Sauteli Maa Ki Vasna
जब एक ही छत के नीचे अवैध रिश्ते पनपते हैं तो उन्हें या तो अंत तक निभाना पड़ता है या फिर उनका अंत अच्छा नहीं होता, ऐसा ही कुछ मेरे और मेरे सौतेले बेटे के बीच पनप गया, मैं विधवा हो गयी थी और मेरे बेटे की पत्नि चल बसी थी, मैं दीनदयाल की दूसरी माँ थी मेरे और दीनदयाल के बीच में करीब 10 साल का अंतर था मैं उससे 10 साल बड़ी थी पर वो मेरी बहुत इज्जत करता था. Sauteli Maa Ki Vasna
दीनदयाल पुलिस में था, इससे पहले कि मेरी गोद भरती मेरे पति यानि दीनदयाल के पापा भी चल बसे, दीनदयाल की उमर 32 साल की थी, मेरी चाहत थी की मैं अपने बेटे की दूसरी शादी करूँ पर वो हमेशा ना कर देता था. एक रात धीरे से उसके कमरे के बाहर करीब 11 बजे गई और खिड़की से जो देखा तो मेरा दिल धक धक करने लगा.
दीनदयाल गोल तकिए का सहारा लेकर बैठा हुआ था उसके बाएं एक किताब खुली हुई थी उसका तना हुआ लिंग देख कर मैं हैरान हो गई कि क्या दीनदयाल का हथियार इतना बड़ा हो सकता है उसने दायीं मुट्ठी में लिंग पकड़ रखा था और धीरे धीरे मुठ मार् रहा था। मैं भी काम उत्तेजित हो उठी।
फिर मुझे शरम आ गयी और मैं वापिस अपने कमरे में आकर दीनदयाल के बारे में सोचने लगी, मेरी नींद उड़ गई थी, सुबह जब वो ऑफिस चला गया मैने उसके बिस्तर के नीचे एक मैगजीन देखी जिसमे कई सुन्दर औरतें अपने गोपनीय अंगों को मसल रही थी, तो क्या मेरा बेटा रात को औरतों के निजी अंगों को देखता था.
मैने मैगजीन उठा ली और अपने कमरे में ले आयी, फिर मैं बिस्तर पर लेट कर शुरू से देखने लगी, उसमें ऐसे ऐसे सीन थे कि मुझे एक तंदरुस्त मर्द की जरुरत महसूस होने लगी, साथ ही मेरा सिर शर्म से झुक गया की मेरा जवान बेटा इतनी कामुक सोच रखता है, उसमे हर उम्र के मर्द और औरतें सम्भोगरत थे.
लड़कियां अधेड़ मर्दों से अपने कोमल जिस्म को रौंदने दे रही थी कई पिक्स में लड़कियों के गुप्तांग से सफ़ेद गाढ़ा वीर्य बाहर आ रहा था, मैं भी कल्पनाओं में खो गई की काश कोई मर्द मेरे गुप्तांग को भी अपने बड़े लिंग से थरथरा देता पर इस उम्र में मैं यह बात किसी से भी नहीं कह सकती थी.
कई पिक्स में जवान लड़के अधेड़ महिलाओं के जिस्म को रौंद रहे थे, मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मैने अपने सारे कपडे उतार दिए और ड्रैसिंग टेबल के सामने खड़ी हो गयी। मैं शीशे के सामने अपने गोरे बदन को घूमा घूमा कर देखने लगी, मैने लगभग २ हफ्ते पहले अपनी जांघों के बीच से बाल साफ करे, मेरे गुप्ताँग में जबरदस्त सुलसुलाहट होने लगी.
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तभी मेरे नीचे से 4-5 बूंद टपक पड़ी, मैने छटपटाते हुए अपनी दायीं जाँघ उठा कर इस आस में टेबल पर रख दी की कोई जवां मर्द मेरे गुप्तांग की आग को अपनी मोटी कड़क बड़ी इन्द्री से बुझा दे, और तब तक पेलता रहे जब तक मेरी पेशाब न निकल जाये, मुझे उन अधेड़ महिलाओं से जलन महसूस हो रही थी जो जवान लड़कों के लिंग से अपने गुप्ताँग को बजवा रही थी.
तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी आईडिया आ गया, की दीनदयाल भी तो औरत के बिना तड़फ रहा है क्यों न मैं भी घर में ही अति गोपनीय तरीके से दीनदयाल को उत्तेजित करके उसकी कड़क जवानी का आनन्द उठाऊँ? मैने वो किताब छिपा कर रख दी ताकि दीनदयाल को पता चल जाये कि मम्मी को पता चल गया है.
शाम को दीनदयाल आया और उसने किताब ढूंढी होगी दो दिन तक वो थोड़ा परेशां रहा कि किताब कहाँ गयी लेकिन तीसरे दिन उसके जाने के बाद किताब का वो पेज जिसमें एक अधेड़ महिला को डौगी स्टाइल में खुश कर रहा था मैने थोड़ा सा मोड़ दिया और फिर से उसी जगह रख दी अगले दिन वो अजीब सी नजरों से मुझे घूर रहा था.
अगले दिन सुबह मुझे उसी जगह वो किताब मिली और उसका वो पेज मुड़ा हुआ था जिसमें एक अधेड़ महिला एक जवान लड़के का लिंग चूस रही थी, दीनदयाल बहुत सेक्सी था मैं उसकी इच्छा समझ गयी, मैने उस दिन वैसे ही वो किताब रख दी लेकिन अगले दिन मुझे उसमे एक गुलाब का ताजा फूल मिला.
जिसे मैने निकाल लिया और शाम को उसमें चमेली का सफ़ेद फूल रख दिया मेने उसका प्यार स्वीकार कर लिया था, लेकिन अगले दिन जब वो ऑफिस चला गया तो उसमें एक मैनफोर्स का कण्डोम रखा हुआ मिला, मैं थोड़ी सी असहज हो गयी क्योंकि दीनदयाल मेरी असलियत जान चुका था.
