Sharmili Aurat Sath Sex
यह कहानी एक छोटे से शहर की है जो कि दो जोड़ो के बीच हुई एक अंजान चुदाई है, विनय और उसकी पत्नी गरिमा, अरविन्द और उसकी पत्नी नम्रता के बीच की है. दोस्तों विनय और गरिमा लखनऊ में रहते है और उनकी लाईफ बिल्कुल सही चल रही थी और विनय ब्यौर में काम करता है तो उसकी वाईफ घर पर रहती है. Sharmili Aurat Sath Sex
विनय अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है और गरिमा भी उससे उतना ही प्यार करती है, लेकिन जिस तरह से एक आदमी की भूख सिर्फ़ प्यार ही नहीं होती तो उसी तरह विनय भी था, उसे भी जिस्म की भूख थी और ऐसी कि जो सिर्फ़ एक जिस्म पूरा नहीं कर सकता था और हमेशा विनय चाहता था कि वो ग्रूप सेक्स करे.
लेकिन वो डरता था कि इससे उसके जीवन में बहुत मुश्किलें आ सकती थी और वो अपनी बीवी के साथ ग्रूप सेक्स करना चाहता था, लेकिन वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहा था, क्योंकि गरिमा एक बहुत ही शरीफ़ और भगवान को मानने वालों में से थी और वो यह सब बिल्कुल ग़लत मानती थी और विनय को यह बात पता थी.
विनय अपने दिल की इस इच्छा को कई हद तक मार चुका था और इस बीच एक दिन विनय को पता चला कि उसे किसी काम से इंदौर जाना पड़ रहा है और उसे करीब तीन चार महीने लगेंगे, उसने गरिमा को भी यह सब बताया और दो दिन बाद वो इंदौर के लिए निकल पड़ा.
फिर वहां पर जाकर उसने ऑफिस जाकर देखा और अपना काम करने लगा. एक दिन जब वो शाम को अपने ऑफिस से घर पर आ रहा था तो एक आदमी ने उसे पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा कि और अरविन्द क्या हाल है? विनय उसकी यह बात सुनकर एकदम चकित हो गया और फिर उसने कहा कि भाई साहब आपको कोई ग़लत फहमी हुई है और मेरा नाम विनय है.
फिर वो आदमी बोला कि में मज़ाक कर रहा हूँ और अब उसने मज़ाक में विनय को गाली दे दी तो विनय भड़क गया और उससे झगड़ा करके वहां से चला गया. फिर जब वो अपने रूम पर पहुंचा तो इस बारे में सोचने लगा और फिर उसे लगा कि हो ना हो मेरी ही शक्ल का एक और आदमी जिसका नाम अरविन्द है और वो इस शहर में रहता है.
फिर विनय सोचने लगा कि क्या यह अरविन्द नाम का बंदा क्या सही में मेरे जैसा ही दिखता है और अब विनय के मन में भी उससे मिलने की इच्छा होने लगी. फिर विनय ने इस बात को कुछ देर सोचकर अपने दिमाग से निकाल दिया.
लेकिन कुछ दिनों के बाद वही आदमी उसे दोबारा दिखाई दिया और विनय उसके पास चला गया और उससे पूछा कि और आप कैसे हो? तो उस आदमी ने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा कि क्यों उस दिन तो मुझे पहचानने से भी इनकार कर रहे थे तो फिर आज कैसे पहचान लिया?
विनय : यार प्लीज मुझे माफ़ करना और उस दिन मेरा दिमाग़ थोड़ा खराब हो गया था, मेरे एक बॉस ने मेरी गांड में डंडा कर रखा है तो उस चक्कर में तुम पर गुस्सा निकल गया.
वो आदमी : चल कोई बात नहीं यार तू भी ऐसे उदास हो जाता है, चल अब हम कोल्ड ड्रिंक पीते है.
विनय : कोल्ड ड्रिंक पीते हुए विनय ने उससे कहा कि भाई मैंने तुम्हे एक मैसेज किया था तो तुमने उसका कोई जवाब नहीं दिया?
