Majboor College Girl Sex
दोस्तों यह घटना उस समय की है, जब मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ शुरू हो गई थी, इसलिए में खुशी खुशी अपने घर पर लौट रही थी और मुझे नए नए इंजिनियरिंग कॉलेज जाने में बहुत मज़ा आ रहा था और मम्मी ने मेरी अच्छी पढ़ाई की लगन को देखकर मुझे एक एप्पल का 1 लाख रूपये का एक फोन दे दिया था। Majboor College Girl Sex
अब मेरे कॉलेज में कुछ दोस्त भी बन गए थे, उन सभी में से एक थी दीक्षा, जो मेरे पास बैठती थी और वो बहुत बदमाश किस्म की लड़की थी। वो हर रोज मुझे अपने मोबाईल पर ब्लूफिल्म दिखाती और वो हमेशा बहुत कमाल की फिल्म लाती थी, वो जब भी मेरे घर पर आती तो हम दोनों बहुत मज़े करते और ब्लूफिल्म देखते फेक अकाउंट पर सेक्स चेटिंग करते.
और कभी कभी मज़ाक में वो मेरे बूब्स को दबा देती तो कभी में उसके बूब्स को दबा देती थी और हम दोनों ने बहुत कम समय में बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ भी पढ़ी, जिसमें मैंने चुदाई के बहुत सारे अलग अलग तरीके देखे, वो बहुत मजेदार रोचक थे और में कॉलेज के इन एक दो महीनो में बहुत बदल गयी थी।
दोस्तों यह सब मेरी दोस्त दीक्षा के कारण था। वो मुझे अक्सर अपनी झूठी सेक्स कहानी सुनाकर गरम करती थी, वैसे स्कूल में मैंने ऐसा कभी नहीं किया था, क्योंकि में थोड़ी सी मोटी हूँ, इसलिए मेरे ज़्यादा दोस्त भी नहीं थे और दीक्षा के साथ दोस्ती होने के बाद मुझे अपने लड़की होने का एहसास होने लगा था और में अब लड़को के तरफ आकर्षित होने लगी थी.
लेकिन मेरी इस अच्छी कहानी में दुखो की भी कमी नहीं थी, क्योंकि मेरी मम्मी एक प्राइवेट कंपनी में काम करती थी, पापा और उनका दस साल पहले ही तलाक़ हो चुका था और मेरी मम्मी बहुत गुस्सैल स्वभाव की औरत है, वो आज भी मुझे हर छोटी छोटी बातों पर डांटती है।
दोस्तों यह घटना एक साल पहले की है, तब में 18 साल की थी और मेरी लम्बाई 5.3 और मेरा फिगर 36-32-36, रंग गोरा गोल चेहरा, में स्वभाव से थोड़ी भोली थी, यह सब उस कुतिया दीक्षा के वजह से हुआ। दोस्तों उसने एक दिन मुझे मज़ाक मज़ाक में ऐसा धक्का दिया कि मेरा एप्पल का फोन नीचे गिरकर टूट गया और हम दोनों ने मिलकर उसे किसी तरह जोड़ दिया.
लेकिन वो बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा था और अब में बहुत डर गई और मैंने मन ही मन सोचा कि अगर मैंने अपनी मम्मी को बताया तो मुझे बहुत मार पड़ेगी और नया फोन खराब हुआ है, यह बात मम्मी को पता ही चल जाएगी, लेकिन अब मेरे पास पैसे भी नहीं थे.
क्योंकि मम्मी तो मुझे गिनकर हर महीने 2000 रूपये महीने का देती है, जो मेरे पास खर्चा हो जाता है, मेरे पास बचता एक रुपया भी नहीं है और में अब फोन के खराब होने की बात को सोचकर बहुत उदास थी और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि में अब क्या करूं?