और इसीलिये उसने कंडोम रख दिया था मैने सोचा कि क्यों न इस कहानी को यहीं ख़त्म कर दूँ पर फिर कंडोम देख कर मेरा बदन अंगड़ाईयाँ लेने लगा, और मेने कैंची से उसका मुंह काटकर कंडोम थोड़ा सा बाहर निकाल दिया, हम दोनों ने इस तरह अपनी अपनी इच्छा बता दी थी.
अगले दिन सुबह उस किताब में मुझे एक छोटा सा कागज का टुकड़ा मिला जिसे खोलते हुए मेरा दिल धक धक करने लगा उसमे लिखा हुआ था कि क्या ये काम पूरा हो जायेगा जो मैं सोच रहा हूँ, मैने बिना देरी करे उसके निचे लिख दिया हां, पर प्यासे को कुँए के पास आना पड़ेगा.
ये लिख कर मैने कागज वैसे ही मोड़ कर रख दिया शाम को हम टेबल पर एक साथ खाने बैठे तो हम दोनों की नगहें झुकी हुई थी पर दिल धड़क रहे थे, अगले दिन सुबह फिर मुझे नया परचा मिला जिसमे लिखा था रात में कितने बजे? मैने लिखा दिया रात को 11 के बाद।
फिर रात मैं दीनदयाल का इंतजार करती रही और इस उम्मीद में मैने अपना पेटीकोट दाएं जांघ से उठाकर करवट ले कर सो गई लेकिन दीनदयाल नहीं आया और मैं कामवासना में साडी रात तड़फती रही, अगले दिन मुझे फिर बिस्तर के नीचे नया कागज मिला, कि दिन में हम कैसे मिलेंगे?
मेने लिख दिया की नहीं दिन में नहीं सिर्फ रात को, दिन में हमारे सम्बन्ध वही रहेंगे जो हैं, उसने उसी कागज पर लिखा कि कहीं मैं गलत तो नहीं समझ रहा? मेने लिखा, नहीं, ताली दोनों हाथों से बजती है, और आज रात प्यासे की प्यास बुझ सकती है पर कुँए का मुँह थोड़ा टाइट है किसी ने भी उसमें से अपनी प्यास नहीं बुझा सकी, कुंवां अच्छी मरम्मत मांग रहा है.
अगले दिन किताब तो मिली पर उसमे कुछ भी नहीं लिखा था, फिर मैने और पेज देखे तो एक कागज मिला लिखा हुआ था कि ठेकेदार पुरे एरिया का मुवायना करना चाहे तो? क्योंकि कुवाँ कहाँ है देखना पड़ेगा न. मैने लिख दिया कुवां दो पहाड़ों के बीच में घिरा है, थोड़ा कोशिश करोगे तो ढूंढ लोगे। और हाँ नींबू भी हैं पर उनमें रस नहीं है.
उसने लिखा कुँवा तो ज्यादा तर तलहटी में ही रहता है, पर ऐसा तो नहीं होगा न कि एन वक़्त पर कुवें की मालकिन कुवें को ढक दे, और मरम्मत के दौरान अगर ठेकेदार का कुछ सामान वहां छूट गया तो? उसके जवाब में मैने लिखा कि वो सामान उसके कुवें में 9 महीने तक सुरक्षित रहेगा और फिर वापिस मिल जायेगा।
तो अगले दिन लिखा हुआ मिला, मरम्मत तो ऐसी हो जायेगी कि कुँवें के मालिक ने भी नहीं की होगी ऐसी कभी, और हाँ साथ में आस पास की भी तबियत से मरम्मत हो जाएगी, ठेकेदार का हथियार देख लिया था ना? दीनदयाल को आभास था कि मैने उसका हथियार देख लिया था दीनदयाल मेरे दोनों छेदों का मजा लेने को बेताब था।
मैने कागज के टुकड़े में लिख दिया कि हाँ देख लिया था तभी तो कुँवा मरम्मत मांग रहा है, लेकिन कब होगी कुवें की मरम्मत? बस फिर जो मैसेज मिला उससे मुझे थरथराहट सी महसूस हुयी क्योंकि दीनदयाल का लण्ड मैने देख लिया था, उसका लण्ड सीधा और बिना नसों वाला दिख रहा था, वो जवान लड़का था और मेरे साथ पता नहीं शनिवार की रात को कैसे मेरे बदन से खेलने वाला था?
मैं उन कल्पनाओं में खो गई थी जब मैं सीत्कार करूँ और वो अपने लण्ड से मुझे चोद रहा हो. अगले दिन किताब में हुआ था कि कुवें की मरम्मत शनिवार की रात होगी और तसल्ली से होगी, कुवें को अँधेरा पसंद है या फिर डिम लाइट? आज शुक्रवार था इसलिए मैने दिल पर पत्थर रख लिया.
मैने शनिवार की सुबह कागज पर लिख दिया की कुवें को अँधेरा पसंद है क्योंकि मैं और वो दोनों माँ बेटे थे, और मैं शरमाना नहीं चाहतो थी उसका तो पता था कि वो ड्रिंक करके ही मेरी लेगा। मुझे डर लगने लगा क्योंकि दीनदयाल बहुत दिनों से प्यासा था और उसका हथियार भी काफी बड़ा था 7 से साढ़े 7 इंच लम्बा था और करीब सवा दो इंच मोटा।
शनिवार को दिन में मेरे फ़ोन पर एक अंजान नंबर से मिसकॉल आई, मैने कॉल पिक की तो कोई जवाब नहीं मिला, फिर कुछ देर बाद मैसेज आया कि अच्छी तरह आराम कर लेना क्योंकि आज कुँवें की मरम्मत होनी है कुँवें की खुदायी और मरम्मत देर तक चलेगी क्योंकि कुँवा काफी पुराना है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तब मेरे दिमाग की घण्टी बजी कि ये दीनदयाल का ही मैसेज हो सकता है, मैं इतनी खुश हुई कि कमरे में चटकनी मार कर मैने अपने हिप्स देखे और अपनी बुर दाना छुवा, मेरी रातें फिर से रंगीन होने वाली थी. मैं शाम को ठीक 7 बजे नहाई और मैने अपनी ब्रा नहीं पहनी, काले रंग का पेटीकोट पहना और लाल रंग की साड़ी, मैने खाना पौने नौ बजे खा लिया था और दीनदयाल के लिए टेबल पर लगा दिया.
