Family Hawas Ki Kahani
ये बात उन दिनों की है जब मोबाइल फोन नहीं होते थे, लैंड लाइन फ़ोन भी किसी के घर में होते थे। जून का उमस भरा महीना चल रहा था। सरकारी कालोनी के एक घर में श्रीमती गर्मी से जूझ रही थी। जून की गरमी और फिर बिजली भी चली गई। गरमी से परेशान श्रीमती जिसका नाम रागिनी ने अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ फेंक दी और बिस्तर पर बैठकर पंखा झलने लगी। Family Hawas Ki Kahani
रागिनी का गुलाबी ब्लाउज पसीने से पूरा भीग चुका था। उसके अगले बटन ऐसे लग रहे थे जैसे वो रागिनी के स्तनों को संभालने का पूरा प्रयास कर रहे थे। फिर भी रागिनी के दूधिया स्तनों की गहराई साफ नजर आ रही थी। रागिनी ने अपने 40 बसंत पार कर लिये थे। मगर उसने अपना बदन खूब सम्भाल के रखा था। लम्बे बाल, 38 साइज के स्तन, कमर 31, 36 के नितंब। गोरा बदन, पेट अभी भी सपाट था।
उसके परिवार में कौन कौन है हम इसे में बाद में बात करेंगे। फिलहाल हम उसकी गतिविधियों पर चलते हैं। गर्मी से परेशान रागिनी ने अपना ब्लाउज़ उतारा और फिर अपनी ब्रा उतार दी जिसकी उसे अभी कतई ज़रूरत महसूस नहीं हो रही थी। ब्रा उतरते ही उसके बड़े बड़े स्तन किसी पंछी की तरह कैद से आजाद हो गये। उसके चुचियाँ हल्की बादामी रंगत लिए हुई थी। इस उम्र में भी उसके स्तन कसे हुए थे।
रागिनी बिस्तर के सिहराने में सर टिकाकर लेट गई, तभी बिजली भी आ गई और उस सरकारी कमरे का सरकारी पँखा चर चर करते हुए घूमने लगा। पँखे की हवा उसे अच्छी लग रही थी। उसने आँखे बंद कर ली। फिर वो जाने क्या सोच रही थी। और उसके हाथ उसके पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगे।
वो धीरे धीरे चूत को रगड़ रही थी। फिर उसने पेटीकोट का नाडा ढीला किया और अपना एक हाथ अंदर डाल दिया। दूसरे हाथ से वो अपने स्तनों को बारी बारी से दबा रही थी। उसने आँखे बंद की हुई थी। फिर थोड़ी देर बाद उसने पेटीकोट और अपनी पेंटी घुटनो तक सरका दी। अब उसकी बालों वाली चूत नंगी हो गई थी।
उसके चूत के बाल भीगे हुए थे पसीने से और हवस से। बालों के बावजूद उसकी चूत गुलाबी हिस्सा दिखाई दे रहा था। फिर उसने अपनी बीच वाली उँगली चूत में डाली। औऱ अंदर बाहर करने लगी। और कुछ बड़बड़ा रही थी।
रागिनी – आह जीतू आह तू कब आएगा, और मेरे चूत में लन्ड डालेगा। आह आह, मेरी चूत बहुत प्यासी है आजा। तेरा लन्ड कितना मस्त है। ओह जीतू। मैं तुझे कितना याद कर रही हूँ। तू भी मुझे याद कर रहा। मुझे तेरा लन्ड चूसना है। आजा ,मेरी प्यासी चूत को अपने पानी से भीगा कर बुझा दे।
रागिनी जीतू का नाम लेकर चूत में उंगली करती रही, फिर उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी औऱ मादक सिसकियों की आवाज भी। फिर कुछ देर बाद उसके नंगे बदन में कंपन हुआ। आह आह चोद मुझे। चोद मुझे, अपना माल मेरी चूत में झाड़ दे। आह जीतू आह।
उसके चेहरे पर मुस्कान आई। उसका कामरस उसकी चूत से बहने लगा। वो ढीली पड़ गई और बिस्तर पर लेट गई। उसके आधे घण्टे के बाद वो उठी और नहाकर कपड़े पहने। फिर रात के खाने की तैयारी में लग गई। शाम को अपनी ड्यूटी पूरी करके दिनेश अरोड़ा (बदला हुआ नाम) घर आये।
रात का खाना खाकर और सब काम निपटा रागिनी बिस्तर पर आई। दिनेश पहले से ही बिस्तर पर था। दिनेश 46 साल का मोटा आदमी था। जो क्लर्क के पद पर काम करता था। रागिनी ने नाइटी कुछ लोग मैक्सी भी बोलते हैं पहनी थी। अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी गर्मी की वजह से।
रागिनी – जीतू का कोई फोन आया।
दिनेश- नहीं आया।
रागिनी – अच्छा।
दिनेश- कल मैं फ़ोन करता हूँ।
रागिनी- जी ठीक है।
फिर रागिनी बिस्तर पर लेट गई। कमरे में नाइट बल्ब की नीली रोशनी हो रही थी। थोड़ी देर बाद दिनेश ने करवट बदली और रागिनी के स्तन दबाने लगा और उसकी गर्दन को चूमने लगा। दिनेश केवल अंडरवियर में था। फिर उसकी मैक्सी को ऊपर करके जाँघे मसलने लगा। फिर उसने कुछ देर उसकी चूत को रगड़ा।
