Mast Sexy Story
एक बार मैं अपने ऑफिस के काम से नई दिल्ली से बैंगलोर जा रहा था. मेरा रेलवे टिकट ऑफिस वालों ने कर्नाटक एक्सप्रेस में फर्स्ट AC में करवा दिया था. मैं अपनी यात्रा के दिन शाम को आठ बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँच गया. बाहर दिसंबर का महीना था इसीलिए ठण्ड बहुत पड़ रही थी और मैं अपनी सीट में बैठ गया. Mast Sexy Story
थोड़ी देर के बाद ट्रैन चल पड़ी और टी.टी. आया और टिकट चेक करके चला गया. हमारे कूपे में एक ही परिवार के दो औरतें और एक आदमी था. मेरा अप्पर बर्थ था और ट्रेन चूतने के बाद मैं थोड़ी देर तक नीचे बैठा रहा. फिर मैं अपने बर्थ में जाकर कम्बल तान कर आंख बंद करके सो गया.
नीचे वो आदमी और औरतें गप-शप लड़ा रहे थे. उनकी बात सुन कर मुझे लगा की वो आदमी एक MNC में सीनियर एग्जीक्यूटिव पोस्ट पर काम करता है और जो औरत बड़ी उम्र की थी उनके ऑफिस से सम्बन्ध रखती हैं और छोटी उम्र की लड़की उसकी बेटी है.
मैं आँखे बंद कर के उनकी बातें सुन रहा था. उनकी बातों से लग रहा था की दोनों औरतें में माँ और बेटी का सम्बन्ध है और वो सब मस्ती करने के लिए बैंगलोर जा रहे हैं लेकिन घर पर ऑफिस का काम बता कर आएँ हुए हैं. छोटी उम्र वाली लड़की की उम्र लगभग 19-20 साल था और दूसरे की उम्र लगभग 36-37 साल था.
मुझे उनकी बातों से मालूम पड़ा की माँ का नाम प्रतिमा और लड़की का नाम वामिका है. दोनों माँ और बेटी उस आदमी को ‘सर’ कहा कर पुकार रहे थे. दोनों औरतें ही देखने में बहुत सूंदर थी. छोटी वाली का फिगर बहुत सेक्सी था. उसके मम्मे उसकी ब्लाउज के उप्पर से दिखने में भरी भरी और तनी दिखती थी और उसकी चूतड़ गोल गोल लेकिन कम उभरा था.
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दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत बड़े बड़े थे और उसकी चूतड़ भी खूब बड़े बड़े और फैले हुए थे. उनके साथ का आदमी का उम्र लगभग 30-32 साल रही होगी और देखने में बहुत स्मार्ट था. तीनो आपस में काफी घुल मिल कर बाटे कर रहे थे. थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लग गयी.
रात के करीब 12 बजे मेरी आंख खुल गयी मुझे बहुत प्यास लगा हुआ था. मैंने अपनी आंख खोली तो देखा की कूपे में नाईट लैंप जल रही है और वो तीनो अभी भी बातें कर रहें हैं. फिर मेरे नाक में शराब की महक आया तो मैंने धीरे से नीचे झाँका तो मेरा आंख फैल गया.
उस समय वामिका खिरकी के साथ हमारे निचले वाले बर्थ पर बैठी हुई थी और दूसरे बर्थ पर प्रतिमा और ‘सर’ बैठे हुए शराब पी रहे थे. वामिका के हाथ में एक कोल्ड ड्रिंक का बोतल थी. उस समय दोनों माँ और बेटी अपने कपड़े बदल चुकी थी. प्रतिमा एक हल्का नीला हाउस कोट में थी और वामिका एक गुलाबी रंग का मैक्सी पहने हुई थी.
मज़े की बात यह थी की मुझको लग रहा था दोनों माँ और बेटी अपने अपने हाउस कोट और मैक्सी के अंदर कुछ नहीं पहन रखी है और ‘सर’ सिर्फ एक बनियान और लुंगी पहने हुए हैं. मुझे लगा की प्रतिमा और ‘सर’ काफी शराब पी चुके हैं क्योंकि दोनों काफी झूम रहे थे.
शराब पीते पीते ‘सर’ ने प्रतिमा को अपने और पास खींचा तो प्रतिमा पहले वामिका की तरफ देखी और फिर ‘सर’ के बगल में कंधे से कन्धा मिला कर पैर के उप्पर पैर चढ़ा कर बैठ गयी. प्रतिमा जैसे ही ‘सर’ के पास बैठी तो ‘सर’ ने अपने हाथ प्रतिमा के कंधे पर रख कर प्रतिमा के कंधे को सहलाने लगे.
प्रतिमा ने एक बार वामिका की तरफ देखी और चुपचाप अपने ड्रिंक लेने लगी. वामिका भी ‘सर’ और माँ की तरफ देख रही थी. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अपना एक हाथ प्रतिमा के पेट के ऊपर रख कर प्रतिमा के पेट को सहलाने लगे. ऐसा करने से प्रतिमा तो पहले कुछ कसमसाई फिर चुपचाप अपने ड्रिंक लेने लगी.
