Jawani Ka Josh XXX
कुछ महीनो पहले मेरी बेस्ट फ्रेंड विधि की शादी हुई. जिसमे मुझे उसके साथ हमेशा रहना था और शादी की तैयारियां करवानी थी. इसलिए मैं विधि के घर १५ दिन पहले से ही चली गयी. रोज उसका मेकअप करती, उबटन लगाती जिससे मेरी बेस्ट फ्रेंड शादी के दिन बिलकुल परी लगे. वहां विधि के घर पर मेरी मुलाकात उसके भाई रणविजय से हुई. Jawani Ka Josh XXX
ओह गॉड!! रणविजय बहुत क्यूट था. पहली नजर पर मेरा दिल उस पर आ गया. उसकी बॉडी भी बहुत हॉट थी. रणविजय रोज जिम में वर्कआउट करता था. कुल मिलाकर मुझे वो बहुत पसंद आया. मैं सुबह शाम उनको चाय, कॉफ़ी स्नैक्स , मिठाइयाँ देने लगी. जिससे रणविजय जान गया की मैं उसको पसंद करती हूँ. शादी के २ रोज पहले ही मैं रणविजय के कमरे में उसे कॉफ़ी देने गयी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
‘सच सच बताओ मीरा!! तुम मेरे आगे पीछे क्यूँ चक्कर लगाती हो??’ रणविजय से चीखकर पूछा. मैं डर गयी
‘रणविजय !! आई लव यू!! तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो! प्लीस नराज मत होना!!’ मैं सोरी की मुद्रा में कहने लगी.
वो अचानक से बहुत जोर जोर से हंसने लगा. फिर उसने मुझे गले लगा लिया. मुझे नही मलूम था की वो भी मुझसे इतना प्यार करता है. हम दोनों लिप लॉक किस [ओंठों को ओंठो से जोड़कर चुम्बन] करने लगे. मुझे यकीन नही हो रहा था की जिस रणविजय में मैं इतना प्यार करती हूँ वो मुझे मुझसे अंदर ही अंदर से प्यार करता होगा.
हम दोनों बड़ी देर तक लिप लोक किस करते रहे. फिर हम दोनू लैला मजनू की तरह एक दुसरे से लिपटकर रोमांस करने लगे. मैं क्रीम कलर का बहुत ही सुंदर सलवार सूट पहन रखा था. जबकि सलवार चूड़ीदार थी, जिसमे मैं बहुत ही सेक्सी और चुदासी लग रही थी.
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रणविजय से अपना कमरे की अंदर से कुण्डी लगा ली. वो मेरे साथ कुछ करने वाला था. सायद वो मुझे चोदने वाला था. पर मैं भी पीछे नही हटने वाली थी. क्यूंकि मैं भी २३ साल की जवान लड़की हो चुकी थी जिसको लंड की जरुरत थी. रणविजय ने मुझे सोफे पर लिटा दिया और जोर जोर से मेरे होठ पीने लगा.
उसके हाथ मेरे सूट पर मेरे मम्मो के उपर यहाँ वहां नाचने लगे. वो मेरे बूब्स दबाने लगा. क्यूंकि आज तक किसी लड़के ने मेरे बूब्स नही दबाये थे. रणविजय जोर जोर से मेरे दूध दबाते हुए मेरे होठ पीने लगा. जिससे मैं बहुत जादा गर्म और चुदासी हो गयी. मेरे समझ नही आ रहा था की चुदवा लूँ या ना चुदवाऊ. क्यूंकि शादी से पहले ये सब करना पाप समझा जाता है.
मैं यही बात बार बार सोचती रही और रणविजय ने मेरा सूट कब निकाल दिया मैं जान नहीं पाई. उसने मेरी समीज निकाल दी और मेरे २ बेहद खूबसूरत अनारों को पीने लगा. मुँह में भरके रणविजय मेरे लाल लाल घेरे वाले अनार पीने लगा.
‘नही रणविजय!! रुक जाओ!! ऐसा मत करो!! शादी से पहले एक लडकी को किसी लड़के से नही चुदवाना चाहिए और ना ही उसे अपने मम्मे पिलाने चाहिए!!’ मैंने रणविजय से कहा.
‘मीरा !! मेरी जान !! तुम तो आजादी के ज़माने की बात कर रही हो. अब नये ज़माने में तो लड़कियाँ शादी से पहले ही चुदवा लेती है और अपने रसीले दूध भी पिला देती है. मेरी जान मीरा !! ….आज मैं तुमको इतना चोदूंगा की हम दोनों का प्यार हमेशा के लिए पक्का हो जाएगा और कोई इसे तोड़ नही पाएगा!!’ रणविजय बोला और मेरे छलकते मम्मे मुँह में किसी लोमड़ी की तरह दबा दबाकर पीने लगा.
मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था. साथ ही डर भी लग रहा था कहीं ये सब मेरे घर वालों को पता चल गया तो मेरी चुद जाएगी. मेरे मम्मे बहुत जादा बड़े नही थे. क्यूंकि मैं अभी एक बार भी नही चुदी थी. हाँ! अगर मैं ८ १० बार चुद गयी होती तो मेरी छातियाँ बड़ी हो जाती. अभी मेरे दूध सिर्फ ३२ साइज़ के थे. मैं अभी एक कच्ची कली थी.
जिसको रणविजय से चुदकर एक फूल बनना था. रणविजय मेरे मस्त मस्त नये नये चुच्चो को मुँह में भरके पी रहा था. और मुझे इतना अच्छा लग रहा था की मैं कुछ नही कर पा रही थी. और ना ही मैं उसे रोक पा रही थी. इसी सोचविचार में उसने मेरा दूसरा चुच्चा मुँह में भर लिया और मजे से पीने लगा.
वो मेरी जवानी और खूबसूरती का पूरा मजा ले रहा था. मेरे रूप और निखार को वो किसी मधुमक्खी की तरह चूस रहा था और पी रहा था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने उसे कुछ नही कहा और अपने दूध उसे पिलाती रही. कुछ देर बाद उसने मेरा दूसरा दूध भी पी लिया और मेरे चूड़ीदार पाजामी का नारा खोल दिया.
रणविजय बड़ा होशियार निकला. जिस तरह उसने मेरा एक सेकंड में नारा खोला उससे मैंने अंदाजा लगाया की वो कई लडकियों के नारे खोल चुका होगा और उनको चोद चूका होगा. खैर मुझे क्या करना था. मुझे तो रणविजय का लंड खाना था. रणविजय ने मेरी चूड़ीदार पजामी निकाल दी. मैं नीली रंग की झीनी बड़े हल्के कपड़े वाली पेंटी पहन रखी थी.
रणविजय ने दुसरे सेकंड में मेरी पेंटी निकाल दी और सोफे के एक साइड रख दी. वो मेरे दोनों दूध तो मजे से पी ही चूका था. अब वो मेरी बेहद संवेदन शील चूत पर आ गया तो पहले से ही गीली हो रही थी. रणविजय जान गया था की मैं उसको चूत दे दूंगी. इसलिए उसने मेरी दोनों टाँगे खोल दी. मेरी चूत बिलकुल साफ़ थी. बुर पर एक भी बाल नही था. रणविजय बड़ी देर तक मेरी चूत के दीदार करता रहा.
‘मीरा !! मेरी जान मैं अभी तक कई चूत देखी और मारी है, पर तुम्हारी चूत तो माशाअल्लाह किसी चिड़िया से कम नही है. इनती सुंदर चूत मैंने अभी तक नही देखी!’ रणविजय बोला.
ये सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई. आज पहली बार कोई जवान लड़का मेरी चूत की तारीफ़ कर रहा था. रणविजय मेरी चूत पर झुक गया और जीभ निकाल निकाल कर मेरी चूत पीने लगा. मैं अपनी कमर और गांड उठाने लगी. क्यूंकि एक अजीब की हलचल हो रही थी. कोई भूचाल सा मेरी चूत में आ गया था.
मैंने कमर में एक बड़ी सेक्सी करधन पहन रखी थी. रणविजय बार बार मेरी चूत पीता था, फिर करधन को किस करता था. दोस्तों, फिर रणविजय ने उँगलियों से मेरी चूत की एक एक कली खोल दी और मुँह लगाकर मेरी चूत बड़े मजे से पीने लगा. मैं जहाँ से मूतती थी रणविजय उस छेद को भी किसी लोमड़ी की तरह चाटने लगा.
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मैं मीठी मीठी सिस्कारियां भरने लगी. मेरे मम्मे बार बार बड़े और छोटे होने लगे. मेरे पुरे शरीर में मीठी मीठी लहरें दौड़ने लगी. मैं टांग फैलाकर कीसी छिनाल की तरह अपने बेस्ट फ्रेंड विधि के भाई रणविजय को अपनी चूत पिला रही थी. हाँ!! मैं आज कसके चुदवाना चाहती थी. रणविजय बड़ी देर तक मेरी चूत पीता रहा.
मेरे चूत के दाने को अपने दांतों से चूम चूमकर खींचता नोचता रहा. उसके इस तरह छेद छाड़ पर मैं बहुत खुश हुई. वो बहुत अच्छे तरह से मेरी चूत पी रहा था. जैसे चूत ना हो कोई शहद की बोतल हो. मेरे सारे बदन में झुनझुनी होने लगी. अब मैं इतना ज्यादा गर्म हो चुकी थी की बिना चुद्वाए अब मुझको चैन नही मिलता.