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तो दीक्षा ने मुझसे कहा कि उसे एक दुकान का पता है, जो सस्ते में फोन ठीक करता है। फिर मैंने कहा कि मेरे पास जमा किए हुए 7000 रूपये है, तो उसने चिल्लाकर कहा कि हाँ यार बहुत है और में उसके साथ दुकान पर चली गई और हम दुकान पर पहुंचते तो देखा कि वहां पर एक 11-12 साल का बच्चा बैठा हुआ है।
फिर मैंने जब उससे फोन ठीक करवाने का खर्चा पूछा तो उसने मुझसे कहा कि उसे पता नहीं, उसका मालिक आएगा तो बता सकता है और वो कब आएगा पता नहीं। ऐसे हालत में दीक्षा ने मुझसे कहा कि तू ज्यादा चिंता मत ले यार, यह इसको फोन देकर चल, दो दिन बाद वो इसको ठीक कर देगा तो हम आकर ले जाएँगे, वो पैसे भी ज़्यादा नहीं लेता।
दोस्तों मुझे उसकी बातों पर पूरा भरोसा था, इसलिए में उस बच्चे के हाथ में फोन देकर अपने घर पर आ गई, दो दिन तक में घर पर मम्मी से छुपकर रही कि कहीं मुझसे मोबाईल के बारे में ना पूछ ले। फिर जब में दीक्षा उस दुकान पर गये तो इस बार वहां पर एक 35-38 साल का हट्टा कट्टा सांवला सा आदमी बैठा हुआ था।
वो लंबा चौड़े सीने वाला, सांवला रंग, हाथ में लोहे की चूड़ी, उसने एक कान में बाली पहनी हुई थी, जब हमने अपने मोबाईल के बारे में उसको बताया तो उसने हमारा मोबाईल दे दिया और जो खर्चा उसने हमे बताया हमारे उसको सुनकर होश ही उड़ गए, वो बोला 25000 रूपये। अब हम दोनों ने उसे बहुत कोसा और पैसे कम करने को कहा.
लेकिन उसने कहा कि उसने हमारे मोबाईल पर 22000 रूपये की एक टूटी हुई दूसरी मशीन लगाई है, दूसरे दुकान वाले इसके 40000 रूपये तक माँगते है। फिर दीक्षा ने उससे कहा कि हम यह पैसे आपको किस्तो में चुका देंगे, लेकिन वो मानने वाला नहीं था, हम पूरी तरह से घबरा गये थे।
तभी दीक्षा ने कह दिया कि पैसे मेरे घर पर है, वो कल सुबह दस बजे आकर फोन ले जाएगी, तो उसने उस पर भरोसा किया और मेरे घर का पता लेकर उसने मेरे 7000 रूपये भी रख लिए और हमे जाने दिया। दोस्तों मुझे तब लगा कि हम कल तक पैसों का कहीं से जुगाड़ कर लेंगे, यह बात सोचकर दीक्षा ने उससे ऐसा कहाँ होगा तो में भी उसके साथ चुपचाप वहां से चली आई।
अब घर पर आने के बाद में उसने बताया कि उसने जो पता उसको दिया है, उस कागज पर उसने हमारे घर का पता ग़लत लिख दिया है और वो दुकानदार कभी भी मुझे नहीं ढूंड पाएगा, तो मुझे उसकी यह बात सुनकर बहुत राहत मिली कि आज पहली बार उसने कोई दिमाग़ का काम किया था।
तो उसके अगले दिन रोज की तरह मम्मी सुबह 8 बजे ही अपनी नौकरी पर निकल गई और करीब 11 बजे में कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी कि तभी दरवाजे पर लगी घटी बजी। फिर मैंने सोचा कि लगता है हमारी कोई पड़ोसन होगी, वो चीनी या चायपत्ति माँगने आई होगी, लेकिन दरवाज़ा खोलते ही मेरा सर दर्द से फटने लगा.
क्योंकि अब ठीक मेरे सामने वही मोबाईल ठीक करने वाला था। उसकी आँखे पहले से बड़ी बड़ी और लाल नज़र आ रही थी। आदमी : क्यों मेडम जी, आप लोग ने जानबूझ कर मुझे ग़लत फ्लेट नंबर दिए थे ना? लेकिन मैंने आपके नाम पूछते हुए आपको और आपके फ्लेट को ढूंड ही लिया।
में : मेरा नाम?
आदमी : हाँ कल मैंने आप दोनों को एक दूसरे के नाम से पुकारते हुए सुना था, चलो अब आप मेरे पैसे दो वरना में यहाँ पर ज़ोर से चिल्ला चिल्लाकर सभी को आप लोगों की हैसियत बता दूँगा, साले रहते बड़े बड़े घर में है और हज़ार रुपये के लिए ग़रीबो को ठगते है।
दोस्तों वो मुझे बहुत बुरी तरह से कोसने लगा था तो मैंने कोई बाहर सुन ना ले और मेरी मम्मी को ना बता दे, यह बात सोचते हुए उसको अंदर बुलाकर ड्रॉयिंग रूम में बैठा दिया, लेकिन अब मुझे बहुत घबराहट हो रही थी, में उसे वहां पर बैठाकर अंदर गई और दीक्षा को अपने दूसरे फोन से कॉल किया.
