Sexy Pyasi Aunty Story
मेरी मामीजी लगभग 35 साल की है। ये मेरी बड़ी मामीजी है जो बहुत ज्यादा गौरी चिकनी है। मामीजी के बूब्स लगभग 34 साइज के है। उनके बूब्स बड़े बड़े और बहुत ज्यादा गोरे चिकने है। पिछली रात मैंने मामीजी के बूब्स को बहुत ज्यादा दबाया और मसला था। Sexy Pyasi Aunty Story
मामीजी हमेशा उनके बूब्स को साड़ी से अच्छी तरह से ढककर रखती थी। कभी भी मुझे बूब्स को देखने का मौका नहीं मिला था लेकिन रात को तो कमाल ही हो गया था। मामीजी की चिकनी कमर लगभग 32 साइज की है। मामीजी की गांड लगभग 34 साइज की है।
मामीजी की गांड बहुत ही ज्यादा कसी हुई है। जब मामीजी चलती है तो उनकी गांड बहुत ज्यादा हरकत करती है। रात को तो मुझे उनकी गांड़ मारने का मौका नहीं मिला था लेकिन आज तो मामीजी की गांड मारने का मेरा पक्का इरादा था। मामीजी की बाजुओं से नीचे आती हुई उनकी गौरी चिकनी कलाइयां किसी भी लंड आग लगाने के लिए बहुत है।
सुबह बहुत ज्यादा उजाला हो चुका था। मैं अभी भी उसी रजाई को ओढ़कर सो रहा था जिस रजाई में मैंने रात को मामीजी को पेला था। कुछ देर बाद मैं था। आज मै मामीजी से नज़रे नहीं मिला पा रहा था। मामीजी भी मुझसे दूर भाग रही थी।
कुछ देर बाद मैं छोटी मामीजी के यहां चला गया। छोटी मामीजी को देखकर मेरा लन्ड तन गया। छोटी मामीजी भी बड़ी कमाल की माल थी। फिर जैसे तैसे करके मैंने लंड को काबू में किया। फिर बहुत देर बाद मैं वापस बड़ी मामीजी के यहां आ गया। अब तक मामीजी घर का काम खत्म कर चुकी थी।
अब मेरा लन्ड फिर से मामीजी की चूत मांगने लगा था। तभी मैंने मौका देखकर मामीजी को घर में दबोच लिया और उनके बूब्स दबाते हुए जल्दी से मामीजी की चूत में उंगली घुसा दी। मेरी इस हरकत से मामीजी बहुत ज्यादा डर गई। वो मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने मामीजी को अच्छी तरह से दबोच लिया था।
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मामीजी– मनीष, छोड़ मुझे, बाहर बच्चे है।
मैं– मामीजी प्लीज करने दो ना।
मामीजी– पागल हो गया क्या? अभी बच्चे है यहां।
मैं– बच्चे तो बाहर खेल रहे है।
मामीजी– अरे वो किसी भी टाइम अंदर आ सकते है।
मैं– आप तो मुझे करने दो।
मैं ज़ोर ज़ोर से मामीजी के बूब्स को उनके स्वेटर के ऊपर से मसल रहा था। इधर मेरी उंगलियां उनकी चूत में खलबली मचा रही थी। तभी मामीजी ने सिसकारियां भरना शुरू कर दिया।
मामीजी– ऊंह आह आहा ओह ऊंह आह आह।
अब मैंने जल्दी से मामीजी को चारपाई पर पटक दिया और तुरंत उनकी टांगो को हवा में लहरा दिया। तभी मामीजी बड़बड़ाने लगी।
मामीजी– देख, मनीष, रात की बात अलग थी। जो हुआ था उस भूल जा। अब ऐसा नहीं करने दूंगी।
मैं– मामीजी आपने एक बार करवा लिया ना, अब क्यो नखरे दिखा रही हो। करवाओ ना।
मामीजी– नहीं, मुझे नहीं करवाना। हमारा रिश्ता तो देख।
मैं– रात तो आपको कोई रिश्ता नजर नहीं आया। आज ही सारे रिश्ते आपको याद आ रहे है।
मामीजी– रात भी सबकुछ तेरी हरकतों की वजह से। हुआ था।
मैं– बस तो फिर अभी भी मै ही कर रहा हूं। अब रात को जैसे आपने करवाया था, अभी भी वैसे ही करवा लो।
मामीजी– नहीं, अब मै जानबूझकर गलती नहीं करूंगी।
मैं– गलती तो आप कर चुकी हो।
मामीजी आज चुदाने में बहुत ज्यादा नखरे दिखा रही थी और मेरा लन्ड मामीजी को चोदने के लिए मरे जा रहा था। तभी मैंने मामीजी की पैंटी को खींचकर खोल दिया। मामीजी ने पैंटी को पकड़कर रखने की बहुत ज्यादा कोशिश की लेकिन उनकी पैंटी चूत पर से हट चुकी थी।
अब मैंने जल्दी से मेरा पजामा और अंडरवियर एक साथ खोल फेंकी। अब मैंने तुरंत मेरे लन्ड को मामीजी की चूत पर सेट कर दिया और फटाफट मामीजी की चूत में लंड ठोक दिया। मेरा लन्ड एक ही बार में दन दानाता हुआ मामीजी की चूत में पूरा उतर गया। मामीजी ज़ोर से चीख पड़ी।
मामीजी– आईईईई।
अब मैं ज़ोर ज़ोर से मामीजी को चोदने लगा। मुझे मामीजी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी बुरी तरह से मचल रही थी।
मामीजी– मनीष, बाहर निकाल ले यार। तू मरवाएगा मुझे।
मैं– आज तो मामीजी , आपको पूरी खोलकर चोदूंगा।
मैं खचाखच मामीजी की चूत में धक्के लगा रहा था। धक्कों से चारपाई चर चर चर चूड़ चूड़ के कर रही थी।
तभी बाहर से आवाज़ आई– मम्मी मम्मी।
तभी मामीजी की बुरी तरह से गांड़ फट गई। वो उठकर भागने लगी लेकिन मेरी पकड़ से वो खुद छुड़ा नहीं पाई। मैं मामीजी को पेलता रहा।
मामीजी– मनीष, अब तो छोड़ दे यार, बाहर बच्चे खड़े है।
मैं– पहले बताओ, आज दिन में आप चुदवा वॉगी।
मामीजी– हां ठीक है, चोद लेना। लेकिन अभी तो छोड़।
अब मैंने मामीजी को छोड़ दिया। अब मामीजी ने खुद को ठीक किया और मैंने भी पजामा पहन लिया। अब मामीजी ने गेट खोला तो बच्चे बाहर खड़े थे। फिर मामीजी ने जैसे तैसे बच्चो को सम्हाला। अब मैं मामीजी को चोदने के लिए इंतजार करने लगा। फिर इंतजार करते करते टाइम बीतने लगा।
मैं– मामीजी यार अब तो जुगाड भिडाओ।
मामीजी– यार मै क्या करू, ये बच्चे मौका ही नहीं मिलने दे रहे है।
मैं– मौका तो सब मिल जायेगा। आप कुछ तो दिमाग लगाओ।
मामीजी– ठीक है मै कुछ सोचती हूं।
मैं फिर से मामीजी के मौके का इंतजार करने लगा। लेकिन मुझे मामीजी को प्लान बनाते हुए नहीं दिख रही थी। तभी थोड़ा सा चांस मिलते ही मैंने मामीजी को फिर से घर में दबोच लिया। इस बार मामीजी बहुत ज्यादा डर गई।
मामीजी– मनीष, बच्चे यही है। पागल हो गया क्या तू।
मैं– आप जल्दी से कुछ भी करो नहीं तो मैं आपको बच्चो के सामने ही चोद दूंगा।
मामीजी– अरे यार……. तू नहीं मानेगा। चल खेत पर चल, वहां तेरी इच्छा पूरी कर लेना।
मैं– ठीक है तो फिर चलो।
अब मामीजी ने एक थैले में कपड़े रखे और खेत पर चलने के लिए तैयार हो गई।
मामीजी– बच्चो तुम घर पर ही रहना। मैं भैया को लेकर खेत पर जा रही हूं। थोड़ी देर में आ जाऊंगी।
बड़ी मुश्किल से बच्चे घर पर रहने के लिए तैयार हुए। अब हम खेत पर चलने के लिए तैयार हो चुके थे।
मैं– मामीजी थोड़ा सा तेल भी रख लेना ।
मामीजी– क्यो?
