XXX Mummy Gand Chudai
नमस्कार दोस्तों, मैं आरव शर्मा, चुदाई की शुरुआत के भाग 6 में आपका स्वागत करता हूँ। पिछले भाग चुदासी मम्मी चुदवाने के लिए मान गई 5 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने मम्मी को ज़बरदस्ती चोदने की कोशिश की थी, लेकिन वो हो नहीं पाया था। और मुझे एहसास भी हो गया था कि मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गई है। लेकिन रात को मम्मी मेरे कमरे में आईं और मेरे थोड़ा समझाने पर मुझसे चुदने के लिए तैयार हो गईं। और इसी वजह से मैंने उन्हें किस कर दिया। अब आगे… XXX Mummy Gand Chudai
मैं अपने होंठों को उनके होंठों पर चिपकाकर किस कर रहा था। हम दोनों किस करते-करते बिस्तर पर लोट-पोट हो रहे थे। इतने में मैंने गलती से मम्मी की शर्ट खींच दी और वो फट गई। लेकिन मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और सीधा उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा।
मम्मी भी सिसकारीयाँ ले रही थीं। इसके बाद मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े खोलने शुरू किए। और मैंने उन्हें भी कपड़े खोलने को कहा। थोड़ी देर में हम दोनों नंगे हो गए। मेरा मोटा लंड पूरी तरह तना हुआ था। मम्मी भी मेरे लंड को देख रही थीं।
मैं: क्या हुआ, ऐसे क्या देख रही हो?
माँ: तेरा लंड कितना मोटा है।
मैं: आपके लिए ही है।
माँ: नहीं, नहीं, मैं इतना मोटा लंड नहीं ले पाऊँगी।
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मैं: अरे, जब सविता आंटी इससे चुद गईं, तो आप तो चुद ही जाओगी।
माँ: हाँ, एक मिनट, क्या कहा तूने? सविता? तूने सविता को चोदा? कब?
मैं: कल, जब मैं उनके घर पर था।
माँ: रंड कहीं की! मैंने बोला था मेरे बेटे से दूर रहना, मैं उसको चोदूँगी नहीं।
वो ये बोलकर कमरे से जाने लगीं। मैंने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर फेंक दिया।
मैं: उनको बाद में देखना, पहले चुदाई तो कर लो।
माँ: लेकिन…
इससे पहले कि वो कुछ और बोल पातीं, मैंने अपना मोटा लंड उनके मुँह में डाल दिया।
मैं: हाँ, अब चूसो इसे।
माँ: आआ… ग्ग… ई ग्ग…
मैं: सही कर रही हो मम्मी, चूसती रहो, हाँ… ओह यार, मज़ा आ गया।
मम्मी मेरा लंड चूस रही थीं और मुझे मज़ा आ रहा था। करीब 5 मिनट तक उनके मुँह की चुदाई करने के बाद मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाला और उन्हें लेटा दिया। और सीधा उनकी चूत चाटने लगा।
मैं: ओह, तो ये है वो चूत जिससे आपने मुझे जन्म दिया था। कितनी मस्त है।
माँ: हाँ… ह्हा… हाँ, यही है वो चूत, चाट इसे, हाँ…
थोड़ी देर तक मैंने उनकी चूत चाटी और जब ये पक्का हो गया कि वो चुदाई के लिए तैयार हैं, मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सटा दिया।
माँ: देख बेटा, तेरा बहुत मोटा लंड है, रहने दे, मत चोद मुझे, मैं मर जाऊँगी।
मैं: ऐसे कैसे मर जाओगी? और मर जाओ तो मर जाओ, लेकिन आज तो मैं आपको चोदूँगा ही।
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और इससे पहले कि वो कुछ बोलतीं, मैंने अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया, जिसकी वजह से वो बहुत ज़ोर से चिल्लाईं। लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा। मैंने उनकी चुदाई शुरू कर दी और बहुत ज़ोर से पेल रहा था। और मम्मी भी चीखे जा रही थीं।
माँ: आआ… आआ… साले मदरचोद, थोड़ा आराम से कर, मैं मर जाऊँगी।
मैं: कोई आराम नहीं, एक ही मौका है, एक ही बार में आपको ऐसा चोदूँगा कि साल भर आपको चुदाई की ज़रूरत न पड़े।
माँ: नहीं… आआ… रुक जा… आआ…
मैं माँ की चुदाई करता रहा। थोड़ी देर बाद माँ की चीखें भी सिसकारियों में बदल गई थीं, मतलब उन्हें भी मज़ा आ रहा था। करीब आधे घंटे बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।
माँ: ये तूने क्या किया? मेरी चूत में ही झड़ गया, मैं प्रेग्नेंट हो जाऊँगी।
मैं: अरे, कुछ नहीं होगा। वैसे चुदाई कैसी थी?
