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मालकिन की सेवा दिल से भी और लंड से भी

दिसम्बर 12, 2024 by hamari

Village Group Chudai

दोस्तों मेरा नाम फातिमा है। मैं 22 साल की हूँ. मैं एक छोटे से गाँव “जंगपुरा” में रहती हूँ। मेरे अब्बू का निधन मेरे बचपन में ही हो गया था। मेरे घर में मेरे और मेरी अम्मी सलमा के अलावा रुबीना आपी रहती हैं। वैसे तो मेरे अब्बू के तीन और भाई जान आस पास के गाँव में ही रहते हैं पर जंगपुरा में हम तीनों माँ बेटियाँ ही रहती हैं. Village Group Chudai

मेरी दीदी रुबीना के बचपन से ही दोनों पैरों में पोलियो है और वो चल नहीं सकतीं। बचपन से लेके आज तक अपने घुटनों पर ही चलतीं आई है। ३० साल की हो गयीं है पर अभी तक उनकी शादी नहीं हुई है। वैसे तो जब मेरे अब्बू का देहांत हुआ तो उस वक़्त तब हमारा परिवार बहुत धनवान हो गया था।

मेरे अब्बू की सैकड़ो एकड़ जमीन थी. जमीन का सारा कामकाज हमारे दो पुराने पर बहुत ही वफ़ादार नौकर सँभालते थे, उनका नाम हीरा और मुन्ना था. हीरा काका और मुन्ना काका दोनों ही इस वक़्त 50 के ऊपर हो चुके थे. पर उन दोनों की लुगाई अभी भी जवान सी लगती थीं। हीरा काका की लुगाई रम्भा थी और मुन्ना काका की लुगाई सज्जो थी।

हीरा काका के दो लड़के थे भोंदू और नंदू. भोंदू २५ साल का था और नंदू 22 साल का. दोनों ही मस्त जवान थे. पर मुन्ना काका और सज्जो काकी का कोई लड़का नहीं था बस दो लड़कियां थी. बड़ी का नाम रेखा और छोटी का नाम मुन्नी था रेखा 24 की थी और मुन्नी 21 की।

कुल मिलाकर हमारी बड़ी हवेली में नोकरों को मिलाकर 11 लोग रहते थे. 3 तो हम मालिक लोग. मेरी अम्मी सलमा, मेरी आपी रुबीना और मैं फातिमा। बाकी हीरा काका, रम्भा और उनके लड़के भोंदू और नंदू. और मुन्ना काका, सज्जो काकी, रेखा और मुन्नी. पैसा बहुत था हमारे पास और खेती भी हीरा काका और मुन्ना काका बहुत दिल लगा के करते थे।

दरअसल हीरा और मुन्ना काका सिर्फ हमारे खेत ही नहीं सँभालते थे बल्कि हम तीनों माँ बेटियों की चूतें भी मारते थे। मेरी अम्मी शुरू से ही बड़ी चुदक्कड़ थीं. वो बताती हैं कि विधवा होने के 6 महीने बाद ही उन्होंने एक दिन खेत पर जाकर हीरा काका से उन्हें चोदने की गुज़ारिश की.

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हीरा काका अपनी सलमा मालकिन की दिल से सेवा करते थे. उन्होंने अम्मी की हालत को समझा और वहीँ खेत पर अम्मी को बिलकुल नंगा करके बड़े ही जोशीले ढंग से खूब कूद कूद कर चोदा। अम्मी बताती है कि हीरा काका उस दिन जैसे पागल ही हो गए थे.

दरअसल मेरी अम्मी जंगपुरा की सबसे कामुक और सुन्दर औरतों में गिनी जातीं है. आज भी गाँव के सभी जवान और अधेड़ उमर के मर्द उनको चोदने की हसरत वाली निगाह से देखतें हैं. इसलिए जब इतनी कामुक औरत ने हीरा काका से उन्हें चोदने के लिए कहा तो वो एकदम तैयार हो गए और अम्मी की गदराई जवानी को हुमच हुमच कर घंटे भर तक चोदा।

ये करीब 12 साल पहले हुआ. अम्मी उस समय ३६ साल की मस्त गदराई और बेहद गरम औरत थीं. मैं उस वक़्त सिर्फ १० साल की थी और रुबीना आपि १८ साल की. तब से लेकर आज तक अम्मी का चुदक्कड़पन बढ़ता ही रहा. हीरा काका का लंड जी भरकर लेने के बाद अम्मी ने मुन्ना काका का लंड लिया।

मुन्ना काका ने भी अपनी सलमा मालकिन को चोदने का मोका हाथ से जाने नहीं दिया. मुन्ना काका बड़ा ही हरामी किस्म का इंसान है. उसने अम्मी के पहले भी बहुत सारी औरतों को चोदा है. मुन्ना को औरतों की गांड चोदने का बहुत शौक़ है. वो जिस भी औरत को चोदता है उसकी गांड जरूर मारता है.

उसका लंड है भी बड़ा मस्त और दमदार और जब उसने अम्मी को चोदा तो उनकी दिलकश नंगी गांड का दीवाना हो गया. वो अम्मी की गांड चोदने के लिए मरा जा रहा था. अम्मी की गांड है भी बहुत मस्त चूतड़ खूब भरे हुए और चौड़े है। उनकी नंगी गांड पीछे और थोड़ा ऊपर से देखने पर बड़ी आकर्षक लगती है. बिलकुल एक बड़े से दिल के आकार की। ऊपर से चूतड़ नरम होने के साथ साथ बड़े ही मांसल और गुदाज़ हैं।

कितनी कातिलाना लगती है उनकी गांड……. उफफ्फ्फ्फ़… निकल गया ना मुंह से। ये बात सच ही है कि 30 की उम्र के बाद औरतों के चूतड़ कई गुना आकर्षक हो जातें हैं. रुबीना दीदी भी अब 30 की हो गयीं हैं और उनके चूतड़ भी खूब फेल कर चौड़े और आकर्षक दिखने लगें हैं.

अम्मी मेरी चुदक्कड़ जरूर थीं पर तब तक उन्होंने कभी भी गांड नहीं मरवाई थी पर मुन्ना का आकर्षक और सुडोल मांसल शरीर अम्मी को बड़ा उत्तेजक लगता था और वो मुन्ना काका से खूब चुदवाने लगीं थीं पर मुन्ना अपनी औकात जानता था. वो एक नोकर था और मम्मी मालकिन।

पर वो औरत को राज़ी करना जानता था और आख़िर लगभग 6 महीने अम्मी की गांड को चोदने का सपना दिल में दबाये बैठे मुन्ना काका ने मम्मी को गांड चुदवाने के लिए राज़ी कर ही लिया. मुन्ना के किस्से अम्मी ने मुझे तब सुनाये जब 4 साल पहले मैं एक दिन खेत पर हीरा काका से चुदवाकर घर आई तो ऊपर हॉल में खुलमखुल्ला चुदाई चल रही थी.

वो चुदाई इतनी बेशर्मी के साथ हो रही थी कि उसे देखने के बाद हमारे घर का माहोल बहुत खुल गया। वो सामूहिक चुदाई कुछ इस तरह थी। मुन्ना काका हीरा काका के बेटों भोंदू और नंदू के साथ मिलकर मेरी अम्मी सलमा, रुबीना दीदी और हीरा की लुगाई रम्भा को एक साथ चोद रहे थे।

हालाँकि मैंने पहले कई बार अम्मी को मुन्ना काका से चुदवाते हुए देखा है पर अक्सर अम्मी के रूम में खिड़की का पर्दा हटाकर या दरवाज़े की झिर्री से मैं उस दिन तक सिर्फ़ तीन बार चुदी थी और वो भी सिर्फ हीरा काका से। मेरा मन तब से बहुत चुदवाने का करने लगा था जब से मैंने रुबीना दीदी को उनके कमरे में भोंदू और नंदू से चुद्वाते हुए देखा था।

मादरचोद दोनों के दोनों बिलकुल नंगे थे कमरे में और रुबीना दीदी को भी बिलकुल नंगा कर रखा था. बड़े मस्त लग रहे थे दोनों के नंगे बदन और लंड तो इतने शानदार लग रहे थे कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे पुरे कमरे में उछल कदमी करते हुए मेरी लंगड़ी रुबीना दीदी को चोद रहे थे.

दोनों बहुत मस्ती में थे. दीदी को एक प्लास्टिक के स्टूल पे तकिया रख कर उसपर बिलकुल नंगा करके घोड़ी बना रखा था और दोनों के दोनों अपने मोटे मोटे लंड से रुबीना दीदी को बारी बारी से चोद रहे थे. तब से भोंदू और नंदू मेरे दिल में बस गए थे और मैं भी अब इस आनंद को लेना चाहती थी जिसका लुफ्त मेरी अम्मी सलमा और रुबीना दीदी ले रहीं थीं.

पर भोंदू और नंदू से पहले मुझे उनके बाप हीरा काका ने चोद दिया खेत पर। ये कहानी भी मैं आपको सुनाउंगी पर बाद मे। उस दिन जब मैं हीरा काका से चुदवाकर घर पहुंची तो अपने घर के ऊपर के हॉल में होती इस सामूहिक चुदाई को देखकर दंग रह गयी. मैंने देखा हॉल के बीचो बीच पड़ी खाने की टेबल के इर्द गिर्द लगी कुर्सियों पे चुदाई चल रही थी.

तीनों स्त्रियाँ बिलकुल नंगी हालत में एक एक कुर्सी पर घोड़ी बनीं हुई थीं. दरवाज़े से जो कुर्सी सबसे साफ़ दिख रही थी उस पर रुबीना दीदी अपने घुटने रख कर घोड़ी बनी हुई थी. दीदी बिलकुल नंगी थीं. दीदी मेज के पाए के पास कोने वाली कुर्सी पर झुकी हुई थी और दीदी ने अपने नंगे चूतड़ पुरे हवा में उठा रखे थे और सर नीचे करके मेज का पाया पकड़ रखा था।

पाया पकड़ना शायद जरुरी भी था क्यूंकि रुबीना दीदी के चूतडों के पीछे नंदू बिलकुल नंगा खड़ा होके दीदी की चूत में दनादन अपने मोटे लंड को अंदर बाहर कर रहा था. रुबीना दीदी की अगली वाली कुर्सी पे अम्मी बिलकुल नंगी होकर घोड़ी बनी थीं. उन्होंने अपनी कुहनियाँ मेज पर रखी थी और अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले अपनी कुहनियों पर टिका रखा था.

अम्मी को मुन्ना काका उनकी गांड के पीछे खड़े होकर मस्ती से चोद रहे थे. वो चोदते वक़्त अक्सर अम्मी के चौड़े नंगे चूतडों पर थप्पड़ मारते थे जिससे ऐसा लगता था जैसे कोई किसी के जोर से चांटे लगा रहा हो. बस फर्क इतना था कि ये थप्पड़ अम्मी को दर्द देने से ज्यादा उनके नंगे, ज़ोरों से चुदते हुए बदन में झुरजुरी पैदा कर देते थे.

चूतड़ पे थप्पड़ पड़ते ही अम्मी ज़ोर से एक आनंद भरी सिसकी मारती थीं और उनके चूतड़ काका के लंड पे और ज़ोरों से थिरकने लगते थे. मैंने पहले भी मुन्ना काका को अक्सर मम्मी को चोदते वक़्त इस तरह उनके नंगे मादक चूतडों पे थप्पड़ मारते हुए देखा है. अम्मी के पीछे तीसरी कुर्सी पर एक और औरत चुद रही थी.

उसको भोंदू चोद रहा था. मैं समझ नहीं पा रही थी कि ये कौन है? मुझे उसके कंधे से ऊपर का कुछ नहीं दिख रहा था. मैं दरवाज़े से छुप के देख रही थी और उस औरत का चेहरा मेरी अम्मी के पीछे छुपा हुआ था. पर मैं इतना जरूर कह सकती थी कि वो औरत अम्मी के टक्कर की थी.

बस वो थोड़ी सांवली थी. उसके चूतड़ अम्मी की ही तरह काफी चौड़े और लचीले लग रहे थे. भोंदू उस औरत को बड़ी बुरी तरह से चोद रहा था. भोंदू उस औरत के चूतडों को बड़े ही अजीब ढंग से सहला रहा था और नोच खसोट रहा था. भोंदू लगभग अपने पंजों पर खड़ा होकर उस औरत को अपने तगड़े लंड से चोद रहा था. उस औरत की चीखने और रम्भाने की आवाज़ सबसे ज्यादा आ रही थी।

“हाययय…….भोंदू…..मरर…ररर…..गग..यी……..री…………ऊऊऊ………ऊऊऊ……..धीरे बेटा ……….धी ई ई .रे.रे……आआय्य्य्य………..आह्ह्ह्हह्ह……..उईई…..उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़……..तू……..तो ………आज्ज्ज……मार ररर डालेगा गा गा …..रे……….”

“बेटा” सुन के तो मैं चोंक गयी. ये कौन कुतिया है जो भोंदू को बेटा कह रही है?

“हाय……मुन्ना…………उफ्फ्फफ्फ्फ़…….कितन बेरहमी से चोद रहा है ये लड़का……….उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़………मर गयी……….धीरे कर नालायक……कक्क ……” वो औरत लगभग सुबक रही थी. उसकी काफी ज़ोर से चुदाई हो रही थी. भोंदू ने उस नंगी औरत का बैंड बजा रखा था और लगभग कूदते हुए चोद रहा था उस कुतिया को. भोंदू चोदने के साथ साथ उस औरत के नंगे चूतडों को नोच खसोट भी रहा था जिसकी वजह से वो औरत और ज्यादा चीखें मार रही थी पर शायद मज़े से।

“अबे भोंदू……..फाड़ मत दियो इस कुतिया की गांड……….अभी मैं भी चोदुंगा और नंदू भी”……….

मुन्ना काका अम्मी को चोदते हुए भोंदू की तरफ देख कर बोले………काका ने अपना सीधा हाथ मेरी अम्मी सलमा की कमर से हटाया और शायद उस औरत को पुचकारने लगे……..

“मज़ा आ रहा है भाभी की नहीं?…………मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा है सलमा मालकिन और रुबीना बिटिया को तो कई बार एक साथ चोदा है पर तीन औरतों को चोदने का ये पहला मोका है. उफफ्फ्फ्फ़……….क्या मस्ती आ रही है………ले रंडी ले……..हुऊंन्न्न हुन्न्न्नन्न……..” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

काका अम्मी की चूत में बेदर्दी से धक्के मारते हुए उस अनजान औरत के बाल सहला रहे थे। पर मुन्ना काका के मुंह से “भाभी” सुन के मेरे कान खड़े हो गए…….क्यूंकि भाभी तो वो सिर्फ हीरा काका की लुगाई रम्भा को ही कहते थे। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी ये सोच कर क्यूंकि उस अनजान औरत को तो खुद हीरा काका का लड़का भोंदू चोद रहा था और अगर वो सच में रम्भा है तो क्या भोंदू अपनी ही माँ को चोद रहा है……!!!!