मैं– काम आयेगा तेल।
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तभी मामीजी ने घूरकर मेरी तरफ देखा। वो मेरा इरादा समझ चुकी थी। फिर उन्होंने एक शीशी में तेल भरकर रख लिया। अब हम दोनों खेत की तरफ निकल पड़े। आसपास के खेतों में सरसो ही सरसो थी। मामीजी की चाल को देख देखकर मेरा लन्ड बुरी तरह से हिचकोले खा रहा था।
मैं– मामीजी, यही सही जगह है, यही करवा लो।
मामीजी– नहीं, अपने खेत में ही करवाऊंगी।
मैं– फिर जैसी आपकी मर्ज़ी।
मेरे सब्र का बांध टूटता जा रहा था लेकिन मामीजी मुझे अभी और इंतजार करवाना चाहती थी। खैर इंतजार की घड़ियां खत्म हुई और हम मामीजी के खेत पर पहुंच गए।
मामीजी– चल आजा अब। और हां ज्यादा टाइम मत लगाना।
मैं– हां मामीजी नहीं लगाऊंगा ज्यादा टाइम।
मामीजी सरसो के खेत में मेड पर आगे आगे चल रही थी और मैं मामीजी के पीछे पीछे चल रहा था। साड़ी में मामीजी की गांड बहुत ज्यादा हिल रही थी। दिल तो कर रहा था मामीजी को यही मेड पर पटक कर चोद दू। फिर थोड़ी देर बाद हम सरसो के खेत में घुस गए। बड़ी बड़ी सरसो के बीच हम खेत के बीचोबीच पहुंच गए थे। चारो तरफ सरसो के फूलों की महक दौड़ रही थी। पक्षी चहचहा रहे थे। इधर मेरा लन्ड मामीजी की चूत का इंतजार कर रहा था।
मैं– मामीजी अब तो हम बहुत दूर आ गए है। अब तो यही करवा लो।
मामीजी– थोड़ी दूर और चलते है।
मैं– नहीं, मामीजी बहुत है अब।
तभी मैंने मामीजी को पकड़ लिया और उन्हें तुरंत नीचे गिरा दिया। मामीजी के नीचे गिरते ही सरसो के पौधे बिस्तर बनकर मामीजी के नीचे बीच गए। अब मैं तुरंत मामीजी के ऊपर चढ गया और उनके रसीले गुलाबी होंठो पर टूट पड़ा। मैं सतासट मामीजी के होंठो को चूसने लगा।
मैं भूखे कुत्ते की तरह मामीजी के होंठो का रस पी रहा था। सरसो के खेत में अब पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ आउच पुच्छ पुच्छ आउच की आवाज़ गूंजने लगी। मैं ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए मामीजी के होंठो को चूसता जा रहा था। मामीजी सरसो के पौधों पर लेटकर मेरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने बहुत देर तक मामीजी के होंठो को रगड़ डाला। अब मैंने तुरंत मामीजी के स्वेटर के बटन खोल दिए और ब्लाउज के ऊपर से ही मामीजी के बड़े बड़े बूब्स को दबाने लगा। मुझे मामीजी के बूब्स दबाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मामीजी– ऊंह आह आह ओह आईईईई ओहोह मनीष।
मैं– बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है। मामीजी।
मामीजी– थोड़ा धीरे धीरे दबा मनीष।
मैं – मामीजी, अब मै धीरे धीरे कैसे दबाऊ? आपके बूब्स ही है ही इतने सेक्सी।
फिर मैंने थोड़ी देर तक मामीजी के बूब्स को ऐसे ही ब्लाउज के ऊपर से मसला। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। तभी मैंने मामीजी के ब्लाऊज के बटन तुरंत खोल लिए और उनकी नीले रंग की ब्रा को ऊपर सरका कर मामीजी के बूब्स को कैद में से आज़ाद कर लिया।
आह! क्या शानदार मस्त बूब्स है मामीजी के। आज मै मामीजी के बूब्स को दिन के उजाले में नंगे देख रहा था। मुझे तो विश्वाश ही नहीं हो रहा था कि मै मेरी मामीजी के बूब्स को नंगा देखा रहा हूं। अब मैं मामीजी के बूब्स पर टूट पड़ा और ज़ोर ज़ोर से उन्हें मसलने लगा। मुझे मामीजी के बूब्स को दबाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
आज मै दिन के उजाले में मामीजी के बूब्स का मज़ा ले रहा था। मैं ज़ोर ज़ोर से मामीजी के बूब्स को भीच रहा था। मामीजी दर्द से तड़पते हुए सरसो के पौधों को मुठियो में भिच रही थी। मामीजी चेहरे को इधर उधर पटक रही थी। मामीजी के बड़े बड़े मस्त बूब्स बड़ी मुश्किल से मेरे हाथ में आ रहे थे।
मामीजी– ऊंह आह आह ओह ऊंह ओह मनीष धीरे धीरे दबा यार।
मैं– मामीजी आपके बूब्स है ही इतने सेक्सी कि इन्हे धीरे धीरे दबाने का मन ही नहीं कर रहा है।
मामीजी– तू तो मेरी जान निकाल रहा है। आईईईई।
मैं– आज तो जान निकालने दो मामीजी। मैं तो अभी अभी नया खिलाड़ी हूं।
मामीजी– तू नया खिलाड़ी होकर भी मेरे ऊपर भारी पड़ रहा है।
मैं– बस मामीजी मै तो सिर्फ मज़ा ले रहा हूं।
फिर मैंने मामीजी के बूब्स को बहुत देर तक अच्छी तरह से निचोड़ डाला। अब मैंने मेरी स्वेटर और शर्ट खोल दी और ऊपर से पूरा नंगा हो गया। अब मैं मामीजी के जिस्म के ऊपर पूरा पसर गया और उनके बूब्स को मुंह में भर लिया। आह! क्या गजब का स्वाद था मामीजी के बूब्स में! आह मज़ा आ गया था यारो।
अब मैं लपक लपककर मामीजी के बूब्स को चूसने लगा। मुझे मामीजी के बूब्स को चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी चुपचाप सरसो के खेत में मुझे बूब्स का मज़ा दे रही थी। वो मेरे बालो को सहलाती हुई मुझे प्यार कर रही थी। अजब गजब नज़ारा था यारो जिस मामीजी ने कभी मुझे बचपन में दूध पिलाया था आज मै जवान होकर मामीजी के बूब्स का दूध पी रहा था।