माँ: सच बताऊँ, बहुत मज़ा आया। काफ़ी समय बाद ऐसे चुदाई हुई हूँ मैं। तेरे पापा भी इतनी बेरहमी से नहीं चोदते। खैर, अब तो चोद लिया ना मुझे, अब खुश?
मैं: अभी कहाँ, अभी तो मुझे महसूस भी नहीं हुआ है मुझे तो। अभी आपकी चुदाई बाकी है।
माँ: नहीं, ये गलत है। मैंने सिर्फ़ एक बार का बोला था।
मैं खड़ा हुआ और अपना लंड उनके मुँह पर रख दिया।
मैं: आप सचमुच इसे फिर से चुदना नहीं चाहतीं? सोच लो, मौका नहीं मिलेगा।
माँ थोड़ा सोच में पड़ गईं।
माँ: ठीक है, लेकिन तू मुझे दिन भर नहीं चोदेगा।
मैं: ठीक है।
माँ: मैं भी किसे बोल रही हूँ, जब पता है कि तू मुझे फिर भी चोदेगा।
मैं: खैर, वो छोड़ो, आप घोड़ी बनें।
माँ: क्या?
मैं: हाँ, हाँ, बनो।
माँ घोड़ी बन गईं और फिर मैं अपना लंड उनकी गांड पर फेरने लगा।
मैं: अब इसे चोदूँगा।
माँ: नहीं, तेरा लंड चूत में लिया था, उसमें ही जान निकल गई थी। गांड मरवाऊँगी तो मेरा चलना भी मुश्किल हो जाएगा, रहने दे।
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मैंने माँ की एक न सुनी और सीधा लंड उनकी गांड में डालना शुरू कर दिया, जिससे माँ की चीखें निकल पड़ीं। धीरे-धीरे मेरा लंड उनकी गांड में घुस गया और मैंने उनकी गांड की चुदाई शुरू कर दी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं: आह, कितनी टाइट है आपकी गांड, आह।
माँ: आआ… मर गई, मैं मर गई।
माँ के आँसू आने शुरू हो गए, लेकिन मैं नहीं रुका। मैं उन्हें चोदता रहा। थोड़ी देर बाद माँ को भी मज़ा आने लगा। अब हम दोनों पूरी तरह से चुदाई का मज़ा ले रहे थे। और थोड़ी देर बाद मैं उनकी गांड में झड़ गया।
माँ: अब तो मन भर गया।
मैं: नहीं।
माँ: साले, तू इंसान है या राक्षस? अभी तक मन नहीं भरा?
मैं: हाँ, और वैसे भी हो सकता है कि मैं आज के बाद आपको कब चोद पाऊँ। इसलिए मैं आज आपको ढंग से चोदना चाहता हूँ। इसलिए आज आपको पूरी रात चोदूँगा।
माँ: बेटे की ज़िद के आगे झुकना ही पड़ता है।
उसके बाद मैंने और माँ ने 2-3 घंटे और जमकर चुदाई की और फिर हम दोनों बिस्तर पर ही लेट गए।
माँ: अब तो मन भर गया।
मैं: नहीं, मन तो अभी भी नहीं भरा, पर आपको और ज़्यादा चोदूँगा तो हो सकता है आपकी हालत खराब हो जाए। इसलिए अभी के लिए इतना ही।
माँ: अरे वाह, अपनी माँ को जानवरों की तरह चोदने के बाद इतना सोच लिया तूने, साला मादरचोद।
मैं: मादरचोद तो मैं हूँ, और वो भी हमेशा के लिए। अब तो मैं आपको रोज़ चोदूँगा।
माँ: हाँ, ठीक है, ठीक है, चोद लेना, लेकिन तेरे पापा को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।
मैं: हाँ, ठीक है।
माँ: वैसे एक बात बता, तूने सविता को भी इतना ही चोदा था?
