Maa Ki Chudasi Saheli
नमस्ते दोस्तों, मैं आरव शर्मा, मैं आपका स्वागत करता हूँ। मेरी कहानी के पिछले भाग चुदासी मम्मी चुदवाने के लिए मान गई 2 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने मम्मी को माँ-बेटे की चुदाई के वीडियो दिखाए और सविता आंटी का क्या योगदान था मम्मी के दिमाग़ में ये डालने के लिए कि माँ-बेटे की चुदाई असल में होती है। हालाँकि माँ ने उनकी बात पर पूरा भरोसा नहीं किया था। फिर सविता आंटी ने कहा था कि वो अगले दिन पूरा सबूत लेकर आएँगी कि ये सब होता है। अब आगे: Maa Ki Chudasi Saheli
अगले दिन मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्योंकि मुझे पता था कि आज मुझे कुछ नहीं करना है। जो करना है, सविता आंटी ख़ुद ही कर देंगी। सही बोलूँ तो सविता आंटी वो बल्लेबाज़ हैं जो विपक्ष में होने के बाद भी मेरी टीम से खेल रही हैं। खैर, मैं अब बस सविता आंटी का इंतज़ार करने लगा। और करीब एक-दो घंटे बाद वो आ गईं। मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ और मैंने उन्हें गले लगा लिया। मेरी इस हरकत से वो थोड़ा सा हैरान हुईं, पर उन्होंने मुझे कुछ कहा नहीं।
सविता: अरे वाह, आज मुझे देखकर इतनी खुशी हो रही है।
मैं: हाँ, वो क्या है ना, आप बहुत दिनों बाद आई हो।
सविता: बहुत दिन? मैं तो परसों ही तो आई थी।
मैं: हाँ, पर मैं तो आपसे ढंग से मिला ही नहीं, ना, तो मेरे लिए तो बहुत दिन ही हुए ना। वो हँसने लगी।
सविता: वाह, आरव बेटा, क्या लॉजिक लगाया है।
माँ: अरे, तू आ गई।
सविता: हाँ, और बता कैसी है?
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अब मुझे पता था कि अब मुझे यहाँ से खिसकना पड़ेगा, तो मैंने मम्मी को बोला कि मुझे एक दोस्त ने बुलाया था, मैं अभी 10 मिनट में आता हूँ। और ये बोलकर मैं चला गया। लेकिन मैं असल में कहीं नहीं जा रहा था क्योंकि मुझे उन दोनों की बात सुननी थी। इसलिए मैं अपने घर के पीछे से अंदर आ गया और छुप गया, जहाँ से मैं उनकी बात सुन सकूँ। थोड़ी देर बाद वो दोनों मस्त सोफे पर अपनी गाँड़ टिकाकर बैठ गईं, और फिर सविता आंटी मम्मी को वो सबूत दिखाने लगीं।
सविता: देख, ये सारे सबूत माँ-बेटे की चुदाई के ही हैं। और तुझको एक मज़े की बात बताऊँ, इन्हें ढूँढने में मुझे ज़्यादा समय भी नहीं लगा।
माँ: सही में? मुझे तो लगा ये सब नकली होता है, पर ये तो… यार, एक बात, क्या इन माँओं को ज़रा सी भी शर्म नहीं आती अपने बेटों से चुदवाते हुए?
सविता: देख यार, ये जो माँ-बेटे का रिश्ता बहुत पवित्र है, ये सब ना समाज ने बनाया है। तू ख़ुद देख, एक माँ एक औरत है और एक बेटा एक मर्द है। और चुदाई करते समय एक मर्द एक औरत को चोद रहा होता है, बस।
माँ: पर फिर भी.
सविता: अरे, तू ये देख, इस औरत का नाम है सुमन। मैं इससे काफ़ी समय से संपर्क में हूँ और इसने मुझे बताया है कि ये अपने बेटे के साथ रिलेशनशिप में है। और ये कोई अकेली नहीं है, ऐसी बहुत हैं। और सिर्फ़ ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ माँ-बेटा ही, बाप-बेटी, भाई-बहन, चाची-भतीजा, और जितने भी तू सोच सकती है परिवार के रिश्ते। इनफैक्ट, मैंने तो ऐसे लोगों से भी बात की है जिन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार एक साथ चुदाई करता है। अब बता।
माँ: पर एक मिनट, तू इन सबसे संपर्क में क्यों है?
सविता (नटखट मुस्कान देते हुए): सही में, तू मुझसे ये पूछ रही है? खैर, वो सब छोड़, वो जो औरत है ना सुमन, उसने मुझे बताया कि उन्होंने माँओं का एक ग्रुप बनाया है, जिसमें अलग-अलग औरतें ये बताती हैं कि उन्होंने अपने बेटे से कैसे चुदवाया। और मेरा यकीन मान, उस ग्रुप में कम औरतें नहीं हैं। समझ रही है, ये माँ-बेटे की चुदाई कितनी सामान्य है। इसलिए मैंने तेरा नाम भी उस ग्रुप में ऐड करवा दिया।
माँ: नहीं, तू सही कह रही है… एक मिनट, क्या कहा तूने? तूने क्या किया? मेरा नाम उस ग्रुप में क्यों ऐड करवा दिया?
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सविता: देख, मैं जानती हूँ तू ऐसी औरत नहीं है, पर तू खुद सोच ना, रोज़ रात जिन पॉर्न को देखकर तू चूत में उंगली करती है, अगर वही कोई औरत तुझको ये बताए कि उसने कैसे अपने बेटे से चुदवाया, तो सोच तू कितना मज़ा करेगी। और हाँ, रोज़-रोज़ नहीं, हर औरत अपनी एक अलग ही कहानी बताती है। और देख, एक बार जाकर बात तो कर। पसंद नहीं आए तो ग्रुप छोड़ देना।
माँ ने सिर हिलाते हुए कहा, माँ: बात तो तेरी सही है।
मैं ये सुनकर बहुत खुश हुआ कि जिस काम के लिए मैंने पूरा दिमाग़ खर्च किया, उसके बाद भी मुझे कुछ नहीं सूझा, वो काम सविता आंटी ने कुछ ही देर में कर दिया। तभी मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया— माँ सविता आंटी की बात बहुत आसानी से मान लेती हैं, तो अगर मैं पहले सविता आंटी को सेट कर लूँ. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तो माँ की चुदाई करने में ज़्यादा दिक्कत नहीं आएगी। वैसे भी, जिस तरह से सविता आंटी मम्मी को माँ-बेटे की चुदाई के बारे में बता रही हैं, उससे तो यही लगता है कि वो चाहती हैं कि माँ मुझसे चुद जाए। खैर, मुझे ये पता था कि सविता आंटी को सेट करना मुश्किल नहीं है.
क्योंकि जिस तरह की वो औरत हैं और खास तौर पर जिस तरह की बातें वो मेरे बारे में करती हैं, उनकी चुदाई करना इतना मुश्किल नहीं होगा। पर फिर भी मुझे ध्यान से ही करना होगा। अब मैंने सोचा कि अब वापस चलना चाहिए। जैसे ही मैं निकल रहा था, माँ ने कहा।
माँ: आरव को आने में समय लगेगा, तू कहे तो…
सविता: रंडी कहीं की!
और फिर वो दोनों एक-दूसरे को चूमने लगीं। ये देखकर मेरा दिमाग़ खराब हो गया। और फिर वो दोनों एक-दूसरे की साड़ी उतारने लगीं। ये देखकर मेरा दिमाग़ और खराब हुआ। मैंने सोचा, थोड़ी देर रुक ही जाता हूँ। देखते-देखते दोनों निर्वस्त्र हो गईं।
और दोस्तों, क्या बताऊँ आपको, दोनों का जिस्म एक जैसा, कोई मुकाबला ही नहीं। अब माँ सविता आंटी के स्तनों को चूसने लगीं। थोड़ी देर बाद सविता आंटी माँ के स्तनों को चूसने लगीं। फिर सविता आंटी ने माँ को सोफे पर धक्का दे दिया और उनकी चूत चाटने लगीं।
माँ: आह्ह… आह्ह… स्स्स्स… और चाट, प्लीज़ और चाट!
सविता: साली, अपने झट के बाल तो काट लिया कर!
