Desi Sex Guru XXX
अंजू एक 25 साल की बहुत ही सुंदर गदराई (थोड़ी सी मोटी)शरीर की औरत है, उसका पति लक्ष्मण गल्ले की दुकान करता है. अंजू पढ़ी लिखी औरत है. लेकिन उसकी आँखों में एक उदासी सी भरी रहती है. एक ऐसी उदासी जो अधूरी काम वासना की निशानी है. लगता है लक्ष्मण उसकी प्यास नही बुझा पाता. Desi Sex Guru XXX
घर में अंजू की छोटी बेहन भी रहती है. उसका रिश्ता लक्ष्मण के छोटे भाई (कमलेश)से पक्का हो चुका है. रागिनी (अंजू की छोटी बेहन) कॉलेज में पढ़ती है. अंजू की देवरानी (कोमल) भी इसी घर में रहती है मगर आज कल भोपाल में हॉस्टिल में रह कर पढ़ रही है. लक्ष्मण के मा बाप गाँव में रहते हैं.
ये तो है परिवार का इंट्रोडक्शन. अंजू की उदासी का कोई अंत नज़र नहीं आता. चुदाई का मन करता है मगर क्या करे. दिल तो उसका चाहता है की कहीं से कोई मर्द आए और उसकी प्यास बुझा दे. लगता है अंजू की प्रार्थना पूरी होने को है. उसकी चूत की प्यास बुझने वाली है.
एक दिन एक स्वामी जी- लगभग 35 साल के गेरूए कपड़े पहने, छोटे छोटे बॉल और छोटी दाढ़ी, गोरा देहकता रंग, 6 फुट का हॅटा कॅटा जिस्म- अंजू के घर आए, और भिक्षा माँगने लगे. अंजू बाहर आई और स्वामी जी को प्रणाम कर के जैसे ही नज़र उपर उठाई, की हैरान रह गयी. स्वामी जी की पर्सनॅलिटी नें उसे मस्त कर दिया.
बरबस ही सोचने लगी – इतना सुंदर शरीर !! ना जाने लंड कैसा होगा. मन ही मन में उनके लंड की कल्पना करने लगी. उसे अपनी चूत स्वामी जी के लंड से भरी हुई लगी. बरबस ही उसकी नज़र स्वामी जी के लंड की तरफ उठ गयी. स्वामी जी भाँप गये की सुंदरी लंड की प्यासी है और इसका मर्द इसे सॅटिस्फाइ नही कर पाता.
वो बोले: स्वामी जी–` देवी कैसी हो, सब कुशल तो है ?`
अंजू– `हां स्वामी.
जी ठीक ही है.` स्वामी जी — `नहीं देवी ठीक नही, मुझे बताओ, में तुम्हारी समस्या दूर करने की कोशिश करूँगा.`
अंजू –` नहीं स्वामी जी कुछ नही.`
कहने को तो अंजू ने कह दिया मगर मन में सोच रही थी के काश कुछ ऐसा हो जाए की स्वामी जी आज उसकी चोद चोद कर मन की मुराद पूरी कर दें. स्वामी जी भी समझ गये की ये औरत लंड की प्यासी है मगर दिल की इच्छा बताने में शर्मारही है. सोचने लगे उन्हें ही पहल करनी पड़ेगी.
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बोले ` देवी घर में कोई नही ? सेठ जी दिखाई नही दे रहे.`
अंजू — `स्वामी जी वो तो दुकान पर गये हैं रात को ही आएगे. उनहें अपने काम से समय नही मिलता.`
स्वामी जी — `अच्छा ये बात है, ये तो ग़लत है, ` शरारत से बोले,` घर में इतनी सुंदर पत्नी और उनके पास घर के लिए समय नही ? तुम कहो तो में कोई साधन करूँ की सेठ जी तुम्हारे आगे पीछे घूमने लगें.`
अंजू –` उससे क्या होगा स्वामी जी`.
यह कहते हुए अंजू नें आँखे दूसरी तरफ कर ली. स्वामी जी समझ गये की माजरा सिर्फ़ चुदाई का ही नही है बलके लंड का भी है. सेठ का लंड भी इसकी चूत में समाता नही है. अब स्वामी जी मूड मे आ गये.
