Desi Landlady Chudai Kahani
आज मैं आपके सामने एक कहानी लेकर आया हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी मकान मालकिन की है। सबसे पहले मैं हम दोनों का परिचय देना चाहूँगा। मेरा नाम आशीष है, मैं 27 साल का हूँ और एक स्वयं की कंपनी में कर्मचारी हूँ। अभी मैं भोपाल में काम कर रहा हूँ। Desi Landlady Chudai Kahani
मैं लंबा, हैंडसम और अच्छी कद-काठी वाला व्यक्ति हूँ। अब मैं अपनी मकान मालकिन का परिचय देता हूँ। वह 38 साल की विधवा हैं। यह कहानी सच्ची है और यह 5 जनवरी को घटी। मेरा खुद का कंप्यूटर का काम है, जिसके लिए मैंने अपने ही शहर में एक मकान किराए पर लिया है, जिसमें चार कमरे हैं। दो कमरे नीचे और दो कमरे ऊपर हैं।
मैंने नीचे का एक कमरा और ऊपर के दोनों कमरे किराए पर लिए हैं। पीछे के कमरे में शुक्ला जी (मकान मालिक), उनकी पत्नी, उनका एक बेटा और एक बेटी रहते हैं। बेटे की उम्र 18 साल और बेटी की उम्र 16 साल है। दोनों इंदौर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
मकान मालकिन का नाम मनोरमा है। मनोरमा बहुत सेक्सी और आकर्षक हैं। शर्माजी ठेकेदार हैं, इसलिए अक्सर बाहर रहते हैं। इसीलिए शर्माजी ने अपने मकान का सिर्फ एक कमरा अपने पास रखा था। उस कमरे में जाने के दो रास्ते थे, एक साइड से और दूसरा रास्ता मेरे कमरे से होकर था।
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दोनों कमरों के बीच में एक दरवाजा था, जो दोनों तरफ से बंद रहता था। क्योंकि वह दरवाजा ही उस कमरे में जाने का रास्ता था। बस इसी दरवाजे की वजह से सेक्स की शुरुआत हुई। दरवाजे में एक छोटा-सा छेद था, जिससे मैं मनोरमा को कपड़े बदलते हुए देखा करता था और फिर उनके नाम की मुठ मारता था।
38 साल की उम्र होने के बावजूद मनोरमा ने अपने शरीर को बहुत अच्छे से मेंटेन किया हुआ था। उनका फिगर 38D-36-40 था। जब मैंने उन्हें पहली बार कपड़े बदलते हुए देखा, तो मैंने उन्हें पेटीकोट और ब्रा में देखा। बस तभी से मेरे मन में उन्हें नग्न देखने की इच्छा थी।
दिन-रात बस यही काम, जब मौका मिले, उस छेद से झाँककर देखना कि शायद आज मैं उन्हें नग्न देख सकूँ। एक दिन, रविवार की सुबह 8 बजे, मैं जल्दी आ गया था। थोड़ा काम भी था। मैंने काम खत्म किया और छेद से झाँकने लगा। मनोरमा साफ-सफाई में लगी थीं।
जब वह झुककर झाड़ू लगा रही थीं, तो उनके स्तनों की गहरी गली साफ दिख रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया। तभी उनके घर की डोरबेल बजी। पास में रहने वाले विश्वकर्मा जी, जिनका नाम सुनील था, आए। मनोरमा ने उन्हें अंदर आने को कहा और सुनील अंदर आ गए।
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फिर मनोरमा झाड़ू लगाने लगीं। सुनील भी उनके स्तनों को देख रहे थे। मैंने सोचा, अंकल भी चालू हैं। लेकिन तभी सुनील ने मनोरमा के स्तनों पर हाथ रखा। मनोरमा ने कहा, “थोड़ा सब्र कर लो।” तब मुझे समझ आया कि अंकल क्यों आए हैं। मनोरमा ने काम खत्म किया और सुनील से बोलीं, “तुम बैठो, मैं नहाकर आती हूँ।”
वह नहाने चली गईं। जब वह नहाकर वापस आईं, तो उन्होंने पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिसमें उनकी काली ब्रा और काली पैंटी साफ दिख रही थीं। यह उनके गोरे बदन पर बहुत अच्छी लग रही थी। सुनील ने उनका हाथ पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उन्हें चूमना शुरू कर दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरे दिमाग में आया कि क्यों न मैं भी इस खेल में शामिल हो जाऊँ। लेकिन मैंने थोड़ा इंतजार करना बेहतर समझा और सही मौके की तलाश में देखने में व्यस्त हो गया। सुनील ने एक हाथ मनोरमा की नाइटी में डालकर ब्रा के ऊपर से उनके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और होंठों को चूमने लगे।
कुछ देर बाद होंठों का चुंबन बंद कर मनोरमा की नाइटी उतार दी। अब मनोरमा सिर्फ पैंटी और ब्रा में थीं। गोरा बदन, काली पैंटी और ब्रा, और ठंड का मौसम। फिर सुनील ने मनोरमा के स्तनों को ब्रा से आजाद कर दिया। अब मनोरमा के स्तन साफ दिख रहे थे। मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार इतने बड़े स्तन खुले में देखे थे। मैं पागल हो रहा था।
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सुनील ने मनोरमा से अपने कपड़े उतारने को कहा। मनोरमा ने सुनील की कमीज़ और पैंट उतार दी। फिर सुनील ने मनोरमा के स्तनों को चूसना शुरू कर दिया। एक-एक करके दोनों स्तनों को सुनील चूस रहा था। सुनील ने मनोरमा की पैंटी उतार दी और अपनी भी। बस इसी समय का इंतजार था मुझे। मैंने अपने कमरे का इंटरलॉक लगाया और जाकर मनोरमा के कमरे की डोरबेल बजाई।
मनोरमा ने पूछा, “कौन है?”