जैसे ही मैंने उसे यह बात बताई तो उसने मेरी मदद करने से साफ मना कर दिया वो और मुझसे कहने लगी कि उसके पास मेरा मोबाईल है तो में ही उससे बात करूं तो मुझे भी उसका ऐसा जवाब सुनकर बहुत गुस्सा आया।
में : साली कुतिया तेरी वजह से में आज फंस गई हूँ और तू ही मेरी आज मदद भी नहीं कर रही, मुझे तेरी ऐसी दोस्ती नहीं चाहिए, कहीं मर जा साली।
दीक्षा : क्या? मेरी वजह से, तुझे क्या में अपनी गोद में उठाकर उस दुकान पर ले गई थी, चल अब अच्छा हुआ मर रंडी साली, तेरे पास पैसे तो होंगे नहीं अब तू उससे अपनी चूत चुदवाकर उसके पैसे चुका।
दोस्तों मुझसे यह बात कहकर उसने फोन ज़ोर से पटक दिया और मुझे रोना आने लगा था। फिर कुछ मिनट तक में एकदम चुपचाप खड़ी रही और सोचती रही कि में अब क्या करूं? क्या उसको अपने घर के सामान दे दूँ? नहीं वो नहीं लेगा और उसने लिया भी तो मम्मी मुझे पकड़ लेगी और वो मुझे बहुत मारेगी, क्या में मम्मी की अलमारी को तोड़ दूँ?
नहीं में यह भी नहीं कर सकती, क्या में कहीं से बाहर निकलने की जगह देखकर भाग जाऊं? नहीं यह भी नहीं हो सकता, क्योंकि हम 4th मंजिल पर रहते है या फिर दीक्षा के कहे तरीके से में उसके साथ एक बार सो जाऊं, मतलब पैसों की जगह में अपनी चूत को कुर्बान कर दूँ?
दोस्तों मुझे वो कुछ मिनट अब सालो से लग रहे थे और में पूरी तरह से पसीने से भीग चुकी थी और फिर नहीं नहीं यह मेरी समस्या है और में ही इसको हल करूँगी। तभी बाहर से आवाज आई, मेडम अब कितना टाईम लगेगा, मुझे और भी बहुत सारे काम है? तो मैंने कुछ नहीं कहा और मैंने अपने कपड़े बदले, लीप स्टिक, पर्फ्यूम लगाया और फिर में बेडरूम से बाहर आ गई।
मैंने उस समय अपनी टी-शर्ट के अंदर से अपनी ब्रा को उतार दिया था और अपनी पेंटी और पज़ामा उतारकर एक छोटी सी स्कर्ट को पहन लिया था, क्योंकि अब मैंने फ़ैसला कर लिया था कि में इस आदमी को आज अपनी तरफ आकर्षित करके किसी तरह छुटकारा पा लूँगी.
उससे पहले मुझे थोड़ा सा डर था कि में मोटी हूँ, इसलिए शायद में इतनी सेक्सी नहीं हूँ और क्या पता यह मुझसे पटेगा भी या नहीं, जो भी हो मेरे पास मेरी चूत तो है ही, में उसे ज़रूर फंसा लूँगी। दोस्तों यह सभी बातें सोचते हुए में जैसे ही अपने बेडरूम से बाहर निकली तो मैंने देखा कि वो मुझे लगातार घूर रहा था.
में उसके सामने चुपचाप खड़ी होकर उसकी सोच को जानने की कोशिश कर रही थी, वो मेरी लाल कलर की टी-शर्ट को देख रहा था और शायद ब्रा नहीं होने से मेरे बूब्स के निप्पल भी बाहर से ही उसको नजर आ रहे थे.
लेकिन मैंने उसको देखने दिया और फिर में आकर उसके सामने अपने एक पैर पर दूसरे पैर को रखकर बैठ गई, जिसकी वजह से मेरी मोटी गोरी, गोरी जाँघ उसको साफ साफ दिख रही थी और वो कुछ नहीं कह रहा था, वो तो बस मुझे लगातार घूरे जा रहा था।
में : देखो भैया मेरे पास पैसे तो अभी नहीं है हाँ, लेकिन आपको में दो महीने में आपके सारे पैसे चुका दूँगी, आप मुझ पर भरोसा करो, में कहीं भागकर नहीं जाने वाली।
दोस्तों मैंने गौर किया तो वो अब भी मेरी जाँघो को ही देख रहा था। मैंने अपने आपको हिम्मत दी और धीरे से बात करते करते अपने दोनों घुटने खोलकर एक दूसरे से अलग अलग कर दिए, जिसको देखकर उसकी आँखे चमक उठी, क्योंकि दोस्तों मेरी स्कर्ट के अंदर ट्यूब लाईट की रौशनी जा रही थी. जिसकी वजह से उसको मेरी नंगी खुली हुई चूत साफ साफ दिख रही थी.
