Mausi Jordar Chudai
नमस्ते दोस्तों, मैं आरव शर्मा, चुदाई की शुरुआत के भाग 11 में आपका स्वागत करता हूँ। पिछले भाग चुदासी मम्मी चुदवाने के लिए मान गई 10 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने मौसी की चुदाई की और उनकी बातों को सुनके मुझे एहसास हुआ कि मैं कितना खराब इंसान हूँ। और मैंने तय कर लिया कि मैं खुद को सुधारूँगा और साथ ही अजीत को सबक भी सिखाऊँगा। और इसके लिए मैंने मम्मी और सविता आंटी को भी अपने साथ मिला लिया था। अब आगे। Mausi Jordar Chudai
अगली सुबह जब मैं सोके उठा तो सब बाहर ठंड में बैठके चाय पी रहे थे। प्रिया मौसी ने मुझे भी चाय का कप पकड़ा दिया।
मैं: ब्रश तो करने दो।
प्रिया: पहले चाय पी ले, उसके बाद कर लेना।
मैं वही सविता आंटी के पास बैठ गया।
मैं: प्लान बनाया? कुछ सोचा?
सविता: अभी कोई प्लान नहीं बनाया। कुछ भी नहीं सूझ रहा यार।
मैं: तो सोचो, बनाओ प्लान।
नानी: कौन सा प्लान?
मैं: प्लान? हाँ वो प्लान। मैं सविता आंटी को बोल रहा था कि अपना शिमला आए हुए हैं। ठंड का भी मौसम है। बनाओ कुछ घूमने-फिरने का प्लान। लाइक, अभी तो टाइम है। आराम से घूम भी सकते हैं।
माँ: पर आरव, अभी कहाँ घूमेंगे? शादी की तैयारियाँ हैं। समझ बेटा।
मैं: जानता हूँ मम्मी। पर शिमला अपना रोज़-रोज़ तो आते नहीं हैं। अभी भी अपना कितने टाइम बाद आए हैं।
माँ: पर बेटा…
प्रिया: दीदी, अगर वो इतना कह रहा है तो चलते हैं ना।
रीना: एक काम करते हैं। कॉटेज चलते हैं। आराम से एक-दो दिन वहाँ रुक भी जाएँगे और हिल स्टेशन भी घूम लेंगे।
सविता: कॉटेज?
रीना: हाँ अरे सविता, कॉटेज याद नहीं?
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सविता: हाँ कॉटेज याद आया। अपना सब जाते थे बचपन में। यार, इतना टाइम हो गया है। बहुत सारी चीज़ें दिमाग से निकल गई हैं।
मैं: कॉटेज? अपना पास कॉटेज है?
माँ: हाँ, तेरे नानू का है।
मैं: सही में नानू?
नानू: हाँ, बहुत बड़ा कॉटेज है। और अभी तो उसपे बर्फ भी होगी। बर्फबारी की वजह से।
मैं: तो वही चलते हैं।
नानी: पर कॉटेज काफी टाइम से बंद है। सफाई करनी होगी उसकी।
मैं: उसकी चिंता आप मत करो नानी। वो हम कर लेंगे।
नानी: हम कर लेंगे बेटा? पता है कितना बड़ा है वो कॉटेज?