फिर उसने मैक्सी को पेट तक ऊपर किया और अपना अंडरवियर नीचे सरका कर रागिनी की चूत में लन्ड डाल दिया। उसके बाद उसने आठ दस धक्के लगाए और अपना लावा चूत में छोड़कर रागिनी के ऊपर ढेर हो गया। फिर थोड़ी देर बाद उतरकर सो गया। उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि रागिनी संतुष्ट हुई या नहीं।
रागिनी के लिए अब ये रोज की बात हो गई। उसने अपनी मैक्सी नीचे करी और उस दिन को याद करने लगी जब वो जीतू से पहली बार चुदी थी। सोचते सोचते उसे नींद आ गई। अगली सुबह दिनेश अपने ऑफिस के लिए निकले। फिर लगभग 11 बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजे पर अक्षत खड़ा था। उसने पाँव छुए और मामी जी प्रणाम बोला।
इसे भी पढ़े – मसाज पार्लर माँ की मालिश वाली चुदाई
रागिनी – अरे अक्षत आओ।
अक्षत अंदर आया और अपना बैग रखकर कुर्सी पर बैठ गया। रागिनी उसके लिए पानी ले आई।
अक्षत- मामी जी कैसे हो आप, मामा जी तो आफिस गए होंगे।
रागिनी बगल वाली कुर्सी में बैठते हुए – हाँ तेरे मामा ऑफिस गए हैं, मैं ठीक हूँ बस दिन में बोर हो जाती हूँ अब तू आ गया तो अच्छा है। और घर मे सब ठीक हैं।
अक्षत – जी मामी जी सब ठीक हैं।
रागिनी- और अभी गर्मियों की छुट्टियां है।
अक्षत -जी, तभी तो यहां आया हूँ
रागिनी – तू टीवी देख मैं खाने की तैयारी करती हूँ।
अक्षत – जी मामी जी।मैं कुछ मदद करूँ।
रागिनी – अरे नहीं, तू आराम कर।
फिर अक्षत टीवी देखने लगा, और रागिनी किचन में चली गई। अक्षत 19 साल का लड़का है, जैसे आपको पता ही चल गया वो दिनेश का भांजा है। अक्षत का बदन कसरती है। कद भी 5′ 7″ है। रंग साँवला है।
अक्षत- मामी जी मैं ज़रा नहा लेता हूँ।
रागिनी- हंसते हुए ज़रा क्या पूरा नहा ले।
फिर अक्षत बाथरूम में नहाने चला गया। रागिनी किचन से बाहर आई तो देखा अक्षत नहाने चला गया। फिर उसे ध्यान आया कि बाथरूम में टॉवल नहीं है। वो टॉवल लेकर बाथरूम की तरफ गई। बाथरूम से उसे अजीब से आवाज आ रही थी। उसने कान लगा के सुना तो उसे समझ आया कि अक्षत हस्त मैथुन कर रहा है।
अक्षत- आह रागिनी मामी तू कितनी मस्त है। तेरी पेंटी से क्या खुश्बू आ रही है। आह एक बार मुझे मौका मिले तो मैं तुझे चोद दूँ।
ये सुनकर रागिनी सन्न रह गई और उसे याद आया कि उसने सुबह ब्रा पेंटी बाथरूम में ही छोड़ दी। उसका मन करा की वो अभी वहाँ से चली जाए। मग़र फिर भी वो वहीं रुकी रही।
अक्षत- मामी तेरे दूदू कितने बड़े है, इनको दबाने में कितना मज़ा आएगा। बस एक बार इन्हें मसल लूँ। आह मामी।
रागिनी को भी अपनी चूत में गीलापन महसूस होने लगा था। उसके हाथ अपने आप मैक्सी के ऊपर से चूत पर चले गए थे। उसका मन करा अभी दरवाजा खोल ले अंदर चली जाए। मगर उसने अपनी भावनाओं में काबू कर लिया। इतनी देर में अक्षत भी अपना माल झाड़ चुका था। रागिनी दबे पाँव वापस चली आई। उसके कानों में अक्षत की आवज गूंज रही थी।
इतने में अक्षत की आवज आई मामी टॉवल देना। फिर वो टॉवल देने गई। फिर उसके बाद कुछ नहीं हुआ। रागिनी अक्षत को देखते तो मन मे उसके लन्ड की कल्पना करने लगती। फिर ऐसे ही शाम हो गई, दिनेश भी आफिस से आ गया। फिर वो भी अक्षत के आने से खुश हो गए। फिर दिनेश नहाने चला गया। रागिनी किचन में बचा हुआ काम करने चली गई।
फिर सबने डिनर किया। दिनेश और रागिनी अपने बेडरूम में आ गए। आज दिनेश ने कुछ नहीं किया। वो जल्दी सो गया। रागिनी के मन मे अक्षत के लन्ड के ख्याल चल रहे थे। नींद कोसों दूर भाग गई थी। उसे प्यास लगी। आज वो बेडरूम में पानी लाना भी भूल गई थी। वो उठी और बाहर गई, उसने देखा अक्षत के रूम की लाइट जल रही थी।
उसने दरवाजे को हल्का धक्का दिया दरवाजा अंदर से खुला था। उसने देखा अक्षत सो गया था। उसने केवल अंडरवियर पहना था। रागिनी उसको देखती रह गई। अंडरवियर उसे उसके लन्ड का उभार साफ दिख रहा था। उसका मन कर रहा था। वो अभी उसका अंडरवियर उतारकर उसके लन्ड को हाथों से सहलाये।
मग़र नैतिकता उसे अपने पर काबू रखने के लिए मजबूर कर रही थी। वो अक्षत को देखकर अपनी चूत सहला रही थी। वो अपने होंठों को काट रही थी। उसने ऐसे ही अपनी चूत का पानी निकाल दिया। उसकी पैंटी पूरी गीली हो गई थी। जब उसकी काम वासना थोड़ी शान्त हुई तो उसे होश आया कि वो क्या कर रही है।