सरसो के खेत में बीचोबीच पक्षी कलरव करते हुए हमारे मामीजी भांजे के रंग देख रहे थे। मैं पूरा ध्यान मगन होकर मामीजी के बूब्स को चूस रहा था। अब मैं बीच बीच में मामीजी के बूब्स को काटने भी लगा। तभी मामीजी के मुंह सी सिसकारियां निकलने लगी।
मामीजी– ऊंह आह आईईईई ऊंह ऊंह।
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अब मामीजी ने आतुर होकर मुझे उनकी गौरी चिकनी बाहों में कस लिया और उनके नाखून मेरी पीठ पर गड़ाने लगी। अब हमारे बीच बहुत ही ज्यादा कामुक माहौल बन चुका था। फिर मैंने थोड़ी देर में ही मामीजी के बूब्स को चूस चूस कर लाल पीला कर दिया।
मामीजी की बूब्स चुसाई ने मामीजी को बुरी तरह से हिला दिया था। वो अच्छी तरह से पिघल चुकी थी। मामीजी के बूब्स को चूसने के बाद मै अब मामीजी के पेट पर आ गया और उनके मखमल के जैसे पेट को चूमने लगा। आह! मामीजी का पेट कितना मुलायम था। गजब ही यारों।
अब मैं आराम आराम से मामीजी के गौरे चिकने पेट को चूमने लगा। मुझे मामीजी के पेट पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर थोड़ी देर में ही मैंने मामीजी के गौरे चिकने पेट को चूम डाला। अब मैं सीधा मामीजी की टांगो पर आ गया और जल्दी से मामीजी की टांगो को सरसो के पौधों में लहरा दिया। अब मैं मामीजी की चड्डी खोलने लगा तो मामीजी ने चड्डी पकड़ ली और छीनाझपटी करने लगी।
मैं– मामीजी आप भी क्या बच्चो के जैसे हरकते कर रही हो?
मामीजी– अरे यार! शर्म आ रही है मुझे।
मैं– मामीजी अब शर्माना छोड़ो और मुझे मज़ा लेने दो।
मामीजी– अरे यार तू नहीं मानेगा।
तभी मैंने मामीजी की चड्डी को उनकी टांगो में से निकालकर सरसो के पौधों पर टांग दी। अब मामीजी ने टांगे भिचकर चूत को छुपा लिया लेकिन मै भी कहां कम था? मैंने मामीजी की दोनो टांगो को पकड़कर वापस फैला दिया। अब मामीजी की नंगी चूत मेरे सामने थी।
चूत नंगी होते ही मामीजी बहुत ज्यादा शरमाने लगी और उन्होंने आंखे बंद कर ली। मामीजी की चूत घनी काली झांटों से भरी हुई थी। इन्हीं काली काली झांटों के बीच में गुलाबी रंग की पतली सी नदी नजर आ रही थी। मामीजी की नदी में पानी भरा हुआ था।
मामीजी की नंगी चूत को देखते ही मेरा लन्ड टनटना गया। तभी मैंने मेरा पजामा और अंडरवियर उतार फैंकी और पूरा नंगा हो गया। अब मेरा लन्ड खुली हवा में लहरा रहा था। तभी मैंने मामीजी की चूत में दो उंगलियां एक साथ पेल दी और मामीजी की चूत में घपाघप उंगलियां अंदर बाहर करने लगा।
मामीजी दर्द से आईईईई ऊंह ओह आऊ ऊंह आह करने लगी। मुझे मामीजी की चूत में उंगली डालने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से मामीजी की चूत को खोदने लगा। तभी मामीजी की गांड फटकर हाथ में आ गई और दर्द से तड़पने लगी।
मामीजी– आईईईई ऊंह आह आईईईई ऊंह आह आहा आह। बस करो मनीष। अब नहीं।
मैं– मामीजी आह! बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है। आज तो मैं आपकी चूत को अच्छी तरह से पेलूंगा।
मामीजी– बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है यार, प्लीज अब बाहर निकाल लो।
मैं– नहीं मामीजी।
मामीजी सरसो के खेत में भयंकर दर्द से तड़प रही थी। मामीजी की दर्द भरी सिसकारियां मै , सरसो के पौधे और कलरव करने वाले पक्षी सुन रहे थे। मैं बड़े मज़े से मामीजी की चूत में उंगली कर रहा था। तभी मामीजी की चूत में उबाल आ गया और उनकी चूत गरमा गरम पानी से भर गई।
बेचारी मामीजी पसीने में लथपथ हो चुकी थी। फिर मैंने मामीजी की चूत में से उंगलियां बाहर निकाली। अब मेरा लन्ड मामीजी की चूत में तोड़ फोड़ करने के लिए तैयार था। अब मैंने मामीजी की दोनो टांगो को मेरे कंधो पर रखा और लंड को मामीजी की चूत के छेद में सेट कर दिया।
अब मेरा लन्ड आज मामीजी की चूत के किले को भेदने के लिए तैयार था। तभी मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा लन्ड दन दनाता हुआ मामीजी की चूत के पेंदे तक का टकराया। लंड की चूत में ठुकाई होते हुए मामीजी की फिर से गांड़ फट गई और दर्द से बुरी तरह से तड़पने लगी।
मामीजी– आईईईई आईईईई, ओह मनीष।
तभी मैंने लंड को बाहर निकाला और फिर ज़ोरदार धक्कों की झड़ी लगा दी। मुझे मामीजी को सरसो के खेत में चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आज पूरा नज़ारा मेरी आंखो के सामने था। मैं गांड़ हिला हिलाकर मामीजी को चोद रहा था। मामीजी दर्द से बिलखती हुई चेहरे को इधर उधर पटक रही थी। मैं दे दना दन फूल स्पीड में मामीजी की ज़ोरदार ठुकाई कर रहा था। मेरा लन्ड मामीजी की चूत को बुरी तरह से बिखेर रहा था।