फिर ‘सर’ ने प्रतिमा के पेट से हाथ को और थोड़ा ऊपर उठाया और अब उनका हाथ प्रतिमा के मम्मो के ठीक नीचे था. उनकी इस हरकत से प्रतिमा ने सिर्फ अपने ‘सर’ को देख कर मुस्कुरा दी. फिर ‘सर’ ने अपना हाथ प्रतिमा के मम्मो पर रख दिया और अपना हाथ घूमाने लगे.
अब ‘सर’ का हाथ प्रतिमा के मम्मो को उसकी हाउस कोट के ऊपर से धीरे धीरे सहला रहे थे. अपनी मम्मे और ‘सर’ का कामकाज वामिका बड़े गौर से बिना पालक झपकाई देख रही थी. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अपना ड्रिंक सामने की टेबल पर रख दिया और अपने दोनों हाथ से प्रतिमा के दोनों मम्मे पकड़ लिया और उन्हें जोर जोर से दबाने लगे.
अब प्रतिमा भी नहीं चुप बैठ सकी और उसने भी अपनी ड्रिंक टेबल में रख कर ‘सर’ को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया लेकिन ‘सर’ अपने दोनों हाथों से प्रतिमा के दोनों मम्मे पकड़ कर दबाते रहे. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने अपना मुंह प्रतिमा की मम्मे के ऊपर लाये और उसकी मम्मे को उसकी हाउस कोट के ऊपर से ही अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगे.
‘सर’ ने प्रतिमा की मम्मे को हाउस कोट के ऊपर से चूमते चूमते अपना एक हाथ प्रतिमा के हाउस कोट के अंदर डाल दिया और अपनी हाथ घुमा घुमा कर उसके चुन्चो को मसलने लगे. फिर उन्होंने प्रतिमा के कान में कुछ कहा और प्रतिमा ने अपनी हाथ से अपनी बेटी वामिका को पाने पास बैठने नो कही.
वामिका तो पहले अपनी आंख घुमा ली पर प्रतिमा ने उसे आवाज देकर बुलाई तो वो उठ कर ‘सर’ और प्रतिमा के बगल में बैठ गयी. फिर ‘सर’ ने प्रतिमा को और खिसकने को कहा और खुद भी प्रतिमा के साथ खिसक गए. अब उन्होंने वामिका को अपनी दूसरी तरफ बैठने के लिए कहा.
जब वामिका नहीं उठी तो उन्होंने अपना हाथ प्रतिमा के हाउस कोट के अन्दर से निकाल कर वामिका का हाथ पकड़ कर अपने दूसरी तरफ बैठा दिया. वामिका को बैठते ही ‘सर’ ने पानी दूसरी हाथ उसके कंधो के पीछे रख दिया. ‘सर’ का एक हाथ अब प्रतिमा के चुन्चो से खेल रहा था और दूसरी हाथ वामिका के पीछे था.
उनका पीछे वाला हाथ अब उन्होंने धीरे धीरे आगे की तरफ किया और अब उनकी दूसरी हाथ वामिका के ठीक चूँची के ऊपर थे. जैसे ही ‘सर’ का हाथ वामिका की चूँची को छुने को हुआ तो उसने ‘सर’ का हाथ झिड़क दिया. वामिका को ऐसा करने से उन्होंने प्रतिमा के कण में फिर कुछ कहा.
अब प्रतिमा उठ कर वामिका के सामने खड़ी हो गयी और ‘सर’ का हाथ लेकर वामिका की चूँची पर रख दी और ‘सर’ से उन्हें दबाने को कहा. अपनी मां की इस बर्ताब से वामिका के आंख से आंसू आ गए पर वो कुछ न कह सकी. वामिका अब चुपचाप अपने चूँची को ‘सर’ से दबवा रही थी.
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प्रतिमा तब झुक कर वामिका की गाल पर एक चुम्मा दिया और बड़े प्यार से बोली “बेटी MNC में नौकरी ऐसे ही नहीं मिलती उसके लिए कुछ देना पड़ता है. हमारे पास तो इतना पैसा हैं ही नहीं है इसलिए हमलोग को वही देना पड़ेगा जो अपने पास है.” फिर उसने ‘सर’ से कहा “सर अब आप बेफिक्र हो कर मज़ा लो लेकिन देखना वामिका को पक्की नौकरी मिले.”
‘सर’ ने भी एक हाथ से वामिका की चूँची दबाते हुए प्रतिमा की तरफ अपना मुंह बढ़ा कर उसकी चूँची को चूमते हुए कहा “चिंता मत करो वामिका की नौकरी तुम्हारी तरह पक्की नौकरी होगी. लेकिन वामिका को भी मेरा कहना मानना पड़ेगा.” “अरे ‘सर’ देख नहीं रहे की वामिका आप की बात मैंने के लिए तैयार है? अरे वामिका मेरी ही बेटी है और आप जो भी कुछ कहेंगे हमारी तरह वामिका भी आपकी बात मानेगी.”