मैंने कहा, “मैं हूँ, आशीष।”
मनोरमा ने कहा, “थोड़ी देर रुको, मैं आती हूँ।”
मुझे समझ आ गया कि मनोरमा कपड़े पहनकर आएगी। थोड़ी देर बाद मनोरमा ने दरवाजा खोला। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, मैं अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर दिया। मनोरमा ने कहा, “यह क्या कर रहे हो?” तब मैंने जो कुछ देखा, वह सब बता दिया।
फिर क्या था, मैंने कहा कि मैं भी सेक्स करना चाहता हूँ। मनोरमा मान गईं, क्योंकि उस समय वह और कर भी क्या सकती थीं। फिर सुनील, जो बाथरूम में छिपा था, बाहर आ गया। वह पूरी तरह नग्न था और उसका लंड 7 इंच का था, जबकि मेरा 6.8 इंच का था।
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मनोरमा, सुनील और मैं भी पूरी तरह नग्न हो गए और सेक्स शुरू कर दिया। मनोरमा का एक स्तन मैं चूस रहा था और दूसरा सुनील। हम दोनों के स्तन चूसने से मनोरमा में सेक्स की आग बढ़ती जा रही थी। फिर मैंने अपना लंड मनोरमा के मुँह में दिया और सुनील मनोरमा की चूत चूस रहा था।
मैंने अपना वीर्य मनोरमा के मुँह में डाल दिया। मैं एक बार हल्का हो गया, लेकिन सेक्स की चाह खत्म नहीं हुई। फिर मैंने मनोरमा की चूत चूसना शुरू किया और सुनील ने अपना लंड मनोरमा के मुँह में दिया। मनोरमा की चूत गीली हो चुकी थी और उसमें से पानी निकल रहा था। मैं फिर भी उसकी चूत चूस रहा था और वह “आआआआ…… ऊऊऊऊ……” की आवाजें निकाल रही थी।
मनोरमा अब चुदने के लिए तड़प रही थी और हम दोनों भी उसे चोदने के लिए तड़प रहे थे। सुनील ने कहा, “पहले आशीष, तुम चोदो, क्योंकि तुम नए लड़के हो और यह तुम्हारा पहला सेक्स अनुभव है।” फिर मैंने मनोरमा के दोनों पैर चौड़े किए और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। इधर सुनील उसके स्तनों को चूसने में व्यस्त था। मनोरमा बोली, “कुत्ते, लंड अंदर डाल।” मैंने कहा, “रंडी, डाल रहा हूँ।”
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फिर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में एक झटके से डाल दिया। वह चिल्ला पड़ी, “आआआआआआ, अरे धीरे डाल, क्या चूत फाड़ेगा?” फिर मैं सुपाड़े को अंदर-बाहर करने लगा। फिर मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब वह बोली, “जोर-जोर से कर, मजा आ रहा है।” मैं भी जोश में था। मैं जोर-जोर से झटके देने लगा। फिर मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। फिर मैं उसके स्तनों को चूसने लगा और सुनील अंकल उसकी चुदाई करने लगे।
मेरे लंड ने जो कीचड़ मचाया था, उसमें सुनील का लंड अंदर-बाहर होने से फच-फच की आवाज आ रही थी। मनोरमा की तबीयत मस्त हो रही थी। मेरा लंड सुनील से छोटा था, लेकिन सुनील के लंड से मनोरमा की चूत में दर्द और बढ़ गया था। फिर अंकल ने मुझे हटाकर अपना वीर्य मनोरमा के मुँह में डाल दिया। मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था। मैंने मनोरमा की गांड मारने को कहा, तो सुनील भी मान गया। फिर हॉर्स पोज में मनोरमा को खड़ा करके उसकी गांड हम दोनों ने एक-एक करके ली। यह सब 2 घंटे तक चला।
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