18 Sal Ladki Chudai
दोस्तो ये कहानी मेरे उन दिनो शुरू होती है जब मैं उम्र में बहुत छोटा था फिर उम्र के साथ साथ जैसे जैसे मुझे समझ आता गया कि सेक्स होता क्या है मैने सेक्स के भरपूर मज़े लिए . तो चलिए मित्रो चलते हैं मेरी उन दिनो की यादों के सफ़र पर. यह जून के महीने के दिनों की बात है, जब मैं मुश्किल से 15 साल का था.. 18 Sal Ladki Chudai
मैं अपनी चाची के घर गया हुआ था, छुट्टियों के दिनों में रहने के लिए.. मेरी चाची का घर, हमारे घर से थोड़ी ही दूर था.. मेरी चाची का घर, एक डबल स्टोरी था.. मेरी चाची के दो बेटे हैं – सूरज और अजय.. सूरज की उम्र, मुझसे लगभग 4 साल बड़ी है और अजय मुझसे 2 साल बड़ा है..
ऊपर पहले फ्लोर पर, मेरी चाची का पूरा परिवार रहता था.. नीचे ग्राउंड फ्लोर पर, एक आगे वाला कमरा ऐसे ही खाली रहता था और अंदर के कमरे उन्होंने रेंट पर दिए हुए थे, एक परिवार को.. उनके किरायेदार के परिवार में पति और पत्नी दोनों काम करते थे और उनकी 3 बेटियाँ थीं..
तीनों की उम्र लगभग 20, 18 और 16 की होगी.. जो उनकी 20 साल की बेटी थी, ख़ुशी और उनकी 18 साल की बेटी थी, शोभा उन दोनों से काफ़ी दोस्ती थी हमारी.. हम लोग, साथ में खेला करते थे.. छुट्टियों के दिनों में हम लोग, मेरी चाची के नीचे वाले आगे वाले कमरे में जाके बैठ जाते थे..
वहाँ पर मेरे भाई, अपने कुछ आस पास के दोस्त को भी बुला लेते थे.. 3–4 लड़के और 3–4 लड़कियाँ.. सब लोग नीचे रूम में आ जाते थे और वो ख़ुशी और शोभा भी आ जाती थीं.. उसके बाद फिर, वो सब लोग एक दूसरे के कपड़े उतारते थे और फिर एक दूसरे को चुम्मियाँ करते थे.. पूरे नंगे होकर.. उस टाइम, मैं बहुत छोटा था तो मुझे समझ नहीं आता था की वो क्या कर रहे हैं..
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मैंने अपने भाई अजय से पूछा – तुम लोग क्या कर रहे हो… ??
तो वो बोला – इसको “चुदाई” बोलते हैं…
फिर, मैंने पूछा – उससे क्या होता है… ??
उसने जबाब दिया – मुझे नहीं पता… बस मुझे चुम्मी करने में और लड़कियों के बूब्स दबाने में मज़ा आता है और सूरज भैया बोलते हैं की ऐसे ही लड़की गर्भवती होती है…
मैंने उससे पूछा – तो क्या यह सारी लड़कियाँ, गर्भवती हो जाएँगी… ??
उसने जबाब दिया – मुझे नहीं पता… तू सूरज भैया से पूछ ले… मुझे तो बस, करने में मज़ा आता है…
मैं देख रहा था और मेरी आँखों के सामने, वो सारे लड़के सारी लड़कियों को चुम्मियाँ कर रहे थे और उनके बूब्स से खेल रहे थे.. सबकी उम्र लगभग 18 – 20 के आस पास थी – लड़कों और लड़कियों की.. बस मेरा भाई, अजय और मैं थोडे छोटे थे.. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था..
बस ऐसे ही, मैं हैरान होकर देख रहा था उनको.. उनका वो रूम काफ़ी बड़ा था.. उसमें एक डबल बेड, एक सोफा और एक फोल्डिंग पलंग भी रखा था.. फिर एक दूसरे को काफ़ी देर तक किस करने और उनके बूब्स दबाने के बाद, मेरे सूरज भैया ने दिशा(उनके साथ जो लड़की थी) उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगे..
मुझे वो बहुत गंदा लगा और मैंने अजय को बोला – अजय मुझे नहीं बैठना यहाँ पर… मैं जा रहा हूँ… दरवाज़ा खोल दे…
अजय बोला – पागल मत बन… दरवाज़ा नहीं खुलेगा… तू देख तो सही… मज़ा आएगा…
मैं फिर, चुप करके बैठ गया.. मैंने दिशा का चेहरा देखा तो दिशा का चेहरा पूरा लाल हो गया था और लग रहा था की उसे बहुत मज़ा आ रहा है.. ऐसे ही बाकी सब लड़के लड़कियाँ भी अलग अलग पोज़िशन में प्यार कर रहे थे.. जैसे अजय भी गौरी(उसके साथ जो लड़की थी) के बूब्स चूस रहा था और दबा रहा था.. एक दूसरा उनका दोस्त जय, अपने साथ वाली लड़की की चूत में अपना लण्ड डाल के ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था..
मैं परेशान था और मैंने अजय से पूछा – ओये.. यह लड़की के ऊपर लेटा हुआ है और इतनी ज़ोर ज़ोर से क्यूँ उछल रहा है… ??
तो अजय बोला – कहते हैं, ऐसे करने में बहुत मज़ा आता है.. लण्ड को चूत के अंदर डाल के..
मैंने उससे पूछा – क्या तूने किया है, कभी… ??
तो वो मुझसे बोला – नहीं… मैंने कभी लड़की के अंदर, अपना लण्ड नहीं डाला… सूरज, भैया मना करते हैं की 18 के ना होने तक चूत में नहीं डाला जाता… जब मैं 18 का हो जाऊंगा, तब डालूँगा… अभी मैं लड़की के ऊपर लेट के, ऐसे ही धक्के मार लेता हूँ, अपना लण्ड उसकी चूत पर ऊपर से टच करके… और मेरा पानी निकल आता है… उसमें भी बहुत मज़ा आता है…
असल में, अब मुझे भी यह सब देखने में मज़ा आ रहा था..
मैंने अजय से पूछा – क्या मैं इसके बूब्स दबा के देखूं… ??
अजय ने कहा – ठीक है… करके देख…
मैंने उसके बूब्स पकड़े और उन्हें हाथ में ले के महसूस करने लगा.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. मेरे लण्ड में कुछ कुछ हो रहा था पर फिर भी उन्हें धीरे धीरे दबाने में मज़ा आ रहा था.. मैंने सूरज भैया की तरफ देखा तो वो मुझे देख कर हंस रहे थे और दिशा को चोद रहे थे..
मुझे शरम आ गई और मैंने उसके बूब्स छोड़ दिए.. उसके बाद अजय ने लड़की को बेड पर लिटाया और उसके ऊपर लेट गया और ज़ोर ज़ोर से उछलने लगा.. मैंने देखा उन सब के लण्ड, मेरे लण्ड के मुक़ाबले में बहुत बहुत बड़े थे.. मुझे लगा मेरा लण्ड तो इतना छोटा है, जाएगा ही नहीं अंदर..