इतना कहा कर प्रतिमा फिर से ‘सर’ के बगल में जाकर बैठ गयी और उन्हें अपनी दोनों हाथों से जकड़ लिया. अब ‘सर’ के दोनों हाथ माँ और बेटी की चुचियों से खेल रहा था. माँ की चुचियों को वो हाउसकोट के अंदर हाथ कर मसल रहा था और बेटी की चूंचियों को उसके मैक्सी के ऊपर से ही दबा रहा था.
यह सब देख कर मेरी नींद आँखों से बिलकुल साफ हो गया और मैं अपनी कम्बल के कोने से नीचे की तरफ देखने लगा. मुझे ‘सर’ की किस्मत पर इर्ष्या हो रहा था और मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपनी हाथ से कम्बल के अंदर सहला रहा था. फिर मैंने देखा की ‘सर’ अपना हाथ प्रतिमा की हाउसकोट से निकाल कर उसके घुटने के ऊपर रख दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और धीरे धीरे प्रतिमा की घुटने और उसकी जांघ को सहलाने लगे. अपने जांघ पर ‘सर’ का हाथ पाते ही प्रतिमा ने अपनी पैर जो की एक दूसरे के ऊपर थे खोल कर फैला दिया. उधर ‘सर’ अपना हाथ अब वामिका के मैक्सी के अंदर डाल कर के उसकी चूँची को मसल रहा था और झुक झुक कर उन्हें मैक्सी के ऊपर से चुम रहा था.
फिर ‘सर’ ने अपने हाथ से प्रतिमा के हाउसकोट ऊपर करने लगे और हाउसकोट ऊपर करके प्रतिमा की चूत पर हाथ फेरने लगे. प्रतिमा की चूत उस हलकी रौशनी में भी मुझको साफ साफ दिखाई दे रहा था और मैंने देखा की प्रतिमा की चूत पर कोई बाल नहीं है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रहा है.
थोड़ी देर के बाद ‘सर’ अपना हाथ वामिका के मैक्सी के अंदर से निकाल लिया और उसकी चूत पर मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने लगे. वामिका बार बार अपनी मम्मी की तरफ देख रही थी लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थी. फिर ‘सर’ ने प्रतिमा की चूत पर से हाथ निकाल कर वामिका की मैक्सी धीरे धीरे टांगों पर से उठाने लगे.
वामिका अपनी हाथों से अपनी मैक्सी पकड़ी हुई थी. प्रतिमा अपने जगह से फिर उठ कर वामिका के पास गयी और उसको चूमते हुए बोली “बेटी आज मौका है मज़े कर लो हमने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पाई थी. वैसे ‘सर’ बहुत अच्छे आदमी है और यह बहुत ही आराम आराम से करेंगे तुमको बिलकुल तकलीफ नहीं होगी. बस तुम चुपचाप जैसा ‘सर’ कहें करती चलो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा और तुम्हे नौकरी भी मिल जाएगी.”
इतना कहा कर प्रतिमा ने वामिका के गाल पर और उसकी चूँची पर हाथ फेरा और फिर अपने जगह आ कर बैठ गयी. तब वामिका ने अपनी मम्मी से बोली “मम्मी यह आप क्या कह रही है? आप माँ अपनी बेटी से तो ऐसे कभी बात नहीं करती रही.” प्रतिमा अपनी बेटी की चूँची पर हाथ फेरते हुए बोली-
“अरी बेटी यह तो समय समय की बात है और जब हम दोनों ही ‘सर’ से शारीरिक सम्बन्ध बनाने वाले है मतलब जब ‘सर’ हम दोनों को ही चोदेंगे तो फिर आपस में कैसा पर्दा. चुदाई के समय खुल कर बात करनी चाहिए और इसीलिए हम ऐसे बोल रही है और अब तुम भी खुल कर बाते करो.”
वामिका अपनी माँ की बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली “ठीक है जैसा आप कहती है अब मैं भी लंड चूत और चुदाई की भाषा में बातें करूंगी.” अब ‘सर’ ने वामिका के मैक्सी के अंदर से अपना हाथ निकाल लिया और आंसू की चूत पर अपने हाथ मैक्सी के ऊपर से रगड़ रहे थे और झुक झुक कर उसकी चुन्चियों पर चुम्मा दे रहे थे.
थोड़ी देर के बाद उन्होंने वामिका की मैक्सी फिर से अपने हाथों से टांगों के ऊपर करने लगे और अबकी बार वामिका अपनी मम्मी को देखती रही और कुछ नहीं बोली. वामिका का चुप रहना ‘सर’ को और बढ़ावा दिया और उन्होंने एक ही झटके के साथ वामिका की मैक्सी पूरी तरह से खींच कर उसकी कमर पर लाये.