‘रणविजय!! मेरे आशिक चोद लो मुझे!!…आज मेरे साथ अपना बिस्तर गर्म कर लो!! अपनी शाम रंगीन कर लो!! मेरे यार!! मेरे दिलबर आज चोद लो मुझको!!’ मैं तरह तरह से अपने आशिक रणविजय से चुदाई का निवेदन करने लगी.
उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए. अपनी जींस टी शर्ट उसने निकाल फेकी. फिर उसने अपना अंदर विअर भी निकाल दिया. उफफ्फ्फ्फ़ !! दोस्तों उसका लंड बहुत मस्त था. बहुत ही क्यूट लंड था रणविजय का. रणविजय के लंड को देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया.
‘जान !! मुझे अपना लंड पिला दो!!’ मैं खुलकर रणविजय से कह दिया. सारी शर्म हया को मैं छोड़ दिया.
‘ले पी ले छिनाल!! शादी से पहले ही लंड का स्वाद ले ले!’ रणविजय बोला.
वो सोफे पर सीधा टांग खोलकर बैठ गया. मैंने उसकी गोद में चली गयी और झुककर उसके सुंदर लंड को पीने लगी. मैं बिलकुल बेकाबू हो गयी थी. रणविजय का लौड़ा था ही इतना क्यूट और सेक्सी की मैं खुद को रोक नही पायी. मैं हाथ से उसके मोटे ८ इंच के लंड को आगे पीछे करके फेटने लगी और मुँह में लेकर चूसने लगी.
इससे रणविजय को बहुत चुदास चढ़ गयी. उसके लंड और २ गोलियों में हलचल शुरू हो गयी. जब मैं जोर जोर से सर हिला हिलाकर उसका लंड पी रही थी तब उसने मेरे सिर पर हाथ रख दिया और जोर जोर से अंदर लौड़े की तरह मेरा सर धकेलने लगा जिससे मुझे और भी जादा मजा मिलने लगा.
मैं अब और गहराई तक उसका लंड चूस पा रही थी. बड़ी देर तक लंड चुसौवल होता रहा. फिर एकाएक रणविजय के लौड़े ने मेरे मुँह में ही माल छोड़ दिया. मैं किसी चुदासी कुतिया की तरह रियेक्ट कर रही थी. मैं रणविजय का सारा माल पी गयी और एक भी बूंद बेकार नही जाने दी. उसने फिर से मुझे सोफे पर सीधा लिटा दिया.
मेरी दोनों टाँगे खोल के मेरी चूत फिर से पीने लगा. मैं अभी तक कुवारी थी. एक बार भी किसी लडके से नही चुदी थी. ये मेरा फर्स्ट टाइम था. रणविजय बड़ी देर तक बड़े जूनून के साथ मेरी चूत पीता रहा. मैंने निचे देखा तो उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था. आखिर बड़े इंतजार के बाद वो पल आ गया जब रणविजय मुझे चोदने वाला था.
मैं चुदने वाली थी. रणविजय ने अपना हट्टा कट्टा लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रख दिया. और जोर का धक्का मारा. मेरी चूत की सील टूट गयी. रणविजय ने फिर से एक दूसरा धक्का मारा और उसका लंड गच्च से पूरा मेरी चूत में धँस गया. मैंने रोने लगी. क्यूंकि दोस्तों बड़ा दर्द हो रहा था. रणविजय मेरी चूत की सील टूटने के अवसर पर मुस्कुरा दिया.
‘मीरा !! मेरी जान रोते नही! अब तो तुमहारी चूत की सील टूट चुकी है. बस कुछ देर में तुम खूब मजे ले लेकर चुदवाओगी!’ रणविजय बोला और जोर जोर से मेंरी चूत में गहरे धक्के देने लगा.
अभी तो मुझे बहुत दर्द उठ रहा था. पर मैं बहादुरी के साथ चुदवाती रही. मैंने अपने सैयां रणविजय को कसके दोनों हाथों से कसके पकड़ लिया और चुदवाने लगी. रणविजय गहरे और गहरे धक्के मेरी चूत में देने लगा. मैं मजे से चुदने लगी. कुछ देर बाद मेरा दर्द बिलकुल खत्म हो गया और मैं टांग और कमर उठा उठाकर चुदवाने लगी.
मैं ऊऊऊऊ हूँ हूँ हूँ आआआ हा हा हा माँ माँ ओह माँ ओह माँ ! करके चुदवाने लगी. मैंने इस वक़्त जन्नत की सैर कर रही थी. मेरी सहेलियां मुझे अपनी चुदाई के किस्से सुनाती थी. अब कम से कम मैं भी उनको अपनी चुदाई के किस्से सुना सकती थी. रणविजय हूँ हूँ हूँ करके मुझे जोर जोर से पेल रहा था. मेरी चूत बहुत कसी थी क्यूंकि मैं पहली बार चुद रही थी.