बरसात के दिन थे, रात मैं काफी देर तक उसका इंतजार करती रही मैने कमरे के पल्ले बंद कर दिए फिर पता नहीं मुझे कब नींद आ गयी, कमरे में पंखा काफी तेज चल रहा था. मैं दायीं करवट लेटी हुई थी, तभी मुझे लगा कि कोई मेरे बिस्तर पर आकर मेरे पीछे लेट गया है, वो दीनदयाल के सिवा और कोई नहीं था.
मैं सीधी लेती हुई थी मुझे अपनी सांसों में शराब की गंध आई शायद वो मेरे चेहरे के बहुत करीब था और फिर मेने अपने होंठों पर बहुत धीरे से चुम्बन महसूस किया, मेरा बेटा मुझे चूम रहा था मेरे तन बदन में काम वासना भड़कने लगी, मैं बिलकुल अनजान बन कर लेटी हुई थी.
मुझे करीब ६ साल से काम सुख नहीं मिला था एक बार मेरा मन हुआ की मैं उसके हाथ पकड़ कर उसके एक चांटा मारूं लेकिन फिर मैने सोचा की ये जवान तगड़ा लड़का है और काम वासना में जल रहा है यह अपनी प्यास तो मेरे बदन से बुझा ही लेगा अगर उसके बाद मैं इसे डाँटूंगी तो यह घर छोड़ कर जा सकता है इस कमजोरी ने मेरे हाथ बांध दिए।
मेर हालत ऐसी थी की मुझे भी मर्द की जरुरत महसूस हो रही थी जो बात मैं अपने बेटे से कभी न कह सकी वो ही इच्छा मेरा बेटा पूरी करने वाला था, फिर मैने महसूस किया की वो मेरे ब्लाउज का ऊपरी बटन खोलने में लगा था, और तभी उसने अंदर हथेली डाल कर मेरी दायीं दुद्दी धीरे से मसल दी.
शायद वो भी इस बात को समझ रहा था की मैं सोने का नाटक कर रही थी, बस इसके बाद तो मेरी पेशाब की जगह गीली हो गई और मेरा मन हुआ कि दीनदयाल आज सारे बंधन तोड़ कर मुझे अपनी बाँहों में जकड ले और हम दोनों बेखबर होकर मस्ती में डूब जाएँ.
मेरे निप्पल तन चुके थे और मेरी योनि में जबरदस्त सुलसुलाहट होने लगी, मेरा मन बस अब उसकी मर्दानगी देखने और महसूस करने के लिए तड़फ रहा था मैं अपने बेटे का मजबूत लिंग अपने हाथ और मुंह में लेकर चूसना चाहती थी, पर मैं बेहद मजबूर थी की कहीं वो शर्म के मारे कमरे से न चला जाये और मैं उस रात प्यासा नहीं रहना चाहती थी.
मेरा बेटा दीनदयाल भी करीब 2 साल से बिना औरत के रह रहा था मुझे कहीं न कहीं ये लगा की उसकी गुनहगार मैं हूँ, शारीरिक पूर्ति उसका अधिकार था तभी मुझे महसूस हुआ कि वो बैड पर ही अपना अंडरविअर उतार रहा है मेरा सारा जिस्म मदहोशी से थरथराने लगा.
मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा पेटीकोट जांघों तक उठ चुका है मेरा मन हो रहा था कि मैं अपनी दोनों जाँघें फैला कर दीनदयाल को मदहोश कर दूँ, दीनदयाल बहुत धीरे धीरे मेरा पेटीकोट हटा रहा था शायद वो भी इतने नजदीक आकर प्यासा नहीं रहना चाहता था.
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उसने बहुत धीरे से मेरी दोनों जांघों को बारी बारी से चौड़ा कर दिया, उसके हाथ अब मेरी जांघों की गोलाई टटोल रहे थे. मेरी जांघों के बीच में उन दिनों छोटे छोटे बाल थे तभी मुझे उसकी उँगलियाँ उन बालों में चलती हुई महसूस हुई, मैने अँधेरे में बहुत देखने कोशिश की कि देखूँ उसके चेहरे पर कैसे भाव हैं?
तभी मैने अपनी योनि पर उसकी बेहद गर्म साँसे महसूस की, और शायद इसके बाद वो मेरी जांघों के बीच में उकड़ू बैठ गया क्योंकि मैने अपने गुप्ताँग पर उसके सिर के बाल महसूस किये शायद वो मेरी योनि को चाटना चाहता था, उसने 3-4 बार कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ मेरा मन हो रहा था की क्यों नहीं दीनदयाल मेरे नितम्बों को अपनी हथेलियों में लेकर मेरी योनि को चाट लेता मैं उसे कैसे ये सब कहती?
एक बार तो मेरा जी हुआ कि मैं बकरी की तरह झुक जाऊं और दीनदयाल मेरे गुप्ताँग को चाटे जैसे अक्सर बकरे या सांड चाटते हैं और ऐसा चटवाने से पुरुषों का पुरुषत्व जागता है और महिलाएं चरम सुख पा सकती हैं पर अक्सर औरतें शरम के मारे चुप रहती हैं.