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इससे वामिका की चूत बिलकुल खुल गयी और उसकी चूत देख कमरे तो आँखे नहर आने को होने लगे. वामिका की चूत बहुत ही सुंदर देखने में थी. उसकी चूत पर झांटे बहुत ही सलीके का साथ काटी गयी थी. उसके चूत के होंठ और घुंडी के ऊपर बाल बिलकुल नहीं थे पर चूत के ऊपर हलकी हलकी झांटों का एक अस्तर सा था.
ऐसा लगता था की वामिका ने बड़े सलीके के साथ और टाइम दे कर अपनी झांटे बनाई थी. बेटी की चूत देख कर उसकी मम्मी बोली “वाह! बेटी वाह! तूने बहुत ही सुन्दर ढंग से अपनी झांटे बनाई हुई है. तेरी चूत और उस पर झांटों को देख कर मुझको उसको चूमने और चाटने का मन कर रहा है. पता नहीं ‘सर’ को कैसा लग रहा है.”
तब ‘सर’ ने भी उसकी सुन्दर सी चूत पर हाथ फेर कर कहा “हाँ प्रतिमा तुम्हारी बेटी की चूत बहुत ही सुन्दर है और उसने बड़े सलीके से अपनी झांटे बनाई हुई है. मुझे वामिका की चूत पसंद आया और मैं भी तुम्हारी तरह इसकी चूत को चूमना और चाटना चाहता हूँ.”
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और वामिका की कमर पकड़ कर उसकी मैक्सी अब उसकी शरीर से अलग कर दिया. अब वामिका सीट के ऊपर बिलकुल नंगी बैठे थी. ‘सर’ ने अब फिर वामिका के पास पहुँच कर उसकी चुचे से खेलने लगे. वो कभी उसकी चूँची को दोनों हाथों से पकड़ दबाते मसलते तो कभी उसकी चूँची को अपने मुंह में भर कर उसकी घुंडी चूसते और जीभ से चुभलाते.
धीरे धीरे वामिका की शरीर पर भी अब काम ज्वाला उठने लगा और वो अपनी हाथों को उठा उठा कर अंगड़ाई ले रहे थी. उसके साँस अब फूल रहे थे और साँस के साथ साथ उसकी चूँची भी अब उठ बैठ रही थी. अब वामिका से रहा नहीं गया और वो बर्थ पर लेट गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वामिका के सीट पर लेटते ही ‘सर’ ने अपना मुंह उसकी चूत के पास ले गए और वामिका की चूत को ऊपर से चाटने लगे. थोड़ी देर के बाद ‘सर’ ने वामिका की पैर को अपने हाथों से पकड़ सीट पर फैला दिया और एक उंगली उसकी चूत में डालने लगे. चूत पर उंगली छूते ही वामिका अपनी कमर नीचे से ऊपर करने लगी और मुंह से आह! आह! ओह! ओह! नही! है! हाय! की आवाज निकालने लगी.
अब प्रतिमा अपनी बेटी के पास खड़े हो कर उससे पूछी “वामिका. मेरी बेटी क्या तकलीफ है? तुझे क्या हो रहा है? क्या मैं ‘सर’ से यह सब कुछ करने के लिए ना कर दूँ?” तब वामिका ने अपनी माँ की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली “माँ मेरे शरीर के अंदर कुछ कुछ हो रहा है. बहुत गर्मी लग रही है लेकिन ‘सर’ से तुम कुछ मत कहो.”
वामिका अपने हाथ अपनी चूत के पास ला कर फिर बोली “माँ मेरे इन्हे कुछ हो रहा है लगता है की कोई चींटी घुस गया है. तुम कुछ करो न देखो न यहा क्या हो रहा है.” प्रतिमा ने अपनी बेटी की बात सुन कर हँसते हुए बोली “बेटी तेरे ऊपर जवानी का बुखार चढ़ गया है और इसीलिए तेरे चूत में खुजली हो रही है. यह खुजली बिना चमड़े के डंडे से नहीं जाएगी. अब तू ‘सर’ का चमड़े का डंडा अपने हाथ में ले कर के देख वो तुझको आराम देने के लिए कितना आतुर है.”
“माँ मैं अब भी समझ नहीं पायी.” वामिका बोली.
“अरी बेटी तू अभी सब समझ जाएगी बस तू चुपचाप देखती जा ‘सर’ अभी तेरी सब मुश्किल दूर कर देंगे.” यह कह कर प्रतिमा ‘सर’ के तरफ देखने लगी. ‘सर’ अब तक माँ बेटी की बातें सुन रहे थे और अब उन्होंने प्रतिमा को अपनी बाँहों में भर कर एक जोरदार चुम्मा दिया और उसकी चूँची मसलने लगे.
प्रतिमा की चूँची मसलते मसलते हुए उन्होंने प्रतिमा की हाउसकोट उतार दिए. अब माँ और बेटी दोनों ‘सर’ और मेरे आँखों के सामने नंगे थे. बस फर्क यह था की बेटी सीट पर अपनी पैर फैलाये लेती हुई थी और माँ ‘सर’ के बाँहों में खड़ी खड़ी अपनी चूँची मलवा रही थी. दोनों माँ और बेटी ने एक दूसरे के आंख में झाँका और मुस्कुरा दिए.
