Hot XXX Chudai Kahani
आशा है पिछली कहानियों की तरह यह कहानी भी आप लोगों को पसंद आएगी। जैसा कि आप लोग जानते हैं कि मैं एक सरकारी दफ्तर में ऑडिट ऑफिसर हूँ और अक्सर मेरा तबादला ऑडिट के लिए दूसरे शहर के कार्यालय में होता रहता है। ऑडिट के कारण मुझे कई-कई महीनों तक दूसरे शहर में रहना पड़ता है। Hot XXX Chudai Kahani
एक बार ऑडिटिंग के लिए मेरा तबादला कुछ महीनों के लिए नागपुर के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वहाँ मुझे मेरे दफ्तर के कर्मचारी की मदद से एक मकान किराए पर मिल गया। उस मकान में मकान मालिक, उनकी बीवी और एक लड़का रहते थे। मकान मालिक करीब 50 साल के थे, जो एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, और उनकी बीवी करीब 42 साल की थी।
उनकी कोई औलाद नहीं थी, इसलिए उन्होंने 15 साल पहले अनाथ आश्रम से 2 साल के लड़के को गोद लिया था। उनकी बीवी को मैं मौसी कहकर बुलाता था और मकान मालिक को अंकल। कुछ ही दिनों में मैं उन लोगों से काफी घुल-मिल गया था और वे लोग मुझे घर का एक सदस्य ही समझते थे।
शनिवार और रविवार को मेरी छुट्टी रहती थी, इसलिए मैं घर पर ही रहता था और मौसी को बाजार से सामान लाने में मदद भी करता था। मौसी अंकल से ज्यादा सुंदर और स्मार्ट महिला थीं। उनकी चूचियाँ और चूतड़ तो बस गजब के थे। जब भी मेरी नजर उनकी चूतड़ पर पड़ती, मेरा लंड हर्कत करने लगता था।
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कुछ दिन पहले, उनका लड़का उनके रिश्तेदार के यहाँ छुट्टियाँ मनाने के कारण रहने गया था। घर पर केवल मैं, अंकल और मौसी ही थे। उस दिन शनिवार था, अंकल सुबह 8 बजे ही दफ्तर चले गए थे। मैं जब सुबह 10 बजे उठा और नहाकर किचन में गया, तो देखा कि मौसी मेरे लिए नाश्ता बना रही थीं।
मौसी ने नीले रंग की साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था और वे बहुत सेक्सी लग रही थीं। मुझे देखकर वे बोलीं, “अर्जुन बेटे, नहा लिए?” मैंने कहा, “हाँ मौसी,” और पास जाकर उनके पीछे खड़ा होकर देखने लगा कि वे क्या बना रही थीं। मैंने पूछा, “मौसी, नाश्ते में क्या बना रही हो?” वे बोलीं, “डोसा बना रही हूँ बेटे।”
इतने में वे झुककर नीचे से जब चटनी की बोतल निकाल रही थीं, तो उनकी गांड मेरे लंड से सट गई। ऐसा 2-3 बार हुआ, पर मौसी कुछ नहीं बोलीं। थोड़ी देर बाद वे बोलीं, “बाहर जाओ, मैं नाश्ता लेकर आती हूँ। नाश्ता करके मेरे साथ बाजार चलो, कुछ सब्जियाँ वगैरह खरीदनी हैं।”
मैंने कहा, “ठीक है,” और बाहर आकर बरामदे में बैठ गया। नाश्ता करके हम बाइक पर बाजार चले गए। बाइक चलाते वक्त मैं जोर से ब्रेक मारता, तो मौसी की चूचियाँ मेरे कंधे से दब जाती थीं, जिस कारण मैं बहुत गर्म हो रहा था। कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा कि मौसी खुद ही मुझसे चिपककर बैठी थीं और अपनी चूचियों को मेरे कंधे पर दबा रही थीं।
उनका एक हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए था, पर उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के पास थीं, जो मेरे लंड को छू रही थीं। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। बाजार पहुँचकर हमने सब्जियाँ लीं और जब लौट रहे थे, तो मौसी थोड़ा गांड मटकाकर चल रही थीं। इतने में सामने मौसी को एक बैंगन बेचने वाला दिखा, तो वे बोलीं, “चलो अर्जुन, बैंगन लेते हैं।”
हम बैंगन वाले के पास गए। मैं मौसी के पीछे खड़ा था। मौसी झुक-झुककर बैंगन छाँट रही थीं, तब कई बार उनकी गांड मेरे लौड़े से टकरा जाती थी। मौसी ने करीब 7-8 बैंगन लिए। जब हम बाइक के पास जा रहे थे, तो मैंने पूछा, “मौसी, इतने लंबे और पतले बैंगन का क्या बनाओगी?”