वो बस चुपचाप अपनी एक टक नजर से मेरी चूत को देखे जा रहा था। फिर मैंने देखा कि उसकी पेंट में अब एक ऊंचाई बन गयी थी, उसका मतलब साफ था कि उसके लंड ने अपना आकार बदलना शुरू कर दिया था, वो सब कुछ मेरी चूत की वजह से था। दोस्तों मुझे थोड़ा सा डर तो था, लेकिन मुझे अब एक अजीब सा अनुभव महसूस होने लगा था और तभी वो बोला।
आदमी : यह सब नहीं चलेगा मुझे आप अभी पैसे दो, नहीं तो में अभी बाहर जाकर चिल्लाता हूँ।
में : रुको रूको ना प्लीज़ मुझे एक मौका दो, में दस दिन में तुम्हारे सारे पैसे चुका दूँगी।
आदमी : क्या कहा? नहीं नहीं अच्छा चलो अगर तुम्हारे पास सही में पैसे नहीं तो मुझे तुम चार चुम्मे दे दो, तो में तुमसे कोई पैसे नहीं लूँगा।
में : तुमने क्या कहा चुम्मा? देखो जैसा तुम समझ रहे हो, में वैसी लड़की नहीं हूँ।
आदमी : चुपकर साली अपनी पेंट खोलकर ऐसे कपड़े पहनकर सोचती है, तू मुझे बेबकुफ़ बना देगी, तू मुझे चुम्मे देगी या फिर में बाहर जाऊं?
दोस्तों मैंने मन ही मन सोचा कि चलो मज़ा आ गया, यह मुझे सिर्फ़ चार चुम्मे देकर छोड़ देगा, में इसके चले जाने के बाद में अपने गालो को साबुन से धो लूँगी और काम खत्म। उसके बाद में उस दीक्षा नाम की कुतिया को देख लूँगी। मैंने अब थोड़ी सी नौटंकी करते हुए उससे कहा हाँ ठीक है, लेकिन गालों पर और कुछ नहीं। उसके बाद हमारा सारा पिछला हिसाब बराबर क्यों ठीक है ना?
आदमी : अरे साली तू मुझे क्या पागल समझी है, चुम्मा में गाल पर नहीं वहाँ पर लूँगा जहाँ पर में चाहूँगा।
में : क्या यानी कहाँ पर?
आदमी : वो तो जब हमारी बात पक्की होगी, उसके बाद में बताऊंगा।
में : हाँ ठीक है बात पक्की, लेकिन सिर्फ़ चुम्मे और कुछ नहीं समझे? वादा करो।
आदमी : अरे ठीक है चल पहले होंठो पर।
अब वो मुझसे यह बात कहकर सामने आ गया, में खड़ी हुई तो उसने मेरी मोटी तोंद को कमर को झटके से अपनी तरफ खींच लिया और में आगे आ गई, तो उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगा, उसकी हल्की उगी हुई दाड़ी मेरे होंठो पर चुभते हुए अच्छे लग रहे थे और उसके होंठ मेरे होंठो को चूस रहे थे।
दोस्तों सच पूछो तो मेरा जी कर रहा था कि में अभी उसके सर को पकड़कर और ज़ोर से चूम लूँ, लेकिन मेरे हाथ उसके कंधो पर आकर रुक गये, लेकिन पांच मिनट के बाद भी वो मुझे चूमे जा रहा था, में जब उससे अलग हुई तो मैंने राहत की सांस ली और उससे पूछा कि कितने चुम्मे हुए पांच मिनट तो हो गए।
आदमी : अबे पहले मुझे एक तो ठीक से करने दे।
में : क्या? सिर्फ़ पहला चल रहा है?
आदमी : सुन रे, मैंने तुझसे पूरे चार चुम्मा कहा था और कितनी देर यह नहीं कहा था कि चल शुरू हो जा।
फिर से हम चूमने लगे थे और इस बार उसके हाथ मेरी पीठ पर सहला रहे थे। मैंने उससे मना नहीं किया, क्योंकि मेरे शरीर को यह अहसास पहली बार हुआ था और यह बहुत अच्छा था। फिर पांच मिनट के बाद उसने मुझे छोड़ दिया और तभी वो मेरी टी-शर्ट को पकड़कर ऊपर खींचने लगा तो मैंने फुर्ती से उसके हाथ पकड़ लिए।
में : अह्ह्ह्ह यह क्या कर रहे हो?