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अब वामिका अपने सीट पर बैठ गयी और अपनी हाथ बढ़ा कर अपनी माँ की चूँची को ‘सर’ के हाथों को हाथ कर मसलने लगी. थोड़ी देर के बाद वामिका अपनी माँ की चूँची मसलते हुए उनके पैर के पास बैठ गयी और अपनी की चूत पर अपनी मुंह रगड़ने लगी. प्रतिमा ने अपने हाथों से वामिका का चेहरा अपने चूत पर कस कस कर दबाने लगी.
थोड़ी देर के बाद माँ और बेटी एक दूसरे से लिप्त कर खरे रहे और फिर उन्होंने आगे जा कर ‘सर’ को अपने अपने हाथों से पकड़ लिया. वामिका ‘सर’ के होठों का चुम्मा लेना शुरू किया और प्रतिमा ने ‘सर’ के लुंगी हटा कर उनकी लंड को पकड़ कर मरोड़ने लगी. ‘सर’ का लंड देख कर मैं हैरान हो गया.
उनके लंड की लम्बाई लगभग 11″ और मोटाई करीब 4″ था और सुपाड़ा फूल करके बिलकुल एक छोटा सा टमाटर सा दिख रहा था. मुझे ऊपर लेटे लेटे चिंता होने लगी की जब ‘सर’ का लंड वामिका की चूत में घुसेगा तो चूत की क्या हालत होगी. वामिका की चूत बिलकुल फट जाएगी और हो सकता है की डॉक्टर को बुलाना पड़े.
अब मैंने अपना मुंह कम्बल से निकाल लिया और उनके तरफ करवट लेकर उनके कारनामे देखने लगा. ‘सर’ अब प्रतिमा को छोड़ कर फिर से वामिका के पास पहुँच गए और उसे अपने बाँहों में लेकर उसकी चूत मसलने लगे. वामिका चूत मसलने के साथ ही अपनी टांगे फैलादी और फिर एक पैर सीट पर रख दिया.
अब ‘सर’ ने झुक कर वामिका की चूत में अपना जीभ घुसेड़ कर उसको अपनी जीभ से चोदने लगे. यह सब देख कर प्रतिमा जो अब तक खुद ही अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थे आगे बढ़ी और ‘सर’ का फुला हुआ सुपाड़ा अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी.
तब ‘सर’ ने वामिका को सीट के किनारे पैर फैला कर बैठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दी. ऐसा करने से वामिका की चूत अब बिलकुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो ‘सर’ ने वहीँ बैठ कर वामिका की चूत को चाटने और चूसने लगे. प्रतिमा को भी अब तब सेक्स चढ़ चुका था उसने ‘सर’ के आगे बैठ कर ‘सर’ का लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया.
मैं यह सब देख कर अपने आप को रोक न सका और अपने सीट पर बैठ गया. मुझको उठते देख कर तीनो घबरा गए और अपने अपने कपड़े ढूंढ़ने लगे. मैं हंस कर बोलै “सॉरी मैं आप लोग को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था लेकिन मैंने अपने आप को रोक नहीं पाया. कोई बात नहीं आप लोग अपना कार्यक्रम जारी रखिये मैं यंही बैठा हूँ.”
अब तक प्रतिमा और वामिका दोनों ने अपनी अपनी जिस्म को अपने हाथों से ढँक लिया था. प्रतिमा अपने नज़र मेरे तरफ घुमा के बोली “आप कब से जगे हुए हैं?” “अरे मैं सोया ही कब था की जागूंगा.” तब प्रतिमा और वामिका मेरे तरफ घुर घुर कर देखने लगी और ‘सर’ अपने नंगापन को ध्यान न देते हुए हमारे तरफ मुड़ कर अपना हाथ मुझसे मिलाया.
और कहा “मेरा नाम नरेंद्र है और मैं ग्रेट इंटरनेशनल कंपनी में काम करता हूँ. अब आप जब हमारा कार्यक्रम देख चुके तो मैं आप को हमारे साथ शामिल होने की निमंत्रण देता हूँ. क्या आप को कोई आपत्ति है?” मैंने कहा “आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे ख़ुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने का.”
यह सुनकर माँ और बेटी दोनों ने मुस्कुरा दिया और मुझसे नमस्ते किया. मैं फिर बोला “जब हम लोग एक ही खेल में शामिल होने वाले हैं तो फिर यह नाईट बल्ब क्यों?” यह सुन कर प्रतिमा ‘सर’ का लंड छोड़ कर उठ कर कूपे का लाइट जला दिया और मेरे पास आ कर मुझे पकड़ कर मेरे होठों को चुम लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तब मैंने प्रतिमा को अपनी हाथों में लेकर एक हाथ से उसकी चूँची मसलने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर ले जाकर चूत में उंगली करने लगा. उधर नरेंद्र अब वामिका को सीट पर लेटा दिया था और उसकी चूत में अपनी उंगली पेल रहा था और वामिका की चूत टाइट होने के कारण वामिका मारे दर्द के तिलमिला रही थी.
