New Lesbian Porn
मेरा नाम संजना है, मैं 22 साल की हूँ और मेरा साइज़ 30-35-40 है। मैं अपनी माँ और पिताजी की इकलौती बेटी हूँ। मेरा भाई रवि 25 साल का है। मेरी माँ 40 साल की हैं और हमारे पिताजी का देहांत हो चुका है। मेरी माँ एक कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। यह घटना मेरे जीवन की सबसे अहम घटना है, यहीं से मेरी ज़िंदगी ने नया मोड़ लिया। New Lesbian Porn
यह घटना करीब 10 महीने पहले मेरे साथ हुई थी, लेकिन मुझे लगता है जैसे यह अभी-अभी हुई हो। एक रात को मैं नींद से जाग उठी क्योंकि मुझे प्यास लग गई थी। मैं किचन की तरफ बढ़ गई, फ्रिज से पानी निकाला और पी लिया। फिर मैं अपने कमरे की तरफ चल दी।
तभी मुझे माँ के कमरे से अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। मैंने की होल से अंदर देखा तो मैं चौंक उठी। अंदर का नज़ारा देखकर मैं चकरा गई क्योंकि मेरी माँ और रवि भैया पूरी तरह नग्न होकर एक-दूसरे को चूम रहे थे। मैंने ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत और मर्द को इस हालत में देखा था।
माँ, रवि भैया का लंड हाथ में लेकर उसे हिला रही थीं और भैया माँ की चूत को चाट रहे थे। माँ जोर से बोल रही थीं, “माँचोद, अपनी माँ की चूत और जोर से चूस, बहुत सताती है ये चूत तेरी माँ को।” यह कहकर माँ ने भैया का लंड मुँह में लिया और उसे चूसने लग गईं। माँ लंड बहुत अच्छे तरीके से चूस रही थीं।
इसे भी पढ़े – अपनी टाइट गांड में मेरा लंड लिया भाभी ने
भैया गांड उठा-उठाकर लंड अंदर-बाहर कर रहे थे। फिर भैया ने एक झटका लगाया और उनके लंड ने माँ के मुँह में सफेद पानी छोड़ दिया। माँ ने सारा पानी पी लिया और बोलीं, “बेटे, कितना अच्छा लगता है तेरा पानी पीना।” इधर मेरी हालत यह सब देखकर पतली हो गई।
मेरे हाथ अपने आप मेरी जांघों पर चले गए और मेरी चूत पर फिरने लगे। फिर मैं वहाँ से चल पड़ी और अपने कमरे में जाकर अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न हो गई। मैंने अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर आग बुझाने की कोशिश करने लगी। थोड़ी देर में मैं शांत हो गई और मुझे कब नींद आ गई, यह मुझे पता नहीं चला।
सुबह 9 बजे मैं उठी, कपड़े पहने और सुबह के काम निपटाकर नहाने चली गई। अभी भी मेरी आँखों के सामने रात के दृश्य आ रहे थे और मैं मदहोश होती जा रही थी। शावर ऑन होते ही मेरे बदन पर पानी गिरने लगा। पानी गिरने से मैं और मदहोश होती जा रही थी।
मैंने सारे कपड़े उतारे और अपने बदन को शीशे में देखने लग गई। मैं अपने स्तनों को हाथों में लेकर जोर से दबाने लग गई। मेरे हाथ फिर मेरी चूत पर फिरने लगे। चूत पर बाल थे, वो मैंने साफ किए और चूत में उंगलियाँ डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
शावर लेने के बाद मैंने खाना खाया और सोने चली गई। अब मुझे भी किसी मर्द की ज़रूरत महसूस होने लगी थी। मुझे भी किसी मर्द के लंड को हाथ में लेकर चूसने और बाद में चूत में लेने की इच्छा होने लगी थी। अब हमारे घर पर माँ और भैया के चले जाने के बाद मैं, हमारा नौकर और नौकरानी ही रहते थे।
इसे भी पढ़े – ससुर साथ सुहागरात मनाई कामुक बहु ने
वो एक शादीशुदा जोड़ा था और हमारे बंगले में बने सर्वेंट रूम में रहते थे। मैं उन्हें आंटी और अंकल कहकर पुकारती थी। अंकल का नाम राजू (35) और आंटी का सुधा (30) था। सुधा आंटी बहुत सुंदर और भरे बदन की मालकिन थीं। वो जब भी चलती थीं तो गांड मटकाकर चलती थीं और उनके स्तन भी बहुत बड़े-बड़े थे।
उनकी कोई संतान नहीं थी। राजू अंकल भी दिखने में अच्छे थे और उनकी बॉडी भी अच्छी थी। वो हर रोज़ सुबह एक्सरसाइज़ करते थे तो मैं उनकी बॉडी की तरफ देखती ही रहती थी। उनकी पैंट का उभार मुझे अच्छा लगता था। मैं यही सोचते हुए सोने लग गई।
इतने में किसी ने बाहर से दरवाज़ा बजाया। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने सुधा आंटी खड़ी थीं। आंटी ने कहा, “मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए तुम्हारे पास चली आई।” मैंने कहा, “चलो, कोई बात नहीं।” और हम दोनों अंदर चली गईं। बेड पर जाकर हम दोनों बैठ गए और बातचीत करने लग गए। तभी आंटी मेरे पास आईं और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैंने कहा, “आंटी, क्या कर रही हो?”
तो आंटी बोलीं, “प्यार कर रही हूँ।”
आंटी ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया। सच बोलूँ तो आंटी ने ऐसा किया, ये मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं पहले से ही आंटी के शरीर की दीवानी थी, उनका छूना मुझे अच्छा लगता था। मैं भी आंटी के मांसल उभार दबा रही थी। फिर मैंने कहा, “आंटी, क्यों न पूरे कपड़े उतार फेंके?” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इसे भी पढ़े – भाभी मुझे सोता देख मेरा लंड पकड़ने लगी
मैं तो आंटी के स्तन और गांड देखकर हैरान रह गई। मैं पहली बार आंटी को इस हालत में देख रही थी और आंटी भी मुझे। फिर आंटी ने मुझे चूमना शुरू किया। मैंने भी अपनी जीभ उनके मुँह में डालकर चूमना शुरू किया। बहुत अच्छा लग रहा था। अब आंटी मेरे स्तन दबा रही थीं, मैं तो हवा में उड़ रही थी।
मुझे अपने स्तन दबवाना अच्छा लग रहा था। मैं आंटी को और जोर से दबाने के लिए कह रही थी, “आआआ उग्ग्ग्ग अ और जोर से दबाना।” आंटी ने मुझे कहा, “मुझे आंटी मत कहना, संजू, सुधा कहकर बुलाना।” मैंने कहा, “ठीक है।” सुधा जान, ज़रा जोर से दबाना।
अब सुधा मेरे निप्पल मुँह में लेकर चूस रही थीं। उफ्फ्फ्फ, क्या मज़ा था, मैं बयान नहीं कर सकती। फिर सुधा मेरी चूत की ओर गईं और बोलीं, “संजना, बाल कब साफ किए?” मैंने कहा, “कल ही साफ किए।” सुधा मेरी चूत को चूसने लग गईं। उफ्फ्फ्फ, मैं उनका सिर पकड़कर दबाने लग गई।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। वो जोर से चूसने लग गईं और बोलीं, “संजना, क्या चूत है तेरी, एकदम मक्खन, चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है।” मैं अपने हाथों से खुद अपने ही स्तन दबा रही थी और अजीब सी आवाज़ें बाहर आ रही थीं, “आआआ माँआआआ और और अंदर डालो सुधा डार्लिंग, तुम्हारी जीभ को।”
इसे भी पढ़े – भाई बहन की चुदाई लीला बाप ने देखी
वो और जोर से चूसने लग गईं। फिर मैं शांत हो गई और मेरा पानी छूटा। वो सुधा ने बड़े प्यार से पूरा पी लिया और मेरी चूत साफ करने लग गईं। इतने में मुझे फिर आ गया और मैंने सुधा के मुँह में छोड़ दिया। वो तो हैरान रह गईं और कुछ बोल नहीं पाईं और मेरा पूरा मूत पीना पड़ा। वो बोलीं, “क्या टेस्टी है।”
अब मैंने कहा, “तुमने तो मेरी चूत चूसी, अब मुझे चूसने दो।” सुधा ने हाँ कर दी। अब मैं उनकी चूत को चूमने जा रही थी। मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी की चूत को चूसने जा रही थी। मैंने उनकी टांगों को चूमना शुरू कर दिया तो उनके मुँह से आवाज़ें निकलने लग गईं।
आखिर में उनकी चूत चाटने लग गई। जीभ बाहर निकाली और उनकी चूत को फैलाया और जीभ अंदर डाल दी। क्या स्वाद था उनकी चूत का, आआआ। उनकी चूत थी भी वैसी, बड़ी और साफ-सुथरी। मुझे उनकी चूत की खुशबू बहुत अच्छी लग रही थी, लगता था जैसे चंदन लगाया हो। मैंने जीभ से चूसना शुरू किया तो वो चिल्ला उठीं और मेरे बाल पकड़कर सिर को चूत पर जोर से दबाने लग गईं।
इसे भी पढ़े – चुदासी मम्मी चुदवाने के लिए मान गई 10
“साली कुतिया, और जोर से चूस ना, उउउफ्फ्फ माँमाँ और जोर से चूस कुतिया।” ऐसी गंदी-गंदी गालियाँ बक रही थीं, “मेरा पूरा पानी निकाल दे और सारे पानी को पी जा, ह्ह्ह्हुआ म्म्म्मा आउउउउ।” ऐसी आवाज़ें निकाल रही थीं। मैंने शरारत से एक उंगली अंदर डाली, वो बोलीं, “ऐसा ही कर संजू मेरी जान, बहुत अच्छा लगता है।” फिर मैंने एक उंगली उनकी गांड के छेद पर रख दी और अंदर डालने की कोशिश करने लग गई तो बोलीं, “डाल ना मेरी गांड में उंगली कर, उउउउग्ग।” फिर वो जोर से झड़ गईं तो मैंने उनका सारा पानी पी लिया।
क्या टेस्ट था, लाजवाब, आहहह। फिर मैंने उनकी गांड को भी चाटना शुरू किया तो वो सिहर उठीं और गांड को आगे-पीछे करने लग गईं। मैंने उनकी गांड के छेद को फैलाया और फिर चाटने लग गई तो सुधा को बहुत गुदगुदी होने लग गई। फिर हम शांत हो गए और एक-दूसरे को पकड़कर सो गए। मैंने ऐसा ही कहा, “सुधा, तुम्हें राजू अंकल चोदते नहीं क्या?” तो वो बोलीं, “बहुत चोदते हैं और रात को सोने नहीं देते।” तो मैं बोली, “मुझे भी उनसे चुदवाना है और उनके लंड को चूसना भी है।” तो वो बोलीं, “ठीक है, उन्हें भी तुम्हें चोदना अच्छा लगेगा।”
प्रातिक्रिया दे