वो आदमी : लेकिन मुझे तो तुम्हारा ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला ( और अब वो अपना मोबाईल बाहर निकालकर उसमें मैसेज दिखाने लगा. )
विनय : क्यों दिखा? ( तो विनय ने उसका मोबाईल लेकर अरविन्द का एक मैसेज खोला और उसका मोबाईल नंबर मन ही मन याद कर लिया. ) हाँ यार पता नहीं क्यों नहीं पहुंचा?
फिर विनय वहां से चला गया और अपने रूम पर आकर उसने उस नंबर की सभी जानकारियां निकलवाई और वो उसी काम को करता था तो उसे जानकारी निकालने में ज्यादा समस्या नहीं हुई और अब उसे अरविन्द के बारे में सब कुछ पता चल गया.
दोस्तों अरविन्द एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था, उसकी एक पत्नी है और जिसका नाम नम्रता है, उनकी शादी को तीन साल हुए है और विनय को उसके घर का भी पता चल गया था. अगले दिन उसने अरविन्द को फोन लगाया.
और उससे मिलने की बात कही तो अरविन्द मान गया और उसके अगले दिन वो एक होटल में मिले, विनय वहां पर पहले ही पहुंच गया था और जब अरविन्द ने उसे देखा तो वो एकदम आशचर्यचकित हो गया और वो कहने लगा कि तुम तो एकदम मेरे जैसे ही लग रहे हो और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे में कोई आईना देख रहा हूँ.
विनय : हाँ मुझे भी बिल्कुल ऐसा ही लग रहा है.
अरविन्द : लेकिन तुम्हे यह कैसे पता कि में तुम्हारे जैसा ही दिखता हूँ?
फिर विनय ने अरविन्द को उस दिन वाली वो बात उसे पूरी विस्तार बता दी और उस दिन से वो दोनों एक बहुत अच्छे दोस्त हो गये, जाने से पहले विनय ने अरविन्द को कहा कि तुम इसके बारे में किसी को कुछ नहीं कहना, हम लोगो को बेवकूफ़ बनाएँगे. फिर अरविन्द उसकी यह बात मान गया.
फिर अरविन्द और विनय गहरे दोस्त बन गये थे. एक दिन विनय ने अरविन्द को खाना खाने के लिए अपने घर पर बुलाया और उन दोनों ने साथ में बैठकर बहुत दारू पी और बहुत मस्ती भी की और सेक्स के बारे में भी बातें की और ब्लूफिल्म भी देखी और ब्लूफिल्म देखते देखते अरविन्द, विनय से बोला.
अरविन्द : यार विनय यह ग्रूप सेक्स में कितना मज़ा आता होगा ना?
विनय : भाई मुझे तो बिल्कुल भी पता नहीं, क्योंकि मैंने तो कभी ऐसा किया ही नहीं.
अरविन्द : भाई हम अगली बार एक रंडी लेकर आते है. फिर हम मिलकर उसके मजे लेंगे.
विनय : हाँ ठीक है भाई हम दोनों उसके साथ मस्त मज़े करेगे.
अरविन्द : ( फिर दुखी होकर बोला ) भाई में तो अपनी जिन्दगी से बहुत दुखी हो गया हूँ और मेरा मन करता है कि में कहीं भाग जाऊँ, यह दुनिया अब मुझे काटने को दौड़ती है.
विनय : हाँ भाई मेरा भी यही हाल है.
फिर वो दोनों सो गए और अगले दिन रविवार था तो दोनों को ऑफिस जाने की कोई टेंशन नहीं थी, सुबह वो दोनों थोड़ा देर से उठे और फिर बातें करने लगे. फिर विनय ने कहा कि यार रात को तुम्हे बहुत नशा हो गया था, क्या हुआ लाईफ में सब कुछ ठीक तो है ना? अरविन्द ने कहा कि नहीं यार में अब इस लाईफ से बहुत पक गया हूँ और इस लाईफ से कुछ दिनों की छुट्टी चाहता हूँ.