पर फिर भी विधि के भाई रणविजय का लंड मेरी चूत में अपना रास्ता बनाने में कामयाब हो गया था. रणविजय का लौड़ा मेरी चूत में बड़ी नशीली रगड़ दे रहा था. उसने मुझे आधे घंटे चोदा पर दोस्तों आपको जानकर ये हैरानी होगी की वो नही झडा. मेरी चूत अब भी रणविजय के माल की प्यासी थी. रणविजय से लौड़ा मेरी चूत से निकाल लिया.
‘चल मीरा !! डौगी बन !! रणविजय बोला.
मैं तुरंत कुतिया बन गयी. रणविजय ने मेरी भरी भरी चूत में पीछे से लंड सरका दिया. मेरी दो टांगो के बीच खलबली हुई. रणविजय, मेरा आशिक मुझे चोदने लगा. उसने मेरी दोनों जांघे पास पास कर दी जिससे चूत जादा न खुले और रणविजय को चुदाई में जादा मेहनत करनी पड़े. उसने ऐसा ही किया. दोस्तों, अब तो और जादा मीठी मीठी रगड़ मेरी चूत में लगने लगी.
उसने मेरी दोनों टाँगे आपस में जोड़ दी थी और घपा घप मुझको चोद रहा था. पीछे से चुदाई में इतना सुख मिलता है मैं ये नही जानती थी. रणविजय बड़ी देर तक मुझे पीछे से पेलता रहा. मेरे गोल मटोल कसे कसे उजले चूतड़ों पर वो जोर जोर से हाथ से चांटे मारता रहा. इस तरह बड़ी देर तक वो मुझे सता सताकर पेलता रहा. फिर वो मेरी गर्म चूत में ही झड गया.
‘ओह्ह्ह्हह मीरा !! यू हैव ए वंडरफुल पुसी!!’ रणविजय बोला.
मैं खुस हो गई. आज कितने दिनों बाद किसे ने मेरी चूत की तारीफ की थी. दोस्तों मैं अभी एक बार चुदी थी पर लग रहा था की अभी अभी ये शुरुवात हुई है और इस रास्ते पर बड़ा लम्बा जाना है. कुछ देर बाद हम दोनों एक और गर्मा गर्म चुदाई के सेसन के लिए तैयार थे. रणविजय ने मुझे अपने लौड़े पर बिठा लिया और चोदने लगा.
मैंने उसको कंधो से पकड़ लिया. रणविजय के कंधे बड़े ही सॉलिड और मजबूत थे. वो कसरती बदन का जवां लड़का था. रणविजय ने ही मुझे सिखाया की कैसे बैठ कर चुदवाया जाता है. मैं उसके लौड़े पर उछल उछल के चुदवाने लगी. ये एक बिलकुल नई तरह का एक्सपीरियंस था. मैंने सोचा भी नही था की लडकियाँ बैठके भी चुदवा सकती है.
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इस तरह भी काफी मजा मिल रहा था. रणविजय मेरे गोल गोल आम की तरह लटकते मम्मे को सहला रहा था और दबा रहा था. मेरी निपल्स कड़ी कड़ी हो गयी थी और खड़ी हो गयी थी. मेरी कमर भी अब नाचने लगी. मैं किसी पेट की लचीली डाली की तरह रणविजय के लौड़े पर खेलने लगी. बड़ी देर तक हम दोनों लैला मजनू इश्क लड़ाते रहे. फिर रणविजय बड़ी जोर जोर से नीचे से ताबडतोड़ धक्के देने लगा. मैं उस पर लेट गयी और लेटे लेटे चुदवाने लगी. बड़ी देर तक उसने मेरी नंगी और चिकनी पीठ पर प्यार से हाथ से सहला सहलाकर मुझे चोदा.
बहुत देर बाद वो मेरी चूत में झडा. मैंने टाइम देखा. उसने पुरे १ घंटे तक मुझे चोदा फिर वो झडा था. मेरी बेस्ट फ्रेंड विधि की शादी होने तक पुरे १५ दिन तक मैं उसके घर पर रही और १५ दिन तक उसके भाई रणविजय से चुदती रही और उसके लम्बे लौड़े का मजा लेती रही. विधि की विदाई होने के बाद वो ससुराल चली गयी. मैंने अपना बैग पैक करने लगी घर आने के लिए. तभी मेरा आशिक रणविजय मेरे कमरे में फिर से आ गया. दरवाजा बंद करके उसने फिर से मेरी चूत मारी और ३ बार चोदा. फिर उसका फोन नम्बर लेकर मैं घर लौट आई. आज भी मेरा उससे इश्क जारी है.