मैं: तो एक काम कर लेंगे। जहाँ रुकना है और जो-जो मेन एरियाज़ हैं, वो साफ कर लेंगे। वैसे भी कोई 5-6 दिन के लिए तो जा नहीं रहे हैं। 2-3 दिन बस।
प्रतिक्षा: आरव कह तो सही रहा है।
माँ: एक काम करते हैं। कोई 2-3 जाने कॉटेज चले जाते हैं। वो कॉटेज खोलके उसकी सफाई शुरू करेंगे। तब तक बाकी के जाने भी आ जाएँगे।
राजीव: तो ठीक है। मैं और अजीत चले जाते हैं। आप लोग आ जाना।
नानू: नहीं-नहीं दामाद जी, आप दोनों नहीं जा सकते। अपने को मार्केट चलना है ना।
राजीव: अरे हाँ, फिर।
मैं: मैं चला जाता हूँ। और कोई एक जाना और आ जाओ।
रीना: मैं चलती हूँ।
मैं: ठीक है। मैं और रीना मौसी जाके कॉटेज खोलते हैं। सफाई शुरू करते हैं। आप लोग आ जाना।
प्रतिक्षा: ठीक है। कोई दिक्कत नहीं है। और मैं और प्रिया दीदी नाश्ता बना लेते हैं।
माँ: प्रतिक्षा, मैं भी आती हूँ।
उसके बाद हमने नाश्ता किया और मैं और रीना मौसी कार में बैठके कॉटेज के लिए निकल गए। कॉटेज करीब आधे घंटे की दूरी पे था घर से। पर एक दिक्कत थी। कल रात भारी बर्फबारी हुई थी, जिस वजह से कॉटेज के रास्ते पे बर्फ जमा हो गई थी। इसलिए हम कार लेके नहीं जा सकते थे। इसलिए बाकी का रास्ता हमें पैदल ही तय करना पड़ेगा। हमने चलना शुरू ही किया था कि थोड़े दूर जाते ही मम्मी का कॉल आया मौसी।
रीना: हाँ दीदी।
माँ: तुम लोग कहाँ हो?
रीना: हम बस कॉटेज पहुँच गए हैं। हाँ और एक बात और। बर्फबारी की वजह से कॉटेज के रास्ते पे बर्फ है। तो हम कॉटेज पैदल ही जा रहे हैं।
माँ: तो थोड़ा जल्दी पहुँचो। अभी खबर आई है कि आज ज़ोरदार बर्फबारी होगी। शायद हम अभी तो नहीं आ पाएँगे। पर तुम दोनों वेट मत करना। सीधा कॉटेज पहुँचो। इससे पहले बर्फबारी शुरू हो।
रीना: ठीक है दीदी।
मैं: थोड़ा जल्दी चलना पड़ेगा।
रीना: हाँ, कोई भरोसा नहीं बर्फबारी कब शुरू हो जाए।
उसके बाद मैं और मौसी फटाफट कॉटेज की ओर जाने लगे। हम थोड़ी ही दूरी पे थे और बर्फबारी भी शुरू हो गई। लेकिन किस्मत तो खराब ही है। हमारी साइड में एक नदी चल रही थी और मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं मौसी से टकरा गया। और मैं और मौसी दोनों नदी में गिर गए। और हमारे सारे कपड़े भीग गए। और ऊपर से पानी इतना ठंडा और साथ में ये बर्फबारी। हमारी हालत खराब होने लगी थी।
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मैं: मौसी, सॉरी। गली से बैलेंस बिगड़ गया।
रीना: अभी सो सॉरी का टाइम नहीं है। जल्दी चल। नहीं तो ठंड से यहीं मार जाएँगे।
मैं और मौसी ठंड से थिथुरते हुए कॉटेज पहुँचे और जल्दी से अंदर चले गए। लेकिन जैसा कि मैंने कहा, किस्मत ही खराब है। इलेक्ट्रिसिटी ही नहीं थी।
रीना: अरे नहीं, बिजली तो आ ही नहीं रही है। हीटर भी कैसे चलाएँगे?
मैं: मौसी, पहले ये कपड़े खोल लो। ठंड से जान चली जाएगी नहीं तो।
रीना: क्या बोल रहा है आरव? मैं तेरे सामने कैसे…
मैं: अरे मेरे सामने नहीं। कोई ब्लैंकेट तो होगा। कपड़े खोलके वो ढक लो।
रीना: हाँ रुक। स्टोर रूम में होंगे कंबल।
मैं और मौसी स्टोर रूम में गए और जब हमने कंबल निकाले तो हमारा दिमाग और खराब हो गया था। सारी कंबलों को चूहों ने कुतर दिया था।
मैं: ये-ये सारी तो चूहों ने कुतर दी हैं।
रीना: हे भगवान, क्या कर रहे हो ये आप?
