Kunwari Chut Seal
मैं संतोष आपको अपनी कहानी सुना रहा हूँ मैं एक बहुत ही गरीब घर से हूँ l मेरे पिता बचपन में ही गुजर गये थे, पीछे २ जवान बहने और मुझको छोड़ गए थे । जब हमारे घर का खर्च चलना मुस्किल हो गया तो माँ ने कहा की कुछ कम कर लूँ। पर दोस्तों सबसे बड़ी दिक्कत थी की मैं सिर्फ 8 वी पास था। मुझको कौन सी नौकरी मिल जाती। Kunwari Chut Seal
जब कोई कम मुझको नही मिला तो मैं और मेरी जवान १८ साल की बहन छतरपुर के एक फॉर्म हाउस में काम करने लगे, महीने के हम दोनों को ५ ५ हजार मिलने लगा, मैं बहुत खुश हो गया की चलो अब तो घर का खर्च चलेगा। पहले महीने की पगार भी हम भाई बहनों को मिलने लगी।
फॉर्म हाउस के मालिक ठाकुर महेंद्र प्रताप सिंह थे। बहुत ही रसिया आदमी थे। आपको तो पता ही होगा की ठाकुर लोग सुर सुरा सुन्दरी के कितने शौक़ीन होते है। फॉर्म हाउस पर आये दिन पार्टी होने लगी । बाजार से तरह तरह की शराब खरीदकर लाना पार्टी के लिए तरह तरह के वेज नॉन वेज स्नैक्स बनाना म्यूजिक चलाना सब हम भाई बहनों की ही जिम्मेदारी होती थी ।
दोस्तों धीरे धीरे हम ठाकुर साहब के बारे में सब जान गये वो एक नंबर के ठरकी और इश्कबाज आदमी थे। पार्टी में वो सभी दोस्तों के साथ वो इतनी पिते थे की नशे में धुत्त हो जाते थे। फिर सबके साथ चुम्मा चाटी करते थे। पार्टी में चुदाई का भी इंतजाम था।
पहली मंजिल पर कई कमरे बने थे, जब कोई मेहमान किसी जवान लडकी के साथ तेज म्यूजिक पर डांस करते करते बेसुध हो जाता था तो पहली मंजिल पर जाकर चुदाई कर लेता था। तो दोस्तों अब हम भाई बहन ठाकुर साहेब का आचार विचार समझ गए थे।
मुझको हमेशा अपनी 18 साल की जवान खुबसूरत बहन को लेकर चिंता रहती थी की कहीं उसके साथ कुछ अनहोनी न हो जाये क्यूंकि पार्टी में खूब शराब पिने के बाद लडके अपनी हद भूल जाते थे और जो लड़की सामने पड़ जाती थी उसका हाथ पकड़ के खीच लेते थे।
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उस लड़की की चूची दबोटने लगते थे, पिछवाड़े पर हाथ फेरते थे और बार बार कहते थे चल कमरे में चूत दे दे तो दोस्तों ऐसा कुछ माहोल था। ठाकुर महेंद्र प्रताप सिंह के फॉर्म हाउस का सारा माहोल मुझको मालूम पड गया। ठाकुर साहेब की लडकी विलायत से पढकर आई थी।
वो भी उनके सामने ही खूब शराब पीती थी। पार्टी में आये लडके उससे खूब छेड़खानी करते थे और कुछ तो उसको कमरे में लाकर खूब चोदते पेलते भी थे। सबसे कमॉल की बात ये थी की ठाकुर साहेब सब जानते थे फिर भी कुछ नही कहते थे। उनकी नजर में छोटे कपड़े में घूमना और शराब के जाम लेना बहुत ही मॉडर्न था।
इस तरह ठाकुर की नजर में उनकी बेटी दुसरे मोर्दों से आये दिन चुद्वाती रहती थी। एक दिन तो जो मुझको दर था वही हो गया। ठाकुर शराब ने व्हिस्की की पूरी बोतल उतार ली। मेरी बहन वही खाड़ी थी ठाकुर समझे कोई और लडकी है।
उन्होंने मेरी बहन का हाथ पकड़ के खिंच लिया उसके रसीले होंठ पिने लगे। ए लडकी तू कितनी खुबसुरत है आज तो मुझको अपने रूप का बस एक प्याला पिला दे ठाकुर बोले और जबरदस्ती मेरी बहन के होंठ पिने लगे.
