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चेली की चूत चूसने लगे गुरु जी

अगस्त 1, 2022 by hamari

Sexy Kamsin Kali Pyar

मैं काजल आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ. मेरी सेक्सी चुदाई कहानी सुनकर मुजको यकिन है की सभी लड़कों के लंड खड़े हो जाएँगे. तो कहानी शुरू करती हूँ. मैंने उनदिन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में न्या नया दाखिला लिया था. मैंने बीए में नाम लिखवाया था. सब्जेक्ट्स में मैंने इंग्लिश, भूगोल और समाजशास्त्र लिया था. पर इंग्लिश मुजको बड़ी कठिन लगती थी. Sexy Kamsin Kali Pyar

मुझको शुक्ला सर इंग्लिश पढाते थे. वो बहुत ही अच्छा पढाते थे. वो साउथ इंडियन थे और तमिल नाडू के रहने वाले थे. मेरे घर वालों ने कहा की मैं उनसे ट्यूशन पढ़ लूँ. मैं उनके पास गयी. सर, क्या आप मुझको ट्यूशन पढ़ा देंगे??  मैंने उनसे कहा. मैं उस समय सिर्फ १८ साल की कमसिन कलि थी.

सर ने एक नजर मुझको सर से पाँव तक देखा. मैं निहायत ही जवान और खूबसूरत थी. मेरे मम्मे कुछ दिन पहले ही बढ गाये थे और अब मैं हर आदमी की नजर में आने लगी थी. मेरे मम्मे अब बढ़कर पुस्ट हो गये थे. मेरी गल्ली का हर लड़का कहीं न कहीं मुझको पसंद करता था. या साफ साफ करू मुझको चोदना चाहता था.

सर ने भी मुझको एक बार निचे से उपर तक देखा. शुक्ला सर के बारे में लोग अलग अलग बात करते थे. कुछ तो कहते थे की वो बहुत अच्छे आदमी है. बहुत अच्छा पढाते है. जो उनसे पढता है वो फर्स्ट क्लास पास हो जाता है. जबकि कुछ लोग कहते थे की वो अपनी चेलियों का योंन शोषण करते है. एक बार पुलिस उनको इसी सब मामले में पकड़ भी चुकी थी.

पर जादातर लोग कहते थे की अगर कोई लड़का शुक्ला शुक्ला सर से पढ़ ले तो उसको अच्छे नम्बरों से पास होना पक्का है. यही सब सोच के मैं उनसेट्यूशन पढ़ना चाहती थी. मैं उस दिन एक गुलाबी रंग की कुर्ती पहन रखी थी. और पैरों में मैंने एक लेगी पहन रखी थी. मेरी गुलाबी रंग की कुर्ती काफी चुस्त थी, जिसमे मेरे मम्मे साफ साफ झलक रहे थे.

मैंने एक झीना दुपट्टा भी डाल रखा था. पर मेरे मस्त मस्त गोल गोल मम्मे साफ साफ झलक रहे थे. मेरी छातियों का उभर सारे ज़माने को चीख चीख के बता रहा था की मैं अब जवान हो गयी हूँ और चुदने लायक हो गयी हूँ. ३ साल पहले तक मुझको कोई लड़का नहीं गुर कर देखता था , पर पिछले ३ सालों में मुझको पता ही नहीं चला , कब मेरे मम्मे इतने बड़े हो गए. शुक्ला सर ने भी मुझको उपर से निचे तक गुर कर देखा.

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क्या दोगी? वो बोले.

क्या?? मैं कुछ समझ नहीं पायी सर?? मैंने कहा.

मेरा मतलब है कितना पैसा दोगी?? सर बोले.

सर मैं आपको १ हजार तो आराम से दे दूंगी मैंने कहा.

शाम को घर आ जाओ काजल!! सर बोले.

मैं बहुत ही खुश हो गयी. अब मेरी भी फर्स्ट क्लास पक्की हो गयी है . सर वही लखनऊ यूनिवर्सिटी के कैम्पस में रहते थे. मैं शाम ६ बजे उनके घर पर पहुच गयी. मैंने घंटी बजायी. सर मझे कोई और है, वे इकदम से निकल आये. उन्होंने सिर्फ एक रूपा वाला अंडरविअर पहन रखा था.