मैं: कुछ तो होगा। कोई कंबल तो होगी।
मैंने थोड़ा ढूँढा तो मुझे एक कंबल मिली जो एकदम सही कंडीशन में थी। लेकिन एक ही कंबल थी।
मैं: मौसी, ये लो। आप तो ये लो। मैं और ढूँढता हूँ।
मौसी ने कंबल ली और वहाँ से चली गईं। और जाते-जाते मुझे बोला:
रीना: आरव, जल्दी से कंबल ढूँढके मेरे कमरे में आ जाना।
मैंने बहुत ढूँढा लेकिन मुझे एक भी कंबल नहीं मिली। मैं फिर हार मानकर मौसी के पास चला गया। मौसी ने अपने कपड़े खोल दिए थे और वो कंबल ओढ़कर बिस्तर पे बैठी थीं।
रीना: क्या हुआ? कंबल नहीं मिली?
मैं: नहीं मौसी। लेकिन कोई दिक्कत नहीं है। मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही है।
रीना: पागल हो गया है क्या आरव? हाइपोथर्मिया हो जाएगा तू… तू एक काम कर। कपड़े खोल और मेरे साथ ही कंबल में आ जा।
मैं: अरे नहीं मौसी। मैं बोल रहा हूँ ना, मैं ठीक हूँ।
मैंने बोल तो दिया लेकिन मेरी हालत ठंड से खराब हो रही थी। मैं बुरी तरह से थिथर रहा था।
रीना: हाँ वो तो दिख रहा है तू कितना ठीक है। जैसा बोल रही हूँ वैसा कर। कपड़े खोल और इधर आ।
मेरे पास और कोई चारा नहीं था। मैंने मेरे कपड़े खोले। सिर्फ़ अंडरवियर रहने दी और मौसी के पास चला गया। जैसे ही मैं उनके पास गया, उन्होंने कंबल हटाई और उनका वो जिस्म मेरे सामने था। हालाँकि उन्होंने ब्रा और पैंटी पहने हुए थे। लेकिन फिर भी उनका जिस्म इतना कातिल लग रहा था कि मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया था। मैं फटाफट उनके पास बैठ गया और उन्होंने कंबल वापस ढक ली। लेकिन इस चक्कर में हमारा मेरा ठंडा शरीर उनके गरम जिस्म से टच हो गया और उनकी बॉडी में सुरसुरी छूट गई।
मैं: क्या हुआ?
रीना: तेरा पूरा शरीर ठंडा है।
मैं: सॉरी।
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रीना: तू एक काम कर। मेरे से और चिपक के बैठ। ऐसे क्या होगा? अपना दोनों की बॉडी हीट अपनी बॉडी को गरम रखेगी।
मैं भी मौसी के और चिपक के बैठ गया। हालाँकि ये चीज़ थोड़ी अजीब थी क्योंकि हम दोनों मौसी और भांजा थे। और ऐसे चिपक के बैठना उनके लिए थोड़ा अजीब था। पर मजबूरी थी। इस चक्कर में उनके बूब्स मेरे हाथ पे टच हो रहे थे।
मैं: मौसी, लगता नहीं है ये बर्फबारी जल्दी रुकेगी।
रीना: सही कह रहा है।
मैं और मौसी ऐसे ही चिपक के बैठे रहे। पर सबसे बड़ी दिक्कत तो ये थी कि इस वजह से मेरा लंड सख्त होना शुरू हो गया था और मेरी साँसें भी तेज़ हो रही थीं। इसलिए मैंने सोचा थोड़ा दूर हो जाता हूँ। और जैसे ही मैं हिला, मेरा हाथ सीधा मौसी की चूत पे चला गया और मौसी उछल पड़ीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं: सॉरी सॉरी। गलती से लग गया।
रीना: क्या कर रहा है आरव? ध्यान रख।
मैं: सॉरी। वो मैं हिल रहा था। इस वजह से…
रीना: क्यों हिल रहा था? पता है कि अपना को अभी चिपक के बैठना है ताकि गरम रहे।
मैं: अब कैसे बताऊँ आपको।
रीना: मतलब?