विनय ने कहा कि मेरे पास एक आइडिया है जिससे तू अपनी लाईफ से छुट्टी ले सकता है? तो अरविन्द ने कहा कि भाई मुझे मरना नहीं है. फिर विनय ने कहा कि नहीं यार देख हम दोनों अपनी लाईफ एक दूसरे से बदल लेते है क्यों तू इस बारे में क्या कहता है?
अरविन्द को विनय की यह बात बहुत अच्छी लगी, लेकिन उसने एक शर्त रखी कि विनय उसकी पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा और विनय ने भी यह अरविन्द को कहा कि वो उसकी पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा और वो दोनों मान गए.
फिर विनय ने कहा कि उसको चार पाँच दिन में वापस लखनऊ जाना है तो वो साथ चलने के लिए तैयार रहे. फिर कुछ दिनों के बाद विनय ने अरविन्द को रेलवे स्टेशन पर बुलाया और उसे सब कुछ समझा दिया और अरविन्द ने भी उसे सब कुछ समझा दिया कि घर कैसा है कितने रूम है और प्यार से वो अपनी पत्नी को क्या कहता है और सारी बातें.
फिर वो दोनों पब्लिक बाथरूम में गये और उन्होंने अपने कपड़े और बाकी की चीज़े बदल ली आईडी पास और बाकी चीज़े. फिर वहां से अरविन्द लखनऊ के लिए निकल गया और विनय, अरविन्द के घर के लिए. दोस्तों अब विनय यह बात सोच रहा था कि वहां पर क्या होगा?
विनय जो अब अरविन्द बन चुका था और अरविन्द के घर पर पहुंच गया और फिर उसने घंटी बजाई, नम्रता ने दरवाज़ा खोला तो विनय नम्रता को देखता ही रह गया और वो क्या एकदम गोरी चिट्टी और उसकी लम्बाई करीब 5.6 होगी और उसके मस्त उभरे हुए बूब्स, पतली कमर और मस्त गांड थी.
उसका फिगर करीब 34-30-36 होगा और जिसने विनय के होश बिल्कुल ही उड़ा दिए थे. फिर विनय को वहीं पर खड़ा हुआ देखकर नम्रता ने उससे कहा कि अंदर भी आओगे या वहीं पर खड़े रहोगे? और तब विनय को होश आया और अंदर जाते जाते उसे अरविन्द की वो शर्त याद आ गयी (तुम मेरी बीवी को हाथ नहीं लगाओगे).
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नम्रता : क्या बात है आप आज बड़ी जल्दी आ गए?
विनय : हाँ वो आज काम थोड़ा जल्दी खत्म हो गया था तो में जल्दी आ गया.
नम्रता : आप फ्रेश हो जाए और में आपके लिए चाय और नाश्ता बना देती हूँ.
विनय : हाँ ठीक है.
फिर विनय बेडरूम में ना जाकर लिविंग रूम की तरफ जाने लगा तो नम्रता ने उससे कहा कि आप वहां पर कहाँ जा रहे है? तभी विनय को होश आया और उसने बात को संभालने के लिए कहा कि वो कल मैंने एक फाइल रखी थी तो में वही ढूँढ रहा हूँ.
फिर नम्रता ने कहा कि आप उसे बाद में ढूँढ लेना, पहले फ्रेश हो जाओ और अब विनय ने थोड़ा ध्यान से पूरे घर को देखा और फिर बेडरूम में चला गया और कपड़े बदलकर बाथरूम में फ्रेश होने चला गया, वहां पर उसने देखा कि नम्रता की ब्रा, पेंटी पडी हुई थी.
और अब विनय अपने आपको रोक नहीं पाया और उसने नम्रता की पेंटी और ब्रा को हाथ में लेकर महसूस करने लगा और अब उसका नज़रिया बदलने लगा तो वो नम्रता के साथ सेक्स करने के बारे में सोचने लगा, लेकिन वो यह बात सोचकर भी डरता था कि कहीं अरविन्द भी उसकी पत्नी के साथ चुदाई ना कर दे?