बचाओ! बचाओ! मेरी बहन पिंकी चिल्लाने लगी मैं भगा भगा पंहुचा। मैंने ठाकुर साहब को खिंच के अलग किया बाद में जब उनको होश आया तो बोले माफ़ कर दो संतोष गलती हो गयी। मैं समझा की कोई पार्टी में आयी लडकी है!
दोस्तों उस दिन तो मैं घबरा गया था। आज मेरी बहन की इज्जत लुट सकती थी। ठाकुर साहब उसको नंगा करके बेदर्दी से चोद सकते थे। आज तो बहुत कुछ कुछ गलत हो सकता था। पर दोस्तों हम भाई बहना आखिर कहाँ जाते ? हम दोनों पढ़े लिखे भी न थे। इसलिए हम दोनों को मजबूरी में इस ठरकी ठाकुर के फॉर्म हाउस पर कम करना पद रहा था।
हम लोग यहाँ सुबह ६ बजे आ जाते थे और रत १० बजे ही जाते थे। हम दोनों फॉर्म हाउस में नहा भी लेते थे । एक दिन जब मेरी बहन नहा रही तो मैं देखा की ठाकुर साहेब मेरी जवान बहन को चुपके चुपके खिड़की ने नहाते देख रहे थे । मुझे बहुत गुस्सा आया पर मैंने कुछ नहीं कहा।
पर दोस्तों जिस बार का डर था वो एक दिन हो गया। पिंकी जाओ घोड़ो को घास खिला दो! ठाकुर गजेन्द्र बोले मेरी जवान हसींन बहन घोड़ो के अस्तबल में घास खिलाने चली गयी। मुझको हरामी ने बाहर किसी कम से भेज दिया। मेरी बहन पिंकी नारंगी सलवार सूट में उस दिन बहुत खुबसुरत लग रही थी।
उसने अभी अभी ही नहाया था , खूब सुंदर लग रही थी। दोस्तों वो बिलकुल गुलाब का फूल लग रही थी। आज उसने इत्र भी लगाया था इसलिए उसका आज अंग अंग महक रहा था। ठाकुर ने मुझको बहाने से बाहर भेज दिया। वो मेरी जवान बहन के पीछे पीछे अस्तबल में चले गये। पिंकी घोड़ो को घास खिला रही थी।
पिंकी! ले तू भी एक घूट लगाले! तू मेरा और इस फॉर्म हाउस का कितना ख्याल रखती है तेरी मेहनत से मैं बहुत खुश हूँ । अगले महीने मैं तेरी पगार बड़ा दूंगा ठाकुर बोले जी ठाकुर साहेब मैं नही पीती हूँ पिंकी बोली अरे पीले पीले वरना लोग तुझको गावर ही समझेंगे वो बोले.