मैं: नहीं, उन्हें तो उल्टा और ज़्यादा चोदा था।
माँ: अच्छा, साली रंड कहीं की।
मैं: आप उन्हें क्या रंड बोल रही हैं, आप भी तो एक रंड ही हैं।
माँ: अपनी माँ से ऐसे बात करते हैं?
मैं: कौन सी माँ अपने खुद के बेटे से चुदवाती है?
माँ: अच्छा, तो कौन सा बेटा अपनी माँ को चोदने का ख्वाब देखता है?
मैं: मेरे जैसा एक हरामी बेटा।
माँ: हम्म, वैसे तुझे मुझमें और सविता में कौन ज़्यादा पसंद है?
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मैं: आप दोनों ही, दोनों में कुछ मुकाबला ही नहीं है। इसलिए मुझे आप दोनों को एक बार एक साथ चोदना है। कल सविता आंटी को बुला लो।
माँ: एक साथ? तू हम दोनों को एक साथ झेल लेगा?
मैं: आप दोनों मुझे एक साथ झेलोगे।
माँ: हाँ, वो भी है। चल, ठीक है, कल बुलाती हूँ उसे।
उसके बाद हम दोनों मेरे ही बिस्तर में नंगे ही सो गए। अगली सुबह मैं उठा तो मम्मी बिस्तर में नहीं थीं। मैंने उन्हें पूरे घर में ढूँढा, लेकिन वो कहीं नहीं थीं। मुझे लगा शायद मार्केट गई होंगी। इसलिए मैं फ्रेश हुआ, मुँह धोया और सविता आंटी को कॉल लगाया।
सविता: और मादरचोद, माँ की चूत कैसी लगी?
मैं: बढ़िया थी। एक मिनट, आपको पता है मैंने मम्मी को चोद दिया?
सविता: हाँ, और ये भी पता है कि तूने बाथरूम में क्या किया था। तू पागल है क्या? मैंने तुझे कहा था कि जो तूने मेरे साथ किया था, वही इसके साथ करना, न कि इसके साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश करना। ये तो शुक्र मना कि मैंने उसे समझाया, नहीं तो तू जेल में होता।
मैं: समझाया मतलब?
तब सविता आंटी ने बताया कि कल क्या हुआ था।
सविता: और प्रतिमा कैसी है?
मम्मी रो रही थीं।
सविता: हैलो प्रतिमा, क्या हुआ? तू रो क्यों रही है?
माँ: क्या बताऊँ सविता, मेरी तो ज़िंदगी खराब हो जाती।
सविता: मतलब?
माँ: आरव ने मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की। वो तो मैं बच गई, नहीं तो…
सविता: क्या? ये तू क्या बोल रही है? हे भगवान!
माँ: मैं सोच रही हूँ कि पुलिस को बुला लूँ।
सविता: नहीं, नहीं, ऐसा मत करना। मानती हूँ उसने गलत किया है, पर वो तेरा बेटा है। उसकी ज़िंदगी खराब हो जाएगी।
माँ: कौन सा बेटा अपनी माँ के साथ ऐसा करता है?
सविता: मैं समझती हूँ, पर तू प्लीज़ उसकी शिकायत मत कर। उसे समझा। इस उम्र में ऐसी भावनाएँ आती हैं। तुझे उसे समझाना होगा। और एक चीज़ और, देख ये कितनी बढ़िया बात है।
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माँ: इसमें क्या बढ़िया है?
सविता: अरे, कल हमने बात की थी ना? तूने बोला था कि तेरा बेटा तेरे बारे में क्या सोचेगा। देख, वो तेरे बारे में क्या सोचता है। वो भी तुझे चोदना चाहता है।
माँ: ये तू कैसी बात कर रही है? पागल है क्या? उसने मेरे साथ…
सविता: चुप हो जा। तू चाहती क्या है? तुझे ये जानना था कि वो भी चोदना चाहता है या नहीं? तो देख, वो चाहता है, तो चोद ना उसे। और देख, तेरे पास इससे अच्छा मौका नहीं है। मान ले, जो आज उसने तेरे साथ किया, अगर उसने वो किसी और लड़की के साथ कर दिया तो, तू अभी उसे समझा सकती है और साथ ही अपनी वासना भी मिटा सकती है। देख, मैं तो सिर्फ़ तुझे समझा सकती हूँ, बाकी तेरे ऊपर है।
माँ: लेकिन…
सविता: फिर लेकिन क्या? तू चाहती है कि तेरा बेटा किसी लड़की की ज़िंदगी खराब करे?