“अरे भाईसाहब…. उन्न्नन्न….. मज़ा तो आ रहा है पर इस कमीने का लंड तो आप से भी ज्यादा मोटा है………..उफ्फ्फ……..ऐसा लग रहा है जैसे मेरी गांड में कोई मोटा लठ दाल दिया हो… हाय्यय्य्य…. आराम… से….. चोद……… बे…….टा……. उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई……. हाय… भाईसाहब आपने भी क्या सिखा दिया भोंदू और नंदू को………… इन कमीनो को तो गांड का छेद ही नज़र आता है अब दिन-रात………इनका बाप तो गांड में कभी ऊँगली भी नहीं डालता और ये दोनों तो जैसे गांड मारने के लिए हमेशा तैयार रहतें हैं.”

“अरे भाभी ………हीरा क्या जाने कि गांड चोदने में कितना मज़ा आता है. मैंने तो उसे कई बार कहा कि अपनी लुगाई की गांड चोदा कर ……..देख कितना मज़ा आता है…….पर मानता ही नहीं साला……कहता है कि छी ….गन्दी होती है गांड.”………मुन्ना ने मज़े लेते हुए कहा.

“अरे चाचा………….उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़………..बापू को कोई बताओ कि कितना आनंद आता है………….उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़……..चाचा ………बड़ा मज़ा आ रहा है इस गांड को चोदने में………..उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़……ह्न्न्नन्न्न्न …….ऐसा लग रहा है जैसे किसी गरम कददू में लंड घुसा रखा हो……….उफ्फ्फफ्फ्फ़………… “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…………..उफ्फ्फ…………बड़ा मज़ा आ रहा है………….री”.

“भाईसाहब……….भोंदू तो सच में दीवाना हो गया है मेरी गांड का……………उफ्फ्फफ्फ्फ़…….कितना मज़ा दे रहा है……………हाययय…………धीरे चोद बेटा……….मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ……….आईई …….उन्ह्हह्ह्ह्हह्ह ………इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारेगा तो गांड लाल हो जाएगी……..होले होले……थपकियाँ दे चूतड़ पे.”

इतना सुनते ही मैं चौक गयी…… मैंने सुना था कि मर्द लोग औरत की गांड में भी लंड डालते है पर मैंने कभी भी अम्मी या दीदी की चुदाई देखते टाइम इस बात पर गौर नहीं किया था कि काका या नंदू, भोंदू उनकी चूत चोद रहे हैं या गांड. शायद इसलिए भी कि मैं सिर्फ दरवाजों की झुरियों से ही उन लोगों की चुदाई देख पाती थी पर आज मैं बहुत करीब से ये चुदाई देख रही थी वो भी खुले दरवाज़े से।

उस गदराई गांड वाली अभी तक भी अनजान औरत की बातों से ऐसा लगा रहा था जैसे भोंदू उस औरत की गांड चोद रहा था. और शायद इसलिए ही वो इस तरह ज़ोरों से सीसक रही थी. उसकी बात सुनके मेरी नज़रें अपने आप ही वहां चिपक गयीं जहाँ भोंदू का लंड उस मतवाली नंगी औरत के अंदर बाहर हो रहा था.

भोंदू दनादन चोद रहा था. उस औरत के नंगे चूतड़ मस्ती से हिल रहे थे. भोंदू उसके लचीले चूतडों को लगभग नोचता हुआ उसके पीछे लंड घुसा रहा था. पर साइड व्यू होने के कारण और इतनी तेज़ चुदाई की वजह से मैं ये नहीं देख पा रही थी कि भोंदू का लंड चूत में घुसा है या उस औरत की गांड में.

पर फिर अचानक भोंदू की कमर थम गयी. उसने उस औरत के नंगे लचीले चूतड़ फैलाकर उस रंडी को थोड़ा पीछे को खिंचा झटके से खींचने की वजह से उस औरत के चूतड़ थोड़े मेरी तरफ़ घूम गए. अब सब कुछ साफ़ हो गया. हाय रे………सच मुच भोंदू का तगड़ा लंड उस औरत की गांड में घुसा हुआ था.

भोंदू के लंड की लम्बाई मुझे अच्छी तरह से पता थी. मैं देखते ही समझ गयी कि भोंदू का आधा लंड उस औरत की गांड में घुसा हुआ था. भोंदू का लंड वाकई किसी मोटे लम्बे खीरे जैसा है. उस औरत की गांड का छेद बुरी तरह से फैल कर लंड को जकड़े हुए था.

फिर भोंदू ने ऊपर से अपना मुंह खोल कर अपने थूक का एक बड़ा सा लौंदा उस औरत के चूतडों पर टपकाया और फिर बाएं हाथ से उसके चूतड़ फैलाये रखते हुए दायें हाथ की ऊँगली से उस थूक के लौंदे को उस औरत की गांड के छेद पर पंहुचा दिया. थूक ने औरत की गुदा और उसमे घुसे लंड को बिलकुल तरर कर दिया. और भोंदू फिर से उस औरत की गांड ज़ोरों से चोदने लगा।

“उन्न्नन्न्न्नन्न…………भाईसाहब……………हाय्य्यय्य्य्य कितना मज़ा आ रहा है…………..उन्नन….चोद बेटा चोद…………..हाय कितनी मस्ती भर गयी है मेरी इस चुदक्कड़ गांड में………..आआऔऊउन्न्न्न…………उन्न्नन्न…..”

लंड उस औरत को बड़ा मज़ा दे रहा था………उसकी आनंद भरी किलकारियां इसका सबूत भी थीं. पर वो औरत भोंदू की माँ रम्भा थी इस बात को मेरा दिल बिलकुल मानने को तैयार नहीं था. कोई अपनी माँ को कैसे चोद सकता है………..और वो भी गांड में !

तभी भोंदू बड़ा उत्तेजित हो गया और उस औरत की गांड पे ज़ोरों से चपत लगाने लगा……तभी मैंने देखा की उस औरत की बाएं चूतड़ पे करीब 2 इंच चौड़ा एक बड़ा सा लस्सन था. मुझे वो लस्सन जाना पहचाना लगा. मैंने वो एक दो बार तब देखा था.

जब रम्भा काकी खेतों में कभी कभी अपनी साड़ी और पेटीकोट उठा कर मेरी तरफ अपने चूतड़ करके मूतने के लिए बैठ जातीं थीं. उनकी गोरी, नंगी और बेहद चौड़ी गांड दिल के आकार लिए हुए पेटीकोट से बाहर झांकती रहती थी. तभी मैंने उनके चूतड़ पे वो काला लस्सन देखा था.

…………याह अल्लाह …………ये तो सच में रम्भा काकी है….!!!

मेरी पैरों तले की जमीन खिसक गयी. एक बेटा अपनी ही माँ की गांड मार रहा था पर मेरा दिल फिर भी एक बार रम्भा काकी का चेहरा देखने का कर रहा था ताकि मुझे पूरा यकीन हो जाये और फिर जैसे भोंदू ने मेरी इच्छा ही पूरी कर दी. उसने उस औरत की गांड में एक ज़ोर का धक्का मारा और पूरा लंड जड़ तक उसकी गांड में घुसा दिया.

वो ज़ोर से चीख़ पड़ी. उसके बाद भोंदू ने उस औरत के ऊपर झुक कर उसकी दोनों जांघें पीछे से पकड़ लीं. मुझे लगा पता नहीं क्या कर रहा है. और इतने में ही उस ताकतवर लड़के ने ज़ोर से उस औरत को कुर्सी से ऊपर उठा लिया. उस औरत की पीठ भोंदू के सीने से चिपके थी और भोंदू का लंड उसकी गांड में घुसा था.

और भोंदू ने उसकी दोनों जांघों को आपस में चिपका कर नीचे से पकड़ रखा था. वो औरत ठीक ऐसे लग रही थी जैसे कोई हवा में टट्टी करने के स्टाइल में बैठी हो. या जैसे भोंदू ने किसी टट्टी करती हुई औरत को उसी बैठे हुए देसी स्टाइल में उठा कर अपने लंड पर बिठा लिया हो.

“आआ…….ऊऊऊउ…………भोंन्न्न्नन्न्न्न………दू………गिर जाउंगी…………..हहह्हहीईईईईईए……” भोंदू के लंड पे इस तरह बैठने से उस औरत का बैलेंस बिगड़ने लगा तो वो थोड़ा घूमी और अपनी बाहें भोंदू के गले में दाल दी…………जैसे ही वो घूमी………..मेरे होश उड़ गए…………..वो कुतिया………रम्भा ही थी !! एक 40 साल की अधेड़ औरत बिलकुल नंगी अपने सगे बेटे की गोद में चढ़ कर अपनी गांड चुदवा रही थी।

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एक 40 साल की अधेड़ औरत बिलकुल नंगी अपने सगे बेटे की गोद में चढ़ कर अपनी गांड चुदवा रही थी। “उन्न्नन्ह्ह्हह्ह्ह्ह……… आःह्ह्ह …ही ही ही ही” रम्भा को इस तरह अपने बेटे पर चड़ना बहुत गुदगुदा रहा था. वो गुदगुदी से खिलखिला रही थी और गांड ऊपर नीचे करने की कोशिश कर रही थी.

रम्भा इस तरह चुदती हुई बेहद कामुक लग रही थी. काले लम्बे बाल खुले हुए और आँखों में काजल जो की थोड़ा फैल सा गया था. रम्भा काफ़ी नाटे कद की, सांवली सी एक बहुत ही गरम औरत है. वो मात्र 4 फुट 6 इंच की है. जबकि भोंदू पुरे 6 फुट लम्बा है.

ऐसे में बिलकुल नंगी रम्भा भोंदू की गोद में बिलकुल बच्ची सी लग रही थी. भोंदू की ख़ुशी का ठिकाना न था. उसकी अपनी माँ बिलकुल नंगी होकर उसकी गोद में थी. भोंदू ने किसी बच्ची की तरह रम्भा को उठा रखा था. उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था क्यूंकि उसका बुरी तरह तन्नाया हुआ लंड रम्भा की गांड में घुसा था.

“भोंदू …………ज़रा…..संभल के बेटा……….बस गिरा मत देना……चोट लग जाएगी तेरे लंड को भी और मेरी गांड को भी…………उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ ……..पूरा अंदर घुसेड़ रखा है तूने तो ……..हाययय……कितना मोटा है…….उन्न्नन्न्न्न …….संभल.ललल्ललल ……..के भोंदू……….गिर जाउंगी……….आआउन्न्च……उतार दे मुझे नीचे……..लंड चुभ रहा है गांड में………..”

भोंदू रम्भा को गोद में उठाये आगे की ओर चलने लगा तो लंड रम्भा की गांड में ठुमकी मारने लगा जिससे रम्भा मज़े से सीसक भी रही थी और डर भी रही थी कि कहीं भोंदू का लंड उसकी गांड में घाव न कर दे या उसके लंड को ही कहीं चोट न लग जाये क्यूंकि रम्भा का पूरा वज़न भोंदू के लंड पर टिका था.

और भोंदू का लंड मोटी लम्बी मूली सा उसकी नरम गुदाज़ नंगी गांड में काफ़ी गहराई तक घुसा हुआ था. पर जब भोंदू रम्भा को उठा कर चल रहा था तो वो नंगी कुतिया उसके लंड के ठुमको से बड़ी मचल भी रही थी. सच में मुझे उस समय तो नहीं पता था की रम्भा काकी को कैसा लग रहा होगा.

पर अब पता है कि कितना गुदगुदाने वाला अहसास होता है जब कोई तगड़ा लड़का आपको इस तरह नंगी हालत में गोद में उठा कर अपने मोटे लम्बे लंड पे बिठा के इस तरह टहलता है तो. लंड गांड में इधर उधर ठुमकता रहता है और गांड के अंदर ऐसी ऐसी जगह मीठी मीठी ठोकरें मारता है जहाँ लड़का मस्त चुदाई के वक़्त भी लंड की ठोकर नहीं मार पाता.

“भैया अब तुम रुबीना दीदी को चोदो ना……..अब मम्मी की गांड कुछ देर मैं भी चोद लूं.”

“उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………..बड़ा मज़ा आ रहा है नंदू…………अब ये अपनी मम्मी नहीं बल्कि अपनी रंडी है रंडी………..मेरी रंडी…….अपने भोंदू की रंडी, रांड…………रम्भा रंडी…………” भोंदू रम्भा को चोद चोद के पागल हो रहा था.

“भैया जुबान संभाल के बोलो………….” भोंदू के अपनी मम्मी को रंडी कहने पर नंदू को बुरा लगा।

“अबे नंदू………इतनी गरम औरत एक रंडी ही हो सकती है. साले अभी तो तू मम्मी की गांड मारने के लिए कह रहा था और अब नाटक कर रहा है.”

“भैया गांड मारना अलग है पर गाली तो मत दो न” नंदू ने फिर कहा।

“कहने दे नंदू………मुझे सही में एक रंडी जैसा ही मज़ा आ रहा है…………..उन्न्ह्हह्ह्ह्ह……….आ.आ.आ. हिस्ता भोंदू…………तेरा लंड गांड में दर्द कर रहा है.” रम्भा भोंदू की गोद में चढ़ी लंड पे फुदकती हुई बिलकुल मस्त हो रही थी.

“अच्छा दे लो भैया मम्मी को गाली पर अब उन्हें प्लीज नीचे उतारो…………तुम 2 बजे से मम्मी की गांड चोद रहे हो……..घड़ी में देखो……पूरा पौन घंटा हो गया तुम्हे चोदते हुए.” नंदू भी शायद रम्भा को चोदने के लिए बेताब था.

“यार तू रुबीना की गांड मार ले न…….वो भी तो मस्त घोड़ी है !” भोंदू रम्भा को चूमता हुआ लंड पे कूदा रहा था.

“दीदी की गांड बहुत टाइट है….. मैं कल भी जल्दी झड़ गया था आज मेरा जी भर कर गांड चोदने का मन है। मैं मरा जा रहा हूँ गांड चोदने के लिए भैया ………….दो न ये रम्भा रंडी मुझे चोदने को.”

नंदू भी जोश में आकर रम्भा को रंडी कह रहा था. रम्भा बस मुस्कुरा दी.

“अरे नंदू……….एक काम कर तू मेरी गांड मार ले। भोंदू को जी भर कर रम्भा काकी की गांड चोद लेने दे. देख किस कदर आनंद में डूबे हैं दोनों। आजा मेरे लाल………बहुत दिनों से तूने मेरी गांड मारी भी नहीं है आजा………..तेरे मुन्ना चाचा रुबीना को चोद लेंगे तब तक.” अम्मी ने नंदू के बेकरारी देख कर उसे अपनी गांड चोदने के लिए बोला.

