Free Teen Sex Kahani
ये बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली में रहता था। मैंने अपनी इंजीनियरिंग दिल्ली से पास की और एक लिमिटेड कंपनी में नौकरी करता था। मैं साउथ दिल्ली के हौज खास में रहता था, मेरा घर कॉर्नर पर था। दूसरी तरफ एक परिवार मेरठ से आया था। उस परिवार में तीन लड़कियाँ थीं, एक छोटा भाई था, और उनके पिता गाजियाबाद में सरकारी नौकरी करते थे। Free Teen Sex Kahani
वो रोज सुबह चले जाते और रात को लौटते थे। मैं भी गबरू जवान था, और वो दोनों बहनें भी जवानी के जोश में थीं। बड़ी बहन की शादी हो चुकी थी, लेकिन वो भी अपने परिवार के साथ रहती थी। बाकी दो बहनें कुंवारी थीं। मेरा घर छोटा था, और मेरा बाथरूम उनके घर के बगल में था।
दिल्ली में पानी की किल्लत तो रहती ही है, इसलिए मैं रोज जल्दी उठ जाता था। वो दोनों बहनें भी जल्दी उठती थीं, और रोज सुबह मेरी उनसे नजरें चार होती थीं। जो भी बहन उठती, वो हँसकर मेरा स्वागत करती थी। दोनों बड़ी मस्त थीं। मैंने कसम खा ली थी कि मैं दोनों को चोदूंगा, और अगर दोनों नहीं तो कम से कम एक को तो चोद ही डालूंगा।
फिर क्या था, मैंने प्लानिंग शुरू कर दी। मेरी छुट्टी शाम 5:30 बजे हो जाती थी। मैं लाजपत नगर से मदनगीर के लिए बस नंबर 416 में चढ़ जाता था। बस में इतनी भीड़ होती थी कि कोई न कोई औरत या लड़की के पीछे से मेरा लंड सटता रहता था। ये मेरी रोज की आदत थी, और इसमें बड़ा मजा आता था।
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कभी-कभी बस में बूब्स भी दबाने को मिल जाते थे। बस का मजा लेकर मैं घर पहुँचता था, लेकिन जब घर पर ये दोनों बहनें दिखती थीं, तो मन और करता था कि इन्हें पकड़ लूं। पर सवाल था कि कैसे? इसी उधेड़बुन में कई दिन गुजर गए। वो दोनों बहनें रोज टहलने के बहाने मेरे घर के सामने से जोर-जोर से बातें करती हुई जाती थीं, कई चक्कर लगाती थीं।
मैं अकेला रहता था, तो मुझे खाना खुद बनाना पड़ता था। मैं खाना बनाने में मस्त रहता था, लेकिन थोड़ी हिम्मत बढ़ाकर मैं दरवाजे पर खड़ा होने लगा। अब वो दोनों मुझे देखकर हँसने लगीं, और ये सिलसिला कई दिन चला। मैं समझ गया था कि ये मेरा सिग्नल चाहती हैं।
एक दिन मैंने हिम्मत करके अपना सिग्नल दे दिया। बस, क्या था, उन दोनों ने आपस में जो भी फैसला लिया, मुझे नहीं पता, लेकिन छोटी वाली मुझसे खुलकर बात करने लगी। वो मेरे कमरे में आकर किचन में खड़ी होकर बातें करने लगी। कभी चिढ़ाती थी, “ये क्या खाना बनाया है, कहो तो मैं बना दूं?”
लेकिन मैं अभी भी डर रहा था कि शुरुआत कैसे करूं। मुझे नहीं पता था कि वो अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी दीदी के लिए आई थी। उसने कहा, “दीदी आपको पसंद करती हैं।” मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे, लेकिन मैं जाहिर नहीं करना चाहता था। फिर भी एक शक था कि कौन सी दीदी?
मैंने उससे पूछ लिया। उसने बताया, “छोटी दीदी।” मैं तो सातवें आसमान पर था। अरे, बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख! मैंने उसके गाल पर हाथ से सहलाया और कहा, “जा, उसे किसी बहाने भेज दे।” बस, क्या था, दस मिनट में वो आ गई। उसने बताया, “आप मुझे बुला रहे थे।”
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मैंने कहा, “बस, तुमसे बात करने का मन हुआ, इसलिए बुलाया।” फिर क्या था, वो रोज मेरे आने के बाद मेरे कमरे में आने लगी और मुझे ललचाती थी कि मैं उसे चोदूं। लेकिन मैं डर जाता था कि ये सब कैसे होगा। एक दिन हिम्मत करके मैंने उसे पकड़ लिया और अपने सीने से चिपका कर उसे किस करने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कुछ देर तक वो आनाकानी करती रही, लेकिन वो भी जानती थी कि वो यही चाहती थी। कुछ देर बाद वो नॉर्मल हो गई और मुझसे रिक्वेस्ट करने लगी कि मैं रात में आऊँगी। मैंने उसे जाने दिया, लेकिन सोचने लगा कि ये क्या कह गई। उस रात मेरी नींद उड़ गई थी, मैं सो नहीं पाया।
गर्मी के दिन थे, मेरे पास एक ही कमरा था। दूसरा कमरा मकान मालिक ने अपना सामान रखने के लिए लिया था, इसलिए मेरा कमरा बहुत गर्म हो जाता था। इसीलिए मैं बाहर फोल्डिंग कॉट डालकर सो जाता था। ये कॉलोनी एक बाउंड्री वॉल से घिरी थी, और रात में चौकीदार सीटी बजाता था।
इसलिए बाहर सोने में कोई डर नहीं था। उनके परिवार में लोग ज्यादा थे, इसलिए वो लोग भी बाहर सोते थे। उनकी दोनों बहनें बड़ी चालाक थीं। सबके किनारे एक पलंग पर सोती थीं, ऊपर से मच्छरदानी लगाकर, ताकि कोई परिवारवाला उन्हें देख न पाए। इधर, मैंने जल्दी खाना खाया और जल्दी से चारपाई बाहर लगाई।
