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मेरा नाम शिवानी है, मेरी एक बहन है जिसका नाम लता है और भाई शिवम् है। शिवम् मुझसे एक साल बड़ा है और लता मुझसे एक साल छोटी है। आयु में ज्यादा गैप ना होने की वजह से हम तीनों बड़े छोटे का भेदभाव नहीं करते, बड़े प्यार से मिलजुलकर रहते हैं और एक दूसरे को नाम से भी बुला लेते हैं। Free Chudai XXX
हमारे पापा हमें छोड़कर कही और रहने चले गए क्योंकि उन्हें शराब की लत थी और कुछ और कारणों की वजह से। हम तीनों को हमारी मां ही पाल रही हैं। मेरी मां 55 वर्ष की हैं, मेरा भाई शिवम् 25, मैं 24 की और लता 23 की है। जब मैं 15 साल की थी तब से हम तीनों को मां ने ही पाल है, हमारे पास 2 बेड हैं एक पर मम्मी और एक पर शिवम् भैया सोते हैं।
हम दोनों बहनों में से कभी कोई भैया के साथ सो जाती हैं तो कभी मम्मी के साथ या फिर दोनों एक साथ किसी भी एक बेड पर सो जाती हैं। साल के थोड़े से भी गर्म महीनों में हम लोग आधे नंगे यानी केवल नेकर पहनकर ही सो जाते हैं आपस में।
ज्यादातर बाहर जान होता नहीं है क्योंकि पैसा हमारे पास पर्याप्त रखे हुए हैं, नए कपड़े लोग ज्यादा खरीदते नहीं क्योंकि जो कपड़े हैं उन्हें ही पहनते हैं, और अपने खेत और बगीचे से फल सभी तोड़कर हमारे खाने का हो जाता है, घर में चक्की भी है तो आता इत्यादि भी हम यही घर पर बना लेते हैं और आंगन में बैठकर हमारा धूप लेना, बारिश में नहाना भी हो जाता है। सो कोई परेशानी ऐसी कोई है नहीं।
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यह बात कुछ 3 से 4 साल पहले की है। उस रात मम्मी ने दाल चाल और आलू का भरता बनाया था। मैं, शिवानी, अपना खाने खाकर उठ चुकी थी तो मम्मी खाने बैठ गई थी और शिवम् और लता भी लगभग खाना पूरा करने वाले थे। सितंबर का महीना था, कभी कभी बारिश हो रही थी लेकिन मौसम गरम ही था तो हम केवल चड्डी पहनकर ही आंगन में खाना पीना कर रहे थे, शिवम् और लता तो पूरे नंगे बैठे हुए थे।
हमारे लिए यह सब सामान्य बात थी तो कोई परेशानी नहीं थी। मम्मी दाल चावल हाथ से खा रही थी, उन्होंने मुझसे और भरता देने को कहा, मैं उन्हें भरता परोसने लगी, परोसते वक्त थोड़ा भरता उनके स्तनों पर मैने गलती से गिरा दिया, क्योंकि मम्मी के दोनों हाथ दाल चावल से सने हुए थे.
तो मैं अपने मुंह से मम्मी के स्तनों से भरता चाटने लगी, फिर मैंने चूस चूसकर उनके स्तन भी साफ कर दिए। शिवम् भैया और लता यह देखकर मुस्कुराने लगे। शिवम् भैया कटोरी उठाकर दाल पी रहे थे और क्योंकि शिवम् भैया नंगे थे तो उनका लण्ड खड़ा होते हुए साफ दिख रहा था।
भैया का ध्यान तो मेरी ओर मां के स्तनों को चूसने पी था, उनका हाथ ढीला पड़ गया और लण्ड खड़ा होने की वजह से उनके हाथ में पकड़े कटोरे पर लग गया जिससे कटोरा पलटकर भैया के लण्ड पर उल्टा हो गया और सारी दाल भैया के लण्ड पर गिर गई।
मैने कहा: अरे शिवम् ध्यान दीजिए न सब डाल फैला दी अपने और स्वयं को गंदा भी कर दिया, अब आप ही साफ करना यह सब।
मां ने कहा: उसके दायां हाथ गंदा हैं और दूसरा हाथ की उंगलियां वो अपना चूतड़ों के छेद में डाले हुए है। एक काम कर तू ही इसका लण्ड साफ कर दे फिर जब यह खाकर उठेगा तो पोछा लगा देगा।
मैंने कहा ठीक है और मैं भैया का लण्ड चाटकर साफ करना लगी फिर मैंने शिवम् भैया का पूरा 7 इंच का लण्ड अपने मुंह में लेकर अच्छे से साफ कर दिया और थोड़ी डाल उनकी गोटियों पर भी लगी थी तो वो भी मैंने चाट ली और फिर से एक बार लण्ड अच्छे से साफ करने लगी चूसकर।
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मुझे थोड़ा खट्टा सा स्वाद आया लण्ड को चूसते हुए तो मैंने भैया से पूछा: शिवम् यह खट्टा सा स्वाद क्यों आ रहा है? तो शिवम् भैया ने कहा: मैंने भरता नहीं लिया ना, तो स्वाद बनाने के लिए दाल में नींबू डाल लिया था। शिवानी तू मेरे लण्ड को एक बार खोलकर तो देख मुझे लग रहा है वहां भी दाल गिरी है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने कहा ओह और फिर मैं लण्ड खोलने लगी.