उसने सकपका के कमरे की लाइट बन्द करी और धीरे से कमरे का दरवाजा ढक कर किचन में पानी लेने चली गई। इधर उसके जाने के बाद अक्षत आँखे खोलकर मुस्करा रहा था। अगले दिन सब सामान्य रहा, अक्षत बाहर गया था। रागिनी का मन बेचैन था। फिर रात हुई, अक्षत कमरे में था, वो इंतज़ार में था कि आज भी मामी आएगी। मग़र मामी नहीं आई।
उधर रागिनी कशमकश में थी, वो सोच रही थी कि वो अक्षत के कमरे में जाये या ना जाये। अगर उसके पति को पता चल गया तो। वो पहले भी एक बार गलती कर चुकी है। उसने किसी तरह अपने आप को संभाला। ऐसे ही तीन चार दिन निकल गये। फिर एक रात अक्षत को लग रहा था कि अब तो मामी नहीं आएगी। दिन में वो क्रिकेट खेलने गया था। थकान पहले ही थी, वो सो गया।
उधर बेडरूम में दिनेश रागिनी के ऊपर चढ़ गया था। उसने पाँच छ धक्के लगाए और अपना माल छोड़कर लेट गया और थोड़ी देर में खर्राटे लेने लगा। इधर रागिनी फिर से प्यासी रह गई। चूत में उंगली करने से वो ऊब गई थी। वो बिस्तर से उठी और अक्षत के कमरे की तरफ गई, अक्षत का दरवाजा अंदर से खुला ही था। ज़रा सा हाथ लगाते ही दरवाजा खुल गया।
अक्षत गहरी नींद में था, उसने अंडरवियर और बनियान ही पहना था। कामनी धीरे से बेड पर बैठ गई। वो अक्षत के लन्ड को अपने हाथों से पकड़ना चाहती थी। वो बार बार हाथ आगे बढ़ाती फिर पीछे खींच लेती। उसके माथे पर पसीने की बूंदे आ गईं थी।
रागिनी का दिल जोर से धड़क रहा था। उसके मन में कसमकस चल रही थी। फिर हवस ने डर को मात दी। रागिनी अंडरवियर के ऊपर से ही अक्षत के लन्ड पर हाथ फिराने लगी। वो सोचने लगी जब ये ऐसे ही इतना बड़ा है तो जब खड़ा होगा तो फिर कितना बड़ा होगा। ये सोचकर ही उसकी चूत गीली होने लगी।
कहते हैं जब हवस का ज़ोर चलता है तो इंसान सब भूल जाता है। रागिनी के साथ भी यही हुआ। हाथ फेरते फेरते उसका हाथ कब अंडरवियर के अंदर गया उसे पता ही ना चला। धीरे अक्षत का लन्ड भी खड़ा होने लगा। थोड़े देर में अक्षत का लन्ड पूरा तन गया। अक्षत की नींद खुल गई मगर वो सोने का नाटक करने लगा। रागिनी ने लन्ड अंडरवियर से बाहर निकाल लिया।
उसका लगभग सात इंच का लन्ड देखकर, रागिनी से रहा नही गया और वो लन्ड को चाटने लगी। उधर अक्षत का बुरा हाल हो रहा था। फिर रागिनी लन्ड को चूसने लगी. कभी वो लन्ड को चाटती कभी चूसती। अब अक्षत से रहा नहीं गया। उसने रागिनी का सिर पकड़ा.
अक्षत- मामी चुसो मेरा लंड, जोर से चूस।
उसकी आवाज सुनकर मानो रागिनी को होश आया। मगर वो फिर भी लन्ड चूसती रही। वो अक्षत की ओर नहीं देख रही थी। उसकी चूत उतेजना में पूरी गीली हो चुकी थी। वो सोच रही थी, अभी लन्ड चूत में गया भी नहीं और ये हाल है जब अंदर जाएगा तो क्या होगा। वो ये सोच हो रही थी कि उसे मुँह के अंदर गर्म माल महसूस हुआ।
अक्षत – आह मामी मज़ा आ रहा मैं आपके मुँह में झड़ गया।
रागिनी प्यासी औरत की तरह उसका सारा माल गटक गई और उसका लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। रागिनी नहीं चाहती थी कि अक्षत इतनी जल्दी झड़े। मगर वो खुश भी थी कि अब वो इस लंड से अपनी प्यास बुझाएगी।
अक्षत- मामी अपनी चूत दिखाओ ना।
रागिनी- अच्छा मुझे सिराहने की तरफ आने दे। अक्षत बेड से उतरा, रागिनी सिराहने में पीठ टिकाकर बैठ गई। उसने नाईटी ऊपर करी।
उसने बैगनी पेंटी पहनी थी जो पूरी गीली हो चुकी थी। अक्षत घुटनो के बल उसकी तरफ गया। और उसकी पैंटी को देखने लगा। फिर वो पेंटी को सूंघने लगा। उसे चूत की खुश्बू मदहोश कर रही थी। वो पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा।
रागिनी- आह अक्षत, चाट अपनी मामी की प्यास बुझा बेटा।
अक्षत – जी मामी आपने मुझे मज़ा दिया तो आपको भी मज़ा देना मेरा फ़र्ज़ बनता है।
फिर अक्षत ने पैंटी उतार दी, रागिनी की बालों वाली गीली चूत उसके सामने थी। अक्षत ने जी ब्लू फिल्म देखी थी, उससे मिले ज्ञान का प्रयोग करने का समय आ गया था। अक्षत ने चूत पर जीभ फिराना शुरू कर दिया, रागिनी की आह निकल रही थी मगर वो जोर से भी आवाज नहीं कर सकती थी। अक्षत मज़े से चूत को चाट रहा था, फिर उसने चूत के दाने को चूसना शुरू किया, अब तो रागिनी को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने अक्षत का सिर पकड़ लिया।