वे अचकचा गईं और घबराहट के मारे बोलीं, “भरता बनाऊँगी।” मैंने कहा, “इतने लंबे और पतले बैंगन का भरता कहीं बनता है?” वे कुछ नहीं बोलीं और फिर हम घर आ गए। घर आते ही मौसी टॉयलेट चली गईं और मूतने लगीं। उनकी आवाज सुनकर मैं बहुत पागल हो गया।
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मैंने झाँककर टॉयलेट के दरवाजे से देखा, तो मौसी मूतने के बाद वैसे ही साड़ी ऊपर करके खड़ी थीं। मौसी के गोरे थाइज़ से अपनी काली पैंटी को ऊपर करके चूत रानी को बंद किया। मैं तुरंत अपने कमरे में चला गया और मौसी अपने काम में लग गईं।
मैं कमरे में आकर 2 पेग व्हिस्की के पिए और टीवी देखने लगा, पर मेरा मन मौसी की चूतड़ और चूचियों पर था। करीब 1 बजे सारा काम करके मौसी नहाने चली गईं। नहाने के बाद मौसी बाहर आईं, तब उनके बाल गीले होने के कारण पीठ पर चिपक रहे थे। मौसी ने हल्के रंग की मैक्सी पहनी थी।
उनकी बॉडी गीली होने के कारण मैक्सी उनके शरीर पर चिपक गई थी। उनके सारे इनर गारमेंट्स मुझे बिल्कुल अच्छी तरह से दिखाई दे रहे थे। उन्होंने लाल रंग की पैंटी और ब्रा पहनी हुई थी। वे बहुत मदहोश दिख रही थीं। उनकी गांड का बड़ा शेप अच्छी तरह दिख रहा था। मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
जब मौसी अपने कमरे में चली गईं, तो मैं भी बाथरूम में घुस गया। मैंने देखा कि पैंटी और ब्रा खूँटी पर लटकी हुई थीं। वे सूखी थीं। मैं समझ गया कि मौसी नंगी नहा रही थीं। फिर मैंने उनकी पैंटी को लेकर कई बार सूँघा। उसमें से अजीब महक आ रही थी, जो मेरे शराब के नशे को और नशा दे रही थी।
फिर मैं बाथरूम से बाहर आया, तो देखा कि मौसी अभी तक अपने कमरे में थीं। कुछ देर बाद हम दोनों ने खाना खाया और टीवी देखने लगे। इतने में मौसी न्यूजपेपर लेकर कमरे में आईं और सोफे पर बैठकर न्यूजपेपर पढ़ने लगीं। अब मेरा ध्यान बार-बार मौसी की ओर जा रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इतने में मैंने देखा कि न्यूजपेपर का एक पेज नीचे गिर गया। मौसी झुककर उसे उठाने लगीं, तब उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों के दर्शन होने लगे, जिसे देखकर मेरा लंड फिर कड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मौसी ने दोनों पैर सोफे पर रखे हुए थे और उनकी मैक्सी घुटनों पर थी, जिस कारण उनकी गोरी-गोरी टाँगें दिखाई दे रही थीं।
मौसी मुँह के सामने न्यूजपेपर करके पढ़ रही थीं, जिस कारण उनका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था। इतने में मौसी ने अपनी टाँगों को फैला दिया, जिस कारण उनकी लाल पैंटी दिखाई देने लगी। मेरी समझ में नहीं आया कि वे जानबूझकर दिखा रही थीं या अनजाने में।
खैर, कुछ ही देर बाद अचानक न्यूजपेपर पढ़ते हुए उन्होंने अपना एक हाथ मैक्सी के अंदर डालकर पैंटी के ऊपर से ही चूत को खुजाने लगीं। यह सब देखकर तो मेरा लंड फुलकर खड़ा हो गया। अब मेरा ध्यान टीवी पर कम और मौसी की तरफ ज्यादा था। चूत खुजाने के बाद हाथ बाहर निकालकर वे न्यूजपेपर पढ़ने में मगन थीं।
