Chut Me Baigan
हमारे सिटी में बहुत से एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स हैं जहाँ दूर दूर से लोग पढाई के लिए आते हैं. इनमे बहुत सी लड़कियां भी होती हैं. हम लोगो को भी अपने नए मकान का एक पोरशन रेंट पर देना था. तो कई लोगो के बाद दो लड़कियां आई जिनको हमने अपने रूम को रेंट पर दिया. एक तो लड़कियों से रौनक रहती है दूसरा गुंडा गर्दी का चांस नहीं होता. Chut Me Baigan
तो रात को मैं छुप-छुप कर उनके बेडरूम के अंदर का नज़ारा लेता और मौज करता. दिन भर उनके साथ घूमता भी और उनके काम भी करता पर असल बात तो मई उनका काम करना चाह रहा था. कि कब इन दोनों कुंवारी कच्ची कलियों को मसल पाउँगा. दोनों ही लड़कियां बड़े ही गदराये बदन की थी.
जैसे कोई संगमरमर की मूरत सांचे में ढला बदन था. फूली हुई बड़ी-बड़ी गोल चूचियां और कमर भी मस्त गोल गहरी नाभि और मस्त भरी पूरी गांड जो आदमी को दीवाना बना दे. एक दिन मैंने देखा की कविता ने सब्ज़ी वाले से लम्बे वाले बैगन खरीदे. मेरे माथा ठनका की बैगन का क्या होगा जब ये खाना हमारे साथ खाती हैं?
यही सोच कर दिन भर कटा. रात को जब सविता लौट कर आई तो मैंने रूम में अपने सीक्रेट होल से झांक कर अंदर देखा की क्या चल रहा है. चलिए आपको भी सैर करवा लाता हूँ की जब दो जवान लड़कियां रूम में रात काटती हैं तो क्या होता है. अंदर की बात चीत और नज़ारा सुनाता हूँ आपको.
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सविता बोली- “हाय मेरी जान ज़रा मालिश कर दे कब से सारा बदन दुःख रहा है.”
यह कह वो बेड पर जा लेती.
कविता ने उसकी टी शर्ट को ऊपर कर उतरा जिससे उसका ब्रा दिखाई पड़ा और उसमे बंद बड़ी-बड़ी चूचियां हिलती नज़र आई.
कविता बोली- “आज बहुत दर्द हो रहा है क्या?”
सविता- “हाँ यार जल्दी से तेल डाल कर मालिश कर दे.”
कविता तेल गरम कर एक कटोरी में ले आयी. सविता की सलवार भी उसने निकाल दी. फिर ब्रा और पेंटी में लेती सविता की वो तेल से मालिश करने लगी. कविता सविता के स्तन के ऊपर हाथ ले जाती और ऊपर के उठाव पर तेल का हाथ लगाती. सविता को बड़ा मज़ा आ रहा था.
वो बोली इस ब्रा को भी तो निकाल और थोड़ा तेल नीचे भी लगा ज़ालिम. यह सुनकर कविता ने नीचे पेंटी उतार दी और उसकी चूत को फैला कर उस पर दो बूँद तेल टपका डाला और उँगलियों से मालिश करना शुरू किया.
कविता ने कहा- “सविता तेरी झांटे भी तो कितनी बढ़ आई हैं इनको भी साफ कर दो?”
सविता- “कर दे यार.”
यह कह मैंने देखा की कविता शेविंग क्रीम ब्रश और रेजर ले कर चूत के ऊपर झांटो को साफ करने उसकी जांघो पर चढ़ कर बैठ गई. फिर उसने चूत के ऊपर क्रीम लगाई और ब्रश से रगड़ कर झाग उठा डाला. फिर एक हाथ से चूत को टाइट कर रेजर से झांटो को साफ कर दिया. खर-खर की हलकी आवाज़ के साथ रेजर ने सविता की चूत के अस पास ऊगा झांटो का बड़ा जंगल साफ कर चिकना मैदान बना दिया. जिसके बीच में उसकी पतली चूत एक क्रिकेट पिच की तरह नज़र आ रही थी.
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कविता बोली – “जान स्टेडियम तैयार है पिच भी रेडी है मैच खेलने वाला खिलाडी कहाँ है?”
उसके मज़ाक से सविता खीज उठी “यार तुझे तो बस मज़ाक सूझता है.”
कविता बोली- “आज लम्बे वाले बैगन खरीदे हैं मैंने रानी प्यास बुझाने को ठीक रहेंगे.”
सविता बोली “पहले यहाँ मालिश तो कर.”