मैंने ग़ोर से देखा तो पता चला कि मुन्ना काका मेरी अम्मी चूत चोद रहे थे।

“ठीक है……मालकिन जैसा आप कहो………मैं तो बहुत सालों से आप की चूत और गांड चोदने का आनंद ले रहा हूँ। मैं समझ सकता हूँ इन जवान लड़कों की तमन्ना। मैं भी जब इनकी जितनी कम उम्र का था तो मेरा भी लड़कियों की बजाये औरतों को ही चोदने का दिल करता था और जब औरत तुम्हारे जैसे हो मालकिन तो कोई भी खुद को उसकी गांड मारने से नहीं रोक पायेगा. पता नहीं साले हीरा भइया ने क्यूँ नहीं चोदी तुम्हारी गांड……………उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.”

और मुन्ना काका ने तुरंत अम्मी की चूत से अपना लंड निकल लिया और झुक कर अम्मी के नंगे चौड़े चूतड़ चूमने और चाटने लगे।

“ओह्ह्ह्हह्ह मालकिन……….बड़े मीठे चूतड़ है आप के……….उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ ….पुन्न्च … पुन्न्च … पुन्न्च … पुन्न्च …” मुन्ना मेरी अम्मी के नंगे मुलायम चूतडों पे ताबड़तोड़ चुम्बन जड़ रहा था।

इतने में ही नंदू रुबीना को घोड़ी बना छोड़ के आ गया अपनी सलमा रण्डी के पास। उसका लंड फनफना रहा था।

“हटो चाचा……..अब मुझसे रुका नहीं जा रहा………….अब तो खूब जी भरकर गांड चोदुंगा सलमा मालकिन की। चोदने दोगी ना मालकिन?” मुन्ना चाचा हट कर जैसे ही रुबीना के पास गया तो रुबीना दीदी थोड़ी कुनमुनाई….. दरसल मुन्ना काका ने सीधे जाकर रुबीना दीदी की गांड चाटनी शुरू कर दी थी।

“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह काका …….मेरी गांड क्यूँ चाट रहे हो?…………..तुम मेरी गांड चोदोगे क्या?” रुबीना आपी शायद काका के मोटे लंड से डर रहीं थीं पर गांड चाटे जाने ने एकदम से गरमा भी गयीं थीं।

“कल ही तो इस नंदू ने कितनी बेरहमी से मेरी गांड मारी थी. मैं चीखती रही पर इस कमीने ने बिलकुल रहम नहीं किया मेरे पर काका. मेरी गांड का बाजा बजा के रख दिया था इसने। देखो ना कितना गन्दा लड़का है ये” रुबीना दीदी ने इतरा के कहा।

“क्यूँ बे नंदू………तूने बिलकुल रहम नहीं किया कल हमारी रुबीना बिटिया पर………..”

“वैसे रुबीना बिटिया ये तो आम कहावत है कि अगर मर्द औरत की गांड चोदे और उसका लंड गांड चोदते वक़्त अगर औरत की चीखें ना निकाल पाए तो औरत को भी गांड मरवाने में मज़ा नहीं आता.”

“सही कह रहे हो मुन्ना… मुझे भी कसम से तब बड़ा मज़ा आता है जब तुम्हारा लंड बेरहमी से मेरी गांड मारता है। भले ही थोड़ा दर्द होता है पर मस्ती खूब आती है. तुम्हारा तो हमेशा मुझ पर ये अहसान रहेगा कि तुम ही वो शख्स हो जिसने मेरी पहली बार गांड मारी.

और मुझे इस बेहद कामुक और गुदगुदाने वाली चुदाई का मज़ा दिया। अब तो मेरी गांड जब तक दिन में कोई मस्त लंड कम से कम दो बार ना निगल ले साली ठुनकती ही रहती है. और ये कमीने भोंदू और नंदू तो बड़े ही बुरी तरह से मेरी गांड चोदते हैं.” अम्मी ने भी मुन्ना काका की हाँ में हाँ मिलाई।

“उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई याह अल्लाह…… कितना हरामी है तू नंदू…… चल हट….. कमीना कहीं का” अम्मी गुस्से में चिल्लाई. दरसल नंदू ने अपने लंड की ठोकर अम्मी की गांड में मार दी थी जिससे अम्मी को अपनी गुदा पे एक तेज़ टीस का अहसास हुआ।

नंदू के लंड पे लगी रुबीना दीदी की चूत की चिकनाई सूख चुकी थी और अम्मी की गांड भी इकदम सूखी थी क्यूंकि मुन्ना काका अम्मी की चूत चोद रहे थे गांड नहीं. ऐसे में जैसे ही नंदू ने अपने मोटे लंड का सुपाड़ा अम्मी की गुदा में ज़ोर से धकेला तो चिकनाई न होने की वज़ह से लंड उस मोटी गांड में अंदर घुसने की बजाए गांड में बड़ी तेज़ी से चुभा जिससे अम्मी को दर्द हुआ।

नंदू बड़ा गरम हो गया था और तुरंत अपने घोड़े जैसे लंड को अम्मी की मस्त कददू सी फूली गांड में घुसा देना चाहता था. उसने इतनी तेज़ धक्का अम्मी की गांड में मारा था की अगर अम्मी की गांड में ज़रा भी चिकनाई लगी होती तो उसका वो फनफनाता लंड अम्मी की नंगी गांड में पूरा जड़ तक घुस जाता।

“इतना बेकाबू क्यों हो रहा था तू…………उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई इतनी तेज़ ठोकर मार दी मेरी सूखी गांड में। जा जाकर पहले रसोई से मक्खन के टुकड़े ले के आ 7-8”.

नंदू लगभग भागता हुआ रसोई में गया और अमूल बटर के कुछ टुकड़े जल्दी से उठा लाया। नंदू बुरी तरह उत्तेजित लग रहा था. भागते हुए उसका लंड बुरी तरह फुदक रहा था जिससे देख कर अम्मी बुदबुदाई “आज तो ये लड़का मेरी गांड फाड़ देगा………….लग रहा है बड़ा रुलाएगा कमीना आज”. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“सलमा मालकिन आज तो नंदू सच में आपको मस्त कर देगा……..देखो कितना फूल गया है उसका लंड आपकी गांड देख कर। आपको याद है जब आपने पहली बार मुझे अपनी गांड चोदने की इजाज़त दी थी तो मैं भी बस ऐसे ही पागल सा हो गया था। सच में मालकिन मैंने आज तक जितनी भी औरतों की गांड चोदी हैं मुझे तुम्हारी गांड सबसे मस्त लगी.

सच में सलमा मालकिन ऐसा लगता है जैसे लंड किसी गरम गुलाबजामुन में घुसेड़ दिया हो। झड़ने का तो मन ही नहीं करता बस उस नंगी कददू सी गांड को चोदते रहने का मन करता है.”………..अम्मी बस मुस्कुरा दी ये सुनकर और नंदू के सामने कुर्सी पर घोड़ी बन गयीं. अपने सामने एक मस्त नंगी औरत को घोड़ी बना देख वो अम्मी की गांड सहलाने लगा और उनकी मुलायम गुदा को ऊँगली से कुरेदने लगा. गुदा पे ऊँगली लगते ही अम्मी सीसक पड़ी.

“नंदू………उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ जल्दी से गांड में मक्खन भर दे और चोद दाल मेरी गांड………….अरे मुन्ना तुम भी रुबीना को यहीं ले आओ. मेरे पास वाली कुर्सी पर ही उसे घोड़ी बना के चोदो.” अम्मी नंदू से गांड चुदवाने के लिए तड़प सी रहीं थीं.

“हुन्न्न्न……….. ये हुई ना बात……चल नंदू आज इन हिजाबी माँ बेटियों को एक साथ घोड़ी बना के चोदते हैं. भोंदू तो लगता है कि अब रम्भा को किसी और को चोदने नहीं देगा. देख कैसे पागलो की तरह अपनी माँ को उछाल उछाल के चोद रहा है” मुन्ना काका काफ़ी उत्तेजित दिख रहे थे।

“चाचा ……..सही कह रहे हो यार……..दोनों एक साथ डालेंगें इन रंडियों की गांड में अपना लंड…..आप भी रुबीना दीदी की गांड में अच्छे से मक्खन लगा लो ……….ये लो मक्खन के टुकड़े. मक्खन लगा के बड़ा मज़ा आता है चाचा गांड चोदने में।

सलमा मालकिन ने परसों ही ये मस्त तरीका बताया था मुझे और भोंदू भैया को। मक्खन गांड में डाल के चोदने से तो उससे भी कई गुना ज्यादा मज़ा आता है जितना कि सरसों के तेल से गांड चोदने में आता है. क्या मस्त “पिच” .. “पिच” करता हुआ गांड को चोदता है लंड।” नंदू अम्मी की गांड़ पर तमाचा जड़ते हुए मुन्ना चाचा से बोला।

“ज़रा पूछ सलमा मालकिन से कि कहाँ से सीखा उन्होंने ये मक्खन लगा के गांड चुदवाना” मुन्ना काका अम्मी की तरफ़ जोशीले ढंग से मुस्कुराते हुए नंदू से बोले जो कि अपने हाथ में एक अमूल बटर की टिक्की लेके उसे अम्मी के नंगे चूतड़ पर फेलाकर उनके मस्त भूरे और काफी चौड़े गांड के छेद पर मल रहा था।

नंदू तो जैसे उस मस्त गांड में खो सा गया था. वो बड़ा उत्तेजित लग रहा था. अम्मी भी लगता था जैसे उन पलों का आखें बंद करके आनंद ले रहीं थीं. वो कुर्सी पर बिलकुल नंगी होकर अपने दोनों घुटने आपस में चिपका कर घोड़ी बनी हुई थीं. अपनी कमर को नीचे के तरफ गोल करके बड़ी ही बेशर्मी से उन्होंने अपने नंगे चूतड़ नंदू के सामने परोस रखे थे.

और बस इतना ही नहीं बल्कि अपने सीधे हाथ को पीछे ले जाकर उन्होंने अपने दियें चूतड़ को पकड़ कर फेला रखा था. बायाँ चूतड़ अम्मी का नंदू ने अपने बाएं हाथ से फेला रखा था. इस तरह अम्मी की गांड उन्होंने खुद ने और नंदू ने पूरी तरह फेला रखी थी और नंदू का दायाँ हाथ उनकी भूरी गुदा पर बटर का टुकड़ा मल रहा था.

मैं देख रही थी की बटर मलने से अम्मी की गुदा चिकनी हो गयी थी और चमक रही थी. मैं पहली बार अम्मी की गुदा देख रही थी. अम्मी को नंगा तो बहुत बार देखा था पर गुदा तो चूतडों में छुपी रहती है इसलिए कभी नहीं देखा था. अम्मी की गुदा सच में बड़ी दिलकश लग रही थी. बिलकुल गहरे भूरे रंग की और उनके नरम गांड के छेद के चारों तरफ़ सैकड़ों भूरे रंग की सलवटें बड़ी जान लेवा लग रहीं थीं।

मुझे समझ आ गया कि यही सलवटें उनकी गांड के छेद को चौड़ा करने में मदद करेंगीं जब नंदू अपने मोटे लंड को उनकी गांड में घुसयेगा. मुझे बाद में पता चला कि औरत की गांड में जितनी ज्यादा सलवटें होतीं है लड़कों को उतना ज्यादा मज़ा आता है उनकी गांड चोदने में।

नंदू बटर की टिक्की लेके अपनी सलमा मालकिन के गांड के छेद पे मल रहा था और जैसे ही मुन्ना काका की नज़र अम्मी की इतनी कामुक अंदाज़ में खुली गांड पे पड़ी वो रुबीना दीदी की गांड चाटना छोड़ तुरंत अम्मी के पीछे घुटनों के बल आकर बैठ गए और मम्मी की गुदा की सलवटों पे लगे मक्खन को जीभ से चाटने लगे।

“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ………..नंन्न्नन्न्न्नन्न्न्न………………………………….. दूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ………ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़” गुदा पे गरम जीभ का अहसास होते ही अम्मी ने नंदू के नाम की एक गहरी सिसकी ली. उनकी आँखें बंद थी और उन्हें लगा कि शायद नंदू उनकी गरम गांड को मस्ती में आकर चाटने लगा है।

“सलमा मालकिन देखो ना मुन्ना चाचा ने फिर से तुम्हारी गांड थाम ली……….” नंदू तिलमिला उठा मुन्ना को सलमा की गांड चाटता देख कर।

अम्मी ने पीछे मुड़ कर देखा तो मुस्कुरा कर बस इतना कहा “पागल कुत्ता मेरा”.

“ओह्ह्ह….सलमा मालकिन बोलो ना चाचा को यहाँ से उठने के लिए……..देखो कैसे गांड चाट रहें हैं तुम्हारी. चाचा हटो भी अब………प्लीज ………आप तो ना जाने कितनी बार चोद चुके हो सलमा मालकिन की गांड….आज मुझे चोद लेने दो प्लीज़ ………..हटो ना अब.” नंदू अम्मी और मुन्ना काका दोनों से मिन्नतें कर रहा था।

“उन्न्नंह …………न्न्नन्न्न्नन्न्न्न …उन्नंह ………… मुन्ना…….. आआअह्ह्ह ………. ऐसे हीईईईईइ……..उन्न्न्हह ……… हाय्य्यय्य्य्य…….कोई चोदो मेरी गांड……….अब नहीईईईई सहा जा रहा मुन्ना…..तू जा और रुबीना की गांड चाट इसी तरह और उसे भी मस्त कर दे और नंदू को मेरी गांड मारने दे……….मैं और नहीं सह सकती मुन्ना……………आआनंहह्ह्ह्हह ……….मुझे गांड मरवानी है अब.”

अम्मी गांड मरवाने के लिए तड़प रहीं थीं. उनकी गांड मुन्ना काका के चाटने से बेहद गरमा गयी थी और वो अब अपनी नंगी कददू जैसी फूली गांड में नंदू का लंड डलवाना चाहती थी. उधर नंदू भी तिलमिला रहा था. एक बिलकुल नंगी अधेड़ उम्र की औरत उससे अपनी गांड मरवाना चाह रही थी और उसके लिए घोड़ी बनी खड़ी थी और कोई और नंदू की घोड़ी की लज्ज़तदार गांड को चाट रहा था और वो कुछ नहीं कर पा रहा था बस अपनी नंगी घोड़ी की गांड को हाथों से फेलाए खड़ा था.

“ओह्ह……हट मुन्ना…….तू तो सैकड़ों बार मेरी गांड चाट और चूस चुका है और ना जाने कितनी बार ठूस चुका है अपने लौड़े को मेरी गांड में……..चल हट……. अब नंदू को अपनी हसरतें पूरी कर लेने दे। चोद लेने दे उसे मेरी ठरकी गांड।उन्न्न्नन्न…..हट मुन्ना………तू रात में जी भर के चाट लेना.