आदमी : ऐ लड़की इस बार में तुम्हारे दोनों बूब्स पर भी चुम्मे दूँगा, चल खोल यह कपड़े।
में : तुम मेरे बूब्स को मेरे होंठो की तरह चूसोगे? में यह सह नहीं सकती, क्योंकि में एक कुंवारी लड़की हूँ।
आदमी : सौदा करके पीछे मत हटो। मैंने पहले ही कहा था कि जहाँ मेरी मर्ज़ी में वहीं पर चूमूंगा, तुम घबराव मत, में कोई जानवर नहीं हूँ आराम से चूमूंगा, तुम्हें कोई भी तकलीफ़ नहीं होने दूँगा। अब में सोफे पर बैठता हूँ, तुम मेरी गोद में बैठ जाओ, हम चुम्माचाटी बैठकर करेंगे।
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दोस्तों मुझसे यह बात कहकर उस आदमी ने अपनी शर्ट और पेंट को उतार दिया और वो सामने वाले सोफे पर सिर्फ़ एक अंडरवियर में जाकर बैठ गया, में तो बस उसको देखती ही रही और वो बैठकर पूछने लगा।
आदमी : हाँ अब आ जाओ घबरा मत गर्मी बहुत है और वैसे भी चूमना तो मुझे मुहं से है, बाकी बदन से तुम्हें क्यों घबराना, कपड़े हो या ना हो चलो आओ।
दोस्तों मैंने देखा कि उसकी अंडरवियर में उसका लंड अब फूंकार मार रहा है और में सोचने लगी कि कहीं यह मुझे चोदेगा तो नहीं। फिर मैंने सोचा कि यह दिल से बहुत अच्छा आदमी है, मेरी तकलीफो का भी ख्याल रख रहा है, यह ऐसा नहीं कर सकता और वैसे भी में अब बहुत आगे आ चुकी थी, जहाँ से पीछे मुड़ना मुझे एकदम मुश्किल सा लग रहा था.
तो में जाकर उसके एक तरफ जाकर खड़ी होकर पीछे मुड़ी और वहीं से में उसकी गोद में बैठ गयी। दोस्तों अब मुझे मेरे भारी भारी चूतड़ों पर उसका लंड मुझे महसूस हो रहा था। में मोटी तो थी, लेकिन उसके सामने बिल्कुल बच्ची लग रही थी, वो एक हट्टा कट्टा चौड़े सीने का आदमी था.
मेरे बैठते ही उसने अपने एक हाथ से मेरी पीठ को सहारा दिया, में थोड़ा सा शरमाई आख़िर में किसी मर्द की गोद में पहली बार बैठी थी। फिर उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे एक हाथ को उठाकर अपने दूसरे कंधो के ऊपर से अपनी पीठ की तरफ लटका दिया, जिसकी वजह से अब मेरा दूसरा बूब्स उसकी नंगी बाल से भरी हुई छाती से सटा हुआ था.
और हम दोनों क बीच में मेरी टी-शर्ट का सिर्फ़ एक पतला कपड़ा था। फिर मैंने उसकी आँखो में देखने लगा, जैसे कि वो मुझे आँखो से ही खा रहा है, मेरा बदन अब उसकी बाहों में ढीला सा पड़ने लगा था और तभी उसका एक हाथ मेरी टी-शर्ट के निचले हिस्से को पकड़कर मेरे बूब्स के ऊपर चला गया और मेरा एक बूब्स अब बाहर था.
और उसकी छाती के बालों से सटी हुई थी और एक बूब्स पर अब भी टी-शर्ट ढकी हुई थी। मैंने देखा कि उसकी आँखे मेरे बूब्स को देखकर चमक रही थी और उसके मुहं में पानी आ रहा था और में महसूस कर रही थी कि उसके इस नज़रिए से मेरे बूब्स भी जोश में पोपकॉर्न के रॅपर की तरह फूलने लगे थे, अब यह उसके मुहं के सामने परोसे हुए पड़े थे।
तभी उसने अपने एक हाथ से मेरे एक बूब्स को पकड़ लिया और दबा दबाकर देखने लगा। तभी मैंने उससे कहा देखो धीरे से चूमना, ठीक है। फिर उसने कोई जवाब नहीं दिया और वो अपना मुहं खोलकर नीचे झुका और मेरे एक बूब्स पर उसने अपना मुहं सटा दिया और चूसना शुरू कर दिया.
में तिलमिला उठी और मैंने अपने एक हाथ से उसके सर के बाल को पकड़ लिया और वो बिना जल्दी बाजी किए धीरे धीरे मेरे बूब्स को दबाते हुए मेरे निप्पल को चूस रहा था और में कसमसा रही थी, लेकिन अब मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि में उसके सर को सहला रही थी और मुझे अपनी जाँघो के बीच में ठंडा ठंडा एहसास होने लगा था।
फिर मैंने अपने एक हाथ को जब अपनी चूत पर लगाया तो मुझे पता चला कि मेरी स्कर्ट ऊपर उठ चुकी है और चूत पानी छोड़ रही है। अब करीब दस मिनट हो गए, लेकिन वो उसे चूसे जा रहा था। मैंने गौर से देखा तो उसकी आँखे आधी बंद है और उसका एक हाथ मेरे एक बूब्स को नीचे से उठाकर पकड़े है और उसकी नाक और मुहं मेरे नरम बूब्स में दबे हुए थे.
