Lesbian Friend Fun
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है आकृति। उसकी उमर कोई 28 साल, कद 5’6″, फ़ीगर 34-28-36, गुलाबी रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ, खूब फूले हुए स्तन, भरे-भरे चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनों कॉलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। Lesbian Friend Fun
और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कॉलेज के ज़माने से ही हम दोनों के बीच एक रिश्ता और बन गया। एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गई तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनों मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि रविवार को तुम अजित से मिली थी तो तुम दोनों ने क्या किया था बताओ न मुझे!
आकृति शरमा रही थी। अजित उसका चचेरा भाई था और दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे। मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन अजित ने उसका चुम्बन लिया था।
मैंने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया- हे बेईमान! अब बता रही हो?
तो वो शरमा कर हंस दी।
हे आकृति! बता ना और क्या किया था तुम दोनों ने?
बस ना! सिर्फ़ चुम्मा लिया था उसने! वो शरमा कर मुस्कराई।
ऐ आकृति! बता न प्लीज! कैसे किया था?
हट बदतमीज़! वो प्यार से मुझे धक्का देकर हंस दी।
मैं उसकी भरी-भरी जांघों पर सिर रख कर लेट गई, उसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थे, मैंने धीरे से उसके दाएँ दूध पर उंगली फेरी- क्यों आकृति! ये नहीं दबाये अजित ने?
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तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली- हाँ!
तो मैंने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर गाल चूम लिये- कैसा लगा था आकृति?
हाय उर्मिला! क्या बताऊँ! मेरी तो जैसे जान निकल गई थी जब उनकी गर्म-गर्म ज़बान मेरे मुँह में आई! मैं मदहोश हो गई! उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और एकदम से अपना हाथ यहाँ रख दिया!
वो उर्मिला का हाथ अपनी बाईं चूची पर रख कर सिसकी। मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।
फिर आकृति?
उर्मिला, बड़ी मुश्किल से अजित ने मुझे छोड़ा।
आकृति की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी, ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरे जिस्म पर चीटियां दौड़ रही हों।
मेरा यह हाल देख कर आकृति मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली- तुमको क्या हो गया उर्मिला?
तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों में मुँह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गर्म हो रही थी और महक रही थी। मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी- आह! आह आह! उर्मिला उफ़! नहीं! ना! प्लीज मत करो!
और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनों के चेहरे लाल हो रहे थे, आकृति के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी- उर्मिला!
और मैं भी अपने को ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये। एक आग सी लगी हुई थी हम दोनों के जिस्मों में!
मैं उसके होंठों पर होंठ रख कर सिसक उठी- आकृति! प्लीज मुझे बताओ न अजित ने कैसे चूमे थे ये प्यारे होंठ?
तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दांतों में दबा कर मुस्कुराई- उर्मिला, उसके लिये तो तुमको आकृति बनना पड़ेगा।
मैं हंस दी!
उसके गाल चूम कर बोली- चलो ठीक है! तुम अजित बन जाओ।
आकृति ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमें समा गई और वो मेरे गाल, होंठ, आँखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी।
तो मैं तड़प उठी- आह आ आह आ आ..कृति ऐ ए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊ ऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी।
उसका एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया तो मेरी चीख निकल गई- नाआ हि आअ ह अह आ आकृ..ती ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूस तु!
आकृति बोली- वो ही तो कर रही हूँ जो अजित ने मेरे साथ किया था।
वो मुझ से जुड़ गई और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धीरे-धीरे और फिर अंदर घुस गई तो मैं उसकी ज़बान की गर्मी से पागल हो उठी और उससे लिपट गई। आकृति ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी। ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गर्म और इतनी लम्बी थी कि मेरे पूरे मुँह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी।
हम दोनों के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूस रही थी, सिसकार रही थी- आह अह आकृति अह अह हां अह! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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उर्मिला मेरी जान!
ऊफ़ आकृति! कितनी मज़ेदार ज़बान है तेरी! इतनी लम्बी! ऊफ़! सच्ची अजित को मज़ा आ गया होगा!
आअह धीरे उर्मिला! अह आअह सच्ची उर्मिला! बहुत मज़ा आया था क्या बताऊँ तुझे! आह धीरे से मेरे होंठ! आह उर्मिला!
उठो न प्लीज अब!
हम दोनों उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुँह में सिसकी- उतारो न उर्मिला प्लीज!
और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया।
आअह आकृति! ये आह!
तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी- कुछ न बोलो उर्मिला! सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है!