बोले: ` देवी अशांत दिखती हो कहो तो तुम्हारी शान्ती के लिए प्रयास करूँ ? क्या अंदर नहीं बुलाओगी ? `
अब अंजू को महसूस हुआ कि लंड के ध्यान में वो अभी तक दरवाज़े पर ही खड़े हैं, बोली `हां हां स्वामी जी आईए.`
अंदर आ कर स्वामी जी ने इधर उधर नज़र घुमाई और पूछा ` घर में कोई नही है.
अंजू नें कहा, ` काम वालियाँ सुबह शाम आती हैं और मेरी बेहन जो कॉलेज में पढ़ती है कॉलेज के बाद अपनी फ्रेंड के साथ चली जाती है. वहाँ से होम वर्क कर के 6 6.30 बजे आती है.`
स्वामी जी समझ गये की मामला सॉफ है और चुदाई हो सकती है. बोले ,` तो फिर हम तुम्हारी समस्या के समाधान के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं.`
अंजू –`जैसा आप ठीक जाने.`
स्वामी जी –`तो ठीक है, में तुम्हें बता दूँ की में तुम्हें सम्मोहित करूँगा और तुम्हारी समस्या का हल ढूँढने की कोशिश करूँगा. सम्मोहित का अर्थ जानती हो ना? तुम्हे पूरा समर्पण करना होगा, और में तुमसे कुछ पूछूँगा और तुम्हें उसके सच्चे जवाब देने होंगे`
अंजू — `ठीक है स्वामी जी, अगर इस से मेरी समस्या का हल होता है तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है`
स्वामी जी — `तो चलो शुरू करते है`
ये कहा कर स्वामी जी ने अंजू को आँखे बंद करने को कहा और कुछ बुदबुदाने लगे`.अचानक वो बोले,` देवी तुम्हारी समस्या मेरी समझ में आ गयी है. तुम अब आँखें बंद कर लो. सोचो की तुम शून्य (ज़ीरो) हो तुम्हारा जो भी अस्तित्वा है वो मुझ से है. तुम मुझ में हो. हम दोनो एक हैं. क्या तुम मुझे सुन रही ही ?`
अंजू `हां स्वामी जी`
स्वामी जी –` क्या तुम समझ रही हो में क्या कह रहा हूँ.`
अंजू — `हां स्वामी जी `
स्वामी जी –` ठीक है, अब अपना ध्यान अपनी समस्या पर लगाओ.`
इतना सुनते ही अंजू के सामने स्वामी जी का शरीर और लंड घूम गया.
स्वामी जी –`क्या तुम अपनी समस्या को समझ सकती हो?`
अंजू — `हां.
स्वामी जी.` स्वामी जी –` क्या ये तुम्हारे पति से संबंधित है?`
अंजू–`हां
स्वामी जी` –`क्या ये सेक्स से संबधित है?` –………. ….. –`बोलो देवी` –………. ….. –`बोलो देवी` –………. ….. –`अगर तुम बोलॉगी नहीं तो समस्या का हल नहीं होगा` –………. …. –`बोलो देवी बोलो.`
अंजू – `हां स्वामी जी.`
अब स्वामी जी ने ट्रंप कार्ड खेलने का फ़ैसला कर लिया-`क्या चुदाई नहीं करते?` –………. … –`बोलो देवी क्या वो तुम्हें चोद्ते नहीं?`
अंजू –`हूंम्म्ममम. ….`
स्वामी–` यानी चोद्ते तो हैं`
अंजू–हूंम्म्मममम. …`
स्वामी –`सॅटिस्फाइ नहीं कर सकते?`
अंजू –`हूंम्म्ममम…`
स्वामी जी समझ गये की लोहार की चोट करने का वक़्त आ गया है. बोले ` ठीक है देवी. स्वामीजी समझ गये की मामला फिट करने का वक़्त आ गया है. वो बोले,`देवी चुदवाने की इच्छा रखती हो`
अंजू –`ह्म्म्म्मम..`
स्वामी जी –`ठीक है अपना हाथ बढ़ाओ.`
सम्मोहित अंजू नें अपने हाथ बढ़ा दिए. स्वामी जी नें अपने हाथ मे उसके हाथ पकड़े और मसल्ने लगे. अंजू मस्ती में आने लगी. उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चलने लगी अंजू ने स्वामी जी का हाथ पकड़ लिया. थोड़ी देर के बाद स्वामी जी समझ गये की औरत मस्ती में है.