और चाहे तो पूरी रात चोदना मेरी मटकी जैसी गरम गांड को……वादा करती हूँ पूरी रात नंगी होकर घोड़ी बनी रहूँगी तेरे लिए आराम से ऊपर चड़ चड़ के चोदना अपनी सलमा की गदराई गांड। पूरी रात तुझे गांड मारने दूंगी पर अभी नंदू को चोद लेने दे। देख बेचारा कितना पागल सा हो गया है मेरी गांड में घुसने के लिए। चोद लेने दे इसे इसकी मनपसंद गांड.”

अम्मी मुन्ना काका से अपनी गांड का पीछा छुड़ा कर अपनी गरम गांड नंदू के हवाले करना चाहती थी ताकि नंदू एक मस्त गदराई गांड को चोद कर अपनी ठरक शांत कर सके और अम्मी भी उसकी गांड चुदाई का लुफ्त उठा सकें। अम्मी अपनी नंगी गांड को ज़ोरों से दायें बाएं हिला के मुम्म काका को हटने के लिए कह रहीं थीं।

“ठीक है मालकिन अभी तो रुबीना की गांड मार कर काम चलाता हूँ पर रात में तेरी नंगी गांड को घोड़ी बना के खूब पीट पीट कर चोदुंगा. पूरी हवेली में तुझे नंगी दौड़ा दौड़ा के तेरी गांड मरूँगा। आज रात तू सिर्फ मेरी रांड बनेगी। भोंदू हो चाहे नंदू……कुत्तो को हाथ भी नहीं लगाने दूंगा आज रात….पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह …” मुन्ना काका अम्मी की चूतडों पे 7-8 चुम्बन जड़ के खड़े हो गए और नंगी सलमा घोड़ी को नंदू के हवाले कर दिया।

“ले चोद ले इस कुतिया की गांड नंदू…………साली की चीखें निकाल दे गांड चोद चोद के इस हरामजादी की। खूब कूद कूद के गांड मार इस रंडी की.” कहते हुए मुन्ना काका रुबीना दीदी के नंगे चूतडों की तरफ लपके।

उधर रुबीना दीदी भी विरोध छोड़ कर अम्मी की ही तरह उनके पास वाली कुर्सी पर किसी चुदक्कड़ नंगी घोड़ी की तरह झुक चुकी थीं और मुन्ना काका को अपने जवान नंगे चूतडों से खेलने दे रहीं थीं। काका बड़े प्यार से रुबीना दीदी के चूतडों को अपने हाथों से सहला रहे थे. दीदी की भी आँखें बंद हो चलीं थीं.

फिर अचानक अम्मी की एक प्यारी सी सिसकी ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा तो मैंने देखा की नंदू बटर की टिक्की उनकी गांड में घुसा रहा था. अम्मी शायद गुदगुदी के कारण सिसकीं थीं. नंदू ने मक्खन की टिक्की धीरे से अम्मी की गांड में घुसा दी.

और दूसरी टिक्की उठा कर फिर से उनकी भूरी गुदा पर मलने लगा. उधर मुन्ना काका ने जब एक बटर की टिक्की अपने हाथ में उठाई तो मैं ये देख कर हैरान रह गयी कि रुबीना दीदी ने अम्मी की तरह अपने दायें हाथ से अपनी गांड फेला ली जैसे जानती हों कि काका अब क्या करना चाहते हैं।

“बिलकुल अपनी माँ पर गयी है…………कुतिया” मुन्ना काका ने मुस्कुरा के कहा.

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और एक हाथ से रुबीना दीदी की गांड पूरी तरह खोल कर बटर की टिक्की दीदी की गुदा पर मलने लगे. जैसे ही ठन्डे बटर की टिक्की दीदी की गुदा पर फिसलनी शुरू हुई दीदी के मुंह से मीठी मीठी सीत्कारी फूटने लगीं. काका का लंड अब और ज्यादा मोटा और फनफनाता हुआ लग रहा था.

दीदी की गांड शायद अम्मी की गांड से भी ज्यादा गरम थी क्यूंकि बटर लगभग पिघल कर दीदी की गांड से चू कर उनकी चूत को गीला करने लगा था पता नहीं काका को ये देख कर क्या हुआ ………. उन्होंने रुबीना दीदी की चूत में झटके से अपना लंड दाल दिया. काका का लंड बुरी तरह फुला था जिससे दीदी की चीख निकल गयी।

“उन्न्न्नन्न्न्न.न्न्न्नन्न्न्नन्न न्न्न्नन्न्न्न न्न्नन्न्न्न ……………….. उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईइ मुम्म्मम्म्म्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआ……..मर्रर्रर्रर्र्र्रर्र्र्रर्र्र गयी……” दीदी ज़ोर से चीखीं।

“अरे मुन्ना………बच्ची है कुत्ते ……………. इतनी बुरी तरह क्यूँ चोद रहा है मेरी बच्ची की गांड.” अम्मी ने मुन्ना काका को लगभग डांटते हुए कहा। वो समझ रहीं थीं कि काका ने रुबीना दीदी की गांड में लंड घुसेड़ दिया है शायद।

“मालकिन मैंने तो रुबीना की चूत में ही डाला है………देखो कैसे घोड़ी की तरह चिल्ला रही है………..हाय मालकिन ……….. अगर आप बुरा न मानो तो आज रुबीना को गालियाँ देते हुए चोद लूं जैसे जब कभी आप मूड में होती हो तो गालियाँ खाते हुए मुझसे चुदवाती हो, मैंने रुबीना को इतनी बार चोद लिया और इसकी गांड भी मार ली पर पता नहीं आज क्यूँ मेरा मन इसे गालियाँ देते हुए किसी रंडी की तरह चोदने का कर रहा है.” मुन्ना काका रुबीना दीदी की चूत में लंड डालकर पागल से हो गए थे।

“आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ………. काका जो भी तुम बकना चाहते हो बक लो …….. मुझे बुरा नहीं लगेगा. भोंदू और नंदू जो कि वैसे मुझे दीदी कहतें हैं….. मुझे चोदते वक़्त खूब गालियाँ देतें हैं। उन दोनों को तो इस लंगड़ी घोड़ी को चोदने में तभी ज्यादा मज़ा आता है जब वो मुझे गालियाँ देतें हैं. मैं बुरा नहीं मानती काका. इससे तो बल्कि चुदवाने में और मज़ा आता है. क्यूँ अम्मी?”

“रुबीना इस वक़्त तुम्हारी घोड़ी है मुन्ना……….जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे चोद लो अपनी इस लंगड़ी घोड़ी को. मुझे तो चुदते टाइम तुम्हारे मुंह से गालियाँ भी अच्छी लगतीं हैं और तुम्हारा बेरहम चोदने का तरीका भी. मैं तो बस इतना कहूँगी कि जी भर कर चोदो मेरी बेटी को पर इतना ध्यान रखना कि वो चुदाई में अभी बिलकुल नयी है.

उसे एक लड़की की तरह ही चोदना नाकि किसी रंडी औरत की तरह. तुम तो एक मस्त मंझे हुए मर्द हो और मुझ जैसी गांडू और चुदक्कड़ खातून का भी बैंड बजा देते हो अपने इस लंड से. इसलिए रुबीना को चोदते टाइम ये सब याद रखना और ये भी कि रुबीना विकलांग है, लंगड़ी है………..ज्यादा बेरहम होके मत चोदना उसे।

उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़……….नंदू………..तूने तो ४-5 बटर की टिक्की मेरी गांड में भर दीं हैं………..आज लग रहा है कि मेरी गांड को मस्त कर देगा तू………हाय्यय्य्य कमीने……….ला अब तेरे लंड पे थोडा मक्खन मल दूँ” अम्मी ने मस्ती में आकर मुन्ना काका को पूरी आजादी दे दी रुबीना दीदी को मन मर्ज़ी से चोदने की.

“हान्न्नन्न्न्न………सलमा………तू नहीं जानती कितना मज़ा आता है तेरी इस लंगड़ी बेटी को चोदने में। उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़…….औरतें भी बहुत चोदी और लौंडियाँ भी पर इस लंगड़ी घोड़ी के साथ अलग ही मज़ा आता है. घुटनों के बल चल चल के कुतिया के घुटने इतने मज़बूत हो गए हैं कि रंडी कहीं भी घोड़ी बनी घंटों चुदती रहती है.

और कितनी मस्त ठुकी हुई गांड है बिलकुल किसी गांडू औरत जैसी.” मुन्ना काका रुबीना दीदी की गांड में बटर चुपड़ रहे थे और उनकी चूत मारते हुए बडबडा रहे थे। उधर नंदू अम्मी के मुंह के आगे जाकर खड़ा हो गया था. अम्मी ने बटर की एक टिक्की उठाई और नंदू के मोटे नंगे लंड पर मलने लगी. नंदू का लंड मस्ती से नाच उठा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अम्मी लंड के चारों तरफ बटर का लेप लगा रहीं थीं जिससे नंदू और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया. गरम लंड ने मक्खन को पिघला दिया और मक्खन ने लंड को बेहद चिकना और तर्र कर दिया. नंदू अम्मी की उठी हुई गांड को बेसब्री से घूर रहा था. अम्मी की गांड मक्खन में सनी हुई और भी कामुक लग रही थी.

और जब नंदू ने भोंदू और रम्भा की ओर देखा तो उसकी लंड की नसें फटने को हो गयीं. भोंदू सोफे पे बैठा था और रम्भा काकी उसी सोफे पे बिलकुल मदर्जात नंगी अपने घुटनों और हाथों पे झुकी थीं. और भोंदू ने अपने दोनों हाथों से काकी के नंगे मांसल चूतड़ फेला रखे थे और लप लप करके काकी की मस्त गुदा चाट रहा था.

रम्भा काकी बेहद कामुक ढंग से सीसक रहीं थीं. उनकी गांड चुदने की वजह से इकदम खुल गयी थी और गांड के अंदर का लाल लाल मुलायम मांस गांड के छेद से बाहर झांक रहा था। गुदा से थूक जैसा लिसलिसा पानी निकल रहा था जिसे भोंदू मस्ती से चाट रहा था. उनकी आँखें मस्ती से बंद थीं.

थोड़ी देर गांड चाटने के बाद भोंदू ने फिर से उस कामुक कुतिया की गांड में लंड दाल दिया और सोफे पे घोड़ी बनी अपनी पूरी नंगी माँ को बेदर्दी से कूद कूद के चोदने लगा. रम्भा काकी की गांड इतनी निर्मम तरीके से चुद रही थी कि उनकी लम्बी लम्बी चीखें पुरे हॉल में गूंज रहीं थीं.

ये सब देख कर नंदू फिर से अपनी सलमा मालकिन की गांड के पीछे आकर खड़ा हो गया. नंदू मुझे गांड चोदने का बड़ा शौक़ीन लग रहा था. वो भोंदू से भी ज्यादा पागल लग रहा था. पर अब नंदू की लाटरी लगने वाली थी. उसकी घोड़ी यानि मेरी अम्मी अब बिलकुल तैयार थी अपनी गांड में उसका लंड घुसवाने के लिए. गांड में अंदर और बाहर मक्खन चुपड़ा था और नंदू का लंड भी मक्खन में सना था.

“ओ री रण्डी सलमा……….ज़रा दोनों हाथों से गांड फेला ले अब………उन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न” नंदू लंड को हाथ में लेकर बोला।

बिलकुल हीरा पे गया है कुत्ता ….. वो भी ऐसे ही कहता है “ओ री रण्डी सलमा”……….और मैं समझ जाती हूँ कि मैं चुदने वाली हूँ………ले घुसा” अम्मी ने एक हाथ से अपनी गांड खोलने की कोशिश की।

“मालकिन दोनों हाथों से फेलाओ अपने चूतड़……..तब मज़ा आएगा” नंदू अम्मी के नंगे चूतड़ पे थपकी मारकर बोला।

“दोनों हाथों से कैसे फेलाऊँ???…..मैं कुर्सी पे हूँ ……..अपनी छाती कहाँ टिकाऊँ?? अगर तू चाहता है कि मैं अपने दोनों हाथों से अपनी गदराई गांड फेला कर तेरे सामने परोसूं तो अपनी इस घोड़ी को उठा के बिस्तर पर ले चल ताकी मैं आगे झुक कर अपनी गर्दन बिस्तर पे टिका लूं. यहाँ कुर्सी पे तो बड़ी दिक्क़त होगी.

और जब तू गांड मारेगा तो मुझे सहारा तो चाहिए ना!! यहाँ तो सहारे के लिए कुर्सी ही पकडनी पड़ेगी ……. और अगर कुर्सी पकडूगी तो गांड कैसे फेलाउंगी??” अम्मी जब दोनों हाथों से चूतड़ फेलाने की कोशिश करने लगीं तो घोड़ी बनी रहने की कोशिश में अपने दोनों घुटनों पे बैलेंस करने लगीं.

इतने में ही नंदू ने उनकी खुली गांड में अपने मोटे लंड से ज़ोरदार शॉट मारा. मक्खन लगा लंड का सुपाड़ा दनदनाता हुआ अम्मी की गांड में दाख़िल हो गया. पर इससे अम्मी का बैलेंस बिगड़ा और संभलने के लिए अम्मी ने हाथों से अपने चूतड़ छोड़ झट से कुर्सी पकड़ ली.

अगर अम्मी को पहले से हाथों का सहारा होता तो नंदू का लंड काफ़ी अंदर तक उनकी गांड में घुस जाता क्यूंकि नंदू गांड मारने के लिए बैचैन था और इसलिए इतना तगड़ा धक्का अपनी मालकिन की नंगी गांड में दे मारा था पर फिर भी नंदू का सुपाड़ा अम्मी की गांड में जाकर फ़स गया था और अम्मी अपनी गांड से नंदू के लंड पे अटकी हुई थीं।

गांड लंड की मुंडी अपने मुंह में दबाये फूल पिचक रही थी और अम्मी पीछे मुड़ कर नंदू की तरफ़ देखती हुई अपने होंठ गोल करके “उन्न्ह्हह्ह …उन्न्न्हह्ह्ह” कर रहीं थीं. पर दृश्य बड़ा मादक था. मुझे पहली बार लगा कि काश अम्मी की जगह मैं उस कुर्सी पे होती और ठीक इसी तरह मेरी गांड में उस मोटे लंड की नथुनी फंसी होती.

हालाँकि तब तक मेरी खुद की गांड कभी नहीं चुदी थी पर अम्मी के चेहरे को देख कर और उनकी मादक सिसकी सुन कर ऐसा लगा जैसे उनकी गांड में फंसी उस मोटे लंड की नोक उनकी गांड में मीठी गुदगुदी पैदा कर रही थी. अनायास ही मेरा हाथ सलवार के ऊपर से मेरी गुदा को कुरेदने लगा.