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थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि न्यूजपेपर पढ़ते हुए उन्होंने फिर से वही हाथ मैक्सी के अंदर डाला और पैंटी को थोड़ा सरकाकर चूत के दाने को खुजाने लगीं। अब उनकी काली चूत और काले झाँटें मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहे थे। एक बार तो मेरा मन हुआ कि उठकर उनकी चूत को पेल दूँ, पर हिम्मत नहीं हुई।
फिर चूत के दाने को खुजाने के बाद हाथ बाहर निकालकर न्यूजपेपर पकड़कर पढ़ने लगीं। मैं उठकर पेशाब करके बाथरूम चला गया। जब मैं वापस आया, तो देखा कि फोन की घंटी बज रही थी। मौसी ने कहा, “अर्जुन, जरा फोन लेना तो।” मैंने फोन उठाया, तो अंकल का फोन था।
मैंने मौसी से कहा, “मौसी, आपके लिए अंकल का फोन है।” मौसी ने अंकल से बात करने के बाद काफी खुश नजर आ रही थीं। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वे बोलीं, “अर्जुन बेटे, आज ऑफिस का माल ट्रक में लेकर उड़ीसा जा रहे हैं और परसों वापस आएँगे।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, मैं हूँ ना।”
वे मुस्कुरा दीं और किचन में जाते-जाते बोलीं, “तुम टीवी देखो, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।” जब 10 मिनट हो गए और मौसी चाय लेकर नहीं लौटीं, तो मैं उठकर किचन की तरफ गया। मैंने देखा कि किचन का दरवाजा बंद था। मैंने दरवाजे की दरार से देखा, तो दंग रह गया।
मौसी बैंगन से अपनी चूत को चोद रही थीं। वे बैंगन को चूत के अंदर-बाहर करने लगी थीं और मुँह से आवाज निकाल रही थीं, “ऊऊऊ हाहा ऊच अहह हा अहा स्स्स। क्या मजा आ रहा है अहा अहा स्स्स।” इसे बोल रही थीं। और तेजी के साथ बैंगन को चूत के अंदर-बाहर करते हुए कहने लगीं,
“आह अर्जुन बेटा… आजा बेटा, आ मेरी चूत की खुजली मिटा दे। आ मादरचोद, अपनी चुदक्कड़ मौसी को चोद दे। गंदू, कितना भोला बन रहा है… भोसड़ी के, आज मेरी चूत पेल दे गंदू, ज्यादा भोला मत बन साले मादरचोद ऊऊऊफ्फ्फ। तू नहीं जानता कि ये चूत कितने सालों से प्यासी है। वो तो लंड अंदर डालते ही झड़ जाते हैं। ऊऊऊफ्फ्फ मैं प्यासी रह जाती हूँ।”
फिर थोड़ी देर बाद जोर से “आआ हहा ऊऊऊफ्फ्फ आह…” करते हुए उनकी चूत से सफेद चिपचिपा अमृत रस बाहर आने लगा। यह सब सुनकर मैं समझ गया कि वे मुझसे चुदवाना चाहती हैं। जब उनकी वासना शांत हुई, तो वे उठकर चाय कप में भरने लगीं। मैं तुरंत अपनी जगह आकर टीवी देखने लगा। हम दोनों चाय पीते हुए टीवी देखने लगे।
शाम को मैं बाजार चला गया और मौसी अपने काम में लग गईं। बाजार से व्हिस्की की बोतल लेकर मैं आया और कमरे में आकर पेग बनाया। एक पेग पीकर मैं किचन में गया, तो देखा कि मौसी खाना बना रही थीं और उन्होंने ट्रांसपेरेंट गाउन और काली पैंटी और ब्रा पहनी थी, जो मुझे गाउन से साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
यह सब देखकर मेरा लंड हर्कत करने लगा और मैं कमरे में आकर 3 पेग और पिए। इतने में मौसी ने डिनर के लिए मुझे आवाज दी। हम दोनों ने डिनर किया और मैं कमरे में आकर टीवी देखने लगा। मैं बनियान और लुंगी पहने हुए था। टीवी देखते-देखते मैं सोच रहा था कि आज तो मौसी को जरूर चोदूँगा, चाहे जो हो जाए।