उन्होंने अंजू के हाथ में अपना फफनता लंड पकड़ा दिया. अंजू ने स्वामी का 8″ का 3″ गोलाई का लंड हाथ में कस लिया जैसे कहीं भाग ना जाए. अंजू की साँसे ज़ोर ज़ोर से चलने लगी. स्वामी जी अंजू हाथ पकड़ कर खड़े हो गये, और पूछा, ” क्यों देवी अच्छा लग रहा है?` अंजू केवल हुंकार भर कर रह गयी.
स्वामी जी बोले,` देवी अंदर लोगि ?`
अंजू –`जैसा आप ठीक समझे.”
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स्वामी जी समझ गये की अब लंड चूत में डाल देना चाहिए. स्वामी जी नें अंजू को बेड पर लिटा दिया, और उसकी सारी उतार दी. अंजू की चूत बिल्कुल नवेली लग रही थी. चूत के पल्लों को देख कर ऐसा लगता था की कभी चुदाई हुई ही नहीं.
धीरे धीरे स्वामीजी ने अंजू का ब्लाउस और ब्रा भी निकाल दी. अंजू आँखें बंद कर के केवल कसमसाती रही. अब वो इंतज़ार में थी की कब स्वामी जी का बेलन उसकी चूत में जाता है. वो डर भी रही थी की कहीं चूत का कचरा ही ना हो जाए.
स्वामी जी ने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए. अंजू भी पूरा साथ दे रही थी. स्वामी जी अंजू की चूचियाँ दबाने लगे. कुछ ही देर में स्वामीजी नें अंजू की चूचियाँ चूसनी शुरू कर दी. अंजू की चूत पानी छोड़ने लगी. स्वामी जी ने एक हाथ से चूत को सहलाना शुरू कर दिया.
अंजू की बुरी हालत थी. अब रहा नहीं जा रहा था. उसने सोचा अब सम्मोहन की एक्टिंग बंद कर देनी चाहिए और खुल कर चुदाई का मज़ा लेना चाहिए. अंजू नें आँखें खोली और स्वामी जी से कहा,` अब डाल भी दीजिए ना`
स्वामी जी नें सर उठाया और मुस्कुराए. वो भी तो एक्टिंग ही कर रहे थे. `हां देवी……….`
अंजू बीच में ही रोक कर बोली,` अब बस भी करिए स्वामी जी, मुझे अंजू बुलाए, पर में आप का लंड एक बार फिर चूसना चाहती हूँ. `
स्वामी जी –` हां लो`.
कह कर स्वामी जी ने लंड उसके मुँह में डाल दिया. अंजू ऐसे लग रह था की अंजू पूरा लंड खा लेना चाहती थी. स्वामी जी नें भे ऐसी चुसाइ नहीं करवाई थी. अंजू अपनी जीभ लंड के सूर्ख पर रगड़ रही थी जिस-से स्वामी जी पागल हो रहे थे.
स्वामी जी का लंड अब 9″ का हो चला था स्वामी जी को लगा अगर अब चूत में ना डाला गया तो फॅट जाएगा. उन्होंने धीरे से लंड अंजू के मुँह में से निकाला और उसे लिटा दिया. उसकी गांद के नीचे फ्सी तकिया रख दिया. अंजू की चूत एक तकिये से ही उपर आ गयी.
अंजू की चूत उपरी चूत थी.दूसरी तरहा की चूत नीचे की चूत होती है. ऐसी चूत के नीचे बड़े तकिये रखने पड़ते हैं. नीचे की चूत को पीछे से चोदने का ज़्यादा मज़ा आता है. खैर स्वामी जी नें अंजू की टाँगें उठाई और लंड चूत के उपर रखा. अंजू मस्त हो चुकी थी ,बोली` स्वामी जी इतना मोटा लंड है , मेरी चूत फॅट तो नहीं जाएगी?`
ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आवाज़ बड़ी दूर से आ रही है. स्वामी जी बोले,` चिंता ना करो रानी, अगर हमारे चोदने से चूत फॅट गयी तो बात ही क्या. चूत फटी है अनाड़ी के चोदने से जो सबर से नहीं चोद्ते.`
अंजू — `तो फिर डाल दो ना, अब और नहीं रहा जाता. ना जाने कितनी बार ऐसे लंड का सपना देखा है, आज सामने मेरी चूत में जाने के लिए तैयार है. अब डाल ही दो स्वामी.` यह सुन कर स्वामी जी नें धीरे से एक धक्का लगाया और लंड का टोपा चूत में घुसेड दिया.