रागिनी- चाट, अपनी मामी की चूत का पानी निकाल दे। बहुत प्यासी है ये।
अक्षत चूत के दाने को चूस रहा था और साथ मे उंगली अंदर बाहर भी कर रहा था। रागिनी ये दोहरा वार ना झेल पाई और उसकी चूत से उसका काम रस बह गया। अक्षत मज़े से उसकी चूत चाटता रहा. उसने रागिनी की चूत चाट चाट कर साफ कर दी।
कामिनि- अक्षत अब मैं अपने बेडरूम में जा रही हूँ, बाकी का कार्यक्रम अब कल करेंगे।
अक्षत- जी मामी जी।
उसके बाद रागिनी ने अपने कपड़े पहने और बेडरूम में चली गई, अब रागिनी यही सोच रही थी कि कल अक्षत का लन्ड उसकी चूत में जायेगा। उसकी प्यासी चूत की प्यास बुझेगी। फिर जब रागिनी अक्षत के कमरे से अपने कमरे में आई तब तक उसके सर से हवश का असर कम हुआ और उसे होश आया कि उसने क्या कर दिया।
रागिनी सोचने लगी- नहीं ये मुझसे क्या हो गया। नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए था। बगल में दिनेश खर्राटे लेकर सो रहा था। इधर अक्षत सोच रहा था चलो शुरवात तो हुई, अब जल्द ही मामी की चूत में मेरा लन्ड होगा। फिर सुबह सब ने नाश्ता किया और फिर दिनेश अपने ऑफिस चला गया।
रागिनी अक्षत से नज़र नहीं मिला पा रही थी। रागिनी ने काले रंग की लाल फूलों के प्रिंट वाली मैक्सी पहनी थी। उसने नहाके अभी बाल नहीं बांधे थे। वो घर के काम में लग गई। अक्षत टीवी देख रहा था।उसके दिमाग में यही चल रहा था कि कैसे मामी को चोदे। फिर ऐसे ही कुछ समय बीत गया।
फिर दिन में दोनों ने खाना खाया, फिर कामिनि ने बर्तन धोये और फिर वो आराम करने के लिए अपने कमरे में आ गई । अब वो रात को हुई घटना के बारे में सोच रही थी। इधर अक्षत सोच रहा था कि मामी को चुदाई के लिए कैसे तैयार करूँ। वो चाहत तो अभी मामी के कमरे में जाकर उसके साथ कोशिश कर सकता था। पर वो चाहता था कि मामी खुद उसके पास चुदने आये।
फिर शाम हुई और फिर दिनेश भी घर आ गए. सबने खाना खाया और अपने कमरों में आ गए। अक्षत मामी का इंतजार करने लगा। मगर मामी नहीं आई , अगले दिन दूसरा शनिवार था और दिनेश की छुटी थी अब शनिवार और रविवार को दिनेश घर मे ही था।
अक्षत जवान लड़का था मामी ने उसकी चिंगारी भड़का दी थी, जिसको वो बुझा नहीं रही थी। शनिवार की रात को कुछ नहीं हुआ फिर रविवार की रात आई। अक्षत इंतज़ार में था रात के बारह बजने वाले थे ,पूरा सन्नाटा था बस पंखे की और घड़ी की टिकटिक सुनाई दे रही थी।
अब अक्षत का सब्र जवाब दे रहा था। उसने कुछ निश्चय किया और अपने कमरे से निकलकर मामा मामी के कमरे की ओर चल पड़ा। बैडरूम का कमरा ढका हुआ था। अंदर से खर्राटे की आवाज आ रही थी। अक्षत ने धीरे से दरवाजा खोला , अंदर मामा और मामी गहरी नींद में सो रहे थे।
कमरे में नाईट बल्ब की दूधिया रोशनी थी। कामिनि ब्लाउज और पेटीकोट में सोई थी। वो गहरी नींद में जब सांसे ले रही थी तो उसके उभार ऊपर नीचे हो रहे थे। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। दूधिया रोशनी में उसके गोरे स्तनों की दरार साफ दिखाई दे रही थी। दोस्तों जब इंसान पर हवस का भूत सवार होता है तो वो हर डर भूल जाता है। अक्षत के साथ भी यही हो रहा था।
वो दबे कंदमो से आगे बढ़ा, रागिनी को देखकर ही उसका लन्ड खड़ा हो गया जो उसके अंडरवियर से बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था। वो बेड के पास पहुँचा और धीरे से रागिनी वाली तरफ फर्श पर बैठ गया। वो थोड़ी देर रागिनी के उतार चढ़ाव देखता रहा।
उसने फिर हिम्मत करके हाथ आगे बढ़ाया और रागिनी के ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा। थोड़ी देर की मेहनत के बाद उसने रागिनी के स्तनों को ब्लाउज़ की कैद से आज़ाद कर दिया। वो धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा। 4-5 मिनट सहलाने के बाद उसने एक निप्पल को मुँह में लेके चूसने लगा। उसका लंड और सख्त होने लगा।