मामीजी– आईईईई आईईईई आऊ आईईईई आईईईई ओह आईईईई धीरे धीरे डाल मनीष।
मैं– ओह मामीजी, चोदने का मज़ा तो ज़ोर ज़ोर से डालने में ही आता है।
मामीजी– तेरा लंड बहुत मोटा तगड़ा है। मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है यार।
मैं– मामीजी, दर्द में ही तो मज़ा है।
मेरा लन्ड मामीजी की चूत में लगातार अंदर बाहर हो रहा था। मामीजी मेरे लन्ड के हर एक शॉट के साथ बुरी तरह से हिलती जा रही थी। आज मुझे मामीजी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अजब गजब नज़ारा था यारो जिस मामीजी को मैंने कभी चोदने के बारे में नहीं सोचा था आज उन्हीं मामीजी को मै बुरी तरह से चोद रहा था।
लंड चूत भी क्या चीज़ होते है ये मुझे आज समझ में आ रहा था। मेरे साथ साथ मामीजी भी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। आज सरसो के पौधे और पक्षी हमारी चुदाई के गवाह बन रहे थे। चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था बस सरसो के खेत में फच फाच की आवाज़ गूंज रही थी।
मामीजी– ऊंह आह आह ओह ऊंह आईईईई ऊंह आह आह आह आह आह आह।
मैं सटासट मामीजी की जबरदस्त ठुकाई कर रहा था। मामीजी मेरे लन्ड के कहर को बड़ी मुश्किल से झेल रही थी। तभी मामीजी की चूत पिघल गई और उनकी चूत ने मेरे लन्ड को गरम गरम लावा में भीगा दिया। अब मेरे लन्ड के हर एक शॉट के साथ खेत में फ्फच फ्फाच फ्फ़ाच की आवाज़ गूंजने लगी।
मैं– ओह मामीजी आज तो कसम से आप जन्नत का मज़ा दे रही है।
मामीजी– आह आह ले ले बेटा, तेरे जैसे नसीब वाला भी कोई नहीं होगा जो खुद की मामीजी को ही पेल रहा है।
मैं– हां मामीजी ये बात तो सही है।
अब मैंने मामीजी की टांगो को कंधे पर से उतार दी और मामीजी की टांगो को फोल्ड कर दिया। अब मैंने फिर से मामीजी की चूत में लंड पिरोह दिया और फिर से मामीजी की पेलामपेल शुरू कर दी। मैं फिर से मेरी गांड़ का पूरा ज़ोर लगाकर मामीजी की चूत की बखिया उधेड़ने लगा।
मामीजी– ऊंह आह आह ओह ओह मनीष, आह आह आह ओह आहा।
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मैं बिना रुके, बिना थके मामीजी की बुरी तरह से चुदाई कर रहा था। अब तक मेरा लन्ड मामीजी की चूत का भोसड़ा बना चुका था। अब मेरा लन्ड झड़ने वाला था तभी मैंने मामीजी को ज़ोर से मेरी बाहों में कस लिया और लंड का पूरा पानी मामीजी की चूत में भर दिया।
तभी मै पसीने से लथपथ होकर मामीजी से लिपट गया और थोड़ी देर तक मामीजी के जिस्म पर ही पड़ा रहा। फिर थोड़ी देर बाद मैं उठा और मामीजी के होंठो को चूसने लगा। एक बार फिर से सरसो के तेल में पुच्छ पुच्छ पुच्छ आउच पुच्छ पुच्छ आउच पुच्छ पुच्छ की आवाजे गूंजने लगी।
अब मामीजी और मै हम दोनों एक दूसरे के होंठो को अच्छी तरह से खा रहे थे। फिर थोड़ी देर की झमाझम होठ चूसाई के बाद मै मामीजी के बूब्स पर आ गया। अब मैं फिर से मामीजी के बूब्स के साथ खेलने लगा। मैं फिर से मामीजी के बूब्स को बुरी तरह से मसलने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मामीजी– आईईईई धीरे धीरे दबा मनीष। तू तो मेरी जान ही निकाल रहा है।
मामीजी मुझे ज़ोर ज़ोर से बूब्स दबाने से रोक रही थी लेकिन आज मै कहां मानने वाला था। मैं तो झमाझम मामीजी के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से मसलता रहा। फिर थोड़ी देर बाद मैं मामीजी के बूब्स को चूसने लगा। आज मामीजी के बूब्स का स्वाद अलग ही लग रहा था। मैं बड़ी शिद्दत से मामीजी के बूब्स को चूस रहा था।
फिर थोड़ी देर में ही मैंने मामीजी के बूब्स को निचोड़ डाला। अब मेरा लन्ड फिर से फॉर्म में आ चुका था। अब मैं वापस मामीजी की टांगो पर आ गया और फिर से उनकी टांगो को फोल्ड कर दिया। अब मैंने मेरा लंड मामीजी की चूत के छेद में रखा और फिर से ज़ोरदार धक्का लगाकर लंड मामीजी की चूत में ठोक दिया। मामीजी की फिर से चीखे निकल गई।
मामीजी– आईईईई आईईईई आईईईई।
अब मैं मामीजी को फोल्ड करके धामाधम मामीजी को चोदने लगा। मेरा लन्ड मामीजी की चूत को अच्छी तरह से रगड़ रहा था। मामीजी सरसो के खेत में आहे भरते हुए चुद रही थी।
मैं– ओह मामीजी आप गजब की माल हो, आज तो मेरे लंड को मज़ा ही आ गया।
मामीजी– अच्छा।
मैं– हां मामीजी, जिंदगी का सबसे अच्छा मज़ा मिल रहा है मुझे।
मामीजी– हां ले ले आज तू मेरा पूरा मज़ा। मौका मिला है तुझे।
मैं– हां मामीजी।
मेरा लन्ड जल्दी जल्दी मामीजी की चूत में खलबली मचा रहा था। अब तक मेरा लन्ड मामीजी की चूत के गुलाबी छेद को ढीला कर चुका था। अब मैं मामीजी को पूरी नंगी करके चोदना चाहता था। इसलिए अब मैं रुक गया और मामीजी की साड़ी को उनके पेटीकोट में से निकालने लगा तभी मामीजी ने मुझे रोक लिया।
मामीजी– इसको क्यो निकाल रहा है?