फिर मैं चुप चाप बैठ कर, उन्हें देख रहा था.. थोड़ी देर बाद, वो सब लोग फ्री हो गये.. मैंने देखा, वो सब पसीने से गीले हो चुके थे.. उन्होंने तोलिये से अपना बदन पोंछा और फिर, वहीं बैठ गये.. हम लोग फिर ऐसे ही, कुछ कुछ खेल खेल रहे थे.. उसके बाद, जब थोड़ी शाम हुई..
5 बजे के आस पास, सब लोग अपने घर चले गये.. कुछ 2 – 3 बार मैंने देखा, यह सारा खेल और उसके बाद मैं अपने घर आ गया.. अब मालूम नहीं क्यूँ मेरा बार बार मन होता था की मैं किसी को सेक्स करते हुए देखूं.. मैं टीवी पर किस करते हुए देखने से ही, उतेज्ज़ित हो जाता..
उसके बाद मैं टीवी पर सिर्फ़ स्टार मूवीज देखा करता था, उनमें कुछ चुम्मी के दृश्य देखने के लिए.. वो देखने के बाद.. मैं भी अपने बेड पर उल्टा लेट जाता और फिर अपना लण्ड बाहर निकालता लोवर से और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगता.. ऐसे ही धीरे धीरे, समय बीतने लगा..
अब सबके स्कूल खुल गये थे तो मौका नहीं मिल पाता था, मिलने का.. मैं अजय से जब भी मिलता, तब सेक्स के बारे में ही पूछा करता था क्यूंकी सूरज भैया से पूछने में मुझे अजीब लगता था क्यूंकी वो बहुत बड़े थे.. अजय ने मुझे कुछ किताबें दी, जिनमें बहुत सारी नंगी लड़कियों के चित्र थे चुदाई करवाते हुए..
मुझे वो किताबें, बहुत मस्त लगी.. मुझे नहीं पता था की ऐसी किताबें भी आती हैं.. उन्हें लेकर, मैं खुश हो गया क्यूंकी स्टार मूवीज पर वो नहीं दिखाते थे जो मैं देखना चाहता था.. दिन ऐसे ही, बीत रहे थे.. मैं किताबें देखता और फिर बेड पर उल्टा लेट के ज़ोर ज़ोर से धक्के मार के अपना पानी निकाल लेता…
अब धीरे धीरे, मेरा लण्ड भी बड़ा होने लगा था.. यह देख कर, मुझे बहुत अच्छा महसूस होता था.. उस वक़्त, मेरी उम्र 17 की होगी और मैं 12 वी क्लास में आ गया था.. मेरी एक पड़ोसन थी.. उसका नाम – रितु था.. हम दोनों बहुत ज़्यादा करीब थे, बचपन से ही.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हमेशा से हम दोनों साथ में ही खेलते थे, साथ में स्कूल जाते थे और साथ में ही रहते थे पूरा दिन.. उसके माता-पिता भी नौकरी करते थे.. वो हमारे कॉलेज की “सबसे खूबसूरत लड़की” थी.. बहुत सारे लड़के, उसके पीछे थे.. पर, वो किसी भी लड़के को भाव नहीं देती थी..
वो मुझसे 2 साल बड़ी थी और हमारे ही कॉलेज में थी.. उसके माता पिता भी बहुत ही रिज़र्व्ड थे और उसके ऊपर बहुत ज़्यादा पाबंदियाँ थीं.. कोई भी लड़का, उसके घर नहीं आ सकता था (मेरे अलावा).. हम दोनों के परिवार में बहुत अच्छे तालुकात थे और हम दोनों भी बेस्ट फ्रेंड्स थे..
हम दोनों इतने करीब थे की हम हर कभी सेक्स की बातें करते थे और तो और हमने एक दूसरे को लगभग पूरा नंगा देखा था, जैसे उसने मुझे चड्डी में और मैंने उसे ब्रा और पैंटी में.. पर मालूम नहीं क्यूँ उस रात से पहले कभी भी हमारे बीच, ऐसी कोई भावना नहीं आई..
जनवरी के महीने की बात है.. उसकी परीक्षा चल रही थी.. उसके माता पिता को एक रिश्तेदार की शादी, अटेंड करने जाना था.. तो शाम को लगभग 8 बजे, उसकी मम्मी मेरे घर आई और मेरी मम्मी से बोली – रितु, घर में अकेली है… कल उसका एग्ज़ॅम है और हम लोगों को बेहद ज़रूरी शादी अटेंड करने जाना है…
वो पढ़ाई कर रही है इसीलिए जा नहीं सकती, हमारे साथ… आप कौस्तुभ को हमारे घर भेज दो, उसके साथ बैठने के लिए… हम लोग 11 – 12 बजे तक, वापिस आ जाएँगे… मेरी मां ने कुछ नहीं बोला और आसानी से मान गई क्यूंकी यह पहली बार नहीं था की हम दोनों ऐसे अकेले बैठ रहे थे.. जब भी मेरे घर से कोई जाता था तो वो मेरे घर आ जाती थी और उसके घर से कोई जाता था तो मैं उसके घर चला जाता था.. फिर, मैं उसके घर चला गया..
आंटी ने बोला – बेटा, डिनर बना के रख दिया है..
मेरे पसंदीदा “राजमा चावल” थे.. कुछ टाइम बाद आंटी, अंकल और उनकी छोटी बेटी शादी में चले गये.. मैं और रितु, लिविंग रूम में बैठे थे..
मैंने रितु से पूछा – कल, कौन सी परीक्षा है… ??
उसने बोला – इंग्लीश की…
रितु ने उस टाइम जीन्स और टॉप पहन रखा था क्यूंकी थोड़ी देर पहले ही वो ट्यूशन से आई थी और कपड़े चेंज नहीं किए थे, अभी.. रितु हमेशा घर में, टॉप और शॉर्ट्स पहन के रहती थी.. थोड़ी देर, हम दोनों ऐसे ही बैठे थे.. मेरा मन टीवी देखने का हो रहा था पर रितु पढ़ाई कर रही थी इसीलिए मैंने टीवी चालू नहीं किया और मैं वहाँ पड़ी कॉमिक्स पड़ने लगा..
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थोडा समय, ऐसे ही निकल गया.. लगभग 9 बजे के आस पास, मेरी माँ आई वहाँ पर और पूछा – क्या कर रहे हो… ?? खाना लगा दूं क्या, अगर भूख लगी हो तो… ??
रितु ने मुझसे पूछा – भूख लगी है क्या… ??
मैंने बोला – नहीं… अभी तो नहीं…
तो रितु ने मेरी माँ को बोला – आंटी, अभी भूख नहीं है हमें… आप चिंता मत करो… भूख लगेगी तो हम खुद ही ले कर खा लेंगे… खाना तो बना हुआ ही है…
फिर, मेरी मम्मी चली गई..