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तब प्रतिमा मुझसे अपने को छुड़ाते हुए अपनी बैग से पोंड्स कोल्ड क्रीम की शीशी निकली और पोंड्स क्रीम वामिका के चूत के अंदर और बाहर मलते हुए वामिका की आंसू पोंछ कर वामिका के सर पर हाथ फेरने लगी. वामिका अपनी माँ को देख कर बोली “माँ जब उंगली से ही इतना दर्द हो रहा है तो ‘सर’ का लौड़ा मेरे अंदर कैसे जाएगा?”
प्रतिमा वामिका की चूँची को दबाते हुए बोली “बेटी पहले तो थोड़ी सी दर्द बर्दास्त तो करनी होगी फिर बाद में बहुत मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर ‘सर’ बहुत आराम आराम से तेरी लेंगे और तुझे मज़ा देंगे. अब देख मैं भी शरद के पास जा रही हूँ और उनको अपनी दूंगी और मज़े लुंगी.”
इतना कह कर प्रतिमा मेरे पास आ गयी और हमारे लौड़े को चूमने और चूसने लगी. यह देख कर वामिका भी उठ कर नरेंद्र का लंड अपने मुंह में ले कर चुसने लगी. नरेंद्र का लंड इतना मोटा था की वामिका के मुंह में पूरा नही समां पा रहा था तो वामिका ने अनोज का लंड अपने मुट्ठी में लेकर चाटने लगी.
इधर मैं भी प्रतिमा से पाना लंड बारे आराम से चुसवा रहा था और प्रतिमा मारे गर्मी के कभी कभी मेरा सुपाड़े को अपने दान्त से हलके हल्के काट रही थी. अब मैंने प्रतिमा को सीट के पास झुका कर खड़ा कर दिया और उसके पीछे से आ कर उसक चूतड़ में अपना लंड रगड़ने लगा. फिर मैंने प्रतिमा से कहा अब मैं तुमको पीछे से कुत्ता के तरह चोदुंगा.”
और यह कह कर मैं थोड़ी से थूक अपने लंड पर लगाया और प्रतिमा की चूत में अपना लंड पेल दिया. प्रतिमा मेरे लंड को अंदर लेते ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और जोर जोर बोल रही थे “देख वामिका देख कैसे शरद का लंड मेरे चूत में घुस कर मुझे मज़ा दे रहा है. अब तुझे भी ‘सर’ अपने लंड मज़ा देंगे. तू जल्दी से अपनी चूत में ‘सर’ का का लंड डलवा ले.”
“अरे मैं कब मना कर रही हूँ. ‘सर’ ही तो अपना मेरे अंदर नहीं डाल रहे हैं तो बस मेरी चूत को चूस रहे हैं. वैसे मुझे अपनी चूत चुसवाने में भी बहुत मज़ा आ रही है.” वामिका ने अपनी माँ से बोली. तब मैंने नरेंद्र से कहा “अरे भाई नरेंद्र लड़की चुदवाने के लिए तैयार है तुम अपना लंड जल्दी से वामिका की चूत में पेल दो.”
नरेंद्र ने फिर वामिका को ठीक से लेटा कर उसकी चूत और अपने लौसे में अच्छी तरह से पोंड कोल्ड क्रीम लगाया और अपना लंड वामिका की चूत के ऊपर रख दिया. जैसे ही नरेंद्र ने अपना लंड वामिका की चूत के अंदर दबाया तो वामिका चिल्ला पड़ी “हाय! मम्मी मुझे बचाऊओऊ मैं मरीई जा रहीईई हूउउउउन. हाय! मेरी चूत फआटीईई जा रहईये हैईईई. ‘सर से कहो की अपना लंड निकाल ले.”
प्रतिमा तब हमारे लंड को अपनी चूत से निकाल कर वामिका के पहुँच गयी और उसके चूँची को दबाते हुए कहा “बस बेटी बस अभी तेरी तकलीफ दूर हो जायेगा. बस थोड़ी सी बर्दास्त कर. तेरा यह पहली चुदाई है न? अभी ‘सर’ तुझको चोद चोद कर मज़ा देंगे.” यह कह कर प्रतिमा वामिका की चुचियों को चुसती रही.
थोड़ी देर के बाद प्रतिमा ने अपनी बेटी की चूत को दोनों हाथ से लंड खाने के लिए फैला दिया और नरेंद्र से कहा “’सर’ लीजिये मैंने अपनी बेटी की चूत को फैला दिया है अब आप अपना लंड धीरे धीरे वामिका की चूत में डालिये और इसको मज़ा दीजिये.” फिर नरेंद्र ने अपना सुपाड़ा फिर से वामिका की चूत के ऊपर रखा और धीरे से उसको अंदर कर दिया.