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मौसी सारा काम खत्म करके कमरे में आईं। जब मैंने मौसी की तरफ देखा, तो मैं पागल हो गया, क्योंकि मौसी ने ट्रांसपेरेंट गाउन के अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था। वे अंदर बिल्कुल नंगी थीं। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और निपल्स साफ-साफ नजर आ रहे थे और काली चूत अच्छी तरह से नजर आ रही थी।
अब मेरा लंड फूलकर कड़क हो गया और लुंगी के ऊपर से लंड का उभार दिखाई देने लगा। मौसी हँसते हुए मेरे सामने बैठकर टीवी देखने लगीं। थोड़ी देर बाद मौसी ने टीवी देखते-देखते गाउन के ऊपर से ही चूत के दाने को खुजाने लगीं। इसे देखकर मैं बेकाबू हो गया और लुंगी में हाथ डालकर अंडरवियर से थोड़ा लंड बाहर निकाला, ताकि मौसी को मेरे मोटे और लंबे लंड के दर्शन हो जाएँ।
मैं लंड की आगे की चमड़ी को पकड़कर मसलने लगा। यह देखकर मौसी ने पूछा, “क्या हुआ अर्जुन?” मैं बोला, “मेरी खुजली आ रही थी, इसलिए खुजा रहा हूँ।” वे बोलीं, “मेरी भी यही हालत है,” और कहते हुए वे मेरे लंड को देखते हुए गाउन के ऊपर से ही चूत के दाने को मसलने लगीं।
यह सब देखते हुए मैंने हिम्मत करके उठा और मौसी के सामने खड़े होकर पूरा लंड बाहर निकाल लिया। इसे देखकर वे दंग रह गईं, उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैं बोला, “मौसी, तुम्हारी जैसी ब्यूटीफुल, सुंदर, सेक्सी लेडी आज तक मैंने नहीं देखी। तुम्हारे बूब्स और गांड देखकर कोई भी आदमी पागल हो जाएगा।”
यह सुनकर मौसी बोलीं, “फिर अभी तक मुझे क्यों तड़पाया?” मैंने कहा, “तुमने भी तो मुझे तड़पाया।” यह कहकर मैं मौसी के होंठों में होंठ डालकर चूसते हुए उनकी चूचियों को सहलाने और दबाने लगा। वे भी जोश में आकर मेरे लंड को पकड़कर सहलाने लगीं।
थोड़ी देर बाद हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गए और मौसी के कमरे में आकर उन्हें बेड पर लिटाकर उनकी चूचियों को दबाने लगा। क्या उनकी चूचियाँ थीं, वाकई बहुत ही मजा आ रहा था। फिर मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और जोर से चूसने लगा। मौसी भी उत्तेजित हो गई थीं और बोलीं, “और जोर से चूस, तेरे लिए ही हैं।”
फिर मैं उनके आर्मपिट्स की तरफ अपना मुँह लाया। वहाँ पर बहुत घने बाल थे और उसमें से जो स्मेल आ रही थी, वो बहुत अच्छी लग रही थी। इधर मौसी अपनी टाँगें फैलाकर अपनी उंगली चूत में डालने लगीं। मैंने कहा, “मौसी, यह काम अब मेरा है।” तो वे बोलीं, “जल्दी कर बेटे, मेरी चूत बहुत तड़प रही है।”
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मैं बोला, “तुम मुझसे डर्टी लैंग्वेज में ही बात करो।” तो उन्होंने कहा, “गंदू, चल पेल दे मेरी प्यासी चूत को।” मैंने फिर उनकी चूत पर मुँह रख दिया और जीभ से उनकी चूत को चोदने लगा। उनकी चूत काली थी। मैंने पूछा, “तुम इतनी गोरी हो और तुम्हारी चूत काली कैसे?” वे बोलीं, “क्या करूँ, चूत काफी प्यासी रहती है, तो मैं बैंगन डाल-डालकर रोज 4-5 बार चोदती हूँ, इसलिए चूत काली है।”