मैं– आपको पूरी नंगी करने के लिए।
मामीजी– नहीं यार पूरी नंगी नहीं होऊंगी मै। तू पहले जैसे कर रहा था वैसा ही करता रहे।
मैं– नहीं मामीजी अब तो मैं आपको पूरी नंगी ही करूंगा।
तभी मैंने मामीजी के पेटीकोट में से साड़ी खींच ली और फिर मैं पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा। लेकिन मामीजी ने पेटीकोट का नाड़ा पकड़ लिया।
मामीजी– मनीष यार मत कर ना।
मैं– मै तो करूंगा।
तभी मै मामीजी के हाथो से पेटीकोट का नाड़ा छुड़ाने लगा लेकिन मामीजी नाड़ा छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। तभी मैंने ज़ोरदार धक्का देकर मामीजी के हाथो को दूर झटक दिया और तुरंत पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। अब मैंने तुरंत मामीजी की साड़ी और पेटीकोट को एक साथ खींचकर खोल फेंका।
अब मामीजी नीचे से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। मामीजी अब शर्म से लाल पीली हो चुकी थी। अब मैंने उनके जिस्म पर अटके हुए ब्लाउज और ब्रा को भी उतार कर सरसो में फेंक दिया। अब मामीजी मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी।
मैं– अब आया ना मज़ा। ओह मामीजी आप तो ऊपर से नीचे तक बहुत ज्यादा खूबसूरत हो। एकदम कड़क माल।
मामीजी बिल्कुल चुप थी। अब मैंने फिर से मेरे लन्ड को मामीजी की चूत में रखा और फिर मामीजी के ऊपर पूरा झुककर मामीजी की जबरदस्त ठुकाई करने लगा। आज तो मेरा लन्ड मामीजी को चोद चोदकर बहुत ज्यादा खुश हो रहा था। मैं गांड़ हिला हिलाकर मामीजी को बहुत बुरी तरह से चोद रहा था।
तभी मामीजी की चूत फिर से बह गई और फिर से सरसो के तेल में फच्च फड़ाच फ्फच्च फ्फच्छ की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आने लगी। अजब गजब नज़ारा था यारो जिस मामीजी ने कभी मुझे नंगा गोद में उठाया होगा आज मै उन्हीं मामीजी को पूरी नंगी करके चोद रहा था।
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ये लंड भी ना जाने क्या क्या करता है। मामीजी चुदाई का मज़ा लेते हुए चुपचाप चूत में लंड ठुकवा रही थी। फिर बहुत देर तक मामीजी को बजाने के बाद मैंने मामीजी को पलट दिया। अब मामीजी की नंगी छरहरी पीठ और गांड़ मेरे लन्ड के सामने थी। मामीजी की गांड सरसो के पत्तो में रंग चुकी थी।
उनकी गांड़ में सरसो के पत्ते लिपटे हुए थे। कुछ पत्ते उनकी गांड़ की दरार में घुस चुके थे। मामीजी की गौरी चिकनी पीठ सरसो के पत्तो में हरी भरी हो चुकी थी। अब मैं मामीजी के ऊपर चढ गया और उनके बालो को साइड में हटाकर गर्दन पर किस करने लगा। इधर मेरा लन्ड मामीजी की गांड में घुसने की कोशिश करने लगा।
मुझे मामीजी की गर्दन के पीछे किस करने में बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी चुपचाप सरसो के पौधों के ऊपर पसरी हुई थी। थोड़ी देर गर्दन को चूमने के बाद मै मामीजी की छरहरी पीठ पर किस करने लगा। आह! क्या मस्त कातिल जिस्म था मामीजी का आह! मज़ा आ गया था यारो।
मैं लपालप मामीजी की पीठ पर किस कर रहा था। मामीजी धीरे धीरे सिसकारियां भर रही थी। कुछ ही देर में मैंने मामीजी की पीठ को किस कर करके थूक से गीला कर दिया। अब मैं मामीजी की गांड पर आ गया और उनके मस्त गोल गोल टाइट चूतड़ों को मसलने लगा। आह! आज जिंदगी में पहली बार मुझे किसी माल की गांड देखने को मिल रही थी वो भी मेरी ही मामीजी की।
मैं– वाह! मामीजी आपकी गांड़ भी बहुत ज्यादा सेक्सी है। मज़ा आएगा आज तो।
फिर मै मामीजी की गांड को अच्छी तरह से बजाने लगा। मुझे मामीजी की गांड को बजाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी को थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा था।
मामीजी– आईईईई यार प्लीज थोड़ा धीरे धीरे मार।
मैं– मामीजी गांड़ को तो ज़ोर से बजाने दो।
फिर मैंने थोड़ी देर में मामीजी की गांड को बजा बजाकर मामीजी के मस्त चूतड़ों को लाल कर दिया। अब मैं मामीजी के मस्त शानदार चूतड़ों को चूमने लगा। वो आतुर होकर सरसो के पौधों को मुट्ठियों में कस लिया और उन्हें दबाने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं मस्त होकर उनके सेक्सी चूतड़ों पर किस कर रहा था। मामीजी बहुत ज्यादा बैचेन हो रही थी। वो बार बार मछली की तरह इधर उधर हिल रही थी। मामीजी के चूतड़ों को किस करने के बाद मैंने मामीजी की गांड के छेद में उंगली डाल दी। तभी मामीजी एकदम से घोड़ी की तरह बिदक गई।
मामीजी– आईईईई ये क्या कर रहे हो तुम?
मैं– कुछ नहीं मै तो बस सुरंग में घुसने से पहले सुरंग को देख रहा हूं।
मामीजी– तो मत देखो सुरंग को, तुमने मेरी झील को तहस नहस कर दिया वो ही बहुत है।
मैं– मामीजी जब आपने मुझे झील के अंदर एंट्री दे दी तो सुरंग में भी घुसने दो ना।
मामीजी– नहीं सुरंग में तो मै बिल्कुल नहीं घुसने दूंगी।
मैं– क्यो? क्या आप मामाजी को भी नहीं घुसने देती हो क्या सुरंग में?