फिर उसे लगा कि वो भी कौन सा दूध का धुला होगा जो वो मेरी बीवी को नहीं चोदेगा और फिर यह बात सोचकर विनय ने नम्रता की पेंटी को सूँघा और फिर वहीं पर रख दी और फ्रेश होकर वो वापस बेडरूम में आ गया, जहाँ पर नम्रता चाय और नाश्ता लेकर उसका इंतज़ार कर रही थी.
और वहां पर बैठकर वो दोनों चाय पी रहे थे और नम्रता अपनी कुछ बात बता रही थी, लेकिन विनय का पूरा ध्यान तो नम्रता के उस जिस्म पर लगा हुआ था. नम्रता ने उस समय बड़े गले की ढीली मेक्सी पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी छाती साफ साफ दिख रही थी और वो चाय की चुस्की के साथ साथ उसे निहार रहा था.
तभी नम्रता ने पूछा कि है ना? तो विनय ने कहा कि हाँ सही बात है, अब उनकी चाय खत्म हो गई थी और वो अब वहां से उठकर किचन में खाना बनाने के लिए चली गई और विनय वहीं पर बैठा हुआ टी.वी. देखने लगा, लेकिन उसका पूरा ध्यान तो अब भी नम्रता पर ही था और वो सोच नहीं पा रहा था कि कहाँ से शुरू करूं?
फिर रात का ख़ाना खाकर वो लोग सोने की तैयारी करने लगे और विनय अपने आपको बहुत काबू में रखते हुए सोने लगा, लेकिन अब उसकी आखों में नींद कहाँ आनी थी? रात को करीब बारह बजे उससे जब रहा नहीं गया तो वो उठकर नम्रता के बदन को देखने लगा.
उस समय नम्रता पीठ के बल सोई हुई थी तो उसकी सासों के साथ साथ उसके बूब्स भी लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे, जो कि विनय को और भी पागल बना रहे थे. अब उसने बहुत आराम से उसकी मेक्सी के ऊपर के तीनों बटन खोल दिए, नम्रता ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई था(दोस्तों अधिकतर औरतें सोते समय अपनी ब्रा उतार देती है).
और अब विनय के सामने उसके बूब्स बेपर्दा हो गये थे और जिसकी वजह से विनय उन्हें बहुत आराम से देख पा रहा था और अब विनय ने अपना एक हाथ उसके बूब्स पर रख दिया और धीरे धीरे बूब्स को सहलाने, दबाने लगा और उसे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था. तभी नम्रता ने नींद में कहा कि आप यह क्या कर रहे है? विनय ने तुरंत अपना हाथ उसके बूब्स से हटा लिया.
फिर नम्रता ने उससे कहा कि प्लीज आप मुझे सोने दीजिए ना और यह कौन सा टाईम है? प्लीज कल कर लेना. फिर विनय को एहसास हुआ कि वो तो अब अरविन्द है जो यह बात सोचकर बहुत खुश होकर उठकर बाथरूम में चला गया और मुठ मारकर नम्रता के साथ लिपटकर सो गया.
फिर अगले दिन जब विनय सोकर उठा तो उसने देखा कि तब तक नम्रता उठ चुकी थी और वो उसके लिए चाय बनाकर ले आई और अब वो उससे कहने लगी कि उठ गये आप, क्या बात है रात को बड़ा प्यार आ रहा था? विनय ने तुरंत नम्रता का एक हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लिया और उससे कहा कि क्या में अब तुमसे प्यार भी नहीं कर सकता?
और वो नम्रता की गर्दन पर किस करने लगा. फिर नम्रता ने कहा कि छोड़िये आप भी ना सुबह सुबह क्या बात है आज कल जनाब के मिज़ाज़ थोड़े बदले बदले है और वो इतना कहकर वहां से चली गई. दोस्तों उस दिन रविवार था तो उसे कोई काम नहीं था और नाश्ता करने के बाद विनय को रात की बात याद आई.
और वो तुरंत उठकर सीधा अब किचन में चला गया और उसने नम्रता को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा. फिर नम्रता ने कहा कि कल से देख रही हूँ जनाब बड़े आशिकाना हो रहे है क्या बात है?
तो विनय ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं बस ऐसे ही मुझे तुम पर प्यार आ रहा था और अब वो उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाने लगा तो नम्रता ने कहा कि यहाँ खाना कौन बनाएगा? और जब वो कह रही थी तो उसने उसे किस करना शुरू कर दिया और अब नम्रता भी धीरे धीरे गरम होने लगी थी.
नम्रता को उसने बेड पर लेटा दिया और फिर वो उसके ऊपर लेट गया और उसके पूरे बदन पर किस करने लगा और अब उसने नम्रता की मेक्सी को उतार दिया और नम्रता के बूब्स को किस और सक करने लगा, जिसकी वजह से नम्रता पूरी तरह से धीरे धीरे गरम हो रही थी.
अब विनय उसकी पेंटी की तरफ गया और उसने उसकी पेंटी को एक ही जोरदार झटके में उतार दिया और वो उसकी चूत को चाटने लगा. फिर नम्रता ने कहा कि यह आप क्या कर रहे है? तो विनय ने कहा कि इससे सेक्स करने में ज्यादा मज़ा आता है तो नम्रता को उसके मुहं से यह सब सुनकर बहुत अजीब सा लगा.
लेकिन वो उस समय अंदर ही अंदर कामवासना की आग में जल रही थी तो इसलिए उसने कुछ भी नहीं कहा. अब विनय उसकी चूत को चाट रहा था और फिर वो अपने पूरे कपड़े उतारकर नम्रता के ऊपर चढ़ गया और उसने अपना लंड नम्रता की चूत पर लगाकर एक ज़ोर का झटका मारा.
और अपना आधे से ज्यादा लंड नम्रता की चूत में उतार दिया और उस दर्द की वजह से नम्रता एकदम से सिहर कर रह गयी और फिर एक और जोरदार झटके के साथ विनय का पूरा लंड नम्रता की चूत में था. अब विनय ने लगातार झटके मारने चालू किए.
और पूरे कमरे में पच फच पछ और नम्रता के चीखने, चिल्लाने की आवाजे गूंजने लगी तो वो कुछ देर के धक्कों के बाद चूतड़ को उठा उठाकर अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी, लेकिन कुछ देर की चुदाई के बाद नम्रता का पूरा शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई, जिससे उसकी चूत और फिसलन भरी हो गयी.
अब विनय का लंड और भी तेज़ी के साथ आगे पीछे जाने लगा और विनय ने भी अपनी धक्कों की रफ़्तार को बढ़ा दिया था और वो भी कुछ ही देर में उसकी चूत में झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया. फिर नम्रता ने उससे कहा कि आज कल आप बहुत जोश में आकर सेक्स करने लगे हो?
और अब विनय उसे किस करने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा और उसे एक बार फिर से चुदाई के लिए गरम करने लगा. फिर नम्रता ने कहा कि प्लीज अब छोड़ो भी, लेकिन विनय नहीं रुका और वो नम्रता को लगातार किस करता रहा और उसने नम्रता को अब पेट के बल लेटा दिया और वो उसकी कमर को किस करने लगा और उसकी गांड को दबाने लगा.
उसकी गांड में उंगली करने लगा. तभी नम्रता को यह सब बहुत अजीब लगा, क्योंकि अरविन्द कभी भी उसकी गांड को हाथ नहीं लगाता था और आज पहली बार उसकी गांड को कोई छू रहा था. फिर नम्रता ने तुरंत उससे कहा कि आप यह क्या कर रहे हो, प्लीज वहां पर मत करिए, लेकिन अब विनय उसकी कहाँ सुनने वाला था?
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और वो उसके ऊपर लेट गया और नम्रता उससे बार बार मना करती रही नहीं वहां नहीं प्लीज प्लीज, लेकिन विनय पर तो एक हवस सवार थी. फिर उसने अपने लंड पर थूक लगाकर उसकी गांड के मुहं पर अपना लंड लगाकर एक जोरदार झटका मारा, लेकिन लंड फिसल गया और नम्रता ने इससे पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी तो इसलिए वो चिल्लाने लगी.