सर कोई ५० ५५ साल के होंगे. वो अचानक से बाहर निकल आये. मैंने उनका नंगा सीना , सीने पर उनके सफ़ेद काले मिले गुन्घ्राले बाल देख लिए. इतना ही नहीं सर तिकोनी, अंडरविअर में थे तो मैंने उनका पोता भी देख लिया. लंड और उनका पोता उनके अंडरविअर के अंदर था और खूब फूला फूला था.

मुझको समझते देर न लगी की सर का लंड बहुत बड़ा होगा, मोटा होगा और गोलियाँ भी खूब बड़ी बड़ी होगी. एक सेकंड बेटी !!  सर ने कहा. मैं बाहर ही रुक गयी. वो अंडर चले गए और जल्दी से शर्ट पैंट पहन ली. काजल! सर से आवाज दी. मैं अंडर गयी. सर पढाने लगे.

जब उस रात मैं अपने कमरे में सोने गयी तो बार बार मुझको सर का वो बड़ा सा लंड और पोता याद आ रहा था. सर की बीवी तमिलनाडु में ही रहती थी. मैं सोचने लगी की सर किसको चोदते होंगे. आखिर कैसे अपने लंड की गर्मी शांत करते होंगे. सर भी मर्द है. उनका भी किसी को चोदने का मन तो जरुर करता होगा.

यही सब सोच सोच के मैं शुक्ला सर को याद करके मुठ मारने लगी. मैंने उनको याद कर कर के उस दिन अपनी चूत में खूब ऊँगली की, फिर  झड गयी. तो इस तरह दोस्तों हम गुरु चेली की पढाई शुरू हो गयी. सर मुझको मेहनत से पढाने लगे.

एक दिन उनका चाय पीने का मन हू तो बोले काजल बेटी! मुझको तुम बस एक प्याला चाय बनाकर दे दिया करो, मैं तुमसे कोई फ़ीस नही लूँगा. मैं तो गरीब घर की बेटी पहले से थी मैं सर को अब चाय बनाकर देने लगी. मैं अपने लिए भी चाय बना लेती.

पढाई के बाद हम गुरु चेली साथ में चाय पीते. एक दिन मैं सर के घर पर उनका इन्तजार कर रही थी. उनका लैपटॉप ऑन था. सर टोइलेट चले गए थे. मैंने लैपटॉप को छुआ तो पता चला की सर ब्लू फिल्म देख रहे थे. मैं भी देखने लगी क्यूंकि वहां पर और कोई नहीं था.

मैंने सोचा की सर तो टोइलेट गये है, क्यूंकि न थोडा मुठ मर लूँ. और मैं अपनी चूत में ऊँगली करने लगी. पता नही कहाँ से सर आकर कबसे मुझको देख रहे थे. मेरी करतूत को वो कबसे देख रहे थे. मैंने सर को देख लिया तो मेरा होश उड़ गया. सर मेरे पास आगये और मुझको गले से लगा लिया.

बेटी काजल! तुम अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ? सर बोले.

मैंने अपने कपड़े ठीक किये. अपनी नीली स्कर्ट मैंने निचे की. इसी स्किर्ट को उपर करके मैं मुठ मार रही थी.

काजल! मैं तुमसे प्यार करने लगा लूँ!! शुक्ला सर बोले.

पर सर ?? कहाँ आप इतने उम्र दराज कहाँ मैं इतनी कम उम्र की?? मैंने कहा.

ओह्ह , समझ गया. मैंने उम्र दराज हूँ. इसलिए तुमको पसंद नहीं?? शुक्ला सर बोले. 

नही सर, वो बात नही है !! मेरे मुह से निकल गया.

तो क्या तुम भी मुझको पसंद करती हो ?? सर ने पूछा.

जी सर!! मैंने भी कह दिया. बस दोस्तों, शुक्ला सर ने मुझको गले से लगा लिया. हम दोनों बेडरूम में आ गए. सर ने बिना एक सेकंड बताए मुझको बाहों में भर लिया. मैंने भी कोई ऐतराज नही किया. सर मेरे रसीले होंठ पीने लगे. मैंने कुछ नहीं कहा.