अंजू की चूत स्वामी जी की उम्मीद से ज़्यादा मस्त और टाइट थी. स्वामी जी भी लंबी लंबी साँसें लेने लगे. थोड़ा और लंड अंदर डाल दिया. अब अंजू को दर्द हुआ-“आईए, मर गयी रे….स्वामी जी धीरे चोदो दर्द हो रहा है.` मगर स्वामी जी जानते थे की ये दरद अब मज़े में बदलने वाला है.
उन्होंने थोड़ा लंड और डाल दिया.. ` आआआ…… …मर गयी रे स्वामी जी मर जाऊंगी.` स्वामी जी नें एक धक्का और लगाया और पूरा लंड चूत के अंदर कर दिया अंजू पूरे ज़ोर से चिल्लाई, ` स्वाअमीइजीई बस मर जाऊंगी , फाड़ डी मेरी, बस करो स्वामीजी.`
स्वामी जी अंजू के चीखने से समझ गये कि, चूत सच में ही कुँवारी है. उन्होंने धक्के लगाने बंद कर दिए और अंजू की ओर देखने लगे. स्वामी जी लंबी रेस के घोड़े थे, एक ही बार चुदाई कर के माल को हाथ से खोना नहीं चाहते थे. अंजू दरद से उबर चुकी थी. मज़ा लेने का मन होने लगा था. स्वामी जी के धक्के रुकने पर आँखें खोल कर स्वामीजी की तरफ देखा.
और प्यासी आवाज़ में कहा, ` स्वामी जी चोदो ना, धीरे धीरे, बड़ा अच्छा लगता है, आपका लंड तो मुझे आपकी गुलाम बना देगा. स्वामी जी प्लीज़ चोदो मुझे, अब नहीं चीखूँगी. फाड़ दो मेरी चूत, पर चुदाई करो, हाए स्वामी जी आप मुझे पहले क्यों नहीं मिले, लक्ष्मण तो ख़ास्सी है.
आप का लंड तो मस्त है चोदो स्वामी जी चोदो. हमेशा चोद्ते रहना. धक्के लगाओ स्वामी जी, है आप का लंड है कितना बड़ा है , कितना मोटा है, ऐसा लग रहा है मेरी पूरी चूत आप के लंड से भर गयी है, आप पहले क्यूँ नहीं आए, स्वामी जी किस बात की इंतेज़ार कर रहे हो, चोदो, मुझे स्वामी जी प्लीज़…… …` और अंजू बड़बड़ाती जा रही थी.
स्वामी जी खेले खाए थे. जानते थे की ये औरत प्यासी है लेकिन चूत कुँवारी है. मोटा लंबा लंड नही झेल पाएगी इस लिए धीरे धीरे कर रहे थे. वो जानते थे की जैसे ही लंड चूत में सेट हो जाएगा, सब कुछ ठीक हो जाएगा. और वो वक़्त आने वाला था.
अंजू लंड ले चुकी थी. उसका दरद कम हो गया था. अब उसे धक्के चाहिए थे, मस्त और लंबे धक्के. स्वामी जी ने धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किए. हर धक्के के साथ अंजू मस्त हो रहे थे.`हाई स्वामी जी….., क्या ये है चुदाई…., लक्ष्मण तो साला नमर्द है……है… और ज़ोर से स्वामीजी …. और थोड़ा …मज़ा आ रहा है…….ऊऊहह…क्याआ…बात है……
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स्वामीजी आप महान हो….कसम से…..आप महानहो……आह…आह बड़ा अच्छा लग रहा है. हां हां और अंदर…. आह आह…….स्वामी …स्वामी आह….. खुद भी घुस जाओ मेरी फुदी में …..आह फाड़ दो स्वामी …ओह स्वामी….ओह और ज़ोर से….कसम से…मुझे छोड़ना मत…. आह में तुम्हारी गुलामी करूँगी आह स्वामी स्वामी….स्वामी आह आह….`
स्वामी जी समझ गये की अंजू झड़ने को है. उन्होंने धक्के तेज़ कर दिए, बिल्कुल ऐसे जैसा कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर 100 की स्पीड से धक्के लगाता है. स्वामी जी अपनी पूरी मर्दानगी अंजू के अंडर उडेल देना चाहते थे. उनके धक्कों की रफ़्तार बढ़ती गयी और अंजू के सिसकारियाँ बढ़ती गयी.