अब वो एक निप्पल को चूस रहा था और दूसरे स्तन को दबा रहा था। अब रागिनी को कुछ महसूस हुआ उसने अँगड़ाई ली। उसने आंखे खोली तो देखा अक्षत उसके स्तन चूस रहा है। वो चिलाने वाली ही थी कि उसे ध्यान आया बगल में दिनेश सो रहा है। वो दबी आवाज में बोली -अक्षत यहाँ क्या कर रहे हो तुम्हे ज़रा भी होश नहीं।
अक्षत- मामी प्लीज करने दो, आपने तो आग लगा के प्यसा ही छोड़ दिया।
कामिनि- अरे मगर यहाँ पर।
अक्षत- आप आई नहीं मेरे रूम पर।
और फिर अक्षत रागिनी के बूब्स को चुसने लगा। रागिनी उसको रोक भी नहीं पा रही थी। वो सोच ही रही थी कि तभी अक्षत ने अपना एक हाथ पेटिकोट के ऊपर से उसकी चूत पर फिराने लगा। रागिनी की चूत में आग लग गई। उसे डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था। बगल में पति खर्राटे ले रहा था और यहाँ अक्षत उसके बूब्स औऱ चूत से खेल रहा था। ये बात उसे और उत्तेजित कर रही थी। फिर अक्षत ने एक हाथ से रागिनी का पेटिकोट को ऊपर सरकाने लगा।
अब रागिनी की गीली पेंटी दिखाई देने लगी। अक्षत अब बूब्स को छोड़कर पेंटी को सूँघने लगा, अब उसका लन्ड अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब होने लगा , फिर उसने पेंटी को थोड़ा सरकाया और चूत पर जीभ फिराने लगा। रागिनी ने किसी तरह मादक चीख निकलने से रोकी। अब रागिनी को लगा कि अगर अक्षत को अभी नहीं रोका तो गड़बड़ हो जाएगी। वो धीरे से बोली-
अक्षत रुक जाओ, कल दिन में जो चाहे कर लेना जब तेरे मामा घर पर नहीं होंगे।
अक्षत- मग़र मामी इस लन्ड का क्या जो ये खड़ा हो रखा है।
मामी- ला मैं चूसकर निकाल देती हूँ।
अक्षत- मामी चूत में डालने दो ना।
मामी- नहीं अभी नहीं, कल पक्का।
अक्षत – ठीक है मामी.
इसे भी पढ़े – मामी की गांड का देसी ईलाज किया
फिर वो खड़ा हो गया और उसने अपना अंडरवियर नीचे किया। उसका लन्ड स्प्रिंग की तरह उछलता हुआ बाहर निकल आया। फिर वो चेहरे के पास आया और मामी ने उसका लन्ड मुँह में ले लिया और चुसने लगी। अक्षत ने आँखे बंद कर ली और मजे लेने लगा। वो फर्श पर खड़ा था।
मामी करवट लेकर उसका लन्ड चूस रही थी। उसके चूत से पानी निकल रहा था। बीच बीच मे मामी उसके अंडों को भी चाट लेती। अक्षत इतना ज्यादा उत्तेजित था कि वो बर्दास्त नही कर पाया और थोड़ी देर में उसने अपना गर्म लावा रागिनी के मुँह में निकाल दिया। रागिनी उसका एक एक बूँद घटक गईं।
फिर अक्षत अपने रूम में आ गया और अगले दिन का इंतज़ार करने लगा। फिर उसे कब नींद आई उसे पता ही नहीं चला। सुबह अक्षत देर से उठा तो देखा मामा नाश्ता कर रहे हैं। मामी किचन में आलू के परांठे बना रही थी। अक्षत जल्दी से नित्यकर्म से फारिग होके नहाकर आ गया।
अक्षत- मामी जल्दी कुछ दो बहुत भूख लग रही है।
मामी – थोड़ा सब्र कर लाती हूँ।
इतने में दिनेश भी दफ्तर के लिये निकलने लगा।
दिनेश- अच्छा अक्षत मैं दफ्तर के लिये निकल रहा हूँ मामी को ज्यादा तंग मत करना।
अक्षत – जी मामा जी।
फिर दिनेश दफ्तर के लिये निकल गया। अब घर मे केवल रागिनी और अक्षत थे। रागिनी ने रात को अक्षत को बोल तो दिया था।किंतु अभी भी उसके मन में कसमकश चल रही थी। अक्षत मन ही मन बहुत खुश था। वो नाश्ता करने लगा और मामी को ललचाई नज़रों से देखने लगा। रागिनी उसकी नजरों की प्यास को भलीभांति समझ रही थी।
रागिनी ने हल्के गुलाबी रंग की प्रिंटेड साड़ी पहनी हुई थी और गुलाबी रंग का ही ब्लाउज़ पहना हुआ था। बाल उसने अभी भी टॉवल में बांधे हुए थे। फिर रागिनी भी अपने लिये नाश्ता लेकर आ गई और दोनों नाश्ता करने लगे। दोनों बात नहीं कर रहे थे। मगर नज़रें बहुत कुछ बयान कर रही थी।
जँहा अक्षत की नज़रों में हवस थी वंही रागिनी की नज़रों में दुविधा थी। फिर दोनों ने नाश्ता किया। और रागिनी किचन साफ करने चली गई। अक्षत टीवी देखने लगा। इधर किचन में बर्तन धोते हुए रागिनी ने कुछ फैसला कर लिया । रागिनी किचन का काम निपटाकर टीवी वाले रूम में आई।
वो अक्षत को बोली – चलो आओ बेडरूम में।
अक्षत का खुशी का ठिकाना ना रहा ।
अक्षत- जी मामी ।