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कबसे मैं सर के सीने के बड़े बड़े घुंघराले बाल देख देख के मुठ मारती थी. आज वो बड़ा सा लंड मुझको मिलने वाला था. दोस्तों, मैं तो अपने सर से ही फस गयी थी. सर जोश से मेरे लब पीने लगे. मेरे बदन की मस्त खुसबू उनकी नाक में उतर गयी. मैंने उस वक्त सफ़ेद रंग की चुस्त शर्ट और निचे नीली स्कर्ट पहन रखी थी.

सर के हाथ मेरे सफ़ेद शर्ट पर मेरे मम्मो पर दौड़ने लगे. मुझको भी मजा मिलने लगा. कबसे सोच रही थी कोई मेरे दूध की तारीफ करे. मेरे मस्त गोल गोल बड़े बड़े रसीले मम्मो पर हाथ मेरे, छुए, सहलाये, दबाए और आज मेरी इक्षा पूरी हो रही थी. सर एक ओर जहाँ मेरे रसीले होंठों को पी रहे थे , वही मेरी छातियों को छु, सहला और हल्का हल्का दबा रहें थे.

आज एक मर्द की छुअन से मेरी अंडर की एक जवान होती औरत जाग चुकी थी. अब मेरा तो दिल यही कर रहा था की कापी किताब को एक तरफ रख दू. सर से बस ये कह दू की सर!! आप मुझको चोद चोद के आज एक औरत बना दीजिए. दोस्तों, बस यही मेरा दिल कह रहा था.

मैंने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली. अब मैं शुक्ला सर के बेडरूम में थी. जहाँ इनकी औरत इनसे चुदती थी. मैंने सोचने लगी की मैं कितनी भाग्शाली हूँ की आज उस अंदर के बेडरूम में मैं आ गयी. सायद आज मैं भी चुद जाऊ और इनका लंड खा लूँ. अब सर की कामपिपासा बहुत प्रबल हो गयी थी.

उन्होंने भूखे शेर की तरह छड भर के मेरे सफ़ेद शर्ट के बटन खोल दिए और शर्ट निकाल दी. मैं अब सफ़ेद कॉटन ब्रा में आ गयी. १० १२ साल से मेरी माँ मुझको यही सफ़ेद कॉटन ब्रा पहनाती है. सर के हाथ अब मेरे मम्मो पर आ पहुचे. मैं तो चौक गयी. सायद आज वो मेरा कौमार्य भंग कर दे.

मैंने शुक्ला सर को कुछ नही कहा. उनको पूरी आजादी दे दी. सर से मेरे दाये मम्मे को हाथ में ले लिया. जहाँ मैं पतली दुबली और ५० ६० किलो की थी पर शुक्ला सर भीमकाय बदन के थे. सर का हाथ का पंजा मैंने उस दिन पहली बार नोटिस किया.

सर का पंजा बहुत बड़ा था, उँगलियाँ भी खूब मोटी मोटी थी. मेरा बड़ा सा दायाँ मम्मा पूरा का पूरा शुक्ला सर के पंजे में समा गया. सर को मस्ती सूझी और ये धचाक से उन्होंने मेरा मम्मा बस के होर्न की तरह बड़ा दिया. आऊ!! उछ !! मैं चिहुक गयी. सर धीरे करिये!! बहुत दर्द होता है ! मैंने कहा.

पता नही शुक्ला सर कितने चुदासे थे. मेरी बात का उनपर कोई असर न हुआ. जोर जोर से मेरे दोनों होर्न वो बेरहमी से दबाते रहे. मैंने चीखती चिल्लाती रही, पर उनको कोई फर्क नही पड़ा. मुझ जैसे १८ साल की लौंडिया को वो जल्द से जल्द वो चोद खा सके, ये सोचके उन्होंने मुझको बिस्तर पर लिटा दिया.

मेरी ब्रा के हुक खोल दिए, और एक ओर रख दी. हाय, अपने गुरूजी के सामने उनकी चेली नंगी हो गयी थी. सर मेरे बाप के उम्र के थे, पर वो भी मुझको चोदना चाहते थे, वही मैं भी उनसे चुदना चाहती थी. मेरे नए कमसिन मम्मो को सर ने देखा तो उनकी लार छु गयी.