माँ: वो मैं देख लूँगी, तू अभी सिर्फ़ चाटने पर ध्यान दे।
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थोड़ी देर बाद, दोनों ने अपनी चूत एक-दूसरे की चूत से लगाई और सिज़रिंग करने लगीं। और मैं ये सब देखकर अपना लंड हिला रहा था। लेकिन फिर मैंने सोचा, एक काम करता हूँ, इनको इनका काम ख़त्म तो नहीं करने दूँगा, इनको पानी तो नहीं छोड़ने दूँगा। तो फिर मैं फटाफट वापस मुख्य दरवाज़े पर आ गया और डोरबेल बजा दी।
और मैं सोच रहा था कि दोनों कितना शॉक में होंगी कि अभी भी वो पूरी नंगी हैं और मैं डोरबेल बजा रहा हूँ। लाज़मी है, दरवाज़ा खोलने में समय तो लगेगा। और वैसा ही हुआ। थोड़ी देर बाद मम्मी ने गेट खोला। उनके बाल बिखरे हुए थे और साड़ी भी ढंग से नहीं पहनी थी। और सविता आंटी की भी वही हालत थी। खैर, मैंने उस पर इतना ध्यान नहीं दिया और सीधा पूछा।
मैं: इतना समय लगता है क्या गेट खोलने में?
माँ: वॉशरूम में थी।
मैं: आप दोनों वॉशरूम में?
माँ: तू…
सविता: अरे, अब इस पर भी झगड़ रहे हो, अब जाने भी दे।
मैं: ठीक है, अरे, सविता आंटी, आप आज तो रुकेंगी ना, या आज भी काम ख़त्म करके जा रही हो?
माँ: साले, तूने काम ख़त्म करने कहा दिया।
मैं: क्या?
सविता: वो कह रही है, अभी रात के खाने का काम बचा है, वो तूने कहा ख़त्म करने दिया। खैर, हाँ, मैं आज रुकूँगी और डिनर करके ही जाऊँगी। मैं: ओह, ठीक है।
फिर मैं अपने कमरे में चला गया था, लेकिन एक बात तो थी, दोनों बहुत निराश थीं क्योंकि मैंने उनका काम ख़त्म होने कहा दिया था। खैर, मैं अपने कमरे में बैठकर ये सोच रहा था कि मम्मी की चुदाई करने से पहले सविता आंटी की चुदाई करके उन्हें सेट करना पड़ेगा, लेकिन कैसे?
मुझे ये तो पता था कि उनकी चुदाई करना मुश्किल नहीं है, लेकिन मैं इसे इतना हल्के में भी नहीं ले सकता था। इतना तो समझ आ गया था कि उनकी चुदाई उनके घर जाकर ही करनी पड़ेगी। और अच्छी बात ये है कि वो अकेली रहती हैं, तो मुश्किल नहीं होगी। खैर, इसके बाद हमने डिनर किया और फिर सविता आंटी अपने घर चली गईं।
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और मैं भी हर रोज़ की तरह देर रात अपनी माँ के कमरे में झाँक रहा था, लेकिन इस बार मम्मी ने कपड़े पहन रखे थे। मेरा पूरा मूड खराब हो गया। फिर भी मैं वहीँ रुका, क्या पता बाद में खोल दें। लेकिन उस दिन माँ कुछ और ही कर रही थीं। फिर मुझे पता चला कि माँ उस ग्रुप पर चैट कर रही थीं, जिसके बारे में सविता आंटी बता रही थीं, वो माँओं वाला ग्रुप।
खैर, मैं खुश था क्योंकि ऐसा लग रहा था कि पूरा यूनिवर्स चाहता है कि मैं मम्मी को चोद ही दूँ। खैर, मैं देखने लगा कि मम्मी क्या बात कर रही हैं। और मम्मी भी वही सवाल पूछ रही थीं कि कैसे चुदवाया और क्या शर्म नहीं आती? तभी उस ग्रुप पर जो औरतें थीं, वो बोलती हैं, इसमें शर्म कैसी, वो मेरा बेटा है, मेरे अंदर से निकला है, वापस मेरे अंदर ही जा रहा है।
और फिर उनकी ऐसी ही बात चलती रही। औरतें बता रही थीं कि वो अपने बेटे से कैसे चुदती हैं। एक ने तो बताया कि उसके 5 बेटे हैं और वो सारे उसे जानवरों की तरह चोदते हैं। ये सब पढ़कर माँ अपनी चूत में उंगली करने लगीं। फिर किसी ने माँ से पूछ लिया कि तुमने अपने बेटे से कैसे चुदवाया? ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तो माँ ने बोल दिया, मैं अपने बेटे से नहीं चुदवाऊँगी। फिर वो औरतें बोलने लगीं, तो तुम फिर इस ग्रुप में क्या कर रही हो? अब माँ को कुछ सूझा नहीं, तो उन्होंने बोल दिया, मेरा मतलब है कि मैं अभी अपने बेटे से नहीं चुदवाऊँगी, भविष्य में पक्का, इसलिए यहाँ पर आप सबकी कहानियाँ सुनकर सलाह ले रही हूँ।
अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि माँ ने जो ये बोला, वो सच में बोला या ग्रुप में टिके रहने के लिए। लेकिन एक बात पक्की थी कि माँ को उस ग्रुप से निकलना तो नहीं था। खैर, फिर मैं अपने कमरे में वापस आ गया और सो गया। अगले दिन मैं उठा और अब मैंने मेरा प्लान बदल लिया था।
मेरा अब मुख्य लक्ष्य सविता आंटी को सेट करना था। उन्हें सेट कर लूँ, तो मम्मी की चुदाई हो जाएगी। इसलिए मैं उनके घर चला गया। और रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई। और जब तक मैं उनके घर पहुँचा, मैं पूरा भीग चुका था। मैंने उनके घर की डोरबेल बजाई और सविता आंटी ने गेट खोला और मुझे देखते ही बोलीं।
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सविता: आरव, तू इतना भीग गया, बेटा, अंदर आ, तू तो पूरा गीला हो गया है।
मैं: हाँ, मैं अपने दोस्त के पास जा रहा था कि तभी बारिश आ गई। सबसे पास आपका घर था, इसलिए मैं यहाँ आ गया।
सविता: नहीं, ये बहुत बढ़िया किया तूने। तू एक काम कर, तू बाथरूम में जा, मैं तौलिया लाती हूँ।
मैं बाथरूम में चला गया और जल्दी से मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। और क़िस्मत से मेरा लंड भी तना हुआ था। और हाँ, दोस्तों, मैं आपको बताना भूल गया, मेरा लंड भले ही 6 इंच का है, पर वो बहुत मोटा है। खैर, मैंने जानबूझकर बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया क्योंकि मैं चाहता था कि आंटी दरवाज़ा खोलें। और वैसा ही हुआ। वो आईं, दरवाज़ा खोला और मुझे पूरा नंगा देखकर वो चिल्लाईं। और मेरा लंड भी देखा होगा।
सविता: सॉरी आरव, मुझे खटखटाना चाहिए था।
मैं: कोई बात नहीं आंटी, हो जाता है, आप मुझे तौलिया दे दो।
सविता: हाँ, ये लो। और फिर मैं सिर्फ़ तौलिया लपेटकर बाहर आ गया। मेरा लंड अभी भी तना हुआ ही था, जिसे मैं जानबूझकर उनके सामने छुपा रहा था।
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मैं: सॉरी आंटी, ये…
सविता: अरे, कोई बात नहीं, तुम जवान लड़के हो, ये होता है। चाय पियोगे?
मैं: हाँ, बिल्कुल, मैं चाय लूँगा।
और फिर वो चाय बनाने किचन में चली गईं और मैं भी उनसे बातें करने लगा।
मैं: वैसे आंटी, आप और मेरी मम्मी कॉलेज फ्रेंड्स हैं, है ना?
सविता: सही बताऊँ तो हम कॉलेज फ्रेंड्स नहीं, स्कूल फ्रेंड्स हैं। हमने पूरी स्कूलिंग साथ की थी, बस 11वीं में सब्जेक्ट्स अलग ले लिए थे, इसलिए हमारे कॉलेज अलग थे। फिर भी दोस्ती ख़त्म नहीं हुई और आज भी मज़बूत है।
मैं: वो तो है। वैसे मम्मी ने तो 11वीं में आर्ट्स लिया था, आपने कौन सा सब्जेक्ट लिया था?
सविता: साइंस विद बायो।
मैं: ओह, तभी बायोलॉजी का प्रैक्टिकल इतना पसंद है।
सविता: क्या?
मैं: मैं कह रहा था, मतलब आप मम्मी से बेहतर थीं पढ़ने में।
सविता: नहीं, असल में तेरी मम्मी ज़्यादा बेहतर थी। फिर भी उसने आर्ट्स लिया, खैर, उसकी मर्ज़ी।
मैं: वो तो है।
बाकी की कहानी अगले भाग में। आप बताइए कि आपको यह कहानी कैसी लगी।
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