शिवानी: मैंने जब लण्ड खोला तो मैं तो खुश हो गया कितना प्यार गुलाबी रंग का लण्ड था अंदर से, मैने अभी तक भैया का लण्ड ऐसे खोला हुआ कभी नहीं देखा था तो मुझे पता नहीं था।
शिवम् भैया: देख मैने कहा था न यहां भी दाल चली गई है।
मैं: हां भैया मैं साफ कर देती हूं, फिर मैंने पहले उनके लण्ड को अंदर से भी चाटा और फिर उसे मुंह में लेकर चूसने लगी ताकि अच्छे से साफ हो जाए।
लेकिन इससे भैया को कुछ होने लगा।
मैंने पूछा क्या हुआ भैया?
वो बोले: कुछ नहीं थोड़ी सेंसेशन सी हो रही है ऐसे और गुदगुदी भी मच रही है।
मैंने कहा ओह और फिर मैं अपना थोड़ा थूंक लगाते हुए लण्ड चूसने लगी। मम्मी खाना खाकर अपने कमरे में सोने चली गई और मुझसे भी बोली कि भैया लण्ड साफ करके आ जाना कमरे में सोने, बारिश का मौसम लग रहा है फटाफट साफ करके सब लोग अंदर आ जाओ रूम में।
थोड़ा और चूसने के बाद भैया के लण्ड से थोड़ी चासनी सी निकली, मैं उसका भी स्वाद लिया। भैया का स्पर्म नहीं निकला था अभी लेकिन स्पर्म से पहले थोड़ा सा चासनी वाला पानी निकलता है जिसे pre इजेकुलेशन कहते हैं वो निकला था, हम लोगों की होम स्कूलिंग हुई है सो हमें काफी कुछ पता है पढ़ाई लिखाई का।
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फिर भैया ने मुझे थैंक यू बोला लण्ड साफ करने के लिए और मैं भी भैया को कहा कि मुझे भी अच्छा लगा आपकी चासनी स्वादिष्ट थी शायद इससे मेरा भोजन भी जल्दी हजम हो जाएगा हा हा। फिर मैं भैया के बर्तन लेकर किचेन में चली गई और सारे बर्तन धोकर मम्मी के साथ सोने चली गई।
भैया ने उठकर पोछा लगाया, हाथ धोएं और वो भी उठकर अपने कमरे में चले गए। मम्मी और भैया का कमरा अलग अलग जरूर है लेकिन है वो एक ही हॉल में, यह हॉल छोटा सा ही है तो हमारे बेड भी ज्यादा दूर दूर नहीं हैं शायद बस एक या आधे हाथ का गैप होगा। इसके अलावा भी हमारे पास और भी कमरे हैं।
खैर हमारे इस बेडरूम वाले कमरे में में दो दरवाजे हैं, हमने बस बीच में एक पर्दा डाला हुआ है ताकि अगर हम में से कोई मूठ मारे या अपनी चूत में उंगली करे तो थोड़ी प्राइवेसी रहे। हम सब पढ़े लिखे हैं तो इन सब जरूरतों के बारे में ओपन माइंडेड हैं।
आज हमने पर्दा हटाया था बीच में से क्योंकि बाहर मौसम बारिश का था तो अच्छी हवा चल रही थी और खिड़की केवल भैया के बेड की साइड ही थी इसलिए पर्दा हटाने से पूरे हॉल में हवा फैल रही थी। मम्मी को चूत में थोड़ी खुजली मच रही थी तो उन्होंने अपनी चड्डी भी उतार दी।
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बार बार खुजली मचाने में उन्हें परेशानी हो रही थी तो उन्होंने मुझसे कहा उनकी चूत के बाहर खुजली मचाने को ताकि वो आराम से सो पाएं। मैं ऐसा करना लगी लेकिन मम्मी को आराम नहीं मिला फिर 2 मिनट बाद मैने पहले 1 उंगली और फिर 2 उंगली मम्मी की चूत में डालकर खुजली करने लगी.