माँ: नहीं।
सविता: बस, तो जा, उसे समझा और चुद जा।
ये सुनने के बाद मुझे एहसास हुआ कि कैसे माँ ने मुझे इतनी जल्दी माफ कर दिया था और वो मुझसे नाराज़ नहीं थीं।
मैं: ओह सविता, मेरी जान, थैंक यू।
सविता: चुप कर, तेरा दिमाग़ खराब है क्या? तू शुक्र मना कि मैंने प्रतिमा को समझा दिया था, नहीं तो तू अभी जेल जाता।
मैं: सॉरी, सॉरी, लेकिन सब सॉर्ट आउट हो गया ना? माँ को भी चोद के अपनी रांड बना लिया। अरे हाँ, आज घर आना है आपको। आज आपको और मम्मी को साथ में चोदूँगा। और वैसे भी, कल-परसों तक पापा आएँगे। मैं सोच रहा था कि उनके आने से पहले आप दोनों की साथ में चुदाई कर दूँ।
सविता: एक मिनट, तूने अपनी माँ को बता दिया कि तूने मुझे चोदा था?
मैं: हाँ।
सविता: और उसने कुछ नहीं बोला?
मैं: बोला ना, लेकिन बेचारी क्या ज़्यादा बोलती? ख़ुद अपने बेटे से चुद रही थी, इसलिए जाने दिया।
सविता: ओह, ठीक है, फिर आज आती हूँ तेरे घर।
और फिर मैंने उनसे बात करके फोन कट कर दिया। फिर मुझे एहसास हुआ कि अगर सविता आंटी से सही समय पर मम्मी को कॉल नहीं किया होता, तो मैं जेल में होता। और क़िस्मत से मम्मी भी मान गईं। तभी मम्मी भी मार्केट से आ गईं और मैं सीधा गया और उन्हें गले लगा लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं: मम्मी, थैंक यू कि आपने मेरी शिकायत नहीं की।
माँ: आरव, क्या हुआ?
मैं: अभी सविता आंटी से बात की थी, मैंने। उन्होंने सब बताया कि आपकी उनसे क्या बात हुई थी। थैंक यू कि आप उनकी समझाने पर समझ गईं और मेरी शिकायत नहीं की। मुझे माफ कर दो, मैंने जो कल बाथरूम में आपके साथ किया था।
माँ: इतनी माफी मत माँग। और हाँ, मानती हूँ कि सविता के समझाने पर मैं मान गई थी, लेकिन मैं उसके बाद भी तुझसे चुदना नहीं चाहती थी। वो तो जब रात को तेरे कमरे में हमारी बात हुई, उसके बाद मुझे कुछ हुआ।
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मैं: क्या हुआ था?
माँ: पता नहीं, बस मुझे ऐसा लगा कि मुझे तुझसे चुद लेना चाहिए था। लेकिन खैर, जो होता है अच्छे के लिए होता है। और मुझे खुशी है कि तुझे अपनी इस बड़ी उम्र की माँ को चोदना था, जो कि तूने बहुत अच्छे से किया।
मैं: कहाँ बड़ी उम्र की, आप तो जवान लगती हो।
माँ: हा हा, ठीक है। अब मक्खन मत लगा। तेरे पापा आ जाएँगे, तो कम से कम उनके आसपास तो मुझसे हद में रहना।
मैं: हाँ, आप चिंता मत करो। पापा के आसपास आपको मम्मी की तरह ही ट्रीट करूँगा।
माँ: हम्म। और सविता आएगी ना? तेरी उससे बात हुई थी ना?
मैं: हाँ, बात हुई थी और वो आएँगी।
माँ: ठीक है, चल अब किचन में मेरी मदद कर खाना बनाने में।
मैं: ठीक है।
उसके बाद मैं किचन में चला गया मम्मी की खाना बनाने में मदद करने। बाकी की कहानी अगले भाग में। आप बताइए कि आपको यह कहानी कैसी लगी।
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