फिर विनय ने उससे कहा कि प्लीज जानू मुझे आज बस एक बार करने दो इसके बाद में कभी नहीं करूँगा, लेकिन नम्रता मना करने लगी और विनय ने इस बार दोबारा अपना लंड गांड पर लगाकर एक ज़ोरदार झटका मारा और इस बार उसके लंड का सुपाड़ा नम्रता की गांड में था तो उस दर्द की वजह से नम्रता की चीख उसके मुहं में ही अटक गई.
और इस बीच विनय ने एक और झटका मार दिया, जिसकी वजह से उसका आधे से ज्यादा लंड नम्रता की गांड में जा चुका था और उसकी गांड पूरी तरह से फट गई थी और अब उसकी गांड से खून भी निकलने लगा था और जिसकी वजह से नम्रता बेहोश सी होने लगी थी और दर्द के मारे उसकी आखों से आँसू बह रहे थे.
फिर विनय ने थोड़ा रुककर झटके मारने शुरू किए. कुछ देर बाद उसके हल्के हल्के धक्कों के साथ अब नम्रता भी अपनी गांड में उसके लंड के मज़े लेने लगी, लेकिन ज्यादा जोश में होने की वजह से कुछ ही देर बाद विनय उसकी गांड में ही झड़ गया और थककर उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसकी गर्दन पर किस करता रहा.
फिर विनय ने नम्रता से बोला कि प्लीज तुम मुझे माफ़ कर दो. फिर नम्रता ने कहा कि आपने मेरे साथ ऐसा जबरदस्ती वाला काम क्यों किया और आप तो मेरे साथ कभी ऐसा नहीं करते थे? तो विनय ने कहा कि प्लीज डियर मुझे माफ़ कर दो, में कुछ अलग तरह से सेक्स के मज़े लेने की कोशिश कर रहा था और मुझे लगा कि तुम मेरा कहा मनोगी नहीं तो इसलिए मैंने तुम्हारे साथ यह सब जबरदस्ती किया.
फिर नम्रता ने कहा कि आप एक बार मुझसे पूछते तो सही और वो दोनों ऐसे ही वहीं पर लेटे रहे. दोस्तों अरविन्द अब तक लखनऊ पहुंच चुका था और वो अरविन्द के बताए हुए पते पर विनय के घर चला गया और फिर उसने घंटी बजाई. गरिमा ने दरवाज़ा खोला अरविन्द उसे देखता ही रह गया.
वो दिखने में बिल्कुल मस्त, गोरी पहाड़ी लड़की की तरह लग रही थी और उसका फिगर ना ज्यादा बड़ा था और ना ज्यादा कम था. अब गरिमा अरविन्द को विनय समझकर उसे देखते ही गले लग गई उस वजह से अरविन्द थोड़ा सा सकपका सा गया कि वो अब क्या करे, लेकिन उसने ज्यादा दिमाग ना लगाते हुए उस भी अपने गले से लगा लिया.
लेकिन तभी उसे अपना वो वादा याद आ गया (कि वो विनय की पत्नी हो हाथ नहीं लगाएगा) और वो यह बात सोचकर तुरंत गरिमा से अलग हो गया और अपना सामान लेकर अंदर चला गया. इस बात से गरिमा को थोड़ा अटपटा सा लगा.
लेकिन फिर उसने सोचा कि शायद सफ़र की वजह से वो थोड़ा ज्यादा थक गये होंगे और उसने कुछ नहीं बोला वो भी चुपचाप अंदर चली गई. फिर वो किचन में जाकर अरविन्द के लिए चाय और नाश्ता बनाकर ले आई. तो अरविन्द ने बाहर आकर उससे थोड़ी बहुत बात की ताकि गरिमा उससे ज्यादा सवाल ना करे.