कविता फिर से सविता की चूत को सहलाने लगी जिससे उसको बड़ा आराम आने लगा. फिर मैंने देखा कविता ने ऊपर दोनों चूचियों में अपने हाथो को कस कर गोल पकड़ बनाई और उसे दबा कर बड़ा कर डाला. जब सविता आह्ह्ह्ह… येह.. उउउउउउउ…… मज़ा आ रहा है…. ऊऊऊ… स्स्स्सस्स्स्स.. सससस.. स ऐसे ही करो प्यार. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तो कविता ने सविता के निप्पल्स को पीना शुरू किया. फिर कविता सविता की जांघो को फैला कर अपनी दोनों हाथों की उँगलियों से उसकी चूत को फैला लेट गई और अपनी ज़बान डाल कर सविता की बुर का रसपान करने लगी. वो उसके सिंघाड़े को अपने मुँह में ले कर चूस रही थी और उसकी एक ऊँगली सविता के चूत के छेद में अंदर-बाहर डाले जा रही थी.
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गरम होने पर सविता ने कविता को अपनी बाँहों में खींचा और फिर उसके ऊपर सवार हो गई. सविता ने कविता की चिकनी ऐनी-फ्रेंच क्रीम से साफ की हुई झांटो रहित साफ चूत को उसके पायजामे से बाहर निकाला और अपनी थूक का लेप लगा कर उसकी चूत में अपनी ज़बान की एंट्री शुरू की.
सविता कविता की रसमलाई जैसी बुर को खूब ज़बान से खुरदुरा कर चाट रही थी. सविता कविता की गांड में भी बार-बार अपनी थूक लगाती और अपनी ज़बान से उसकी गांड में चाट रही थी. सविता फिर उठ कर फ्रिज तक गए और पेप्सी निकाल लाई. सविता ने कविता की चूत फैला कर उसमे पेप्सी गिराई और ठंडी पेप्सी को चूत में भरकर अपने ज़बान से चाटना शुरू किया.
वो उसके निप्पल्स को भी पेप्सी से वेट कर चुकी थी और निप्पल्स से कोल्ड ड्रिंक को पी कर उसने बहुत मज़ा लिया. कविता को झड़ कर अंदर जा कर फ्रिज में रखी दूध पर जमी मलाई निकल कर लानी पड़ी जिसे कविता ने सविता की चूत पर लेप समान मल दिया और फिर उस मलाई को अपनी ज़बान से खा लिया. मलाई चाटने से चूत और निखार गई थी.
चूत का गुलाबी भाग बार-बार दोनों लड़कियों का मुझको दिखता जिससे मेरा लंड खड़ा हो टाइट हो चुका था. कविता सविता की चूत को दो फांको में चीर कर अपनी ज़बान से उसमे अंदर-बाहर मलाई का लेप घुमा रही थी और चूत के छोड़े हुए पानी को लप लप कर मलाई के साथ पी रही थी. अब कविता और सविता दोनों नंगी हो एक दुसरे के साथ लेती थी और दोनों एक दुसरे पे उल्टा हो लेती थी और दोनों ही एक दुसरे की चूत में ज़बान डाल रही थीं.
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कविता नीचे थी पीठ के बल और अपनी दोनों टांगो के मेरे सीक्रेट होल की तरफ किये थी जिससे उसकी चूत के दर्शन मुझे भी हो रहे थे. जबकि सविता मेरी तरफ अपना सर किये थी और दोनों टांगे उस कविता के सर की तरफ थी. जिससे सविता ऊपर से कविता की चूत को अपनी ज़बान से ऊपर से नीचे की तरफ चाट रही थी. और कविता दोनों गोरी-गोरी जांघो को दूर ईस्ट-वेस्ट किये चूत को धर्मशाला की गेट की तरह खोले थी. जिसमे सविता बहुत अच्छे से ज़बान डाल कर चाट रही थी.
और उसके क्लीट को अपने होंटो में दबाकर चूस रही थी. कविता ने अब उठकर बैगन ला कर सविता को भी दिया और दोनों साथ सीधे लेट कर मेरी तरफ वाले डायरेक्शन में चूत को फैला कर लम्बा मोटा बैगन अंदर डाल रही थी. जो उनको लंड की तरह मज़ा दे रहा था. बैगन से चूत को छोड़ कर साथ साथ वो एक दुसरे के बूब्स भी दबाती और निप्पल्स को भी पीना नहीं भूलती. मुझको उनकी बेबसी पर बड़ा तरस आया पर क्या करता यह तो उनका रोज़ का प्रोग्राम था. वो शेर नहीं सुना आपने:– “औरत न मांगे ताज और तख़्त वो तो चाहे बस लौड़ा सख्त.”
Hot boy says
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