मुझे तो इसलिए पता था कि मैं गाँव में रहती थी और हमारे घर में जानवर थे और कई बार मैने सांड को गाय की पूंछ के नीचे चाटते देखा था और गाय गौंत दिया करती थी तब सांड़ हम सब बच्चों को दौड़ता था और गाय की कमर पर अगले दोनों पैर टिका कर उसकी योनि को रगड़ता था।
बस मेरे मन में भी यही कामुक ख्याल आने लगा कि काश दीनदयाल मुझे मुन्धि करके चोदता। तभी मैने महसूस किया कि मेरी दुदियों पर किसी के हाथ हैं, वो हाथ मेरी दुदियां होल होले दबा रहा था मेरी नींद खुली हुई पर मैं सोने का नाटक करती रही मुझे बहुत अच्छी फीलिंग आ रही थी.
कमरे में इस रात को दीनदयाल के आलावा कौन हो सकता था, रात के करीब साढ़े ग्यारह होंगे कमरे में घुप्प अँधेरा था, उसके इस तरह मेरी छातियां दबाने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, अक्सर रात में ज्यादा गर्मी होने के कारण साड़ी उतार दिया करती थी इसलिए मैने अपनी लाल साड़ी उतार कर बिस्तर पर ही फेंक दी थी क्योंकि तेज रंग से मर्द ज्यादा कामुक हो जाते हैं.
वो मेरा पेटीकोट धीरे धीरे ऊपर सरका रहा था मेरी दायीं जांघ आगे की तरफ मुड़ी हुई थी और मेने बाईं जाँघ सीधी फैला रखी थी, मेरा पेटीकोट कूल्हों तक ऊपर उठ चूका था तभी मैने अपनी जाँघ पर उसकी हथेली का हल्का स्पर्श महसूस किया।, मेरे रोम रोम मैं मस्ती सी छाने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसकी गरम हथेली मेरी जाँघों के जोड़ की तरफ फिसल रही थी, मुझे पक्का यकीं था कि आज की रात दीनदयाल मेरी 6 साल से अनछुई बुर को सहलायेगा, और तभी उसकी उँगलियाँ मेरी बुर के मांसल हिस्से को टोहने लगी मैने रेजर से करीब 20 दिन पहले झाँटें साफ़ करी थी। इसलिए मेरी झाँटें करकरी थी।
मैं स्लिम बदन की थी मेरे नितम्बों यानि चूत्तडों का साइज 35 इंच था, उसकी उँगलियों की छुवन मेरी कामवासना को भड़का रही थी, इस बात को वो ही नारी समझ सकती है जो कई सालों से मर्द की बाँहों में न सोयी हो और मेरा वो ही हाल था, दीनदयाल की उँगलियाँ मेरी बुर की दरार में मचल रही थी वो मेरी बुर की कटान की लम्बाई का अन्दाजा लगा रहा था.
इतने घुप्प अँधेरे में भी उसने मेरा दाना ढूँढ लिया था, उसे जैसे ही उसने अंगूठे और एक ऊँगली के बीच में पकड़ा मेरा मन हुआ कि मैं दीनदयाल की हथेली में पेशाब कर दूँ, उसने मेरा दाना अंगुली के पोर से सहलाना शुरू कर दिया, मेरा दाना फूलने लग गया, उत्तेजना के मारे मेरे दोनों छेद सिकुड़ने लग गये.
और फिर उसने मेरी बुर के होंठ टटोलने शुरू करे पर उसे निराशा हुई होगी, क्योंकि उसके पापा मेरी बुर यानि चूत के होंठ बाहर नहीं निकाल सके थे, कहते हैं कि लड़की शादी के बाद कली सेखिल कर फूल बन जाती है पर मै न कली रह गई थी और न ही फूल बन सकी।
उस वक़्त तो मैं उसकी मम्मी ही थी, तभी मुझे आभास हुआ की दीनदयाल के गुप्तांग से अजीब सी आवाज आ रही है जो शायद उसके लिंग की चमड़ी के टकराने से हो रही थी वो कमावेश माँ आकर हस्त मैथुन करने लगा था मैने उसके पापा को कई बार ऐसे करते देखा था जब माहवारी के दिनों में मैं उन्हें अपने पास नहीं आने देती थी.
तभी उसने मेरे दोनों पैर करीब ढाई फ़ीट दूर फैला दिए मैने उसके घुटने अपनी जांघों पर महसूस किये वो मेरी जांघों के बीच में बैठ चूका शायद उकड़ू था घबरा भी रहा था और तेज तेज धड़क रहा था, फिर उसने मेरे दोनों हाथ अपनी हथेलियों में फंसा लिए मैं बिलकुल बेसुध होने का नाटक कर रही थी.
दीनदयाल मेरे बदन पर छाता चला जा रहा था, और तभी उसने मेरे होंठ अपने गरम होंठों में भींच लिए जब मैं समझ गई की वो अब इस मंजिल छोड़ने वाला नहीं था इसलिए मैने अपने को पाक साफ़ रखने के लिए धीरे से कहा, दीनदयाल मुझे छोड़ो, ये क्या कर रहे हो? पर उसकी पकड़ और तेज हो गयी थी.
मैं जन बुझ कर थोड़ा मचलने लगी, पर उसने मुझे अपने नीचे लगभग दबा सा लिया था, दीनदयाल की हाइट करीब ५ फ़ीट 7 इंच थी थी, मैं अपनी जाँघे भींचने बेकार सी कोशिश करने लगी उसने मेरी जाँघें अपने घुटनों से फिर से चौड़ी कर दी, उसने मुझे अपने नीचे दबा कर मेरे स्तन मलने लगा।
मेरी जांघों के बीच में उसका गरम लिंग टकरा रहा था, उसका लिंग काफी भारी था वो मेरी योनि को अपने लिंग से दबाने की कोशिश करने लगा, मेने उसे फिर कहा दीनदयाल जो तू करना चाह रहा है वो मैं तुझे करने नहीं दूंगी। उसने मुझे कहा कि मम्मी प्लीज, मुझे करने दो ना।
तभी उसने मेरे ब्लाउज़ के बाकी बचे हुए दो बटन भी खोल दिए, दीनदयाल ने मेरी दुद्दी अपनी हथेली से मसल दी। आज रात वो मुझे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता था, उसने मेरे कान में धीरे से कहा मम्मी मुझे तुम्हारी फ़ुद्दी मारनी है, मैं सन्न रह गयी ये तो गुंडों वाली भाषा थी ऐसी बात नहीं थी कि मैने कभी ये शब्द सुने नहीं थे.