`आआह्ह. … मारो मेरी चूत तुम साले स्वामी कहाँ थे….तुम अब तक….कहाँ थे…. आह….ऊऊहह. … चोदो… फाड़ डालो.. हाआन्न… ईईईई… आआआ.आ अगया गयी में हाए स्वामी ये क्या हो रहा है……आह. …आह स्वायायायामियीयियैयियीयियी. …..स्वायायीययाया मी……एयाया.. ..हबाअस्सस्स. आअहह…. `
चीखने के साथ अंजू ने अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे करने शुरू कर दिए मानो स्वामीजी का रत्ती भर भी लंड बाहर ना छोड़ना चाहती हो. स्वामी जी को भी मज़ा आ गया. उन्होंने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी. अब वो भी बुदबुदाने लगे,` हाई मेरी जान तेरी चूत तो स्वर्ग का मज़ा दे रही है.
साली बड़ा मस्त चुदवाति है तुझे अब कभी नहीं छोड़ूँगा. हर हफ्ते तेरी चूत को चोदने आऊंगा.` दोनो ही बोल रहे थे. दोनो मस्ती में थे , और अचानक लावा फट गया. स्वामीजी के गले से आवाज़ निकली…. आआआहह. …एयाया. …गया… तेरी चूऊऊत में रे एयाया…. गया.`
उधर अंजू चिल्ला रही थी,` आअहह… मर गयी में स्वामी साले मादर्चोद अब तक कहाँ था भोसड़ी वाले. में तुझ से चुदने के लिए ही तो थी…..आह. ….आह आहह आआआआआ.. …बस बस….स्वामी बस….बस स्वामी आआहह…बस स्वामी आह स्वामी सवं सवमी.`
स्वामी जीने पूरा मज़ा ले कर और दे कर अपना लंड बाहर निकाल लिया. कम से कम 50 म्ल वीरया तो निकला ही होगा. अंजू की चूत से बाहर भी वीर्या निकल रहा था. स्वामी जी का पूरा लंड भी क्रीम से साना पड़ा था. अंजू तो वीर्य सने लंड को देख कर मस्त हो गयी. वो चाट कर उसे सॉफ करने लगी. चाटते चाटते उसे चूसने लगी.
स्वामी जी ने उसका सिर पकड़ कर लंड पर दबा दिया. उनका लंड खड़ा होने लगा था. अंजू ने फील किया की स्वामी जी फिर से मस्त होने लगे हैं. उसने और ज़ोर से चुसाइ शुरू कर दी. स्वामी जी का लंड फिर तन गया. अंजू को अप्नी चूत में खुजली महसूस हुई और वो चूत को खुजलाने लगी.
स्वामी जी बोले` अंजू यह काम तुम्हारा नही मुझे खुजलाने दो.` स्वामी जी की नियत जान कर अंजू बोली,` अभी तो चोद कर हटे हो स्वामी जी अब क्या फाड़ ही डालोगे.`स्वामी जी ने शरारत से कहा ,` फटनी होती तो फॅट गयी होती, अब तो मस्त चोदने का टाइम है. अंजू अब में तुझे पीछे से चोदुन्गा.
पीछे से चुदाई का ज़्यादा मज़ा आता है. सही में चुदाई का असली और नॅचुरल तरीका तो पीछे से ही चूत मारने क़ा है स्वामी जी नें अंजू को घुमा कर उसकी पीठ अपन्नी तरफ कर ली अंजूकी नंगी बाहों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूचियाँ पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया.