फिर कुछ घंटो के बाद रात का खाना खाने के बाद वो दोनों सोने की तैयारी करने लगे (विनय और गरिमा सेक्स में एक दूसरे से हमेशा बहुत खुलकर बातें करते थे, लेकिन गरिमा ग्रूप सेक्स के लिए कभी भी राज़ी नहीं थी) तो गरिमा ने कहा कि आज मेरा बड़ा मन हो रहा है प्लीज चलो ना करते है कितने दिन भी तो हो गए है आज मेरा बड़ा मन कर रहा है.
गरिमा के मुहं से यह बात सुनकर अरविन्द भी थोड़ा गरम हो गया, लेकिन फिर उसे अपनी वो शर्त याद आ गई और उसने एक बहाना बना दिया कि वो थक गया है और अब उसे बहुत नींद आ रही है और गरिमा ने भी मन ही मन सोचा कि रहने दो शायद सच में थके होंगे.
अब अगले दिन से वो विनय की लाईफ जीने लगा और उसे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आ रहा था और वो इस बात का फायदा उठाकर पूरा लखनऊ घूमता तो कभी कभी वो मसूरी भी चला जाता और बहुत मजे करता रहा, लेकिन वो भी अब थोड़ा थोड़ा गरिमा की तरफ खिंच रहा था, लेकिन उसने आपने मन को बहुत काबू में रखा हुआ था.
एक सुबह सुबह जब अरविन्द उठा तो वो क्या देखता है कि गरिमा बाथरूम से सीधी बाहर निकलकर टावल लपेटकर बेडरूम में आ गई है और अब वो उसके सामने ही कपड़े बदल रही है. अब अरविन्द उसकी जवानी को देखकर बिल्कुल पागल होने लगा था.
लेकिन वो कुछ करना नहीं चाहता था इसलिए वो वहां से उठकर बाहर चला गया और उसका ऐसा व्यहवार देखकर गरिमा को बहुत बुरा लगा, लेकिन अरविन्द सीधा बाथरूम में गया और वो गरिमा के नाम की मुठ मारने लगा और अपने आपको शांत करने लगा.
फिर शाम को जब वो वापस आया तो गरिमा बहुत प्यार के मूड में थी और उसके अंदर आते ही उसने अरविन्द को तुरंत अपने गले से लगा लिया और फिर वो उसे जबरदस्ती प्यार करने लगी, लेकिन अरविन्द ने उसे दूर हटा दिया और आगे बढ़ गया.
फिर गरिमा ने उसे और भी मनाने की कोशिश की और उसने अरविन्द को पीछे से पकड़ लिया और हग करने लगी, लेकिन अरविन्द ने उसे एक बार फिर से अपने से अलग कर दिया. अब तो गरिमा अरविन्द का उसके लिए ऐसा बर्ताव देखकर और भी उदास होने लगी थी और उसे पता नहीं चल रहा था कि अरविन्द उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा था.
और वो भी अब अपनी पूरी जवानी उस पर उड़ेलना चाह रही थी, लेकिन अरविन्द था कि उसे पूरी तरह से नकार रहा था. फिर उसका ऐसा व्यहवार देखकर गरिमा तुरंत उसके आगे चली गई और अब उसने अपने बूब्स को खोलकर उससे कहा कि क्या हो गया है तुम्हे, मुझमें ऐसी क्या कमी है ध्यान से देखो में तुम्हारी वही पुरानी गरिमा हूँ?
अरविन्द : हाँ में वो सब अच्छी तरह से जानता हूँ.
गरिमा : तो तुम आज मुझसे ऐसा व्यहवार क्यों कर रहे हो, जैसे में कोई अजनबी हूँ?
अरविन्द : ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा तुम सोच रही हो.
गरिमा : फिर क्या बात है? मैंने तुम पर बहुत ध्यान दिया है और तुम्हे परखकर भी देखा है कि तुम जब से आए हो मुझे एक बार भी ध्यान से देख भी नहीं रहे हो?
अरविन्द : क्यों देख तो रहा हूँ? तो तुम ही मुझे बताओ कि में कैसे देखूं?
गरिमा : क्या देख रहे हो तुम मुझे प्यार क्यों नहीं करते, तुम्हे ऐसा क्या हो गया है?