मेरी निप्पल को वो अपने मुहं के अंदर जीभ से धकेलता हुआ चूस रहा था, यह सब मुझे बहुत ही अच्छा अनुभव लगा। फिर मैंने उसके सर को और भी सहलाया, अपने बूब्स पर दबाया और फिर कुछ देर बाद उसका चेहरा मेरे पहले बूब्स से उठा और उसने साथ ही मेरी टी-शर्ट को मेरे दूसरे बूब्स के भी ऊपर कर दिया और एक बार फिर से उस पर अपना मुहं लगा दिया।
अब मेरे पैर टाईट होने लगे थे, एक बहुत ही सुंदर सा अहसास मेरे बूब्स से होकर मेरे पूरे बदन में फैल रहा था। अब मैंने अपने बूब्स को देखा तो मेरा एक बूब्स पूरी तरह से लाल हो गया था, उसने इतनी ज़ोर से चूसा और उस पर उसका बहुत सारा थूक भी लगा हुआ था, जो मुझे पंखे की हवा से ठंडा लग रहा था, वो अब मेरे दूसरे बूब्स को चूस रहा था।
तभी अचानक से उसका एक हाथ मेरे बूब्स को छोड़कर मेरी चूत को सहलाने लगा, अह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ मज़ा आ गया मुझे तो। दोस्तों मानो यही चाहिए था, मुझे अब जन्नत दिखने लगी थी, एक तरफ वो मेरे एक बूब्स को चूस रहा था, तो दूसरी तरफ मेरी गीली चूत पर अपनी उंगलियाँ दौड़ा रहा था। तभी उसने अपनी एक उंगली को मेरी चूत में डाल दिया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।
में : अह्ह्ह्हह सस्स्शशह हहुउऊफ्फ तुम यह क्या कर रहे हो?
दोस्तों अब मैंने अपनी जाँघो से उसके हाथ को जकड़ लिया था, लेकिन वो अब कहाँ मानने वाला था? वो अपनी उस उंगली को लगातार अंदर बाहर करने लगा और में फिर से तड़प उठी, सस्शशह अईईईईइ आआहह्ह्ह्ह मेरे बदन में चारो तरफ से करंट दौड़ने लगा, जो आकर मेरी चूत से निकलने लगा।
में : आअहह्ह्ह में आईईईईइ स्शहशह झड़ रही हूँ उउउफ़फ्फ़।
अब उसने अपनी उंगली को मेरी चूत से बाहर निकाला और चूसना शुरू किया। दोस्तों सच पूछो तो में आज पहली बार इस अहसास को पाकर बहुत खुश हो गई, उसने मुझे छोड़ा तो में तुरंत उठकर खड़ी हो गयी।
आदमी : आखरी चुम्मे के लिए।
दोस्तों इतना कहते ही मैंने झटके से अपनी स्कर्ट के हुक को खोलकर नीचे खिसका दिया, मेरी टी-शर्ट अब भी मेरे उँचे उँचे बूब्स के ऊपर लिपटी हुई थी, में आकर सोफे पर उसके दूसरी तरफ लेट गई और मैंने पैर खोलकर अपने एक पैर को सोफे के पीछे वाले हिस्से पर रख दिया। फिर उसने मेरी चूत को देखा और मुस्कुराया, में भी उसकी तरफ मुस्कुराई।
दोस्तों अब तो में अपनी सारी शरम हया सब खो चुकी थी, में अपने बाप की उमर के एक आदमी के सामने पूरी नंगी लेटकर पिछले 18 साल से संभाले हुए अपने इस बदन को आज उसके हवाले कर रही थी। उसने भी नीचे झुककर मेरी चूत को अपने मुहं को पास ले जाकर वो अपने होंठो से मेरी चूत को चूसने लगा.
मुझसे अब यह सहा नहीं गया और मैंने छटपटाकर अपने घुटनों से उसे धक्का दे दिया और जाँघो को सटा दिया। तभी वो उठा और उसने अपनी अंडरवियर को उतारकर फेंक दिया और फिर तो उसके लंड को देखकर मेरी चूत में बहुत ज़ोर की खुजली होने लगी.
और उसका वो 6 इंच लंबा 3 इंच मोटा लंड और में तो मानो उसको देखकर जंगली हो उठी. उसने अबकी बार अपने दोनों हाथों से मेरे घुटनों को पकड़कर मेरी छाती तक धकेलकर पकड़ा और वो अब मेरी चूत को चूसने लगा.