मैं: आपको मेल बायोलॉजी के बारे में क्या पता है।
रीना: पता तो है। क्यों?
मैं: वो होता है ना जब एक लड़का और लड़की थोड़ा ज़्यादा ही करीब बैठे हो तो छोटे नवाब खड़े हो जाते हैं।
रीना: छोटे नवाब? … हे भगवान तेरा… छी आरव।
मैं: छी क्या? क्या मैं क्या कर सकता हूँ? नेचुरल है।
रीना: फिर भी आरव, मौसी हूँ तेरी। थोड़ा तो कंट्रोल रख।
मैं: नहीं रख सकता। मेरे हाथ में नहीं। और अभी मेरा हाथ भी आपके वहाँ लग गया। इसलिए ये और…
रीना: ठीक ठीक है। थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा।
5 मिनट बीत गए लेकिन मेरा लंड तना रहा।
मैं: ये तो नीचे ही नहीं जा रहा।
रीना: क्या? अभी तक नहीं? कुछ तरीका होगा।
मैं: है एक। हिलाना पड़ेगा।
रीना: क्या? छी, मैं नहीं करूँगी।
मैं: आपको करना भी नहीं है। मैं कर लूँगा।
रीना: यहीं पे?
मैं: तो और कहाँ पे? देखो मौसी, मुझे करना पड़ेगा। नहीं तो ये ऐसे ही तना रहेगा।
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रीना: ठीक है कर। हे भगवान, क्या दिन हैं। अपने ही भांजे के साथ सिर्फ़ ब्रा-पैंटी में बैठी हूँ और उसपे भी वो साइड में बैठके हिला रहा है। और ऊपर से ये बर्फबारी और कंबल भी नहीं। दिमाग खराब हो रहा है।
मैंने अपना लंड हिलाने लगा। करीब 5 मिनट बाद मेरा वीर्य निकल गया। लेकिन सारा का सारा वीर्य मौसी के ऊपर चला गया।
रीना: छी आरव, क्या कर रहा है? ईव्व, ये क्या किया तूने? कितना गंदा है ये।
मैं: मौसी सॉरी। माफ कर दो। जहाँ निकला, उस डायरेक्शन में आप बैठे हुए थे। इसलिए आपके ऊपर ही निकल गया। सॉरी सॉरी।
रीना: ठीक ठीक है। अब तो शांत हो गया वो।
मैं: हाँ वो नहीं।
मैंने हल्की सी कंबल हटाके मेरा लंड मौसी को दिखाया और वो अब भी तना हुआ था। जैसे आज वो शांत ही नहीं होना चाहता था। खैर, मौसी ने मेरे लंड की तरफ़ देखते ही मुँह फेर लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रीना: आरव, क्या कर रहा है? मौसी हूँ थोड़ी तो शर्म कर कि क्या दिखाना है और क्या नहीं।
मैं: सॉरी।
रीना: वैसे एक चीज़ तो माननी पड़ेगी। तेरा मोटा है।
ये सुनके मैं हँस रह गया। जो मौसी थोड़ी देर पहले इतना बोल रही थीं, वो एकदम से मेरा लंड की तारीफ कर रही थीं।
मैं: शुक्रिया।
रीना: कसम से, तेरी गर्लफ्रेंड के मूँह में पानी आ जाएगा।
मैं: मौसी, ये कैसी बात कर रहे हो आप।
रीना: अब इतना शॉक क्यों हो रहा है? ज़रा देख। एक बार अपना को नंगे बैठे हैं साथ में। और तूने अपनी मौसी के साइड में बैठके ही अपना लंड हिलाया है। और तेरा सारा माल भी मुझ पे ही निकाल दिया। अब तुझे लगता है ये बातें अजीब हैं?