मैं उसके सामने टॉपलेस बैठी थी, शर्म से मेरी बुरी हालत थी। मैंने अपने दोनों हाथों से अपने भरे-भरे दूध छुपा लिये और देखा तो आकृति ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग अपने बद्न से हटा दिए थे और मैं उसे देखती रह गई- उफ़! कितने प्यारे दूध हैं आकृति के! खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बे चुचूक! जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा!
उसने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया तो मेरी आँखें चूम लीं, मेरे दोनों हाथ मेरे दूधों पर से हटाये और अपने दूधों पर रख लिर और होंठ चबा कर सिसकी- ऊई मां आह आह! और फिर उसने मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गई- आऐ आ आऐ र अह्ह अह आअह ऊओह ऊऊम आआअह नहीं आकृ…ती!
और मैंने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो आकृति भी मुझसे लिपट कर सिसक उठी- आईए ऊउइ उ अह अह अह धीरे आह उर्मिला! धीरे आह मेरे दूधु! और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनों की ज़बाने मुँह के अंदर घुस पड़ी। उसकी लम्बी चिकनी और गर्म ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गई।
हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनों की चीखें निकल पड़ी और हम दोनों झूम गईं और मेरी चूत रस से भर गई। मैंने उसे अपने बदन से लिपटा लिया और उसकी चिकनी पीठ और नर्म-नर्म चूतड़ सहलाने लगी। इस पर वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी। मैंने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आँखें नहीं खुल पा रही थी, बहुत हसीन लग रही थी आकृति!
मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी, उसके गोल नर्म नर्म दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती। मैंने उसको थोड़ा ऊपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी तो वो मस्ती में चिल्ला पड़ी- आईई माँ! मर जाऊँगी मैं! आह अह ओह ऊओफ़ अह उर्मिला!
आह अह्ह हाँ! ये ये ये भी किया था अश… अह अजित ने! आकृति बोली।
और मैंने उसका पूरा का पूरा दूध अपने मुँह में ले लिया तो मज़ा आ गया। और आकृति ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी- आ आ इए उर्मिला! धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री! माँ! धीरे से! न आअह! बहुत अच्छा लग रहा है! आह! पूरा! पूरा चूसो न! ऊफ़ मेरा दूध आह! उर्मिला सची ऐईए ऐसे नहीं! न काटो मत प्लीज! उफ़ तुम तो अह अजित से अच्छा चूसती हो! आअह आराम से मेरी जान!
और वो मेरे दूध दबाने लगी- सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे उर्मिला! मुझे दो न प्लीज उर्मिला!
तो मैंने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकने हो रहे थे।
मैंने जैसे ही दूसरा दूध मुँह में लेना चाहा वो सिसक उठी- आह उर्मिला! प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी प्यारी चूचियाँ! कितनी मुलायम हैं!
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उइ सच्ची ? मैं उसकी चूचियाँ मसलने लगी तो मैंने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये। आकृति मेरी चूचियाँ चूसने लगी!
और मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- अह आअह आकृति! आराम से मेरी जान! आह! और! और क्या किया था अजित ने बताओ न!
तो मेरे दूध पर से अपने चिकने गुलाबी होंठ हटाते हुए मुस्कुरा कर बोली- और कुछ नहीं करने दिया मैंने!तो मैंने पूछा- क्यों आकृति! दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे ऊपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- उर्मिला, सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैंने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका क्योंकि डर लग रहा था। और मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गई मज़े में!
मेरा हाथ उसके चिकने मुलायम पेट पर आया और मैं उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी- आह आकृति! सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी! मैं क्या करूं! आह मेरे दूध आऐ ए माँ! अह्ह! धीरे! ना! इतनी ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध! आह आह ओह ऊ ओफ़ आकृति प्लीज नहीं! आअह हन हां अन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है!
उर्मिला! मेरी जान, सच्ची कहां छुपा रखे थे ये प्यारे-प्यारे दूधु तूने! तो मैं शरम से लाल हो गई उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हँस पड़ी- ऊऊउइ माँ उर्मिला। तो मैंने उसके होंठ चूम लिये।
आकृति! हूम्म!
तुमने बताया नहीं अजित और क्या कर रहा था या करना चाह रहा था?
तो वो शरमा कर मुस्कुराई- उर्मिला! वो तो!
हाँ बोलो ना आकृति प्लीज!
तो आकृति ने मेरा हाथ अपनी सलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली- वो तो इसे खोलने के मूड में था।
फिर आकृति?