मामीजी– कभी नहीं।
मैं– तो फिर आज मै ही घुसुंगा आपकी सुरंग में।
तभी मैंने फिर से मामीजी की गांड में उंगली घुसा दी। मामीजी फिर से नखरे करने लगी। लेकिन आज मै कहां रुकने वाला था। मामीजी मना करती रही और मैं उनकी गांड़ में उंगली अंदर बाहर करता रहा। मुझे मामीजी की टाइट गांड़ में उंगली करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मामीजी की गांड के सुराख को देखकर लग रहा था कि मामीजी के आज तक किसी को उनकी गांड़ नहीं मारने दी है। फिर बहुत देर तक मैंने मामीजी की गांड में उंगली से खुदाई की। अब मैंने तेल की शीशी में से तेल निकाला और मामीजी की गांड पर मलने लगा।
मामीजी– मनीष यार ये तू क्या कर रहा है?
मैं– वो ही जो आप समझ रही हो।
मामीजी– नहीं मुझे नहीं करवाना वो।
इतना कहकर मामीजी पलटने लगी तभी मैंने मामीजी को अच्छी तरह से दबोच लिया और उनकी गांड के सुराख में तेल उंगने लगा। मामीजी खुद को छुड़ाने के लिए झटपटा रही थी लेकिन खुद को छुड़ाना उनकी बस की बात नहीं थी।
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मैं– मामीजी, आज तो मैं आपकी गांड़ मारकर ही रहूंगा।
मामीजी– ऐसा मत करना यार । बहुत दर्द होता है उसमे।
मैं– मामीजी आप एक बार गांड़ तो मरवाओ फिर दर्द के साथ बहुत ज्यादा मज़ा भी मिलेगा।
मामीजी– नहीं यार मुझे नहीं मरवानी।
मैं– लेकिन मुझे तो गांड़ मारनी है।
मामीजी गांड़ मरवाने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। वो बार बार मना कर रही थी और मैं उनकी गांड़ में तेल डालकर लगातार उंगली कर रहा था। अब मामीजी की गांड में लंड डालने की तैयारी पूरी हो चुकी थी। तभी मैंने मामीजी से घोड़ी बनने के लिए कहा तो मामीजी ने बिल्कुल मना कर दिया। फिर मैं मामीजी को समझाने लगा।
मैं– अरे मामीजी आप भी क्या छोटे बच्चों की तरह नखरे दिखा रही हो। बन जाओ ना घोड़ी।
मामीजी– नहीं मुझे नहीं बनना।
मैं– अरे यार मामीजी क्यो इतने नखरे दिखा रही हो। मेरा लन्ड तो आपकी गांड़ मारने के लिए तड़प रहा है।
मामीजी– लेकिन मुझे तो नहीं मरवानी गांड़।
मामीजी घोड़ी बनने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हो रही थी। फिर मैं मामीजी से घोड़ी बनने के लिए मिन्नते करने लगा।
मैं– लो मामीजी यार बन जाओ घोड़ी प्लीज।
फिर बड़ी मुश्किल से मामीजी घोड़ी बनने के लिए तैयार हुई। अब मामीजी ने दोनों हाथ आगे टिका दिए और घोड़ी बन गई।
मामीजी– इतना मज़ा देने वाली मामीजी तुझे कोई और नहीं मिलेगी।
मैं– हां मामीजी। आपकी तो बात ही अलग है।
मामीजी– आज तो तू मेरी जान निकाल कर ही मानेगा। मेरी एक छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा दे रहा है तू।
मैं– सजा नहीं मज़ा दे रहा हूं मामीजी।
मामीजी मेरे लन्ड के आगे घोड़ी बनकर खड़ी थी। अब मैंने मेरे लन्ड पर अच्छी तरह से तेल लगा लिया। अब मैंने लंड को मामीजी की गांड के छेद में सेट कर लिया और मामीजी की कमर को पकड़ लिया। अब मैंने ज़ोरदार धक्का लगाया लेकिन मामीजी की गांड का छेद टाइट होने की वजह से मेरा लन्ड फिसल गया। मैंने फिर से कोशिश की लेकिन मेरा लन्ड मामीजी की गांड में घुस नहीं पा रहा था।
तभी मैंने अक्ल लगाते हुए पहले लंड का थोड़ा सा सुपाड़ा गांड़ के सुराख में घुसा दिया और फिर मामीजी की कमर को अच्छी तरह से कसकर ज़ोरदार धक्का लगा दिया। अब मेरा लन्ड एक ही बार में सन सनाता हुआ मामीजी की गांड की गहराई में आधे से ज्यादा उतर गया। लंड गांड़ में घुसते ही मामीजी के तोते उड़ गए। वो दर्द से चीख पड़ी।
मामीजी– आईईईई आईईईई आईईईई मर गई आईईईई।
तभी मैंने फिर से दूसरा झटका देकर पूरे लंड को मामीजी की गांड की गहराई में उतार दिया। अब मामीजी दर्द से बुरी तरह से झल्ला उठी।
मामीजी– आईईईई आईईईई आईईईई आह आह आह आह आईईईई।
अब मैं दे दना दन मामीजी की गांड़ मारने लगा। आज जिंदगी में पहली बार मुझे गांड़ मारने का मौका मिला था। मुझे मामीजी की गांड़ मारने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी की तो हालात खराब हो रही थी। दर्द के मारे उनकी गांड़ फट कर हाथ में आ चुकी थी।
मामीजी– आईईईई आईईईई ओह आह आह आईईईई मनीष बाहर निकाल लेे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।
मैं– मामीजी, अब तो आपकी गांड़ फाड़कर ही लंड बाहर निकालूंगा।
मामीजी– मेरी जान निकल रही है यार। आईईईई आईईईई आईईईई मम्मी।
मामीजी भयंकर दर्द से तड़प रही थी। आज तो मामीजी को नानी मम्मी सब याद आ रही थी। मेरा लन्ड आज उनकी गांड़ पर कहर बनकर टूट रहा था। मैं धामधम मामीजी की गांड़ मार रहा था। मामीजी सबकुछ मुझे सौंपकर गांड़ मरवा रही थी।
मामीजी की चीखे सरसो के खेत में गूंज रही थी। उनकी चीखो को सरसो के पौधे और पक्षी सुन रहे थे। मेरे लन्ड के हर एक शॉट के साथ मामीजी का दर्द बढ़ता जा रहा था। इधर मेरा लन्ड मामीजी की गांड़ को चौड़ी कर रहा था।
मामीजी– आईईईई आईईईई ओह आह आह ओह आईईईई।
तभी मामीजी बुरी तरह से कांपने लगी। मैं समझ चुका था कि मामीजी अब निपटने वाली है। तभी कुछ देर बाद मामीजी की चूत में से गाढ़ा रस उनकी टांगो से होता हुआ खेत में टपकने लगा।
मामीजी– ओह मनीष, मेरी गांड फाड़ दी तूने तो।
मैं– मामीजी गांड़ फाड़ने में ही तो असली मज़ा आता है।