ये पहली बार था जब मेरे दिल में अपने आप ही ये ख्याल आया कि काश मेरा चोदू हीरा काका भी इसी तरह अपने उस मोटे चूहे को मेरी गांड में घुसेड़ दे. उफ्फ्फ्फ़…..कितना गुदगुदाता होगा ना लंड गांड में घुस कर. मैं आज तीसरी बार हीरा काका से अपनी चूत चुदवा के आई थी. पर मुन्ना काका तो अभी अभी कह रहे थे कि हीरा काका गांड नहीं चोदते.

मैं सोच में पड़ गयी कि जिस गांड को चोदने और चाटने के लिए ये तीनों सांड मरे जा रहे हैं हीरा काका तो उसे हाथ भी नहीं लगाते. आज ही उन्होंने खेत पर मुझे एक प्लास्टिक की उलटी बाल्टी पर बिलकुल नंगी करके घोड़ी बना कर पुरे घंटे भर चोदा था. पर काका ने मेरी गांड और गुदा को छुआ तक नहीं जबकि लड़की को पीछे से घोड़ी बना के चोदने से उसकी गुदा हमेशा मर्द के सामने होती है.

हीरा काका चाहते तो मेरी गुदा को कम से कम ऊँगली से तो छेड़ ही सकते थे. मैं देख ही रही थी कि कैसे मुन्ना काका अभी भी रुबीना दीदी को चोदते हुए उनकी भूरी लचीली गुदा पे मक्खन मल रहे थे. मुन्ना काका के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे कोई नायाब चीज़ उनके हाथों में हो. और सच में लड़की की गांड का छेद बेहद नायाब होता है.

अगर लड़की पूरी नंगी भी खड़ी हो जाये तो भी उसकी गुदा उनके चूतडों में दुपकी रहती है. लड़की को थोड़ा झुका कर और उसके चूतडों के पट खोल कर ही आप लड़की की मलाईदार गुदा को देख सकतें हैं. तो हीरा काका ने मेरी गुदा को हाथ क्यूँ नहीं लगाया?? और यहाँ हॉल में दो मदमस्त नंगी घोड़ियों को अपनी गांड चुद्वाते देख कर मेरा मन भी गांड मरवाने का करने लगा.

पर मुझे हीरा काका से कोई उम्मीद नहीं लग रही थी. जब उन्होंने रम्भा, सज्जो और मेरी अम्मी सलमा जैसी इतनी गदराई और गरम औरतों की गांड नहीं मारी तो वो मेरी क्या मारेंगे. मुझे लग रहा था कि आने वाले वक़्त में नंदू, भोंदू या फिर मुन्ना काका में से कोई एक मेरी गांड चटकाएगा…..मेरी मटकी फोड़ेगा. मैं ये सोच के रोमांचित हो रही थी कि तभी एक तेज़ थप्पड़ की आवाज़ ने मुझे चौका दिया.

“चटाक.”

ये थप्पड़ नंदू ने अम्मी की गांड पे जड़ा था. अम्मी की गांड एकदम से थिरक गयी पर नंदू के लंड की नथुनी अभी भी उनकी गांड में फंसी थी.

“सलमा मालकिन फेलाओ ना अपने चूतड़…….. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”….” नंदू अम्मी की गांड में लंड फंसाए लगभग गुर्राता हुआ बोला और उनकी गांड पे ज़ोर ज़ोर से चांटे जड़ने लगा।

“आःह्ह्ह………..हरामी….कह तो रही हूँ कि बिस्तर पर ले चल फिर आराम से कूद कूद के चोदना…….. आस्सीईईईई….उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह …. उह्ह्हह्ह ….कमीने पहले लंड तो दाल दे गांड में फिर चाहे कितने थप्पड़ मार लेना. …..उन्ह्हह्ह्ह्हह्ह तू तो मुन्ना से भी बेरहमी से थप्पड़ लगाता है.”

मुझे अब ये नज़ारा बड़ा अच्छा लगने लगा था. भोंदू को तो मैंने रम्भा की गांड चोदते हुए तब देखा जब उसका लंड उसकी माँ की गांड में एडजस्ट होके सटा सट उस रंडी की गांड चोद रहा था. पर यहाँ में नंदू को अम्मी की गांड में लंड की एंट्री करवाते हुए देख रही थी.

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देखने से ही ऐसा लग रहा था कि भले ही गांड रोज़ चुदती हो पर हर रोज़ लंड को गांड में घुसेड़ने में थोड़ा टाइम लगता है और मेहनत भी. ये बात मुझे तब और ज्यादा समझ आई जब मेरी खुद की गांड रोज़ चुदने लगी थी. गांड रोज़ रात को सोने के बाद वापस नार्मल हो जाती.

और अगले दिन मेरी गांड चोदने वाले को अपना लंड मेरी गांड में दाखिल करने में टाइम लगता. मुझे तो सच्ची ……. पर्सनली शुरू के वो 15-20 मिनट…… जब मर्द अपने मोटे लंड को धीरे धीरे मेरी गांड में घुसेड़ते है ……… बड़े मस्त लगतें हैं. और तब तो काफ़ी मज़ा आता है जब लड़का लंड घुसेड़ने का प्रयास करता है पर बार बार नाकाम होता है.

बार बार दिल में टीस उठती है कि इस बार लंड गांड में दाखिल हो जायेगा पर लंड गांड में घुसता ही नहीं. मैं बार बार अपनी नंगी गांड अपने चोदू को सोपती हूँ इस उम्मीद में कि वो इस बार जरूर मेरी फुदकती गांड में लंड दाल देगा और चोदना शुरू करेगा पर वो किसी ना किसी कारण से नाकाम हो जाता.

कभी ज़ोर लगने से लंड गुदा से फिसल जाता है और गांड में नहीं घुसता और लड़के की झंड हो जाती है. कभी अगर लंड की मुंडी गांड में अटक भी जाती है तो अगले धक्के का कोण सही ना होने पर लंड उछल कर गांड से बाहर आ जाता है. ऐसे में तो बड़ा गुस्सा आता था क्यूंकि लंड की नथुनी गांड में दाखिल होकर झनझनाहट पैदा कर देती थी और गांड लंड खाने के लिए फड़क उठती थी पर लंड उछल कर किसी स्प्रिंग की तरह गांड से बाहर आ जाता था.

पूरा मज़ा किरकिरा हो जाता था और लड़का फिर कोशिश में लग जाता था. चुदाई के भाषा में इसे “घोड़ी को नथ पहनाना” या “गांड का पनीर फाड़ना” भी कहा जाता है. “घोड़ी को नथ पहनाने” या “गांड का पनीर फाड़ना” का मतलब होता है कि लड़की या औरत की गांड में लंड को जड़ तक घुसेड़ने में कामयाब होना.

दरसल गांड काफ़ी मामलों में चूत से अलग होती है. पर सबसे बड़ी खूबी गांड की ये होती है कि गांड चाहे जितना चुद ले पर दो या तीन दिनों के लिए भी अगर इसकी चुदाई ना हो तो गांड में कसावट वापस आ जाती है यानि “गांड का पनीर फिर जम जाता है”. इसे चुदाई की भाषा में “लड़की की नथ उतरना” कहतें हैं.

और अगर गांड हफ्ते, दो हफ्ते ना चुदे तो बिलकुल कुंवारी जैसी हो जाती है बस फ़र्क इतना होता है कि चुदी चुदाई गांड को फिर से चुदवाने में औरत को पहली बार के मुकाबले 60 से 70 फीसदी तक कम दर्द होता है. बाकि मर्द पे निर्भर करता है कि वो औरत को कितना दर्द देना चाहते हैं. क्यूंकि मर्दों को गांड चोदने में तब बड़ा आनंद आता है जब औरत चुदते टाइम दर्द से बिलबिलाती है, चीखती है और दहाड़े मारती है.

दर्द से रम्भाती घोड़ी को मर्द बड़े ही चाव से घंटों चोदते रहतें हैं और बड़े ही जोशीले ढंग से चोदते हैं. कई चुदक्कड़ औरतें तो मर्दों को और ज्यादा उकसाने के लिए ज़ोरों से दहाड़े मारती हैं ताकि मर्द किसी पागल कुत्ते की तरह उनकी गांड चोदे. इसलिए ही तो कहतें है कि औरत की गांड किसी ऐसी जगह पे चोदनी चाहिए जहाँ कोई ना हो दूर दूर तक.

जैसे की पुराने खंडरों में, या किसी तहखाने में. क्यूंकि 3-4 दिनों में ही औरत की नथ उतर जाती है और ये नियम है कि जब जब कोई मर्द किसी “घोड़ी को नथ पहनाता” है तो औरत चीखती है, चिल्लाती है. मुझे तो जब भी कोई मर्द नथ पहनाता है तो मेरी किल्ली निकल जाती है. पर वो गांड मरवाना ही क्या जिसमे किल्ली न निकले.

ये सब ज्ञान तो मुझे तब मिला जब मैं भी खूब गांड मरवाने लगी. पर उस वक़्त जब मैं हॉल में खड़ी ये ग्रुप चुदाई देख रही थी मेरी गांड एकदम कुंवारी थी. गांड तो गांड मेरी तो चूत भी सिर्फ ३ बार चुदी थी. इसलिए मुझे इस चीज़ का तो बिलकुल अहसास नहीं था कि अम्मी या रम्भा या रुबीना दीदी को अपनी गांड में लंड लेना कैसा लगता होगा.

पर नंदू का लंड अम्मी की गांड में घुसते ही जो आनंद उनके चेहरे पे दिख रहा था उसे देख के लग रहा था जैसे बहुत आनंद दे रहा था उन्हें नंदू का लंड अपनी गान्ड में लेने में. मैं बड़े चाव से उन्हें देख रही थी कि कैसे १७ साल का नंदू एक ४४ साल की अधेड़ औरत की गांड में अपना मोटा लंड फंसाए खड़ा था।

“चूतड़ फेलाओ ना मालकिन…..”नंदू की आवाज़ में गुर्राहट थी.

“अरे मुन्ना काका तुम मेरी कुर्सी अम्मी की कुर्सी से बिलकुल सटा दो. इस तरह अम्मी और मैं बिलकुल अगल बगल एक दुसरे से सट के घोड़ी बन जाएँगी.” रुबीना दीदी ने पीछे घूम कर अपने नंगे चूतडों से खेलते मुन्ना काका से कहा. पता नहीं दीदी ने ऐसा क्यूँ कहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“हाँ तब तो और मज़ा आएगा……क्या कहता है नंदू? पर तू ही अपनी घोड़ी की कुर्सी इधर सरका नंदू. मेरी घोड़ी तो लंगड़ी है. उसे उतरने चड़ने में दिक्क़त होती है.” मुन्ना काका रुबीना दीदी के पैरों की परेशानी की वजह से दीदी को कुर्सी से उतारना नहीं चाहते थे।

“काका तुम भी ना………….बस……..अरे देख नहीं रहे हो नंदू ने अम्मी की गांड में लंड दाल रखा है. वो लोग अब शुरू कर चुके हैं. उन्हें मत हिलने के लिए बोलो. मैं उतरती हूँ कुर्सी से तुम मेरी कुर्सी सटा दो अम्मी की कुर्सी से.” कहते हुए रुबीना दीदी जमीन पर हाथ रख कर कुर्सी से नीचे उतर गयीं।

मुन्ना काका ने रुबीना दीदी की कुर्सी जैसे ही अम्मी की कुर्सी से सटा के रखी मेरी लंगड़ी दीदी बड़ी फुर्ती से फिर से कुर्सी पर चड़ गयीं और चौपाया होकर घोड़ी बन गयीं. अब दीदी की नंगी गांड अम्मी की नंगी गांड से साइड से टच हो रही थी. तभी नंदू ने शरारत की और अपनी बायीं हाथ की पहली ऊँगली अपने थूक में भिगो कर रुबीना दीदी की गांड में घुसेड़ दी. दीदी की गांड में पहले से ही मक्खन लगा था. ऊँगली फुचुंक से दीदी की गांड में घुस गयी।

“उन्नंहह्न्न्नन्न ………..” रुबीना दीदी सीसक पड़ी.

“ओह्ह्ह…….मुन्ना चाचा……तुमने तो मस्त चिकनी कर रखी है दीदी की मतवाली गांड……….उन्ह्ह्हह कितनी गरम हो रही है अंदर से जैसे गांड में गरम गरम मूंग दाल का हलवा भरा हो………..पर छल्ला बड़ा टाइट है चाचा इस चुदैल की गांड का. देखो कैसे गांड चुदाने के लिए उछल कर घोड़ी बन गयी ये लंगड़ी कुतिया.” नंदू ऊँगली दाल कर रुबीना दीदी की गांड में चारों तरफ घुमा रहा था।

“चल नंदू अब इन दोनों माँ बेटियों को नथ पह्नातें हैं, फाड़ते हैं इनका दो दिन पुराना पनीर डाल देते हैं इन दोनों की मतवाली गांडो में अपने अपने लंड………उह्ह्हन्न्न्नन्न ……..आज तो गांड फाड़ डालूँगा इस लंगड़ी घोड़ी की. खूब कूद कूद के चोदुंगा इस सूअर की बच्ची को. साली लंगड़ी रांड.” मुन्ना चाचा रुबीना दीदी की गांड को बुरी तरह मसलता हुआ बडबडाने लगा।

“ओह्ह्ह्हह्ह……..तू भी मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ दे कर चोदना जैसे तू रुबीना को चोदता है.” अम्मी ने पीछे मुड़ कर नंदू से कहा।।

“ऊऊऊऊईईईईईईईइम्मम्मम्मम्मम्मम्माआआआआआआ……….” अम्मी की किल्ली निकल गयी जैसे ही नंदू ने ज़ोर से अपने लंड को अम्मी की गांड में धकेला. गालियाँ देकर चोदने वाली बात को सुन के नंदू तुरंत गरमा गया और लंड को अम्मी की गांड में ठेलने लगा।

“अबे नंदू रुक…….मादरचोद……..मैं भी तो अपने लंड की मुंडी इस लंगड़ी की गदराई गांड में अटका दूं. फिर एक साथ चीरेंगे इन दोनों की कददू जैसी गांडो को.”

“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चाचा अब घुसेड़ भी दो अपने इस हलब्बी लंड को इस बहन की लौड़ी की गरम गांड में. मुझसे अब नहीं रुका जा रहा चाचा। अब तो मैं इस सलमा छिनाल को खूब पीट पीट कर चोदुंगा। भोंदू ने भी आज रम्भा रांड को क्या चोदा होगा जो मैं चोदुंगा इस हरामखोर चुदैल घोड़ी को.” नंदू लगभग गुर्रा रहा था।

उधर चाचा ने भी जोश में आकर आख़िरकार रुबीना दीदी की गुदा पर अपने लंड की मुंडी रख दी. रुबीना दीदी ने भी अम्मी की तरह अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ फेला लिए, तभी मुन्ना काका ने ज़ोर का शॉट लगाया पर रुबीना दीदी बैलेंस नहीं बना पायीं और धक्का लगने से आगे को हो गयीं. हालाँकि धक्का लगने से मुन्ना काका के लंड की मुंडी रुबीना दीदी की गांड में घुस गयी थी पर दीदी के तेज़ी से आगे को झुकने की वज़ह से काका का लंड दीदी की गांड से छिटक कर बाहर आ गया.

मुन्ना चाचा अपनी पहली कोशिश में नाकामयाब हो गए थे. लंड से बच कर दीदी की गांड कामुक अंदाज़ में लहर रही थी जैसे काका के लौड़े को चिढ़ा रही हो. मुन्ना काका का लंड बुरी तरह फड़क रहा था. काका की बेहाली देख कर नंदू भी उनकी तरफ देख कर मुस्कुरे लगा।

“चाचा आप तो मार ही नहीं पाए चिड़िया”.

“अबे चिड़िया नहीं मुर्गी है रंडी ……….मुर्गी………कोई नहीं नंदू होता है वैसे भी घोड़ी को नथ पहनाने में टाइम तो लगता ही है.”

“मैंने तो अपनी इस चुदैल रण्डी सलमा घोड़ी को पहना भी दी नथ……….!!! देखो कैसे ये कुतिया अपनी गांड में लंड फंसाए घोड़ी बनी खड़ी है.”

“अबे जा जा……..पूरी की पूरी “नथ” तो तेरी सलमा की गांड से बाहर झूल रही है. सिर्फ लंड की नोंक गांड में पीरो देने को नहीं कहते “घोड़ी को नथ पहनाना”……….

काका ने फिर से कोशिश की पर इस बार उन्होंने दीदी को कस कर अपने हाथों से कुर्सी को पकड़ने के लिए बोला। रुबीना दीदी ने कुर्सी पकड़ ली और उधर काका ने दीदी की मटकती गांड पकड़ ली और फिर काका ने अपने दोनों हाथों से दीदी के चूतड़ चौड़े किये और अपने टनटनाते लंड को अपनी टांगों और कमर के सहारे एडजस्ट करते हुए दीदी की गुदा पर रख दिया।

मुन्ना काका धक्का देने ही वाले थे कि रुबीना दीदी ने कहा

“काका एक मिनट…” और दीदी अपना एक हाथ पीछे लायीं और काका का लंड पकड़ कर उन्होंने ठीक से अपनी गुदा पे सेट किया. शायद दीदी को पता लग गया था की काका का लंड गांड के सुराख़ पे ठीक से नहीं बैठा है। काका मुस्कुराये और एक करारा धक्का रुबीना दीदी की गांड में दे मारा. काका के लंड का आलू जैसा सुपाड़ा दीदी की गांड को चीर कर दनदनाता हुआ उनकी गुदा में घुस गया।

“ह्ह्हाआअय्य्य्य……..मर्र्र्रर्र्र्रर ………गयी री माआआआअ………” रुबीना दीदी इतनी ज़ोर से चीखीं की पास में सोफे पे भोंदू से भकाभक चुदती रम्भी भी चोंक गयी और अम्मी भी डर गयीं। रुबीना दीदी का मुंह बिलकुल अम्मी के कान के पास था।

काका दीदी की कमर को सहलाने लगे. बड़ा मस्त नज़ारा था. दो घर के नौकर मिलकर मेरी रबीना आपी और मेरी अम्मी की गांड में अपने अपने लंड फंसाए खड़े थे।

“ले भई नंदू ………चटका दी इस लंगड़ी घोड़ी की गांड…….ऊईई कैसे फुदक रही है सूअर की बच्ची”.

“आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् अम्मी बड़ी ज़ोर से चुभ रहा है काका का लंड गांड में. तुम कैसे चुदवा लेती हो इतने तगड़े लंड से रात रात भर और आज रात को भी तुमने मुन्ना काका से गांड मरवाने का प्लान बना लिया, अभी नंदू से मरवा रही हो……..रात में मुन्ना काका तुम्हारी गांड चोदेंगे. तुम्हें इतना पसंद है गांड मरवाना??”

“रुबीना मैं तो दीवानी हूँ दीवानी गांड मरवाने की. मुझे अलग अलग मर्दों से गांड मरवाने में बड़ा मज़ा आता है. मुझे मुन्ना से गांड मरवाने में बड़ा आनंद आता है. कुत्ता ऐसे चोदता है जैसे किसी रंडी छिनाल को चोद रहा हो. बड़ा मज़ा आता है रुबीना. अभी जब तुझे चोदेगा तो ख़ूब चीखें मारते हुए चुदवाना. औरत की चीखें सुन के तो मुन्ना और पागल हो जाता है और गांड ओखली की तरह धून के रख देता है.” अम्मी रुबीना दीदी को जैसे ट्रेनिंग दे रहीं थीं।

“पर अम्मी मेरी गांड में तो अभी से दर्द हो रहा है जबकि अभी तो मुन्ना काका ने सिर्फ अपने लंड की नोंक ही भीतर घुसाई है. जबकि मुन्ना काका तो पिछले हफ्ते भी मेरी गांड मार चुके है फिर इतना दर्द क्यूँ होता है मुझे?? आप तो मस्त होके गांड में लंड का मज़ा लेती हो पर मुझे इतना दर्द क्यूँ होता है अम्मी??”

“अरी मेरी गुड़िया…… “नथ पहनाते” टाइम तो दर्द हमेशा होता है. न तेरी गांड दो दिन से चुदी है न मेरी. हम दोनों की गांड की नथ उतर गयी है और हम दोनों की गांड में फिर से पनीर जम गया है. गांड मरवाने के दो दिन बाद ही गांड में पनीर जम जाता है.

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और गांड का पनीर जितना पुराना होता है मर्द को उतना ही ज्यादा मज़ा आता है और औरत को उतनी ही ज्यादा तकलीफ़. वैसे आम औरतों की नथ तीन चार दिन तक बिना चुदे रहने से उतरती है पर मेरी गांड दो दिन में ही नथ उतार देती है. तभी तो मुन्ना मुझे अक्सर दो दो दिन छोड़ छोड़ के चोदता है गांड में.

ताकी वो बार बार मुझे नथ पहनाने का मज़ा ले सके. तू भी शायद मेरे पे गयी है. लगता है तेरी गांड भी जल्दी नथ छोड़ देती है. चल बस आधे घंटे में ये दोनों गांडखोर हम दोनों की गांडो को नथ पहना देंगे और हम दोनों की गांड मस्त रवां हो जाएगी. तब बड़ा मज़ा आएगा गांड मरवाने में.” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“आआईईस्ससीईयययययी ….ध्ध्धध्धीईईईईईईईईईईईइरेरेरे ….. नंन्नन्नदूऊऊ …”

“आआआआआआअ …….काका मरर्रर्रर गयी…..”

नंदू और मुन्ना ने एक साथ रुबीना और सलमा की गांड में धक्के मारे और दोनों दर्द से चीख पड़ीं. और फिर तो रुबीना और अम्मी दोनों 15 मिनट तक दर्द से चीखें मारती रहीं. दोनों घोड़ों में बस ये होड़ लगी थी कि कौन पहले गांड का पनीर फाड़ने में कामयाब होता है. दोनों मर्दों को काफी महनत करनी पड़ रही थी. दोनों ज़ोर लगा कर अपने मोटे लम्बे लंडों को दोनों कुतियों की गांड में घुसा रहे थे।

“ओह्ह्ह्ह अम्मी बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है………आआऐईईईम्म्म्मम्म्मम्म्म्मा……काका को बोलो न……..अम्मी ……………मरर गयी.”

“बस इक बार पनीर फाड़ दू तेरी गांड का रंडी फिर देख कैसे तुझे हुमच हुमच के चोदुंगा। तुझे तेरी अम्मी, नानी, दादी सब याद आ जाएगी आज. अबे नंदू इस लंगड़ी की गांड में लगता है कुछ ज्यादा ही पनीर जम गया. मेरा लंड तो अभी आधा भी अंदर नहीं गया. लगता है तू ही मुझसे पहले पहना देगा अपनी घोड़ी को नथ.

क्यूँ सलमा मेरी रण्डी मज़ा आ रहा है नंदू से गांड फड़वाने में? मुझे तो आज तेरी ये रंडी बेटी पागल ही कर देगी. ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह……….. कितनी टाईट गांड है सलमा इस लंगड़ी रांड की………आःह्ह्ह……बड़ा मज़ा आ रहा है नंदू. सलमा की मस्त पकी हुई अधेड़ गांड से बिलकुल अलग मज़ा है इस लंगड़ी की कच्ची गांड का.”

मुन्ना काका को रुबीना दीदी की गांड में लंड डालकर बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और वो अपनी किस्मत को दात दे रहे थे कि इतनी कम उम्र की लड़की उनसे अपनी गांड मरवा रही थी। उधर नंदू की भी हालत खस्ता हो रही थी. उसका लंड लगभग 6 इंच अम्मी की गांड में घुस गया था और उसके चेहरे से ही लग रहा था कि उसे अत्याधिक आनंद आ रहा था. उसने कस के अम्मी के नंगे चूतड़ पकड़े हुए थे और अपने लंड को उस गरम गांड में और अंदर डालने में लगा था।

“ओह्ह …….चाआअचा ……….मस्त है रे इस सलमा की गांड तो…..उन्फफ्फ्फ्फ़………बहनचोद ……कितनी गरम और गहरी है…….मेरे तो लंड के तोते बोल गए चाचा इस हंडिया सी गांड में घुस के और देखो तो रंडी कैसे रम्भा रही है जैसे पहली बार गांड मरवा रही हो.” नंदू गांड चोदने से पागल सा हो गया था पर वो सही कह रहा था. अम्मी सच में बहुत ज़ोर से दहाड़ रहीं थीं. उनके चेहरे पे भी दर्द साफ़ नज़र आ रहा था।

“आआआआआआआआआआअ ……….य्य्य्यय्य्य्य ………. थोड़ा और मक्खन लगा ले गांड में नंदू ………फिर डालना. अभी तो मेरी जान निकल रही है तेरे लंड से. उन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्न …….. कुत्ते…..नन्दूऊऊऊऊऊउ……मेरी गांड फाड़ दी तूने आज. हाय्य्य्यय्य्य्यी ……रीईईईए ..हरामी की औलाद……आज के बाद कभी हाथ भी नहीं लगाने दूंगी तुझे अपनी गांड पे. चोदना अपनी माँ रम्भा की अरु सज्जो की.”

“मेरी बेबो सलमा………रम्भा की भी चोदी है और सज्जो की भी पर तुम्हारी गांड में अलग ही मज़ा आ रहा है. आंन्ह्ह्ह हाआअ ……. कितनी मस्त, भरवां और फूली हुई है. आज तो चोद चोद के बुरी तरह चटका डालूँगा तेरी ये हंडिया रंडी. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…. “चटाक”…… उन्ह्ह्हह ….. उन्ह्ह्हह ….. उन्ह्ह्हह ….. उन्ह्ह्हह …..ले रंडी………उन्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह……हो गया…….” नंदू ने लंड को पूरा अम्मी की गांड में दाल दिया और उनकी नंगी गांड पे दोनों हाथों से थप्पड़ लगा के अपनी जीत का ऐलान सा करने लगा।

“मैंने तो फाड़ डाला चाचा इस रांड का गांड पनीर ………. मस्त भट्टी सी गरम हो रही है मालकिन की गांड अंदर से. मुझे तो तुम से जलन हो रही है चाचा कि तुम पिछले 8 साल से चोद रहे हो इस मस्त कददू जैसी गांड को. उन्न्नन्ह्ह कितना ठूंस ठूंस के मज़ा भरा है इस रंडी औरत की गांड में चाचा………..मस्ती में फुदक रहा है लंड. आआआआआआअह्ह्ह्ह …………. काकीईईईईईईईईईईईईईइ……………”

“हाय रे तूने तो जान ही निकाल दी कमीने ……………नंदू………….बदमाश……..ऐसे घुसेड़ा जाता है क्या किसी औरत की गांड में लंड. ऐसा लग रहा है जैसे गांड में बेहद गरम लोहे की रोड दाल दी हो. और अभी भी कितना दुःख रहा है…….उन्न्न्हह्ह्हह्ह्ह्ह हुन्न्न”.

उधर मुन्ना काका ने भी रुबीना दीदी के मस्त चूतडों को पकड़ कर कई ज़ोरदार धक्के एक के बाद एक मारे और अपने गरम ऐंठे हुए लंड को जड़ तक रुबीना दीदी की गांड में फिट कर दिया. मुन्ना काका के इतने ताकतवर धक्को ने रुबीना दीदी के मुंह से चीखें और आँखों से आंसू निकाल दिए. रुबीना दीदी की हालत ख़राब हो गयी थी.

“ऊऊईईईईईईईईईम्मम्मम्माआआआआआआआआआआआअ …. देखो न मुन्ना काका ने मेरी गांड का क्या हाल कर दिया…उन्न्ह्…उन्न्हूउ… …उन्न्ह्…उन्न्हूउ… …उन्न्ह्…उन्न्हूउ… …उन्न्ह्…उन्न्हूउ… …उन्न्ह्…उन्न्हूउ… …उन्न्ह्…उन्न्हूउ…………..मुझे नहीं मरवानी गांड……अम्मी बोलो न मुन्ना को मेरी गांड से लंड बाहर निकलने के लिए….. …उन्न्ह्…उन्न्हूउ… …उन्न्ह्…उन्न्हूउ…मुझे बड़ा दर्द हो रहा है.” रुबीना दीदी ज़ोर ज़ोर से सीसक रहीं थी.

क्या नज़ारा था……….. रुबीना दीदी एकदम नंगी थी, घोड़ी बनी सुबक रहीं थीं और उनकी गांड में लगभग 8 इंच लम्बा और बेहद मोटा नाग जड़ तक अंदर घुसा पड़ा था. और उधर अम्मी ठीक दीदी के बगल में उनसे चिपकी हुई घोड़ी बनी हुई थी.

और उनकी गांड में भी जवान नंदू का लंड ऐसे घुसा हुआ था जैसे कोई तलवार पूरी की पूरी अपनी म्यान में घुसी हो और मुन्ना काका और नंदू दोनों बिलकुल स्थिर खड़े अपनी अपनी घोड़ियों के नंगे चूतड़ सहला रहे थे और दोनों की आँखें मज़ा से बंद थीं। अम्मी रुबीना दीदी से बोलीं।

“पगली ऐसा होता है………अब चुदाई का मज़ा लेना है तो थोडा दर्द तो सहना ही पड़ेगा. तुझे क्या लग रहा है कि मुझे दर्द नहीं हो रहा. मेरी भी जान निकाल दी इस नंदू ने. पर अब थोड़ी देर में कितना मस्त कर देंगे ये दोनों हम माँ बेटी को मैं तो ये ही सोच के रोमांचित हो रहीं हूँ. मुझे नंदू से गांड मरवाने में बड़ा आनंद आता है रुबीना।

कमीना खूब उतावला होके ऐसे चोदता है जैसे फिर कभी चोदने को न मिलेगी गांड. मुन्ना तो एक लम्बे अरसे से मेरी गांड चोद रहा है इसलिए वो बड़ी तस्सल्ली से और बिना उतावला हुए चोदता है. पर नंदू ने तो अभी पिछले महीने से ही गांड मारनी शुरू की है. उसकी हसरतें बिलकुल नई हैं और वो बहुत उतावला भी रहता है. मुन्ना के मुकाबले बड़े ही अलग तरह का मज़ा आता है ऐसे उतावला जवान लौंडे से गांड चुदवाने में”.