लगभग 15 मिनट बाद, रितु उठी सोफा से और बोली – मैं चेंज करके आती हूँ…
मैंने कहा – ठीक है…
फिर वो, दूसरे रूम में चली गई… संयोग से, उसके उस दूसरे रूम में दरवाजा नहीं था.. सिर्फ़, परदा था.. लगभग 30 सेकेंड्स के बाद, रितु बाहर लिविंग रूम में आई और बोली – कपड़े ले जाना तो भूल ही गई… उसकी अलमारी, लिविंग रूम में ही थी.. उसने उस समय टॉप पहन रखा था, जो उसके कंधे से थोड़ा सा नीचे तक आ रहा था..
उसकी नीली पैंटी भी “लो वेस्ट जीन्स” में साफ साफ दिख रही थी.. मैं एकटक, उसे देख रहा था.. कुछ अलग तो नहीं लगा क्यूंकी वो पहली बार नहीं था, जब मैंने उसे पैंटी में देखा है.. फिर जैसे वो अलमारी से कपड़े निकालने के लिए झुकी तो मेरी नज़र उसकी गाण्ड की दरार पर पड़ी..
उसकी गाण्ड, बहुत ही मस्त लग रही थी.. एकदम, “गोरी और चिकनी”.. उसकी गाण्ड को देख कर, मुझे उन्हीं किताबों वाली लड़कियों की याद सताने लगी.. फिर अचानक, वो मेरी तरफ मूडी और मुझे देख कर स्माइल पास की.. मैंने कोई भाव नहीं दिया और चुप चाप बैठा रहा..
उसके बाद वो रूम में चली गई, चेंज करने.. कुछ ही सेकेंड्स बाद, वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई.. मैं डर गया और भाग के अंदर रूम में गया.. मैं जैसे ही उसके रूम पर पहुंचा, मैंने देखा की वो “पूरी नंगी” खड़ी है डरी सहमी हुई सी.. मैंने पहली बार, उसे नंगा देखा था.. मैं उसे ऊपर से नीचे तक देखने लगा..
फिर अचानक, मुझे होश आया और मैंने उससे पूछा – क्या हुआ… ??
वो बोली – बेड के नीचे चूहा है…
मुझे भी उस टाइम, चूहा से बहुत डर लगता था.. मैं भी डर के मारे, बेड पर चढ़ गया..
तो वो बोली – बेवकूफ़… इसको भगा ना… झाड़ू या डंडा, ले कर आ…
फिर मैं हिम्मत करके, लिविंग रूम में जाके झाड़ू लेकर आया.. वो अभी भी बेड पर चढ़ कर, नंगी खड़ी हुई थी.. मैं भी बेड पर चढ़ गया और झाड़ू से डरा के, चूहा को भगा दिया.. चूहा के भागने के बाद होश आया तो देखा की वो अभी भी बिल्कुल नंगी थी, मेरे सामने..
मैं उसके “गोल गोल बूब्स” को देख रहा था, जो की ज़्यादा बड़े नहीं थे.. पर फिर भी, बहुत ही सुंदर लग रहे थे.. एकदम “गोल और गोरे गोरे और गुलाबी रंग” के अनार के दाने, जैसे निप्पल.. अभी हम बेड पर बैठे हुए हंस ही रहे थे, उस चूहा पर की अचानक से बाहर कोई आवाज़ हुई..
ऐसा लग रहा था, जैसे रोड पर किसी का आक्सिडेंट हुआ है.. उसके बेड के बिल्कुल बगल में, एक खिड़की थी.. वो इतनी हाइट पर थी की मुझे खिड़की से बाहर देखने के लिए, उठ कर बैठना पड़ता था.. मैं खिड़की से बाहर देखने के लिए, अपनी घुटनों पर बैठा था और बाहर देख रहा था..
रितु, मेरे पीछे बैठी थी.. अचानक से वो मेरे पीछे आकर, मुझसे चिपक गई और खिड़की से बाहर देखने लगी.. उसने अभी भी, कुछ नहीं पहना था.. उसके चिपकने से, मेरा लण्ड कड़क हो रहा था.. मैं फिर भी बाहर ही देख रहा था, खिड़की से.. उसके गाल मेरे गालों पर रगड़ खा रहे थे और उसके नरम नरम बूब्स, मेरी पीठ पर..
मैंने गौर किया की वो थोड़ा आगे पीछे मूव हो रही थी ताकि उसके बूब्स, मेरी पीठ से रगड़ खाए.. मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और अचानक से, उसके हाथ मेरी जीन्स के बटन पर गये और उसने मेरी जीन्स का बटन खोल दिया..
मैंने उससे पूछा – यह क्या कर रही है… ??
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और झटके से, मेरी जीन्स की ज़िपर भी खोल दी.. मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था.. वो लगातार अपने बूब्स रगड़ रही थी, मेरी पीठ से.. धीरे धीरे, उसने मेरी गर्दन पर और मेरे गालों पर चुम्मी करना और जीभ से चाटना शुरू कर दिया..
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.. मैंने कोशिश की मैं मूड जाऊं पर उसने मुझे बोला की ऐसे ही बैठा रह.. मेरी पीठ, उसकी साइड थी.. मैं वैसे ही बैठा रहा.. उसका हाथ अब मेरी चड्डी के अंदर, मेरे लण्ड को सहला रहा था जो अब बिल्कुल कड़क हो गया था..
थोड़ी देर ऐसे ही पोज़िशन में, वो मेरे साथ चुम्मा चाटी करती रही और मेरे लण्ड से खेलती रही जो अब कड़क हो चुका था.. मेरा लण्ड पहले, इतना कड़क और बड़ा कभी नहीं हुआ था.. उसके बाद फिर, उसने मुझे बोला मुड़ने के लिए.. मैं जैसे ही मुड़ा, वो मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ करने लगी.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे मज़ा आ रहा था और तभी मेरी नज़र, उसके बूब्स पर पड़ी.. मैंने चुम्मी करते करते, उसके बूब्स को अपने हाथ में ले लिया और धीरे धीरे मसलने लगा.. उसके बाद फिर, वो मेरे होंठों को चूसने लगी और हम दोनों चुंबन करने लगे.. चुंबन करते करते, उसने अपनी जीभ मेरी मुंह में डाल दी जिसको मैंने ज़ोर से काट लिया..
बहुत मज़ा आ रहा था, पहली बार करने में.. अब मुझे सब कुछ धीरे धीरे समझ आ रहा था की आख़िर सूरज भैया और अजय को यह सब, इतना पसंद क्यूँ है.. वो एहसास ही ऐसा था, जिसको शब्दों में बयान नहीं कर सकते.. फिर उसने, मेरी टी शर्ट उतार दी..
मेरी टी शर्ट उतारने के बाद, उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे सीने पर सब जगह चूमने लगी.. मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था और वो सारे किताबों के पोज़ और पोज़िशन्स, मेरी आँखों के सामने आ रहे थे.. उसके बाद मेरे पूरे बदन पर किस करते करते, वो मेरी कमर तक आई और उसने मेरी जीन्स और चड्डी दोनों एक साथ नीचे खिसका दिए..
मैं एक ग्राहक की तरह, बस उसकी सेवा का लुफ्त उठा रहा था.. बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था.. उसके बाद, उसने मुझे मेरे पैरों को फैलाने को बोला.. मेरे पैरों को फैलाने के बाद, वो मेरे पैरों के बीच में आ गई.. उसके बाद नीचे झुक कर उसने मेरा लण्ड, अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे पूरा मुंह में लेकर चूसने लगी..
यह एक ऐसा अनुभव था, जो मैं काफ़ी सालों से महसूस करना चाहता था.. वो एक एक्सपर्ट की तरह, मेरे लण्ड को चूस रही थी.. मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था.. सो वो मेरे लण्ड को एक एक्सपर्ट की तरह चूस रही थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अपना लण्ड चुसवाने में..
यह पहली बार था की कोई लड़की मेरा लण्ड चूस रही थी.. थोड़ी देर वो लण्ड चूसती रही और मैं एंजाय करता रहा.. अचानक से मुझे महसूस हुआ की मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने उसका मुंह पकड़ा और अपने लण्ड से दूर करने लगा..
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उसने मुझसे पूछा – क्या हुआ… ??
मैंने कहा – मेरा पानी निकलने वाला है…
इस पर वो बोली – कोई बात नहीं… मुझे चाहिए सारा… मेरे मुंह पर निकाल दे…
उसके बाद, मैंने अपना पानी उसके मुंह के अंदर ही पूरा का पूरा और कुछ उसके चेहरे पर छोड़ दिया.. वो बहुत मज़े से चाट रही थी, उसको पर मुझे बहुत ही अजीब और गंदा सा लग रहा था.. कोई कैसे पी सकता है, पानी जो निकला है पेशाब के छेद से..
पर, मैं कुछ नहीं बोला क्यूंकी मुझे भी मज़ा आया था.. उसके बाद, हम दोनों ने खाना खाया.. हमें बहुत भूख लगी थी..
खाना खाने के बाद, वो बोली – मैंने तो तुझे संतुष्ट कर दिया… अब तू मुझे कब खुश करेगा… ??
मैंने पूछा – मैं क्या करूँ… ?? मुझे तो कुछ नहीं आता…
तो वो बोली – चिंता क्यूँ कर रहा है… मैं बताती हूँ… तू कर…
मैंने कहा – ठीक है…
उसने मुझे बोला – मुझे चुम्मियाँ दे, पूरे बदन पर..
उसके बाद, वो पूरी नंगी बेड पर लेट गई.. मैं उसके बगल में लेट गया और उसके चेहरे पर किस करने लगा.. उसके पूरे चेहरे को मैंने चूमा और उसके होंठों को काफ़ी देर तक चूसा.. तब तक उसने, मेरा हाथ पकड़ के अपनी नंगी चूत पर रख दिया और बोली – मेरी चूत को सहला..
मैं उसके बदन पर सब जगह चुम्मियाँ कर रहा था और अपनी उंगलियों से उसकी चूत को सहला रहा था.. उसकी चूत, बिल्कुल “गुलाबी” थी और “क्लीन शेव्ड” थी.. उसकी चूत के मुहाने पर मेरा हाथ पहुँचते ही, मेरी उंगली गीली हो गई उसके पानी से.. फिर, मैं थोड़ा नीचे होके उसके बूब्स को चूसने लगा और उसके निपल्स को काटने लगा..
वो मेरा “पहला एक्सपीरियेन्स” था और मैं आपको बता भी नहीं सकता की मुझे कितना अच्छा लग रहा था.. उसके बाद फिर काफ़ी देर तक मैंने उसके दोनों बूब्स से खेला, उनको ज़ोर से दबाया, मसला, सहलाया, चूमा और काटा भी.. उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था..
हम दोनों की साँसें, बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थीं.. उसको इतना उतेज्ज़ित देख के मेरा भी लण्ड एक बार फिर से खड़ा हो गया था.. अब उसके बूब्स से होते हुए, मैं उसके सपाट पेट पर आ गया और उसकी नाभि पर चुम्मी करने लगा..
वो मुझसे बोली – साले झूठे… तू तो बोल रहा था, तुझे कुछ नहीं आता… तू तो ऐसे कर रहा है जैसे पता नहीं, कितना एक्सपीरियेन्स हो…
मैंने स्माइल पास की और उसे बताया – मैंने खुद कभी कुछ नहीं किया पर देखा है, बहुत कुछ..
तो वो बोली – कोई बात नहीं… आज, खुद भी कर ले…
मैं फिर उसकी नाभि पर लीक करने लगा.. मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी.. उससे उसको, बहुत मज़ा आ रहा था.. फिर मैं उसकी कमर पर, उसकी जांघों पर, उसके पैरों पर सब जगह चूमने और चाटने किया.. उसके बाद मैं चुप करके, बेड पर बैठ गया.. वो बहुत ज़्यादा उतेज्जित हो चुकी थी..
वो बोली – क्या हुआ… ?? बैठ क्यूँ गया… ??
मैंने कहा – अब क्या करना है, मुझे नहीं पता…
उसने बोला – जैसे मैंने तेरा लण्ड चूसा है, ऐसे तू भी मेरी चूत को चाट अपनी जीभ से…
मैंने उसको तुरंत बोला – नहीं, मैं नहीं चाटूंगा… मुझे अच्छा नहीं लगता… यहाँ से तुम, पेशाब करती हो…
उसने मुझसे बोला – वाह रे, नबाब… अपना तो सारा पानी, मुझे पेप्सी की तरह पीला दिया और मेरी चूत गंदी लग रही है… भोसड़ी के, ना जाने कितने लड़के मरते हैं मेरी चूत चाटने को… चूत चाटना तो दूर, मेरी “मूत” भी खुशी खुशी पी लें… चल चाट ना… अच्छा लगेगा तुझे… चल ट्राइ तो कर… अगर अच्छा ना लगे तो मत करियो… ठीक है…
मैंने कहा – ठीक है…
मैं फिर उसकी पैरों के बीच में लेटा और अपना चेहरा, उसकी चूत तक लाया और चाटने लगा.. मुझे बहुत अजीब सा टेस्ट लग रहा था.. बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और बहुत अजीब सी महक आ रही थी.. मेरा मन तो बहुत हुआ हटने का पर फिर मैंने उसकी सिसकारियाँ सुनीं और महसूस किया की वो कितना ज़्यादा एंजाय कर रही है.. मेरे मन में आया की उसने मुझे भी संतुष्ट किया है तो मुझे इसको ऐसे नहीं छोड़ना चाहिए..
इसीलिए, मैंने उसकी चूत को चाटना जारी रखा.. उसकी चूत का सारा पानी मेरे लिप्स पर, गालों पर और नाक पर लग गया था.. धीरे धीरे करके, मुझे भी मज़ा आने लगा उसकी चूत को चाटने में.. अब बस मेरा मन हो रहा था की मैं अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दूं.. थोड़ी देर, मैं उसकी चूत ऐसे ही चाटता रहा और फिर उसने मुझे बोला कि मैं अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डाल कर, अंदर बाहर करूँ..
उसने मुझे बोला – मैं अपनी उंगली को उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर, ऊपर नीचे करूँ..
अब उसकी चूत, बहुत ज़्यादा गीली हो चुकी थी..
मैंने उसको बोला – चूत के अंदर उंगली को नहीं, लण्ड को डालते हैं..