अंजू मस्त थी. पूरा स्मर्पण करते हुए उसने अपना सर पीछे झुकाया और स्वामी जी की तरफ देखा. स्वामी जी उसकी सेक्सी गुलाबी आँखों को देख कर मस्त हो गये. उन्होंने झुक कर अंजू के होंठ अपने होंठो में ले लिए और चूसने लगे. अंजू ने अपने होंठ खोल दिए.
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स्वामी जी नें अपनी जीभ अंजू के मुँह मे डाल दी और घूमने लगे. दोनो की मस्ती बढ़ गयी. अब और रहा नहीं जा रहा था. स्वामी जी नें अंजू को बेड के कॉर्नर पर घुटनों और कुहनियों के बल लिटा दिया. अंजू के कंधों को नीचे झुका दिया और गांद उपेर उठा दी.
अंजू की चूत टाँगों के बीच से दिखाई देने लगी. नज़ारा सेक्सी था. अंजू अभी अभी चुद कर हटी थी. स्वामीजी का वीर्य चूत के आस पास लगा हुआ था. मोटे लंड के कारण चूत की फाँकें कुछ फैल गयी थी और एक गुलाबी लाइन सी दिखाई दे रही थी.
अंजू अपने चूतड़ ऊपेर नीचे करने लगी. स्वामीजी समझ गये कि वो लंड लेना चाहती है. स्वामीजी नें लंड अंजू की चूत पर रखा और एक ही बार में धीरे से अंडर घुसेड दिया. अंजू के मुँह से एक सिसकारी निकली, दर्द की नहीं, मस्ती और मज़े की.
स्वामी जी नें लंड को अंडर बाहर करना शुरू कर दिया. पीछे से चुदाई में लंड पूरा अंडर जा रहा था अंजू सोच रही थी स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे की पीछे से चुदाई का मज़ा ही अलग है. सच ही था. अंजू चुदाई के साथ सोच रही थी की कैसे स्वामीजी को कहा जाए की जल्दी जल्दी आ कर चुदाई किया करें.
अंजू अपनी बेहन रागिनी- जो उसकी देवरानी बनने वाली थी, को भी स्वामीजी से चुदाई का मज़ा दिलवाना चाहती थी. वो जानती थी की उसका देवर कमलेश भी लक्ष्मण की तरह ख़ास्सी है और रागिनी को नहीं चोद पाएगा. अचानक अंजू का ध्यान टूटा.
स्वामीजी ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर रहे थे. पूरा लंड बाहर निकाल फिर अंडर डालते थे. अंजू मस्त हो चुकी थी. अपने चूतदों को ज़ोर ज़ोर से ऊपेर नीचे कर रही थी. धीरे धीरे उसके दिमाग़ नें काम करना बंद कर दिया. वो कुछ भी सोच नहीं पा रही थी.
केवल चूत लंड चुदाई और स्वामीजी ही उसके ख़यालों में थे. मस्ती पूरी तरह हावी थी. मज़ा आने वाला था. अंजू के मुँह से सिसकारिया निकलने ल्गी थी. वो मुँहसे कुछ बड़बड़ा रही थी. धीरे धीरे उसकी मस्ती बढ़ती गयी. उसकी आवाज़ ऊँची होती गयी.
स्वामीजी का हर धक्का उसे स्वर्ग की सैर करा रहा था,` आह स्वामी जी……. क्या चीज़ हो आप……. कैसे चोद्ते हो…. आह…..स्वामीजी आप और कैसे कैसे चोद सकते हो….सब तरहा से चूत मारो मेरी……मैं कहती थी ना की मेरी चूत फॅट ना जाए…….. अब कहती हूँ फाड़ दो इसे…….धक्के मार कर.`
अंजू को पता नही था की वो क्या बोल रही है. मॅन की बातें ज़ुबान पर आ रही थी. स्वामीजी उसकी बातें सुन कर और भी सेक्सी हो रहे थे. उनके धक्कों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. ` अहह….स्वामी जी स्वामीजी….. …आअहह.