फिर वो रागिनी के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया। रागिनी बिस्तर पर लेट गई। उसने अक्षत को इशारा किया अक्षत समझ गया। वो आगे बढ़ा फिर उसने जो ब्लू फिल्म देखा था वो उसे याद आया। उसने रागिनी के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और किस करने लगा। दिनेश ने कभी कामिनि के होठों को किस नहीं किया था।
रागिनी भी अक्षत का साथ देने लगी। वो भी उसको किस कर रही थी। औऱ उसके सर पर हाथ फिरा रही थी। फिर अक्षत ने अपनी जीभ रागिनी के मुँह के अंदर डालने की कोशिश करने लगा, रागिनी को अजीब लगा, फिर वो उसकी जीभ को चुसने लगी, उसे बहुत मज़ा आ रहा था। उसने भी अपनी जीभ अक्षत के मुँह में डाल दी अक्षत उसे चुसने लगा, दोनों ऐसे ही करते रहे।
अक्षत का लन्ड पूरा खड़ा हो गया था, रागिनी की चूत भी गीली हो रही थी। फिर अक्षत रागिनी की गर्दन में किस करने लगा। और उसके ब्लाउज़ के बटन भी खोलने लगा। फिर उसने सारे बटन खोल दिए। रागिनी ने अंदर सफेद रंग की ब्रा पहनी थी। अक्षत उसकी चुचिया दबाने लगा। फिर रागिनी थोड़ा ऊपर हुई और अक्षत ने उसका ब्लाउज़ उतार दिया। उसने ब्रा के हुक भी खोल दिए।
अब रागिनी ऊपर से पूरी नंगी थी। दिन के उजाले में अक्षत उसके नंगे बदन को पहली बार देख रहा था। उसकी धड़कन बढ़ने लगी। फिर वो चूचियों पर टूट पड़ा और बारी बारी दोनों को चुसने लगा। अब रागिनी की सिसकियां निकलने लगी। अक्षत ऐसे ही चूचियों को चूस और मसल रहा था। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया।
रागिनी- इस समय कौन होगा।
अक्षत – पता नहीं, मैं देखता हूँ।
रागिनी – रुक मुझे कपड़े पहनने दे।
फिर अक्षत दरवाजे की ओर जाने लगा, मन ही मन वो दरवाजा खटखटाने वाले को कोस रहा था। अक्षत दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला, सामने सोनू खड़ा था।
अक्षत- क्या है?
सोनू- अरे भैया चलो क्रिकेट खेलने।
अक्षत- (झुँझलाते हुए) अरे आज मैं नहीं आ रहा, तबियत थोड़ी ठीक नहीं है।
सोनू- अरे भैया चलो ना।
अक्षत- अरे नहीं कल चलूँगा प्रॉमिस।
सोनू- अच्छा भैया ठीक है।
फिर सोनू चला गया, अक्षत कमरे में आ गया। रागिनी अपना ब्लाउज़ पहन चुकी थी।
रागिनी- कौन था?
अक्षत- सोनू था क्रिकेट खेलने के बुला रहा था।
रागिनी- तूने क्या बोला।
अक्षत- मैंने बोला कल आऊंगा आज ज़रा तबियत ठीक नहीं है।
रागिनी- तबियत तो मैं तेरी ठीक करती हूँ।
ये बोल के रागिनी आगे बढ़ी और उसने अक्षत की इलास्टिक वाली निकर नीचे सरक दी। फिर उसने उसका अंडरवियर भी नीचे कर। अक्षत का लन्ड अभी खड़ा नहीं था। रागिनी अपने हाथ से उसका लन्ड सहलाने लगी और बीच बीच मे चूसती भी। थोड़ी देर में उसका लन्ड टाइट हो गया। अक्षत ने अपनी टी शर्ट और बनियान भी उतार दी। वो पूरा नंगा हो गया। रागिनी उसका लन्ड चुसने लगी।
अक्षत – मामी बहुत मज़ा आ रहा है, मगर मुझे तुम्हे चोदना है।
मामी मुस्कराई, अभी वो घुटनो के बल बैठी हुई थी । उसकी साड़ी का पल्लु नीचे गिरा हुआ था। ऊपर से उसकी चूचियों की गहराई साफ दिख रही थी। वो खड़ी हुई, उसने अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ फेंख दी। फिर उसने पेटीकोट का नाडा खोला, पेटिकोट नीचे गिर गया। जिसे उसने एक पाँव से सरका दिया। अभी रागिनी काम की देवी लग रही थी। उसकी चूत के बाल भीगे हुए थे। अक्षत आगे बढ़ा औऱ घुटनो पर बैठ गया।
वो उसकी चूत को चाटने लगा। रागिनी ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा भी उतार दी। वो खुद ही अपनी चुचिया दबाने लगी। अक्षत उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा। अब जब रागिनी को लगा अब सब्र नहीं होता। उसने अक्षत को रोका और फिर अपनी टांगें खोल कर बिस्तर में लेट गई। अक्षत आगे बढ़ा, उसने मामी की टाँगों के नीचे हाथ डालकर ऊपर उठाया। उसने अपना कसा हुआ लन्ड रागिनी की चूत पर रखा।
अक्षत- मामी डाल दूँ।
रागिनी- हाँ डाल दे, अब क्या सोच रहा।
आज अक्षत पहली बार किसी को चोदने जा रहा था। रागिनी ने उसका लन्ड पकड़कर छेद पर रख दिया।
रागिनी- अब घुसा अंदर।
अक्षत- जी मामी ।
अक्षत ने जोर से धक्का लगया। औऱ एक ही बार मे पूरा लन्ड अंदर डाल दिया। रागिनी की चीख ही निकल गई।
रागिनी- अरे ये क्या किया एक बार मे ही पूरा डाल दिया। बहुत दर्द हो रहा।