वो बोली – मुझे मालूम है पर अभी मुझे लगता है, हम दोनों इसके लिए तैयार नहीं हैं.. इसीलिए, अभी हमें ऐसे ही एक दूसरे को संतुष्ट करना है..
यह सुन कर, मुझे थोड़ा बुरा लगा पर फिर भी पता नहीं क्यूँ मैं कुछ प्रतिक्रिया नहीं कर पा रहा था.. मेरा बहुत मन हो रहा था की मैं अपना लण्ड उसकी चूत में डालूं..
वो भी समझ गई तो उसने मुझे बोला – देख, तू अभी लण्ड अंदर डालने के लिए, छोटा है.. तरीके से अंदर जाएगा भी नहीं और मुझे भी खून निकलेगा तो दिक्कत हो जाएगी…
जब उसने “खून” का नाम लिया तो मैं डर गया..
उसके बाद, मैं सामान्य हो गया और उसकी चूत में अपनी उंगली डाल के अंदर बाहर, ऊपर नीचे करने लगा.. उसकी चूत इतनी गीली हो रही थी की मेरी उंगली टच करते ही, अपने आप अंदर घुस गई.. फिर थोड़ी देर, मैंने उसे ऐसे ही उंगली से चोदा और मेरा लण्ड बेचारा अपने आप ही बैठे बैठे सो गया.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
थोड़ी देर बाद, उसने बोला की उसका पानी निकल गया और वो खुश हो गई है.. उसके बाद, फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए.. उस टाइम, लगभग 11 बज रहे थे.. वो कपड़े पहनने के बाद, उसी रूम में पढ़ने बैठ गई और मैं लिविंग रूम में आकर टीवी देखने लगा..
थोड़ी देर बाद, उसके माता पिता आ गये और फिर मैं अपने घर चला गया.. वो मेरी लाइफ का “पहला एक्सपीरियेन्स” था.. उसके बाद भी हम दोनों काफ़ी दिनों तक ऐसे ही, एक दूसरे को ऐसे ही चुम्मा चाटी और उंगली से उतेज्ज़ित करते रहे पर वो चाहती थी की शादी से पहले वो “कुँवारी” रहे, इसीलिए हमने चुदाई नहीं की..
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लगभग 1 साल तक ऐसे ही चलता रहा और उसके बाद उसके पापा का ट्रान्स्फर हो गया और वो लोग आगरा शिफ्ट हो गये.. उसके बाद थोड़े दिनों तक कभी कभी उसके फोन आया करता था तो हम सामान्य बात कर लिया करते थे.. फिर धीरे धीरे, उसके फोन आना बंद हो गये और समय के साथ हमारा लिंक टूट गया..
समय अपनी रफ़्तार से निकलता जा रहा था.. वक़्त का पहिया चलता रहा और मैं कॉलेज में आ गया और यह उस टाइम की बात है जब मैं तीसरे सेमेस्टर में था और मेरी छुट्टियाँ पड़ी थीं, जून के महीने में.. मेरी उम्र, लगभग 19 साल की थी.. रितु के चले जाने के बाद, मैं बहुत उदास हो गया था क्यूंकी मेरी छुट्टियाँ हो गई थी और आस पास मेरे और कोई दोस्त नहीं थे..
मेरे पापा की एक कज़िन रहती थी, गोरखपुर में.. उनकी बेटी की ग्रेजुएशन पूरी हुई थी और वो लगभग, 21 साल की थी.. उसका नाम दिव्या था.. मैं अब तक, उन लोगों से कभी नहीं मिला था.. ग्रेजुएशन करने के बाद, अब मेरी कज़िन (दिव्या) को मथुरा आना था क्यूंकी वो मथुरा में किसी कॉलेज से “एम बी ए” करना चाहती थी..
तो एक दिन शाम को पापा घर आए और उन्होंने बताया की गोरखपुर से दिव्या आ रही है और हमारे साथ रहेगी, कुछ दिन.. कहते हैं, 19 साल की ऐसी उम्र होती है की लड़की का नाम सुनकर ही अंकुर फूटने लगते हैं.. मैं एक्ससाइटेड था, उसे देखने के लिए पर तब भी ऐसे कुछ विचार नहीं आए थे, उसके लिए..
मैं बस सोच रहा था की वो आ जाएगी तो मेरी छुट्टियाँ आराम से निकल जाएगी… आख़िरकार, वो दिन आ गया जिस दिन वो आ रही थी.. मैं और मेरे पापा उसको स्टेशन से पिक करने गये थे तो मैंने देखा की उसके साथ उसकी मम्मी भी आई हैं.. मुझे मालूम नहीं क्यूँ अच्छा नहीं लगा, उसकी मां का आना..
मुझे क्या पता था की उसकी मम्मी का आना ही, मेरे लिए इतना मददगार होगा.. खैर, उन दोनों को लेके हम लोग घर आ गये और साथ में सबने डिनर किया.. मेरे घर में, 3 बेडरूम्स हैं.. जिसमें से एक में मेरे माता पिता, दूसरे में मेरे दादाजी और तीसरे में मैं सोता था..
मेरे रूम में एक डबल बेड था और काफ़ी बड़ा था इसीलिए मेरे रूम में सोने की कोई दिक्कत नहीं थी.. और इधर, दिव्या अकेली नहीं थी, उसके साथ उसकी मम्मी भी थीं इसीलिए शायद किसी को कोई दिक्कत भी नहीं हुई की वो दोनों मेरे रूम में सोएं…
मैं थोड़ा शर्मिला टाइप का हूँ इसीलिए अभी तक मेरी दिव्या से कुछ भी बात नहीं हुई थी पर मैं उसकी मम्मी से अच्छे से बात कर रहा था और ऐसे ही कुछ कुछ हँसी मज़ाक कर रहा था.. यहीं पर, दिव्या की मम्मी के आने से मेरी मदद हो गई..
अगर, उसकी मम्मी नहीं आती तो हो सकता है उसको मेरे रूम में सोने को नहीं मिलता और हाँ अगर उसकी मम्मी नहीं होती तो शायद उससे बात करने में मुझे 10 दिन लग जाते.. खैर, मैं दिव्या की मम्मी से बातें करता और दिव्या सुन रही थी और साथ साथ में खुद भी कुछ कुछ बोल रही थी और रिप्लाइ कर रही थी..
ऐसे ही बातें करते करते 1 दिन में, मेरी और दिव्या की अच्छे से बात होने लगी.. 2–3 दिन, ऐसे ही बीत गये.. सारा दिन दिव्या अलग अलग कॉलेज में जाती, अपनी मम्मी के साथ और फिर शाम को ही वापिस आती.. ऐसा कुछ ख़ास हुआ नहीं, इन दिनों..
लगभग 4–5 दिन के बाद, हमें दिव्या के घर से कॉल आया की दिव्या दीदी की दादी बीमार हैं तो जल्दी से दिव्या की मम्मी को वापिस गोरखपुर भेज दो.. दिव्या की मम्मी, अगले ही दिन वापिस गोरखपुर चली गई.. उनके गोरखपुर जाने के बाद, शायद किसी को ऐसा ध्यान नहीं रहा की दिव्या अब अकेली है, उसके सोने की जगह चेंज करनी चाहिए और वो मेरे रूम में ही सोने लगी..