आसक्त नजरों से वो मुझ पर चढ गए और मेरे मम्मो को पीने लगे. ओह्ह आह !! कितना सुख मिला मुझको. कबसे मैं सोच रही थी कास कोई मुझको चोद दे और देखो आज मेरे गुरूजी ही मुझको चोदने वाले है. कहाँ मैं नन्ही सी जान, फुल सी हल्की, और कहाँ भारी भरकम १०० किलो के मेरे शुक्ला सर. 

वो मस्ती से मेरे दोनों मुलायम मम्मो को दांत ने चबा चबा कर पीते रहें. मैं उनके बड़े से भीम जैसे सर पर मैं अपने नाजुक हाथ फेरती रही. लग रहा था सर अपनी माँ का दूध पी रहें थे. आज के लिए मैं अपने सर की माँ बन गयी थी. दोस्तों आधे घनटे तक सर मेरे दोनों मम्मो को पीते रहें. दूसरी तरह मेरी चूत पानी पानी हो गयी.

सर अब मुझको चोदो!! वरना मैं मर जाउंगी! आखिर मैंने कह ही दिया. हलाकि शुक्ला सर का मन अभी और मेरे दूध पीने का था. सर ने मेरी नीली स्किर्ट नही उतारी. बस ऊपर उठा दी. मैंने लाल सूती पैंटी पहन रखी थी. मेरी बुर के पानी से कबसे मेरी पैंटी पानी पानी होकर भीग गयी थी.

सर ने मेरी पैंटी निकाल दी. अपना मुंह मेरी बुर पर ऐसा रख दिया जैसे पूजा करने वाला आदमी दरगाह पर अपना मत्था टेक देता है. और उसको ही खुदा मान लेता है. दोस्तों, शुक्ला सर के लिए तो आज मेरी कमसिन १८ साली की चूत किसी दरगाह से कम नही थी.

शुक्ला सर मेरा बुरपान और चूतपान करने लगे. सर ने मेरी चूत पर सरेंडर कर दिया. मेरी चूत को खुदा समझने लगे. उनको पीने लगे, अपना सिर सर ने मेरी दो टांगों के बीच रख दिया था. मस्ती से मेरी चूत पी रहें थे. अपनी जीभ चला चला के मेरी बुर पी रहें थे. मेरी गुलाबी चूत बिलकुल मलाई जैसे थी.

मैं बहुत गोरी थी, इस कारण मेरी चूत भी खूब गोरी थी. सर तो बिलकुल पागल हो रहे थे. फिर उन्होंने २ उँगलियों से मेरी चूत फैला दी और मस्ती से पीने लगे. सिर से मुझको नही चोदा . कहाँ मैं सोच रही थी, सिर मुझो जल्दी से चोदना शुरू कर देंगे पर सर तो टेस्ट मैच खेलने लगे.

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कम से कम ४० मिनट बाद सर ने मुझको चोदना शुरू किया. मेरी बुर पर उन्होंने अपना हथोड़ा जैसा लैंड रखा. एक दो बार प्यार से अपने हथोडे से मेरी बुर पर थपकी दी. फिर अपना पहलवान लंड मेरी चूत के द्वार पर रखा और जोर से धक्का दिया. उनके लंड २ इंच मेरी चूत में उतर गया. मैं छटपटाने लगी, सर ने जल्दी से मेरे दोनों हाथों को अपने १ कुंतल के वजन से रोक लिया. मैं बहुत तड्प रही थी की इतने में शुक्ला सर ने एक और धक्का ढेल दिया.

उनका ८ इंच का लंड मेरी चूत पर बिना कोई रहम किये अंदर घुस गया. गाढ़े रंग की खून की बुँदे मेरी चूत ने निकलने लगी. मुझको बड़ा दर्द होने लगा. सर! बाहर निकाल लीजिए! मैंने सर से कहा. सर ने मुझको सुना ही नही. बस मुझको चोदने लगे. बहुत दर्द हो रहा था. मैं चिल्ला न सकू. इसलिए सिर ने अपने शेर जैसे पंजे को मेरे मुह पर रख दिया. दोस्तों, मेरी चीख घुट गयी. सर, मुझको चोदने लगे. मैं भी अपने गुरूजी से चुदने लगी. 

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