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और जबरदस्ती मेरी जवान बहन को एक गिलास में शराब भरके दे दी। मेरी बहन ने पी ली। वो मादरचोद ठाकुर का इरादा नही समझ पाई। वो नही जान पाई की आज वो चुदने वाली है । वो बेचारी ठाकुर के जल में फास चुकी थी। आधे घंटे बाद ही पिंकी को बड़ी जोर की चढ़ गयी थी।
लगता है तुझको खुमारी चढ़ गयी है!! आ इधर घास पर लेट जा !! भोसड़ीवाला ठाकुर मेरी नशे में लड़खड़ाती बहन को घास पर ले गया और उसने उनको वहीँ लिटा दिया । पिंकी अब अचेत थी। उसको कोई होश नही था । ललचाई आँखों से ठाकुर ने २ जाम और चढ़ा लिए । अब वो बेरी बहन के बगल ही मोटी घास के ढेर पर लेट गया।
सबसे पहले उनसे मेरी बहन का दुपट्टा हटाकर एक ओर रख दिया। पिंकी के बड़े बड़े भरे ठोस मम्मे ठाकुर की गन्दी नजरों को दिखने लगे । ठाकुर के हाथ अब मेरी बहन की इज्जत यानि उसके बूब्स पर थे । ठाकुर उनको अपना मॉल समझ के छु सहला और दबा रहा था।
पिंकी अचेत थी। उसको खबर नहीं थी की कोई उसके मस्त जिस्म से खेल रहा था। धीरे धीरे मादरचोद ठाकुर जो हमेशा बुर ढूंढता रहता था, खूब जोर जोर से मेरी बहन के दोनों मम्मे दबाने लगा । पिंकी को कुछ न मालूम हुआ।
फिर हरामी ने मेरी बहन के मुह पर अपना मुह रख दिया और गलाबी खुबसुरत होंठों को पिने लगा। खूब चूसा कुत्ते ने मेरी बहन के नर्म होंठों को फिर कुत्ते ने मेरी बहन का सूट निकल दिया । कुत्ते ने मेरी बहन की ब्रा भी उतार दी। २ बेहद ही ठोस गोल बड़े बड़े कलश के आकर के ठाकुर के सामने आ गए ।
पिंकी रानी !! आज तो तुम्हारे आम मेरे सामने आ ही गये पर दुःख इस बात का है की इतना कडक मॉल मेरे घर में छिपा था और मैं अभी तक जब न पाया । पर आज तो तुम्हारे आमों का मीठा रस जुरूर पियुंगा!! कुत्ते ठाकुर ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा।
मेरी बहन की झांटे लाल हो गयी। उसने मेरी बहन के नग्न मम्मो को हाथ में ले लिया । हरामी को तो जैसे जन्नत मिल गयी। फिर उसने मेरी जवान बहन के दूध को मुह में भर लिया और पिने लगा । मेरी बहन शराब के नशे में धुत्त थी। उसको कुछ पता नही चल रहा था की क्या उसके साथ क्या हो रहा था।
ठाकुर ने मेरी बहन के दोनों मम्मे खूब जी भरके पिए । जब उसका दिल भर गया तो उसने मेरी बहन का नारा खोल दिया। उसकी सलवार निकाल दी। १ सेकंड में हरामी ने उसकी चड्ढी भी निकाल दी। मेरी बहन अभी १८ साल की कच्ची कलि थी । उसकी हल्की हल्की झांटे निकली थी।
अब मेरी बहन पूरी तरह नंगी हो गयी थी । हरामी ठाकुर महेंद्र प्रताप सिंह ने मेरी बहन की बुर को अपने दोनों अंगूठों से खोल दिया। वाह ये मॉल तो अभी कुवारी है अभी!! बेचारी ये नही जानती थी की इसकी नथ मैं ही उतारूंगा! ठाकुर मुस्कुराया और मेरी बहन की बुर पिने लगा।
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छोड़ दो ! छोड़ दो मुझको ! मेरी बहन कसमसाने लगी ठाकुर मेरी बहन की नर्म और गर्म चूत मस्ती से पीने लगा। वो भर भरके मेरी जवान बहन पिंकी की बूर को पीने लगा। ठाकुर ने अब देर करना बिलकुल भी ठीक नहीं समझा क्यूंकि अब मैं कभी भी बाजार से घर लौट सकता था।