स्वामी ……स्वामी आह….फाड़ दो ….फाड़ दे स्वामी साले…..स्वामी मॅदर चोद…….स्वामी चूतिया……फाड़ दे साले. आह….स्वामीजी प्लीज़ और ज़ोर से… और..हां ऐसे ही…हः… आह…आह स्वामी जी मज़ा आने वाला है….सवमीज़ी. …रोज़ चोदना मुझे….कभी जाना मत…..आह…स्वामीजी मेरी बेहन को भी स्वर्ग दिखा दो…..अहहहः. …उसे भी चोदना `
अंजू को मज़ा आने वाला था. वो अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी. स्वामीजी नें अप्ना मज़ा रोक लिया और अंजू के बाद झड़ने का फ़ैसला किया. अचानक अंजू को मज़ा आ गया वो ज़ोर से चिल्लाई, ` आह…….मर गयी रे……ये क्या कर दिया स्वामी…..इतना मज़ा ?
हे भगवा…..ये स्वामी क्या चीज़ है ……..हाए ……और क्या चीज़ है ये लंड और चूत…..आह आह आह ….स्वामी आह.. मर गयी…..मर गयी. स्वामी फाड़ दे साले फाड़ मेरी चूत…. फाड़ ….फा….. आह……..` और इसके साथ ही वो पस्त हो गयी.
अब स्वामी जी की बारी थी. स्वामीजी नें मज़ा लेने का मॅन बनाया और ज़बरदस्त धक्कों के साथ झाड़ गये. एक ऊँची आवाज़ उनके गले से निकली…..आआआआः हह…. ….आआआगयाआ आ…स उउउब्ब्ब्ुऊउ…..आअहह. ……..किययाया चूऊत है……..आआहह ह…….`
नीचे अंजू को अपनी चूत में स्वामीजी का वीर्य गिरता महसूस हुआ तो उसे फिर मज़ा आने लगा. स्वामी जी का वीर्य गिरता ही जा रहा था.थोड़ी देर में सब शांत हो गया. स्वामी जी नें लंड बाहर निकाला. अंजू सीधी हुई और स्वामीजी का लंड प्यार से चूस चाट कर सॉफ किया. खड़ी हो कर पूछने लगी, `स्वामीजी अब कब आओगे`.
जल्दी ही आऊंगा, रागिनी की कुँवारी चूत जो चोदनि है.`
अंजू नें प्यार से उनकी तरफ देखा और उनके गले लग गयी और अगली चुदाई के सपनों में डूब गयी. अंजू स्वामीजी से अलग हुई और कपड़े पहनने लगी. स्वामीजी ने भी कपड़े पहन लिए. अंजू अंदर गयी और 5000 रुपये ले कर आई और स्वामीजी को देने लगी.
`स्वामीजी , ये लीजीए मेरी तरफ से भेंट.`
ये क्या है?`
`स्वामीजी आप ने मेरी इतनी अच्छी चुदाई की, आप इसे ले लीजिए`
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`नहीं अंजू, में चुदाई के पैसे नहीं लेता, और ना मुझे इनकी ज़रूरत है. हमारे आश्रम के पास बहुत पैसा है. हां अगर तुम इच्छा रखती हो तो में 1000 रुपये रख लेता हूँ, क्यों की हम इस शहर में भी आश्रम खोल रहे हैं.` ` ठीक है स्वामीजी, फिर आप बैठिए, में आप के लिए खाना बनाती हूँ`. `ठीक है ` कह कर स्वामी जी बैठ गये. अंजू दूध भरा गिलास और ड्राइ फ्रूट लाई और हंस कर बोली, `स्वामीजी आप ने बहुत मेहनत की है ये पी लीजिए, तब में खाना बनाती हूँ`स्वामीजी भी हँसने लगे. खाना ख़तम हो गया.
अंजू और स्वामी जी सोफा पर बैठ गये. अंजू नें पूछा, ` अब कब आओगे स्वामी जी ?` `जब तुम बुलाओ` ` मेरा क्या में तो कहती हों जाओ ही मत, दिन रात मुझे चोद्ते रहो` `नहीं, पर तुम जब कहो में आ जाऊँगा` `जल्दी से जल्दी कब आ सकते हैं` अंजू की आँखों के सामने स्वामीजी का लंड घूमने लगा. `ठीक है आज मंगलवार है अगले मंगलवार को आऊंगा`. इतने में रागिनी भी आ गई, फिर आगे क्या हुआ दोस्तों ये जानने के लिए कहानी का दूसरा भाग पढ़े.