पर आज उसके मुँह से सुनकर मेरी तरसती बुर मचलने लगी और इसके साथ ही उसने मेरी योनि पर हाथ फेर दिया, मेरा बुरा हल था मई कल्पनाओं में खो गयी, मैने रुची न दिखावे के लिए उसके लिंग को पकड़ लिया पर दीनदयाल का लिंग इतना मोटा होगा मैने सोचा भी न था, मेरे पूरे जिस्म में काम वासना की लहरें उठने लगी.
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मैं दिखावे के लिए 3 -4 बार छेद के मुँह से हटाया पर दीनदयाल ने तेजी से मेरा हाथ छिटक दिया दीनदयाल ने अपना हाथ हटा लिया और थोड़ी निराश हो गई कि सही जगह पहुँचने के बाद दीनदयाल पीछे क्यों गया? तभी मैने अपने पीछे के छेद यानि गुदा पर गरम अंगारा सा महसूस किया.
दीनदयाल ने अपना मोटा सुपाड़ा मेरी गुदा पर टिका दिया और धीरे धीरे मेरे चूतड़ हिलाने लगा, मुझे इतना यकीं हो गया कि आज की रात दीनदयाल मेरे बदन से अपनी दो साल की हवस मिटायेगा, उसका बड़ा सुपाड़ा मेरे पिछले छेद पर काफी दबाव बनाये हुए था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा चिकना गरम डण्डा खुदाई कर रहा हो.
मैं इसके लिए कत्तई तैयार नहीं थी, मुझे चूतड़ों में फटन सी महसूस हो रही थी मेने सोच लिया था कि अगर दीनदयाल जबरदस्ती पीछे घुसाने की कोशिश करेगा तो मैं दूसरे कमरे में भाग कर चटकनी मार् दूँगी, पर जैसे दीनदयाल ने मेरा मन पढ़ लिया हो. थोड़ी देर बाद ही उसका मोटा लण्ड मेरी कटान के नीचे वाले हिस्से पर पहुँच गया.
मेरा दिल धक धक करने लगा, दीनदयाल ने अपना दायां हाथ मेरे कूल्हे पर रख दिया, कमरे में पंखा फुल स्पीड पर था, वो लण्ड से बुर के छेद को चौड़ा करने की कोशिश करने लगा, अब मुझे मजा आने लगा था क्योंकि ये प्राकृतिक था और मैं दीनदयाल के मोटे लण्ड से चुदने को उत्सुक थी.
मैं कल्पनाओं में खोने लगी, तभी मेरे हलक से हिचकी निकल गई असल में दीनदयाल ने एक जोर का धक्का मार दिया था मेरी बुर पहले से ही लार टपका रही थी इसलिए सुपाड़े ने अपनी जगह बना ही ली दीनदयाल ने अपने दाएं हाथ से मुझे जकड़ लिया और फिर वो करने लगा जो आज से 6 साल पहले उसके पापा ने किया था.
यानि की वो धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी बुर में ठेलने लगा अब मेरी बुर मस्ताने लगी, दीनदयाल मोटे लण्ड से जो खिंचाव बुर के मुंह परपड़ रहा था अब वो ज्यादा महसूस नहीं हो रहा था मेरी बुर के सलवट खुलने शुरू हो गए और मुझे एक बेहद अजीब सी मस्ती छाने लगी.
मेरा मन हो रहा था कि दीनदयाल मुझे मुन्धा करके चोदे, आज मैं अपनी जालिम बुर की जबरदस्त रगड़ाई करवाने को बेताब थी, दीनदयाल ने कुछ धक्के मारने के बाद मुझे अपने ऊपर ले लिया उसका मोटा लण्ड मेरी टाइट चूत में फंसा हुआ था, उसने मेरी दोनों जांघें अपनी जांघों तरफ फैला दी, अब मुझे कुछ कुछ आईडिया हो गया था की वो क्या चाह रहा था?
और तभी दीनदयाल ने अपने चुत्तडों को धीरे धीरे ऊपर उछालना शुरू करा, उसने मेरी दोनों दूदिया जोर से निचोड़ दी, अब दर्द से मैं कराही उसने कहा मम्मी क्या हुआ ? मैने कह दिया दीनदयाल इतनी जोर से मत भींच। बस फिर तो उसने मुझे अपने लौड़े पर उछालना शुरू कर दिया मैं मस्ताने लगी और मुंह से अजीब सी आवाजें निकलने लगी थी जो अक्सर निकलती हैं।
उसका सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी की गाँठ को बुरी तरह बार बार पीछे धकेल रहा था, दीनदयाल बार बार मेरी गाण्ड ऊपर उछाल रहा था, उसका ज्यादा मोटा लौड़ा मुझे बेहद खुश करने में लगा था करीब 4 -5 मिनट चोदने के बाद उसने मुझे मुन्धा कर दिया और फिर से मेरे चूतड़ फैलाए और लौड़ा घुसा दिया.
दीनदयाल के जबरदस्त धक्कों से मेरा जिस्म बुरी तरह हिल रहा कुछ देर बाद उसकी जांघें मेरे चूतड़ों से भत्त भत्त करके टकराने लगी और उसके आंड मेरे दाने से, मैं खुद को एक तपती हुई भट्टी की तरह महसूस कर रही थी जिसमे मैं अपने ही बेटे की जवानी को झुलसाने में आनंद महसूस कर रही थी.