अम्मी इतना कह कर रुबीना दीदी के चेहरे पे फेले आंसू चाटने लगीं. जीभ से दीदी की हलकी सी सिसकी निकली जिससे दीदी को थोड़ा आराम मिला और दीदी भी अम्मी को चूमने लगी.

“अभी मत चोद नंदू…….थोड़ा लंड की सिकाई हो जाने दे….नहीं तो जल्दी ही पिचकारी छोड़ देगा तेरा लंड. अब जब लंड घुसेड़ा है तो कम से कम घंटे भर तो चोदना बनता है.” नंदू हलकी हलकी ठुमकी लेने लगा तो अम्मी ने उसे मना किया.

“हाँ नंदू सलमा ठीक कह रही है……..पहले अपने लंड को अच्छे से सेक ले फिर चोदना……… देख कितना मज़ा आएगा और काफी देर तक चोद सकेगा तू अपनी इस पसंदीदा गांड को. 10-15 मिनट ऐसे ही गांड में दाल के रख लंड को ताकि लंड की अच्छे से सिकाई हो जाये और तेरे लंड का तापमान भी सलमा की दहकती गांड जितना हो जाये.” मुन्ना काका ने भी नंदू को समझाया।

“चाचा सच में बड़ी गरम और गोश्त से भरी गांड है सलमा मालकिन की तो. मैं तो मरा जा रहा हूँ अब इसे चोदने के लिए……उफ्फ्फ्फ़ कितने मादक चूतड़ हैं” नंदू मज़ा से पगला रहा था और अब ज़ोरों से चोदना चाहता था।

“अबे मान जा मेरी बात नहीं तो सही कह रही है सलमा कि थोड़ी देर में ही ढेर हो जायेगा. तुझे क्या लग रहा है कि इस लंगड़ी की गांड क्या कम गरम है. साला ऐसा लग रहा है जैसे उबले हुए तरबूज़ में लंड दाल दिया हो……..ओह्हन्न्न्न ………कुतिया की गांड जैसे सुलघ रही है अंदर से.

पर मैं भी तो बस लंड घुसेड़े अपने लौड़े की सिकाई कर रहा हूँ ताकि मेरे लंड का तापमान भी इस रंडी की गांड जितना हो जाये. अगर अभी से इस कुतिया की गांड चोदना शुरू कर दिया तो लंड 10 मिनट में उबाल खा के इसकी गांड में मांड भर देगा. यहीं तो लोग मात खाते हैं नंदू.

लोग नहीं जानते की औरत की गांड कैसे मारी जाती है. तू खुद सोच कि अगर 5 -10 मिनट में ही मर्द औरत की गांड में झड़ जाये तो औरत को क्या मज़ा आएगा. वो तो यही सोचेगी कि बेकार ही इतना दर्द सहना पड़ा और फिर वो कभी भी गांड नहीं मरवाना चाहती.

अगर 15 मिनट औरत ने इतना दर्द सहा है तो कम से कम घंटा-डेड घंटा उसे मस्ती भी तो मिलनी चाहिए. है कि नहीं?? बस १० मिनट तक और पड़ा रहने दे अपने लंड को इस रांड की उबलती गांड में फिर देख कैसे जी उठेगा तेरा लंड और कम से कम घंटे भर तक टिका रहेगा मैदान में.”

मैं ये देख कर हैरान थी कि भले ही रुबीना दीदी और अम्मी को बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उन दोनों की ही गांड में बड़े ही भयंकर और मोटे लंड जड़ तक घुसे पड़े थे पर फिर भी दोनों में से कोई भी लंड को बाहर निकालने की कोशिश भी नहीं कर रहीं थीं. मुन्ना और नंदू दोनों उनकी गांड में लंड फंसाए आहें भर रहे थे और अपनी अपनी कुतियों के नंगे चूतड़ सहला रहे थे.

उधर भोंदू रम्भा काकी की अभी तक गांड चोद रहा था. वो तो सोफ़े के ऊपर ही चढ़ गया था और उसने रम्भा की चुटिया पकड़ रखी थे जैसे वो कोई कुतिया हो. और रम्भा काकी तो जैसे ज़ोर ज़ोर से ज़ाहिर कर रहीं थी कि उन्हें भोंदू का इस तरह गांड मारना कितना मज़ा दे रहा था.

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भोंदू जितना ज़ोर से उनकी मस्त ठुकी हुई गांड में धक्का मारता काकी को उतना ही आनंद आता. भोंदू जितना ज़ोर से चुटिया खींचता काकी को उतना ही ज्यादा मज़ा आता. वैसे आम तौर पे सर के बाल खींचने पे बड़ा दर्द होता है. अगर कोई मजाक में भी आपके बाल खींच दे तो उसे चांटे मारने का मन करता है.

इसलिए मैं उस समय यही सोच रही थी कि भोंदू इतनी ज़ोर से काकी की चुटिया पकड़कर खींच रहा है और काकी दर्द की बजाए मज़े से चिल्ला रही हैं. पर अब मुझे समझ में आया कि ज्यादातर लड़कियों और औरतों को चुदाई के वक़्त अपने सर के बाल ज़ोरों से खींचवाने में बड़ा मज़ा आता है. मर्द जब चोदते वक़्त बाल खींचते हैं तो चुदाई का मज़ा डबल हो जाता है.

ये मैं अपने एक्सपीरियंस से कह रहीं हूँ. और शायद लड़कों को भी इस तरह चोदने में मज़ा आता है. लड़के भी ज्यादातर तो लड़कियों को घोड़ी बनाकर या कुतिया स्टाइल में चोदना पसंद करते हैं. मुझे भी कुतिया स्टाइल में चुदना बहुत पसंद है. हालाँकि अगर मस्त मंझा हुआ मर्द हो तो हर आसन में चुदाई का मज़ा आता है पर चुदते टाइम बाल खींचवाने का मज़ा तो कुतिया स्टाइल में ही आता है।

मैं स्टोरी पे वापस आती हूँ. अब मुन्ना काका और नंदू के चूतड़ धीरे धीरे हिलने लगे थे और उनके लंड रबीना दीदी और अम्मी के गांड में अंदर बाहर होने लगे थे। रुबीना दीदी ज़ोरों से कर्राह उठी जैसे ही मुन्ना काका के लंड ने उनकी गांड चोदनी शुरू की.

उधर अम्मी भी फिर से चीखने लगीं पर अब उनकी बीच बीच में आनंद भरी सिसकी भी निकल रही थी खासकर तब जब नंदू अपने लंड को उनकी गांड में अंदर घुसाता. लंड के बाहर निकलने पे अम्मी “ऊउईईईईईईईईईई” करतीं और लंड के वापस अंदर जाने पे “आःह्ह्ह” करतीं.

पर रुबीना दीदी अभी भी “उनन्न्हू”… “उनन्न्हू”… “उनन्न्हू”… “उनन्न्हू”…कर रहीं थीं. पर मुन्ना काका और नंदू अब पुरे मस्त हो चले थे. नंदू तो बस 10 मिनट के बाद ही अम्मी की गांड को आधे से भी ज्यादा लंड बाहर निकाल कर ज़ोरों से चोदने लगा था.

अम्मी की गांड में उसने बहुत सारा मक्खन जो भर दिया था अपना लंड डालने से पहले जिसकी वजह से नंदू की घोड़ी की गांड 10 मिनट की चुदाई में ही रवां हो गयी और नंदू का लंड आधे से भी ज्यादा गांड से बाहर आकर बार बार अम्मी की गांड पे पूरा घुस रहा था. अम्मी अब मज़ा से बहकनी शुरू हो गयीं थीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“आआअह्ह्ह्ह …………नंदू……………ऊऊऊह्ह्ह्ह……….ऐसे ही………..उफ्फ्फफ्फ्फ़…….कितनी मस्ती आ रही है……आआह्ह्ह…….नन्न्न्नंदु………ऐसे ही………ऊऊऊउहहहहहहहह……चोद दाल इन पपीते जैसे चूतडों को………..आःह्ह्हह्ह्हह्ह्ह्ह ………. मेरे चूतडों पे थप्पड़ मार……….उफ्फ्फ्फ़………..मुझे रंडी की तरह चोद……..नंदू………ज़ोर से अम्म्मी्म्म्म्मी्म््म्मी्म्म्म्मी्म आह” अम्म्मी अब मस्त्ती में आ गई थी।

तभी मुझे रुबीना दीदी की मस्ती भी सुनाई पड़ी।

“ओह्ह्ह्हह……….मुन्ना काका…………कितना मोटा है तुम्हारा लंड………उन्न्न्हह्ह………ज़ोर से चोदो अब………..मैं मरी जा रही हूँ.” रुबीना दीदी को मज़ा आने लगा था पर उनके चेहरे से लग रहा था कि रुबीना दीदी को अभी भी काफी दर्द हो रहा था. मुन्ना काका का लंड वाकई बहुत मोटा था.

पर दीदी की गांड अब लंड को थोड़ी जगह दे रही थी और मुन्ना काका भी लंड को दीदी की गांड से 3-4 इंच तक बाहर निकाल कर चोद रहे थे. मुन्ना काका अभी भी लगातार अपने गांड चोदते लंड पर थूके जा रहे थे और रुबीना दीदी भी बीच बीच में कुछ थूक अपने हाथ में लेकर अपनी चुदती गांड पर मल देती थीं.

ऐसा करने से दीदी की गांड भी कुछ देर में रवां हो गयी और पूरी फेल कर मुन्ना काका का लंड निगलने लगी. काका पूरा लंड दीदी की गांड से बाहर निकाल देते बस लंड की नथुनी ही दीदी की गांड में घुसी रहती और फिर काका ज़ोर से लंड को पूरा दीदी की गांड में घुसा देते।

“आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्………….काकाआआआआ………….” लंड घुसते ही रुबीना दीदी की मस्ती मुंह से बाहर आने लगती।

“ओह्ह्ह…..चाचा कितना आनंद आ रहा है सलमा की गांड मारने में…………….उफ्फ्फ्फ़…….चाचा कितनी फ़ोकी है मालकिन की गांड………….बड़ा मज़ा आ रहा है चाचा…. “चटाक” “चटाक” “चटाक” “चटाक” “चटाक” “चटाक”……….ये ले रंडी……….ह्हुन्न्न……चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक….. ……चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक….. ……चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक….. ……चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक….. ……चल मेरी घोड़ी तिक तिक तिक…..”

नंदू अम्मी की गांड पे थप्पड़ मारने लगा और उनकी चुटिया ज़ोर से पकड़ ली. वो अब ज़ोरों से गांड को चोद रहा था. अपने पंजों पे खड़ा होके खूब उछल उछल के गांड चोद रहा था. चुटिया तो ऐसे पकड़ रखी थी जैसे अपनी घोड़ी की लगाम पकड़ रखी हो. चुटिया पकड़ने से अम्मी का चेहरा ऊपर की तरफ हो गया और वो मज़ा से “हाय”….. “हाय” कर उठी और बड़ी ज़ोर से झड़ गयीं. वो शायद पहले भी कई बार झड़ गयीं थी पर इस बार तो उनकी चीख़ निकल गयी।

“आआआआआआआआआआअ ………मैं गयी नंदू………..”

“चटाक” “चटाक” “चटाक”……..नंदू अम्मी की नंगी गांड पे और ज़ोर से तमाचे लगाने लगा जिससे झड़ते वक़्त उनकी मस्ती और बढ़ गयी. ये तो सभी चुदी हुई औरतें जानती हैं की झड़ते टाइम अगर मर्द चूतडों पे थप्पड़ मारता है तो औरत जैसे हवा में उड़ती हुई झड़ती है।

फिर नंदू ने एकदम से अपने लंड को गांड से बाहर निकाल लिया. लंड पूरा मक्खन में सना था और अम्मी की गांड से भी मक्खन बह कर बाहर आने लगा था. फिर नंदू पीछे से घूम कर अम्मी के चेहरे के सामने आ गया और अपने लंड को उनके चेहरे पे रख दिया.

और उसके बाद जो अम्मी ने किया वो देखकर मैं हैरान रह गयी. उन्होंने अपनी गांड के रस में भीगे उस लंड को अपने मुंह में दबा लिया. तब तक मैंने कभी लंड नहीं चूसा था. मैं अभी 4 दिन पहले ही पहली बार हीरा काका से चुदी थी पर मैंने काका का लंड नहीं चूसा था.

हालाँकि मैं इससे पहले भी रुबीना दीदी और अम्मी को लंड चूसते देख चुकी थी पर अब मेरे होश उड़ गए थे क्योंकि नंदू का लंड अभी अभी गांड चोद कर बाहर निकला था और उसी लंड को अम्मी ने बिना पोंछे ही मुंह में दबा लिया और ऐसे चूस रहीं थीं जैसे कोई शहद में लिपटी कुल्फी हाथ लग गयी हो.

और मेरे तोते तो जब उड़ गए जब अम्मी ने कुछ देर लंड को चूस के रुबीना दीदी के मुंह के आगे कर दिया जो कि अम्मी के साथ ही घोड़ी बनी मुन्ना काका से अपनी गांड मरवाने के आनंद में डूबी थी. मुन्ना काका रुबीना दीदी की गांड को मक्खन की तरह बिलों रहा था.

और दीदी आखें बंद करके उस आनंद में डूबी थी जब अम्मी ने नंदू का लन्ड अपनी गांड से निकाला और दीदी के मुंह से भिड़ा दिया और कहा “ले रुबीना चूस ले इस गुलाबजामुन को”………और रुबीना दीदी ने मुस्कुरा कर नंदू का लंड अपने मुंह में भर लिया।*

मुझे लगा जैसे रुबीना दीदी आनंद में ये भूल गयीं कि ये लंड अभी अभी एक गांड को चोद कर बाहर निकला है पर तभी दीदी ने कहा “ओह्ह्ह्ह……….अम्मी कितना खट्टा मीठा है तुम्हारी गांड का रस….. उन्न्ह्ह….. पुन्छ्ह… पुन्छ्ह… पुन्छ्ह…” और दीदी लंड को ऐसे चूसने और चाटने लगीं जैसे सचमुच की रसमलाई हो.