उसने मोटा सा लंड मेरी बहन पिंकी की बुर में लगा दिया और जोर का धक्का मारा। पिंकी की सिल टूट गयी । खून बहने लगा । पर कुत्ता ठाकुर नही माना । हस हस कर मेरी बहन को चोदने लगा । पिंकी शराब के नशे में थी पर उसको ये तो अहसास हो ही रहा था की कोई उसके साथ कुछ गलत कर रहा है।
छोड़ दो मुझको !! जाने दो! पिंकी बार बार उस कमीने से कह रही थी । पर वो कुत्ता कहाँ सुनने वाला था । वो धकाधक मेरी बहन को चोदे जा रहा था। ठाकुर का लुंड बहुत मोटा था बड़ी मुस्किल से पिंकी की बुर में घुस पाया था । घोड़े के उस अस्तबल में हर तरह खून ही खून था जो पिंकी की बुर से निकला था।
ठाकुर बेदर्दी ने मेरी कच्ची कलि जैसी बहन की इज्ज़त के साथ खेल रहा था। फिर उसने एक और जोर का धक्का दिया और लंड ने पिंकी की बुर पूरी तरह फाड के रख दी । मेरी बहन छटपटाने लगी। पर ९० किलो के ठाकुर ने मेरी बहन के दोनों हाथ कसके पकड़ रखे थे ।
उसके मुह को उसने अपने हाथ से बंद कर दिया था जिससे कोई आवाज न सुन पाए। ठाकुर जल्दी जल्दी जोर जोर से हुमक हुमक के अपनी कमर और पिछवाडा चला के मेरी सगी बहन को चोद रहा था। दोस्तों कुछ देर बाद वो झड़ने को आया और उसने मेरी बहन की बुर में ही मॉल गिरा दिया ।
अब वो फिर से मेरी बहन के मम्मे पिने लगा। फिर बुर पिने लगा और चूत में ऊँगली करने लगा । कुछ देर बाद कुत्ते का फिर से मौसम बना । मेरी बहन अचेत ही थी । वो नही जान पाई की उसके साथ कितना बड़ा कांड हो गया है । बहनचोद ठाकुर ने अपना लंड अब पिंकी के मुह में दाल दिया और मुह चोदने लगा।
फिर कुत्ते ने मेरी बहन के आमो के बिच में अपना लण्ड रख दिया और दोनों चूची पकड़कर पिंकी के बूब्स को चोदने लगा। खूब चोदा साले ने फिर अंत में उसने मेरी बहन की गांड मारी। मेरी बहन रो रही थी, कसमसा रही थी, पर कुत्ते को तरस नही आया। पिंकी की खूब गांड मारी उसने।
दोस्तों जब तक मैं पहुचा सब लुट चूका था। ठाकुर से चुद चुद कर मेरी बहन अब एक औरत बन चुकी थी । अस्तबल में मौजूद ७ घोड़ों ने भी मेरी बहन को चुदते हुए देखा था पर वो भी कुछ नही कर सके । जब मैं पंहुचा तो पिंकी बेडरूम में लेती थी।
ठाकुर साहेब मेरी बहन को क्या हुआ ?? मैंने पुछा.
कुछ नही संतोष वो घोड़ों को घास खिलाने गयी थी । वहीँ पर एक घोड़े ने लात मार दी वो बोला। दोस्तों रात में मुझको कुछ शक्क हुआ मैंने अपनी बहन की बुर चेक की । सिल टूट चुकी थी । ठाकुर से मुझे कमरे में रात ११ बजे बुलाया।
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बेटे संतोष!! सायद सच्चाई तुम जान गये हो! ये तो २ लाख ये तुम्हारी मुह बंद करने की कीमत है । देखो मैंने ये सब जान बूझ कर नही किया । वो पिने के बाद मुझे कुछ होश नही रहा और ये सब हो गया। बेटे पुलिस में मत जाना वरना मेरी समाज में कोई इज्ज़त नही रह जाएगी!! ठाकुर बोला। वो कमीना झूठ मुठ के आशु बहाने लगा । मैंने सोचा अब मैं पुलिस में जाऊंगा तो पिंकी की इज्ज़त तो वापिस नही आ जाएगी।
इसलिए दोस्तों मैंने ठाकुर से समझौता कर लिया। धीरे धीरे उसको मेरी बहन कुछ जादा ही जम गयी। उसने कहा की मुझे हर महिना ५० हजार देगा अगर मैं अपनी बहन को उसकी रखेल बना दू । इतनी बड़ी रकम देखकर मैं मान गया। मैंने पिंकी को उसकी रखेल बना दिया। अब दोस्तों वो कुत्ता हर रात मेरी बहन को नंगा करके खुल पेलता है। खूब चोदता है मेरी बहन को और मैं मजे से अब टहलता हूँ और कोई काम नही करता।