मैं: नहीं लगता तो नहीं है। अगर ऐसी ही बात है तो आपने पहले कभी सेक्स किया है?
रीना: कैसी बात कर रहा है? शर्म नहीं आती?
मैं: अभी तो आपने बोला ये बातें अजीब नहीं हैं।
रीना: फिर भी…
मैं: अरे बताओ ना।
रीना: हाँ किया है। तेरे मौसा जी के साथ। मतलब होने वाले मौसा जी के साथ।
मैं: ओह्ह। उनका लंड कैसा था?
रीना: आरव!
मैं: प्लीज़ बताओ ना।
रीना: तेरे जितना ही लंबा था। पर मोटा नहीं था। तू बता, कभी सेक्स किया है?
मैं: बहुत बार किया है। और एक के साथ नहीं। 3-3 के साथ।
रीना: 3? मतलब तूने 3 लड़कियों को चोदा है?
मैं: हाँ। 2 के साथ तो थ्रीसम किया था।
रीना: तू तो बड़ा हरामी है। वो बात अलग है तेरा लंड भी ऐसा है। एक बार कोई चुद जाए तो पागल ही हो जाएगी।
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मैं: आप चुदवाओगी?
रीना: आरव, क्या बदतमीज़ी है ये?
मैं: मज़ाक-मज़ाक कर रहा था। सॉरी। वैसे एक बार चुके तो देख ही सकती हो।
रीना: आरव!
मैं: एक बार सोच के देखो। इतना मोटा। फिर नहीं मिलेगा। और एक बार चुने में तो कुछ नहीं जा रहा ना।
मौसी थोड़ा सोच में पड़ गईं।
रीना: ठीक है।
उसके बाद मौसी ने धीरे से मेरा लंड पकड़ लिया। उन्होंने जैसे ही पकड़ा, मेरा लंड और ज़्यादा सख्त हो गया।
रीना: बाप रे, कितना मोटा है ये।
फिर मौसी ने अपने आप ही मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया। मुझे भी मज़ा आने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने सोचा कि क्या मौसी की चूत मसलना शुरू कर दूँ। मैंने थोड़ी हिम्मत की और मौसी की पैंटी से ही उनकी चूत पे हाथ रख दिया। मौसी ने पहले तो मुझे देखा लेकिन कुछ कहा नहीं।
इसलिए मैंने उनकी चूत को मसलना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद मैंने उनकी पैंटी में हाथ डालके उनकी चूत मसलना शुरू कर दिया और साथ ही उनकी चूत में उँगली भी डाल दी। जिससे वो आहें भरने लगीं। अब मौसी मेरा लंड हिला रही थीं और मैं उनकी चूत में उँगली कर रहा था।
हम दोनों पे वासना सवार हो गई थी। हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा और मैंने झट से उनको किस कर लिया। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं। किस करते-करते ही मैंने मौसी की ब्रा उतार दी। जिससे उनके तरबूज़ जैसे बूब्स बाहर आ गए और मैं उन्हें चूसने लगा। और फिर उन्होंने भी अपनी पैंटी उतार दी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने मौसी को लिटाया और उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत पूरी गीली थी और कसम से उनकी चूत बिल्कुल मम्मी की चूत जैसी थी। थोड़ी देर तक मैंने उनकी चूत चाटी और फिर मैंने उनको बिठाया और अपना लंड उनके मुँह पे रख दिया।
मैं: मौसी, मुँह खोलो और चूसो इसे।
मौसी ने भी मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगीं। कसम से बहुत मज़ा आ रहा था। लंड चुसाई की वजह से उनके मुँह से बहुत सारी लार गिर रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने मौसी को फिर लिटाया और अपना लंड उनकी चूत में सेट कर दिया और एक ज़ोरदार धक्के से उनकी चूत में पेल दिया। जिससे उनकी चीख निकल गई। और कसम से उनकी चूत बहुत टाइट थी।