वामिका फिर से चिल्लाने लगी लेकिन उसको ना सुनते हुए नरेंद्र एक जोरदार धक्का मारा और उसका लंड वामिका की चूत में घुस गया. वामिका एक चीख मार कर बेहोश हो गयी. प्रतिमा ने वामिका के चहरे पर पानी का छिट्टा मारा और वामिका की चूँची को जोर जोर मसलने लगी. नरेंद्र यह सब न देखते हुए अपनी रफ़्तार से वामिका की चूत में अपना लंड पेले जा रहा था.
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थोड़ी देर के बाद वामिका ने आंखे खोली और अपनी मम्मी से कहने लगी “हाय! मम्मी बहुत दर्द कर रहा और मज़ा भी आ रहा है.” यह सुन कर प्रतिमा बोली “बस अब थोड़ी ही देर में तेरी सब दर्द दूर हो जाएगी और तेरे को मज़ा ही मज़ा आएगी.” मैंने जब देखा की वामिका अब मज़े ले लेकर नरेंद्र का लंड अपनी चूत में लील रही है.
तब मैं भी प्रतिमा के पीछे से जाकर प्रतिमा की चूत में अपना लंड फिर से घुसा दिया और अपनी रफ़्तार से प्रतिमा को चोदने लगा. यह देख कर वामिका बोली “हाय! मम्मी तुम्हारी चूत में भी शरद का लंड घुसा हुआ है और तुम मज़े से चुदवा रही हो. अब मुझे भी मज़ा आ रहा है.”
अब वामिका ने अपने पैर उठा कर नरेंद्र के कमर में फसा लिया और नीचे से अपनी चूतड़ उठा उठा कर नरेंद्र के हर धक्के का जवाब दे रही थी. नरेंद्र भी वामिका की दोनों चुन्ची पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड हचक हचक कर डाल रहा था. अब दोनों माँ और बेटी को चुदाई का मज़ा आ रहा था और दोनों जोर जोर से चोदने को कह रही थी.
मैं अपना लंड प्रतिमा की चूत में जोर जोर से अंदर बाहर कर रहा था और दोनों हाथों से उसकी चुन्चिया मसल रहा था. प्रतिमा भी अपनी चेहरा घुमा कर हम को चुम्मा दे रही थी. थोड़ी देर इस तरफ मैं और नरेंद्र प्रतिमा और वामिका को चोदते रहे और फिर उनकी चूत में अपना लंड ठांस कर झड़ गए. हमलोगो के साथ ही माँ और बेटी भी झड़ गयी.
जब हमलोगों ने अपना लंड माँ और बेटी की चुत से निकाल तो दोनों ने अपनी अपनी चूत रूमाल से पोंछा. वामिका की चूत से खून भी निकला था. मैं और नरेंद्र आमने सामने की सीट पर बैठ गए और तब मेरे पास प्रतिमा फिर से बैठ गयी और मेरा लंड को अपनों मुंह में लेकर चूसने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
नरेंद्र उठ कर बाथरूम चला गया तो वामिका भी मेरे पास आ कर अपनी मम्मी से मेरा लंड छीन कर चूसने लगी और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूँची से लगा दिया. मैं भी वामिका की चुंचियां मसलने लगा. थोड़ी देर के बाद नरेंद्र कूपे में आया तो देखा की वामिका मेरे लंड को मुंह में ले कर चूस रही है और प्रतिमा मेरे से लिपटी हुए अपनी बेटी को देख रही है.
नरेंद्र यह देख कर कहा “अरे प्रतिमा तेरी बेटी तो एक ही चुदाई के बाद मस्ती से शरद का लंड चूस रही है. तेरी बेटी है बहुत मस्त चीज़. वामिका की चूत चोदने में हमे बहुत मज़ा आया. अब तू भी कुछ अपनी बेटी से सीख चल आजा और मेरा लंड को चूस चूस कर खड़ा कर. अब मैं तेरा गांड में अपना लंड पेलुँगा.”
यह सुन कर प्रतिमा पहले मुस्कुराई और फिर नरेंद्र के पास जा कर बैठ गयी. नरेंद्र प्रतिमा के चहरे को अपने लंड तक झुका दिया और अपना लंड प्रतिमा के मुंह से लगा दिया. प्रतिमा अपनी जीभ निकल कर नरेंद्र का लंड चाटने लगी. थोड़ी देर के बाद वामिका अपने मुंह से मेरा लंड निकला और फिर अपने मम्मी से पूछी “मम्मी क्या ‘सर’ अपना लंड तुम्हारे गांड की छेद में डालेंगे? तुम्हे दर्द नहीं होगा?”
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प्रतिमा बोली “नहीं वामिका औरत के शरीर में तीन छेद होते हैं जहाँ मर्द अपना लंड डालता है और उसमे मर्द और औरत दोनों को मज़ा आता है. तू भी शरद से कह की वो अपना लंड तेरे गांड की छेद में डाले.” “नहीं बाबा मुझे डर लग रहा है. पहले से ही मेरी चूत ‘सर’ ने फाड़ रखी है और अब मैं अपनी गांड की छेद शरद से नहीं फड़वाउंगी.” वामिका अपनी मम्मी से बोली.