अक्षत थोड़ा डर गया। और लन्ड अंदर डाल के रुक गया, एक मिनट वो ऐसे ही रहा।
फिर रागिनी बोली- चल अब देख क्या रहा, चोद मुझे।
अक्षत – जी मामी।
अक्षत लन्ड अंदर बाहर करने लगा, अब उसे मज़ा आने लगा, और वो जोर जोर से लन्ड अंदर बाहर करने लगा।
कामिनि – आह ज़रा धीरे कर, फाडेगा क्या मेरी चूत को।
अक्षत- हाँ मामी तू मेरी पहली चुदाई है। तुझे खूब चोदूँगा ।
रागिनी- पर थोड़ा धीरे कर आह उइ माँ।
मग़र अक्षत से बर्दास्त नहीं हो रहा था, रागिनी जितना आवाज निकाल रही थी वो उतना ही ज़ोर से चोदने लगा। फिर वही हुआ 2-3 मिनट में अक्षत के लन्ड ने पिचकारी छोड़ दी, उसके गर्म माल का स्पर्श पाते ही, रागिनी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया। वैसे रागिनी की चूत इतनी जल्दी पानी नहीं छोड़तीं, मगर एक जवां लन्ड उसे छोड़ रहा, और जो अक्षत ने पहले उसकी चूत चाटी ,उस सबके असर से उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
अक्षत- मामी क्या मै जल्दी झड़ गया।
रागिनी- कोई बात नहीं होता है ये तेरा पहली बार है, इसलिए। मैं तुझे सब सीखा दूँगी। मुझे बहुत मज़ा आया।
फिर वो थोड़ी देर बिस्तर पर लेटे रहे। फिर रागिनी बोली,
रागिनी- चल मैं खाना बनाती हूँ।
फिर वो कपडे पहनने लगी।
अक्षत- मामी ऐसे ही नंगे होकर खाना बनाओ ना।
रागिनी- पागल हो गया क्या, कोई आ गया तो।
फिर उसने कपडे पहने, और किचन में चली गई। अक्षत ने अपने कपडे पहने और वो भी किचन में चला गया।
अक्षत- ,,मामी, मैंने आपके अंदर माल गिरा दिया। अगर आप गर्भवती हो गई तो।
रागिनी- नहीं होंगी मैंने ओपरेशन करवा रखा है।
अक्षत – अच्छा।
अब वो किचन में ही था, बीच बीच मे वो कामिनि को किस करता, कभी उसकी चुचिया दबा देता। और कभी उसकी गाँड़ को दबा देता। अक्षत का लन्ड फिर खड़ा हो गया। वो रागिनी के पीछे चिपक कर खड़ा हो गया। उसका लन्ड रागिनी की गाँड़ से टकराने लगा। उसने रागिनी की कमर को पकड़ लिया और अपना लन्ड साड़ी के उपर से ही उसकी गाँड़ में रगड़ने लगा।
रागिनी- अरे ये क्या कर रहा है मुझे खाना बनाने दे। एक बार मैं खाना बना लूँ, फिर तेरे लन्ड की सेवा भी कर लूँगी।
अक्षत- अच्छा मामी ठीक है।
फिर अक्षत अपने कमरे में आ गया और बिस्तर पर लेट गया। खाना बनाते वक्त रागिनी सोच रही थी, कि अगर उसने आज अक्षत को चोदने नहीं दिया होता तो वो फिर रात को उसके कमरे में आ जाता। फिर वो ये सोचकर खुश भी हुई कि अब उसकी चूत की प्यास भी बुझती रहेगी। फिर उसने खाना बनाया। दोपहर के 1 बज चुके थे।
वो थोड़ी देर आराम करने के लिए अपने कमरे में लेट गई। आधे घण्टे बाद उसने अक्षत को आवाज लगाई एयर खाने के लिए बुलाया।फिर दोनों ने खाना खाया। फिर किचन साफ करके रागिनी अक्षत के कमरे में आई, वो बिस्तर पर लेटा हुआ था।
रागिनी- अब बोल, तेरा लन्ड बहुत उछल रहा।
अक्षत- मामी आप हो ही इतनी मस्त ,किसी का भी लन्ड उछल जाएगा।
रागिनी-अच्छा बदमाश।
फिर रागिनी बिस्तर के साइड में बैठी, और निकर के ऊपर से लन्ड पर हाथ फिराने लगी। अक्षत जो अब तक लेटा हुआ था वो बिस्तर पर बैठ गया और वो रागिनी के होंठों को चुसने लगा। रागिनी भी उसका साथ देने लगी। फिर अक्षत उसका ब्लाउज़ खोलने लगा।
रागिनी ने भी अपनी साड़ी उतार दी। अब वो पेटिकोट और ब्रा में थी। अक्षत ने अपने सारे कपड़े उतार दिये। उसका लन्ड पूरा तना हुआ था। उसका लण्ड देखते ही रागिनी के मुँह में पानी आ गया, वो उसका लन्ड चुसने लगी। तभी अक्षत बोला – मामी रुको ।
रागिनी- क्या हुआ।
एक और तरीका है – अक्षत बोला।
रागिनी – क्या।
अक्षत- बोला रुको बताता हूँ।
उसने रागिनी का नाडा खोला और उकसा पेटिकोट उतार दिया। अंदर रागिनी ने पैंटी तो पहनी नही थी।
अक्षत – मामी अब बिस्तर पर लेट जाओ।
रागिनी बिस्तर पर लेट गई। अब अक्षत उसके ऊपर आया, मगर उसका मुँह रागिनी की चूत की तरफ था और लन्ड रागिनी के मुँह की तरफ।
अक्षत- अब चुसो मेरा लन्ड
और अक्षत रागिनी की चूत चाटने लगा। रागिनी उसका लन्ड चुसने लगी। अक्षत उसकी चूत को इतनी अच्छे से चाट रहा था कि जैसे ना जाने कब से यही काम कर रहा हो।
रागिनी – तूने ये सब कहाँ से सीखा?