मज़े की बात तो ये थी की उसने भी कुछ नहीं कहा.. उल्टा जब उसकी मम्मी सोती थी, तब दिव्या पूरा नाइट सूट पहन कर सोती थी पर अब उसकी मम्मी के जाने के बाद दिव्या एक पतली सी नाईटी पहन लेती थी, जिसके बटन आगे से ही थे..
अब तो वैसे भी हमारी बहुत अच्छे से बात होती थी और हँसी मज़ाक होता रहता था.. रात को जब वो चेंज करने के बाद आती थी, तब मैं बस उसे ही देखता रहता.. बहुत ही, सेक्सी फिगर था उसका.. उसके बूब्स और गाण्ड इतने बड़े थे की उसकी नाईटी भी छुपा नहीं पाती थी, उसके “कातिलाना जिस्म” को..
शायद उसको यह मालूम था की मैं उसके जिस्म को देखता हूँ तभी वो ज़्यादा से ज़्यादा अपना फिगर दिखाया करती थी और जान बूझकर बार बार मुझे छूआ करती थी, बहाने से.. उसका फिगर था ही इतना सेक्सी की मैं क्या करता.. आप समझ लीजिए, गुड़िया के दोनों बूब्स के बराबर दिव्या का एक बूब था जबकि थी वो उतनी ही, दुबली पतली..
दोस्तो, क्या आपने सोचा है हम लड़कों के लण्ड तो साले लगभग एक जैसे ही होते हैं.. थोडा सा बस, लंबाई और मोटाई का फ़र्क होता है पर हर लड़की के बूब्स, गाण्ड, निप्पल सब अलग अलग होते हैं यहाँ तक की चूत की शेप और चूत के लिप्स तक अलग अलग होते हैं.. गौर कीजिएगा किसी के निप्पल भूरे, किसी के काले और बहुत कम के गुलाबी.. हाँ पर गाण्ड बहुत ही कम चिकनी और गोरी मिलती है..
ज़्यादातर फुंसी, और साँवली सी मिल पाती है.. गोरी चिकनी और गोल गाण्ड, मैने बहुत कम ही देखी है.. खैर, अब दिव्या हमारे घर में इतना अड्जस्ट हो गई थी की मेरी मम्मी को सफाई करने में मदद करती थी और बाकी के कामों में भी.. एक दिन की बात है, मैं अपने रूम में बैठा टीवी देख रहा था तो वो मेरे रूम में आकर सफाई करने लगी..
उसने मुझसे बोला – कौस्तुभ, पिलो कवर दे दे और बेड से उठ जा… शीट और पिलो कवर धोने के लिए डालने हैं…
मैं उस टाइम, उठने के मूड में नहीं था..
तो मैंने मना कर दिया की मैं नहीं उठ रहा.. थोड़ी देर बाद, ले लेना..
कुछ टाइम तक तो वो मांगती रही पर मैं नहीं उठा..
आख़िरकार, एक “नॉटी स्माइल” पास करते हुए उसने बोला – सोच ले, या तो तू प्यार से दे दे शीट वरना मैं खुद ही ले लूँगी…
मैंने कहा – जो मर्ज़ी करो… मैं नहीं उठ रहा…
इतना कहने की देर थी की वो मेरे बेड पर आकर चढ़ गई.. मैं बेड पर उल्टा (पीठ के बल) लेटा हुआ था और टीवी देख रहा था.. मुझे अंदाज़ा नहीं था की वो क्या करना चाहती है.. वो अचानक से मेरे पास आई और मैं जैसे उल्टा लेता हुआ था, मेरे ऊपर आके लेट गई वैसे ही, मेरी पीठ पर..
मैंने पूछा – दिव्या, यह क्या कर रही हो… ??
उसने हंसते हुए कहा – तेरा “रे*प” कर रही हूँ… जो मर्ज़ी कर, मैं नहीं उठने वाली…
उसके बूब्स मुझे अपनी पीठ पर दबते हुए, महसूस हो रहे थे और शायद मैं उसको एंजाय भी कर रहा था..
उसको शायद लगा की ऐसे मैं उठ पड़ूँगा तो वो मुझसे बोली – क्या हुआ… ?? अभी भी नहीं उठेगा क्या… ??
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तो मैंने भी नॉटी स्माइल पास करते हुए बोला – अब तो बिल्कुल ही नहीं उठ सकता… पूरा रे*प करवा के ही उठूंगा, अब तो…
वो हँसने लगी और उसका हाथ मेरी पैंट की तरफ गया.. उसने मेरे लण्ड को जीन्स के ऊपर से हाथ लगा के देखा तो वो अभी तक कड़क नहीं था..
यह देख के वो उठ गई और बोली – चल छोड़… छोड़ दिया तुझे… तू तो अभी भी बच्चा है…
यह सुनकर मुझे ऐसे लगा, जैसे शायद वर्ल्ड कप हारने के बाद अपनी क्रिकेट टीम को लगा होगा.. मैं उदास हो गया और चुप चाप उठ के बाहर लिविंग रूम में चला गया.. अब सुबह से लेकर रात तक, मैं दिव्या को इग्नोर कर रहा था.. उसने बहुत बार मुझसे बात करने की कोशिश की पर मैंने नहीं करी.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे लग रहा था की मैं ऐसा करूँगा तो वो मुझे मनाएगी और फिर क्या पता मेरी किस्मत जाग जाए.. रात हो गई और सब लोग सोने चले गये.. मैं पहले से अपने रूम में जाकर लेटा हुआ था की इतने में दिव्या रूम में आ गई.. मुझे लग रहा था की चाहे पूरा दिन नहीं पर कम से कम रात को तो मुझे मनाएगी ही और फिर मैं उससे जो मेरा मन करे, करने को बोलूँगा.. पर इधर तो उल्टा ही हुआ, वो मेरे रूम में आई और पिलो उठा के बाहर जाने लगी.. मैं सदमे में था..
मैंने उससे पूछा – कहाँ जा रही हो… ??
वो बोली – मैं आज से बाहर लिविंग रूम में सोफे पर सोया करूँगी…
मैंने पूछा – पर ऐसा क्यूँ… ??
तो बोली – क्या मतलब, यहाँ सोने का…
तो बोली – क्या मतलब, यहाँ सोने का… तू तो मुझसे, बात कर ही नहीं रहा…
मैंने हंसते हुए बोला – तो अभी क्या कर रहा हूँ… ??
इस पर, वो बोली – फिर, सुबह से मुझसे बात क्यूँ नहीं करी तूने… ?? तुझे बुरा लगा की मैं तेरे ऊपर आ के लेट गई… ??
मैंने कहा – नहीं, बिल्कुल भी नहीं… वो तो बहुत अच्छा लगा पर मैं बात इसीलिए नहीं कर रहा था क्यूंकी आपने मुझे बच्चा बोला… मैं बच्चा नहीं हूँ… अब बड़ा हो गया हूँ… मेरा इतना कहने की देर थी की वो वापिस बेड पर आकर बैठ गई और हँसने लगी…
पहली बार, उसकी हँसी में मुझे एक शरारत दिख रही थी..