मेरी चूत पिछले 6 साल से प्यासी थी, पर मैं अपने दिल की बात किसी से भी शेयर नहीं करती थी, धीरे धीरे दीनदयाल ने अपनी रफ़्तार बढ़ानी शुरू कर दी, कमरे में पंखें अलावा अगर कोई आवाज थी तो हमारे बदन के टकराने की, और तभी मेरी घुटी सी चीख निकल गई असल में उसने मेरी बुर में पूरी ताकत से अपना मोटा लिंग पेल दिया था जो शायद करीब 5 इंच तक घुस गया था.
मैने अपनी जिंदगी में कभी भी इतना मोटा लिंग न तो देखा था और और ना कभी अंदर लिया था। मेरे अंदाज से उसका लिंग किसी भी सूरत में करीब सवा 2 इंच व्यास से कम नहीं था, मेरी चीख सुनते ही उसने कहा, मम्मी बहुत साल बाद गया न इतना मोटा गुल्ला ? मेरे मुँह से जल्दी से निकला हाँ मेरे राजा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसने तुरंत ही मेरे गाल चूमे और कहा कि मम्मी आज की रात तुम मेरी और सिर्फ मेरी हो, वो बहुत नशे में था और इसके साथ ही उसने धक्का मारा और इतने इतने मोटे लण्ड को एडजस्ट करने के लिए मेरी टाँगें कब उठ गई मुझे पता ही नहीं चला, बस इसके साथ साथ अपनी जांघें चौड़ी कर ली।
जैसे ही मैने टाँगें उठाई उसने मेरी टाँगें टखनों के पास से कस कर पकड़ ली और मेरे सिर तरफ कर दी, उसका मोटा लण्ड मेरी गीली फुद्दी में जगह बनाने में लगा था और आनंद के मारे मैं अपनी गर्दन इधर उधर हिला रही थी दीनदयाल अपने चुत्तडों से बार बार धक्के मार कर मेरी फुद्दी को रौंद रहा था उस वक़्त मेरी जबरदस्त इच्छा होने लगी कि दीनदयाल मुझे अपने मोटे विशालकाय लण्ड से गर्भवती कर दे।
और उधर दीनदयाल मुझे चोदने के लिए पुरे जोर लगा रहा था पता नहीं कब से उसका टैंक भरा पड़ा था? ये हम दोनों के लिए अच्छी बात थी की कमरे में अँधेरा था वरना न वो मजे ले पाता और न मैं। अब दीनदयाल का लण्ड मेरी नाभि के करीब पहुँचने लगा था और बेहद मीठा मीठा दर्द मेरी बच्चेदानी के अंदर महसूस हो रहा था.
उसके बड़े सुपाड़े से मेरी बच्चेदानी का मुंह की गाँठ को मजा आने लगा था दीनदयाल ने करीब 7-8 मिनट तक किसी बेरहम जानवर की तरह मेरी चुदाई करी और फिर उसके लण्ड ने 8 -9 बार तेज गरम फुहारों से मेरी तरसती फुद्दी अच्छी तरह से रौंद दिया था, मेरी चुदाई के लिये तरसती फुद्दी शांत होती जा रही थी.
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दीनदयाल मेरे ऊपर पसर गया था और मेरे गर्दन को चूम रहा था, उसे भी शायद बहुत अच्छा लगा, उसका मजबूत मोटा लण्ड धीरे धीरे सिकुड़ कर बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, दीनदयाल को शायद झपकी आने लगी, मैने उसके चुत्तडों पर प्यार से थपथपाया उसकी नींद खुल गई तभी मैने उसके चेहरे पर जल्दी जल्दी 4 -5 चुम्मियां ली.
उसने कहा मम्मी मुझे पेशाब आ रही है वो पेशाब करके जैसे ही कमरे में आया मैने तुरंत लाइट ऑन कर दी। वो नंगा तो था ही, उसका बड़ा लौड़ा झूल सा रहा था, और ढिल्ला हो गया था, उसके बड़े लौड़े पर हाथ लगाने के लिए मेरी इच्छा जोर मारने लगी और मैने इससे पहले की वो बिस्तर पर चढ़ता उसका लौड़ा अपनी हथेली में ले लिया.
न तो पूरा तना हुआ था न हि शिथिल, हाँ लौड़े का साइज करीब करीब करीब वो ही था, मई नीचे फर्श पर उकड़ू बैठ गई और झुक कर उसके आंड की चुम्मिया ली, बड़े लौड़े से चुदने का मजा तो आता ही है पर मर्द की मर्दानगी को छूकर अलग ही नशा सा छाने लगता है.
मैने हथेली में लेकर धीरे धीरे लण्ड को हिलाना शुरू किया और दीनदयाल के चेहरे पर कामातुर भाव से देखा, वो शायद समझ गया और उसने नीचे झुक कर मेरे होंठ चूम लिए, इसके साथ ही उसके लौड़े में सख्त पन दुबारे से आता चला गया, हमारी माँ बेटे वाली झिझक मिट चुकी थी.
उसने मेरे सिर के बाल अपनी मुट्ठी में जकड लिए और मेरे मुँह में अपना मजबूत लण्ड घुसा दिया, बड़ी मुश्किल से मैने मुंह में लण्ड को एडजस्ट किया और जैसे ही अपनी जीभ चलायी दीनदयाल ने अपने मोटे मोटे चूतड़ आगे पीछे हिलाने शुरू कर दिए, मेरा मन भी फिर से दीनदयाल की मर्दानगी देखने को लालायित हो उठा.
करीब २ मिनट भी नहीं हुए होंगे की दीनदयाल ने मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया उसका लौड़ा फुंकार लगा था वो मुझे सीधे ड्राइंग रूम में सोफे पर ले गया और मुझे मुन्धा कर दिया, मैने घबराई नजरों से उसे देखा उसने कहा मम्मी आज की रात मैं तुम्हारे कुँवें की ऐसी मरम्मत करूँगा कि तुम भी पिछला सब भूल जाओगी।
और इसके साथ ही उसने हिमाचली पीले आड़ू जितना बड़ा सुपाड़ा मेरी फ़ुद्दी पर टिकाया और धीरे धीरे इधर उधर हिला कर छेद में डाल दिया बस फिर तो दीनदयाल ने मेरे कूल्हे पकडे और अपनी मर्दानगी दिखानी शुरू करी, वो मेरे बदन को उसी पोजीशन में करीब ७ मिनट तक मस्ताता रहा.
बीच बीच में वो मेरे चूतड़ों पर हथेली मारता था जिससे मुझे अजीब सा सुख और मिल रहा था, वो एक अनुभवी मर्द बन चूका था आखिर मैं उसकी पहली बीबी तो नहीं थी और उसने अपनी पहली बीबी को भी ऐसे ही मस्ताया होगा, मेरी सिसकारियाँ आहें उसे और कामुक बना रही थी.
मेरी योनि से हवा भी निकलने लगी थी, मेरी जांघें अब हल्का हल्का दर्द करने लगी थी, मैने उसे कहा दीनदयाल पोजीशन बदल लो, उसने कहा मम्मी काश उस दिन आपने मैगजीन का वो पेज मोड़ा न होता, अब मुझे आपकी इच्छाएं पता चल चुकी हैं इसलिए अब तक तक चोदने दो जब तक मेरा मन नहीं भरता.
और इसके साथ उसने जोर से गहरा धक्का मारा और मेरी कमर दुहरी हो गयी मुझे इतना काम सुख मेरे पति ने कभी नहीं दिया था, दीनदयाल ने अपनी बाएं हाथ से मेरी छाती घेर ली मैं अब भी वैसे ही पड़ी हुई थी और दूसरे हाथ से उसने मुझे ऊपर उठा लिया उसने मेरा मुंह अपनी तरफ करके मेरी योनि के नीचे अपना मोटा लण्ड छुवा दिया.
मेरे पुरे जिस्म के रोंगटे उसकी ये हरकत देख कर खड़े हो गए थे, आज रात मुझे ऐसा लगा की शायद मैं उसकी मर्दानगी नापने में भूल कर गई थी दीनदयाल ने मुझे ऊपर से धीरे धीरे छोड़ना शुरू कर दिया और फिर वो जिसकी मेने कल्पना तक नहीं की थी, वो बार बार मेरी जांघों के नीचे हाथ लगाकर मुझे उठा रहा था और फिर नीचे छोड़ रहा था हर कोई समझ सकता है की मेरी फुद्दी का क्या हाल हुआ होगा?
आखिर कार मैने दीनदयाल से रिक्वेस्ट की, यार अब मुझे नीचे तो उतार दे, उसने कहा मम्मी हाँ उतार रहा हूँ और सचमुच उसने मुझे धीरे से फर्श पर खड़ा कर दिया, मेरी योनि का अच्छी तरह मर्दन हो चूका था, दीनदयाल ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया, वो मेरे चूतड़ों से खेलने लगा, मेरा हाथ उसके चिकने लण्ड को सहलाने लगा.
उसकी आँखें बंद होने लगी वो मेरे गालों को लगातार चूम रहा था, जैसे ही मैने दीनदयाल के मोटे लौड़े की खाल आगे पीछे करनी शुरू की वो मस्ताने लगा, कमरे में सफ़ेद रौशनी बिखरी हुई थी, तभी दीनदयाल बुदबुदाया, उसने कहा मेरी जानतुम इतने दिनों से क्यों तड़फा रही थी?
जब कि तुम 6 सालों बिना मर्द की हो और मैं बिना बीबी का, इससे पहले कि मैं उसे जवाब देती वो घूमा और पीछे से अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए, वो मेरे दुदियों को प्यार से मसलने लगा उसका कड़क लण्ड मेरे चूतड़ों पर टच हो रहा था, मुझे स्वर्गिक काम सुख का अनुभव होने लगा तभी उसने मुझे उठाया और फिर से बैडरूम में ले गया.
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उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और अपनी तरफ जमीन पर खड़े होकर खींचा और मुझे दायीं करवट दे दी उसकी आँखों में कामवासना के लाल डोरे फिर से तैरने लगे तभी दीनदयाल ने अपनी दायीं टाँग बिस्तर पर रखी और मेरी गीली चूत को धीरे से थपथपाया दीनदयाल ने मेरी बायीं टाँग पाजेब के पास से पकड़ कर ऊपर उठा दी.
मुझे आज रात पहली बार लगा कि किसी मर्द से पाला पड़ा था उसने मेरी जांघों बीच में बस एक बार देखा और मोटा लौड़ा धीरे से घुसेड़ना शुरू कर दिया बस इसके बाद तो दीनदयाल धक्के मारता रहा और मेरे उस कुँवें की बाउण्ड्री तोड़ने में लग गया जिसकी मरम्मत करने के लिये मैने उसे लिखा था वो खड़े होकर पहले राउंड से कहीं ज्यादा ताकत इस्तेमाल कर रहा था.
मेरी फुद्दी जितनी वो फैला सकता था फैला रहा था हम दोनों के गुप्ताँगों के कठोर घर्षण से झाग निकल कर मेरी जाँघ तक आ गया था मेरे बदन में काम तरंगें नीचे से लेकर दुदियों तक उठ रही थी, मुझे पता ही नहीं चला की उसने मुझे कितनी मिनट तक रगड़ा? ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर कुछ मिनटों के बाद मैने अपनी योनि की दीवारें जबरदस्त ढंग से दबी हुई महसूस की मेरी बच्चेदानी का मुँह उसके बड़े गरम सुपाड़े से चन्द लम्हों तक दबा रहा, और फिर दीनदयाल के मुँह सेअ अ आ आह हहआ: आह। मम मम्मी ई इ इ इ। निकलता चला गया और फिर मेरी योनि दुबारा से उसके गाढ़े गरम वीर्य से भरती चली गयी.
हम दोनों करीब एक मिनट तक जुड़ी हुई हालत में रहे, इसके बाद दीनदयाल निढाल होकर मेरे बिस्तर पर ही नंग धडंग लेट गया जल्दी ही उसकी आँख लग गयी वो दो बार मेरे बदन से अपनी कामवासना की पूर्ति कर चूका था, मैं भी अपना बदन काफी हल्का महसूस कर रही थी, मैं भी उसकी बगल में लेट गयी.
और मैने एक पतली चादर से उसे और अपने आप को ढक लिया, दीनदयाल ने अपने मोटे और लम्बे हथियार से मेरी योनि की अच्छी क्या बेहद ही अच्छी मरम्मत कर डाली थी मेरी फुद्दी का टाइट माँस काफी ढीला पड़ चुका था, मेरा घमंड उसने चूर चूर कर दिया था मैं तो यही सोच रही थी कि दो चार झटके मार के ये सो जायेगा पर हुआ उल्टा।
मैं इस घटना के बारे में सोच ही रही थी कि सुबह को मैं इसे क्या कहूँगी? पर मुझे भी कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला, मेरी नींद सुबह करीब साढ़े तीन बजे तब खुली जब वो फिर से अपना हथियार मेरे अंदर कर चूका था वो मेरी उस रात तीसरे राउण्ड की चुदाई कर रहा था , मेरा पूरा बदन उस रात उसने तोड़ कर रख दिया था, और फिर से उसने मेरी योनि तर कर दी और फिर से हम दोनों सो गए।
दीनदयाल ने अपनी जवानी का रस मेरी तरसती योनि में लबालब भर दिया था, सुबह मेरी नींद खुली तो हम दोनों नंग धडंग पड़े हुए थे और हमारे कपडे कुछ बिस्तर पर और कुछ नीचे फर्श पर गिरे हुए थे दीनदयाल पीठ के बल सीधा लेता हुआ था उसके लण्ड की आगे की खाल पीछे उलटी हुई थी और सुपाड़ा ढीला पड़ा हुआ था.
उस समय उसका लण्ड करीब साढ़े पांच इंच लंबा रह गया था लेकिन मोटाई में कोई ज्यादा कमी नहीं हुई थी ये उसका नार्मल साइज था, बिस्तर की कुचली हुई चादर रात का हाल बयाँ करने के लिए काफी थी, उस पर कई जगह सफ़ेद रंग के बड़े बड़े चकत्ते पड़ गए थे.
ये दीनदयाल का वो वीर्य था जो मेरी योनि धारण नहीं कर पाई थी, मैं थोड़ी देर उसके नगें बदन का दर्शन करती रही, शायद ही मेरी तरह कोई माँ होगी जो अपने जवां बेटे के बदन से सारी रात अपना जिस्म कुचलवाती रही हो, वो भी सिर्फ कामवासना की पूर्ति के लिए, खैर मैने जल्दी इस विचार को त्याग दिया क्योंकि भविष्य में मैं इस आनन्द से वंचित नहीं होना चाहती थी.
मैने अपने मोबाइल से फटाफट अपनी और दीनदयाल की 10-12 तस्वीरें ले ली, ताकि वो मना न कर सके कि मैने कुछ नहीं किया था। मैने आहिस्ता से उसके ढलके हुए लण्ड को सीधा किया, उस समय उसके लण्ड की हालत ऐसी थी जैसे रेशम का केला हो। मैने उसके मोठे बड़े चूतड़ ढंग से उस समय देखे वाकई दीनदयाल मर्द था.
उसके डौले और बलिष्ठ जिस्म देख कर मेरे मन में पाप आया कि बहुत अच्छा हुआ कि इसकी बीबी अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन साथ ही दीनदयाल पर बहुत दया भी आई, मुझे अपनी गन्दी सोच पर बहुत पश्चाताप हुआ कि मैं अपने बदन की आग शांत करने के लिये किस हद तक गिर चुकी हूँ मैं भी उस समय पूरी नंगी थी.
मैं थोड़ा सा झुकी और जैसे ही मैने उसके लण्ड की चुम्मी ली वो जाग गया, उसने मेरे पूरे बदन को ऊपर से नीचे तक देखा और सॉरी मम्मी कह कर जल्दी से छाती के बल लेट गया मैं समझ गई कि उसे सारी घटना याद है, वो मुझसे शरम के मारे आँख नहीं मिलाना चाहता था पर ऐसा कैसे हो सकता था मैं भी तो उतनी ही कसूरवार थी जितना, हम दोनों ने ही तो रात को माँ बेटे के रिश्ते को शर्मसार कर दिया था.
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मैने उसके चूतड़ों पर हौले से 3 -4 बार थपथपाया तो उसने कहा मम्मी सोने दो ना प्लीज। मैने उसे कहा खड़ा हो और वाशरूम होकर आ, उसने कहा मम्मी नहीं अभी आप जाओ मुझे शरम आ रही है मैने उसे हँस कर कहा अच्छा शैतान, तुझे रात को शरम नहीं आयी जब तू रात को मेरे बदन से अपनी आग बुझाने में लगा पड़ा था, मैने उसकी शरम मिटाने के लिए उसे चादर दिखायी और कहा कि तूने रात तीन बार मेरे बदन को को मसला था और इसके साथ ही उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर से उठा दिया.
और मैने अपने होंठ उसकी चौड़ी छाती पर रख दिए, उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर कहा सॉरी मम्मी रात मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई मैने उसे प्यार डांटा और कहा कि चुप, रात जो हुआ अच्छा हुआ आज से तू मेरे साथ सोएगा, अब से मैं ही तेरी माँ भी हूँ और बीबी भी। वो हैरानी से मुझे देखता रहा और फिर तेजी से अपना कच्छा बनियान उठाकर अपने कमरे में भाग गया। मैं भी पेटीकोट को ढूंढने लगी जिसे उतार कर दीनदयाल ने मेरी और अपनी सुहाग रात मना ली थी।