अब धीरे धीरे मामीजी का दर्द कम होने लगा और अब वो गांड़ मरवाने का पूरा मज़ा लेने लगी। अब मामीजी की दर्द भरी सिसकारियां मादक आहे में बदल चुकी थी।
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मामीजी– आह आह आह आह आह ओह ओह आज आह ओह।
मैं– बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है मामीजी आपकी गांड़ मारने में।
मामीजी– आह आह आह ओह मार ले, जितनी मारनी हो। अब क्या डरना।
मैं– ये हुई ना बात मामीजी।
अब मैं बेधड़क मामीजी की गांड़ में लंड ठोक रहा था। अब तो मामीजी को भी गांड़ मरवाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। अब तक मेरा लन्ड मामीजी की गांड़ के परखच्चे उड़ा चुका था।
मामीजी– आह आह आह ओह आह आह ऊंह आऊ ओह।
मेरा लन्ड लगातार मामीजी की गांड़ को पेल रहा था। मामीजी गांड़ मरवाकर बुरी तरह से थक चुकी थी।
अजब गजब नज़ारा था यारो जिस मामीजी को कभी मैंने थोड़ी सी भी नंगी नहीं देखा धा आज उसी प्यारी मामीजी को मै सरसो के खेत में पूरी नंगी करके उनकी गांड़ मार रहा था। जिस मामीजी ने कभी मामाजी को गांड़ नहीं मारने दी आज वो मामीजी मुझसे गांड़ मरवा रही थी। इस अद्भुत पल का सरसो के पौधे गवाह बन रहे थे।
मामीजी बहुत देर से घोड़ी बनकर गांड़ ठुकवा रही थी। अब मैंने थोड़ी सी पोजिशन चेंज कर ली और अब मामीजी दोनो के बल कुत्तिया बन गई। अब मैं कुत्ता बन गया और मामीजी की लाल गांड़ में फिर से लंड ठोक दिया। मैं फिर से बुरी तरह से मामीजी की गांड़ पेलने लगा।
मामीजी– ऊंह आह आह ओह ऊंह आह आह ऊंह।
मैं– ओह मामीजी, आपकी गांड़ मारने का मज़ा ही कुछ अलग है।
मामीजी– ऊंह ओह ओह ओह, मैं पहली बार ही गांड़ मरवा रही हूं। अब अच्छा लग रहा है।
मैं– मैंने तो आपसे पहले ही कहा था लेकिन आप ही मेरी बात नहीं मान रही थी।
मामीजी– हा यार पहले मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था। अब मेरा सारा डर दूर हो गया है।
मैं– ये हुई ना बात।
यारो सरसो के खेत में किसी भी चूत को पेलने का मज़ा ही अलग होता है और यहां तो मुझे मेरी मामीजी ही चोदने को मिल रही थी तो मज़ा ही कुछ अलग था। मेरा लन्ड अब तक मामीजी की टाइट गांड़ को बहुत ज्यादा ढीला कर चुका था। मुझे मामीजी को कुत्तिया बनाकर पेलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। तभी मामीजी आगे से फिसल गई। तभी मैंने मामीजी की गांड़ को खींचकर मेरे लन्ड पर ले लिया.
और मामीजी की फिर से जबरदस्त ठुकाई करने लगा। अब मामीजी सरसो के खेत में दोनों हाथ आगे पसारे हुए पड़ी थी और मै उनकी गांड़ में फटाफट लंड ठोक रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मामीजी ने खुद को फ्री छोड़ दिया हो। मैं मामीजी की बहुत बुरी तरह से मार रहा था। इतनी मस्त शानदार माल की गांड मारने में मुझे बहुत ज्यादा ही मज़ा आ रहा था।
मामीजी– ऊंह आह ऊंह आह ओह। मनीष अब जल्दी कर ले यार घर भी चलना है।
मैं– हां मामीजी कर रहा हूं।
धीरे धीरे दिन अस्त हो रहा था। हमे टाइम पर घर भी जाना था। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से मामीजी की गांड़ में लंड आर पार करने लगा। अब मैं ज़ोर ज़ोर से मामीजी की गांड़ में झटके दे रहा था। अब तो मामीजी अच्छी तरह से मेरे लन्ड के सभी धक्कों को अच्छी तरह से गांड़ में झेल रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब तक मै मामीजी की अच्छी तरह से गांड़ मार चुका था। अब मैंने मामीजी की गांड़ में से लंड बाहर निकाला और मामीजी को पलटकर सीधा कर लिया। अब मामीजी की शक्ल सूरत देखने लायक थी। उनकी शक्ल में 12 बज चुकी थी। मामीजी के बूब्स और पेट पर सरसो के पत्तो की रगड़ लगी हुई थी। अब मैं मामीजी के सिर की तरफ आ गया और घुटनों के बल खड़ा होकर लंड मामीजी के मुंह के ऊपर लटका दिया।
अब मैंने मामीजी से लंड चूसने के लिए कहा तो मामीजी फिर से नखरे करने लगी लेकिन फिर वो थोड़ी देर में लंड चूसने के लिए तैयार भी हो है। अब मामीजी धीरे धीरे मेरा लन्ड मुंह में भरने लगी और लंड को चूसने लगी। मुझे मामीजी को लंड चुसबाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी आराम आराम से मेरा लंड चूस रही थी। मामीजी आइसक्रीम की तरह मेरे लन्ड को चूस रही थी।
मैं– आह! मामीजी बहुत अच्छा लग रहा है। आह आह और चूसो मेरे लन्ड को।
मामीजी बहुत अच्छी तरह से मेरे लन्ड को चूस रही थी। मामीजी के लंड चूसने के तरीके से लग रहा था कि मामीजी को लंड चूसने का तो बहुत अच्छा अनुभव है। वो लपक लपककर मेरे लन्ड को मुंह में भर रही थी। अब तक मेरा लन्ड मामीजी के मुंह में गीला हो चुका था।
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अब मैं थोड़ा आगे झुका और लंड को मामीजी के मुंह में अंदर बाहर करते हुए मामीजी के मुंह को चोदने लगा। अब इस तरह से मुझे मामीजी के मुंह को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था । ये मुझे अलग ही एहसास दिला रहा था। फिर थोड़ी देर तक मैंने मामीजी के मुंह को अच्छी तरह से चोद डाला।
अब मैं 69 पोजिशन में आ गया और मै मामीजी के मुंह में लंड सेटकर उनकी गुलाबी गीली चूत को चाटने लगा। इधर मामीजी भी मेरे लन्ड को चूसने लगी। मामीजी की चूत की भीनी भीनी खुशबू मुझे पागल करने लगी। मुझे मामीजी की चूत चाटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आज जिंदगी में पहली बार मुझे चूत चाटने का मौका मिल रहा था।