मैं जोर से जीभ से चूत को चोदने लगा। मौसी को बड़ा मजा आ रहा था। वे चिल्लाकर बोलीं, “मादरचोद, और जोर से चूस। तुझे आज मैं अपना चूत रस पिलाऊँगी। जोर-जोर से चाट गंदू ऊऊऊफ्फ्फ आह्ह्ह्ह। साले भेनचोद, अपनी मौसी की चूत चाटता है आह्हा… ऊफ्फ्फ मजा आ रहा है आह्ह… स्स्स्स… मेरा अब निकलने वाला है।”
और फिर उन्होंने मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगीं और कुछ ही पलों में उनकी चूत में सिकुड़न और फड़कन हुई और उन्होंने अपना सारा चूत रस मेरे मुँह में गिरा दिया। मैंने सारा चिपचिपा चूत रस पी लिया। तो वे बोलीं, “अब तुम मेरा चूत रस तो पी लिया, अब मैं चाहती हूँ कि मैं भी तुम्हारा लंड रस पियूँ।”
और वे खड़े होकर मेरे लंड को मुँह में लिया और चूसते हुए बोलीं, “अर्जुन, तेरा बहुत बड़ा और मोटा लौड़ा है रे। मैं रोज सुबह इसके दर्शन लूँगी।” फिर वे जोर-जोर से मुँह में लंड अंदर-बाहर करने लगीं। कुछ ही मिनटों में मेरा लंड रस उनके मुँह में निकल गया। वे बड़े प्यार से लंड रस को गटक गईं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
थोड़ी देर बाद मौसी ने फिर मेरा लंड हाथ में लिया और जीभ से चाटने लगीं। मैं भी मौसी की चूत और गांड में उंगली डाली और बूब्स चूसने लगा। कुछ ही मिनटों में मेरा लंड चुदाई के लिए फुलकर खड़ा हो गया। अब मैंने मौसी की दोनों टाँगों को फैलाकर उनकी चूतड़ के नीचे 2-2 तकिया रखा, जिससे उनकी चूत थोड़ी ऊपर उठ गई।
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मैं उनकी टाँगों के बीच आकर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के फट पर रखकर चूत के फट पर सुपाड़ा रगड़ते हुए जोर से एक धक्का मारा। चूत गीली होने के कारण लंड का सुपाड़ा फिसलकर चूत के अंदर घुस गया। फिर मैंने एक और धक्का मारा, तो आधा लंड उनकी चूत में समा गया। तो वे बोलीं, “अर्जुन, थोड़ा आहिस्ता-आहिस्ता डालो, तुम्हारा लंड मोटा है।” कुछ देर रुककर एक और जोरदार शॉट मारा, तो मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ चूत की गहराई में समा गया। मेरे लंड पर उनकी चूत कसी-कसी लग रही थी।
उनकी चूत की दीवारें मेरे लंड को मजबूती से जकड़े हुए थीं। अब मैं कमर उठा-उठाकर कस-कसकर चोदने लगा। मौसी बोलीं, “जोर-जोर से चोद मादरचोद… स्स्स्सी आह्ही आह्हा ऊऊऊफ्फ्फ जोर से गांडू, और जोर से आहा… ऊच।” मैं और जोर-जोर से चोदने लगा। करीब 15-20 मिनट बाद मेरे लंड पर मौसी की चूत ने सिकुड़न पैदा कर दी और वे कुछ ही पलों में झड़ गईं। उनके झड़ने के कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने भी उनकी चूत में पिचकारी मारकर झड़ गया। हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे पर सो गए। इस तरह मैंने कई बार अलग-अलग स्टाइल में मौसी को चोदा और गांड भी मारी।
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