वो कभी अपनी जीभ को अंदर डालकर चूसता तो कभी अंदर बाहर करता, कभी अपनी उंगली डालता और फिर मेरी चूत के दाने को अपनी जीभ से टटोल रहा था, लेकिन में इस बार उसके चेहरे को अपने पैरों से अपनी तरफ खींच रही थी और अपने हाथों से सोफे पर नोच रही थी, तो कभी अपने बूब्स को में खुद दबा रही थी।
में : सस्शह अहहााआः उउउफफफफफ्फ़ म्म्म्फफ्फ़ में मर गई आअहह और में एक बार फिर से झड़ गई, आर्ररर आअहह हमम्महफहफ।
अब में फिर से झड़ गई थी, मेरी कमर में हल्का सा दर्द होने लगा था, वो उठकर खड़ा हुआ, लेकिन में अब भी सोफे पर पड़े पड़े हांफ रही थी और मेरा पूरा बदन पसीने से गीला था।
आदमी : चलो आपका हिसाब तो चुकता हो गया, लेकिन में अब उल्टा उधार में पड़ गया, यानी आप तो झड़कर शांत हो गई है, लेकिन में अब भी अधूरा हूँ, लगता है मुझे मुठ मारनी होगी।
दोस्तों मुझसे यह बात कहकर वो अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर मुठ मारने लगा, तो मुझे यह सब देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। फिर मैंने उससे कहा कि आपका बहुत बहुत धन्यवाद तुम्हारे इस चुम्मे के चक्कर में मैंने आज जन्नत की सेर कर ली है, लाओ तुम्हारे लिए में यह कर देती हूँ.
और उससे यह बात कहकर में उठी और में अपने घुटनों के बल होकर उसके लंड को मुठ मारने लगी, लेकिन सच कहूँ तो दीक्षा की दिखाई ब्लूफ़िल्मो जैसा मुझे उसके लंड चूसने का मन था तो मैंने हिलाते हिलाते अपने मुहं में उसका लंड डाल लिया।
आदमी : आअहह सस्स्शह हाँ तुम बस ऐसे ही करती रहो, वाह मज़ा आ गया।
दोस्तों सच पूछो तो मुझे भी लंड का स्वाद अब अच्छा लगने लगा था, इसलिए में लंड को कुछ देर बाद ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी, मुझे चूसते चूसते करीब 5 मिनट से 10 मिनट, फिर 15 मिनट हो गए, लेकिन वो अब भी नहीं झड़ा, जिसकी वजह से मेरा मुहं बहुत थक रहा था।
आदमी : क्या हुआ? मेरे लंड को शांत करना इतना आसान नहीं जितना तुम समझ रही हो।
में : हाँ, में तो आज से तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी हूँ और मेरा तो जी करता है कि में इसे अपनी चूत के अंदर डालकर बहुत देर तक अपनी चूत को चोदने दूँ, लेकिन ?
आदमी : लेकिन क्या? अब तुम इतनी दूर आ गई हो तो ज़रा चुदाई का भी मज़ा ले लो, असली जन्नत तो वहीं है और क्या इस कुंवारी चूत को शादी तक रखना है?
में : अरे ऐसा कुछ नहीं है, मुझे डर है कि कहीं में गर्भवती हो गयी तो मुझे मेरी मम्मी बहुत मारेगी।
आदमी : बस इतनी सी बात यह देखो।
फिर उसने अपने पास से एक कंडोम निकाला और मुझे एक आँख मार दी, बस फिर क्या था? मैंने खुशी से उसे खोला और ध्यान से देखा। फिर उसने अपने लंड को आगे किया तो मैंने उसे कंडोम पहनाया। फिर तो बिना देर किए उसने मुझे सोफे पर बैठा दिया और मैंने दोनों पैर खोलकर अपने लंड को चूत के मुहं पर लगा दिया और अपने लंड को ऊपर से नीचे तक चूत पर घिसा।
में : सस्स्शह आअहहम्मह हफफफफ्फ़म्फ्फ़ आआअहह।
दोस्तों अब मेरे मन से सारे डर बाहर निकल चुके थे। अब में उससे खुलकर चुदवाने को तैयार थी और मैंने भी अपने नाखूनों से सोफे को पकड़कर एक लंबी सी सांस ली। तभी उसने मुझे एक ज़ोर का धक्का दे दिया, जिसकी वजह से में चिल्ला उठी, आआहह अबे साले भोसड़ी बाहर निकाल आअल्ल्ल आह्ह्हह्ह।
अब वो थोड़ा सा रुका तो मैंने नीचे देखा तो उसके लंड का सुपाड़ा आधा मेरी चूत के अंदर था, बस कर साले यह क्या जन्नत दिखा रहा है, में दर्द से मर जाउंगी। फिर में उसे अपने ऊपर से धकेलने लगी कि तभी उसने जल्दी से मेरे दोनों हाथों को दोनों तरफ दबा दिया और अपना पूरा ज़ोर लगाकर लंड को अंदर घुसा दिया।