तो मम्मी बोली हां शिवानी बेटा अब मिला कुछ आराम ऐसे ही करते रहे और फिर मेरी चूत में ही उंगली डालकर सो जाना जिससे मेरी नींद नहीं टूटेगी। हवा अच्छी चल रही थी तो मैने भी अपनी चड्डी निकालकर लेट गई। अब मैं सोने का प्रयास करने लगी और भैया के बेड पर और खिड़की के पास देखने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरा भाई शिवम् और मेरी बहन लता दोनों ही नंगे लेते हवा खा रहे थे खिड़की से आती हुई। भैया खिड़की की और पैर करके लेटे थे और लता अपना सर खिड़की की और करके लेटी थी भैया ने बोला बारिश हो रही है, हवा तेज हुई तो सर भीग जाएगा। लता ने भैया की बात ही नहीं अनसुनी कर दी.
तो इसपर भैया ने लता के पैर की उंगलियां अपने मुंह में लेकर धीरे धीरे चूसने लगे उसे परेशान करने के लिए। लता को थोड़ी गुदगुदी सी हो रही थी। हम सब अपने हाथ पैर अच्छे से साफ करके सोने को लेटते हैं तो पैर मुंह में लेने में इसलिए भैया को कुछ गंदा नहीं लगा।
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फिर भैया थोड़ी देर में सो गए। कुछ मिनट बाद बारिश ही तेज हो गई और हवा भी टेढ़ी मेढ़ी, लता के सर पर बूंदें आने लगी तो सो अपना सर नीचे करने लगी। शिवम् भैया उसकी ही तरफ मुंह करके करवट लेकर लेटे थे तो जैसे ही लता ने अपना सर थोड़ा और नीचे किया तो भैया के लण्ड से टकरा गई। फिर लता को कुछ शरारत सूझी तो उसने भैया का लण्ड बिना हाथ लगाए डायरेक्ट मुंह में ले लिया और उसका स्वाद लेने लगी फिर उसने कुछ सोचा अपनी जीभ से भैया के लण्ड की ऊपर की खाल खोलकर लण्ड का टोपा निकालने लगी। भैया की थोड़ी से नींद खुल.
भैया ने कहा उई यह क्या कर रही है ऐसे गुदगुदी होती है!
लता: आपने मेरी पैर के उंगलियां मुंह में ली थी न मुझे भी गुदगुदी हुई थी अब को जैसे को तैसा।
शिवम् भैया: ठीक है लेकिन ज्यादा हिलाईयो मत नींद टूट जाएगी मेरी अच्छी नींद आ रही है अभी।
लता: ठीक है शिवम् सर जैसा आप कहें।
और ऐसा कहकर लता के थोड़ा सा भैया के लण्ड के टोपे को खोलकर थोड़ा सा चाटा और फिर 4 – 5 बार चूसकर अपने मुंह में रख कर सो गई। मैं यह सब अपने बेड पर लेती देखकर मुस्कुरा रही थी। फिर थोड़ी देर में मुझे और गहरी नींद आने लगी तो मैने मम्मी के होठों पर थोड़ा सा थूका और उनके होठों पर अपने होठ रखकर सोने लगी। यह बात तब की है जब मैं 19 या 20 की थी। अभी मुझे यह किस्सा याद आया तो इसकी कहानी आपको सुना दी। मिलते हैं किसी और दिन, किसी और रात एक और कहानी के साथ, आपकी शिवानी के साथ। आप मुझे ईमेल करके अपना फीडबैक दे सकते हैं: myselfjoey@gmail.com
Manish says
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