मैंने रोक दिया उसे!
क्यों आकृति ? क्यों रोक दिया ? बेचारा अजित!
आकृति मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी- बड़ी आई अजित वाली!
मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी- ऐ आकृति बताओ ना क्यों रोक दिया?
तो वो मुसकराई, मैंने कह दिया- ये सब अभी नहीं!
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह आकृति! आराम से मेरी जान!
और मैंने उसकी सलवार खोल दी तो वो चौंक गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये! ये क्या कर रही हो उर्मिला?
तो मैंने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये- मेरी आकृति जान! अजित को नहीं तो मुझे तो दिखा दो!
वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी- हाय मेरी उर्मिला! कब से सोच रही थी मैं! आह मेरी जान!
और एकदम से उसने मेरी सलवार भी खोल दी और उसका हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था।
मैं मज़े में चिल्ला पड़ी- ऊऊउइ आ..कृ..ती!! ना..आ.. हाय!!
वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी, मैं मचल रही थी- नहीं आकृति! प्लीज मत करो! आ..इ..ए ऊ..ऊ..ओ..फ़ ना..आ..ही ना! ओह मैं क्या करूँ!
और उसने एकदम से मेरी जलती हुई चूत पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी- हाय रे! आह! ये क्या कर दिया आकृति!
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मुझे कुछ होश नहीं था, उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी, दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुँह में हलचल मचा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है। मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसकी सलवार भी उतर चुकी थी, अब हम दोनों बिल्कुल नंगी थी और बिस्तर पर मचल रही थी- आह उर्मिला ऊ..ओफ़ सच्ची, बहुत गरम चूत है! उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत! सच्ची बहुत तरसी हूँ इस प्यारी चूत के लिये मैं! दे दो न प्लीज उर्मिला ये हसीन छोटी सी चूत मुझे!
हाय आकृति! मैं जल रही हूँ! प्लीज! आह! मैं क्या करूँ!
मेरा पूरा जिस्म सुलग रहा था और मैंने आकृति के नरम-गरम चूतड़ खूब दबाए और जब एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी- ऊ..ऊ..उइ नी..ईइ..ना कर! और मैं तो जैसे निहाल हो गई, उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी, खूब फूली हुई! मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गई, बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था, आकृति की चूत लाल हो रही थी।
क्या देख रही हो उर्मिला ऐसे?
तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी- आकृति!!
और एकदम से मैंने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे की चूत सहला रहे थे।
आकृति!
हू म्म!
अजित को नहीं दी यह प्यारी सी चीज़?
तो वो शरमा कर मुस्कुराई- ऊँ..हूँह!
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क्यों?
तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली- तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है।
तो मैं हंस दी- हट! बदतमीज़!
सच्ची उर्मिला!
वो मेरी चूत धीरे से दबा कर सिसकी- हमेशा सोचती थी कि तुम्हारी यह कैसी होगी?
तो मैं शरमा कर मुसकुराई- मेरे बारे मैं क्यों सोचती थी तुम?
पता नहीं बस! तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो! दिल चाहता है कि तुम्हें प्यार करूँ!
मैंने मुस्कुरा कर उसके होंठ चूम लिये- तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया यह सब?
तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली- डर लगता था कि तुमको खो न दूँ कहीं!
मैंने उसे अपने नंगे बदन से लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये, आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उठी- आअह्ह..आआह.. उर्मिला! मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत!
ले मेरी जान! मेरे प्यार! और मैंने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो आकृति ने मेरे नरम चूतड़ पकड़ कर नीचे किये और मेरी चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गई- आह.. आह.. आह.. ऊऊ..औइ आकृति!
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और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आई, मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी। हम दोनों की चीखें निकल पड़ी, दोनों के चूतड़ उछल रहे थे। आकृति मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो.
मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर- आ..ऐ..ई..ए.. मा..अ मर जा..ऊँ..गी.. ना.. आ..अ..हि अर्रर्रर्ररे.. आह.. ऊ..ओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हअ आआइ मैं निकल रही हूँ.. ओ आकृति! मेरे चूतड़ उछलने लगे और आकृति के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी- उर्मिला! चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर्रे रीईईए आआआअह ऊफ़्फ़ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह्ह ह्हाआआअ! और मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झरना बह निकला हो! रोकते-रोकते भी मेरे गले से नीचे उतर गया! यही हाल आकृति का भी था। हम दोनों के चेहरे लाल हो रहे थे, सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये।