Bhabhi Bur Sex Kahani
मेरा नाम समीक्षा है मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। मैं गाँव में रहती हूँ हॉट हु सेक्सी हूँ। बड़ी बड़ी गोल गोल पर टाइट चूचियां है। गोल गांड और मोटे जांघ परन्तु कमरे बहुत पतली ही गोरी हूँ लम्बी चौड़ी और सुन्दर हूँ। जवानी भरपूर है इसलिए जब भी कोई मुझे आगे से देखता है उसकी नजर मेरी चूचियों की उभार पर होता है और जो मुझे पीछे से देखता है उसकी नजर मेरी गांड को गोलाई पर होता है। Bhabhi Bur Sex Kahani
मुझे कोई देख ले और मुझे रात में याद नहीं करे जब वो इंसान अपनी बीवी को चोदता है ऐसा हो नहीं सकता है। यानी को जब वो अपनी बीवी को चोदेगा या अपनी गर्लफ्रेंड को चोदेगा तो मुझे याद करेगा क्यों की मैं सेक्स की मल्लिका हूँ। पर मुझे एक साल से चुदाई का मौक़ा नहीं मिल पाया जब की दो साल ही मेरी शादी को हुआ है।
मेरे पति अमेरिका में है और कंपनी में अफसर है। तो मैं अपनी ससुराल में ही रहती हूँ। घर में माँ पापा के अलावा मेरा एक देवर है जो दिल्ली में पढाई करता है। पर दशहरा में घर आया और और भी ये कांड हो गया। और ये बात कल की ही है और मैं कैसे चुद गयी अब बता रही हूँ।
पापा मम्मी निचे फ्लोर पर रहते हैं। मेरा कमरा ऊपर फ्लोर पर है और वही पर देवर जी का भी कमरा है। कल व्रत खोली और खाना खाई तो मेरा पैर और शरीर में काफी दर्द होने लगा था। और मेरे सर में भी काफी दर्द हो गया था। तो ऊपर जल्दी ही अपने बेड पर आ गयी।
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देवर जी खाना खाकर अपने दोस्त के पास चले गए और वो वह से करीब ११ बजे रात में आये तब तक मम्मी पापा सो गए थे। वो दोनों जल्दी हो जाते हैं। मैं जगी थी। वो मेरे कमरे में आये तो देखे की मैं थोड़ी परेशां हूँ। उन्होंने पूछा की क्या हुआ भाभी तो बता दी की व्रत के चलते ही पेन हो रहा है पुरे शरीर में।
वो बोले मैं बाम लगा देता हूँ। मैं मना करते रही फिर भी वो अलमीरा से बाम निकाल लिए और आ कर मेरे सर पर लगाने लगे। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था मैं लेटी थी और वो बैठे थे बेड पर। धीरे धीरे मैं निढाल हो गयी और हाथ पैर फैला दी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उनका सहलाना।
और मैं कपडे भी ऐसी पहनी थी जो सेक्स थी पिंक कलर की नाईटी। उसपर भी मैं ब्रा नहीं पहनी थी। वो मेरी गोल गोल चूचियां बड़ी बड़ी चूचियां साफ़ साफ़ दिख रही थी। नाईटी के ऊपर ही मेरे निप्पल का साइज तक दिख रहा था और चूचियाँ तो साफ़ साफ़।
तो उनका मन शायद डोल गया और बिच बिच में वो मेरी चूची को छूने लगे। पहली बार तो मुझे लगा की गलती से हो गया होगा पर बाद में ऐसा लगा की नहीं वो जानबूझकर कर रहे हैं। क्यों की एक बार मैं अपना हाथ उनके लंड पर लगाई जानबूझ कर ताकि उनको लगे की गलती से लग गया।
तो महसूस की लंड उनका काफी टाइट हो गया था। मैं समझ गयी वो क्या चाहते हैं। मैं आँख खोल कर देखि तो वो बोले अब कैसा लग रहा है। मैं क्या बोलती मैं तो अब दो बीमारी से ग्रसित हो गयी अब वासना की भी लग चुकी थी। मैं बोली। सर का दर्द तो खत्म हो गया पर पुरे शरीर में दर्द हो रहा है।
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तो वो बोले मैं तेल लगा दूँ। उनकी बात में लड़खड़ाहट थी। मैंने कहा नहीं नहीं माँ को पता चल जाएगा या किसी को पता चल जाएगा तो वो क्या कहेंगे और मैं मुश्किल में आ जाउंगी। इतने में वो तेल ले आये और बोले किसी को नहीं पता चलेगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पैर में पहले तेल लगाए और मालिश किये फिर उन्होंने जांघ तक नाईटी उठाई और वह तक तेल लगाई। उनके हाथ लगत्ते ही मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गयी। और फिर उन्होने कहा मैं तो चाहता हु आपके पीठ में भी लगा दूँ पर कैसे लगाऊं।
दोस्तों अब असली खेल हुआ था शुरू। मैं बोली जब दरवाजा बंद ही कर दिए हो और ये भी कसम खाये हो कोई नहीं जानेगा और रात के एक बजने बाले हैं फिर क्या करना। मैं उल्टा हो गयी और बोली लगा दो तेल। उन्होंने मेरी नाईटी ऊपर कर दी गांड बड़ी बड़ी गोल गोल देखकर वो तो पागल हो गए।
हाथ थरथराने लगा उनकी बोली में भी थरथराहट हो गयी और हाथ काँप रहे थे मेरे जिस्म को देखकर। पीठ पर उन्होंने दो तीन बार ही बात फेरा होगा तेल लगा कर की उन्होंने तुरंत ही मेरी पेंटी में गांड की तरफ हाथ घुसा दिया और मेरी चूतड़ को सहलाने लगे।
अब वो दबाने लगा गांड को मैं उल्ट गई तो मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ देखकर वो पागल हो गए। उनकी आँख खुली ही रह गयी उन्होंने तेल हाथ में लिए और मेरी चूचियों पर लगाना शुरू कर दिया। अब तेल तो गया तेल लेने मेरी चूचियां तन गयी मेरे होठ लाल हो गए।
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मेरी आँख लाल लाल होने लगी। और फिर क्या करती मेरे जिस्म में ज्वाला भड़क गयी थी। मैं अपनी तरफ खींच लिया और उनका बाल पकड़ कर उनके होठ पर होठ रख दी और दोनों भी वाइल्ड हो गए। पागल हो गयी दोनों के लिप लॉक हो गए। मेरी बड़ी बड़ी चूचियां वो पकड़ पर दबाने लगे मैं लंड पकड़ ली।
तुरंत ही उन्होने अपने कपडे उतार दिए मैंने भी पेंटी निकाल दी और नाईटी ऊपर से बहार कर दी। वो मेरे ऊपर चढ़ गए पहले उन्होंने ऊपर से निचे तक मेरे जिस्म को अपनी जीभ से छाता चाहे कान हो गर्दन हो होठ हो चुकी हो निप्पल हो मेरी नाभि हो चुत हो चुत के बाल हो जांघ हो घुटना से पैर की उंगलि से तलवे तक।
इतने में भी मैं पागल हो गयी और मैं उनके लंड को अपनी मुँह में ले ली और चूसने लगी। अब वो निचे की तरफ और मैं ऊपर की तरफ वो अपनी लंड को मेरी मुँह में दे दिए और वो खुद अपना मुँह मेरी चुत पर ले गयी वो मेरी चाट रहे ते चुत और मैं उनकी लंड को चूस रही थी। ओह्ह्ह्हह्ह चूत से सफ़ेद सफ़ेद क्रीम निकलनी शुरू हो गयी।
मैं पागल हो गयी उनका लंड मेरे पति के लंड से मोटा और बड़ा था तो जल्द से जल्द अपनी चुत में चाह रही थी। मेरी चुत में अपना वीर्य डाले ताकि मेरी वासना को शांति मिल सके पर देवर जी मेरी चूत को चाटे जा रहे थे। वो अपनी उँगलियाँ डालते तो कभी जीभ डालते। ऐसा लगता था वो कुछ खोद पर मेरी चुत से निकाल रहे हों और फिर खा रहे हो।
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पर मेरे से रहा नहीं गया मैं अपना पैर फैला दी। और बोली मत तड़पाओ मेरी जान। वो भी अब मेरे पैर के बिच में आकर दोनों टांगो को अलग अलग किया. और फिर अपना लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर लगाया और जोर से घुसा दिया। पूरा लौड़ा मेरी चुत में समा गया। मेरी मुँह से सिर्फ आह आह आह आह ओह्ह्ह ओह्ह्ह की आवाज निकल रही थी। वो झटके देते तो मेरी चूचियां हिल जाती और मैं दो इंच ऊपर की और चढ़ जाती। और फिर वापस अपनी जगह पर जोर जोर से धक्के दे रहा था.
और मेरी चूत की गर्मी शांत हो रही थी। कभी वो मेरी होठ को चूसता तो कभी दूध पीता कभी गांड में ऊँगली डालता तो कभी वो मेरी बगल यानी कांख चाटता। ओह्ह्ह्हह्ह मजा आ रहा था। मजे ले रही थी दे रही थी। फिर मैं देवर को निचे कर के मैं ऊपर चढ़ गयी और उनका लंड चुत में और बैठ गयी। पूरा लंड मेरी चूत में समा गया और फिर चुदवाने लगी। हम दोनों एक दूसरे को पूरी रात खुश करते रहे। कभी ऊपर से कभी निचे से कभी लेट कर कभी बैठ कर। मेरी चूत को गर्मी करीब सुबह पांच बजे शांत हुए थी।
Santosh says
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Villain says
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