फिर मैंने उसकी हथेली में अपना वीर्य निकाल दिया! सुबह मैंने देखा वो अपने हाथ धो रही थी…
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दीदी क्या हुआ ??
अरे देखो ना क्या लग गया है सोते सोते ! साबुन जैसा चिकना है !!
दीदी कैसी खुशबू है उसकी ?
उसने सूंघा, अहह पता नहीं अजीब सी है !
बेचारी अब तक कुँवारी चूत लेकर फिर रही है… मैं तो बेकार में ही मनीष के साथ शक करता था? मनीष की पास में परचून की दुकान थी। एक दिन मैं स्कूल से जल्दी आ गया, घर का दरवाज़ा खुला था.. मैंने अन्दर जाकर देखा कि मनीष दीदी को चोद रहा था।
दीदी की गोरी-गोरी टाँगें फैली हुई थी और मनीष की काली काली गांड हवा में उछल उछल के घस्से मार रही थी। दीदी की गोरी गांड देख कर जैसे मेरा खड़ा हुआ कि मनीष मुझे देख वहाँ से रफूचक्कर हो गया… “Harami Bhai Sex Kahani”
प्रत्युष ! मम्मी को मत बताना ! मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हूँ !!
मैं ज़रूर बताऊंगा दीदी… मैं नाराज़ होकर बोला।
ठीक है ! बता देना ! फिर पापा को मैं भी तुम्हारे बारे बता दूंगी कि तुम रात में मेरे हाथ में मुठ मारते हो। हरामी कहीं के…
मैं चुप हो गया… रात आई.. मुझे नींद नहीं आ रही थी… मैंने दीदी को पकड़ लिया।
अहह ! प्रत्युष यह क्या कर रहे हो?
अपनी टांगें मैं उसकी नायटी में फेरने लगा… नायटी में हाथ डाल कर उसकी पैंटी को छुआ!
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आह्ह ! नहीं ! मैं तुम्हारी दीदी हूँ!
कैसी दीदी? मैं तो हरामी हू ना? कहकर मैंने उसकी पैंटी खोल दी… उसकी जांघें ! मानो जन्नत..
आओ ना ! जो कसर मनीष ने छोड़ी है, मैं पूरा किये देता हूँ !
ओह! आ जा मेरे राजा ! चढ़ जा !
उसने अपने नायटी हटाई, मैं उसके मम्मों को चूसने लगा।
दूध नहीं निकलता क्या ? मैं निचोड़ते हुए बोला।
हट पागल..
उसने मेरे लौड़े को अपने चूत में घुसाया !
अहह ! मज़ा आ गया दीपा दी ! अहह अह !
मैं स्खलित हो गया। बस बच्चे ! दो चार ही बार में ही?
मनीष तो पचास बार कम से कम करता है ! चलो मैं तुम्हें सिखाती हूँ !
उसने मेरे लण्ड को चूसा, जब खड़ा हो गया तो उसने अपने प्रवेश द्वार पर डाला। मैंने धक्के मारने शुरू किये..
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बस दीपा दी निकल जायेगा..
उसने पूछा- बता 5 गुने 5 ?
मैं सोचने लगा और मैं इस बार स्खलित नहीं हुआ..
वाह दीदी ! क्या आईडिया है..
मैंने इस तरह बहुत बार उस रात दीपा दी को चोदा। मैंने मुठ उसके होंठो पर मारी…
ओह प्रत्युष कितना शरारती हो?
मैंने उसे अपने माल से नहला दिया। अगले दिन छुट्टी थी.. हम दोनों साथ में नहाए..