मैं इंतजार करने लगा, मन में एक शंका थी कि वो आएगी या नहीं। समय जैसे गुजर ही नहीं रहा था। कभी मैं उठकर टीवी देखता, कभी रेडियो पर गाना सुनता। इस तरह रात के 11:30 बज गए, लेकिन वो अभी तक नहीं आई। चौकीदार अपनी सीटी बजा रहा था।
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मुझे चौकीदार को देखकर बड़ी जलन हो रही थी, लेकिन मैं जानता था कि ये साला 12 बजे के बाद सो जाता है। मैं भी इंतजार करने लगा। मेरी नींद गायब थी। मैं एक सुनहरे चूत की कल्पना में डूबा हुआ था। किसी तरह 12 बज गए, लेकिन वो अभी भी नहीं आई। मैं पागल था उसे चोदने के लिए।
मैं अपना लंड सहला रहा था और सोचने लगा, “बेटा, आज तुझे चूतिया बना गई, अब सो जा या मुठ मार ले।” मैंने जैसे ही अपना लंड गर्म करना शुरू किया, मुझे किसी के आने की आहट हुई। मैं चादर लपेटकर सोने का बहाना करने लगा। लेकिन ये क्या, वो आ गई और मुझे हिलाने लगी।
मैं एकदम से उठ खड़ा हुआ और देखा कि वो सामने खड़ी थी। बाहर खुले में उसे चोदने पर लोग देख सकते थे, इसलिए मैंने उसे जल्दी से कमरे के अंदर जाने को कहा। वो कमरे के अंदर चली गई। मैं इतना डर गया था कि मेरी गांड फट रही थी। क्या वो सचमुच मेरे कमरे में गई है?
मैं भी जल्दी से अंदर चला गया और दरवाजा बंद कर दिया। अंदर जाकर मैंने उससे पूछा, “कोई तुम्हें ढूंढ तो नहीं रहा होगा?” उसने कहा, “सब सो रहे हैं।” अब क्या था, मैंने उसे अपने साथ चिपका लिया। उसने कोई मना नहीं किया। मैंने उसके होंठों पर किस किया, और वो मस्त हो गई।
मैं उसके बूब्स दबाने लगा। मैंने देखा कि वो सिर्फ नाइट गाउन में आई थी, बिना पैंटी और ब्रा के। वो और मस्त होती जा रही थी। अब मैं समझ गया था कि वो चुदाई के लिए ही आई है। मैंने एक हाथ से उसकी चूत को बाहर से सहलाना शुरू किया, और वो और मस्ती में आने लगी।
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अब मैंने सोच लिया कि आज इसे चोद ही लेना है। मैंने उसका गाउन एक झटके में उतार दिया। उसने कुछ नहीं कहा। फिर क्या था, मैंने अपनी लुंगी उतारकर फेंक दी और उसके बूब्स चूसने लगा। वो इतनी मस्त हो गई कि मेरा लंड अपने हाथ से दबाने लगी।
मेरे लिए ये इतिहास रचने जैसा था, लेकिन डर भी लग रहा था कि कहीं कोई दरवाजा न खटखटा दे। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए थे। चूमा चाटी चल रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बगल में लेटकर उसके बूब्स काटने लगा। एक हाथ से उसकी चूत मसल रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब वो जोर-जोर से सिसकियां ले रही थी, “आह्ह्ह्ह… ऊऊऊ…” और मुझे न्योता भी दे रही थी, “बस, अब मुझे चोदो।” मैं समझ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें फैलाईं और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया। वो और मस्ती में अपनी गांड उछालने लगी और आवाज करने लगी, “अब डाल दो।”
मैंने उसकी चूत को हाथ से खोला और एक उंगली अंदर डाली। वो और ज्यादा गांड ऊपर उठाने लगी। मैंने देखा कि उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी। अब वो मुझसे रिक्वेस्ट कर रही थी, “अब मुझे चोद डालो।” मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया और सहलाने को कहा।
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जैसे ही मेरा लंड खड़ा हुआ, मैंने उसकी चूत में डाल दिया। वो एकदम से चिल्लाई, “दर्द हो रहा है।” मैंने उसे समझाया, “थोड़ा इंतजार कर लो, सब ठीक हो जाएगा।” थोड़ा इंतजार करने के बाद मैंने फिर एक झटका दिया। वो एकदम से चीख पड़ी, “हाय, मैं मर गई।” मैं उसके मम्मे दोनों हाथों से पकड़कर मसल रहा था और मुंह से उसके होंठ चूस रहा था। मेरा लंड अब अंदर-बाहर हो रहा था। अब वो भी मजा ले रही थी, और मैं तो सातवें आसमान पर था। चुदाई का मजा पूरे शबाब पर चढ़ रहा था।
वो धीरे-धीरे आवाज में कह रही थी, “मुझे और चोदो… आह्ह्ह्ह… ऊऊऊ… और जोर से… मजा आ रहा है… हाय… मुझे और चोदो।” ये आवाज सुनकर मैं और जोर-जोर से अपना लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। पंद्रह मिनट बाद वो पहले झड़ गई, फिर मैं भी झड़ गया। अब हम दोनों बिस्तर पर पड़े रहे। मैंने उससे पूछा, “तुम्हें कोई ढूंढ तो नहीं रहा होगा?” उसने कहा, “मेरे राजकुमार, मैं पूरा इंतजाम करके आई हूँ।” फिर हमने पूरी रात तीन बजे तक मजा किया, फिर वो चली गई।
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