मामीजी भी लपालप मेरे लन्ड को चूस रही थी। मामीजी को मेरा लन्ड चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर थोड़ी देर तक हम दोनों इसी पोजिशन में लंड चूत का मज़ा लेते रहे। अब मैं मामीजी के जिस्म के ऊपर से हट गया और सरसो के पत्तो पर लेट गया। अब मैंने मामीजी से फिर से मेरा लन्ड चूसने के लिए कहा। अब मामीजी उठी और उन्होंने मेरी टांगे फैला दी। अब मामीजी लंड पकड़कर तुरंत मेरा लन्ड चूसने लगी।
मैं– आह मामीजी बहुत मज़ा आ रहा है। आह आह ऐसे ही चूसो।
मामीजी झमाझम मेरे लन्ड को चूस रही थी। मैं मामीजी के बालो को संवार रहा था। मामीजी के बाल बार बार राह में रौड़ा बन रहे थे। मामीजी बड़ी शिद्दत से मेरे लन्ड को मज़ा दे रही थी। वो लंड को अच्छी तरह से मुंह में अंदर बाहर कर रही थी।
मै– आह ओह आह ओह मामीजी, मज़ा आ रहा है। आह आह।
मामीजी लंड चूसने में कलाकारी दिखा रही थी। वो अलग अलग तरीके से लंड चूस रही थी। मुझे मामीजी को लंड चुसवाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मैं– ओह मामीजी मज़ा आ गया आज तो। आप तो पक्की खिलाड़ी निकली।
फिर मामीजी ने बहुत देर तक मेरे लन्ड को चूसा। अब मैंने मामीजी को मेरे लन्ड पर बैठा लिया और लंड उनकी चूत में सेट कर दिया। अब मामीजी गांड़ उछाल उछाल कर चुदाने लगी।
मामीजी– आह बहुत मज़ा आ रहा है मनीष। आह आह आह।
मैं– मुझे बहुत मजा आ रहा है मामीजी। और चूदो आह आह।
मामीजी के हर एक शॉट के साथ उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत ज्यादा हिल रहे थे। आज तो मामीजी सेक्स की देवी लग रही थी। सरसो के खेत में हम दोनों चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे। मामीजी को लंड पर उछलते हुए बहुत देर हो चुकी थी। अब मैं उन्हें अंतिम चरण में पेलना चाहता था। तभी मैंने मामीजी को फिर से सरसो के पौधों पर पटक दिया और उन्हें बड़े बड़े बूब्स को फिर से चूसने लगा।
उनके बड़े बड़े बूब्स को छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। फिर मैंने जी भरकर मामीजी के रसदार बूब्स को चूसा। अब मैं सीधा मामीजी की चूत पर आ गया और उनकी टांगो को मेरे कंधो पर रख लिया। अब मैंने तुरंत मामीजी की चूत में लंड सेटकर धमाधम उनकी चुदाई करना शुरू कर दिया। मामीजी फिर से मेरे लन्ड के कहर के आगे पस्त होने लगी।
मामीजी– आईईईई आईईईई आह आह ओह आईईईई आह आह।
मैं– ओह मामीजी, आह आह।
मैं झमाझम मामीजी की चूत में ज़ोरदार धक्कों की बारिश कर रहा था। मामीजी बुरी तरह से दर्द से तड़प रही थी। अब थोड़ी देर के घमासान मचाने के बाद मेरा लन्ड पानी छोड़ने वाला था। तभी मैंने मामीजी को कसकर दबा लिया और मेरे लन्ड का पूरा पानी मामीजी की चूत में भर दिया।
अब मैं सर्दी में भयंकर पसीने में लथपथ होकर मामीजी के जिस्म से लिपट गया। थोड़ी देर तक मै मामीजी के जिस्म पर ही पड़ा रहा। आज मामीजी को चोदकर मै बहुत ज्यादा खुश था। ये मेरे लिए अद्भुत पल था जिसका मैंने जमकर मज़ा लिया था। मामीजी भी आज मुझसे चुदाकर बहुत ज्यादा खुश थी।
मामीजी– मैंने कभी नहीं सोचा था कि तू अभी चोदने के लायक भी हो गया है लेकिन तूने तो मुझे दिन में ही तारे दिखा दिए।
मैं– मामीजी, अब मै बड़ा हो गया हूं।
मामीजी– हां और साथ में तेरा ये भी बहुत बड़ा हो गया है। पता नहीं अब तू किन किन की जान निकालेगा।
मैं– मामीजी जब लंड बड़ा हो, तभी तो चोदने का मज़ा आता है।
मामीजी– हां बिल्कुल सही कहा। पूरा मज़ा ले लिया आज तो तूने तेरी मामीजी का।
मैं– हां मामीजी।
मामीजी– चल अब कपड़े पहन ले, घर भी चलना है। नहीं तो किसी को शक हो जाएगा।
मैं– हां मामीजी चलते है अब।
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हमारे आस पास सरसो में हमारे कपड़े तीतर बितर बिखरे हुए थे। फिर मैंने ढूंढकर मामीजी को उनकी चड्डी और ब्रा पहनाई। अब मामीजी ने पेटीकोट खुद पहनाकर नाड़ा बांध लिया। अब मैंने भी मेरी अंडरवियर बनियान पहनकर सारे कपड़े पहन लिए। अब मामीजी ने भी ब्लाउज, साड़ी पहनकर स्वेटर पहन लिया।
सरसो के खेत में अजब ही नज़ारा बन चुका था। आज ये जगह हमारी चुदाई की गवाह बन चुकी थी जहां सरसो के बहुत सारे पौधे टूटे पड़े थे जिसकी वजह से नीचे सरसो के पौधों का बिस्तर बन चुका था। इसी सरसो के बिस्तर ने मामीजी को पूरा सपोर्ट दिया था। अब हम दोनो सरसो के खेत से बाहर आने लगे। अब मामीजी से चलना बहुत मुश्किल हो रहा था। उनकी गांड़ में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।
मामीजी– मनीष सच में आज तूने, मेरी हालत खराब कर दी।
मैं– मामीजी, ऐसी चुदाई करने में ही तो मज़ा आता है।
मामीजी– बस आज मै तेरे मामाजी से बच जाऊ नहीं तो अगर उन्होंने मुझे चोद दिया ना तो मर ही जाऊंगी।
मैं– मामीजी नहीं चोदेंगे आज तो।
मामीजी– तुझे कैसे पता?
मैं– आप कोई अच्छा से बहाना बना लेना।
मामीजी– देखती हूं यार।
लगभग अंधेरा हो चुका था। तब जाकर हम घर पहुंचे। तब तक भी मामाजी घर नहीं पहुंचे थे। अब हमे कोई डर नहीं था।
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