अक्षत – मैंने ब्लू फ़िल्म में देखा।
रागिनी- तू बहुत मस्त चूत चाट रहा है, तेरे मामा ने तो कभी नहीं चाटी मेरी चूत। बहुत मज़ा आ रहा। चूस और जोर से।
अक्षत- आप भी मेरा लन्ड चुसो बहुत मज़ा आ रहा। आह मामी।
वो कुछ देर 69 पोजीशन में मज़े लेते रहे।
फिर अक्षत बोला- मामी अब आपकी चूत में डालना है।
रागिनी – हाँ बेटा डाल, मैं तो खुद डलवाना चाह रही। मेरी चूत बहुत प्यासी है। तेरे मामा मुझे बहुत प्यार करते हैं। मगर चूत की प्यास नहीं बुझा पाते अब।
फिर रागिनी ने अपनी टाँगे खोल दी।
अक्षत – मामी ऐसे नहीं?
रागिनी- फिर कैसे?
अक्षत- आप घोड़ी बन जाओ।
रागिनी – अच्छा, तू तो बहुत कुछ सीख रखा।
फिर रागिनी घोड़ी बन गई, अक्षत ने एक बार उसकी चूत चाटी। फिर उसने अपना लन्ड चूत पर रखा। अब उसने पहले वाली गलती नहीं की। उसने लन्ड धीरे धीरे अंदर डाला। रागिनी की आह निकली, उसे इस पोजीशन में अच्छा लग रहा था। लन्ड अंदर तक छू रहा था। अक्षत ने मामी की कमर पकड़ ली। और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
अक्षत- मामा ने चोदा है कभी ऐसे।
रागिनी – नहीं वो तो हमेशा से ही नीचे लिटा के करते हैं। ऐसे में लन्ड अंदर तक जाता है।
अक्षत- आपको कैसे पता जब मामा ने आपको कभी ऐसे चोदा नहीं।
रागिनी- अरे वो मेरी एक सहेली ने बताया था, उसका पति उसे ऐसे चोदता है।
रागिनी मन मे सोच रही थी इसे क्या पता जीतू ने मुझे कैसे कैसे चोदा है।
अक्षत- अच्छा, मामी आपके चूतड़ बहुत मस्त है गोल गोल।
ये बोल के उसने एक चपत लगा दी।
रागिनी- तेरा लन्ड भी बहुत मोटा और बड़ा है। आह तू चोद मुझे।
अक्षत- हाँ मामी तुझे जन्नत की सैर कराउंगा ।
अक्षत जोश में आप से तू पर आ गया। रागिनी को ये अच्छा लग रहा था। अक्षत अब कभी त्तेजि से लन्ड अंदर बाहर करता कभी धीरे धीरे। देर तक टिकने की कला वो सीख रहा था। वैसे भी वो अभी थोड़ी देर पहले झड़ा था। फिर अचानक उसे क्या सुझा उसने अपनी एक उँगली रागिनी के गाँड़ के छेद में डाल दी। रागिनी की चीख निकली।
रागिनी – ये क्या कर रहा तू?
अक्षत- आपको दोहरा मज़ा दे रहा हूँ।
अब वो अपना लन्ड अंदर बाहर कर रहा था, और गाँड़ में भी उँगली अंदर बाहर कर रहा था। रागिनी को और मज़ा आने लगा।
रागिनी- तू तो बहुत कमीना है रे कैसे कैसे चोद रहा। पर बहुत मज़ा आ रहा। करता रह बेटा। आह बहुत मज़ा आ रहा।
अक्षत- हाँ मामी तेरी प्यासी चूत की प्यास मेरा लन्ड बुझायेगा। जब तक मैं यहाँ रहूँगा तेरी प्यास बुझाता रहूँगा। तेरी गाँड़ भी बहुत मस्त है।
आह मामी आह गर्म चूत है तेरी।
रागिनी- तेरा लन्ड भी बहुत मस्त है। बहुत मज़ा आ रहा, आह चोद मुझे ,चोद।
अक्षत – आह मामी ओह ।
इसे भी पढ़े – जीजा जी का लंड ज्यादा मोटा था
अक्षत ऐसे ही धक्के लगाता रहा और गाँड़ में उँगली करता रहा। फिर वो बोला- मामी, अब मैं नीचे लेटता हूँ, तुम मेरे लन्ड की सवारी करो। फिर अक्षत नीचे लेट गया, और मामी उसके उपर आ गई। रागिनी उसके लन्ड पर बैठ गई और उछलने लगी । उसके बड़ी बड़ी चुचिया भी उछल रही थी। अक्षत भी कूल्हे उचकाने लगा।
रागिनी- आह मुझे आज बहुत मज़ा आ रहा। अब बर्दास्त नहीं होता आह, अक्षत चोद मुझे।
अक्षत – आह मामी, ओह, तेरी चूत आज फाड़ दूँगा। आह आह मामी।
फिर कमरे में आह आह, और चुदाई की आवाज गूंज रही थी। लगभग दस मिनट बाद रागिनी- मुझे हो रहा है, हो रहा है. वो अक्षत के सीने से चिपक गई और गाँड़ आगे पीछे करने लगी। अक्षत भी लन्ड अंदर बाहर कर रहा था।
अक्षत – हाँ मामी मैं भी झड़ने वाला हूं। मामी, आह मामी।
दोनों के बदन काँपने लगे। दोनो ने एक दूसरे को कस के दबोच लिया। शरीर में कुछ झटके लगे औऱ फिर कमरे में तूफान के बाद वाली शांति हो गई। अक्षत का माल रागिनी की चूत से निकल रहा था। दोनो एक दूसरे से चिपके हुए लेटे रहे।