मैं भी उसको देख कर शरमा रहा था..
मैंने उससे पूछा – हंस क्यूँ रही हो…
तो वो बोली – चल बता… मैं कैसे मान लूँ की तू बड़ा हो गया है… ??
मैंने पूछा – क्या प्रूफ चाहिए, आपको… ??
तो वो आँख मारते हुए बोली – सबूत तो मैंने सुबह ही देख लिया…
मैंने पूछा – क्या मतलब है, आपका… ??
अब वो बोली – मतलब साफ़ है, भोलू चंद… किसी बड़े लड़के के ऊपर ऐसे कोई लड़की लेटती है तो उस लड़के के बदन में कुछ बदलाव आ जाता है, जो तेरे बदन में बिल्कुल भी नहीं आया… इसीलिए, लल्लू लाल भले ही तू 19 साल का हो गया हो पर तू अभी भी जिस्मानी तौर पर छोटा है…
अब मैंने भी चांस लेते हुए और बिल्कुल अंजान बनते हुए पूछा – बताओ, क्या चेंज आता है… ??
तो उसने बिना किसी चेतावनी के एकदम से मेरे लण्ड को मेरे लोवर के ऊपर से पकड़ लिया और बोली – यह छोटू कड़क और बड़ा हो जाता है, लड़की की खूबसूरती को सलामी देने के लिए…
अचानक से वो शॉक हुई और हंस पड़ी और बोली – वाह यार… तू तो एक ही दिन में बड़ा हो गया… अब तो छोटू मस्त कड़क हो गया… सुबह क्या हुआ था, फिर इसको… ??
मैं हंसा और बोला – अब मैं तो बोल ही रहा था की मैं बड़ा हो गया हूँ… छोटू, हमेशा सही मौका देख कर खड़ा होता है… जब इसको पता होता है की कुछ होने वाला है…
वो बोली – क्या मतलब है तेरा… ?? क्या होने वाला है… ??
मैं भी अब बिल्कुल बोल्ड हो गया था और दिव्या दीदी का हाथ, अभी भी मेरे लण्ड पर ही था..
मैंने बोला – क्यूँ… सुबह तो बहुत उतावली हो रही थी, मेरा रे*प करने के लिए… अब नहीं करोगी क्या… ??
वो फालतू के भाव खाती हुई बोली – चल चल… मैं तो बस मज़ाक कर रही थी…
अब मुझे थोड़ा सा गुस्सा आ गया और मैंने गुस्से में आ कर उसको बोला – ठीक है… आप बाहर जाकर ही सो जाओ सोफे पर और मेरे बेड पर मत सोना आगे से…
यह सुन कर, वो बोली – क्या यार… मैं तो सोच रही थी की तू मुझे मजबूर करेगा, कुछ करने के लिए… मुझे क्या पता था की तू नाराज़ हो जाएगा… गुस्सा तो जनाब की नाक पर रखा रहता है…
और अब उसने मेरे लण्ड को लोवर के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.. वो कड़क और कड़क होता जा रहा था, उसके छूने से.. इधर, मेरी आँखें उसके बड़े बूब्स पर टिकी हुई थी..
यह देख कर, वो बोली – क्या घूर रहा है… ?? बहुत पसंद हैं ना, तुझे मेरे बूब्स… ?? जब से आईं हूँ, बस घूरता ही रहता है…
मैंने कहा – हाँ… मैं इन्हें बिना कपड़े के देखना चाहता हूँ…
वो बोली – बस देखेगा क्या… ??
मैंने कहा – पहले दिखाओ तो सही… बाकी बाद में सोचूँगा…
इतना कहने की देर थी की उसने झट से बड़ी ही बेशर्मी से, अपनी नाईटी निकाल फेंकी.. मैंने उठ कर, अपने रूम में थोड़ा तेज़ वॉल्यूम पर टीवी चला दिया ताकि किसी को अंदर की आवाज़ें ना आएं.. मेरी आँखें, उसके बूब्स पर गड़ गईं.. उसने नीचे कोई ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी और एक झटके में, वो मेरे सामने बिल्कुल “नंगी” खड़ी थी..
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रितु के मुक़ाबले, उसके बूब्स दो गुना थे पर उसके निप्पल भूरे और थोड़े बड़े थे.. लगभग, 5 के सिक्के जीतने.. हाँ, पर थे बहुत गोरे गोरे और गोल गोल.. उसकी कद और काठी बिल्कुल रितु ही जितनी थी पर मुझे अजीब सा लगा की लड़कियों का जिस्म, एक दूसरी से कितना अलग होता है..
खैर, उसने भी मेरी टी शर्ट और लोवर उतार दिया.. मैं भी अंदर चड्डी पहन कर नहीं सोता था.. अब मैं उसके नरम नरम बूब्स दबाने लगा, अपने हाथों से.. रितु से कहीं ज़्यादा मज़ा, मुझे उसके बूब्स दबाने में आ रहा था शायद बड़े बड़े थे इसलिए.. बूब्स दबाने से उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था और उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं..
मैंने उसको बोला – मैंने इतने बड़े बूब्स कभी नहीं देखे, किसी के…
इस पर वो हँसने लगी और बोली – तुझे इतने पसंद हैं तो चूस ले ना… तेरे लिए ही तो हैं…
इतना कहने की देर थी और मैं झट से बैठ गया और अपने मुंह से उसका बूब डाल लिया और चूसने लगा.. उसके बड़े बड़े बूब्स का साइज़, कम से कम 36 का था.. उसके मस्त गोल गोल, नरम बूब्स चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था.. मैं ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स दबाता भी जा रहा था..
उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था.. उसकी साँसों की आवाज़ तेज़ हो गई थी और वो ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकाल रही थी.. उसके बूब्स से काफ़ी खेलने के बाद, मैंने उसकी बाकी के जिस्म पर किस करना और चाटना शुरू कर दिया.. उसके चेहरा से फिर मैं उसके होंठों पर पहुँचा और उसके होंठ को चूमने लगा..
बहुत ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, हम दोनों को.. मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर डाल दी, जिसको वो चूस रही थी.. अब उसका हाथ, मेरे कड़क, मोटे लण्ड को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा.. उसका हाथ लण्ड पर लगते ही, वो दिव्या की खूबसूरती को सल्यूट करने के लिए अपनी सही पोज़िशन में आ गया था..
उसका चुंबन करने के बाद, मैंने उसकी गर्दन पर चाटा, जिससे वो बिल्कुल बेचैन हो उठी और मुझे बोलने लगी – प्लीज़, अब मत कर… चोद दे ना… अब अपना लण्ड डाल दे, मेरी चूत में…
मैंने कहा – अभी इतनी जल्दी कैसे…
उसके बाद, मैंने उसके कान पर चूमा और काटा और उसके कान में अपनी जीभ डाल दी.. उसको इतना मज़ा आ रहा था की वो बार बार – आ आह हह हह उम्म्म्म मम मम आ आ आ आ आ आ आ… की आवाज़ें निकाल रही थी.. फिर धीरे धीरे, मैं उसके पेट से नाभि से नीचे होते हुए उसकी चूत पर पहुँच गया..