मैंने तब वामिका की चूँची को मसलते हुए कहा “ठीक है वामिका मेरी जान मैं पहले मैं तुम्हारी चूत चोदुंगा और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी गांड मारूंगा.” अब मैं वामिका को सीट से उठा कर सीट के सहारे खड़ा कर दिया और उसका हाथ सीट की किनारे से पकड़ा दिया. मैं फिर वामिका के पीछे जाकर उसकी चूत जो की पीछे से बाहर निकल आई थी अपने जीभ से चूसने लगा.
वामिका मारे गर्मी के अपनी कमर आगे पीछे कर रही थी. मैं अपना एक हाथ से वामिका की चुंचियां भी मसल रहा था. थोड़ी देर के बाद मैंने अपना लंड वामिका की चूत पर रखा और धक्का मार कर उसको अंदर कर दिया. वामिका लंड अंदर जाते ही हाय हाय करने लगी लेकिन मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा.
वामिका कहने लगी “हाय! बहुत अच्छा लग रहा है तुम जरा जोर से अपना लंड अन्दर बाहर करो. मेरे चूत में बहुत खुजली हो रही है. अब तुम जोर जोर से चोदो मुझको मैं अब अपनी चूत से परेशान हो गयी हूँ. इसको आज फाड़ डालो.” इतना सुनते ही मैं वामिका पर पिल पड़ा और उसे जोर जोर से चोदने लगा और अपनी एक उंगली में थूक लगा कर उसकी गांड के छेद में घुसा कर घूमाने लगा.
उधर नरेंद्र भी प्रतिमा को सीट के सहारे झुका कर खड़ा कर के उसकी गांड में अपनी अपनी पेल चूका था. प्रतिमा अपनी कमर हिला हिला कर अपनी गांड नरेंद्र से मरवा रही थी और बोल रही थी “देख वामिका देख कैसे ‘सर’ का लंड मेरे घुस कर मेरी गांड चोद रहा है. सच कह रही हूँ मुझे गांड चुदवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है. अब तू भी शरद से पानी गांड मरवा.”
“नहीं मम्मी मैं शरद से अभी अपनी गांड नहीं मरवाउंगी मुझे पहले अपनी चूत चुदवानी है. मेरी चूत में बहुत खुजली हो रहा है और जैसे जैसे शरद मुझको चोद रहा है मेरी चूत की खुजली कम हो रही है. मैं बाद में अपनी गांड में लंड पेलवाउंगी. तुम अब मज़े से अपनी गांड चुदवाओ.” वामिका अपनी मम्मी से बोली.
मैं उसकी इस तरह खुल्लम खुल्ला बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उसकी चूत चोदता रहा. थोड़ी देर के बाद वामिका बोली “शरद मुझे अपनी मम्मी के पास जाना है. तुम अपना लंड मेरे चूत से मत निकालो और ऐसे ही मुझको मम्मी के पास ले चलो.” मैं भी अपना लंड निकाले बिना वामिका को अपने बाँहों में भर लिया और प्रतिमा के पास ले गया. वामिका अपने मम्मी के पास पहुँचते ही प्रतिमा की चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी और अपनी हाथों को प्रतिमा की चूत पर रख दिया.
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फिर वो बोली “मम्मी जब जब पिताजी तुमको चोदते थे मैं छुप छुप कर देखती थी और अपने चूत में उंगली किया करती थी और सोचती थी की एक दिन मैं तुम्हारे पास बैठ कर तुम्हारी चूत की चुदाई देखूंगी. आज भगवान ने सुन ली और मैं तुम्हारे पास खड़ी खड़ी अपने चूत में लंड घुसाई तुमको चुदती देख रही हूँ. आज मेरी वो तमन्ना भी पूरी हो गयी. सही में मम्मी तुमको चुदते देख कर बहुत अच्छा लगता है. तुमको कैसा लग रहा है मेरे सामने अपनी चूत या गांड मरवाते हुए.”
यह कह कर वामिका अपनी मम्मी की चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगी. हम लोग ने अपने बिस्तर जमीन पर बिछा दिया और फिर प्रतिमा और वामिका को साथ साथ लेटा कर मैं और नरेंद्र ने उनकी चूत और गांड खूब जम कर मारी. एक बार तो मैं प्रतिमा की गांड मार रहा था और प्रतिमा वामिका की चूत अपनी जीभ से चोद रहा था और नरेंद्र अपना लंड वामिका के मुंह में डाल कर चुसवा रहा था. प्रतिमा और वामिका दोनों अपनी चूत और गांड हम लोगो से मरवा कर बहुत खुश थी और लौटने का भी प्रोग्राम हमने साथ साथ बना डाला.
Kartik says
Bhabhi choot garam karne me lga bhabhi ka beta
Arun says
Ap hamse mil sakte ho kya 2 girl h unke sath group vala karna h mera number 9277216026