मैं: हाँ मौसी, बहुत टाइट है आपकी चूत।
रीना: काफी टाइम से चुदाई नहीं हुई है। और तेरा मोटा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है।
मैंने मौसी की चूत फाड़ चुदाई शुरू कर दी। मैं उनकी चुदाई करता रहा और वो आहें भरती रहीं। करीब आधे घंटे तक उनकी चूत चुदाई करने के बाद मैंने अपना सारा वीर्य उनके मुँह पे निकाल दिया। जिससे उनका पूरा मुँह मेरे माल से भर गया। उसके बाद मैंने मौसी को डॉगी पोज़िशन में किया लेकिन उनकी चूत की जगह उनकी गांड में अपना लंड डालने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रीना: आरव, नहीं वहाँ नहीं।
लेकिन मैंने मौसी की एक ना नहीं सुनी और उनकी गांड में लंड डालने लगा। उनकी गांड बहुत टाइट थी। लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी और एक ज़ोर के झटके से अपना लंड उनकी गांड में डाल दिया। और इसकी वजह से मौसी बहुत ज़ोर से चिल्लाईं। कसम से अगर आसपास किसी का घर होता तो वो ये चीख सुनके सीधा आ जाता।
खैर, मौसी दर्द से रो रही थीं लेकिन मैंने उनपे ध्यान नहीं दिया और उनकी गांड की चुदाई करने लगा। पहले तो वो दर्द में बहुत चिल्ला रही थीं लेकिन थोड़ी देर बाद आहें भरने लगीं। हालाँकि उनके आँसू अब भी नहीं रुके थे। करीब 15 मिनट तक उनकी गांड चोदने के बाद मैं उनकी गांड में झड़ गया।
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और फिर हमने और कुछ घंटे चुदाई की। जब तक हम थक के सो नहीं गए। अगली सुबह मैं उठा तो देखा बर्फबारी अब भी हो रही है। लेकिन मौसी मेरे साइड नहीं थीं। मैंने देखा तो मौसी अपने कपड़े पहनके सोफे पे बैठी और रो रही थीं। मैं कंबल ओढ़के ही उनके पास गया।
मैं: मौसी, क्या हुआ?
रीना: आरव, ये अपना ने क्या कर दिया? मैंने क्या कर दिया? अपने ही भांजे के साथ। छी आरव, अपना पाप हो गया बेटा।
मैं: मौसी, शांत शांत। रो मत प्लीज़। इसमें आपकी गलती नहीं थी। कल अपना दोनों ही वासना में बह गए थे।
रीना: जो भी हो, मुझे खुद पे काबू रखना चाहिए था। मैं तेरी मम्मी को क्या मुँह दिखाऊँगी? और अगर ये बात किसी को पता चल गई तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी। मम्मी-पापा की बदनामी होगी। मेरी शादी टूट जाएगी। आरव, ये क्या कर दिया मैंने?
मैं: मौसी, शांत। मैं बोल रहा हूँ ना, इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। प्लीज़ खुद को दोष मत दो। और किसी को तो तब पता चलेगा ना जब हम में से कोई किसी को बताएगा। मौसी, प्लीज़ मेरी बात मानो। इसे एक बुरा सपना समझके भूल जाओ। मैं जानता हूँ ये आसान नहीं है। लेकिन मौसी, आप खुद को गिल्ट में नहीं डाल सकतीं।
मेरी बात सुनने के बाद मौसी रोते-रोते कमरे से बाहर चली गईं और मैं वही खड़ा रह गया। फिर से खुद पे शर्मिंदा। जो नहीं करना था वो फिर कर दिया। अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मौसी को कैसे संभालूँ। बाकी की कहानी अगले भाग में।
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