उसकी चूत पर बाल थे, इसीलिए मुझे साफ दिख नहीं रही थी.. फिर भी मैंने उसके बिना कहे उसकी चूत को चाटना शुरू किया जिससे तो वो बिल्कुल मदहोश हो गई और कस के मेरा चेहरा अपनी चूत पर दबा लिया.. मेरा मन हो रहा था की मैं ऐसे ही उसकी चूत को चाट्ता रहूं..
थोड़ी देर, मैंने उसकी चूत “चटा चट” चाटी.. जब उससे कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने धक्का दे के मुझे नीचे लिटा दिया, बेड पर और खुद उठ के बैठ गई.. उसके बाद, उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में लिया और उसको बहुत ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.. लण्ड को चुसवाने में, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था..
मेरा पूरा लण्ड वो अपने मुंह में ले रही थी और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी, उसको.. ऐसा लग रहा था की बस, वो मेरे लण्ड को आज खा ही जाएगी.. अब मेरा लण्ड पूरी तरह कड़क हो गया था और बहुत फूल सा भी गया था.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अचानक उसने मुझसे पूछा – कैसे अंदर डालेगा… ??
मैंने कहा – आप नीचे आ जाओ..
उसके बाद मैंने उसको नीचे लिटा दिया बेड पर और मैं खुद उसकी पैरों के बीच में आ गया.. मैं काफ़ी नर्वस हो रहा था और एक्ससाइटेड भी क्यूंकी यह मेरा पहली बार था की मैं किसी की चूत में अपना लण्ड डाल रहा था.. फिर भी मैंने अपना पूरा मन बना लिया था की आज में लण्ड को चूत के अंदर डाल के ही रहूँगा..
दिव्या दीदी भी बहुत बेचैन हो रही थी और बोली – जल्दी डाल ना, अपना लण्ड मेरी चूत में… क्यूँ तडपा रहा है…. ??
मैंने कहा – जो हुकुम… और उसके बाद, मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत पर सेट किया और फिर ज़ोर से धक्का मारा लण्ड को अंदर डालने के लिए..
मेरा लण्ड अंदर नहीं गया, बल्कि मूड गया..
तो दिव्या ने बोला.. चिंता मत कर… शुरू शुरू में ऐसा ही होता है…
फिर उसने अपनी गाण्ड के नीचे पिलो रखा और अपनी टाँगें बहुत ज़्यादा फैला ली.. इसके बाद उसने अपनी चूत को अपनी उंगलियों से फैलाया और उसके बाद मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ के चूत पर रखा और बोली की अब लगा धक्का.. मैंने अब ज़ोर डाला तो मेरा लण्ड उनकी चूत के अंदर चला गया..
मैंने एक बार फिर थोड़ा धक्का लगाया तो मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत के अंदर था.. अब मैं उनके ऊपर ही लेट गया.. कुछ टाइम ऐसे ही लेटने के बाद, मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड को उनकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू किया.. मेरा लण्ड उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.. अब मुझे मज़ा आ रहा था और वो भी बहुत ज़्यादा एक्ससाइटेड हो रही थी..
धीरे धीरे, मैंने अपनी स्पीड बड़ाई, उसको चोदने की और मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से फूच फूच की आवाज़ें करता हुआ उसकी गीली चूत में अंदर बाहर हो रहा था.. पहली बार लाइफ में, लड़की को चोदने में मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था.. इससे ज़्यादा कड़क मेरा लण्ड कभी भी नहीं हुआ था, पूरी लाइफ में.. दिव्या की चूत ने मुझे जन्नत का मज़ा दे दिया था.. बस मेरा मन हो रहा था मैं ऐसे ही, उसकी चूत को चोदता रहूं हमेशा..
वो अपनी सेक्सी आवाज़ में बोल रही थी – उनमह: आह, ज़ोर से चोद मेरी चूत को… बहुत मज़ा आ रहा है..
मैं भी उसकी आवाज़ें सुनके ज़्यादा एक्ससाइटेड हो रहा था.. मुझे पता नहीं था की एक लड़की के मुंह से ऐसी आवाज़ें सुनने में, कितना मज़ा आता है.. ऐसे ही करते करते, मैं उसे चोदता रहा और थोड़ी देर के बाद मेरा पानी मेरी दिव्या दीदी की चूत में गिर गया..
हम दोनों साथ में झाड़े थे इसीलिए उसको भी बहुत मज़ा आया और वो बोली – अब तो तू आदमी बन गया है… इतना मस्त तो कोई अंकल भी नहीं चोदता, यार… जितना आज तूने चोदा है…
यह सुनके मैं बहुत खुश हो गया और फिर कुछ टाइम उसके ऊपर लेटे रहने के बाद मैं उठके उसके साइड में सो गया.. हम दोनों उस रात ऐसे ही सोए, बिना कपड़ों के.. मेरा फर्स्ट टाइम था शायद इसीलिए मुझे ज़्यादा थकान महसूस हो रही थी और जैसे ही मैं लेटा मुझे नींद आ गई..
अगले दिन से हमारा चुदाई का सिलसिला निरंतर चलता रहा.. हम दोनों फोरप्ले तो रोज़ करते थे और हफ्ते में 3 या 4 बार चुदाई भी करते थे.. मुझे बहुत मज़ा आता था उसकी चूत को चाटने में और तब भी बहुत अच्छा लगता था जब वो मेरा लण्ड चूसती थी, अपने मुंह में बिल्कुल अंदर तक लेकर.. लगभग 2 हफ्ते के बाद वो अपने घर गोरखपुर चली गई..
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उसके अड्मिशन का काम हो चुका था.. लगभग 1 महीने के बाद वो मेरे ही शहर में ही कॉलेज के हॉस्टल में रहने लगी.. कभी कभार शनिवार, रविवार को हमारे घर आ जाती थी और सोमवार सुबह सीधे कॉलेज चली जाती थी.. तो हफ्ते में 2 बार, हम दोनों जम के चुदाई करते थे, कभी कभी तो रात रात भर.. मेरी दिव्या दीदी ने मुझे 19 साल की उम्र में आदमी बना दिया था. यह सिलसिला लगभग 1 – 1.5 साल चला पर उसके बाद उसका एक प्रेमी बन गया, जिससे उसको सच में बहुत प्यार हो गया..
और तो और उसने अपने प्रेमी को हम दोनों के रीलेशन के बारे में सच सच बता दिया था.. उसके प्रेमी ने बोला – पहले तुम्हारी लाइफ में जो भी हुआ उससे मुझे प्राब्लम नहीं है पर मैं नहीं चाहता की आगे तुम यह रीलेशन उस के साथ कंटिन्यू करो… उन दोनों का तो शादी का प्रोग्राम था.. मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था की वो अपने प्रेमी और होने वाले पति को धोका दे इसीलिए हम दोनों ने वो रीलेशन छोड़ दिया.. अब उसकी शादी हो चुकी है और वो अपने उसी प्रेमी (अब उसका पति) के साथ अमेरिका में रहती है..
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