अब गरिमा ने अरविन्द का हाथ उठाकर जबरदस्ती अपने बूब्स पर रख दिया और कहा कि तुम मुझे प्यार करो में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. फिर अरविन्द ने जैसे ही उसके बूब्स छुए तो उसके बदन में जैसे कोई करंट सा दौड़ गया, लेकिन उसने कुछ सोचकर तुरंत अपना हाथ हटा लिया और वो वहां से घर छोड़कर चला गया और अपने पीछे गरिमा को रोता बिलखता हुआ छोड़ गया.
अब गरिमा बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या करे? लेकिन उसने भी मन ही मन ठान रखी थी कि वो इस समय यमराज से भी अपने पति को लेकर ही रहेगी और रात के करीब दस बजे अरविन्द आया और आते ही वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गया.
लेकिन गरिमा भी आज अपने पूरे प्लान के साथ तैयार थी और उसने अरविन्द के लेटते ही उसे प्यार करना शुरू कर दिया, वो कभी उसे किस करती तो कभी उसके लंड को रगड़ती. अब उसके यह सब करने से अरविन्द का अपने ऊपर से काबू भी धीरे धीरे खोने लगा था.
लेकिन इसके बाद जो गरिमा ने किया उस काम से अरविन्द के सब्र का बाँध टूट गया और वो अब अपने काबू से बाहर हो चुका था, वो अब कामवासना की उस आग में जलने लगा था, क्योंकि गरिमा ने अरविन्द का लंड उसकी पेंट से बाहर निकालकर जबरदस्ती अपने मुहं में डाल लिया था और वो उसका लंड लोलीपोप की तरह बहुत मज़े लेकर चूसने लगी.
जिसकी वजह से अरविन्द एक बिना पानी के तड़पती हुई मछली जैसा हो गया था, लेकिन अब अरविन्द से ज्यादा देर रहा नहीं गया और उसने गरिमा के सर को पकड़कर अपने लंड पर दबाने लगा जिसकी वजह से गरिमा और तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी और वैसे भी अरविन्द बहुत दिनों से सेक्स से बहुत दूर था तो वो दस मिनट लंड को चूसने में ही उसके लंड का लावा गरिमा के मुहं में अब पूरी तरह से फूट पड़ा और गरिमा उसे पी गयी.
अब अरविन्द ने गरिमा की मेक्सी को उतारकर दूर फेंक दिया और उसने अपनी जीभ से उसके सारे बदन को नाप डाला, उसने ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी जहाँ पर उसने उसे चूमा ना हो जैसे एक बांध टूटने के बाद पानी सभी जगह पर पहुंच जाता है ठीक उसी तरह अरविन्द गरिमा के पूरे कामुक जिस्म पर टूट पड़ा था.
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इस बीच उसका लंड एक बार फिर से धीरे धीरे खड़ा होकर सांसे लेने लगा था और गरिमा की वो आहें उसके लंड को अपनी चूत में बुला रही थी. अब अरविन्द ने अपना लंड गरिमा की चूत के मुहं पर लगाकर एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे उसका आधे से ज्यादा लंड अब गरिमा की चूत में था और वो एकदम के चीखकर रह गई, लेकिन अरविन्द पर हवस अब इतनी बुरी तरह से हावी हो चुकी थी कि उसे गरिमा का दर्द से तड़पना, आहें, चीखे और अपनी वो शर्त कुछ भी याद नहीं थी.
और अब माहोल में अरविन्द के लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने की थप थप और गरिमा की चीखे पूरी तरह से घुली हुई थी. इस बीच अरविन्द का बदन अकड़ गया और वो गरिमा के अंदर ही झड़ गया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया और वो दोनों उसी हालत में सो गया. सुबह अरविन्द की पहले नींद खुल गई उसने अपने आपको नंगी गरिमा के ऊपर पाया और फिर उसे लगा कि यह उसने क्या कर दिया? और वो वहीं पर बैठकर अपने आपको दोष देने लगा.