अब में दर्द की वजह से तड़पने लगी, चिल्लाने लगी, मेरी चूत में मानो किसी ने आग लगा दी हो, मेरे पूरे पेट में एक अजीब सा दर्द हो रहा था। फिर कुछ देर वो रुक गया और मेरी आँखे बंद थी, हम दोनों पसीने से भीगे हुए हाँफ रहे थे। फिर वो धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगा और में दर्द से हिल भी नहीं पा रही थी, लेकिन दर्द पहले से अब थोड़ा कम था और मेरे बूब्स उसकी छाती से दबने लगे थे।
आदमी : अयाया कितनो दिनों के बाद यह टाईट कुंवारी चूत में आज घुसा है, आज मेरे लंड की तो किस्मत खुल गयी, उउउम्म्फफ्फ़ वाह मज़ा आ गया।
दोस्तों वो अब लगातार धक्को पे धक्के लगाए जा रहा था और उसकी इन बातों को सुनकर मुझे अब बहुत जोश आने लगा था। फिर कुछ देर में मुझे सच में मज़ा आने लगा था, तो उसने मेरे दोनों पैर अपने दोनों कंधो पर रखकर लंड को चूत में डाल दिया और चोदने लगा और अपनी स्पीड को बढाने लगा।
फिर कुछ देर चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और उसने मुझे सोफे पर उल्टा लेटा दिया और मुझे भी इस बात का अंदाज़ा होने ही वाला था कि उसने पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और चोदने लगा और थप थप फच फच की आवाज़े आ रही थी, उसके हर एक धक्के के साथ मेरी बड़ी गांड की चर्बी हिल रही थी, जैसे वो ऐसे ठोक ठोककर मेरी कमर तोड़ रहा हो।
फिर 15 मिनट के बाद वो मेरी पीठ पर लेट गया और में उठी और उसे भी उठाकर इस बार मैंने सोफे पर बैठा दिया और उसके ऊपर अपने पैर दोनों तरफ कर बैठ गई। फिर मैंने मन ही मन ठान लिया था कि में इस लंड को जी भरकर चूसूंगी और तब तक नहीं छोडूंगी जब तक यह पूरी तरह से शांत ना हो जाए।
में : अब तुम देखो में इस लंड को कैसे चोदती हूँ।
दोस्तों मैंने यह बात कहकर उसके लंड पर थूक लगाया और फिर मैंने उसको चूत पर लगाकर धीरे धीरे अंदर घुसाती चली गई, जब पूरा लंड अंदर चला गया तो मैंने अपने एक बूब्स को उसके मुहं में दे दिया और अब में उछलने लगी, आआहह्ह्ह वाह क्या मस्त मज़ा आ रहा था?
फिर कुछ देर उछलने के बाद मैंने पहले वाले बूब्स को बाहर निकाल लिया और अब में अपने दूसरे बूब्स को उसके मुहं में डालकर उछलती रही। फिर कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरी चूत के अंदर उसके लंड ने अब हरकत करना शुरू कर दिया.
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तो मैंने झट से उसके चेहरे को अपनी छाती पर दबा दिया और अपनी टी-शर्ट को नीचे करते हुए उसके सर के साथ ढक दिया, जिसकी वजह से अब उसका चेहरा मेरी टी-शर्ट के अंदर मेरे दोनों बूब्स के बीच में था और में हल्के हल्के से उछलने लगी, में अब स्पीड में उछलने लगी और उसने भी मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और वो भी नीचे से धक्के मारने लगा. अब हम दोनों आअहह्ह्ह्ह स्शसश्हह आम्म्म्फफ्फ़ सिसकियाँ लेते हुए एक के बाद एक झड़ गये और उसने मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया, लेकिन वो कंडोम की वजह से उसमें ही भरा रहा।
अब वो उठा और उसने अपने कपड़े पहने और वीर्य से भरा हुए कंडोम वो अपने साथ ही लेकर चला गया. और उसके चले जाने के बाद मैंने उठकर बाथरूम में जाकर अपनी चूत को साफ किया। फिर कुछ देर बाद में नहाकर कपड़े पहनकर बाहर आ गई और बेड पर लेट गई और अब में अपनी चुदाई जो अभी कुछ देर पहले उस अंजान आदमी ने की थी, उसके बारे में सोचने लगी। दोस्तों सच पूछो तो मुझे उसके साथ सेक्स करके बहुत मज़ा आया और उसने मेरी प्यासी बेचेन चूत को अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था और में मन ही मन बहुत खुश भी थी।