तब मुझे पहली बार एक लंड चूसने का मन किया. जब गांड में से निकले इस गंदे लंड को रुबीना दीदी और अम्मी ने इतने चाव से चूस रहीं हैं तो सच में लंड चूसने में कुछ तो मज़ा आता होगा. क्योंकि मैं देख रही थी कि रुबीना और अम्मी लंड को बारी बारी से चूस रहीं थीं और हर तरफ से चाट रहीं थीं. उनका उतावलापन बता रहा था कि उन्हें लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

“उन्न्न्हह्ह ….सारा रस ख़तम हो गया हो अम्मी………..फिर से इसे अपनी गांड में डालो ना……. पुन्छ्ह… पुन्छ्ह… पुन्छ्ह…” रुबीना ने नंदू के लंड को प्यार से चूसा और फिर पुचकार के छोड़ दिया।

नंदू ने फिर से अम्मी के पीछे आकर उनकी फूलती पिचकती गांड में फिर से लंड दाल दिया और चोदने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे लंड अम्मी के पेट में घुस गया हो. नंदू अपने लंबे लंड को पूरा का पूरा अंदर बाहर कर के गांड चोदने का मज़ा ले रहा था. फिर नंदू ने लंड को गांड से निकल कर अम्मी की गीली चूत में दाल दिया. अम्मी एकदम से कांपती हुई झड़ गयीं.

लंड चूत में घुसा होने के बाद भी अम्मी की चूत का पानी किसी बौछार की तरह निकला और नंदू की जांघें भी भीग गयीं. नंदू ने फिर से लंड गांड में दाल दिया और 7-8 धक्के मार कर लंड निकल कर सीधा रुबीना दीदी के मुंह के आगे लंड लेके खड़ा हो गया. रुबीना दीदी ने तुरंत लंड मुंह में दबा लिया और चूसने लगीं।

“देखो ना चाचा………तुम्हारी घोड़ी मेरी घोड़ी की गांड से निकले लंड को कैसे चूस रही है. उफफ्फ्फ्फ़…….कितना मस्त है ना ये सीन…..चूस रुबीना चूस……..”

फिर नंदू की देखा देख मुन्ना काका भी अपना लंड रुबीना की गांड से निकाल कर सलमा के मुंह में दाल दिया. उसने कई बार पहले भी ऐसी हरकत की थी कि जब वो दो या दो से ज्यादा औरतों को चोदता था तो उन औरतों को एक दुसरे की गांड से निकले लंड को चुसवाता था.

पर उसे औरतों की इस काम के लिए तैयार करने में काफ़ी महनत करनी पड़ती थी. पर आज वो रुबीना और अम्मी के साथ ऐसा पहली बार कर रहा था. इससे दोनों मस्त हो गए और बार बार गांड चोद के लंड को अम्मी और दीदी को चूसने को देते.

करीब आधे घंटे वो लोग ऐसे ही करते रहे. गांड चोद कर दीदी या अम्मी को झड़ाते और फिर गांड से निकले लंड को आगे जाकर रुबीना और अम्मी को चूसने को दे देते. पर वो लोग गांड का अदला बदला नहीं कर रहे थे। नंदू अम्मी की गांड ही चोद रहा था और मुन्ना काका रुबीना दीदी की. हाँ लंड दोनों का अम्मी और दीदी दोनों मिल कर चूस रहीं थीं।

उधर भोंदू भी ज़ोरों से रम्भा काकी को अब कूद कूद कर चोदने लगा था. वो शायद झड़ने वाला था. और अगले ही पल भोंदू ज़ोर से गुर्राया और रम्भा काकी की गांड में लंड पूरा घुसेड़ कर उनकी गांड से ज़ोरों से चिपक गया. उसका पूरा जिस्म झटके खा रहा था. मैं समझ गयी कि भोंदू का मैच ये आखिरी छक्का मार कर ख़तम हो गया.

भोंदू लगभग दो मिनट तक इसी तरह रम्भा काकी पे चढ़ा हुए झड़ता रहा। मैं बड़े ग़ोर से भोंदू और रम्भा काकी को देख रही थी. झड़ने के बाद भोंदू सावधानी से काकी के ऊपर से उतरा और अपने घुटने सोफे पे टिका दिए पर लंड अभी भी काकी की गांड में रहने दिया. वो दोनों बड़ी सावधानी बरत रहे थे.

“ऊपर उठा गांड रंडी…….. ‘चटाक’”…….भोंदू ने ज़ोर ने रम्भा की गांड पे थप्पड़ मारा और अपने हाथ से काकी की कमर को नीचे दबाने लगा जिससे काकी की गांड हवा में काफी ऊँची उठ गयी।

“ओह्ह्ह्ह…….भोंदू…..एक बूंद भी ख़राब मत करना …… कटोरी में भर दे……”

मैं समझ नहीं पा रही थी कि रम्भा काकी क्या बोल रहीं थीं।

“वो सामने पड़ा रुमाल उठा कुतिया……..रुमाल ठूंसना पड़ेगा नहीं तो जब तक किचन से कटोरी लाऊंगा तो बहा देगी तेरी गांड.” भोंदू रम्भा के सामने पड़ा रुमाल उठाने के लिए बोला.

रम्भा काकी ने झट से रुमाल उठा कर भोंदू को दिया. भोंदू ने रुमाल लिया और उसे अपनी एक ऊँगली पे लपेट लिया. फिर उसने धीरे से अपने लंड को काकी की गांड से बाहर खीचना शुरू किया. मुझे समझ नहीं आ रहा था की भोंदू अब कर क्या रहा है. हीरा काका तो झड़ने के बाद मुझे कपड़े पहनाकर घर भगा देते थे.

पर भोंदू का लंड जैसे ही काकी की गांड से बाहर आया भोंदू ने तुरंत अपनी रुमाल से लिपटी ऊँगली काकी की गांड में दाल दी और फिर अपनी ऊँगली से रुमाल को आधे से ज्यादा उनकी गांड के अंदर सरका दिया. काकी की गांड में रुमाल ठूंसने के बाद भोंदू भाग कर रसोई में गया और एक कटोरी और एक गाजर ले आया.

फिर वो ताज़ी चुदी और अभी भी घोड़ी बनी हुई रम्भा काकी के पीछे जाकर सोफे पर बैठ गया और उसने गाजर सोफे पर रख दी. फिर उसने कटोरी को काकी की चुदी हुई गांड के ठीक मुंह पर लगा दिया और काकी की गांड में फंसे रुमाल को खींच कर निकाल दिया.

रुमाल निकलते ही मैं समझ गयी कि वो क्या कर रहा था. क्योंकि रम्भा काकी की गांड से चावल के मांड जैसा गाढ़ा वीर्य निकलकर बहने लगा. 5-10 मिनट तक काकी गांड को भींच भींच के अपनी गांड में भरे भोंदू के वीर्य को निकालती रहीं और भोंदू उसे कटोरी में जमा करता रहा.

फिर जब वीर्य निकलना बंद हो गया तो भोंदू ने कटोरी हटा ली और उनसे फिर से उस रुमाल को काकी की गांड में घुसेड़ दिया पर इस बार उसने रुमाल को उस गाजर पर लपेटकर गाजर समेत ही रम्भा काकी की गांड में काफी अंदर घुसा दिया. उसके बाद भोंदू कटोरी लेके रम्भा के चेहरे के पास जाके बैठ गया और रम्भा को कटोरी सुंघाने लगा.

कटोरी सूंघते ही रम्भा काकी मदहोश सी होने लगीं और एक हाथ से भोंदू के हाथ से कटोरी लेने की कोशिश की. पर भोंदू ने काकी का हाथ हटा कर वापस सोफे पर रख दिया और फिर जो किया उसे देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए. उसने अपनी दो उंगलियाँ कटोरी में भरे वीर्य में डुबोयीं और फिर उन उँगलियों को उसने रम्भा काकी के होंठों पे लगा दिया.

ढेर सारा वीर्य काकी के होंठों पे लग गया और काकी ने अपनी जुबान बाहर निकाल कर अपने होंठ चाट लिए. मैंने कई बार रुबीना और अम्मी को चुदाई के बाद अपने जिस्म पे गिरे वीर्य को चाटते देखा था पर ये नहीं पता था मुझे कि वीर्य इतना स्वादिष्ट होता है कि औरत इस हद तक जा सकती है कि अपनी बुरी तरह चुदी गांड में भरे हुए वीर्य को भी बाहर निकाल कर चाट सकती है. तब मुझे काकी के उन शब्दों का मतलब समझ आया।

“ओह्ह्ह्ह…….भोंदू…..एक बूंद भी ख़राब मत करना …… कटोरी में भर दे……”

भोंदू बार बार अपनी उँगलियाँ कटोरी में डालता और उँगलियों पे लगे रम्भा की गांड से निकले सफेद मांड को रम्भा को चटा रहा था. राभा उस गंदे वीर्य को ऐसे चाट रही थी जैसे गुलाबजामुन की चाशनी हो. उधर मुन्ना काका की ज़ोरों की गुर्राहट सुनकर जब मैंने मुन्ना काका और रुबीना दीदी की तरफ देखा तो मुन्ना काका बुरी तरह दीदी की गांड से चिपका हुआ था.

वो अपने पंजों पे खड़ा था और उसका पूरा शरीर झटके खा रहा था. रुबीना की चूत भी पानी बहा रही थी. मुन्ना काका दीदी की गांड में झड़ रहा था और शायद मुन्ना काका के इतनी बुरी तरह से झड़ने की वजह से दीदी भी झड़ने लगीं थीं. 2 मिनट तक झटके लेकर झड़ने के बाद मुन्ना अगले 5 मिनट तक दीदी से चिपका रहा. रुबीना पूरी तरह से संतुष्ट दिख रहीं थी.

“मज़ा आया रुबीना बेबी ?”

“ओह्ह्ह्ह……..मुन्ना काका आज तो सच में मस्त कर दिया तुमने. आज से पहले कभी भी मुझे गांड मरवाने में कुछ ख़ास मज़ा नहीं मिला था. आज तो जैसे में हवा में ही उड़ रही थी. आज तो मन कर रहा है कि तुम पुरे दिन मेरी गांड मारो. नंदू तो बड़ा दर्द देता है काका.”

“बेबी चोदते टाइम जो गालियाँ मैंने तुम्हे दी उसके लिए मुझे माफ़ करना.”

“कैसी बात करते हो काका…………..गालियाँ सुनते हुए चुदवाने में तो बल्कि दुगना मज़ा आता है. तुम जब भी मुझे चोदा करो तो खूब गालियाँ दिया करो और ये कभी मत सोचना कि मैं बुरा मान जाउंगी. बल्कि अगर तुम चाहो तो मुझे कभी भी गाली दे दिया करो. बस फातिमा के सामने मत देना। बाकी तो अब कोई राज़ यहाँ किसी से नहीं छुपा.”

“मेरी गुड़िया…….’पुन्छ्ह’” मुन्ना काका ने झुक कर रुबीना दीदी की गर्दन पर चूमा और फिर धीरे धीरे दीदी के बाल सवारने लगे. उन्होंने दीदी की गांड चोदते टाइम दीदी की बालों को नोंच कर और खींच कर बुरी तरह उलझा दिया था. मुन्ना काका का लंड अभी भी दीदी की गांड में घुसा हुआ था और ढीला होने लगा था.

“बेबी ज्यादा ज़ोर से तो नहीं खीचें न मैंने तेरे बाल…..?”

“नहीं काका………बल्कि तुम जितना ज़ोर से मेरे बाल खींच रहे थे मेरी गांड में उतनी ज्यादा मस्ती आ रही थी……थैंक यू काका………आई लव यू…………अब जल्दी से मेरी गांड से अपना लंड निकालो और थोड़ी देर मुझे चूसने दो अपने वीर्य में सने चूहे को……” मैं ये सुन के हैरान हो गयी की रुबीना दीदी भी वीर्य चखना चाहती थीं.

तभी अम्मी बोलीं।

“अरे मुन्ना मुझे भी थोड़ा चखाना अपनी मलाई……..और ज़रा ध्यान से…….लंड निकालके तुरंत अपने अंगूठे से इसकी गांड का ढ़क्कन बंद कर देना नहीं तो ये पगली इतनी कीमती मलाई उस दिन की तरह फ़र्श पे गिरा देगी. और लंड निकाल के मेरे मुंह में दाल दे.” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“नहीं अम्मी…..लंड तो काका का मैं ही चुसुंगी. गांड मेरी चुदी है और लंड की मलाई आप खाओगी. उन्होंने मेरी गांड चोदी है इसलिए उनका वीर्य भी सिर्फ मेरा ही है. और मेरी गांड में भरा वीर्य भी सिर्फ मेरा है. उस वीर्य को भी मेरा मुन्ना काका इसी तरह मुझे पिलाएगा जैसे उधर भोंदू भैया रम्भा काकी को पिला रहे हैं.”

“ओह्ह……रुबीना ऐसा मत कह ……….. तू भी मेरे नंदू का वीर्य थोडा सा चाट लेना जब वो मेरी गांड मर लेगा तो……….”

अम्मी दीदी से काका का वीर्य मांग रहीं थी और नंदू से बड़ी ज़ोरदार तरीके से चुद भी रहीं थी. अम्मी की गांड इतनी रवां हो गयी थी कि नंदू का लंड जब ज़ोरों से उनकी गरम, नंगी गांड चोद रहा था तो गांड में से अब बहुत आवाज़ आ रही थी जैसे कि अम्मी पाद रहीं हो.

इसे भी पढ़े – लौंडिया बाज़ दोस्त ने मेरी कजिन को पेल दिया

मुझे बाद में पता चला की इन्हें “मीठे पाद” कहते है क्योंकि इनमे बदबू नहीं आती पर आवाज़ बहुत आती है. और अगर मर्द बहुत सारा थूक लगा कर गांड चोद रहा होता है तब तो इन मीठे पादों में बहुत ज्यादा आवाज़ आती है. इतनी आवाज़ आती है कि अगर एक कमरे में औरत की गांड चोदी जा रही हो तो दुसरे बंद कमरे में भी उसकी चुदती गांड से निकलते मीठे पाद सुने जा सकतें हैं. गांड से मीठे पाद तब ही निकलते हैं जब गांड को खूब तबियत से चोदा जाता है और गांड बिलकुल रवां हो जाती है.

और मज़े की बात ये है कि जब मर्द को गांड चोदते टाइम औरत की गांड से मीठे मीठे पादों की इतनी सुरीली आवाज़ सुनाई देती है तो वो भयंकर तरीके से उत्तेजित हो जातें हैं और गांड को और भी ज़ोर लगा कर चोदने लगते हैं। “ओह्ह्ह…..चाचा देखो न कैसे पादने लगी है चुदने से इस रंडी की गांड. हाय्य्य्य ……. कितना पाद रही है मेरी रांड……बड़ा मज़ा आ रहा है इस तरह की पादती हुई गांड चोदने में.” नंदू बुरी तरह गांड चोद रहा था अम्मी की।

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  1. Rajveer says

    दिसम्बर 12, 2024 at 9:36 अपराह्न

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