Daughter Father Ki Chudai
मेरा नाम अनुराधा है। मैं मुंबई की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 18 साल है और मैं अभी कुंवारी हूँ। मेरे घर में मेरे माता-पिता, मेरा भाई-भाभी और मेरे अंकल-आंटी रहते हैं। हम लोग एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखते हैं। हमारा अच्छा-खासा बिजनेस है, जिसे पापा, अंकल और भैया संभालते हैं। Daughter Father Ki Chudai
हमारी फैमिली खुले विचारों वाली है। हमारे घर में सभी लोग शिक्षित हैं। आज हमारे परिवार में सभी का एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध है। बात उस समय की है जब मैंने पहली बार अपने पापा के साथ सेक्स किया था। हुआ यूँ था कि मैं अपने पापा के साथ दूसरी सिटी में नीट के एग्जाम के लिए गई थी।
एग्जाम सुबह 7 बजे था, इसलिए हम दोनों रात में ही घर से निकल गए थे। हमें बस से जाना था। हम घर से करीब 8 बजे निकल चुके थे। हमने एक बस में सवार हुए। बस में काफी भीड़ थी, इसलिए बड़ी मुश्किल से हमें एक सीट मिल पाई। पापा ने मुझे सीट पर बिठा दिया और खुद मेरे पास खड़े हो गए।
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बस में इतनी भीड़ थी कि लोग एक-दूसरे से सटकर खड़े थे। रास्ता खराब होने के कारण पूरी बस हिचकोले खा रही थी। पापा मेरे पास इस तरह खड़े थे कि उनका लिंग बार-बार मेरे चेहरे से टकरा रहा था। लेकिन मैंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। मुझे नींद लग गई।
करीब एक घंटे बाद एक स्टॉप पर बस रुकी। सभी लोग उतरकर चाय-नाश्ता करने लगे। आधे घंटे बाद बस फिर से चल पड़ी। पापा ने मुझसे कहा कि मैं थोड़ी देर के लिए सीट पर बैठ जाता हूँ। थोड़ी देर मैं खड़ी रही, फिर पापा ने मुझसे कहा, “मेरे पैरों पर बैठ जाओ।”
मैं उनकी गोद में बैठ गई। मेरी चूत उनके लौड़े के ठीक ऊपर थी। मैं उस समय स्कर्ट और शर्ट पहने हुए थी। उस समय मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था। पापा ने मेरे पैरों पर हाथ रखकर बैठ गए। मुझे नींद आ गई। मैंने पापा के कंधे पर सिर रखकर सो गई।
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पापा ने ठंड से बचने के लिए मुझे शॉल ओढ़ा दी। मैं महसूस कर रही थी कि पापा के लंड में तनाव आने लगा था। उनका लौड़ा मेरी चूत के छेद पर था। बस के हिलने के कारण लंड चूत पर रगड़ खा रहा था। पापा जोश में आ रहे थे। पापा ने मेरे शर्ट के ऊपर से ही मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया। “Daughter Father Ki Chudai”
वे हल्के-हल्के मेरे स्तनों पर अपने हाथ फेर रहे थे। उस समय मैंने ब्रा नहीं पहनी थी। पापा के स्पर्श से मेरी नींद खुल गई, लेकिन मैं चुपचाप सोने का नाटक करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पापा ने मेरे शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए और धीरे-धीरे मेरे स्तनों को सहलाने लगे।
मेरे निपल्स कड़क होने लगे। पापा मेरे निपल्स को अपनी उंगली और अंगूठे से दबाने लगे। मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं, “उह्ह्ह्ह… पापा… आह्ह्ह्ह… पापा… म्म्म्म…” मैंने पापा के कान में कहा, “पापा, धीरे से करो ना।” मुझे आनंद आ रहा था और मेरी चूत में खलबली मच रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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तभी हमारा स्टॉप आ गया। हम बस से उतरे और किसी होटल की तलाश करने लगे। हमने बस स्टैंड के पास ही एक होटल में कमरा लिया। कमरे में खाना खाने के बाद हम सोने की तैयारी करने लगे। पापा ने जानबूझकर एक डबल बेड का कमरा लिया। हम दोनों उस बेड पर लेट गए और सोने का बहाना करने लगे।
मैं पापा के पास लेट गई। थोड़ी ही देर में मैंने देखा कि पापा का हाथ मेरे स्तनों को सहला रहा था और वे धीरे-धीरे मसल रहे थे। मैं चुपचाप लेटी हुई थी और मजा ले रही थी। उनके मसलने में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। पापा ने मेरे गाल पर एक चुम्मा दिया और मेरे शर्ट के बटन खोल दिए। “Daughter Father Ki Chudai”
वे मेरे स्तनों को सहलाने लगे। मेरे मुँह से धीरे-धीरे आवाजें निकलने लगीं, “उह्ह्ह्ह… पापा… आह्ह्ह्ह… पापा… म्म्म्म… पापा, धीरे से करो ना।” पापा ने धीरे-धीरे मेरे बदन को चूमना शुरू किया। मेरी हालत और खराब होने लगी। पापा बहुत प्यार से मेरे बदन को चूम रहे थे और चाट रहे थे। धीरे-धीरे वे मेरे स्तनों तक पहुँच गए।
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मेरा हाथ अचानक पापा के लंड पर चला गया। मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगी, अंदर-बाहर करने लगी। पापा मेरी चूत के पास गए और उसे चूसना शुरू किया। मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं, “उह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… औच… मम्मम्मम्म…” मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर पापा ने मेरी चूत को दोनों हाथों से खोला और मेरे छेद को चौड़ा करके अपने लिंग पर रख दिया। उन्होंने कहा, “झटके से बैठ जाओ।” मैं बैठ गई और देखते ही देखते उनका 7 इंच लंबा और मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया।
मैं चिल्ला उठी। मैंने पापा से कहा, “बहुत दर्द हो रहा है।” तो पापा ने कहा, “अनुराधा बेटा, चुप हो जा। अभी 5 मिनट बाद बहुत मजा आएगा।” फिर उन्होंने बैठे-बैठे ही धक्के लगाने शुरू किए। मैं भी अपने चूतड़ उछालने लगी। फिर उन्होंने अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों बाप-बेटी एक-दूसरे से लिपटकर थोड़ी देर वैसे ही पड़े रहे, फिर अलग होकर सो गए। इस तरह से हमारे परिवार में सेक्स की शुरुआत हुई। आज के लिए बस इतना ही। अगली कहानी में मैं आपको बताऊँगी कि मैंने अपनी फैमिली के अन्य सदस्यों के साथ कैसे सेक्स किया।
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